Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 मैं जीती Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 मैं जीती (2nd Language)
Hindi Guide for Class 8 PSEB मैं जीती Textbook Questions and Answers
मैं जीती अभ्यास
1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :
(क) अनुराधा को क्या बुरा लगता था?
उत्तर :
अनुराधा के लंगड़ेपन पर जब कोई हँसता था तो उसे बुरा लगता था।
(ख) अनुराधा की माँ ने क्या कहकर उसका हौसला बढ़ाया?
उत्तर :
माँ ने अनु से कहा कि वह बहादुर लड़की थी और उन्हें विश्वास था कि अनु की सहपाठिने उसकी कठिनाई ज़रूर समझेंगी।
(ग) अनु में क्या गुण था?
उत्तर :
अनु में कई गुण थे :
- वह मधुर भाषी थी।
- वह एक अच्छी तैराक थी।
(घ) अनु ने किसे डूबने से बचाया?
उत्तर :
अनुराधा ने माला की बहन कला को डूबने से बचाया था।
(ङ) माला ने क्या कहकर अनु का धन्यवाद किया?
उत्तर :
माला ने अनु से कहा, “यदि तुम न होती तो वह डूब ही गई होती” यह कहकर उसने अनु का धन्यवाद किया।
4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :
(क) अनु को शुरू में माला का व्यवहार कैसा लगा?
उत्तर :
अनु जब पहली बार विद्यालय गई तो अध्यापिका ने उसे माला के साथ वाली जगह पर बैठने को कहा। माला को देखकर अनु खुश हुई लेकिन जब उसने माला से बात करनी चाही तो माला बड़ी ही बेरुखी से उससे पेश आई। माला का इस प्रकार व्यवहार अनु को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
(ख) अनु ने कला को कैसे बचाया?
उत्तर :
अनु जब तैरने के लिए तरणताल गई तो उसने कला को पानी में हाथ छपछपाते हुए देखा। वह पानी में डूब रही थी। माला उसे बचाने के लिए मदद – मदद चिल्लाने लगी। किसी के वहाँ न आने पर अनु स्वयं कला को बचाने के लिए पानी में कूद गई। पहले उसने कला को बाल पकड़कर ऊपर खींचना चाहा लेकिन छोटे बाल होने के कारण वह उसे ऊपर न खींच सकी। तब उसने उसे दुबारा पकड़ा और पकड़ कर किनारे पर पास खींच लाई और कला को दीवार के साथ लगा दिया। तभी माला ने कला को ऊपर खींच लिया इस प्रकार अनु ने कला की जान बचा ली।
(ग) इस कहानी का शीर्षक है ‘मैं जीती’। क्या आपको यह शीर्षक ठीक लगा? क्यों?
उत्तर :
इस कहानी का शीर्षक ‘मैं जीती’ सर्वथा उचित है क्योंकि अनुराधा ने कला को डूबने से बचाकर मृत्यु पर जीत हासिल की थी। उसकी जीत मात्र कला को बचाने की नहीं थी अपितु उसने अपनी बहादुरी से सभी का मन भी जीत लिया था। सभी अनुराधा के बचाया ? साहस और हिम्मत की प्रशंसा कर रहे थे। अत: ‘मैं जीती’ शीर्षक उचित है। अनुराधा का चरित्र इस शीर्षक की सार्थकता का प्रबल उदाहरण है।
5. इन मुहावरों के अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :
- आँसू टपकाना = रोना …………………………….
- मज़ाक बनाना = हँसी उड़ाना …………………………….
- पीठ थपथपाना = शाबाशी देना …………………………….
उत्तर :
- आँसू टपकाना = रोना वाक्य – माँ के डांटते ही शीला की आँखों से आँसू टपकने लगे।
- मज़ाक बनाना = हंसी उड़ाना वाक्य – हमें किसी की विकलांगता पर उसका मज़ाक नहीं बनाना चाहिए।
- पीठ थपथपाना = शाबाशी देना
वाक्य – रमेश ने एक छोटे बच्चे को कुएँ में गिरने से बचाया तो सभी ने उसकी पीठ थपथपाई।
6. वचन बदल कर वाक्य पुनः लिखें :
- 1. बच्चा मुझे देखकर हँस रहा है।
……………………………. - 2. वह मेरी उपेक्षा कर रही थी।
……………………………. - 3. लड़की भागती हुई आई।
…………………………….
