PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

SST Guide for Class 8 PSEB राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन कहां तथा किसकी प्रधानगी के अन्तर्गत हुआ तथा इसमें कितने प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर, 1885 तक बोमेश चन्द्र बैनर्जी की प्रधानगी (अध्यक्षता) में हुआ। इसमें 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब तथा किस गवर्नर-जनरल के समय में हुआ ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लार्ड कर्जन के समय में हुआ।

प्रश्न 3.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब तथा किसने की थी ?
उत्तर-
मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने की थी। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।

प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना कब, कहां तथा किसके द्वारा की गई ?
उत्तर-
गदर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में अमेरिका तथा कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने की। इसकी स्थापना सान फ्रांसिस्को में हुई।

प्रश्न 5.
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन का आरम्भ 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन करने से बंगाल में हुआ। परन्तु शीघ्र ही यह भारत के अन्य भागों में भी फैल गया। इस आन्दोलन का नेतृत्व सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, विपिन चन्द्र पाल तथा बाल गंगाधर तिलक आदि प्रमुख नेताओं ने किया था। भारत में स्थान-स्थान पर सार्वजनिक सभाएँ की गईं। इन सभाओं में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की शपथ ली गई। दुकानदारों को विदेशी माल बेचने तथा ग्राहकों को विदेशी माल न खरीदने के लिए विवश किया गया। भारत में अनेक स्थानों पर विदेशी कपड़े की होली जलाई गई। राष्ट्रवादी समाचार-पत्रों में भी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए प्रचार किया गया। स्वदेशी एवं बहिष्कार आन्दोलन का लोगों के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने भारतीयों के मन में राष्ट्रीय भावनाओं को प्रबल बनाया।

प्रश्न 6.
क्रान्तिकारी आन्दोलन पर नोट लिखो।
उत्तर-
नरम दल के नेताओं की असफलता तथा गरम दल के नेताओं के प्रति सरकार की दमनकारी नीति के कारण भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन का उदय हुआ। क्रान्तिकारी नेताओं का मुख्य उद्देश्य भारत में से ब्रिटिश शासन का अन्त करना था। इसके लिए उन्होंने देश में कई गुप्त संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में क्रान्तिकारियों को शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। इनके मुख्य केन्द्र महाराष्ट्र, बंगाल तथा पंजाब आदि में थे।

पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेता सरदार अजीत सिंह, पिंडी दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फ़लक थे। इनके नेतृत्व में कई नगरों में हिंसक कार्यवाहियां की गईं। भारत के अतिरिक्त विदेशों अर्थात् इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा कैनेडा (कनाडा) आदि में भी क्रान्तिकारी आन्दोलन चलाये गए। इंग्लैण्ड में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने इण्डियन होमरूल सोसायटी की स्थापना की। यह सोसायटी क्रान्तिकारियों की गतिविधियों का केन्द्र बनीं। अमेरिका में लाला हरदयाल ने गदर पार्टी की स्थापना की।

प्रश्न 7.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य कौन-से थे ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  1. देश के भिन्न-भिन्न भागों में देश हित का काम करने वाले लोगों से सम्पर्क एवं मित्रता स्थापित करना।
  2. भारतीयों में जातिवाद, प्रान्तवाद तथा धार्मिक भेदभाव का अन्त करके एकता की भावना पैदा करना।
  3. लोगों के कल्याण के लिए सरकार के सामने मांग-पत्र तथा प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना।
  4. देश में सामाजिक तथा आर्थिक सुधार के लिए सुझाव एकत्रित करना।।
  5. आगामी 12 मास के लिए, राष्ट्रवादियों द्वारा देश के हितों के लिए किए जाने वाले कार्यों की रूप-रेखा तैयार करना।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. इंडियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने ……….. ई० में बंबई में की।
2. लार्ड कर्जन ने …………. ई० में बंगाल का विभाजन किया।
3. ………. ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूंगा।”
4. इंडियन नैशनल कांग्रेस का समागम सूरत में ……………ई० में हुआ।
उत्तर-

  1. 1885
  2. 1905
  3. बाल गंगाधर तिलक
  4. 1907.

