Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 16 प्रादेशिक संस्कृति का विकास Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 16 प्रादेशिक संस्कृति का विकास
SST Guide for Class 7 PSEB प्रादेशिक संस्कृति का विकास Textbook Questions and Answers
(क) निम्न प्रश्नों के उत्तर दो :
प्रश्न 1.
मध्यकालीन युग (800-1200) में उत्तरी भारत में कौन-सी भाषाओं का विकास हुआ?
उत्तर-
मध्यकालीन युग में उत्तरी भारत में कई भाषाओं जैसे गुजराती, बंगाली, मराठी आदि का बहुत विकास हुआ। इस विकास की गति उस समय और भी तेज़ हो गई, जब भक्ति लहर के महान् सन्तों ने भक्ति लहर का प्रचार क्षेत्रीय भाषाओं में किया।
प्रश्न 2.
दिल्ली सल्तनत काल दौरान प्रादेशिक भाषाओं का विकास क्यों हुआ?
उत्तर-
दिल्ली सल्तनत काल में भक्ति लहर के कारण हिन्दी, गुजराती, मराठी, तेलगु, तमिल, पंजाबी, कन्नड़ आदि क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हुआ। बहुत-सी पवित्र धार्मिक पुस्तकों का संस्कृत भाषा से विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया।
प्रश्न 3.
मुग़ल काल की साहित्यिक प्राप्तियों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
मुग़ल शासक स्वयं भी महान् विद्वान् थे। इसलिए मुग़ल काल में साहित्य के क्षेत्र में बहुत अधिक विकास हुआ।
1. बाबर ने बाबर-नामा या तुजक-ए-बाबरी नामक प्रसिद्ध आत्मकथा लिखी। यह पुस्तक तुर्की भाषा में लिखी गई थी।
2. अकबर ने साहित्य को काफ़ी प्रोत्साहित किया। उसके दरबार में शेख़ मुबारक, अबुल फ़जल और फैज़ी जैसे महान् विद्वान थे। अबुल फज़ल ने आइन-ए-अकबरी और अकबरनामा नाम की पुस्तकें लिखीं। अकबर ने रामायण, महाभारत, राजतरंगिणी, पंच- तन्त्र आदि संस्कृत ग्रन्थों का फ़ारसी में अनुवाद कराया।
3. जहांगीर भी तुर्की, हिन्दी और फ़ारसी भाषाओं का महान् विद्वान् था। उसने फ़ारसी भाषा में तुजक-एजहांगीरी नाम की आत्मकथा लिखी। उसने विद्वानों को संरक्षण भी प्रदान किया। जहांगीर के दरबार के प्रसिद्ध हिन्दी लेखक राय मनोहर दास, भीष्म दास और केशव दास थे।
4. शाहजहां भी एक साहित्य प्रेमी सम्राट् था। उसके राज्य काल में अब्दुल हमीद लाहौरी ने ‘पादशाहनामा’ और मुहम्मद सदीक ने ‘शाहजहांनामा’ नामक प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं। शाहजहां ने हिन्दी साहित्य को भी संरक्षण प्रदान किया।
5. सम्राट औरंगजेब ने इस्लामी कानून पर आधारित ‘फ़तवा-ए-आलमगीरी’ नामक पुस्तक लिखवाई। उसके समय में खाफ़ी खां ने ‘मुतखिब-उल-लुबाब’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी।
प्रश्न 4.
चित्रकला के क्षेत्र में राजपूतों की प्राप्तियों का वर्णन करें।
उत्तर-
राजपूत शासकों के राज्य काल में कागजों पर चित्र बनाये जाने लगे थे। इस युग में चित्रकला की पाल और अपभ्रंश शैली का प्रयोग किया जाता था। पाल शैली के चित्र बौद्ध धर्म के ग्रन्थों में मिलते हैं। इन चित्रों में सफ़ेद, काले, लाल और नीले रंगों का प्रयोग किया गया है। अपभ्रंश शैली के चित्रों में लाल और पीले रंगों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया गया है। इस शैली के चित्र जैन और पुराण ग्रन्थों में मिलते हैं।
प्रश्न 5.
