Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 श्रद्धा और अभ्यास Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 12 श्रद्धा और अभ्यास
Hindi Guide for Class 5 PSEB श्रद्धा और अभ्यास Textbook Questions and Answers
I. बताओ
प्रश्न 1.
पाँच पाँडवों के नाम लिखो।
उत्तर:
पाँच पाँडवों के नाम हैं-युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव।
प्रश्न 2.
कौरव-पांडव के गुरु कौन थे?
उत्तर:
कौरव-पांडव के गुरु द्रोणाचार्य थे।
प्रश्न 3.
गुरु शिष्यों को कौन-सी विद्या सिखा रहे थे?
उत्तर;
गुरु द्रोणाचार्य अपने शिष्यों को धनुर्विद्या सिखा रहे थे।
प्रश्न 4.
अर्जुन किस विद्या में निपुण था?
उत्तर;
अर्जुन धनुर्विद्या में निपुण था।
प्रश्न 5.
बनवासी बालक क्या कर रहा था?
उत्तर:
बनवासी बालक धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहा था।
प्रश्न 6.
आश्रम में कुत्ते को देखकर सभी क्यों चकित हो गए?
उत्तर:
कुत्ते का मुँह बाणों से भरा हुआ था। यह देखकर आश्रम में सभी चकित हो गए।
प्रश्न 7.
गुरु द्रोणाचार्य प्रतिमा देखकर क्यों हैरान हो गए?
उत्तर:
गुरु द्रोणाचार्य प्रतिमा देखकर हैरान इसलिए हो गए क्योंकि वह प्रतिमा उन्हीं की थी।
प्रश्न 8.
एकलव्य का गुरु कौन था?
उत्तर:
एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को अपना गुरु माना था।
प्रश्न 9.
श्रद्धा और अभ्यास का एकलव्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
श्रद्धा और अभ्यास के बल पर एकलव्य धनुर्विद्या में कुशल हो गया।
प्रश्न 10.
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि श्रद्धा, विश्वास, लगन और परिश्रम से कोई भी कार्य कठिन नहीं रह सकता।
II. वाक्य पूरे करो
1. अर्जुन का निशाना अन्य ………………. से सर्वश्रेष्ठ था।
2. ………… उन्हें धनुष विद्या सिखा रहे थे।
3. अचानक एक …………… वहाँ आया।
4. कुत्ते का मुँह ……………. से भरा था।
5. वह बालक ………………. था।
6. मैंने मन से आपको ……………….. मान लिया था।
7. बालक सभी को ………………… के सम्मुख ले गया।
उत्तर:
(1) शिष्यों
(2) गुरु द्रोणाचार्य
(3) कुत्ता
(4) बाणों
(5) एकलव्य
(6) गुरु
(7) मूर्ति।
III. बनवासी शब्द वन + वासी शब्द जोड़ कर बना है नीचे कुछ शब्द जोड़ दिए गए हैं इनसे शब्द बनाओ और अर्थ लिखो
शब्दजोड़ – शब्द – अर्थ
(i) वन + चर …………… , …………….
(ii) वन + राज …………… , …………….
(iii)वन + मानुष …………… , …………….
(iv) वन + माली ………………… , वनमाला धारण करने वाला, कृष्ण
(v) वन + रोपण …………… , …………….
(vi) वन + पाल ………….., वन की रक्षा करने वाला सरकारी कर्मचारी
उत्तर:
(i) वन + चर = वनचर-वन में घूमनेफिरने वाला।
(ii) वन + राज = वनराज-वन (जंगल) में राज करने वाला।
(iii) वन + मानुष = वनमानुष-जंगली।
(iv) वन + माली = वनमाली-पौधों की देखभाल करने वाला/वनमाला धारण करने वाला, कृष्ण।
(v) वन + रोपण = वनरोपण-वन (पौधों) का लगाना।
(vi) वन + पाल = वनपाल-वन (पौधों) का पालन-पोषण, देख-रेख करने वाला/वन की रक्षा करने वाला सरकारी कर्मचारी।