उत्तर :
- बच्चे मुझे देखकर हँस रहे हैं।
- वे मेरी उपेक्षा कर रही थीं।
- लड़कियां भागती हुई आईं।
7. कहानी में कुछ शब्द अंग्रेज़ी भाषा के हैं। पाँच शब्द चुनकर उन्हें हिंदी में लिखें :
उत्तर :
- प्रिंसीपल = प्रधानाचार्य/प्राचार्य
- स्कूल = विद्यालय
- मैडम = अध्यापिका/श्रीमती
- गेम्स टीचर = खेल की अध्यापिका
- बस = एक वाहन का प्रकार।
8. शुद्ध करके लिखें :
- परीचै = …………………………….
- महिसूस = …………………………….
- बहादूर = …………………………….
- चिलाना = …………………………….
- लड़कीयाँ = …………………………….
- जमीन = …………………………….
- अधियापिका = …………………………….
- अनूमली = …………………………….
- अनूमती = …………………………….
- स्कुल = …………………………….
- चिकीत्सा = …………………………….
- आवाज = …………………………….
- कमजोर = …………………………….
- इरद-गिरद = …………………………….
उत्तर :
- परीचै = परिचय
- महिसूस = महसूस
- बहादूर = बहादुर
- चिलाना = चिल्लाना
- लडकीयाँ = लडकियाँ
- जमीन = ज़मीन
- अधियापिका = अध्यापिका
- अनूमती = अनुमति
- अनूमती = अनुमति
- स्कुल = स्कूल
- चिकीत्सा = चिकित्सा
- आवाज = आवाज़
- कमजोर = कमज़ोर
- इरद गिरद = इर्द – गिर्द
9. (i) ‘इत’शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें:
उपेक्षा + इत = उपेक्षित
परिचय + इत = ………………………….
चिन्ता + इत = ………………………….
उत्तर :
परिचय + इत = परिचित
चिन्ता + इत = चिन्तित
(ii) ‘तैराक’ शब्द के अंत में आक’ शब्दांश लगा है। इसी प्रकार अंत में आक’ शब्दांश लगाकर नये शब्द बनायें।
____________ ____________
____________ ____________
उत्तर :
खतरनाक, तलाक, अवाक, फटाक, चालाक, ईराक, ब्लाक, चटाक, सटाक, खुराक, मज़ाक, इत्फ़ाक, गाजरपाक, पोशाक, खटाक।
10. जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिये। कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ आयें उसका सामना अपनी बुद्धिमत्ता, होशियारी, लगन और परिश्रम से करना चाहिये। इस कहानी में ऐसा कौन-सा पात्र है जिसने अनु का विश्वास बढ़ाया है ?
उत्तर :
कहानी में अनु की मां एक ऐसी नारी है जिसने हर पल अनु का विश्वास बढाया है। जब वह स्कल जाने में हिचक रही थी तो उसकी माँ ने ही उसे प्यार से समझाते हुए विद्यालय भेजा था। विद्यालय में अपनी उपेक्षा से दुःखी होकर जब अनु रोने लगी तो मां ने उसे भरोसा दिलाया कि उसकी अच्छाई और मित्रतापूर्ण व्यवहार से शीघ्र ही सब उसकी मित्र बन जाएँगी। जब अनु खेल न पाने के कारण दु:खी थी तो अनु की मां ने ही उसे तैराकी करने की सलाह दी। जिसकी वजह से कला की जान भी बच गई और सभी लड़कियाँ उसकी मित्र बन गईं।
11. क्या आपके जीवन में भी ऐसा कोई व्यक्ति है, जो सदा आपका विश्वास बढ़ाता है ? उस पर चार-पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