III. सही जोड़े बनाएं:

क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1914 ई०
2. मुस्लिम लीग – सोहन सिंह भकना
3. मिंटो-मार्ले सुधार – सर सैयद अहमद खां
4. गदर पार्टी – लार्ड कर्जन
5. पहला विश्व युद्ध – 1916 ई०
उत्तर-
क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1916 ई०
2. मुस्लिम लीग – सर सैयद अहमद खां
3. मिंटो-मार्ले सुधार – लार्ड कर्जन
4. गदर पार्टी – सोहन सिंह भकना
5. पहला विश्व युद्ध – 1914 ई०

PSEB 8th Class Social Science Guide राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन (1885) की अध्यक्षता में हुआ-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) जवाहर लाल नेहरू
(iii) बोमेश चन्द्र बैनर्जी
(iv) ए० ओ० ह्यूम।
उत्तर-
बोमेश चन्द्र बैनर्जी

प्रश्न 2.
1905 ई० में बंगाल का विभाजन किया
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) लार्ड कर्जन
(iii) लार्ड मैकाले
(iv) लार्ड विलियम बैंटिक।
उत्तर-
लार्ड कर्जन

प्रश्न 3.
मुस्लिम लींग का मुख्य नेता है
(i) सर सैय्यद अहमद खाँ
(ii) सलीम-उला खाँ
(ii) नवाब मोहसिन
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

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प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना (1913 ई०) में हुई-
(i) भारत
(ii) पाकिस्तान
(iii) फ्रांसिसको
(iv) भूटान।
उत्तर-
फ्रांसिसको

प्रश्न 5.
होमरूल आन्दोलन के मुख्य नेता थे-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) बाल गंगाधर तिलक
(iii) लाला हरदयाल सिंह
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. 1907 के विभाजन के बाद 1916 में कांग्रेस के दोनों दलों में समझौता हो गया।
2. श्रीमती ऐनी बेसेंट तथा बाल गंगाधर तिलक कांग्रेस के उदारवादी नेता थे।
3. कांग्रेस के पहले सभापति बोमेश चन्द्र बैनर्जी थे।
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)

V. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इण्डियन नैशनल कांग्रेस) की स्थापना से पूर्व स्थापित किन्हीं चार राजनीतिक संस्थाओं के नाम बताओ। इनका क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
संस्थाएं-

  • बंगाल ब्रिटिश इण्डियन सोसायटी
  • ब्रिटिश इण्डियन एसोसिएशन
  • इण्डियन एसोसिएशन
  • बॉम्बे प्रेजीडेंसी एसोसिएशन।

उद्देश्य-इन संस्थाओं का उद्देश्य सरकार से भारतीय शासन प्रबन्ध में सुधार की मांग करना तथा भारतीय लोगों के लिए राजनीतिक अधिकार प्राप्त करना था।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय चेतना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय लोगों के मन में यह भावना पैदा करने से है कि वे सभी एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं।

प्रश्न 3.
भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने वाले किन्हीं चार समाचार-पत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
बॉम्बे समाचार, अमृत बाजार पत्रिका, द ट्रिब्यून तथा केसरी।

प्रश्न 4.
इलबर्ट बिल किसने और क्यों पेश किया ?
उत्तर-
इलबर्ट बिल लार्ड रिपन ने पेश किया क्योंकि वह भारतीय जजों को अंग्रेज़ जजों के समान दर्जा दिलाना चाहता था।

प्रश्न 5.
भारतीय सभ्यता को महान् बनाने वाले किन्हीं तीन विदेशी विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर-
विलियम जोन्स, मैक्समूलर तथा जैकोबी।

प्रश्न 6.
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को उदारवादी युग क्यों कहा जाता है ? ।
उत्तर-
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को इसलिए उदारवादी युग कहा जाता है क्योंकि इस काल के कांग्रेस के सभी नेता पूरी तरह उदारवादी थे।

प्रश्न 7.
कुछ प्रमुख उदारवादी नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर-
फिरोजशाह मैहता, दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले तथा मदन मोहन मालवीय।

प्रश्न 8.
लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन क्यों किया गया ? उसका मनोरथ क्या था ?
उत्तर-
लॉर्ड कर्ज़न का कहना था कि यह विभाजन बंगाल की प्रशासनिक सुविधा के लिए आवश्यक है। परन्तु इसका वास्तविक उद्देश्य भारतीयों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमज़ोर बनाना था।

प्रश्न 9.
कांग्रेस का विभाजन कब किन दो भागों में हुआ ?
उत्तर-
कांग्रेस का विभाजन नरम दल तथा गरम दल में हुआ। यह विभाजन 1907 ई० में सूरत अधिवेशन में हुआ।

प्रश्न 10.
ग़दर आन्दोलन का प्रधान कौन था ? इस आन्दोलन का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
ग़दर आन्दोलन का प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना था। इस आन्दोलन का उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत में अत्याचारी अंग्रेजी शासन का अन्त करना था।

प्रश्न 11.
गर्म दल के तीन प्रमुख नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चंद्र पाल।

प्रश्न 12.
पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
सरदार अजीत सिंह, पिण्डी-दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फलक।

