PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Lokoktiyan लोकोक्तियाँ Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar लोकोक्तियाँ

वाक्य प्रयोग सहित लोकोक्तियाँ

1. अन्धों में काना राजा = मूों में थोड़ा पढ़ा (सयाना) ।
प्रयोग – हमारे गाँव की अनपढ़ जनता को पोस्टमैन ही पत्र पढ़कर और सुनाकर आदर पाते हैं क्यों न हो ‘अन्धों में काना राजा’।

2. अधजल गगरी छलकत जाए = कम ज्ञान या धन वाला दिखावा अधिक करता है।
प्रयोग-कृष्णलाल है तो कमेटी में चपरासी लेकिन बातें ऐसी करता है, जैसे कहीं सचिव हो। ठीक है ‘अधजल गगरी छलकत जाए’।

3. अन्त भले का भला = अच्छे काम का फल अच्छा होता है।
प्रयोग – मैं तो सच्चाई और ईमानदारी पर चलने वाला हूँ। मेरा ‘अन्त भले का भला’ में दृढ़ विश्वास है।

4. अन्धी पीसे कुत्ता खाए = कमाए कोई, खाए कोई। प्रयोग-लाला सोहन लाल दिन-रात कोल्हू के बैल की तरह पिसते रहते हैं
और थोड़ी – सी पूँजी जमा करते हैं लेकिन उनके सम्बन्धी हितैषी वनकर गुलछर्रे उड़ाते हैं। ठीक ही कहा है अँधी पीसे कुत्ता खाए।

5. अक्ल बड़ी या भैंस = शारीरिक बल से बुद्धि बल बड़ा होता है।
प्रयोग – मोहन चाहे शारीरिक रूप से हृष्ट-पुष्ट है, परन्तु परीक्षा में सुधा के मुकाबले में उसे बहुत कम नम्बर मिलते हैं। इसीलिए कहा गया है कि अक्ल बड़ी या भैंस।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

6. अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गई खेत = हानि होने पर पछताने से क्या लाभ।
प्रयोग – भाई मोहन परिश्रम करते तो पास होते। अब रोने से क्या होगा ? सच है ‘अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत।’

7. आम के आम गुठलियों के दाम = सब प्रकार से लाभदायक सौदा।
प्रयोग – रामदास हरिद्वार जाकर पुराने कपड़े भी बेच आया और गंगा स्नान भी कर आया। इसे कहते हैं-आम के आम गुठलियों के दाम।

8. आँख का अन्धा नाम नयन सुख = काम के प्रतिकूल नाम होना।
प्रयोग – उसका नाम तो भीमसेन है लेकिन है हड्डियों का ढाँचा। इसे कहते हैं ‘आँख का अन्धा नाम नयन सुख’।

9. आ बैल मुझे मार = जान बूझकर मुसीबत मोल लेना।
प्रयोग – अगले स्टेशन पर टी० टी० टिकट चैक कर रहा है। तुम बिना टिकट यात्रा करने की सोच रहे हो। इसे कहते हैं ‘आ बैल मुझे मार’।

10. आसमान से गिरा और खजूर पर अटका = एक मुसीबत से बचकर दूसरी मुसीबत में फँसना।
प्रयोग – चोर ने जब पुलिस को आते देखा तो अन्धेरे की ओर भागा और गड्ढे में गिर जाने से उसकी टाँग टूट गई। बेचारा ‘आसमान से गिरा और खजूर में अटका’।

11. आगे कुआँ पीछे खाई = दोनों ओर मुसीबत।
प्रयोग – सोहन ने आगे शेर आते देखा, पीछे साँप फुकारता, उसकी दशा तो ‘आगे कुआँ पीछे खाई’ वाली हो गई।

12. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे = स्वयं का अपराध अन्य निर्दोष पर लगाना।
प्रयोग – राम की किताब रमेश ने चुराई तो रमेश उल्टे राम पर चोरी का इल्जाम लगाता है। ठीक है ‘उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

13. ऊँट के मुँह में जीरा = अधिक खाने वाले को कम मिलना,
प्रयोग – उस पहलवान के लिए एक चपाती ऊँट के मुँह में जीरे के समान ही है।