हाँ; मेरे जीवन में भी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने सदा मेरा विश्वास बढ़ाया है। वे मेरे एक अध्यापक हैं। उन्होंने मुझे पढ़ाया ही नहीं बल्कि समाज में एक नई पहचान दी है। उन्होंने मुझे इस योग्य बनाया है कि मैं अपना ज्ञान सदा दूसरों में बांट सकू। जब जब मैं जीवन में निराश और हताश होता हूँ तब – तब वे अपना हाथ मेरे सिर पर रखकर मेरा हौसला बढ़ाते हैं। जीवन – मार्ग पर कठिनाइयों का सामना करने के लिए सदा प्रेरित करते हैं।
उनका मानना है कि जीवन चुनौती रूपी कांटों का संसार है और जो इस चुनौती रूपी संसार का डट कर सामना करता है वह जीवन – मार्ग में आगे ही आगे बढ़ता जाता है। अभी तो संसार में चलना सीखा है। मुझे आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि उनका आशीर्वाद सदैव मेरा मार्ग दर्शन करता रहेगा। उनकी छत्र – छाया में रहकर मैं जीवन के पड़ावों को पार करता जाऊँगा।
मैं जीती Summary in Hindi
मैं जीती पाठ का सार
‘मैं जीती’ रचनाकार द्वारा रचित एक शिक्षाप्रद कहानी है जो हमें शिक्षा देती है कि शरीर के किसी भाग के लाचार होने पर हमें उसे अपाहिज कह कर दुत्कारना नहीं चाहिए अपितु उससे प्रेम – भाव से मिलना चाहिए। इस कहानी में लेखक ने अनुराधा के अपूर्व साहस और उत्साह के द्वारा हमें जीवन का सबसे बड़ा संदेश देना चाहा है जिससे हम समाज में विकलांगों के प्रति अपने रवैये में परिवर्तन लाकर उन्हें भी सम्मान दें।
अनुराधा विद्यालय में पढ़ने वाली एक छात्रा है। उसकी माँ उसे प्यार से ‘अनु’ कहकर पुकारती है। ‘अनु’ का एक पैर खराब है इसलिए वह लंगड़ा कर चलती है। कुछ दिन पहले ही उसके पिता जी का तबादला जबलपुर हो गया था। आज ‘अनु’ का विद्यालय जाने का पहला दिन था। वह विद्यालय जाने से हिचक रही थी। अभी वह अपना सुबह का नाश्ता कर रही थी कि उसकी माँ ने उसे आवाज़ दी कि वह जल्दी करे नहीं तो उसकी बस छूट जाएगी।
‘अनु’ अपने लंगड़ाने के कारण विद्यालय जाने से हिचक रही थी। माँ ने उसे समझाया कि विद्यालय में उसकी सहेलियाँ अवश्य उसका साथ देंगी। माँ ने उसे काजू की बनी बर्फी भी दी और कहा इसे मिल बांट कर खाना। स्कूल में पहुँचने के बाद चपड़ासी ‘अनु’ को उसकी कक्षा में छोड़ आया। ‘अनु’ ने कक्षा में ‘मैडम’ को अपना परिचय दिया। मैडम ने पूरी कक्षा से अनु का परिचय कराया। ‘अनु’ को माला के पास वाली जगह पर बैठने को कहा।
माला देखने में सुन्दर और अच्छी लड़की थी। अनु उसे देखकर बहुत खुश हुई। शीघ्र ही काफी सारी लड़कियाँ माला के इर्द – गिर्द खड़ी हो गईं। माला उन्हें बता रही थी कि कैसे उसने तैरना सीखा। अनु ने माला से कहा कि वह भी तैरना जानती थी। माला उपेक्षा भरे स्वर में ‘हाँ’ कहा और अपनी सहेलियों की ओर मुड़ गईं। अनु को माला का यह व्यवहार बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। जब वह घर पहुँची तो माँ ने उससे पूछा कि आज विद्यालय में उसका पहला दिन कैसा रहा?