प्रश्न 13.
मिण्टो-मार्ले सुधार कब पास हुए ? इनके पीछे सरकार का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार, 1909 में पास हुए। इनके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य गरम दल के नेताओं को प्रसन्न करना तथा मुसलमानों को विशेष अधिकार देकर उन्हें हिन्दुओं से अलग करना था।

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प्रश्न 14.
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का क्या नाम था ? लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना कहाँ की ?
उत्तर-
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का नाम ‘ग़दर’ था। लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना अमेरिका में की।

प्रश्न 15.
होमरूल आन्दोलन के दो मुख्य नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक तथा श्रीमती ऐनी बेसेंट।

प्रश्न 16.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना किसने, कब तथा कहां की ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने 28 दिसम्बर, 1885 ई० को मुम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में की।

प्रश्न 17.
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना किसने और कब की ?
उत्तर-
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना 1876 ई० में सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी ने की।

प्रश्न 18.
लखनऊ समझौता कब तथा कौन-से दो राजनीतिक दलों के मध्य हुआ था ?
उत्तर-
लखनऊ समझौता 1916 ई० में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के मध्य हुआ था।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारवादियों की सफलताएँ क्या थी ?
उत्तर-

  • उदारवादी नेताओं के प्रयत्नों से प्रतिवर्ष कांग्रेस के अधिवेशन होने लगे। इन अधिवेशनों में भारतीयों की मांगें सरकार के सामने रखी जाती थीं।
  • उदारवादियों ने अपने भाषणों तथा समाचार-पत्रों में दिये अपने लेखों द्वारा भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा की।
  • दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले आदि उदारवादी नेता अपनी मांगों का प्रचार करने के लिए इंग्लैण्ड में भी गए।
  • उदारवादियों के प्रयत्नों से 1892 ई० में इंग्लैण्ड की पार्लियामैंट ने इण्डियन कौंसिल्ज़ एक्ट पास किया जिसके अनुसार कानून बनाने वाली परिषदों में भारतीयों को स्थान दिया गया।
  • इनके प्रयत्नों से अंग्रेज़ सरकार ने आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध भारत में किया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन ने किया। उसका इस विभाजन का वास्तविक उद्देश्य हिन्दुओं तथा मुसलमानों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना था। बंगाल के विभाजन के विरोध में लोगों ने स्थान-स्थान पर जलसे, जलूस तथा हड़तालें कीं। बंगाल के विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन भी आरम्भ किया गया।

प्रभाव-इस विभाजन का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा-

  • बंगाल के विभाजन के कारण भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई।
  • बंगाल के विभाजन से कांग्रेस में गरम दल तथा नरम दल नाम के दो शक्तिशाली दल बन गए।
  • बंगाल विभाजन से राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रसार हुआ।

प्रश्न 3.
1909 ई० के मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ क्या थी ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं-

  • गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् में एस० पी० सिन्हा नामक एक भारतीय सदस्य नियुक्त किया गया।
  • केन्द्रीय विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 16 से 60 कर दी गई।
  • प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों की संख्या 30 से 50 कर दी गई।
  • विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करने के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। इस चुनाव-प्रणाली के अनुसार सर्वप्रथम लोगों द्वारा नगरपालिकाओं या ज़िला बोर्डों के सदस्यों का चुनाव किया जाता था। ये चुने गये सदस्य आगे प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करते थे।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। उनके लिए केन्द्रीय विधान परिषद् में 6 स्थान रक्षित किए गए। इन स्थानों के लिए चुनाव केवल मुसलमान मतदाताओं द्वारा ही किया जाता था।

प्रश्न 4.
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में क्या अन्तर था ?
उत्तर-
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में निम्नलिखित अन्तर थे-

  • नरम दल के नेता दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, फिरोजशाह मेहता तथा गोपाल कृष्ण गोखले ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए वरदान मानते थे जबकि गरम दल के नेता विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए अभिशाप मानते थे।
  • नरम दल के नेता प्रशासन में सुधार लाने के लिए सरकार को सहयोग देना चाहते थे, जबकि गरम दल के नेता भारत से ब्रिटिश शासन का अन्त चाहते थे।
  • नरम दल के नेता सरकार से अपनी मांगें, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा मनवाना चाहते थे परन्तु गरम दल के नेता अपनी शक्ति द्वारा मांगें मनवाने के पक्ष में थे।

प्रश्न 5.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई ? इसकी स्थापना के क्या कारण थे ?
उत्तर-
30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने ‘मुस्लिम लीग’ नाम की अपनी एक अलग राजनीतिक संस्था स्थापित कर ली। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला-खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।
कारण-मुस्लिम लीग की स्थापना मुख्य रूप से साम्प्रदायिक राजनीति का परिणाम थी। इस संस्था की स्थापना के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

