Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 3 16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 3 16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा
निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
राजनीतिक दशा (Political Condition)
प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी के जन्म समय ( 16वीं शताब्दी के आरंभ में) पंजाब की राजनीतिक दशा का वर्णन करो।
(Describe the political condition of Punjab at the time (In the beginning of the 16th century) of Guru Nanak Dev Ji’s birth.)
अथवा
बाबर के पंजाब पर किए गए आक्रमणों की संक्षिप्त जानकारी देते हुए उसकी सफलता के कारण बताएँ।
(While describing briefly the invasions of Babur over Punjab, explain the causes of his success.)
अथवा
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक अवस्था का वर्णन करें।
(Describe the political condition of Punjab in the beginning of 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा बहुत दयनीय थी। पंजाब षड्यंत्रों का अखाड़ा बना हुआ था। उस समय पंजाब दिल्ली सल्तनत के अधीन था। इस पर लोधी वंश के सुल्तानों का शासन था। 16वीं शताब्दी के आरंभ में राजनीतिक दशा का शाब्दिक चित्रण निम्नलिखित अनुसार है—
लोधियों के अधीन पंजाब (The Punjab under the Lodhis)
1. ततार खाँ लोधी (Tatar Khan Lodhi)-1469 ई० में दिल्ली के सुल्तान बहलोल लोधी ने ततार खाँ लोधी को पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया। वह इस पद पर 1485 ई० तक रहा। उसने बहुत कठोरता पूर्वक पंजाब पर शासन किया। 1485 ई० में ततार खाँ लोधी ने सुल्तान बहलोल लोधी के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। सुल्तान ने अपने शहज़ादे निज़ाम खाँ को ततार खाँ के विद्रोह का दमन करने के लिए भेजा। ततार खाँ निज़ाम खाँ से लड़ता हुआ मारा गया।
2. दौलत खाँ लोधी (Daulat Khan Lodhi)-दौलत खाँ लोधी ततार खाँ लोधी का पुत्र था। उसे 1500 ई० में नए सुल्तान सिकंदर लोधी ने पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया। वह सिकंदर लोधी के शासनकाल में तो पूर्ण रूप से वफ़ादार रहा परंतु सुल्तान इब्राहीम के शासनकाल में वह स्वतंत्र होने के स्वप्न देखने लगा। इस संबंध में उसने, आलम खाँ लोधी जो कि इब्राहीम का सौतेला भाई था, के साथ मिलकर षड्यंत्र करने आरंभ कर दिए थे। जब इन षड्यंत्रों के संबंध में इब्राहीम लोधी को ज्ञात हुआ, तो उसने दौलत खाँ के पुत्र दिलावर खाँ को बंदी बना लिया। शीघ्र ही दिलावर खाँ पुनः पंजाब पहुँचने में सफल हो गया। यहाँ पहुँचकर उसने अपने पिता दौलत खाँ को दिल्ली में उसके साथ किए गए दुर्व्यवहार के संबंध में बताया। दौलत खाँ लोधी ने इस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया।
3. प्रजा की दशा (Condition of Subject)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में प्रजा की दशा बहुत दयनीय थी। शासक वर्ग का प्रजा की ओर ध्यान ही नहीं था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट हो चुके थे। चारों ओर रिश्वत का बोलबाला था। हिंदुओं पर अत्याचार बहुत बढ़ गए थे। उन्हें तलवार की नोक पर बलपूर्वक इस्लाम धर्म में शामिल किया जाता था। संक्षिप्त में उस समय चारों ओर अत्याचार, छल-कपट और भ्रष्टाचार फैला हुआ था। गुरु नानक देव जी ने वार माझ में इस प्रकार लिखा है—
काल काति राजे कसाई धर्म पंख कर उडरिया॥
कूड़ अमावस सच्च चंद्रमा दीसै नाहि कह चढ़िया॥
बाबर के आक्रमण
(Invasions of Babur)
1519 ई० से 1526 ई० के मध्य पंजाब को अपने अधिकार में लेने के लिए एक त्रिकोणीय संघर्ष आरंभ हो गया। यह संघर्ष इब्राहीम लोधी, दौलत खाँ लोधी तथा बाबर के बीच आरंभ हुआ। इस संघर्ष में अंततः बाबर विजयी हुआ। बाबर का जन्म मध्य एशिया में स्थित फरगना की राजधानी, अंदीजान में 14 फरवरी, 1483 ई० को हुआ था। वह तैमूर वंश से संबंध रखता था। बाबर ने भारत पर अपने साम्राज्य के विस्तार, भारतीय धन लूटने तथा भारत में इस्लाम के प्रसार के उद्देश्य से आक्रमण किए।
1. बाबर के प्रथम दो आक्रमण (First Two Invasions of Babur)—बाबर ने 1519 ई० में पंजाब पर दो बार आक्रमण किए। क्योंकि ये आक्रमण पंजाब के सीमावर्ती इलाकों पर किए गए थे। इसलिए इनका कोई विशेष महत्त्व नहीं है।
