Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 साए Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 10 साए
Hindi Guide for Class 9 PSEB साए Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
परिवार वाले हर रोज़ किसकी राह देखते थे?
उत्तर:
परिवार वाले हर रोज़ घर के मुखिया की राह देखते थे।
प्रश्न 2.
घर का मुखिया कारोबार करने कहाँ गया हुआ था?
उत्तर:
घर का मुखिया कारोबार करने के लिए अफ्रीका गया हुआ था।
प्रश्न 3.
अज्जू बड़ा होकर क्या बनना चाहता था?
उत्तर:
अज्जू बड़ा होकर इन्जीनियर बनना चाहता था।
प्रश्न 4.
अजू को नैरोबी में मिला वृद्ध व्यक्ति कौन था?
उत्तर:
अज्जू को नैरोबी में मिला वृद्ध व्यक्ति उसके मृत पिता का दोस्त था।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
नैरोबी के अस्पताल से आए पत्र को पढ़कर पत्नी परेशान क्यों हो गई?
उत्तर:
नैरोबी से आए पत्र को पढ़कर पत्नी इसलिए परेशान हो गई क्योंकि वह पत्र उसके पति का था। उसका पति बहुत बीमार था। उसके शरीर का रोग काबू से बाहर होता जा रहा था। रंगभेद के कारण उसे यूरोपियन अस्पताल में जगह मिलने में भी बहुत कठिनाई उठानी पड़ी थी। काफ़ी कुछ कहने कहलवाने के बाद उसे अस्पताल में जगह मिल पाई थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी। अब उसके बचने के आसार बहुत ही कम थे। ऐसे समय में उसे अपने बच्चे और पत्नी बहुत याद आ रहे थे।
प्रश्न 2.
घर से जाने वाले पत्र में अज्जू और तनु के बारे में क्या-क्या लिखा था?
उत्तर:
घर से अफ्रीका जाने वाले पत्र में अजू और तनु के बारे में लिखा था कि-बच्चे अपने पिता को बहुत याद करते हैं। उन्हें देखने के लिए तरसते रहते हैं। उनके द्वारा दी गई सभी हिदायतों का पालन करते हैं। पढ़ने में बहुत मेहनत करते हैं। अज्जू तो बड़ा होकर पापा की तरह अफ्रीका जाना चाहता है। वह इन्जीनियर बनना चाहता है। वह बारह वर्ष का हो गया है। वह छठी कक्षा में प्रथम स्थान पर आया है। तनु अठारह वर्ष की हो गई है। उसका विवाह करना हैआदि बातें लिखी होती थीं।
प्रश्न 3.
तनु के लिए वर सहज रूप से मिल जाने का क्या कारण था?
उत्तर:
तनु के लिए वर सहज रूप से मिल जाने का कारण तनु के पिता का अफ्रीका में काम करना था। लड़के वालों को लंगा कि पिता विदेश में है। खूब धन कमा रहा होगा। लड़की की शादी में धन की कोई कमी न रहेगी। शादी खूब धूम-धाम से होगी। दहेज की भी उन्हें कोई चिंता न थी। इसलिए जल्दी ही एक खाते-पीते घर का लड़का मिल गया।
प्रश्न 4.
अज्जू के लिए अफ्रीका से क्या-क्या आया था?
उत्तर:
अजू जब हाई स्कूल की परीक्षा में जिले भर में प्रथम आया तो उसने इसकी सूचना अपने पिता को अफ्रीका भेजी। उसने बहुत-से सर्टिफ़िकेटों तथा खेल-कूद में भी मिलने वाली वस्तुओं के फ़ोटो अपने पिता जी को भेजे। पिता ने भी वहाँ से अज्जू के लिए एक कीमती कैमरा भेजा। गर्म सूट का कपड़ा भेजा। सुन्दर-सी एक घड़ी भेजी तथा इसके साथ ही मर्मस्पर्शी एक लम्बा पत्र भी भेजा।
प्रश्न 5.
पढ़ाई पूरी करने के बाद अज्जू ने अफ्रीका जाने का निर्णय किन-किन कारणों से किया?
उत्तर:
पढ़ाई पूरी करने के बाद अजू नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। उसे नौकरी कहीं नहीं मिल रही थी। उसके मन में पिता से मिलने की लालसा बढ़ती जा रही थी। बचपन से उसने अपने पिता को नहीं देखा था। वह उसने मिलना चाहता था। प्यार से बातें करना चाहता था। पिता के प्यार को पाना चाहता था। इसके लिए उसने अचानक पिता के पास जाने का निर्णय किया ताकि वह अपने पिता के सामने अचानक पहुँच कर उन्हें चौंका सके।
प्रश्न 6.
अज्जू को अंत में पिता के जिगरी दोस्त ने भरे गले से क्या बताया?