पंजाबी साहित्य का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
पंजाबी साहित्य के मूल अथवा संस्थापक बाबा फरीद शकरगंज थे। वह पंजाब के एक महान् सूफी संत थे।
प्रश्न 6.
भाई गुरदास ने कितनी वारों की रचना की?
उत्तर-
भाई गुरदास जी एक महान् कवि थे। उन्होंने पंजाबी भाषा में 39 वारों की रचना की। श्री गुरु अर्जन देव जी ने इन वारों को श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की कुंजी कह कर सम्मानित किया।
प्रश्न 7.
चार प्रसिद्ध कवियों के नाम बताओ जिन्होंने पंजाबी साहित्य को महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
उत्तर-
पंजाबी साहित्य को महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले चार प्रसिद्ध कवि शाह हुसैन, बुल्लेशाह, दामोदर तथा वारिस शाह थे।
प्रश्न 8.
आदि ग्रंथ साहिब का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
आदि ग्रन्थ साहिब का संकलन श्री गुरु अर्जन देव जी ने 1604 ई० में किया। इस ग्रन्थ में श्री गुरु नानक देव जी, श्री गुरु अंगद देव जी, श्री गुरु अमर दास जी, श्री गुरु रामदास जी और श्री गुरु अर्जन देव जी की वाणी को सम्मिलित किया गया। बाद में श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी को भी इस में शामिल किया गया। सिख गुरु साहिबान के अतिरिक्त आदि ग्रन्थ साहिब में हिन्दू भक्तों और मुसलमान सन्तों और कुछ भाटों की वाणी को भी शामिल किया गया है। इस सारी वाणी में परमात्मा की प्रशंसा की गई है। आदि ग्रन्थ साहिब को पंजाबी साहित्य में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।
(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करो :
- ‘गीत गोबिन्द’ ………. द्वारा लिखी गयी थी।
- 1604 ई० में ………… द्वारा आदि ग्रन्थ साहिब की रचना की गई थी।
- पृथ्वी राज रासो ………… द्वारा लिखी गयी थी।
- कृष्ण राय संस्कृत तथा हिन्दी भाषाओं का प्रसिद्ध ……….. था।
- अमीर खुसरो एक ……….. संगीतकार तथा कवि था।
उत्तर-
- जयदेव,
- श्री गुरु अर्जन देव जी
- चन्दबरदाई
- कवि
- महान्।
(ग) प्रत्येक कथन के आगे ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिन्ह लगाएं।
- दिल्ली सल्तनत काल में रामानुज तथा जयदेव संस्कृत भाषा के दो प्रसिद्ध लेखक थे।
- अबुल फ़ज़ल ने आइन-ए-अकबरी नहीं लिखी थी।
- तानसेन अकबर के दरबार का प्रसिद्ध गायक था।
- मुहम्मद तुग़लक का चित्र मध्यकाल की चित्रकला का प्रसिद्ध उदाहरण है।
- राजपूत काल दौरान संगीत का विकास नहीं हुआ था।
संकेत-
- (✗)
- (✗)
- (✓)
- (✓)
- (✗)
(घ) मिलान करो
कॉलम ‘अ’ – कॉलम ‘ब’
- जयदेव – 1. विक्रमांक-देव-चरित
- कल्हण – 2. आइने-अकबरी
- बिल्हण – 3. राजतरंगिणी
- अबुल फजल – 4. गीत गोबिन्द
- औरंगजेब – 5. फ़तवा-ए-आलमगीरी। ।
उत्तर-
- जयदेव – गीत गोबिन्द
- कल्हण – राजतरंगिणी
- बिल्हण – विक्रमांक-देव-चरित
- अबुल फ़जलआइने – अकबरी
- औरंगजेब – फ़तवा-ए-आलमगीरी।
PSEB 7th Class Social Science Guide प्रादेशिक संस्कृति का विकास Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
उर्दू भाषा किस प्रकार अस्तित्व में आई?