14. ऊँची दुकान फीका पकवान = बड़ा दिखावा पर भीतर से खोखला।
प्रयोग – स्कूल का नाम तो रखा ‘तक्षशिला विद्यालय’ परन्तु वहाँ जाकर देखा तो तीन-चार टूटे-फूटे कमरे थे। वही बात है ‘ऊँची दुकान फीका पकवान’।

15. एक अनार सौ बीमार = वस्तु एक, ग्राहक अनेक।
प्रयोग – गाँव में डॉक्टर तो एक है परन्तु बीमारी घर-घर फैली है। वहाँ एक अनार सौ बीमार’ वाली हालत है।

16. एक हाथ से ताली नहीं बजती = दो लड़ने वालों के कारण ही लड़ाई आरम्भ होती है।
प्रयोग – सुधा ने सारा दोष जब अपनी सास पर लगाया तो उसके पति ने कहा यह कैसे हो सकता है, भला एक हाथ से ताली बजती है।

17. एक पंथ दो काज = एक ही उपाय से दो काम निकालना।
प्रयोग – मैं गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से फार्म लेने अमृतसर गया था और वहाँ दरबार साहिब और दुर्याणा मन्दिर भी देख आया। इस प्रकार ‘एक पंथ दो काज’ हो गए।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

18. एक ही थैली के चट्टे-बट्टे = सब एक जैसे बुरे।
प्रयोग – इस विभाग के सभी कर्मचारी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं, तुम किसी को भी रिश्वत देकर काम निकाल सकते हो।

19. एक करेला दूसरा नीम चढ़ा = एक बुराई स्वाभाविक हो, दूसरी संगतिजन्य बुराई और इकट्ठी हो जाए।
प्रयोग – दिलीप पढ़ता-लिखता तो था नहीं अब सोहन जुआरिये के साथ जुआ भी खेलने लग पड़ा है। उस पर यह लोकोक्ति चरितार्थ होती है कि “एक करेला, दूसरा नीम चढ़ा।”

20. एक मछली सारे तालाब को गन्दा करती है = एक बुरा व्यक्ति सारे परिवार और समाज को बदनाम कर देता है।
प्रयोग-हमारे स्कूल का नाम सारे राज्य में है लेकिन राम बेकार की शरारतें करता है। वही नहीं जानता कि “एक मछली सारे तालाब को गन्दा करती है।”

21. ओखली में सिर दिया तो मसल से क्या डर = कठिन काम में कष्टों को सहना पड़ता है।
प्रयोग – कृपाराम ने जब चोरी कर ही ली है तो पुलिस का क्या डर ? क्योंकि “ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डर ?”

22. कंगाली में आटा गीला = एक कष्ट पर दूसरा कष्ट।
प्रयोग – जगदीश पहले तो कठिनाई से गुजारा करता था। अब उसका लड़का बीमार हो गया है। सच है ‘कंगाली में आटा गीला’।

23. करनी और कथनी में अन्तर = कहने और करने में अन्तर।
प्रयोग – आतंकवादियों के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही में पाकिस्तान के मन्त्री की करनी और कथनी में अन्तर साफ दिखाई पड़ता है।

24. काला अक्षर भैंस बराबर = अनपढ़ व्यक्ति।
प्रयोग – भारत के अधिकतर-ग्रामीणों के लिए काला अक्षर भैंस बराबर है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

25. काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती = छल-कपट का काम सदा सम्भव नहीं होता।
प्रयोग – मोहन मुझसे रुपए लेकर मुकर गया। जब दुबारा माँगने आया तो मैंने उसे साफ़ कह दिया भाई ‘काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती’।

26. कोयले की दलाली में मुँह काला = बुरी संगति का बुरा प्रभाव।
प्रयोग – जगदीश ने दुष्ट प्रमोद से दोस्ती करके बदनामी प्राप्त की। उसे क्या मालूम था कि ‘कोयले की दलाली में मुँह काला’ होता है।