यह सुनते ही अनु की आँखें छलछला आईं और उसने विद्यालय का सारा वृत्तांत माँ को बता दिया। माँ ने पुत्री को समझाते हुए कहा कि उसे सभी को कुछ दिन का समय देना चाहिए तब सब ठीक हो जाएगा। वे सभी तुम्हारे अच्छे व्यवहार के कारण तुम्हारी मित्र बन जाएंगी। अगले दिन जब अनु स्कूल गई तो कोई उस पर नहीं हँसा। स्कूल में आखिर के दो घंटे खेलने के लिए निश्चित थे। अनु ने माला से कहा कि वह उसके साथ खेल के मैदान में चले तो माला ने बड़ी बेरुखी से मना कर दिया। रात को भोजन के समय अनु के पिता जी ने अनु से उसकी गेम्स टीचर के बारे में पूछा तो अनु ने कहा कि वह खेलने नहीं जाती। इसलिए उसे उनके बारे में कुछ नहीं पता। तब माँ ने अनु को कहा कि वे तैरना जानती थी, इसलिए उसे स्कूल में तैराकी करनी चाहिए।
अगली सुबह अनु माँ का लिखित पत्र लेकर विद्यालय पहुँची। अध्यापिका ने तैराकी के लिए अनु को अनुमति दे दी। जब खेल का समय आया तो अनु ने अपनी तैरने की पोशाक उठाई और तरणताल जा पहुँची। वहाँ जा कर उसने देखा कि पानी में बुलबुले उठ रहे हैं। उसे कुछ बाल भी दिखाई दिए। उसे दो हाथ पानी में छपाछप उठते – गिरते दिखाई दिए। वह मदद के लिए चिल्लाई लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं दिया।
तब अनु ने साहस करके पानी में छलांग लगाई। जब वह पानी में डूबती लड़की के पास पहुँची तो वह पानी में नीचे चली गई। अनु ने उसे बालों से पकड़कर ऊपर खींचना चाहा लेकिन छोटे बाल होने के कारण वह उसे ऊपर न खींच पाई। फिर किसी तरह अनु उस लड़की को पकड़कर किनारे ले आई। तभी माला भी वहाँ आ गई। अनु ने माला से लड़की को ऊपर खींचने को कहा। जब माला ने लड़की को ऊपर खींचा तो उसे पता चला कि वह उसकी बहन कला थी। माला ने अनु पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने कला को धक्का क्यों मारा था।
कुछ देर बाद जब कला को होश आया तो उसने बताया कि अनु ने उसकी जान बचाई थी। यह सुनकर प्रिंसीपल ने अनुराधा की पीठ थपथपाई। सभी ने अनुराधा की बहादुरी की प्रशंसा की। माला को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने अनुराधा से कहा “यदि तुम न होती तो वह डूब ही गई होती तुम थक गई होगी लाओ टांगों को मसलने में तुम्हारी मदद कर दूं।”
मैं जीती कठिन शब्दों के अर्थ
- तबादला = एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदली।
- हिचकना = घबराना।
- कलेवा = रात का बचा भोजन जिसे सुबह खाया जाता है।
- सहपाठिनें = साथ पढ़ने वाली लड़कियां।
- पास खिसकना = नज़दीक आना।
- उपेक्षा करना = मज़ाक करना या नज़र – अंदाज़ करना।
- कसूर = अपराध।
- आँखें खोलना = होश में आना, जागना।
- पीठ थपथपाना = शाबाशी देना।
मैं जीती गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
1. पिताजी का तबादला जबलपुर में हो गया था। वहाँ के नए स्कूल में जाने का मेरा पहला दिन था। मैं जाने में हिचक रही थी क्योंकि वहाँ अभी मेरी कोई सहेली नहीं थी। मैं अभी कलेवे पर जमी थी कि मैंने माँ का चिल्लाना सुना, “अनु, तुम्हें हुआ क्या है स्कूल बस निकल जाएगी।”
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से लिया गया है। यह एक शिक्षाप्रद कहानी है। लेखक ने यहाँ एक लड़की की बहादुरी का बड़ा सजीव वर्णन किया है।
व्याख्या – अनुराधा अपना परिचय देते हुए कहती है कि कुछ दिन पहले ही उसके पिता जी की बदली जबलपुर हुई थी। आज विद्यालय जाने का उसका पहला दिन था, लेकिन विद्यालय जाने में उसे कुछ घबराहट हो रही थी। उसकी यहाँ स्कूल में कोई सहेली भी नहीं थी। वह कहती है कि वह अभी अपना सुबह का नाश्ता खा रही थी कि इतने में उसकी माँ की आवाज़ आई कि अनु क्या कर रही हो, जल्दी करो नहीं तो बस निकल जाएगी।
विशेष –
- लेखक ने अनु के माध्यम से एक विकलांग के मन में छिपी घबराहट को दर्शाया है।
- भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।