उत्तर:
अज्जू को उसके पिता के जिगरी दोस्त ने बताया कि अजू के पिता तो उसके बचपन में ही मर गए थे। अज्जू के पिता ने और उसने साझे में कारोबार शुरू किया था। उनके हिस्से का रुपया वह लगातार भेजे जा रहे थे। उन्हें वर्षों से अजू के आने का इंतजार था ताकि वह अपने पिता का कारोबार संभाल सके। उसने अपने दोस्त को जो वचन दिया था उसे पूरा कर दिया। उनके परिवार को बिखरने नहीं दिया।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
वृद्ध व्यक्ति का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
कहानी में वृद्ध व्यक्ति का चरित्र एक सज्जन और अच्छे मित्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वृद्ध व्यक्ति मित्रता का सच्चा और जीता जागता उदाहरण है। उसने अपने मरते मित्र को उसके परिवार का पालन-पोषण करने का जो वचन दिया था, वह उसे आजीवन निभाता है। वह नियमित रूप से मृत मित्र के घरवालों को रुपये भेजता था। तनु के विवाह के लिए रुपये, जेवर तथा कपड़े भेजे। समय-समय पर उपहार भेझे। सांत्वना और दिलासा देने के पत्र निरन्तर परिवार को लिखता रहा। परिवार और बच्चों को दुःख न हो इसके लिए उसने परिवार वालों से दोस्त मृत्यु का दु:खद समाचार नहीं बाँटा। दोस्त के बच्चों को अपने ही बच्चों के समान प्यार और स्नेह दिया। अजू को पिता के बारे में पता न चले इसलिए उसने अज्जू को अफ्रीका आने से मना कर रखा था। सही अर्थों में वृद्ध व्यक्ति एक सच्चा मित्र, अच्छा इन्सान और विवेकशील व्यक्ति था।
प्रश्न 2.
वृद्ध व्यक्ति ने अजू और उसके परिवार की देखभाल में क्या भूमिका निभाई और क्यों?
उत्तर:
वृद्ध व्यक्ति ने अज्जू और उसके परिवार की देखभाल में बड़ी ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह लगातार परिवार के सम्पर्क में रहा। उसने परिवार की प्रत्येक आवश्यकता का ध्यान रखा। समय-समय पर परिवार की धन आदि से सहायता की। पत्रों के माध्यम से जीवन जीने की प्रेरणा दी। तनु का विवाह स्वदेश में ही करने की सलाह दी। विवाह में स्वयं न जाकर रुपए, जेवर तथा कपड़े भेजे। बच्चों की सच्चाई न बताकर उन्हें एक सफल तथा ज़िम्मेदार व्यक्ति बनाया। वृद्ध व्यक्ति ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उसने अपने मृत मित्र को वचन दिया था कि वह उसके परिवार का ध्यान रखेगा। परिवार को टूटने या बिखरने नहीं देगा। बच्चों की देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ेगा।
प्रश्न 3.
‘साए’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिस प्रकार माँ-बाप अपने बच्चे का नाम रखने में सतर्कता रखते हैं ठीक उसी प्रकार लेखक हिमांशु जोशी ने भी अपनी कहानी ‘साए’ का नामकरण करते समय पूरी सावधानी रखी है। उसने कहानी के नामकरण में मौलिकता, संक्षिप्ता तथा जिज्ञासावर्धक तत्वों को समाहित किया है। आकर्षक और उपयुक्त ‘साए’ नाम वाली रचना पाठक एवं आलोचक को स्वयं ही आकर्षित कर लेती है। ‘साए’ कहानी में नामकरण घटना या चरित्र पर आधारित न होकर प्रतीकात्मकता का सहारा लिए हुए हैं। कहानी का शीर्षक प्रतीक रूप में अपनी सार्थकतापूर्ण किए हुए। वृद्ध व्यक्ति का अपना मित्र धर्म पालन करना एक उदाहरण है। दूसरा उदाहरण बच्चों का अपने पिता के आने तथा उनके होने का जो आसरा सदैव बना रहता है वह ‘साए’ शीर्षक की सार्थकता को पूर्णतः सार्थक सिद्ध करता है। अतः कहानी का शीर्षक ‘साए’ मित्रता, ईमानदारी तथा भाईचारे की भावना को हृदय तक पहुँचाने में पूर्ण समर्थ है।
4. निम्नांकित कथनों के भावार्थ स्पष्ट करो
- • “तिनकों के सहारे तो हर कोई जी लेता है लेकिन कभी-कभी हम तिनकों के साए मात्र के आसरे भंवर से निकलकर किनारे पर आ लगते हैं।”
- “हम दुर्बल होते हुए, असहाय, अकेले होते हुए भी कितने-कितने बीहड़ वनों को पार कर जाते हैं, आसरे की एक अदृश्य डोर के सहारे……”
उत्तर:
