Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 वाघा बार्डर Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Hindi Chapter 15 वाघा बार्डर (2nd Language)
Hindi Guide for Class 8 PSEB वाघा बार्डर Textbook Questions and Answers
वाघा बार्डर अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :
उत्तर :
छात्र शिक्षक के सहयोग से स्वयं करें।
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :
उत्तर :
छात्र शिक्षक के सहयोग से स्वयं अभ्यास करें।
3. शब्दार्थ :
- बार्डर = सीमा, हद
- आदमक़द = मनुष्य के आकार का
- प्रतिमा = मूर्ति
- सैलानी = पर्यटक
- एकमात्र = अकेला
- सौहार्द = दोस्ती, सद्भाव, हृदय की सरलता
- ऐतिहासिक = इतिहास से संबंधित
- मुस्तैदी = तेजी
- क्षमता = सामर्थ्य
- हौसला अफजाई = हौसला/धैर्य बढ़ाना
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
4. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
(क) वाघा बार्डर को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर :
वाघा बार्डर को एशिया की बर्लिन दीवार के नाम से जाना जाता है।
(ख) यह बार्डर किन दो देशों के मध्य स्थित है?
उत्तर :
यह बार्डर भारत तथा पाकिस्तान देशों के मध्य स्थित है।
(ग) इस बार्डर के दोनों ओर कौन-कौन से प्रसिद्ध नगर हैं?
उत्तर :
बाघा बार्डर के दोनों ओर लाहौर तथा अमृतसर प्रसिद्ध नगर हैं।
(घ) इसका विशेष आकर्षण क्या है ?
उत्तर :
इसका विशेष आकर्षण झण्डा उतारने की (रिटीट) रस्म है।
(ङ) बी.एस.एफ. के जवान कौन-कौन से नारे लगाते हैं?
उत्तर :
वन्देमातरम्, भारत माता की जय, हिन्दुस्तान जिन्दाबाद।।
5. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :
(क) वाघा गाँव के बारे में आपने क्या जाना?
उत्तर :
वाघा बार्डर को एशिया की बर्लिन दीवार के नाम से जाना जाता है। यह बार्डर भारत तथा पाकिस्तान दो देशों को जोड़ने वाला है। यह अमृतसर से लगभग तैंतीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह संध्या के समय झण्डा उतारने की रस्म (रिट्रीट) आकर्षण का मुख्य केन्द्र है।
(ख) बार्डर पर झंडा उतारने की रस्म कैसे सम्पन्न होती है?
उत्तर :
बार्डर पर झंडा उतारने की रस्म सायं साढ़े पाँच बजे शुरू होती है। यह रस्म लगभग आधे-पौने घण्टे तक चलती है। इसमें बी० एस० एफ० के जवान पूरे उत्साह एवं जोश से परेड में हिस्सा लेते हैं। वे पूरे वेग से अपने बूट धरती पर मारते हैं। झंडा उतारते समय लोहे के दोनों गेट खोल दिए जाते हैं।
दोनों देशों के सैनिक परस्पर हाथ मिलाते हैं। धीरे-धीरे दोनों देशों के जवान संगीत की मधुर ध्वनि में अपने-अपने देश के झंडे उतारकर संभाल लेते हैं और गेटों को फिर से बंद कर दिया जाता है।
6. विशेषण बनायें :
- रेखांकन = रेखांकित
- आकर्षण
- उत्साह
- प्रोत्साहन
- इतिहास = ऐतिहासिक
- व्यापार
- परस्पर
- भारत = भारतीय
- राष्ट्र
उत्तर :
- रेखांकन = रेखांकित
- आकर्षण = आकर्षित
- उत्साह = उत्साहित
- प्रोत्साहन = प्रोत्साहित
- इतिहास = ऐतिहासिक
- व्यापार = व्यापारिक
- परस्पर = पारस्परिक
- भारत = भारतीय
- राष्ट्र = राष्ट्रीय
7. पर्यायवाची शब्द लिखें :
- झंडा =
- सैलानी =
- आज्ञा =
- अमन =
उत्तर :
- झण्डा = ध्वज, पताका
- सैलानी = पर्यटक, घुमक्कड़
- आज्ञा = आदेश, हुक्म
- अमन = शांति, चैन।
8. रेखांकित शब्दों के वचन बदलकर वाक्य पुनः लिखें :
(क) सड़क को लोहे के गेट द्वारा बंद किया गया है।
उत्तर :
सड़कों को लोहे के गेटों द्वारा बन्द किया गया है।
(ख) चारों ओर कँटीली तार लगी हुई है।
उत्तर :
चारों ओर कंटीली तारें लगी हुई हैं।
(ग) वह अपने भावों को नृत्य द्वारा प्रकट करता है।
उत्तर :
वे अपने भावों को नृत्य द्वारा प्रकट करते हैं।
(घ) अपने-अपने देश के झंडे उतार लेते हैं।
उत्तर :
अपने-अपने देशों के झण्डे उतार लेते हैं।
9. निम्नलिखित शब्दों में ‘र’ आधा है यै पूरा?