2. “लेकिन माँ, मैं किसी को भी वहाँ नहीं जानती और वे मेरा मजाक बना सकती हैं। आप तो जानती ही हैं कि जब कोई मेरी हँसी उड़ाता है तो मुझे बहुत बुरा लगता है।”
“मेरे ख्याल में स्कूल में इतना बुरा नहीं होगा। यह लो, कुछ काजू की बर्फी। अपनी सहपाठिनों में बाँट कर खाना। अब चलो, पिता जी तुम्हें स्कूल पहुँचा आयेंगे।”
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से लिया गया है। कहानीकार ने यहां एक विकलांग की विवशता को प्रकट किया है।
व्याख्या – लेखक कहता है कि अनुराधा अपनी माँ के समक्ष अपनी विवशता प्रकट करते हुए कहती है कि वह विद्यालय में किसी को नहीं जानती। विद्यालय में सभी लड़कियां उसका मज़ाक बना सकती हैं। माँ तुम तो जानती हो, जब तुम्हारी बेटी का कोई मज़ाक उड़ाता है तो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। माँ अपनी बेटी अनुराधा को समझाते हुए कहती है कि उसके विचार से स्कूल में कुछ बुरा नहीं होगा। कोई उसे भला – बुरा नहीं कहेगा। माँ ने बेटी को कुछ काजू बर्फी देते हुए कहा कि इसे अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियों में बाँट कर खा लेना। अच्छा तो अब तुम चलो तुम्हारे पिता जी तुम्हें विद्यालय छोड़ आएं।
विशेष –
- लेखक ने पुत्री के प्रति माँ की ममता को उजागर किया है।
- भाषा सरल, सहज है।
3. बरबस मेरे आँसू टपक पड़े। हिचकियाँ लेते हुए मैंने बताया, “मैं स्कूल नहीं जाऊँगी। लड़कियाँ बोलती ही नहीं। सुबह कुछ बच्चे मुझे देख कर हँस भी रहे थे। कक्षा में मेरे साथ कोई लड़की नहीं बोली।”
प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से अवतरित है। लेखक ने अपनी इस कहानी से समाज को एक शिक्षा देनी चाही है कि हमें किसी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए।
व्याख्या – लेखक कहता है कि अनुराधा जैसे विद्यालय से आई तो माँ ने उससे पूछा कि उसका पहला दिन स्कूल में कैसा रहा तो यह सुनते ही अनुराधा की आँखें भर आईं। वह रोने लगी। हिचकियाँ लेते हुए अनु ने बताया कि वह अब स्कूल नहीं जाएगी। क्योंकि स्कूल में लड़कियाँ उससे बात नहीं करती थीं। सुबह जब विद्यालय में जा रही थी तो कुछ बच्चे उसे देखकर हँस रहे थे। उसके अपाहिज होने का मजाक उड़ा रहे थे। कक्षा में भी कोई भी लड़की मुझ से नहीं बोली।
विशेष –
- लेखक ने अनु की विकलांगता के कारण उसे हीनभावना से ग्रस्त दिखाया है।
- भाषा सरल और सहज है।
4. पानी को देखने से मुझे शान्ति महसूस होती है। मैं ताल के किनारे जाकर खड़ी हो गई। मैंने पानी में बुलबुले उठते देखे और सोचने लगी कि क्या हो सकता है। तभी मुझे कुछ बाल नज़र आये। दो हाथ अन्धाधुन्ध पानी में छपाछप कर रहे थे। “एक लड़की डूब रही है।” मैं चारों ओर देखकर चिल्लाई। लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। इसलिए मैं पानी में कूद गई।
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘मैं जीती’ से अवतरित है। लेखक ने यहाँ अनु की विकलांगता को दर किनार करते हुए उसकी वीरता एवं साहस को दिखाया है।
व्याख्या – लेखक कहता है कि जब कोई भी लड़की अनु को खेल के मैदान में ले जाने को तैयार नहीं थी तो माँ के कहने पर उसने तैराकी करने का निर्णय लिया। अनु तैराकी करने के लिए ताल के पास जाकर खड़ी हो गई। पानी को देखकर अनु को अत्यधिक शान्ति महसूस होती थी। तभी अचानक उसने पानी में बुलबुले उठते हुए देखे और सोचने लगी कि यह क्या हो सकता था। तभी अचानक अनु को पानी में कुछ बाल दिखाई दिए।
वह देख रही थी कि पानी में ही हाथ लगातार छपा – छप कर रहे थे। ये हाथ एक लड़की के थे। वह पानी में डूब रही थी और डूबने से बचने के लिए पानी में हाथ चला रही थी। अनु ने चारों ओर देखा और मदद के लिए चिल्लाने लगी। लेकिन उसे वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया। तब वह हिम्मत करके स्वयं पानी में कूद गई।
विशेष –
- लेखक ने अनु की वीरता दिखाई है।
- भाषा सरल और सहज है।