- लेखक ने उक्त पंक्तियों के माध्यम से मनुष्य को यह समझाना चाहा है कि किसी सहारे या आसरे के साथ तो प्रत्येक मानव जीवन जी ही लेता है लेकिन कभी-कभी जब वह सहारा या आसरा समाप्त हो जाता है तब हम उसकी छाया या साए को ही सहारा समझ कर जीवन की भँवर पार लग जाते हैं। हमें अपना जीवन जीने में कोई कठिनाई नहीं होती। जीवन सरल लगने लगता है। जीवन में आने वाली बाधाएँ सरलता से पार होने लगती हैं। जीवन बोझ की बजाए प्यारा और सुगम लगने लगता है।
- उक्त पंक्तियों का भावार्थ यह है कि जब व्यक्ति के पास कोई उम्मीद या उस उम्मीद से जुड़ी हुई हल्की-सी भी रोशनी होती है तो वह सारी रुकावटों को पार करता हुआ जीवन क्षेत्र में आगे बढ़ता जाता है। उसे रोकने वाला तब कोई नहीं होता। वह कमज़ोर, हताश, निराश, परेशान होते हुए भी एक न दिखने वाली उम्मीद एवं सहारे के आसरे विषम से विषम स्थितियों को पार करता चला जाता है। जीवन की समस्त कठिनाइयाँ सरलता से उसके अनुकूल होती जाती हैं। कठिनाई सुगमता में बदल जाती है।
(ख) भाषा-बोध
1. निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलिए
पुल्लिंग – स्त्रीलिंग
पति – ……………….
युवक – ……………….
वर – ……………….
बेटा – ……………….
बच्चा – ……………….
मज़दूर – ……………….
उत्तर:
पति – पत्नी
युवक – युवती
बेटा – बेटी
बच्चा – बच्ची
वर – वधु
मज़दूर – मज़दूरिन।
2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
अबोध – ……….. – ………..
असहाय – ……….. – ………..
अदृश्य – ……………. – ………..
असुरक्षा – ………….. – ………..
अप्रवासी – ……………. – ………..
विलंब – …………….. – ………..
विलीन – ………………. – ………..
विमान – ………….. – ……………
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
अबोध – अ – बोध
असहाय – अ – सहाय
अदृश्य – अ – दृश्य
असुरक्षा – अ – सुरक्षा
अप्रवासी – अ – प्रवासी
विलंब – वि – लंब
विलीन – वि – लीन
विमान – वि – मान
3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
मेहमानदारी – ……….. – ………….
भारतीय – ……….. – ………….
स्वाभाविक – ……….. – ………….
नियमित – ……….. – ………….
आसानी – ……….. – ………….
आवश्यकता – ……….. – ………….
उत्तर:
मेहमानदारी – मेहमान – दारी
भारतीय – भारत – ईय
स्वाभाविक – स्वभाव – इक
नियमित – नियम – इत
आसानी – आसान – ई
आवश्यकता – आवश्यक – ता
4. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए
तद्भव – तत्सम
ब्याह – ………………
बूढ़ा – ………………
भाई – ………………
हाथ – ………………
रात – ………………
घर – ………………
पाँव – ………………
आज – ………………
दो – ………………
मुख – ………………
उत्तर:
तद्भव – तत्सम
ब्याह – विवाह
बूढ़ा – वृद्ध
भाई – भ्राता
हाथ – हस्त
रात – रात्रि
घर – गृह
पाँव – पाद
आज – अद्य
दो – द्वि
मुख – मुँह
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
वृद्ध व्यक्ति ने अपने मरते हुए जिगरी दोस्त को जो वचन दिया था उसे पूरा किया; यदि आप उस वृद्ध की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर:
यदि ‘मैं’ उस वृद्ध व्यक्ति की जगह होता तो मैं भी उसी के समान अपने दिए हुए वचन का पालन करता। परिवार को किसी भी स्थिति में बिखरने न देता। कभी-कभार मित्र की ओर से बच्चों को मिलने अवश्य जाता। उनकी पारिवारिक दशा को अपनी आँखों से देख कर उनकी परेशानियों को दूर करने का प्रयत्न करता। मित्र की पुत्री में समस्त सामान के साथ उसे आशीर्वाद देने के लिए स्वयं उपस्थित होता।
प्रश्न 2.
परिवार को पिता की मृत्यु की सूचना न देकर पिता के जिगरी दोस्त ने अच्छा किया या बुरा। – अपने विचार लिखें।
उत्तर:
परिवार को पिता की मृत्यु की सूचना न देकर पिता के जिगरी दोस्त ने अच्छा किया। क्योंकि यदि परिवार को घर के मुखिया की मृत्यु की सूचना मिलती तो पत्नी अवश्य उनकी मृत्यु आघात सहन न कर पाती। वह मर जाती। बच्चे अनाथ हो जाते। उनका पालन-पोषण ठीक से न हो पाता। अज्जू उच्च शिक्षा न ग्रहण कर पाता। तनु का विवाह एक अच्छे परिवार में न होता। जीवन के सभी परिदृश्यों का ध्यान करते हुए पिता के जिगरी दोस्त ने पिता की मृत्यु का समाचार न देकर जो कार्य किया वह. परिस्थितियों के अनुसार अति उत्तम था।
प्रश्न 3.