  • मुसलमान अपने हितों की रक्षा के लिए कोई अलग संस्था बनाना चाहते थे।
  • मुस्लिम लीग की स्थापना से अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति सफल होती थी।
  • अरब देशों में वहाबी आन्दोलन आरम्भ होने के साथ भारत में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा हो गई थी।
  • मोहम्मडन ऐंग्लो-ओरियंटल कॉलेज के प्रिंसीपल बेक ने साम्प्रदायिकता की भावना को भड़काने के लिए लेख लिखे तथा सर सैय्यद अहमद खाँ ने इस संबंध में प्रचार किया।
  • लार्ड कर्जन ने भी मुसलमानों के मन में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा की।

प्रश्न 6.
गरमपंथियों के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
गरमपंथियों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

1. पूर्ण स्वराज की प्राप्ति-गरमपंथी नेताओं का मुख्य उद्देश्य पूर्ण स्वराज प्राप्त करना था। इसकी मांग बाल गंगाधर तिलक ने की थी। उन्होंने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।” उनका विचार था कि शासन प्रबन्ध भारतीय परम्पराओं तथा संस्कृति पर आधारित होना चाहिए।

2. भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्ध समाप्त करना-गरमपंथियों का दूसरा मुख्य उद्देश्य भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्धों को समाप्त करना था। विपिन चन्द्र पाल का कहना था, “हम अंग्रेजों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहते। हम भारत में अपनी सरकार चाहते हैं।”

प्रश्न 7.
मुस्लिम लीग के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
मुस्लिम लीग के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य थे-

  • भारतीय मुसलमानों के हितों की रक्षा करना।
  • अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार (राजभक्त) रहना, ताकि अंग्रेज़ उन्हें अधिक-से-अधिक सुविधाएं प्रदान करें।
  • भारतीय मुसलमानों को इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रभाव से मुक्त करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मण्डल स्थापित करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग राज्य (पाकिस्तान) की मांग करना।

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प्रश्न 8.
अंग्रेजी भाषा का राष्ट्रीयता के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
प्रशासन की भाषा बन जाने के कारण भारत के लोगों ने अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया। अंग्रेज़ी के माध्यम से पंजाबी, मद्रासी, बंगाली, गुजराती तथा हरियाणवी एक-दूसरे से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते थे। इस प्रकार अंग्रेजी भाषा ने देश के विभिन्न प्रान्तों के लोगों को एक-दूसरे के समीप लाने में बहुत सहायता की। अंग्रेज़ी भाषा के कारण भारत के लोग पश्चिमी साहित्य से परिचित हो गए। इस साहित्य से उन्हें स्वतन्त्रता, समानता तथा लोकतंत्र के महत्त्व का पता चला। फलस्वरूप वे राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंध गए और वे अपने देश में स्वतन्त्रता का वातावरण उत्पन्न करने के विषय में सोचने लगे।

प्रश्न 9.
अंग्रेजों द्वारा भारतीयों से असमानता का व्यवहार करने का भारतीय भाषाओं व समाचार-पत्रों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
अंग्रेज़ भारतीयों से असमानता का व्यवहार करते थे। भारतीयों को केवल निम्न सरकारी पद ही दिए जाते थे और वे भी कम वेतन पर। उन्हें ऐसा कोई पद नहीं दिया जाता था जो उत्तरदायित्व से जुड़ा हो। उनके साथ जातीय आधार पर भी भेदभाव किया जाता था। भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार-पत्र इस अन्याय को सहन न कर सके। अत: उन्होंने ऐसे लेख प्रकाशित करने आरम्भ कर दिए जिनमें जनता के कष्टों का वर्णन किया जाता था। इसे रोकने के लिए सरकार ने कठोर कदम उठाए। फलस्वरूप भारतीय जनता में जागृति आई और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।

प्रश्न 10.
इण्डियन नेशनल (भारतीय राष्ट्रीय) कांग्रेस में 1907 ई० में किस प्रकार फूट पड़ी ?
उत्तर-
1907 ई० में इण्डियन नेशनल कांग्रेस का सूरत में अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में उदारवादी नेताओं ने स्वदेशी तथा बहिष्कार के प्रस्तावों की निन्दा की। इसके अतिरिक्त सम्मेलन में इण्डियन नेशनल कांग्रेस संस्था के प्रधान पद के चुनाव के प्रश्न पर नरमपंथी तथा गरमपंथी नेताओं में विवाद भी हो गया। नरमपंथी नेता रास बिहारी बोस को प्रधान बनाना चाहते थे परन्तु गरमपंथी नेताओं की पसन्द लाला लाजपतराय थे। वे नरमपंथियों की नीतियों तथा उनके संवैधानिक तरीकों के भी विरुद्ध थे।