2. बाबर का तीसरा आक्रमण 1520 ई० (Third Invasion of Babur 1520 A.D.)-बाबर ने 1520 ई० में पंजाब पर तीसरी बार आक्रमण किया। इस आक्रमण के दौरान बाबर ने सैदपुर पर आक्रमण किया। बाबर ने बहुसंख्या में निर्दोष लोगों की हत्या कर दी और उन्हें बेरहमी से लूटा। हज़ारों लोगों को बंदी बना लिया गया। गुरु नानक देव जी जो इस समय सैदपुर में ही थे, ने बाबर के इस आक्रमण की तुलना पाप की बारात के साथ की है। उन्होंने बाबर के अत्याचारों का वर्णन ‘बाबर वाणी’ में इस प्रकार किया है
खुरासान खसमाना किया, हिंदुस्तान डराया॥
आपे दोस न देई कर्ता, जम करि मुगल चढ़ाया।
ऐती मार पई करलाणै, तैं की दर्द न आया॥
बाबर की सेनाओं ने गुरु नानक देव जी को भी बंदी बना लिया था। तत्पश्चात् जब बाबर को यह ज्ञात हुआ कि उसकी सेनाओं ने किसी संत-महापुरुष को बंदी बनाया है, तो उसने शीघ्र उनकी रिहाई का आदेश दिया।
3. बाबर का चौथा आक्रमण 1524 ई० (Fourth Invasion of Babur 1524 A.D.)—पंजाब के गवर्नर दौलत खाँ लोधी के निमंत्रण पर बाबर ने 1524 ई० में पंजाब पर चौथा आक्रमण किया। वह बिना किसी विशेष विरोध के लाहौर तक पहुँच गया था। लाहौर के पश्चात् उसने दौलत खाँ लोधी के सहयोग से दीपालपुर पर अधिकार कर लिया। इसके पश्चात् बाबर ने समस्त जालंधर दोआब को अपने अधिकार में ले लिया। बाबर ने जालंधर दोआब तथा सुल्तानपुर के प्रदेशों का शासन दौलत खाँ को सौंपा। क्योंकि यह दौलत खाँ की उम्मीदों से बहुत कम था, इसलिए उसने बाबर के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। बाबर ने उसे पराजित कर दिया तो वह शिवालिक की पहाड़ियों की ओर भाग गया। बाबर के काबुल लौटने के पश्चात् शीघ्र ही दौलत खाँ ने पुनः पंजाब पर अधिकार कर लिया।
4. बाबर का पाँचवाँ आक्रमण 1525-26 (Fifth Invasion of Babur 1525-26 A.D.)-बाबर ने दौलत खाँ को पाठ पढ़ाने के लिए नवंबर 1525 ई० में भारत पर पाँचवीं बार आक्रमण किया। बाबर के आगमन का समाचार पाकर दौलत खाँ ज़िला होशियारपुर में स्थित मलोट के दुर्ग में जाकर छुप गया। बाबर ने दुर्ग को घेरे में ले लिया। दौलत खाँ ने कुछ सामना करने के पश्चात् अपने शस्त्र फैंक दिए। इस प्रकार बाबर ने एक बार फिर समूचे पंजाब को अपने अधिकार में ले लिया। पंजाब की विजय से प्रोत्साहित होकर बाबर ने अपनी सेनाओं को दिल्ली की ओर बढ़ने का आदेश दिया। जब इब्राहीम लोधी को इस संबंध में समाचार मिला तो वह बाबर का सामना करने के लिए पंजाब की ओर चल पड़ा। 21 अप्रैल, 1526 ई० को दोनों सेनाओं के मध्य पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ। इस युद्ध में इब्राहीम लोधी पराजित हुआ। इस प्रकार भारत में लोधी वंश का अंत हो गया और मुग़ल वंश की स्थापना हुई।
5. बाबर की विजय के कारण (Causes of Babur’s Success)—बाबर की विजय के लिए कई कारण उत्तरदायी थे। प्रथम, इब्राहीम लोधी अपनी प्रजा में बहुत बदनाम था। इस कारण प्रजा ने सुल्तान का साथ न दिया। द्वितीय, उसकी सेना बड़ी निर्बल थी तथा अधिकतर लूट-मार ही करती थी। तृतीय, बाबर एक योग्य सेनापति था। उसकी सेना को कई लड़ाइयों का अनुभव था। चतुर्थ, बाबर के पास तोपखाना था और इब्राहीम के सैनिक तीर कमानों तथा तलवारों के साथ उसका मुकाबला न कर सके। इन कारणों से अफगानों की पराजय हुई तथा बाबर विजयी रहा।
सामाजिक दशा
(Social Condition)
प्रश्न 2.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के समाज की मुख्य विशेषताएँ बयान करो।।
(Discuss the main features of the society of Punjab in the beginning of the 16th century.)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में सामाजिक अवस्था का वर्णन करें। (Discuss the social condition of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक दशा भी बहुत दयनीय थी। उस समय समाज हिंदू और मुसलमान नामक दो मुख्य वर्गों में विभाजित था। मुसलमान शासक वर्ग से संबंध रखते थे, इसलिए उन्हें समाज में विशेष अधिकार प्राप्त थे। दूसरी ओर हिंदू अधिक जनसंख्या में थे परंतु उन्हें लगभग सभी अधिकारों से वंचित रखा गया था। उन्हें काफिर और जिम्मी कहकर पुकारा जाता था। समाज में स्त्रियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उन्हें पुरुषों की जूती समझा जाता था। डॉक्टर जसबीर सिंह आहलुवालिया के अनुसार,
“जिस समय गुरु नानक जी ने अवतार धारण किया तो उस समय से पूर्व ही भारतीय समाज जड़ एवं पतित हो चुका था।”1
1. “When Guru Nanak appeared on the horizon, the Indian society had already become static and decadent.” Dr. Jasbir Singh Ahluwalia, Creation of Khalsa : Fulfilment of Guru Nanak’s Mission (Patiala : 1999) p. 19.