यदि पिता का मित्र पत्र और पैसे न भेजता तो परिवार की क्या हालत होती?
उत्तर:
यदि पिता का मित्र पत्र और पैसे न भेजता तो परिवार टूट जाता पारिवारिक स्थिति एक दम डगमगा जाती। घर में खाने के लाले पड़ जाते। बीमार माँ का इलाज न हो पाता। बच्चे अच्छे स्कूल में न पढ़ पाते। समाज में नाम और प्रतिष्ठा न मिल पाती। कोई भी अच्छा घर तनु के लिए रिश्ता लेकर न आता। परिवार का पिता के आने की उम्मीद तथा उनके साए का सहारा चकनाचूर हो जाता।
प्रश्न 4.
क्या पत्र की जगह फैक्स, ई-मेल, टैलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर:
बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज़ विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही पूरी तरह से प्रभावित हुई है, लेकिन देहाती दुनिया आज भी पत्रों पर चल रही है। फैक्स, ई-मेल, टेलीफ़ोन तथा मोबाइल ने पत्रों को तेजी से रोका है, लेकिन देश का अभी भी बहुत बड़ा भाग पत्रों पर ही निर्भर और आश्रित है। आज व्यापारिक डाक की संख्या लगातार बढ़ रही है। भविष्य में फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन आदि चिट्ठियों की जगह ले सकते हैं।
प्रश्न 5.
आप भविष्य में क्या बनना चाहते हैं?
उत्तर:
‘मैं’ भविष्य में एक अध्यापक बनना चाहता हूँ। अध्यापक बनने के कई कारण हैं। अध्यापक सबसे पहले अनुशासन स्थापित करता है और अनुशासन ही राष्ट्र की नींव होती है। अध्यापक बनकर मैं अनुशासन स्थापित करने की योजना बनाऊँगा आज के बच्चे कल का नया भारत बनते हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा देकर समाज को दृढ़ता प्रदान करूँगा। अपने आचरण को बेहतर बनाकर बच्चों के समझ उदाहरण प्रस्तुत करूँगा क्योंकि बच्चों में अनुकरण की प्रवृत्ति होती है। अत: वह मेरे आचरण और कार्यों को देखकर मुझसे प्रभावित होंगे। इसलिए ‘मैं’ अध्यापक बनना चाहता हूँ।
(घ) पाठेत्तर सक्रियता
1. ‘सच्ची मित्रता’ पर कुछ सूक्तियाँ चार्ट पर लिखकर कक्षा में लगाइए।
2. ‘जैसी कथनी वैसी करनी’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिये।
3. परोपकार और ईमानदारी विषय पर कहानियाँ पढ़िये।
4. पत्र-लेखन विधा के अनेक संग्रह और संकलन हैं जैसे :- “पिता के पत्र पुत्री के नाम’ – जवाहर लाल नेहरू, ‘गांधी जी के पत्र’-मोहन दास कर्मचंद गांधी, ‘सुभाष के पत्र’-नेता जी सुभाष चंद्र बोस आदि-इन्हें पढ़िए।
(ङ) ज्ञान-विस्तार
1. केन्या (कीनिया)-केन्या गणतन्त्र पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक देश है। भूमध्य रेखा पर हिन्द महासागर से सटे हुए इस देश की सीमा उत्तर में इथोपिया, उत्तर-पूर्व में सोमालिया, दक्षिण में तन्जानिया, पश्चिम में युगांडा और विक्टोरिया झील और उत्तर पश्चिम में सूडान से मिलती है। देश की राजधानी नैरोबी है। राजभाषाएँ स्वाहिली और अंग्रेज़ी हैं।
2. भँवर : नदी के बहाव में वह स्थान जहाँ पानी चक्कर की तरह घूमता है।
3. पासपोर्ट : पासपोर्ट एक राष्ट्रीय सरकार द्वारा जारी एक दस्तावेज़ होता है जो अंतरर्राष्ट्रीय यात्रा के लिए उसके धारक की पहचान और राष्ट्रीयता को प्रमाणित करता है। पहचान स्थापित करने के लिए नाम, जन्मतिथि, लिंग और जन्म स्थान के विवरण इसमें प्रस्तुत किये जाते हैं। आमतौर पर एक व्यक्ति की राष्ट्रीयता और नागरिकता समान होती है।
4. वीज़ा : वीज़ा लैटिन शब्द कार्टा वीज़ा से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है , ‘वह कागज़ जो देखा गया हो’। वीज़ा इंगित करता है कि अमुक व्यक्ति वीजा जारी करने वाले देश में प्रवेश के लिए अधिकृत है। वीजा वह दस्तावेज़ होता है जो एक व्यक्ति को किसी अन्य देश में प्रवेश करने की अनुमति देता है। वीज़ा एक अलग दस्तावेज़ के रूप में भी हो सकता है लेकिन अधिकतर यह आवेदक के पासपोर्ट पर ही एक मोहर के रूप में पृष्ठांकित किया जाता है। वीजा जारी करने वाले देश आमतौर पर इसके साथ कई शर्ते जोड़ देता है जैसे वीजा की वैधता, वह अवधि जिसके दौरान एक व्यक्ति उस देश में रह सकता है, दिए गए वीज़ा पर व्यक्ति कितनी बार यात्रा कर सकता है, आदि।