अतः उन्होंने इण्डियन नेशनल कांग्रेस से अलग होकर अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए कार्य करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार कांग्रेस में फूट पड़ गई।

प्रश्न 11.
ग़दर पार्टी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बहुत से भारतीय अमेरिका तथा कनाडा आदि देशों में रहना चाहते थे। परन्तु यहाँ उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता था। अतः उन्होंने यह अनुभव किया कि जब तक वे अपने देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त नहीं करा लेते, तब तक उन्हें विदेशों में सम्मान प्राप्त नहीं हो सकता। अतः उन्होंने भारत को स्वतन्त्र कराने की योजना बनाई। 1913 ई० में उन्होंने एकत्रित होकर सानफ्रांसिस्को (अमेरिका) में ग़दर पार्टी की स्थापना की। सोहन सिंह भकना को इस संस्था का प्रधान बनाया गया। लाला हरदयाल को इस संस्था का सचिव चुना गया।
ग़दर पार्टी का मुख्य उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत को स्वतन्त्र कराना था। पार्टी ने अपने विचारों का प्रचार करने के लिए ‘ग़दर’ नाम का एक समाचार-पत्र भी निकाला। इसमें अंग्रेजों के समर्थकों की हत्या, सरकारी कोष लूटना, बम बनाना, रेलवे लाइनों को तोड़ना, टेलिफोन तारों को काटना तथा सैनिकों को विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित करना आदि के बारे में सामग्री छापी जाती थी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस ( 1885-1905 ई०) की मांगों, कार्यक्रम तथा सरकार के कांग्रेस के प्रति व्यवहार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की प्रमुख मांगें-इण्डियन नैशनल कांग्रेस की मुख्य मांगें निम्नलिखित थीं-

  • केन्द्रीय तथा प्रान्तीय विधान सभाओं में भारतीय लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया जाये।
  • भारतीयों को उनकी योग्यता के अनुसार उच्च पदों पर नियुक्त किया जाए।
  • देश में शिक्षा का प्रसार किया जाए।
  • प्रेस पर लगाए गए अनुचित प्रतिबन्धों को हटाया जाए।
  • कार्यपालिका तथा विधानपालिका को एक-दूसरे से अलग किया जाए।
  • स्थानीय संस्थाओं का विकास किया जाए और उन्हें पहले से अधिक शक्तियां दी जाएं।
  • भारत में भी इंग्लैण्ड के समान आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध किया जाए।
  • सेना पर किये जा रहे व्यय में कमी की जाए।
  • किसानों से लिए जा रहे भूमि-कर की राशि कम की जाए।
  • सिंचाई की समुचित व्यवस्था की जाए।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस का कार्यक्रम-1885 ई० से 1905 तक इण्डियन नैशनल कांग्रेस के सभी नेता उदारवादी सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए क्रान्तिकारी या हिंसात्मक कार्यवाहियां करना पसन्द नहीं करते थे। वे भाषणों, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा अपनी मांगें सरकार के सामने रखते थे। वे कांग्रेस के प्रत्येक अधिवेशन में प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजते थे। उन्हें विश्वास था कि सरकार उनकी मांगों को अवश्य स्वीकार कर लेगी।

सरकार का इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रति व्यवहार-सरकार चाहती थी कि कांग्रेस उसके अधीन रहे परन्तु ऐसा न हो पाने के कारण सरकार कांग्रेस के विरुद्ध हो गई। सरकार ने सरकारी प्रतिनिधियों के कांग्रेस के अधिवेशनों में भाग लेने पर रोक लगा दी। सरकार द्वारा मुसलमानों को कांग्रेस से अलग करने के भी प्रयास किये जाने लगे। इस प्रकार सरकार ने कांग्रेस के प्रति उपेक्षा की नीति अपनायी।

प्रश्न 2.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं शताब्दी में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हो गई थी। फलस्वरूप उन्होंने अंग्रेज़ी सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में से ज़मींदार सभा (1838 ई०), बम्बई सभा (1852 ई०), पूना सार्वजनिक सभा (1870 ई०), मद्रास (चेन्नई) नेटिव एसोसिएशन (1852 ई०) आदि प्रमुख थीं। इनकी स्थापना अपने-अपने प्रान्तों के हितों की रक्षा करने के लिए की गई थी। धीरे-धीरे भारत के बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रीय स्तर के संगठन की आवश्यकता अनुभव की। अत: 1876 ई० में सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना की।