IV. निम्न मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो.
मुहावरा = अर्थ
1. गद्गद् होना = प्रसन्न होना
वाक्य – पुत्र का परीक्षा-परिणाम देखते ही माँ गद्गद् हो गई।
2. एकटक देखना = लगातार देखना
वाक्य – बच्चा चन्द्रमा की ओर एकटक देखता रहा।
3. मुँह से शब्द न निकलना = चुप्पी साध लेना
वाक्य – पुलिस के सामने रघु के मुँह से शब्द तक नहीं निकला।
4. चकित होना = हैरान होना
वाक्य – अरे, मैं तो तुम्हारा यह रूप देखकर चकित रह गया हूँ।
5. एक पंथ दो काज = एक कार्य करते समय दूसरा कार्य भी हो जाना
वाक्य – इधर आकर खरीदारी हो गई और तुम्हें भी मिल लिया। यह तो एक पंथ दो काज हो गए।
6. मन में बसना = प्रिय लगना, पसंद आना
वाक्य – प्रत्येक बच्चा अपने माँ-बाप के मन में बसता है।
7. आश्चर्य का ठिकाना न रहना = बहुत हैरान
होना वाक्य – तीन फुट ऊँचे पेड़ को आमों से लदा देख मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
8. नतमस्तक होना = नम्र बनना
वाक्य – अपने गुरु जी को देखते ही मैं नतमस्तक हो गया।
इनको भी जानो
(1) महान विद्वान् वरदराज जिसे गुरु ने मूढ़ समझ आश्रम से निकाल दिया था, परन्तु अभ्यास के बल पर एक दिन विद्वान् बन गया तभी तो कहा है-
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान॥
(2) राजा ब्रूस की कहानी अपने अध्यापक से सुनें और उससे शिक्षा लेते हुए अपने जीवन के उद्देश्य की ओर बढ़ें।
VI. निम्नलिखित शब्दों के एक से अधिक शब्द बनाएँ.
प्रयोगात्मक व्याकरण
I. (क) क्रिया
(1) गुरु द्रोणाचार्य अपने शिष्यों को धनुर्विद्या की शिक्षा दे रहे थे।
(2) मैं आपकी प्रतिमा के सम्मुख प्रतिदिन -अभ्यास करता हूँ।
(3) गुरु शिष्यों से तीर चलवाते थे।
(4) अचानक एक कुत्ता आश्रम में आया।
(5) गुरु के प्रति ऐसी श्रद्धा देख कर सभी चकित
उपर्युक्त वाक्यों में ‘दे रहे थे’, ‘करता हूँ’, से काम का करना, ‘चलवाते थे’, से काम करवाना तथा ‘आया’ और थे में काम का होना प्रकट हो रहा हैं।
परिभाषा-वाक्य में जिस पद से किसी काम का ‘करना’, ‘करवाना’ या ‘होना’ प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं।
(ख) निम्नलिखित वाक्यों में से क्रिया शब्दों को छाँटिए
(1) बालक गुरु द्रोण को श्रद्धा से देख रहा था।
(2) उसकी आवाज़ तक नहीं निकल रही थी।
(3) उसने मिट्टी की एक मूर्ति बनायी।
(4) वह एकटक गुरु को निहारता रहा।
(5) मेरे गुरु आप हैं।
(6) मेरी एकाग्रता भंग हो रही थी।
उत्तर:
(1) देख रहा था।
(2) निकल रही थी।
(3) बनायी।
(4) निहारता रहा।
(5) हैं। (होना)
(6) भंग हो रही थी।
बहुवैकल्पिक प्रश्न
पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) निशान लगाएं
प्रश्न 1.
महाभारत किन-किन के बीच हुआ ?
(क) कौरव-पांडवों के
(ख) कौरव-यक्षों के
(ग) पांडव-सेना के
(घ) कौरव-दिल्ली।
उत्तर:
(क) कौरव-पांडवों के
प्रश्न 2.
कौरव-पांडवों को किसने शिक्षा दी ?
(क) गुरु द्रोणाचार्य
(ख) गुरु वशिष्ट
(ग) गुरु परशुराम
(घ) गुरु आचार्य।
उत्तर:
(क) गुरु द्रोणाचार्य
प्रश्न 3.
अर्जुन किस विद्या में निपुण थे ?
(क) गदा विद्या
(ख) धनुर्विद्या
(ग) तलवार विद्या
(घ) पास विद्या।
उत्तर:
(ख) धनुर्विद्या
प्रश्न 4.
कुत्ते का मुँह वाणों से किसने भर दिया ?
(क) एकलव्य ने
(ख) एकत्नय ने
(ग) एकरस ने
(घ) एक लता ने।
उत्तर:
(क) एकलव्य ने
प्रश्न 5.