मुस्लिम समाज की विशेषताएँ (Features of the Muslim Society)
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के मुस्लिम समाज की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. समाज तीन वर्गों में विभाजित था (Society was divided into Three Classes)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का मुस्लिम समाज उच्च वर्ग, मध्य वर्ग और निम्न वर्ग में विभाजित था।
- उच्च वर्ग (The Upper Class)-इस वर्ग में अमीर, खान, शेख़, मलिक, इकतादार, उलमा और काजी इत्यादि शामिल थे। इस वर्ग के लोग बहुत ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। वे बहुत भव्य महलों में निवास करते थे। उच्च श्रेणी के लोगों की सेवा के लिए बड़ी संख्या में नौकर होते थे।
- मध्य वर्ग (The Middle Class)-इस श्रेणी में सैनिक, व्यापारी, कृषक, विद्वान्, लेखक और राज्य के छोटे कर्मचारी शामिल थे। उनके जीवन तथा उच्च वर्ग के लोगों के जीवन-स्तर में बहुत अंतर था। किंतु हिंदुओं की तुलना में वे बहुत अच्छा जीवन बिताते थे।
- निम्न वर्ग (The Lower Class)—इस वर्ग में दास-दासियाँ, नौकर और श्रमिक शामिल थे। इनकी संख्या बहुत अधिक थी। उनका जीवन अच्छा नहीं था। उनके स्वामी उन पर बहुत अत्याचार करते थे।
2. स्त्रियों की दशा (Position of Women)-मुस्लिम समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। वे बहुत कम शिक्षित होती थीं। बहु-विवाह और तलाक प्रथा ने उनकी दशा और दयनीय बना दी थी।
3. भोजन (Diet)-उच्च वर्ग के मुसलमान कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन खाते थे। वे माँस, हलवा, पडी और मक्खन इत्यादि का बहुत प्रयोग करते थे। उनमें मदिरापान की प्रथा सामान्य हो गई थी। मदिरा के अतिरिक्त वे अफीम और भाँग का भी प्रयोग करते थे। निम्न वर्ग से संबंधित लोगों का भोजन साधारण होता था।
4. पहनावा (Dress)-उच्च वर्ग के मुसलमानों के वस्त्र बहुमूल्य होते थे। ये वस्त्र रेशम और मखमल से निर्मित थे। निम्न वर्ग के लोग सूती वस्त्र पहनते थे। पुरुषों में कुर्ता और पायजामा पहनने की, जबकि स्त्रियों में लंबा बुर्का पहनने की प्रथा थी।
5. शिक्षा (Education)-16वीं शताब्दी के आरंभ में मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य उलमा और मौलवी करते थे। वे मस्जिदों, मकतबों और मदरसों में शिक्षा देते थे। मस्जिदों और मकतबों में प्रारंभिक शिक्षा दी जाती थी, जबकि मदरसों में उच्च शिक्षा। उस समय मुसलमानों के पंजाब में सबसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र लाहौर और मुलतान में थे।
6. मनोरंजन के साधन (Means of Entertainment)-मुसलमान अपना मनोरंजन कई साधनों से करते थे। वे शिकार करने, चौगान खेलने, जानवरों की लड़ाइयाँ देखने और घुड़दौड़ में भाग लेने के बहुत शौकीन थे। वे शतरंज और चौपड़ खेलकर भी अपना मनोरंजन करते थे।
हिंदू समाज की विशेषताएँ (Features of the Hindu Society)
16वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदू समाज की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. जाति प्रथा (Caste System)-हिंदू समाज कई जातियों व उप-जातियों में विभाजित था। समाज में सर्वोच्च स्थान ब्राह्मणों को प्राप्त था। मुस्लिम शासन की स्थापना कारण ब्राह्मणों के प्रभाव में बहुत कमी आ गयी थी। इसा कारण अर्थात् मुस्लिम शासन के कारण ही क्षत्रियों ने नए व्यवसाय जैसे दुकानदारी, कृषि इत्यादि अपना लिए थे। वैश्य व्यापार और कृषि का ही व्यवसाय करते थे। शूद्रों के साथ इस काल में दुर्व्यवहार किया जाता था। इन जातियों के अतिरिक्त समाज में बहुत-सी अन्य जातियाँ एवं उप-जातियाँ प्रचलित थीं। ये जातियाँ परस्पर बहुत घृणा करती थीं।
2. स्त्रियों की दशा (Position of Women)-हिंदू समाज में स्त्रियों की दशा बहुत अच्छी नहीं थी। समाज में उनका स्तर पुरुषों के समान नहीं था। लड़कियों की शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। उनका अल्पायु में ही विवाह कर दिया जाता था। इस काल में सती प्रथा बहुत ज़ोरों पर थी। विधवा को पुनर्विवाह करने की अनुमति नहीं थी।