आई० सी० एस० पास सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी ने राष्ट्रीय स्तर की संस्था की स्थापना के लिए समस्त भारत में स्वराज प्राप्त करने के लिए प्रचार किया तथा अनेक संस्थाएं स्थापित की। इसी समय एक अंग्रेज़ अधिकारी ए० ओ० ह्यूम ने सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी का साथ दिया। उसने लोगों को सलाह दी कि वे अपनी समस्याएं सरकार के आगे प्रस्तुत करें।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना-मिस्टर ए० ओ० ह्यूम ने दिसम्बर 1885 ई० में बम्बई (मुम्बई) में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना की। वह एक सेवा मुक्त अंग्रेज़ आई० सी० एस० अधिकारी था। उसे इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पिता भी कहा जाता है। इण्डियन नैशनल कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर 1885 ई० तक मुम्बई में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में ही हुआ। इसके सभापति वोमेश चन्द्र बैनर्जी थे। इस अधिवेशन में देश के भिन्न-भिन्न प्रान्तों से आए 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रश्न 3.
गरम राष्ट्रवाद के उत्थान के बारे में संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
1905 ई० से 1919 ई० तक राष्ट्रीय आन्दोलन का नेतृत्व गरमपंथी नेताओं के हाथों में रहा। गरम दल के उत्थान के अनेक कारण थे जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार हैं-

  • उदारवादियों की असफलता-उदारवादी नेता सरकार से अपनी मांगें पूरी कराने में असफल रहे थे। अतः नवयुवकों ने ठोस राजनीतिक कार्यवाही करने की मांग की।
  • बेरोज़गारी-बहुत से भारतीयों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी परन्तु वे बेरोज़गार थे। अत: उनमें निराशा की भावनाएं पैदा होने लगी और उन्होंने सरकार का विरोध करने के लिए कठोर पग उठाने का निर्णय किया।
  • अंग्रेजों की आर्थिक नीति-अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनाई गई आर्थिक नीति भी गरम राष्ट्रवाद को उत्साहित करने में सहायक हुई।
  • अकाल तथा प्लेग-1896-97 ई० में भारत में अनेक स्थानों पर अकाल पड़ गया। 1897 ई० में पुणे (पूने) के आस पास के क्षेत्रों में प्लेग भी फैल गया। इससे लाखों लोगों की मौत हो गई। ब्रिटिश सरकार ने इस विपत्ति में भारतीयों की कोई सहायता नहीं की। अतः भारतीयों ने गरम नीति पर आधारित आन्दोलन का समर्थन किया।
  • विदेशों में भारतीयों से दुर्व्यवहार- इंग्लैण्ड तथा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता था। अतः भारत के राष्ट्रवादियों ने भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतन्त्र कराने के लिए शक्तिशाली आन्दोलन चलाया।
  • विदेशी क्रान्तियों से प्रेरणा-फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिका का स्वतन्त्रता-संग्राम, इटली का एकीकरण आदि घटनाओं से भारतीयों को अपना देश स्वतन्त्र कराने की प्रेरणा मिली। अत: उन्होंने गरम राष्ट्रवाद की राह अपनाई।
  • जापान के हाथों रूस की पराजय-1904-05 ई० में जापान तथा रूस के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में रूस जैसा बड़ा देश जापान जैसे छोटे से देश के हाथों पराजित हो गया। जापान की इस जीत ने भारतीयों के मन में अंग्रेज़ों से स्वतन्त्र होने की भावना पैदा की। इससे गर्म राष्ट्रवाद को बल मिला।
  • गरमपंथी नेताओं के भाषण-लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चन्द्र पाल जैसे नेताओं ने गरमपंथी आन्दोलन आरम्भ किया। उन्होंने भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा करने के लिए स्थान-स्थान पर जलसे किए तथा भाषण दिए। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्म-सिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके रहूँगा।” इसी प्रकार के विचार लाला लाजपतराय तथा विपिन चन्द्र पाल ने भी प्रकट किए। इन विचारों के कारण गरम राष्ट्रवाद को और अधिक प्रोत्साहन मिला।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

प्रश्न 4.
लखनऊ समझौते तथा होमरूल आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
लखनऊ समझौता-1914 ई० में यूरोप में प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में अंग्रेज़ मुसलमानों के देश तुर्की के विरुद्ध लड़े। तुर्की का सुल्तान संसार के सभी मुसलमानों का धार्मिक नेता था। अतः मुस्लिम लीग के नेता अंग्रेजों से नाराज होकर इण्डियन नैशनल कांग्रेस के साथ मिल गए। 1916 ई० में दोनों पार्टियों के बीच लखनऊ में एक समझौता हुआ जिसके अनुसार इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए अलग प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया। अत: दोनों संस्थाओं ने मिल कर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेना आरम्भ कर दिया। इससे राष्ट्रीय आन्दोलन को नई शक्ति मिली।