PSEB 9th Class Hindi Guide साए Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
‘साए’ कहानी का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘साए’ कहानी मित्रता और सद्भाव प्रधान कहानी है। कहानी का मूलभाव लोगों में मैत्री की भावना का प्रचार और प्रसार करना है। यह कहानी लोगों को प्रेरणा देती है कि हमें कठिनाई के समय मित्र का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। मित्र की ज़िम्मेदारियों को अपनी ज़िम्मेदारी समझना चाहिए। अपने दिए हुए वचन का पालन करना चाहिए। स्वार्थ लोलुपता से दूर रहना चाहिए। जिस प्रकार कहानी में वृद्ध व्यक्ति ने अपने मृतक मित्र के परिवार की यथोचित सहायता की, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में इसी प्रकार के भावों तथा विचारों को अपनाकर अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठाना चाहिए।
प्रश्न 2.
सच्ची मित्रता की परख कैसी की जाए?
उत्तर:
लेखक का मत है कि एक सच्चे मित्र में वैद्य के समान कुशलता और परख होती है। जिस प्रकार एक वैद्य रोगी के रोग की परीक्षा करके और उचित दवाई देकर उसे रोग से मुक्त कर देता है, उसी प्रकार एक सच्चा मित्र अपने मित्र की दुर्बलताओं और त्रुटियों को ढूंढ़कर उन्हें दूर करने में सहायक होता है। एक सच्चे मित्र में माँ के गुण भी होते हैं। जिस प्रकार माँ स्नेह, कोमलता और धैर्य की प्रतीक होती है, उसी प्रकार सच्चा मित्र भी माता के समान स्नेह एवं धैर्य से अपने मित्र को बुरे मार्ग से हटाकर अच्छे मार्ग पर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 3.
मित्र का चुनाव करते समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
लेखक ने मित्र को पथ-प्रदर्शक के समान माना है। हमारे जीवन की उन्नति तथा अवनति बहुत कुछ मित्र के चुनाव पर निर्भर करती है। अतः मित्र का चुनाव करते समय हमें विशेष सावधानी से काम लेना चाहिए। ऐसे लोगों का साथ करना हमारे लिए लाभकारी नहीं जो हम से अधिक दृढ़ संकल्प के हैं। ऐसे मित्र की हर बात हमें माननी पड़ती है। इससे हमारे चरित्र का स्वतन्त्र विकास नहीं हो सकता। ऐसे लोगों का साथ भी उचित नहीं जो हमारी ही बात को ऊपर रखें। मित्र ऐसा हो जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें। वह भाई के समान सहायक और हमारे प्रति सहानुभूति दिखाने वाला हो। जो गुण हम में नहीं, वह हमारे मित्र में होने चाहिए। गम्भीर प्रकृति वाले मनुष्य को विनोदी पुरुष का संग करना चाहिए और निर्बल को बलवान का तथा महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति को किसी महान् व्यक्ति की मित्रता करना चाहिए। भाव यह है कि मित्र ऐसा चुनना चाहिए जिसके साथ हम अपने गुणों का आदान-प्रदान कर सकें।
एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
‘साए’ कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
हिमांशु जोशी।
प्रश्न 2.
घर का मुखिया कारोबार करने कहाँ गया था?
उत्तर:
अफ्रीका।
प्रश्न 3.
डाकिया भूल से भी इनके घर क्यों नहीं झाँकता था?
उत्तर:
महीनों से इनके घर कोई पत्र नहीं आया था।
प्रश्न 4.
लम्बे अर्से के बाद पत्र कहाँ से आया था?
उत्तर:
नैरोबी के किसी अस्पताल से।
प्रश्न 5.
किसी अन्य व्यक्ति से पत्र लिखवाने का घर के मुखिया ने क्या कारण बताया?
उत्तर:
हाथ के आप्रेशन के कारण वह स्वयं पत्र नहीं लिख सकता।
हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए
प्रश्न 6.