3. खान-पान (Diet)-हिंदुओं का भोजन साधारण होता था। अधिकाँश हिंदू शाकाहारी होते थे। उनका भोजन गेहूँ, चावल, सब्जियाँ, घी और दूध इत्यादि से तैयार किया जाता था। वे माँस, लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं करते थे। ग़रीब लोगों का भोजन बहुत साधारण होता था।
4. पहनावा (Dress)-हिंदुओं का पहनावा बहुत साधारण होता था। वे प्रायः सूती वस्त्र पहनते थे। पुरुष धोती और कुर्ता पहनते थे। वे सिर पर पगड़ी भी बाँधते थे। स्त्रियाँ साड़ी, चोली और लहंगा पहनती थीं। निर्धन लोग चादर से ही अपना शरीर ढाँप लेते थे।
5. मनोरंजन के साधन (Means of Entertainment)-हिंदू नृत्य, गीत और संगीत के बहुत शौकीन थे। वे ताश और शतरंज भी खेलते थे। गाँवों के लोग जानवरों की लडाइयाँ और मल्लयद्ध देखकर अपना मनोरंजन करते थे। इनके अतिरिक्त हिंदू अपने त्यौहारों दशहरा, दीवाली, होली आदि में भी भाग लेते थे।
6. शिक्षा (Education)-हिंदू लोग ब्राह्मणों से मंदिरों और पाठशालाओं में शिक्षा प्राप्त करते थे। इनमें प्रारंभिक शिक्षा के संबंध में जानकारी दी जाती थी। पंजाब में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु हिंदुओं का कोई केंद्र नहीं था।
उपरलिखित विवरण से स्पष्ट है कि 16वीं शताब्दी के आरंभ में मुस्लिम और हिंदू समाज में अनेक कुप्रथाएँ प्रचलित थीं। समाज में झूठ, धोखा, छल और कपट इत्यादि का बोलबाला था। लोगों के चरित्र का पतन हो चुका था। उनमें मानवता नाम की कोई चीज़ नहीं रही थी। डॉक्टर ए० सी० बैनर्जी का यह कहना बिल्कुल सही है,
“यह अनिश्चितता तथा हलचल का लंबा अंधकारमय काल था जिसने लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने भद्दे दाग छोड़े।”2
2. “It was a long, dark age of uncertainty and restlessness, leaving its ugly scars on all aspects of people’s life.” Dr. A.C. Banerjee, Guru Nanak and His Times (Patiala : 1984) p. 19.
प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी के जन्म समय पंजाब की राजनीतिक तथा सामाजिक दशा का वर्णन करें।
(Explain the political and social conditions of Punjab at the birth of Guru Nanak Dev Ji.)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक तथा सामाजिक दशा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(Give a brief account of the political and social conditions of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा बहुत दयनीय थी। पंजाब षड्यंत्रों का अखाड़ा बना हुआ था। उस समय पंजाब दिल्ली सल्तनत के अधीन था। इस पर लोधी वंश के सुल्तानों का शासन था। 16वीं शताब्दी के आरंभ में राजनीतिक दशा का शाब्दिक चित्रण निम्नलिखित अनुसार है—
लोधियों के अधीन पंजाब (The Punjab under the Lodhis)
1. ततार खाँ लोधी (Tatar Khan Lodhi)-1469 ई० में दिल्ली के सुल्तान बहलोल लोधी ने ततार खाँ लोधी को पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया। वह इस पद पर 1485 ई० तक रहा। उसने बहुत कठोरता पूर्वक पंजाब पर शासन किया। 1485 ई० में ततार खाँ लोधी ने सुल्तान बहलोल लोधी के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। सुल्तान ने अपने शहज़ादे निज़ाम खाँ को ततार खाँ के विद्रोह का दमन करने के लिए भेजा। ततार खाँ निज़ाम खाँ से लड़ता हुआ मारा गया।
2. दौलत खाँ लोधी (Daulat Khan Lodhi)-दौलत खाँ लोधी ततार खाँ लोधी का पुत्र था। उसे 1500 ई० में नए सुल्तान सिकंदर लोधी ने पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया। वह सिकंदर लोधी के शासनकाल में तो पूर्ण रूप से वफ़ादार रहा परंतु सुल्तान इब्राहीम के शासनकाल में वह स्वतंत्र होने के स्वप्न देखने लगा। इस संबंध में उसने, आलम खाँ लोधी जो कि इब्राहीम का सौतेला भाई था, के साथ मिलकर षड्यंत्र करने आरंभ कर दिए थे। जब इन षड्यंत्रों के संबंध में इब्राहीम लोधी को ज्ञात हुआ, तो उसने दौलत खाँ के पुत्र दिलावर खाँ को बंदी बना लिया। शीघ्र ही दिलावर खाँ पुनः पंजाब पहुँचने में सफल हो गया। यहाँ पहुँचकर उसने अपने पिता दौलत खाँ को दिल्ली में उसके साथ किए गए दुर्व्यवहार के संबंध में बताया। दौलत खाँ लोधी ने इस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया।