होमरूल आन्दोलन-1916 ई० में श्रीमती ऐनी बेसेंट ने मद्रास में तथा बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में होमरूल लीग की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में होमरूल या स्वराज की स्थापना करना तथा भारतीयों के मन में स्वराज के प्रति जागरूकता पैदा करना था। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था……. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।’ परिणामस्वरूप भारत मन्त्री मि० मांटेगू ने अगस्त, 1917 ई० में घोषणा की कि अंग्रेज़ सरकार भारत में स्व-शासन की संस्थाएं स्थापित करेगी तथा धीरे-धीरे स्वशासन की स्थापना की जाएगी। इस आश्वासन के कारण होमरूल आन्दोलन धीरे-धीरे शान्त हो गया।

प्रश्न 5.
भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के कारणों का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय किसी राष्ट्र के नागरिकों में पाई जाने वाली उस भावना से है जिससे उन्हें यह अनुभव हो कि वे सब एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं। भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के अनेक कारण थे जिनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

1. 1857 ई० के महान् विद्रोह का प्रभाव-भारतीय लोगों ने अंग्रेजी शासन को समाप्त करने के लिए 1857 ई० में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था। इस विद्रोह को अंग्रेज़ों ने कठोरता से दबा दिया था। इसके बाद वे भारतीय लोगों पर अत्याचार करने लगे। इस कारण भारतीय लोगों के मन में अपने देश को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराने की भावना उत्पन्न हुई।

2. प्रशासनिक एकता-अंग्रेज़ी सरकार ने समस्त भारत में एक सी शासन प्रणाली एवं कानून व्यवस्था लागू की। इसके फलस्वरूप भारत के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोग अपने आपको एक देश के नागरिक समझने लगे जिससे उनमें राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

3. सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन-19वीं शताब्दी में भारत के विभिन्न प्रान्तों में अनेक सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन चले। राजा राममोहन राय (ब्रह्म समाज), स्वामी दयानन्द (आर्य समाज), श्री सद्गुरु राम सिंह जी (नामधारी लहर) आदि सभी समाज-सुधारकों ने समाज में फैली हुई बुराइयों की निन्दा की। उन्होंने भारतीय लोगों में इन बुराइयों का अन्त करने के लिए सामाजिक-धार्मिक जागृति उत्पन्न की जिसने राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।

4. पश्चिमी शिक्षा एवं साहित्य-भारतीय लोगों ने विदेशी लेखकों जैसे कि मिल्टन, मिल तथा बर्न आदि की पुस्तकें पढ़ीं और अपने राजनीतिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त की। रूसो, वाल्टेयर तथा मैकाले आदि विद्वानों के विचारों ने भारतीय लोगों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृ-भाव की भावना एवं राष्ट्रीय-चेतना पैदा की।

5. भारतीय लोगों का आर्थिक शोषण-अंग्रेज़ व्यापारी अधिक-से-अधिक धन कमाने के लिए भारतीय लोगों से कम कीमत पर कच्चा माल खरीद कर इंग्लैंड भेजते थे तथा वहां के कारखानों में तैयार माल भारत में लाकर ऊंचे दामों पर बेचते थे। इससे भारत के लघु उद्योगों में तैयार की गई वस्तुओं की बिक्री बन्द हो गई। कच्चा माल न मिलने के कारण लघु उद्योगों का पतन होने लगा। परिणामस्वरूप भारतीय कारीगर बेरोज़गार हो गए। किसानों से भी भारी भूमि-कर लिया जाता था जिसके कारण किसानों को अपनी भूमियां बेचनी पड़ गईं। इस प्रकार वे भी बेरोज़गार हो गए।

6. भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त न करना-अंग्रेजी सरकार भारतीय लोगों को योग्यतानुसार उच्च पदों पर नियुक्त नहीं करती थी। अतः उनमें अंग्रेजों के प्रति रोष पैदा हो गया। इसके अतिरिक्त समान स्तर की नौकरी करने वाले अंग्रेज़ कर्मचारियों की अपेक्षा भारतीय कर्मचारियों को कम वेतन तथा भत्ते दिए जाते थे। अतः भारतीय कर्मचारियों का मन दुखी था। इस बात ने भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना पैदा करने में सहायता दी।

7. भारतीय समाचार-पत्र एवं साहित्य-भारत में अंग्रेज़ी तथा देशी भाषाओं में अनेक प्रकार के समाचार-पत्र, पत्रिकाएं तथा पुस्तकें छपने से लोगों की जानकारी में वृद्धि हुई। बॉम्बे समाचार, अमृत बाज़ार पत्रिका, द ट्रिब्यून, केसरी आदि के माध्यम से देश-विदेश के समाचारों की जानकारी प्राप्त होने से लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। इसके अतिरिक्त अनेक देश-भक्ति की रचनाएं जैसे कि बंकिम चन्द्र चैटर्जी का ‘आनन्द मठ’ तथा उसका गीत ‘वन्दे मातरम्’ लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गए। रवीन्द्र नाथ टैगोर, हेमचन्द्र बैनर्जी तथा केशव चन्द्र सेन की कविताओं तथा लेखों द्वारा भी भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