उत्तर-
भारत में तुर्कों द्वारा फ़ारसी भाषा आरंभ की गई थी। समय बीतने के साथ हिन्दी और फ़ारसी भाषाओं के मेल से एक नई भाषा ‘उर्दू’ अस्तित्व में आई।
प्रश्न 2.
मुगल काल (1526-1707 ई०) में होने वाले भाषाई विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मुगल काल में फ़ारसी भाषा का सबसे अधिक विकास हुआ। इसलिए मुग़ल काल को फ़ारसी भाषा का स्वर्ण युग कहा जाता है। फ़ारसी मुग़ल साम्राज्य की सरकारी भाषा थी। परिणामस्वरूप पंजाब में फ़ारसी भाषा को बहुत प्रोत्साहन मिला। अकबर ने रामायण और महाभारत का संस्कृत से फ़ारसी में अनुवाद कराया। मुग़ल काल में पंजाबी भाषा की भी बहुत उन्नति हुई। इसके अतिरिक्त एक महत्त्वपूर्ण भाषा होने के कारण हिन्दी ने बहुत उन्नति की। मुग़ल काल में उर्दू भाषा का भी विकास आरंभ हो गया था।
प्रश्न 3.
उत्तर भारत में राजपूत काल में साहित्य के विकास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उत्तर भारत में राजपूत शासकों के राज्यकाल में साहित्य का बहुत विकास हुआ। चन्दबरदाई ने पृथ्वी राज रासो नामक ग्रन्थ की रचना की। बंगाल के राज्य-कवि जयदेव ने गीत गोबिन्द नाम का प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा। जिसमें कृष्ण और राधा के प्रेम का वर्णन किया गया है। कल्हण ने एक ऐतिहासिक ग्रन्थ ‘राजतरंगिणी’ की रचना की। इस ग्रन्थ में काश्मीर के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। बिल्हण ने ‘विक्रमांक-देव-चरित’ नाम का प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा। इसमें चालुक्य राजा विक्रमादित्य छठे के जीवन का वर्णन है। राजपूत काल में रचित कथा-सरित्सागर संस्कृत भाषा की एक शानदार रचना है। यह कथाओं का संग्रह है।
प्रश्न 4.
पंजाब के भाषा एवं साहित्य में निम्नलिखित के योगदान की चर्चा कीजिए –
1. बाबा फरीद शंकरगंज
2. श्री गुरु नानक देव जी
3. दामोदर
4. वारिस शाह
5. शाह मुहम्मद।
उत्तर-
1. बाबा फरीद शंकरगंज (1173-1265 ई०)-बाबा फरीद शंकरगंज पंजाब के प्रसिद्ध सूफी सन्त थे। उन्हें पंजाबी साहित्य का संस्थापक कहा जाता है। उन्होंने अपनी वाणी की रचना लहंदी या मुल्तानी भाषा में की जो आम लोगों की बोली थी। उनके 112 श्लोक और 4 शब्दों को श्री गुरु अर्जन देव जी ने आदि ग्रन्थ साहिब में स्थान दिया।
2. श्री गुरु नानक देव जी (1469-1539 ई०)-श्री गुरु नानक देव जी ने पंजाबी साहित्य के एक नये युग का आरम्भ किया। उनके द्वारा रचा गया पंजाबी साहित्य सभी पक्षों से महान् है। उनके द्वारा रची गई वाणियों में जपुजी साहिब, आसा दी वार, बाबर-वाणी आदि महत्त्वपूर्ण हैं । वास्तव में श्री गुरु जी की वाणी पंजाबी साहित्य को एक अमर देन है।
3. दामोदर-दामोदर मुग़ल सम्राट अकबर का समकालीन था। उसने लहंदी या मुल्तानी पंजाबी बोली में हीर रांझा किस्से की रचना की। इसमें उसने अपने समय की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण किया है।
4. वारिस शाह (1710-1798 ई०)-वारिस शाह को पंजाबी किस्सा काव्य में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उन्होंने ‘हीर’ नामतः पंजाबी किस्से की रचना की जो कि पंजाबी साहित्य को एक महत्त्वपूर्ण देन है।
5. शाह महम्मद ( 1782-1862 ई०)-आपने ‘जंग नामा’ की रचना लिखी। शाह मुहम्मद ने अपनी रचना में महाराजा रणजीत सिंह के साम्राज्य के उत्कर्ष, जिसे उन्होंने अपनी आंखों से देखा था, की बहुत प्रशंसा की है। यह रचना पंजाबी साहित्य की अमूल्य निधि है।
प्रश्न 5.
