PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 5 शायद यही जीवन है (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB शायद यही जीवन है Textbook Questions and Answers

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है

शायद यही जीवन है अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है 1
PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है 2
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है 3
PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है 4
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं पढ़ें और लिखने का अभ्यास करें।

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3. शब्दार्थ :

  • असमंजस = कुछ न सूझना
  • समयाभाव = समय का अभाव या कमी
  • नीड़ = घोंसला
  • निहारना = प्यार से देखना
  • निश्चित = बिना किसी चिंता के, बेफिक्र
  • अचेत = मूछित, बेसुध, होश न होना
  • अवलम्ब = सहारा
  • आशंकित = शंका होना
  • अंतरंग बातें = पक्षी जगत का अंदरूनी व्यवहार

उत्तर :
छात्र स्वयं पढ़ें और याद करें।

4. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) लेखिका ने आँगन में क्या देखा?
उत्तर :
लेखिका ने आँगन में चिड़िया का घोंसला देखा।

(ख) चिड़िया का रंग-रूप कैसा था?
उत्तर :
चिड़िया का रंग जैतूनी हरी, नीचे के अंग सफेद, जंग जैसे रंग की शिखा थी।

(ग) चिड़िया के कितने बच्चे थे?
उत्तर :
चिड़िया के चार बच्चे थे।

(घ) बच्चे भोजन की माँग किस प्रकार करते थे?
उत्तर :
बच्चे अपनी खुली चोंच बार – बार ऊपर की तरफ उठाकर भोजन की माँग करते थे।

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(ङ) घोंसला नीचे मिट्टी में कैसे गिर गया?
उत्तर :
घोंसलों से जुड़े दो पत्तों में से एक पत्ते के टूट जाने के कारण घोंसला नीचे मिट्टी में गिर गया।

(च) लेखिका ने घोंसले को ऊपर की टहनी पर बाँधने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर :
बिल्ली के भय तथा हमले से बचने के लिए लेखिका ने घोंसले को ऊपर की टहनी पर बाँधने का निश्चय किया था।

(छ) बच्चे अपनी माँ से संपर्क कैसे स्थापित करते थे?
उत्तर :
बच्चे घोंसले से मँह बाहर निकालकर ची ची कर अपनी माँ से सम्पर्क स्थापित करते थे।

(ज) तीन बच्चे मुक्त हो गये थे परंतु चौथा बच्चा क्यों नहीं मुक्त हो पाया?
उत्तर :
चौथा बच्चा इसलिए मुक्त नहीं हो पाया क्योंकि वह तीनों से छोटा था।

(झ) लेखिका चौथे बच्चे के भी उड़ जाने पर उदास क्यों हो गई?
उत्तर :
लेखिका को अपनी बेटी भी एक चिड़िया के समान लग रही थी। उसे लगा कि जैसे वह भी एक दिन स्वतन्त्र जीवन की इच्छा से एक दिन उड़ जाएगी, इसलिए वह उदास हो गई थी।

(ञ) ‘जीवन परिवर्तन शील है।’ इस तथ्य के बारे में आप कोई उदाहरण लिखो।
उत्तर :
यह बात बिल्कुल सत्य है कि जीवन परिवर्तनशील है। परिवर्तनशीलता में ही जीवन है क्योंकि स्थिर होना जड़ होना है। जैसे बच्चे का जन्म होता है, वह पलता बढ़ता है, धीरे – धीरे किशोर से बड़ा होता है, एक दिन युवक बनकर वह वृद्धावस्था की ओर बढ़ने लगता है।

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5. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) चिड़िया, घोंसला, अंडे, बच्चे – इनके द्वारा जीवन की परिवर्तनशीलता उद्भासित होती
है। क्या आपको मानव जीवन में भी ऐसी ही परिवर्तनशीलता दिखाई देती है। कोई दो उदाहरण देकर समझायें।
उत्तर :
हाँ, हमें मनुष्य के जीवन में भी ऐसी ही परिवर्तनशीलता दिखाई देती है।

उदाहरण –

  • जैसे माँ एक बच्चे को जन्म देती है। ह शिशु, किशोरावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था में चला जाता है।
  • जीवन में सुख के बाद दुःख और दु:ख के बाद सुखों का आना लगा ही रहता है।