8. यातायात तथा संचार के साधन-रेल, डाक एवं तार आदि यातायात तथा संचार के साधनों का विकास होने से देश के एक भाग से दूसरे भाग में जाना अति सरल हो गया था। इससे भारतीय लोगों में विचारों का आदान-प्रदान हुआ। वे अपनी कठिनाइयों का समाधान करने के लिए मिल कर प्रयत्न करने की सोचने लगे।

9. इलबर्ट बिल का विरोध-गवर्नर जनरल लार्ड रिपन प्रथम अंग्रेज़ अधिकारी था जो भारतीयों के प्रति सहानुभति रखता था। वह भारतीय जजों को अंग्रेजों के समान अधिकार दिलाना चाहता था। अतः उसने इलबर्ट बिल पास कराना चाहा। परन्तु अंग्रेजों ने इस बिल का विरोध किया। इससे भारतीय लोग अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।

10. प्राचीन साहित्य का अध्ययन-विलियम जोन्स, मैक्समूलर, जैकोबी आदि प्रसिद्ध यूरोपियन विद्वानों ने प्राचीन भारतीय साहित्य का अध्ययन किया। इन विद्वानों ने सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति महान् है। अत: भारतीय लोगों को अपने देश तथा अपनी संस्कृति पर गर्व होने लगा। इससे भारतीय लोगों में राष्ट्रीय भावना पैदा हुई।

राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० PSEB 8th Class Social Science Notes

  • राष्ट्रवादी आन्दोलन -1857 के विद्रोह के पश्चात् भारत में एक राष्ट्रवादी आन्दोलन का आरम्भ हुआ। इस आन्दोलन के प्रमुख लक्ष्य राष्ट्रीय स्वाधीनता, लोकतन्त्र, सामाजिक समानता और राष्ट्रीय विकास थे।
  • आरम्भिक चरण (1885-1905) – उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अनेक राजनीतिक संगठनों की स्थापना हुई-बाम्बे एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन, मद्रास (चेन्नई) नैटिव एसोसिएशन, पूना सार्वजनिक सभा और मद्रास (चेन्नई) महाजन सभा। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। आरम्भिक वर्षों में कांग्रेस ने नरम नीतियां अपनाईं-शिक्षा प्रसार, औद्योगिक विकास, किसानों के कर्मों में राहत इत्यादि।
  • भारतीय राष्ट्रवादी आन्दोलन (1905-1919) – ब्रिटिश शासकों ने कांग्रेस की मामूली साधारण मांगें भी नहीं मानीं। जनता की चेतना बढ़ी और कांग्रेस के भीतर एक गरमपंथी दल का जन्म हुआ।
  • गरमपंथ का उदय – कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन, जापान के हाथों रूस की हार, 1905 की रूसी क्रान्ति तथा
    लाल-बाल-पाल के नेतृत्व ने गरमपंथ को बढ़ावा दिया। गरमपंथी भारी दबाव डालकर अपनी मांगें मनवाना चाहते थे।
  • बहिष्कार और स्वदेशी आन्दोलन – बंगाल विभाजन के परिणामस्वरूप जन्मी गुस्से की लहर ने स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलन को जन्म दिया। इस आन्दोलन का उद्देश्य देशी उद्योगों को प्रोत्साहन देना और ब्रिटिश माल का बहिष्कार करना था।
  • गर्म दल के नेता लाल-बाल-पाल कांग्रेस के गर्म दलीय नेता थे जो संघर्ष, बहिष्कार और स्वदेशी द्वारा स्वराज्य प्राप्त करना चाहते थे। 1905 के बाद देश की राजनीति में उनका बड़ा प्रभुत्व रहा।
  • क्रान्तिकारी – पंजाब, उत्तर प्रदेश, बंगाल आदि प्रान्तों में अनेक नवयुवकों ने क्रान्तिकारी आन्दोलन चलाये। वे अंग्रेजों की हत्या, शस्त्र-प्रयोग तथा आत्म-बलिदान में विश्वास करते थे।
  • ग़दर आन्दोलन – ग़दर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में सान फ्रांसिस्को (अमेरिका) में हुई। इसका प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना को बनाया गया। इस संस्था ने रास बिहारी बोस तथा करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में सशस्त्र क्रान्ति द्वारा अंग्रेज़ों को भारत से बाहर निकालने का प्रयास किया।

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