3. प्रजा की दशा (Condition of Subject)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में प्रजा की दशा बहुत दयनीय थी। शासक वर्ग का प्रजा की ओर ध्यान ही नहीं था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट हो चुके थे। चारों ओर रिश्वत का बोलबाला था। हिंदुओं पर अत्याचार बहुत बढ़ गए थे। उन्हें तलवार की नोक पर बलपूर्वक इस्लाम धर्म में शामिल किया जाता था। संक्षिप्त में उस समय चारों ओर अत्याचार, छल-कपट और भ्रष्टाचार फैला हुआ था। गुरु नानक देव जी ने वार माझ में इस प्रकार लिखा है—
काल काति राजे कसाई धर्म पंख कर उडरिया॥
कूड़ अमावस सच्च चंद्रमा दीसै नाहि कह चढ़िया॥
आर्थिक दशा
(Economic Condition)
प्रश्न 4.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की कृषि, व्यापार तथा उद्योगों के संबंध में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about agriculture, trade and industries of the Punjab in the beginning of the sixteenth century ?)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की आर्थिक दशा की मुख्य विशेषताएँ बयान करो।
(Describe the main features of the economic condition of Punjab in the beginning of the sixteenth century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों की आर्थिक दशा बहुत अच्छी थी। उपजाऊ भूमि, विकसित व्यापार तथा लोगों के परिश्रम ने पंजाब को एक समृद्ध प्रदेश बना दिया। 16वीं शताब्दी के पंजाब के लोगों के आर्थिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है—
1. कृषि (Agriculture)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। पंजाब की भूमि बहुत उपजाऊ थी। सिंचाई के लिए कृषक मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर करते थे किंतु नहरों, तालाबों और कुओं का प्रयोग भी किया जाता था। यहाँ पर फसलों की भरपूर पैदावार होती थी। यहाँ की मुख्य फसलें गेहूँ, कपास, जौ, मकई, चावल और गन्ना थीं। फसलों की भरपूर उपज होने के कारण पंजाब को भारत का अन्न भंडार कहा जाता था।
2. उद्योग (Industries)-कृषि के पश्चात् पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय उद्योग था। ये उद्योग सरकारी भी थे और व्यक्तिगत भी। पंजाब के उद्योगों में वस्त्र उद्योग सर्वाधिक प्रसिद्ध था। यहाँ सूती, ऊनी और रेशमी तीनों प्रकार के वस्त्र निर्मित होते थे। समाना, सुनाम, सरहिंद, दीपालपुर, जालंधर, लाहौर और मुलतान इस उद्योग के प्रसिद्ध केंद्र थे। कपड़ा उद्योग के अतिरिक्त उस समय पंजाब में चमड़ा, शस्त्र, बर्तन, हाथी दाँत और खिलौने इत्यादि बनाने के लिए उद्योग भी प्रचलित थे।
3. पशु पालन (Animal Rearing)-पंजाब के कुछ लोग पशु पालन का व्यवसाय करते थे। पंजाब में पालतू रखे जाने वाले मुख्य पशु गाय, बैल, भैंसे, घोड़े, खच्चर, ऊँट, भेड़ें और बकरियाँ इत्यादि थे। इन पशुओं से दूध, ऊन और भार ढोने का काम लिया जाता था।
4. व्यापार (Trade) पंजाब का व्यापार काफ़ी विकसित था। व्यापार का कार्यकछ विशेष श्रेणियों के हाथ में होता था। हिंदुओं की क्षत्रिय, महाजन, बनिया, सूद और अरोड़ा नामक जातियाँ तथा मुसलमानों में बोहरा और खोजा नामक जातियाँ व्यापार का कार्य करती थीं। माल के परिवहन का कार्य बनजारे करते थे। पंजाब का विदेशी व्यापार मुख्य रूप से अफ़गानिस्तान, ईरान, अरब, सीरिया, तिब्बत, भूटान और चीन इत्यादि देशों के साथ होता था। पंजाब से इन देशों को अनाज, वस्त्र, कपास, रेशम और चीनी निर्यात की जाती थी। इन देशों से पंजाब घोड़े, फर, कस्तूरी और मेवे आयात करता था।
5. व्यापारिक नगर (Commercial Towns)-16वीं शताब्दी के आरंभ में लाहौर और मुलतान पंजाब के दो सर्वाधिक प्रसिद्ध व्यापारिक नगर थे। इनके अतिरिक्त पेशावर, जालंधर, लुधियाना, फिरोज़पुर, सुल्तानपुर, सरहिंद, स्यालकोट, कुल्लू, चंबा और काँगड़ा भी व्यापारिक दृष्टि से पंजाब के प्रसिद्ध नगर थे।
6. जीवन स्तर (Standard of Living)-उस समय पंजाब के लोगों के जीवन स्तर में बहुत अंतर था। मुसलमानों के उच्च वर्ग के लोगों के पास धन का बाहुल्य था। हिंदुओं के उच्च वर्ग के पास धन तो बहुत था, किंतु मुसलमान उनसे यह धन लूट कर ले जाते थे। समाज के मध्य वर्ग में मुसलमानों का जीवन स्तर तो अच्छा था, परंतु हिंदू अपना निर्वाह बहुत मुश्किल से करते थे। समाज में निर्धनों और कृषकों का जीवन-स्तर निम्न था। वे प्रायः साहूकारों के ऋणी रहते थे।
प्रश्न 5.