(ख) चिड़िया के बच्चों की प्रत्येक गतिविधि पक्षी जगत की स्वभावगत विशेषता को प्रकट करती है। किसी एक गतिविधि को ध्यान से देखकर लिखें।
उत्तर :
जब अंडे से चिड़ियाँ का बच्चा निकलता है तो वह असहाय – स होता है। उसके पँख नहीं होते। वह उड़ नहीं पाता। अपने लिए दाना नहीं चुग पाता। धीरे – धीरे उसके पंख उग जाते हैं। वह उड़ना सीखता है। कई बार डगमगाता और गिरता है। फिर वह भी उड़ना सीख जाता है। तब उसे स्वयं दाना चुगना और कीड़े – मकौड़े खाना भी आ जाता है।

प्रश्न 6.
पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. घोंसला = ………………….
  2. कतार = ………………….
  3. पक्षी = ………………….
  4. चाह = ………………….
  5. फूल = ………………….
  6. शाखा = ………………….

उत्तर :

  1. घोंसला = नीड़, खोता
  2. चाह = इच्छा, कामना
  3. कतार = पंक्ति, क्रम
  4. फूल = पुष्प, सुमन
  5. पक्षी = खग, विहग
  6. शाखा = टहनी, डाल।

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प्रश्न 7.
विपरीत शब्द लिखें :

  1. परिचित = ……………………….
  2. आगमन = ……………………….
  3. उपलब्ध = ……………………….
  4. दर्शक = ……………………….
  5. अचेत = ……………………….
  6. मुक्त = ……………………….
  7. बन्धन = ……………………….
  8. निर्माण = ……………………….
  9. धूप = ……………………….

उत्तर :

  1. परिचित = अपरिचित
  2. आगमन = गमन
  3. उपलब्ध = अनुपलब्ध
  4. दर्शक = श्रोता
  5. अचेत = सचेत
  6. मुक्त = दास
  7. बन्धन = मुक्त
  8. निर्माण = ध्वंस।
  9. धूप = छाँव

प्रश्न 8.
नये शब्द बनायें :

  1. समय + अभाव = समयाभाव
  2. विद्या + आलय = ……………………..
  3. कार्य + आलय = ……………………..
  4. मूल + मंत्र = ……………………..
  5. परिवर्तन + शील = ……………………..

उत्तर :

  1. समय + अभाव = समयाभाव
  2. विद्या + आलय = विद्यालय
  3. कार्य + आलय = कार्यालय
  4. मूल + मंत्र = मूलमंत्र
  5. परिवर्तन + शील = परिवर्तनशील

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प्रश्न 9.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें :

  1. सूर्य का उदय होना = सूर्योदय
  2. देखने वाला = …………………..
  3. समय का अभाव = …………………..
  4. जिसकी जानकारी हो चुकी हो = …………………..
  5. जिसकी जानकारी न हो = …………………..
  6. पक्षी जगत की जानकारी रखने वाला = …………………..
  7. बिना पलक झपकाए = …………………..

उत्तर :

  1. सूर्य का उदय होना = सूर्योदय
  2. देखने वाला = दर्शक
  3. समय का अभाव = समयाभाव
  4. जिसकी जानकारी हो चुकी हो = परिचित/ज्ञात
  5. जिसकी जानकारी न हो = अपरिचित/अज्ञात
  6. पक्षी जगत की जानकारी रखने वाला = पक्षीविद्
  7. बिना पलक झपकाए = अपलक

प्रश्न 10.
इन मुहावरों के अर्थ बताकर वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. फूला नहीं समाना = …………………………
  2. धावा बोलना = …………………………
  3. मन गद्गद हो जाना = …………………………
  4. दिल धक से रह जाना = …………………………

उत्तर :

  1. फूला नहीं समाना = बहुत खुश होना – अनमोल परीक्षा में प्रथम आने पर फूला नहीं समाया।
  2. धावा बोलना = आक्रमण करना – सैनिकों ने शत्रुओं पर धावा बोल दिया।
  3. मन गद्गद् हो जाना = खुश होना – प्रान्त में प्रथम आने पर मेरा मन गद्गद् हो गया।
  4. दिल धक से रह जाना = घबराना–भयानक दुर्घटना को देखकर माँ का दिल धक से रह गया था।