मध्यकाल में पंजाब में चित्रकला के क्षेत्र में क्या विकास हुआ?
उत्तर-
सिख गुरु साहिबान से सम्बन्धित मध्यकाल के अनेक चित्र पुराने ग्रन्थों, गुरुद्वारों की दीवारों तथा राज महलों में बने हुए मिले हैं। उदाहरण के लिए गोइन्दवाल में गुरु अमर दास जी के उन 22 सिखों के चित्र मिले हैं जिन्हें गुरु साहिन जी ने मंजी प्रथा के अधीन सिख धर्म के प्रचार के लिए नियुक्त किया था। ये चित्र उस समय की चित्रकला के विकास पर प्रकाश डालते हैं।
प्रश्न 6.
पंजाबी भाषा एवं साहित्य के विकास में श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी पंजाबी भाषा के एक महान् कवि एवं साहित्यकार थे। उनकी रचनाएं, जैसे कि जाप साहिब, बचित्तर नाटक, ज़फरनामा, चण्डी दी वार और अकाल उस्तत आदि बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। ये रचनाएँ दशम ग्रन्थ में दर्ज हैं। इनमें से ‘चण्डी दी वार’ पंजाबी साहित्य की एक अमर रचना मानी जाती है।
प्रश्न 7.
मुग़ल काल में चित्रकला के क्षेत्र में क्या विकास हुआ?
उत्तर-
मुग़ल शासक चित्रकला के महान् संरक्षक थे। अतः मुग़लों के राज्य-काल में इस कला का बहुत विकास हुआ।
1. बाबर और हुमायूं चित्रकला में बहुत रुचि रखते थे। बाबर ने अपनी आत्म-कथा को चित्रित करवाया था। हुमायूं दो प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुल सैयद और सैयद अली को ईरान से अपने साथ दिल्ली लाया था।
2. अकबर ने चित्रकला के विकास के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की थी। इस विभाग ने पुस्तकों को चित्रित करने के साथ-साथ मुग़ल शासकों के चित्र भी बनाये। दसवन्त और बासवान अकबर के दरबार के दो प्रसिद्ध चित्रकार थे।
3. जहांगीर भी एक अच्छा चित्रकार था। उसके शासन काल में सूक्ष्म चित्रकारी का विकास होने लगा। उस्ताद मन्सूर, अबुल हसन, फ़ारुख बेग, माधव आदि जहांगीर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार थे।
प्रश्न 8.
मुग़ल काल में संगीत के क्षेत्र में होने वाले विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
औरंगजेब को छोड़ कर सभी मुग़ल शासक संगीत प्रेमी थे। इसलिए उनके शासन-काल में संगीत का बहुत विकास हुआ –
1. बाबर और हुमायूं संगीत के महान् प्रेमी थे। हुमायूं सप्ताह में दो दिन संगीत सुना करता था।
2. अकबर संगीत कला में बहुत रुचि रखता था। वह स्वयं भी एक गायक था। उसे संगीत के सुर और ताल का पूरा ज्ञान था। उस के दरबार में तानसेन जैसे उच्च कोटि के संगीतकार थे। तानसेन ने बहुत से रागों की रचना की। तानसेन के अतिरिक्त रामदास अकबर के दरबार का उच्च कोटि का गायक था।
3. जहांगीर और शाहजहां भी संगीत कला के प्रेमी थे। जहांगीर स्वयं एक अच्छा गायक था। उसने कई हिन्दी के गीत लिखे। शाहजहां ध्रुपद राग का बहुत शौकीन था।
4. मुग़ल काल में श्री गुरु अर्जन देव जी ने राग-रागनियों के अनुसार ‘आदि ग्रन्थ साहिब’ की रचना की थी।
सही उत्तर चुनिए :
प्रश्न 1.