बार्डर = आधा
राष्ट्रीयता =
ब्रिटिश =
रिट्रीट =
रेंजर्ज =
ट्रक =
दर्शक =
कार्य =
मार्ग =
प्रकट =
10. शुद्ध करके लिखिए:
विशवविदयालय =
इजाजत =
रस्ते =
धवन =
जशन =
वृदधी =
जिंदाबाद =
भुमिका =
11. रचनात्मक अभिव्यक्ति
(क) मौखिक अभिव्यक्ति – देशभक्ति के गीत कक्षा में सुनायें।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।
(ख) लिखित अभिव्यक्ति – जब भी आपको अवसर मिले आप वाघा बार्डर अवश्य देखकर आयें। अपने अनुभव डायरी में लिखें।
बी.एस.एफ. का पूरा नाम बार्डर सिक्योरटी फोर्स है। हिंदी में इसे ‘सीमा सुरक्षा बल’ कहते हैं।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करें।
परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बी० एस० एफ० का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
बार्डर सिक्योरिटी फोर्स अर्थात् सीमा सुरक्षा बल।
प्रश्न 2.
वाघा बार्डर अमृतसर से कितनी दूर है ?
उत्तर :
वाघा बार्डर अमृतसर से लगभग तैंतीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रश्न 3.
अमृतसर से वाघा बार्डर जाते समय कौन-कौन से शैक्षणिक संस्थान आते ?
उत्तर :
- खालसा कालेज
- गुरु नानक देव विश्वविद्यालय।
प्रश्न 4.
अटारी में किसकी प्रतिमा आकर्षण का केन्द्र है ?
उत्तर :
अटारी में शहीद शाम सिंह अटारी की आदमी के कद के समान प्रतिमा आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।
प्रश्न 5.
जी० टी० रोड को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर :
शेरशाह सूरी मार्ग तथा नेशनल हाइवे के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 6.
भारत तथा पाकिस्तान के लोगों ने कब और कैसे बार्डर पर स्नेह एवं सौहार्द का परिचय दिया ?
उत्तर :
भारत तथा पाकिस्तान के लोगों ने 14 तथा 15 अगस्त को बार्डर पर मोमबत्तियाँ जलाकर स्नेह एवं सौहार्द का परिचय दिया था।
बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें :
प्रश्न 1.
‘एशिया की बर्लिन दीवार’ किसे कहते हैं ?
(क) जोधपुर बार्डर
(ख) वाघा बार्डर
(ग) फ़ाज़िल्का बार्डर
(घ) अनंतनाग बार्डर।
उत्तर :
(ख) वाघा बार्डर
प्रश्न 2.
वाघा बार्डर अमृतसर से लगभग कितने किलोमीटर दूर है ?
(क) 25
(ख) 30
(ग) 32
(घ) 33
उत्तर :
(घ) 33
प्रश्न 3.
वाघा बार्डर से दोनों देशों के बीच व्यापार कब शुरू हुआ था ?
(क) 2005 में
(ख) 2006 में
(ग) 2007 में
(घ) 2008 में।
उत्तर :
(ख) 2006 में
प्रश्न 4.
भारतीय सीमा में वाघा बार्डर की रक्षा में कौन से सैनिक तैनात हैं ?
(क) बी० एस० एफ० के
(ख) सी० आर० पी० एफ० के
(ग) आई० टी० वी० के
(घ) प० पु० फो०।
उत्तर :
(क) बी० एस० एफ० के
प्रश्न 5.