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प्रश्न 11.
दिए गए संज्ञा शब्दों के लिए सही विशेषण शब्द चुनकर लिखें :
रंग बिरंगे, पतली, चंचल, हरे – भरे, नोकीले, ऊँची, मेरी, गोल
उत्तर :

  • हरे भरे – पेड़
  • पतली – रस्मी
  • नोकीले – भले
  • चंचल – चिड़िया
  • गोल – डिब्बे
  • ऊँची – डाली
  • मेरी – ननद
  • रंग-बिरंगे – फूल

प्रश्न 12.
रचनात्मक अभिव्यक्ति :
(क) मौखिक अभिव्यक्ति : क्या आपने कोई पशु – पक्षी पाला है? अपना अनुभव कक्षा में सुनायें।
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

(ख) लिखित अभिव्यक्ति : यदि आपके घर में कोई पालतू पशु/पक्षी है तो उसकी गतिविधि नोट करें। आप उसकी सुरक्षा किस प्रकार करेंगे?
उत्तर :
छात्र शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से करें।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
लेखिका ने चिड़िया का घोंसला किस पौधे की शाखा पर देखा?
(क) टमाटर
(ख) नींबू
(ग) बैंगन
(घ) तोरी।
उत्तर :
(ग) बैंगन

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प्रश्न 2.
चिड़िया के घोंसले में कितने अंडे थे?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच।
उत्तर :
(ग) चार

प्रश्न 3.
चिड़िया के अंडों का रंग कैसा था?
(क) लाल
(ख) पीला
(ग) सफेद
(घ) हरा।
उत्तर :
(क) लाल

प्रश्न 4.
यह घोंसला किस नाम की चिड़िया का था?
(क) मैना
(ख) दर्जिन
(ग) लाली
(घ) कोयल।
उत्तर :
(ख) दर्जिन

प्रश्न 5.
अंडों से बच्चे किस दिन निकले?
(क) नौवें
(ख) दसवें
(ग) ग्यारहवें
(घ) बारहवें।
उत्तर :
(घ) बारहवें।

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प्रश्न 6.
घोंसले से लटके तथा अचेत चिड़िया के बच्चों को लेखिका ने कहाँ रखा?
(क) टोकरी में
(ख) घोंसले में
(ग) डिब्बे में
(घ) छत पर।
उत्तर :
(ग) डिब्बे में

प्रश्न 7.
घोंसले के पास किसे बैठा देखकर लेखिका घबरा गई थी?
(क) चूहा
(ख) बिल्ली
(ग) कुत्ता
(घ) उल्लू।
उत्तर :
(ख) बिल्ली

प्रश्न 8.
चिड़िया के किस बच्चे के उड़ जाने पर लेखिका उदास थी?
(क) पहले
(ख) दूसरे
(ग) तीसरे
(घ) चौथे।
उत्तर :
(घ) चौथे।

प्रश्न 9.
नीड़ का अर्थ क्या है?
(क) पक्षी
(ख) मंत्र
(ग) घोंसला
(घ) पानी।
उत्तर :
(ग) घोंसला

शायद यही जीवन है Summary in Hindi

शायद यही जीवन है पाठ का सार

‘शायद यही जीवन है’ नामक पाठ डॉ० मीनाक्षी वर्मा द्वारा लिखित है। इसमें लेखिका ने ‘परिवर्तनशीलता में ही जीवन है’ इसका वर्णन किया है। लेखिका घर के बाहर बगीचे में बैंगन के पौधे की शाखा पर बने घोंसले में अंडों को देखकर चकित रह गई। इस घोंसले में लाल रंग के चार अंडे थे। इस अद्भुत दृश्य को देखकर लेखिका को लगा कि उसकी जिन्दगी बदल गई है। वह इस घोंसले के बारे में जानकारी पाने के लिए बहुत उत्सुक थी।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है