भारत में कौन-सा काल फारसी भाषा का ‘सुनहरा युग’ कहलाता है ?
(i) सल्तनत काल
(ii) चोल काल
(iii) मुग़ल काल।
उत्तर-
(ii) मुग़ल काल।
प्रश्न 2.
‘अकबरनामा’ मुग़ल काल की एक पुस्तक है। इसका लेखक कौन था ?
(i) अबुल फ़ज़ल
(ii) खाफ़ी खां
(iii) बीरबल।
उत्तर-
(i) अबुल फ़ज़ल।
प्रश्न 3.
‘आदि ग्रंथ साहिब’ का संकलन किसने किया ?
(i) वारिस शाह
(ii) श्री गुरु अर्जन देव जी
(iii) श्री गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर-
(i) श्री गुरु अर्जन देव जी।
प्रादेशिक संस्कृति का विकास PSEB 7th Class Social Science Notes
- भाषा तथा साहित्य (सल्तनत काल) – सल्तनत काल में भाषा तथा साहित्य में बहुत उन्नति हुई। हिन्दी तथा फ़ारसी के मेल से एक नई भाषा उर्दू का जन्म हुआ। कई मुसलमान विद्वानों ने हिन्दुओं के प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन किया। उन्होंने संस्कृत पुस्तकों का अनुवाद फ़ारसी भाषा में भी किया। इस काल में हिन्दी भाषा में कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें लिखी गईं। चन्दबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’, मलिक मोहम्मद जायसी ने ‘पद्मावत’ की रचना की। इस काल की संस्कृत की मुख्य पुस्तकें ‘गीत गोविन्द’ तथा ‘राजतरंगिणी’ हैं। इनकी रचना क्रमशः जयदेव तथा कल्हण ने की।
- मुग़ल काल का साहित्य – मुग़ल काल की मुख्य साहित्यिक रचनाएँ तुज़के-बाबरी, हुमायूनामा अकबरनामा, आइन-ए-अकबरी, पादशाहनामा है।
- पंजाबी साहित्य – मध्यकाल में गुरु साहिबान तथा अन्य कई पंजाबी कवियों ने पंजाबी साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस काल की पंजाब साहित्य की प्रमुख रचनाएँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब, दशम ग्रन्थ, भाई गुरदास की वारें आदि हैं।
- चित्रकला – मुग़ल काल में चित्रकला में भी असाधारण उन्नति हुई। अब्दुसम्मद, मीर सैय्यद अली, सांवलदास, जगन्नाथ, ताराचन्द आदि अनेक चित्रकारों ने अपनी कला-कृतियों से इस कला का रूप निखारा। ये सभी चित्रकार अकबर के समय के प्रसिद्ध कलाकार थे। जहांगीर ने अनेक चित्रकारों को अपने दरबार में सम्मान दिया। उसके समय के चित्रकारों में मुहम्मद मुराद, उस्ताद मंसूर, आगा रज़ा तथा मुहम्मद नादिर के नाम लिए जा सकते हैं।
- संगीत कला – मुग़लकाल संगीत कला के क्षेत्र में भी पीछे नहीं रहा। बाबर एक बहुत अच्छा कवि था। उसने अनेक कविताओं तथा गीतों की रचना की थी। अकबर के समय में संगीत सम्राट तानसेन तथा बैजू बावरा ने संगीत कला का रूप निखारा। औरंगज़ेब को संगीत से बड़ी घृणा थी। उसके शासन-काल में इस कला का पतन हो गया।