सोलहवीं शताब्दी में पंजाब के लोगों की सामाजिक व आर्थिक दशा कैसी थी ?
(What were the social and economic condition of people of Punjab in 16th century ?)
अथवा
सोलहवीं सदी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक और आर्थिक हालत का वर्णन करें।
(What were the social and economic condition of Punjab in the beginning of 16th century ? Discuss it.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक दशा भी बहुत दयनीय थी। उस समय समाज हिंदू और मुसलमान नामक दो मुख्य वर्गों में विभाजित था। मुसलमान शासक वर्ग से संबंध रखते थे, इसलिए उन्हें समाज में विशेष अधिकार प्राप्त थे। दूसरी ओर हिंदू अधिक जनसंख्या में थे परंतु उन्हें लगभग सभी अधिकारों से वंचित रखा गया था। उन्हें काफिर और जिम्मी कहकर पुकारा जाता था। समाज में स्त्रियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उन्हें पुरुषों की जूती समझा जाता था। डॉक्टर जसबीर सिंह आहलुवालिया के अनुसार,
“जिस समय गुरु नानक जी ने अवतार धारण किया तो उस समय से पूर्व ही भारतीय समाज जड़ एवं पतित हो चुका था।”1
1. “When Guru Nanak appeared on the horizon, the Indian society had already become static and decadent.” Dr. Jasbir Singh Ahluwalia, Creation of Khalsa : Fulfilment of Guru Nanak’s Mission (Patiala : 1999) p. 19.
मुस्लिम समाज की विशेषताएँ (Features of the Muslim Society)
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के मुस्लिम समाज की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. समाज तीन वर्गों में विभाजित था (Society was divided into Three Classes)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का मुस्लिम समाज उच्च वर्ग, मध्य वर्ग और निम्न वर्ग में विभाजित था।
- उच्च वर्ग (The Upper Class)-इस वर्ग में अमीर, खान, शेख़, मलिक, इकतादार, उलमा और काजी इत्यादि शामिल थे। इस वर्ग के लोग बहुत ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। वे बहुत भव्य महलों में निवास करते थे। उच्च श्रेणी के लोगों की सेवा के लिए बड़ी संख्या में नौकर होते थे।
- मध्य वर्ग (The Middle Class)-इस श्रेणी में सैनिक, व्यापारी, कृषक, विद्वान्, लेखक और राज्य के छोटे कर्मचारी शामिल थे। उनके जीवन तथा उच्च वर्ग के लोगों के जीवन-स्तर में बहुत अंतर था। किंतु हिंदुओं की तुलना में वे बहुत अच्छा जीवन बिताते थे।
- निम्न वर्ग (The Lower Class)—इस वर्ग में दास-दासियाँ, नौकर और श्रमिक शामिल थे। इनकी संख्या बहुत अधिक थी। उनका जीवन अच्छा नहीं था। उनके स्वामी उन पर बहुत अत्याचार करते थे।
2. स्त्रियों की दशा (Position of Women)-मुस्लिम समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। वे बहुत कम शिक्षित होती थीं। बहु-विवाह और तलाक प्रथा ने उनकी दशा और दयनीय बना दी थी।
3. भोजन (Diet)-उच्च वर्ग के मुसलमान कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन खाते थे। वे माँस, हलवा, पडी और मक्खन इत्यादि का बहुत प्रयोग करते थे। उनमें मदिरापान की प्रथा सामान्य हो गई थी। मदिरा के अतिरिक्त वे अफीम और भाँग का भी प्रयोग करते थे। निम्न वर्ग से संबंधित लोगों का भोजन साधारण होता था।
4. पहनावा (Dress)-उच्च वर्ग के मुसलमानों के वस्त्र बहुमूल्य होते थे। ये वस्त्र रेशम और मखमल से निर्मित थे। निम्न वर्ग के लोग सूती वस्त्र पहनते थे। पुरुषों में कुर्ता और पायजामा पहनने की, जबकि स्त्रियों में लंबा बुर्का पहनने की प्रथा थी।