अजू छठी कक्षा में सबसे अव्वल आया।
उत्तर:
हाँ।
प्रश्न 7.
तनु के विवाह पर उसके पिता आए थे।
उत्तर:
नहीं।
सही-गलत में उत्तर दीजिए
प्रश्न 8.
अज्जू के पापा अमरीका में कारोबार करते थे।
उत्तर:
गलत।
प्रश्न 9.
पहले की तरह किसी से बोल कर लिखवाया हुआ पत्र आया।
उत्तर:
सही।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 10.
जिसने …….. किया है, वह …….. भी करेगा।
उत्तरः
जिसने पैदा किया है, वह परवरिश भी करेगा।
प्रश्न 11.
अपने इस ……. में मेरा …….. बँटाओ।
उत्तर:
अपने इस कारोबार में मेरा हाथ बँटाओ।
बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें
प्रश्न 12.
अजू के पापा का कहां के अस्पताल से पत्र आया?
(क) नाइजीरिया
(ख) नैरोबी
(ग) न्यूयार्क
(घ) नम्बीबिया।
उत्तर:
(ख) नैरोबी।
प्रश्न 13.
तनु अब क्या पार कर रही है?
(क) सोलह
(ख) अठारह
(ग) बीस
(घ) बाईस।
उत्तर:
(ख) अठारह।
प्रश्न 14.
कन्या का बाप कहां सोना बटोर रहा था?
(क) अदन में
(ख) दुबई में
(ग) अफ्रीका में
(घ) अमेरिका में।
उत्तर:
(ग) अफ्रीका में।
प्रश्न 15.
हाई स्कूल की परीक्षा में जिले में प्रथम आने पर अज्जू को पिता की ओर से क्या मिला?
(क) घड़ी
(ख) कैमरा
(ग) स्कूटर
(घ) साइकिल।
उत्तर:
(ख) कैमरा।
कठिन शब्दों के अर्थ
रुग्ण = बीमार। सुदूर = बहुत दूर। विलम्ब = देरी। चन्द दिनों = थोड़े दिनों। परवरिश = पालन-पोषण। रुलाई भरी = आँसुओं से भरा। अबोध = अनजान, नासमझ। टाइपराइटर = टाइप करने की मशीन। स्वाभाविक = बिना किसी बनावट के। निपट अकेले = एक दम अकेले। अम्मा = माँ। हिदायतें = सीख। ब्याह = शादी, विवाह । अक्षरशः = ज्यों-का-त्यों। अड़चन = मुश्किल। अव्वल = प्रथम। विवशता = मजबूरी। स्थगित करना = टाल देना। वज़ीफ़ा = छात्र-वृत्ति। निगाहें = नज़रें। मर्मस्पर्शी = दिल को छू लेने वाला। स्थगित = कुछ समय के लिए रोक देना। अबाध = बाधा रहित, बिना रुकावट। आबोहवा = जलवायु। प्रत्युत्तर = जवाब में। अकस्मात् = सहसा, अचानक। उत्कंठा = प्रबल इच्छा। इंगित = इशारा। भँवर = लहरों का चक्कर। असमंजस = दुविधा। असुरक्षा = सुरक्षा का अभाव। बीहड़ = ऊबड़-खाबड़। सरसब्ज़ = हरा-भरा।
साए Summary
साए लेखक-परिचय
जीवन परिचय- श्री हिमांशु जोशी बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार हैं। उन्होंने गद्य की विविध विधाओं की रचना कर हिन्दी-साहित्य में एक विशेष स्थान प्राप्त किया है। उनका जन्म कुमाऊँ के पर्वतीय अंचल में 4 मई, सन् 1935 ई० में हुआ। यहीं उनका बचपन व्यतीत हुआ। उनकी शिक्षा दीक्षा नैनीताल तथा दिल्ली में सम्पन्न हुई। बचपन से ही लेखन के प्रति उनकी रुचि थी। इसी रुचि के विकास ने उन्हें हिन्दी-साहित्य में ला खड़ा किया। उनकी पहली कहानी सन् 1954 ई० में प्रकाशित हुई। जोशी जी ने पत्रकारिता तथा स्वतन्त्र लेखन को अपनी जीविका को आधार बनाया। वे साप्ताहिक हिन्दुस्तान के विशेष संवाददाता के कार्यभार को सम्भाले हुए हैं।
रचनाएँ-जोशी जी ने कहानियाँ, उपन्यास, कविताएँ, यात्रा वृत्तान्त आदि गद्य की विभिन्न विधाओं तथा बाल साहित्य से सम्बन्धित लगभग 24 पुस्तकों की रचना की है। उनकी उल्लेखनीय रचनाएँ निम्नलिखित हैंउपन्यास-अरण्य, महासागर, छाया मत छूना मन, कगार की आग, समय साक्षी है, तुम्हारे लिए, सु-राज।