27. कुत्ते को घी हज़म नहीं होता = नीच आदमी उच्च पदवी मिल जाने पर इतराने लगता है।
प्रयोग – जब से आवारा देव की लाटरी निकली है उसने नौकरी छोड़कर जुआ खेलना शुरू कर दिया है क्योंकि ‘कुत्ते को घी हज़म नहीं होता’।

28. कौआ चला हंस की चाल अपनी चाल भी भूल गया = दूसरों की नकल में अपना गुण भी खो देना।
प्रयोग – धनी राम की नकल करके गरीबू अपनी थोड़ी-सी पूंजी भी गवां बैठा। इसलिए किसी ने कहा है ‘कौआ चला हंस की चाल अपनी चाल भी भूल गया।

29. खोदा पहाड़ निकली चुहिया = परिश्रम अधिक किन्तु लाभ थोड़ा।
प्रयोग – जब हम कांगड़ा का किला देखने चार किलोमीटर पैदल चलकर गए तो वहाँ पर देखा कि सब कुछ खंडहर हो चुका है। तब सब ने कहा कि ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

30. गंगा गए गंगाराम, जमुना गए जमुनादास = परिस्थिति के अनुसार बदलना।
प्रयोग – आजकल के विधायक तो लोभवश दल बदल लेते हैं। उनकी हालत तो ‘गंगा गए गंगाराम, जमुना गए जमुनादास’ जैसी ही है।

31. धूप में बाल सफ़ेद करना = अनुभव प्राप्त करना।
प्रयोग – बड़ों ने धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए होते, हमें उनकी बात माननी चाहिए।

32. घर की मुर्गी दाल बराबर = अपने घर की वस्तु या चीज़ का आदर न होना।
प्रयोग – राम के घर तो पकौड़े भी देसी घी के बनते हैं, घर में चार दुधारू भैंसें हैं। ठीक ही कहा है ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’।

33. चिराग तले अन्धेरा = खुद की बुराई नहीं देखना।
प्रयोग-मास्टर जी कहते हैं कि भाइयों से प्रेम करो और खुद भाइयों को पीटते हैं। इसे कहते हैं ‘चिराग तले अन्धेरा’।

34. चार दिन की चाँदनी फिर अन्धेरी रात = सुख सदैव नहीं रहता।
प्रयोग – धन सदा स्थिर नहीं रहता लाला जी, यह तो ‘चार दिन की चाँदनी फिर अन्धेरी रात, सिद्ध होता है।

35. जल में रहकर मगर से वैर = जिस जगह पर रहना हो वहाँ के अधिकारियों से बिगाड़ लेना।
प्रयोग – मैंने मोहन से कहा कि भाई, तूने तो सोहन से झगड़ा करके नौकरी खतरे में डाल ली है। इस तरह ‘जल में रहकर मगर से वैर’ नहीं हो सकता।

36. जिस थाली में खाना उसी में छेद करना = कृतघ्न व्यक्ति।
प्रयोग – सेठ जी ने अपने नौकर की लड़की की शादी के लिए चार हज़ार रुपए तो दे दिए किन्तु जाते समय वह हार भी चुरा कर ले गया। इस प्रकार ‘जिस थाली में खाया, उसी में छेद किया।

37. जिसकी लाठी उसकी भैंस = शक्तिशाली की जीत होती है।
प्रयोग – शिवाजी के शक्तिशाली होने पर उन्होंने दक्षिणी प्रदेश जीत लिया। इसको कहते हैं ‘जिसकी लाठी उसकी की भैंस’।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

38. जहाँ चाह वहाँ राह = तीव्र इच्छा हो तो काम बन जाता है।
प्रयोग – अरे बलदेव, पैसों की परवाह न करो, दिल से मेहनत करो सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी, क्योंकि कहा है कि ‘जहाँ चाह वहाँ राह’।

39. जो गरजते हैं वे बरसते नहीं = डींग मारने वाले कुछ करते नहीं।
प्रयोग – अरे जाओ, बड़-बड़ न करो, मैंने बहुत देखे हैं तुम्हारे जैसे जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं।