यह घोंसले दर्जिन नामक चिड़िया का था जिसका रंग जैतूनी हरा था और उसकी शिखा सफेद जंग जैसी थी। वह बार – बार घोंसले में आकर बैठती और उड़ जाती थी। इस घोंसले को बचाने के लिए लेखिका ने अपने बच्चों को भी इसके बारे में बताया तथा उन्हें घोंसले को हाथ न लगाने की हिदायत दी।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है 5

इसके बाद बच्चे और लेखिका अंडों में से बच्चे निकलने की प्रतीक्षा करने लगे। बारहवें दिन घोंसले के अंडों से चार बच्चे निकले जिन्हें लेखिका टकटकी लगाकर तीन – चार दिन तक देखती रही। चिड़िया के छोटे – छोटे बच्चे हर समय अपनी खुली चोंच भोजन के लिए ऊपर ही किए रहते थे।

उनकी चिड़िया माँ बार – बार उड़कर चोंच में छोटे – मोटे कीड़े – मकोड़े लाकर अपने बच्चों के मुँह में डाल देती थी। वह किसी को सामने देखकर सीधे अपने घोंसले पर नहीं बैठती थी। उसके आसपास बैठ जाती थी। लेखिका चिड़िया को बच्चों के साथ घोंसले में सोती देखकर ही निश्चिंत होकर सो पाती थी।

एक दिन दोपहर के समय घोंसले से दो बच्चों को बाहर लटका तथा दो को अचेत अवस्था में देखकर लेखिका घबरा उठी। उसने इन्हें अपने पति तथा बच्चों की मदद से प्लास्टिक के गोल डिब्बे में रख दिया। इस डिब्बे को उसी पौधे के नीचे रख दिया। चिड़िया के चारों बच्चे इस गतिविधि को देख रहे थे। बहुत देर बाद उनकी माँ चिड़िया बच्चों को डिब्बे में तलाश कर उन्हें भोजन देकर उड़ गई। संध्या होने पर लेखिका ने बच्चों को घोंसले में डालकर पौधे की सबसे नीची डाली पर बाँध दिया। घोंसले के पास में बैठी बिल्ली को देखकर लेखिका घबरा गई थी।

उसने उसको तो भगा दिया पर वह खतरा अभी भी बना हुआ था इसलिए घोंसला उसी पौधे की सबसे ऊँची डाली पर बांध दिया। लेखिका का चिड़िया और उसके बच्चों से आत्मीय संबंध बन गया था। अगली संध्या इन बच्चों की मां अपना घोंसला यहाँ – वहाँ ढूंढ़ रही थी। अगली दोपहर चिड़िया के तीन बच्चे घोंसले से उड़ गए। अब घोंसले में केवल एक ही बच्चा रह गया था। रविवार के दिन सभी लोग घर पर थे।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है

चिड़िया का बच्चा घोंसले से बाहर आकर कभी घोंसले के ऊपर बैठता तो कभी पत्तों पर। शायद वह उड़ने की इच्छा में फुदक रहा था। इसी बीच उसकी माँ उसके पास बैठ गई। दो घण्टे बाद वह बच्चा भी घोंसले से उड़ गया। उस समय लेखिका उदास हो गई और अपनी बेटी की ओर देखते हुए सोचने लगी कि मुक्त जीवन की इच्छा में यह भी चिडिया की तरह उड जाएगी। यही जीवन की परिवर्तनशीलता है। परिवर्तनशीलता में ही जीवन है।

शायद यही जीवन है सप्रसंग व्याख्या

1. मैं चकित रह गई। बैंगन के पौधे के बीच की शाखा के दो पत्तों से जुड़े एक छोटे – से प्यालेनुमा आकार के घोंसले और उस घोंसले में लाल रंग के छोटे – छोटे चार अंडे देखकर। शायद जिन्दगी में पहली बार इतने करीब से इतना नन्हा – सा, प्यारा सा घोंसला देखा था। मैं उत्सुक थी यह जानने के लिए कि किस पक्षी ने तिनकों, मुलायम रेशों, रुई व ऊन से बुनकर और पत्तियों से सिलकर नीड़ का निर्माण किया है? मैं उसकी दुनिया का हिस्सा बन जाना चाहती थी इसलिए अब मेरी दुनिया ही परिवर्तित हो गई थी। पहले जिन चीज़ों पर ध्यान केन्द्रित करने का समयाभाव रहता था अब केवल वही चीजें नज़र आ रही थीं – गुलाब के पौधे, विभिन्न रंगों के फूल, पत्तियाँ, लताएँ आँगन में लगे ऊँचे – ऊँचे हरे – भरे पेड़, कौए, कोयल, बुलबुल, तोते, मैना तथा तितलियाँ इत्यादि।