कहानी-संग्रह-अंततः, रथचक्र, मनुष्य, चिन्ह, जलते हुए डैने, इस बार बर्फ गिरी तो, इकहत्तर कहानियाँ गंधर्व गाथा, हिमांशु जोशी की इक्यावन कहानियाँ आदि। विशिष्ट रचनाओं का संग्रह-उत्तर पूर्व।
बाल साहित्य-तीन तारे, बचपन की याद रही कहानियाँ, सुबह के सूरज, हिम का साथी, विश्व की श्रेष्ठ लोककथाएँ, नार्वेः सूरज चमके आधी रात, कालापानी।
कविता-संग्रह-अग्नि सम्भव, नील नदी का वृक्ष, एक आँखर की कविता।
साहित्यिक विशेषताएँ-सहजता, सरलता तथा स्वाभाविकता हिमांशु जोशी की रचनाओं की उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं। इन गुणों के कारण इनका साहित्य पाठकों की रुचि का विषय बन गया है। कुमाऊं का पर्वतीय अंचल इनकी रचनाओं में बड़े प्रभावशाली ढंग से चित्रित हुआ है। इनके उपन्यास सुराज पर कला फ़िल्म भी बन चुकी है। कगार की आग, कोई एक मसीहा, छाया मत छूना, मन का सफल मंचन भी हो चुका है। दिल्ली अकादमी ने उन्हें उनके कहानी-संग्रह पर पुरस्कृत किया है। हिन्दी संस्थान, उत्तर प्रदेश ने भी उन्हें छाया मत छूना मन, मनुष्य, चिह्न तथा अरण्य के लिए सम्मानित किया है। हिमांशु जी की कुछ रचनाओं का भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, चीनी, जापानी आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
भाषा-शैली-हिमांशु जोशी की भाषा सरल तथा सहज है। कहीं-कहीं नाटकीयता तथा जटिलता का भी समावेश है। संस्कृत के शब्दों के साथ-साथ उन्होंने आंचलिक शब्दों का भी खुलकर प्रयोग किया है।
कहानी का सार/प्रतिपाद्य
‘साए’ नामक कहानी कथा-शिल्पी हिमांशु जोशी द्वारा रचित एक श्रेष्ठ रचना है। यह एक चरित्र प्रधान कहानी है। यह कहानी अत्यंत मर्मस्पर्शी है। आधुनिक युग में धन लोलुपता के कारण तथा स्वार्थपरता के कारण आज मनुष्य अपने आदर्शों से हटता जा रहा है। किन्तु आज भी समाज में ऐसे बहुत-से लोग हैं जो स्वार्थपरता से कहीं ऊपर हैं। उन्हें आज भी आदर्श प्यारे हैं। मित्र को दिए वचन को निभाने के लिए सारा जीवन बिताने को तैयार हैं। एक बीमार शरीर अपने दो नन्हें-नन्हें बच्चों को लेकर उम्मीद भरी आँखों से प्रतिदिन डाकिए की प्रतीक्षा किया करती थी। वह अफ्रीका में गए अपने पति के पत्र की प्रतीक्षा में रोज़ पलकें बिछाए बैठी रहती थी। लेकिन डाकिया था कि आता ही नहीं था। बहुत दिनों के बाद एक पत्र आया जिस पर रंग-बिरंगी टिकटें लगी थीं। पत्र नैरोबी के एक अस्पताल से आया था। पत्र बड़ा ही अजीब था जो करुणा और दर्द से भरा हुआ था। पत्नी ने पत्र पढ़ना शुरू किया। पत्र उसके पति का था। पति ने पत्र में लिखा था कि रंगभेद के कारण उसे यूरोपियन लोगों के अस्पताल में जगह नहीं मिल पाई। उसकी हालत काफ़ी गंभीर थी। इलाज में देरी के कारण रोग काबू से बाहर हो गया था। काफ़ी मेहनत तथा सिफ़ारिश लगवाने पर अस्पताल में भर्ती कर लिया गया हूँ। तुम्हारी और बच्चों की सोच दिन-रात सताती रहती है। पत्नी पत्र पढ़तेपढ़ते रोती जा रही थी। नन्हें अबोध बालक माँ को आँसू भरे नेत्रों से देखते जा रहे थे। पत्नी ने पति की सूचना के लिए कई पत्र तथा तार डाले। कुछ दिनों के बाद उन्हें केन्या की मोहर लगा एक विदेशी लिफाफा मिला। पत्र उसके पति का था।