40. झोंपड़ी में रहकर महलों से नाता जोड़ना = अपनी पहुंच से बाहर की इच्छा करना।
प्रयोग – आज मध्यम वर्गीय लोग झोंपड़ी में रहकर महलों से नाता जोड़ने की बात सोच रहे हैं अमीर वे हो नहीं सकते, ग़रीब वे कहाना नहीं चाहते।

41. थोथा चना बाजे घना = कम योग्यता वाला ज्यादा डींगें मारता है।
प्रयोग – मोहन है तो पाँचवीं पास, पर कहता है अपने को साहित्यकार। सच है ‘थोथा चना बाजे घना’।

42. दूर के ढोल सुहावने = बिन देखी वस्तु प्रिय लगती है।
प्रयोग – हमने मंसूरी के बारे में खूब सुन रखा था कि यह तो पहाड़ों की रानी है लेकिन जब उसे देखने गए तो ऐसा कुछ भी न दिखाई दिया जिससे हम भी कह सकें कि मंसूरी बहुत सुन्दर नगर है। सच है ‘दूर के ढोल सुहावने’ लगते हैं।

43. दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है = एक बार धोखा खाने वाला हमेशा आशंकित रहता है।
प्रयोग – रामचन्द्र ने जब से लोहे में घाटा खाया, तब से होशियारी से काम करता है। सच है कि ‘दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है’।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

44. दूध का दूध पानी का पानी = सच्चा न्याय।
प्रयोग – न्यायाधीश ने प्रवीण और गौतम के झगड़े में निर्णय देते हुए ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ करके दिखला दिया।

45. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का = अस्थिर चित्त का व्यक्ति कहीं का नहीं रहता।
प्रयोग – इधर तो तुमने व्यापार में भी घाटा खा लिया और उधर नौकरी भी गई। तुम्हारी तो वही हालत है, ‘धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का।

46. न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी = कारण को ही समाप्त कर देना।
प्रयोग – अभिमन्यु की वीरता देखकर दुर्योधन ने कहा कि इसे जान से मार डालो। ‘न रहेगा बांस न बजेगी बाँसुरी’।

47. न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी = अपनी असमर्थता को छिपाने के लिए असम्भव शर्त लगाना।
प्रयोग – सुधा को गीत सुनाने को कहा गया तो वह कहने लगी-आर्केस्ट्रा, हारमोनियम, तबला बजाने वाले हों तो गा सकती हूँ। इस पर सबके मुँह से निकला ‘न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी’।

48. नाच न जाने आँगन टेढ़ा = कार्यविधि न जानने पर इधर-उधर के बहाने करना।
प्रयोग – तुलसीदास की चौपाइयों का अर्थ नन्दलाल को आता नहीं। कहने लगे यहाँ श्रोता ही बहुत कम हैं। वाह ! ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’।

49. नौ नकद न तेरह उधार = ज्यादा उधार की बजाय थोड़ा नकद ही अच्छा है।
प्रयोग – लोभवश रमेश अधिक लाभ लेकर माल उधार बेचता है और लोग पैसे देते नहीं। इससे अच्छा है-नकद बेचो चाहे थोड़ा बेचो। सच है ‘नौ नकद न तेरह उधार’।

50. पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होती = सब लोग एक जैसे नहीं होते।
प्रयोग – राम ने तो गंगू तेली की लड़की की शादी के लिए उसे तीन हजार रुपए दिए, लेकिन उसके भाई ने श्याम का मकान कुर्क करा लिया । तभी तो कहा है कि ‘पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं’।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

51. बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद = कदर करने की योग्यता न होना।
प्रयोग – जब मैंने कलावती को खाने के लिए काजू दिए तो उसने फीके हैं कहकर फेंक दिए। सच है, ‘बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद’।

52. भैंस के आगे बीन बजाना = मूर्ख को ज्ञानोपदेश देना।
प्रयोग – कवि सम्मेलन में कविताओं का स्तर बहुत अच्छा था मगर श्रोताओं में आधे व्यक्ति तो अनपढ़ ही थे, तो मुझे लगा कि यहाँ पर तो ‘भैंस के आगे बीन बजाना’ है।