पाकिस्तान की ओर कौन से सीमा रक्षक हैं ?
(क) रेंजर्स
(ख) सेना
(ग) आई० ए० एस०
(घ) पी० पी० एफ०।
उत्तर :
(क) रेंजर्स
प्रश्न 6.
रीट्रीट शाम को कितने बजे प्रारंभ होती है ?
(क) 4.30 बजे
(ख) 5.30 बजे
(ग) 6.30 बजे
(घ) 7.30 बजे।
उत्तर :
(ख) 5.30 बजे
प्रश्न 7.
दर्शक गैलरी में कितने हजार लोगों के बैठने की क्षमता है ?
(क) दो
(ख) चार
(ग) पाँच
(घ) सात।
उत्तर :
(ख) चार
प्रश्न 8.
शहीद शाम सिंह की आदमकद मूर्ति कहाँ लगी है ?
(क) छेहरटा
(ख) वाघा
(ग) अटारी
(घ) खासा।
उत्तर :
(ग) अटारी
वाघा बार्डर Summary in Hindi
वाघा बार्डर पाठ का सार
‘वाघा बार्डर’ शीर्षक पाठ प्रो० नवसंगीत सिंह द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने बाघा बार्डर के बारे में बताया है। वाघा बार्डर को ‘एशिया की बर्लिन दीवार’ के नाम से भी जाना जाता है। भारत-पाकिस्तान को जोड़ने वाला यह बार्डर जी० टी० रोड पर स्थित है। इसके एक तरफ लाहौर और दूसरी तरफ अमृतसर है। यह अमृतसर से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अमृतसर से वाघा जाते समय खालसा कालेज, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के अलावा छेहरटा, खासा एवं अटारी नामक गाँव आते हैं। अटारी की आदमकद प्रतिमा सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है।
आज़ादी से पहले अंग्रेजों के समय में वाघा गांव पंजाब की लाहौर डिवीज़न में स्थित था। सन् 1947 ई० में विभाजन के बाद यह गाँव भारत-पाकिस्तान में बंट गया। भारत तथा पाकिस्तान के स्वतन्त्रता दिवस पर 14 और 15 अगस्त को दोनों देशों के अमन पसन्द नागरिकों ने वाघा बार्डर पर मोमबत्तियाँ जलाकर पारस्परिक स्नेह एवं सौहार्द को प्रकट किया था। यह भारत तथा पाकिस्तान के समझौते के रूप में जनता के बदले मन की प्रतिक्रिया स्वरूप था। जनता द्वारा आवाज़ उठाने पर ही दोनों देशों के बीच में सन् 2006 में व्यापार शुरू हुआ।
आज वाघा बार्डर पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केन्द्र है। यहाँ प्रतिदिन शाम को झंडा उतारने की रस्म होती है, जिसे देखने के लिए भारत तथा पाकिस्तान के सैलानी अपने-अपने देश की गैलरी में इकट्ठे होते हैं। ऐतिहासिक जी० टी० रोड पर बार्डर को सफेद रंग द्वारा रेखांकित किया जाता है। सड़क को लोहे के दो गेटों के साथ बंद कर दिया जाता है जिसके चारों तरफ कंटीले तार हैं। दोनों गेटों के ऊपर दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज लहराते हैं।
अपने-अपने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए बी० एस० एफ० जवान तथा पाकिस्तानी रेंजस चौबीस घंटे पहरा देते हैं। बार्डर की गैलरी तक पहुंचने के लिए करीब डेढ़-दो किलोमीटर लंबी पंक्ति में स्त्रियों तथा पुरुषों को अलग-अलग जाना पड़ता है। वहां बी० एस० एफ० जवान अच्छी तरह तलाशी लेते हैं। वहाँ न कोई खाने की सामग्री, बड़े पर्स नहीं ले जा सकते। फोन एवं कैमरे ले जा सकते हैं। झण्डा उतरने की रस्म से पहले स्पीकर ऊँची आवाज़ में देशभक्ति के गीतों का प्रसारण करते हैं।
उस समय सम्पूर्ण वातावरण भावमय हो जाता है। लोग जाति, धर्म, भाषा-भेदभाव को भूलकर पूरी तरह राष्ट्रीयता के रंग में रंग जाते हैं। इनमें अधिकांश स्त्रियाँ होती हैं जो अपने भावों को नृत्य द्वारा प्रकट करती हैं। इस सारी कार्यवाही में बी० एस० एफ० के जवानों की मुख्य भूमिका होती है।