प्रसंग – यह गद्यांश डॉ० मीनाक्षी शर्मा द्वारा लिखित ‘शायद यही जीवन है’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखिका अपने बगीचे में अचानक चिड़िया के घोंसले में चार अंडों को देखकर हैरान हो गई। यहाँ उसी आश्चर्य को दर्शाया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि बगीचे में बैंगन के पौधे के बीच की टहनी के दो पत्तों से एक प्याले के आकार का छोटा – सा घोंसला जुड़ा हुआ था और उसमें लाल रंग के छोटे – छोटे चार अंडे रखे थे। उन्हें देखकर वह हैरान हो गई थी। उन्होंने शायद अपने जीवन में पहली बार इतने नज़दीक से ऐसा नन्हा – सा और प्यारा – सा घोंसला देखा था। वह यह जानने के लिए बहुत अधिक उत्सुक थी कि किस पक्षी ने तिनकों, मुलायम रेशों, रुई और ऊन से बुनकर तथा पत्तियों से सिलकर उस घोंसले का निर्माण किया था। वह उसकी दुनिया का ही एक हिस्सा बन जाना चाहती थी। यही कारण है कि अब उसकी दुनिया ही बदल गई थी। इससे पहले जिन वस्तुओं पर उसका ध्यान केन्द्रित करने के लिए समय की कमी रहती थी, अब उसे केवल वही गुलाब के पौधे, अनेक रंगों के फूल, पत्तियाँ, बेलें, आँगन में लगे ऊँचे – ऊँचे हरे – भरे पेड़, कौए, कोयल, बुलबुल, तोते, मैना तथा तितलियाँ इत्यादि वस्तुएँ दिखाई दे रही थीं।

भावार्थ – बैंगन के पौधे की शाखा पर बने घोंसले तथा उस में रखे चिड़िया के चार अंडों का चित्र खींचा है।

2. बारहवें दिन चिड़िया ने अंडों पर बैठकर अपने शरीर की गर्मी से अंडे से दिए थे। अब घोंसले में बहुत ही छोटे – छोटे, प्यारे – प्यारे रुई के फाहों की तरह के चार बच्चे थे। उन्हें अपलक देखकर मैं फूला नहीं समा रही थी। मुझे अजीब – सी खुशी हो रही थी। अगले दिन तक चारों की आँखें बन्द थीं। चारों आपस में जुड़े हुए अपनी – अपनी खुली चोंच बार – बार ऊपर की ओर उठा रहे थे जैसे खाने के लिए माँग रहे हों।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठक पुस्तक में संकलित ‘शायद यही जीवन है’ शीर्षक से लिया गया है। इसमें लेखिका ने चिड़िया के चार बच्चों को देखकर अजीब सी खुशी को वर्णन किया है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है

व्याख्या – लेखिका कहती है कि बारहवें दिन चिड़िया ने अंडों पर बैठकर अपने शरीर की गर्मी से अंडे से दिए थे। इसलिए अब घोंसले में बहुत ही छोटे – छोटे प्यारे प्यारे रुई के फाहों के समान चार बच्चे थे। उन्हें मैं टकटकी लगाकर देखती रही और मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हो रही थी। मुझे एक अनूठी खुशी हो रही थी। इससे अगले दिन तक भी चारों बच्चों की आँखें बन्द थीं। चारों आपस में जुड़े हुए अपनी – अपनी खुली हुई चोंच बार – बार ऊपर को उठा रहे थे। उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे वे खाने के लिए कुछ माँग रहे थे।

भावार्थ – चिड़िया के बच्चों के बचपन का चित्रण है जिसे देखकर लेखिका फूली नहीं समाई रही।