एकलव्य के गुरु कौन थे ?
(क) गुरु वशिष्ट
(ख) गुरु अर्जुन देव
(ग) गुरु द्रोणाचार्य
(घ) गुरु वशिष्ट।
उत्तर:
(ग) गुरु द्रोणाचार्य
श्रद्धा और अभ्यास Summary
श्रद्धा और अभ्यास पाठ का सार
महाभारत के समय की बात है। पाँचों पाण्डव और कौरव पत्र दुर्योधन तथा दुशासन आदि गुरु द्रोणाचार्य के पास दूर जंगल में उनके आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते थे। एक दिन जब वे सभी गुरु द्रोणाचार्य के साथ धनुर्विद्या प्राप्त कर रहे थे तो एक बनवासी बड़ी श्रद्धा से उन्हें देख रहा था। बनवासी बालक ने अर्जुन की धनुर्विद्या देखकर प्रण किया कि वह भी अर्जुन की तरह महान् धनुर्धर बनेगा। वह चुपचाप अपनी कुटिया में लौट आया। उसने मिट्टी की एक मूर्ति बनाई और वह रोज़ उस मूर्ति को प्रणाम करता और फिर धनुष चलाने का अभ्यास करता।
समय बीतता गया फिर एक दिन द्रोणाचार्य अपने आश्रम में शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे कि अचानक एक कुत्ता आश्रम में आया जिसका मुँह बाणों से भरा हुआ था और उसकी आवाज़ भी नहीं निकल रही थी। सभी यह देखकर हैरान रह गए। सभी के मन में उस धनुर्धारी को देखने की इच्छा हुई। सभी उसे देखने के लिए जंगल में निकल पड़े। कुछ दूरी पर जाकर उन्होंने देखा कि एक बालक अपने अभ्यास में लीन था। वह इतना मग्न था कि उसे इनके आने का पता भी नहीं चला। द्रोणाचार्य ने उस बालक से पूछा कि तुम कौन हो? बालक गुरु द्रोणाचार्य को सामने देखकर मुंह से कुछ न बोल सका बस उन्हें . एकटक देखता रह गया। गुरु ने फिर पूछा कि बालक तुम कौन हो? तुम्हारा गुरु कौन है? उस कुत्ते को तुमने दंड क्यों दिया? बालक ने उन्हें प्रणाम किया और कहा कि गुरुवर मैं एक साधारण बनवासी हूँ। मेरे गुरु आप हैं। गुरु द्रोणाचार्य ने हैरान होते हुए कहा कि मैंने तो तुम्हें शिक्षा नहीं दी है? फिर मैं कैसे तुम्हारा गुरु हआ? बालक ने उत्तर दिया कि मैंने आपको मन में अपना गुरु मानकर आपकी एक प्रतिमा बनाई और उसी के सामने मैं अभ्यास करता हूँ। कुत्ते के बारे में पूछने पर उसने बताया कि यह कुत्ता भौंक-भौंक कर मेरे कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहा था इसलिए मैंने उसका मुँह ही बन्द कर दिया।
गुरु के प्रति ऐसी श्रद्धा और अपने काम के प्रति इतनी लगन देखकर सभी हैरान थे। यह बालक था एकलव्य जो अपने अभ्यास और श्रद्धा के बल पर महान् बना। सच है कि श्रद्धा, विश्वास और लगन तथा परिश्रम से कोई भी कार्य कठिन नहीं रह जाता।
कठिन शब्दों के अर्थ:
काल = समय। आश्रम = साधु, संन्यासियों के रहने का स्थान। धनुर्विद्या = धनुष चलाने की शिक्षा। सर्वोत्तम = सबसे अच्छा। गद्गद् = खुश। बनवासी = जंगल में वास (रहने) करने वाला। कुटिया = झोंपड़ी। एकांत = जहाँ कोई न हो, अकेले में। सानिध्य = पास। सम्मुख = सामने। प्रमाण = सबूत। प्रबल = तेज़। तल्लीन = मग्न। एकाग्रता = एकचित्त होना, एक केन्द्र पर मन लगना। धन्य = आनन्दित। एकटक = बिना पलक झपके, लगातार। निहारता = देखता। दण्ड = सजा। दण्डवत = लेट कर प्रणाम करना। जिज्ञासा = जानने की इच्छा। प्रतिमा = मूर्ति। समर्पण = त्याग। चकित = हैरान। परिश्रम = मेहनत।