बी० एस० एफ० के जवानों द्वारा भारतीय दर्शकों जिनमें विदेशी भी शामिल होते हैं तीन तरह के नारे लगा सकते हैं- हिन्दुस्तान जिंदाबाद, भारत-माता की जय तथा वन्दे मातरम्। भारतीय दर्शकों में विशेषकर लड़कियों और स्त्रियों के हाथ में तिरंगा लेकर मुख्य सड़क पर गेट के भीतर कुछ कदम दौड़ने की इजाजत होती है। दर्शक गैलरियों में भारतीय सैलानियों की भीड़ होती है।
मुख्य द्वारों के दोनों तरफ 4000 लोगों के बैठने की क्षमता है किन्तु वहाँ लगभग 8000 लोग एकत्र हो जाते हैं। रिट्रीट की रस्म प्रायः सायं 5:30 बजे शुरू होती है और लगभग आधे पौने घण्टे बाद पूरी होती है। इससे पूर्व बी० एस० एफ० के जवान पूरे उत्साह तथा जोश के साथ परेड में हिस्सा लेते हैं। वे पूरे वेग से अपने बूट धरती पर मारते हैं। दर्शक तालियों से उनका उत्साह बढ़ाते हैं। झण्डा उतारते समय लोहे के गेट खोल दिए जाते हैं।
दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं। धीरे-धीरे दोनों देशों के जवान संगीत की मधुर ध्वनि में अपने-अपने देश के झण्डे उतारकर सम्भाल लेते हैं और गेटों को पुनः बंद कर दिया जाता है।
वाघा बार्डर शब्दार्थ :
- सौहार्द = भाई-चारा।
- शान्तिमय = शान्ति के ढंग से।
- निरन्तर = लगातार।
- रिट्रीट = झण्डा उतारने की रस्म।
- बार्डर = सीमा।
- आदमकद = मनुष्य के आकार का।
- प्रतिमा = मूर्ति।
- सैलानी = पर्यटक।
- एकमात्र = अकेली।
वाघा बार्डर सप्रसंग व्याख्या
1. यह बार्डर अमृतसर से करीब 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अमृतसर से वाघा जाते समय खालसा कॉलेज, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के अतिरिक्त छेहरटा, खासा व अटारी नामक गाँव आते हैं। अटारी में मुख्य सड़क पर शहीद शाम सिंह अटारी की आदमकद प्रतिमा सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है। नेशनल हाइवे तथा शेरशाह सूरी मार्ग जिसे प्रायः जी० टी० रोड भी कहा जाता है, के रास्ते बाघा बार्डर पहुँचने के लिए अमृतसर से करीब एक घण्टा लगता है। निजी वाहन अथवा सैलानी गाड़ियों या फिर आटो रिक्शा द्वारा भी यहाँ पहुँचते हैं।
प्रसंग-यह पंक्तियाँ लेखक प्रो० नवसंगीत सिंह द्वारा लिखित ‘वाघा बार्डर’ शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसमें लेखक ने अमृतसर से वाघा बार्डर की ओर जाने वाले मार्ग का वर्णन किया है।
व्याख्या-लेखक कहता है कि वाघा बार्डर अमृतसर से लगभग तैंतीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अमृतसर से वाघा बार्डर जाते समय खालसा कॉलेज, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के अलावा छेहरटा, खासा एवं अटारी नामक गाँव आते हैं। अटारी में मुख्य सड़क पर शहीद शाम सिंह अटारी आदमी के कद के समान मूर्ति पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं शेरशाह सूरी मार्ग जिसे प्रायः जी० टी० रोड भी कहा जाता है। इसके रास्ते वाघा बार्डर पहुँचने के लिए अमृतसर से लगभग एक घण्टा लगता है। अपने वाहन अथवा पर्यटक गाड़ियों अथवा आटो रिक्शा द्वारा भी यहाँ पहुँचते हैं।