अब उसकी हालत में काफ़ी सुधार था। पत्र के साथ उसने कुछ रुपए भी भेजे थे। बीमार पत्नी का स्वास्थ्य अब ठीक होने लगा था। बच्चों के मुरझाए चेहरे खिल उठे थे। पत्रों का आदान-प्रदान नियमित रूप से हो रहा था। पति की ओर से अब बड़े ही अच्छे पत्र आने लगे थे। सभी परिवार वाले खुश थे। घर वाले चाहते थे कि विदेश गया उनका पिता, पति कुछ समय के लिए स्वदेश आ जाए। बच्चे पिता को देखना चाहते थे। पत्नी-पति के दर्शन करना चाहती थी। पत्नी पत्र में पति को लिखकर बताती थी कि उनके द्वारा दी गई सभी नसीहतों को बच्चे अच्छे से मानते हैं। समय पर पढते हैं। पुत्र के बारे में बताते हुए वह कहती है कि अज्जू बड़ा होकर आपकी तरह ही अफ्रीका जाएगा। अब अजू पूरे बारह साल का हो गया है। तनु अठारह साल पूरे कर चुकी है। पति की ओर से पत्र आया। उसमें लिखा था कि वह अभी नहीं आ पाएगा। अगले वर्ष तनु की शादी पर ज़रूर आ जाएगा। उसने यह भी लिखा की स्वदेश में ही तनु के लिए वर की तलाश करना। वर ढूँढ़ने में अधिक कठिनाई नहीं हुई। शायद इसलिए कि वर पक्ष के लोगों को लग रहा था कि पिता अफ्रीका में है। रुपए पैसे की कोई परेशानी न होगी। आखिरकार शादी का दिन आ गया। शादी भी हो गई, किन्तु तनु के पिता जी नहीं आए। उन्होंने कपड़े, जेवर, रुपए भेज दिए थे। विवाह के बाद तनु के विवाह के चित्र अफ्रीका में भेज दिए गए। अजू ने भी इनाम में मिली सारी वस्तुओं के फोटो अपने पापा को अफ्रीका भेजे। पिता ने भी पत्र के उत्तर में एक कैमरा, एक गर्म सूट का कपड़ा तथा घड़ी भेज दी। पिता के स्वदेश न आने पर बच्चों ने इच्छा जताई की वे ही अफ्रीका आ जाएँ तब उत्तर यह मिला कि उनका कोई एक ठिकाना नहीं है इसलिए यहाँ आना बेकार है। एक दिन ऐसा भी आया जब अजू ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली। वह नौकरी की तालाश में लग गया।
पिता के स्वदेश न आने पर उसने स्वयं अफ्रीका जाने का प्रबन्ध कर लिया। शीघ्र ही वह पत्र में लिखे पते पर अफ्रीका में जा पहुँचा। शाम को एक वृद्ध ने घर का ताला खोला। वृद्ध ने अज्जू से उसका परिचय पूछा और अज्जू को अपनी बाँहों में भर लिया। भोजन करने के बाद उन्होंने दीवार पर लगी एक तस्वीर दिखाई जिसे देखकर अजू ने कहा कि, वह उसकी अपनी फोटो है। यह सुनकर वृद्ध व्यक्ति ज़ोर से हँसा और बोला बेटा यह तुम इतने बड़े हो गए। अज्जू के चेहरे की ओर देखते हुए उन्होंने कहा कि-तुम शायद नहीं जानते, तुम्हारे पिता का मैं कितना जिगरी दोस्त हूँ। मैं और तुम्हारे पिता एक साथ रहते थे। हम दोस्त की तरह नहीं अपितु सगे भाइयों की तरह थे। उन्होंने ही मुझे हिन्दुस्तान से यहाँ अफ्रीका बुलाया था। कुछ देर मौन रहने के बाद वृद्ध ने अज्जू से कहा कि कभी-कभी हमें तिनको का सहारा छोड़कर उनके साए में जीना पड़ता है। वृद्ध ने खाँसते हुए अज्जू से बताया कि बेटा तुम ही सोचो कि आज तुम्हारे पिता की मृत्यु आज से 10-15 वर्ष पहले हो जाती तो तुम्हारा क्या होता। तुम अनाथ हो गए होते। तुम्हारी माँ मर चुकी होती। आज जो तुम हो वह न बन पाते। अजू को समझाते हुए वृद्ध ने कहा कि हम जीवन में कभी-कभी सहारे की एक अदृश्य डोर से अपना जीवन व्यतीत कर जाते हैं। इतना कहते ही उनका गला भर आया। उन्होंने अज्जू को बताया कि उसके पिता का देहांत उसके बचपन में ही हो गया था। वह ही साझे के कारोबार से अज्जू के पिता के हिस्से के पैसे उन्हें लगातार भेजता रहा था। अब तुम बड़े हो चुके हो। अब तुम इस कारोबार को संभाल लो। मैंने तुम्हारे पिता को दिया अपना वचन पूरा कर दिया। इतना कहते हुए वृद्ध की आँखें आँसुओं से भर आईं।