5. शिक्षा (Education)-16वीं शताब्दी के आरंभ में मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य उलमा और मौलवी करते थे। वे मस्जिदों, मकतबों और मदरसों में शिक्षा देते थे। मस्जिदों और मकतबों में प्रारंभिक शिक्षा दी जाती थी, जबकि मदरसों में उच्च शिक्षा। उस समय मुसलमानों के पंजाब में सबसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र लाहौर और मुलतान में थे।
6. मनोरंजन के साधन (Means of Entertainment)-मुसलमान अपना मनोरंजन कई साधनों से करते थे। वे शिकार करने, चौगान खेलने, जानवरों की लड़ाइयाँ देखने और घुड़दौड़ में भाग लेने के बहुत शौकीन थे। वे शतरंज और चौपड़ खेलकर भी अपना मनोरंजन करते थे।
हिंदू समाज की विशेषताएँ (Features of the Hindu Society)
16वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदू समाज की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. जाति प्रथा (Caste System)-हिंदू समाज कई जातियों व उप-जातियों में विभाजित था। समाज में सर्वोच्च स्थान ब्राह्मणों को प्राप्त था। मुस्लिम शासन की स्थापना कारण ब्राह्मणों के प्रभाव में बहुत कमी आ गयी थी। इसा कारण अर्थात् मुस्लिम शासन के कारण ही क्षत्रियों ने नए व्यवसाय जैसे दुकानदारी, कृषि इत्यादि अपना लिए थे। वैश्य व्यापार और कृषि का ही व्यवसाय करते थे। शूद्रों के साथ इस काल में दुर्व्यवहार किया जाता था। इन जातियों के अतिरिक्त समाज में बहुत-सी अन्य जातियाँ एवं उप-जातियाँ प्रचलित थीं। ये जातियाँ परस्पर बहुत घृणा करती थीं।
2. स्त्रियों की दशा (Position of Women)-हिंदू समाज में स्त्रियों की दशा बहुत अच्छी नहीं थी। समाज में उनका स्तर पुरुषों के समान नहीं था। लड़कियों की शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। उनका अल्पायु में ही विवाह कर दिया जाता था। इस काल में सती प्रथा बहुत ज़ोरों पर थी। विधवा को पुनर्विवाह करने की अनुमति नहीं थी।
3. खान-पान (Diet)-हिंदुओं का भोजन साधारण होता था। अधिकाँश हिंदू शाकाहारी होते थे। उनका भोजन गेहूँ, चावल, सब्जियाँ, घी और दूध इत्यादि से तैयार किया जाता था। वे माँस, लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं करते थे। ग़रीब लोगों का भोजन बहुत साधारण होता था।
4. पहनावा (Dress)-हिंदुओं का पहनावा बहुत साधारण होता था। वे प्रायः सूती वस्त्र पहनते थे। पुरुष धोती और कुर्ता पहनते थे। वे सिर पर पगड़ी भी बाँधते थे। स्त्रियाँ साड़ी, चोली और लहंगा पहनती थीं। निर्धन लोग चादर से ही अपना शरीर ढाँप लेते थे।
4. मनोरंजन के साधन (Means of Entertainment)-हिंदू नृत्य, गीत और संगीत के बहुत शौकीन थे। वे ताश और शतरंज भी खेलते थे। गाँवों के लोग जानवरों की लडाइयाँ और मल्लयद्ध देखकर अपना मनोरंजन करते थे। इनके अतिरिक्त हिंदू अपने त्यौहारों दशहरा, दीवाली, होली आदि में भी भाग लेते थे।
5. शिक्षा (Education)-हिंदू लोग ब्राह्मणों से मंदिरों और पाठशालाओं में शिक्षा प्राप्त करते थे। इनमें प्रारंभिक शिक्षा के संबंध में जानकारी दी जाती थी। पंजाब में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु हिंदुओं का कोई केंद्र नहीं था।
उपरलिखित विवरण से स्पष्ट है कि 16वीं शताब्दी के आरंभ में मुस्लिम और हिंदू समाज में अनेक कुप्रथाएँ प्रचलित थीं। समाज में झूठ, धोखा, छल और कपट इत्यादि का बोलबाला था। लोगों के चरित्र का पतन हो चुका था। उनमें मानवता नाम की कोई चीज़ नहीं रही थी। डॉक्टर ए० सी० बैनर्जी का यह कहना बिल्कुल सही है,
“यह अनिश्चितता तथा हलचल का लंबा अंधकारमय काल था जिसने लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने भद्दे दाग छोड़े।”2
2. “It was a long, dark age of uncertainty and restlessness, leaving its ugly scars on all aspects of people’s life.” Dr. A.C. Banerjee, Guru Nanak and His Times (Patiala : 1984) p. 19.