भावार्थ-अमृतसर से वाघा बार्डर जाने वाले मार्ग के बारे में बताया है।
2. आज सैलानियों के लिए वाघा बार्डर एक विशेष आकर्षण का केन्द्र है। हर रोज़ सायं झण्डा उतारने (रिट्रीट) की रस्म होती है जिसे देखने के लिए भारत व पाकिस्तान के सैलानी अपने-अपने देश की गैलरी में इकट्ठे होते हैं। ऐतिहासिक जी० टी० रोड पर बार्डर को सफेद रंग द्वारा रेखांकित किया गया है। इस जगह सड़क को लोहे के दो गेटों द्वारा बन्द किया गया है जिसके चारों ओर कंटीली तारें हैं। दोनों गेटों के ऊपर दोनों देशों के राष्टीय ध्वज लहराते हैं। अपने-अपने राष्ट की सरक्षा के लिए बी० एस० एफ० के जवान व पाकिस्तानी रेंजर्ज़ चौबीस घण्टे पूरी मुश्तैदी से पहरा देते हैं।
प्रसंग-यह गद्यांश प्रो० नवसंगीत सिंह द्वारा लिखित ‘वाघा बार्डर’ पाठ से लिया गया है। इसमें बाघा बार्डर की संध्या रस्म रिट्रीट के बारे में बताया है।
व्याख्या-लेखक कहता है कि आजकल वाघा बार्डर पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केन्द्र है। यहाँ प्रतिदिन संध्या के समय झण्डा उतारने की रस्म होती है जिसे देखने के लिए भारत तथा पाकिस्तान के पर्यटक अपने-अपने देश की गैलरी में इकट्ठे होते हैं। ऐतिहासिक जी० टी० रोड पर बार्डर को सफेद रंग के द्वारा रेखांकित किया गया है। इस जगह सड़क को लोहे के दो गेटों के द्वारा बंद किया गया है जिसके चारों तरफ कांटेदार तारें लगी हुई हैं। इन दोनों गेटों के ऊपर दोनों देशों के राष्ट्रीय झण्डे लहराते हैं। यहाँ अपने अपने राष्ट्र की सुरक्षा करने के लिए बी० एस० एफ० के जवान तथा पाकिस्तानी सिपाही चौबीस घण्टे पूरे सतर्क रहकर पहरा देते हैं।
भावार्थ-बाघा बार्डर की झण्डे उतारने की ऐतिहासिक रस्म का अनूठा वर्णन है।
3. दर्शक गैलरी पर भारतीय सैलानियों की भीड़ देखते ही बनती है। मुख्य द्वार के दोनों ओर बनी गैलरियों में 4000 लोगों की बैठने की क्षमता होती है। लेकिन वहाँ लगभग 8000 लोग एकत्र हो जाते हैं। रिट्रीट की रस्म प्रायः सायं 5:30 बजे आरम्भ होती है और करीब आधे पौने घण्टे बाद पूरी हो जाती है। इससे पूर्व बी० एस० एफ० के जवान पूरे उत्साह व जोश के साथ परेड में हिस्सा लेते हैं और पूरे वेग से अपने बूट धरती पर मारते हैं। उस समय दर्शक तालियाँ बजाकर सैनिकों की हौसला अफजाई करते हैं।
प्रसंग-यह गद्यांश प्रो० नवसंगीत सिंह द्वारा लिखित ‘वाघा बार्डर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें लेखक ने वाघा बार्डर की झण्डा उतारने की रस्म के बारे में बताया है।
व्याख्या-लेखक कहता है कि वाघा बार्डर पर दर्शक गैलरी पर भारतीय पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है। इसके मुख्य दरवाजे के दोनों ओर बनी गैलरियों में चार हजार लोगों के बैठने की क्षमता होती है। लेकिन वहाँ लगभग आठ हज़ार लोग इकट्ठे हो जाते हैं। झण्डा उतारने की रस्म प्रायः साढ़े पाँच बजे शुरू होती है और यह लगभग आधे पौने घण्टे बाद पूरी हो जाती है। इससे पहले बी० एस० एफ० के जवान पूरे उत्साह एवं जोश के साथ परेड में हिस्सा लेते हैं और वे पूरी गति से अपने जूते धरती पर मारते हैं। उस समय दर्शक तालियाँ बजाकर सैनिकों की हौसला अफजाई करते हैं। उनका उत्साह बढ़ाते हैं।
भावार्थ-वाघा बार्डर की रस्म रिट्रीट के बारे में बताया है।