53. मान न मान मैं तेरा मेहमान = जबरदस्ती मेहमान बनना।
प्रयोग – मेरा मित्र महीने भर से मेरे घर ठहरा हुआ है जाने का नाम ही नहीं लेता। इसे कहते हैं मान न मान मैं तेरा मेहमान।

54. मन चंगा तो कठौती में गंगा = यदि मन शुद्ध है, तो तीर्थ घर में ही है।
प्रयोग – पिता जी ने भीम से कहा कि बेटा मन्दिर में जाकर आडम्बर करने से तो अच्छा है कि घर में ही पूजा कर लो और माँ-बाप का आदर करो। जानते हो कि ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’।

55. मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त = खुद तो कुछ भी न करना और साथियों से अधिक मदद मिलना।
प्रयोग – रवीन्द्र ने स्वयं तो आवेदन-पत्र तक नहीं भरा था कि चाचा जी उसकी नौकरी के लिए मुख्याध्यापक महोदय से मिल आए। वहीं बात सुनी हुई कि ‘मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त’।

56. रस्सी जल गई पर बल न गया = दुर्दशा होने पर भी घमण्डी रहना।
प्रयोग – कत्ल के आरोप में नन्द किशोर की नौकरी तो छूट गई, पर अब भी घर वालों पर पैसे लेने के लिए रौब डालता है। सच है कि ‘रस्सी तो जल गई, पर बल नहीं गया।

57. सहज पके सो मीठा होय = धीरे-धीरे किया जाने वाला काम दृढ़ तथा फलदायक होता है।
प्रयोग – अरे महेश ! परीक्षा की शुरू से ही तैयारी करोगे, तब ही प्रथम स्थान प्राप्त कर सकोगे क्योंकि ‘सहज पके सो मीठा होय’।

58. साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे = काम भी हो जाए और हानि भी न हो।
प्रयोग – पिता जी ने दिनेश से कहा कि बेटा, उससे झगड़ा करना ठीक नहीं। कुछ ऐसी तरकीब सोचो कि ‘साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे’।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

59. सावन हरे न भादों सूखे = सदा एक-सी अवस्था में रहना।।
प्रयोग – सुरेश निर्धन होने के कारण पाई-पाई के लिए मरता था। लेकिन अब जबकि उसका व्यापार चमक उठा है, अब भी उसकी पाई-पाई के लिए मरने की आदत नहीं गई। उसकी तो ‘सावन हरे न भादों, सूखे’ वाली बात है।

60. सौ सुनार की एक लोहार की = कमज़ोर की सौ चोटों से बलवान की एक चोट ही करारी होती है।
प्रयोग – प्रतिदिन तंग किये जाने पर प्रमोद ने बलदेव से कहा-ध्यान से सुन लो किसी दिन इतना पीढूँगा कि नानी याद आ जाएगी। तुम शायद जानते नहीं कि “सौ सुनार की, एक लोहार की” होती है।

61. होनहार बिरवान के होत चीकने पात = योग्य व्यक्ति की योग्यता का बचपन में ही पता चल जाता है।
प्रयोग – भारत केसरी विजय का बचपन से ही कुश्ती में इतना लगाव था कि गुरु गिरधारी ने कह दिया था कि यह कभी भारत का सर्वश्रेष्ठ पहलवान होगा, क्योंकि ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात’।

62. हाथी के दाँत, खाने के और दिखाने के और = कपटी व्यक्ति।
प्रयोग – आजकल के नेताओं की कथनी और करनी में दिन-रात का अन्तर होता है, क्योंकि वे तो ‘हाथी के दाँत, खाने के और दिखाने के और’ की लोकोक्ति को चरितार्थ करते हैं।

63. हाथ कंगन को आरसी क्या = प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता है
प्रयोग – कठोर परिश्रम सफलता की गारंटी है आज से ही परिश्रम करना शुरू करें और परिणाम स्वयं देख लें- हाथ कंगन को आरसी क्या’।

Leave a Comment