3. सांझ हो गई चिड़िया माँ काफी देर से इधर – उधर मंडरा – मंडरा कर घोंसला ढूंढ रही थी। बच्चों ने घोंसले से मुँह बाहर निकाल कर ची – चीं कर माँ से सम्पर्क स्थापित कर लिया। अब घण्टा भर चिड़िया माँ द्वारा आहार ला – लाकर बच्चों को खिलाने का क्रम जारी रहा। रात्रि में चिड़िया और बच्चे, बिल्ली से सुरक्षित गहरी नींद में थे। सुबह सूर्योदय से पहले ही मैंने घोंसले में झांका तो पाया कि चिड़िया माँ घोंसले में नहीं थी। तीन बच्चे पंख फड़फड़ा कर फुर्र – फुर्र उड़ने की सूचना दे रहे थे। दोपहर तक तीनों उड़ भी गए थे – मुक्त जीवन जीने के लिए।

प्रसंग – ये पंक्तियाँ लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा द्वारा लिखित हैं। इसमें लेखिका ने सुबह के समय घोंसले में से चिड़िया के बच्चों को उड़ते हुए दिखाया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि संध्या के समय चिड़िया माँ बहुत देर से यहाँ वहाँ उड़कर घोंसला ढूंढ रही थी। उसके बच्चों ने घोंसले में अपना मुँह बाहर निकालकर ची – ची करके अपनी माँ से संपर्क स्थापित कर लिया। उसके बाद घंटा भर चिड़िया माँ द्वारा भोजन ला लाकर बच्चों को खिलाती रही।

रात के अंधेरे में चिड़िया और बच्चे, बिल्ली से सुरक्षित गहरी नींद में सो रहे थे। सुबह सूर्योदय से पूर्व ही मैंने घोंसले में झाँककर देखा तो उस समय चिडिया माँ अपने घोंसले में नहीं थी। उसके तीन बच्चे अपने छोटे – छोटे पंख फड़फड़ाकर फुर्र – फुर्र करते हुए उड़ने की सूचना दे रहे थे। दोपहर तक वे तीनों अपने स्वतन्त्र जीवन के लिए उड़ गए।

भावार्थ – चिड़िया के बच्चों के स्वतन्त्र जीवन के लिए उड़ने का वर्णन है।

PSEB 8th Class Hindi Solutions Chapter 5 शायद यही जीवन है

4. मैं बहुत उदास थी तभी मेरे हाथों का स्पर्श करते हुए मेरी बेटी बोली, “माँ कोई बात नहीं …………….. वो चिड़िया का बच्चा उड़ गया तो क्या …………….. मैं हूँ न …………….. आपकी नन्ही – सी चिड़िया …………….. आपके पास।” मैं उसकी ओर देख रही थी और सोच रही थी सचमुच यह चिड़िया ही तो है …………….. यह भी एक दिन उस चिड़िया की तरह उड़ जाएगी – मुक्त जीवन की चाह में …………….. जीवन की परिवर्तनशीलता को समझने का यही एक मूलमंत्र है …………….. शायद यही जीवन है।

प्रसंग – यह गद्यांश लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा द्वारा लिखित ‘शायद यही जीवन है’ शीर्षक से लिया गया है। इसमें लेखिका ने जीवन की परिभाषा दी है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि चिड़िया के बच्चों के उड़ने के बाद घोंसला खाली देखकर उदास हो गई। उसी समय में मेरे हाथों को छूकर बेटी बोली माँ कोई बात नहीं यदि वह चिड़िया का बच्चा उड़ गया तो क्या हुआ। मैं तो तुम्हारे पास हूँ। मैं तुम्हारी नन्हीं सी चिड़िया हूँ। उस समय मैं अपनी बेटी की तरफ देख रही थी और यह सोच रही थी कि वास्तव में यह एक चिड़िया ही तो है। यह चिड़िया भी एक दिन उसी चिड़िया की तरह स्वतन्त्र जीवन जीने की इच्छा में उड़ जाएगी। इस जीवन की परिवर्तनशीलता को समझने का यही मूलमंत्र है। शायद परिवर्तनशीलता में ही जीवन है। वास्तव में यही जीवन है।

भावार्थ – परिवर्तनशीलता ही जीवन है।

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