धार्मिक अवस्था (Religious Condition)
प्रश्न 6.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों की धार्मिक अवस्था का संक्षिप्त वर्णन करें।
(Give a brief account of the religious condition of the people of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में दो मुख्य धर्म हिंदू धर्म तथा इस्लाम प्रचलित थे। ये दोनों धर्म आगे कई संप्रदायों में विभाजित थे। इनके अतिरिक्त पंजाब में बौद्ध मत तथा जैन मत भी प्रचलित थे। इन धर्मों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है—
1. हिंदू धर्म (Hinduism)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का सबसे प्रमुख धर्म हिंदू धर्म था। हिंदू धर्म वेदों में विश्वास रखता था। 16वीं शताब्दी में पंजाब के लोगों में रामायण तथा महाभारत बहुत लोकप्रिय थे। इस काल के समाज में ब्राह्मणों का प्रभुत्व था। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी संस्कार ब्राह्मणों के बिना अधूरे समझे जाते थे। इस काल में ब्राह्मणों का चरित्र बहुत गिर चुका था। वे अपने स्वार्थों के लिए लोगों को लूटने के उद्देश्य से धर्म की गलत व्याख्या करते थे। वे भोली-भाली जनता को लूटकर बहुत खुशी अनुभव करते थे। उस समय पंजाब में हिंदू धर्म की निम्नलिखित संप्रदाएँ प्रचलित थीं
i) शैव मत (Shaivism)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में शैव मत बहुत लोकप्रिय था। इस मत के लोग शिव के अधिकतर पुजारी थे। उन्होंने स्थान-स्थान पर शिवालय स्थापित किए थे जहाँ शैव मत की शिक्षा दी जाती थी। शैव मत को मानने वाले जोगी कहलाते थे। जोगियों की मुख्य शाखा को नाथपंथी कहा जाता था। इसकी स्थापना गोरखनाथ ने की थी। क्योंकि जोगी कान में छेद करवा कर बड़े-बड़े कुंडल डालते थे इसलिए उन्हें कानफटे जोगी भी कहा जाता था। पंजाब में जोगियों का प्रमुख केंद्र जेहलम में गोरखनाथ का टिल्ला था। जोगियों ने ब्राह्मणों की रस्मों तथा जाति प्रथा के विरुद्ध प्रचार किया।
ii) वैष्णव मत (Vaishnavism)-वैष्णव मत भी पंजाब में काफ़ी लोकप्रिय था। इस मत के लोग विष्णु तथा उसके अवतारों की पूजा करते थे। इस काल में श्री राम तथा श्री कृष्ण को विष्णु का अवतार मान कर उनकी पूजा की जाती थी। इनकी स्मृति में पंजाब में अनेक स्थानों पर विशाल तथा सुंदर मंदिरों का निर्माण किया गया। इस मत के अनुयायी मदिरा तथा माँस आदि का प्रयोग नहीं करते थे।
iii) शक्ति मत (Shaktism)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों में शक्ति मत भी प्रचलित था। इस मत को मानने वाले लोग दुर्गा, काली तथा अन्य देवियों की पूजा करते थे। वे इन देवियों को शक्ति का प्रतीक समझते थे। इन देवियों को प्रसन्न करने के लिए पशुओं की बलि चढ़ाई जाती थी। इन देवियों की स्मृति में अनेक मंदिरों का निर्माण किया गया। इनमें से ज्वालामुखी, चिंतपुरणी, चामुण्डा देवी तथा नैना देवी के मंदिर बहुत प्रसिद्ध थे।
2. इस्लाम (Islam)-इस्लाम की स्थापना हज़रत मुहम्मद साहिब ने 7वीं शताब्दी में मक्का में की थी। उन्होंने समाज में प्रचलित सामाजिक-धार्मिक कुरीतियों का खंडन किया। उन्होंने एक ईश्वर तथा आपसी भ्रातृत्व का संदेश दिया। 16वीं शताब्दी के आरंभ में इस्लाम धर्म का प्रचार बड़ी तीव्र गति से हो रहा था। इसके दो प्रमुख कारण थे। प्रथम, भारत पर शासन करने वाले सभी सुल्तान मुसलमान थे। दूसरा, उन्होंने तलवार की नोक पर लोगों को जबरदस्ती मुसलमान बनाया। इस्लाम के अनुयायी सुन्नी तथा शिया नामक दो संप्रदायों में बंटे हुए थे। सुन्नी मुसलमानों की संख्या अधिक थी तथा वे कट्टर विचारों के थे। मुसलमानों के धार्मिक नेताओं को उलमा कहा जाता था। वे इस्लामी कानूनों की व्याख्या करते थे तथा लोगों को पवित्र जीवन बिताने की प्रेरणा देते थे। वे अन्य धर्मों को घृणा की दृष्टि से देखते थे।
3. सूफ़ी मत (Sufism)-सूफी मत इस्लाम से संबंधित एक संप्रदाय था। यह मत पंजाब में बहुत लोकप्रिय हुआ। यह मत 12 सिलसिलों में बँटा हुआ था। इनमें से चिश्ती तथा सुहरावर्दी सिलसिले पंजाब में बहुत प्रसिद्ध थे। पंजाब में थानेश्वर, हाँसी, नारनौल तथा पानीपत सूफ़ियों के प्रसिद्ध केंद्र थे। इस मत के लोग केवल एक अल्लाह में विश्वास रखते थे। वे सभी धर्मों का आदर करते थे। वे मनुष्य की सेवा करना अपना सबसे बड़ा कर्त्तव्य समझते थे। वे संगीत में विश्वास रखते थे। सूफ़ियों ने हिंदुओं तथा मुसलमानों में आपसी मेलजोल रखने, सुल्तानों को कट्टर नीति का त्याग करने के लिए प्रेरित करने, साहित्य तथा संगीत की उन्नति के लिए प्रशंसनीय योगदान दिया।
4. जैन मत (Jainism)-जैन मत पंजाब के व्यापारी वर्ग में प्रचलित था। इस मत के लोग 24 तीर्थंकरों, त्रिरत्नों, अहिंसा, कर्म सिद्धांत तथा निर्वाण में विश्वास रखते थे। वे ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखते थे।
5. बौद्ध मत (Buddhism)-16वीं शताब्दी में पंजाब में बौद्ध मत को हिंदू धर्म का एक भाग माना जाता था। महात्मा बुद्ध को विष्णु का ही एक अवतार मानते थे। पंजाब के बहुत कम लोग इस मत में शामिल थे।
गुरु नानक देव जी ने अपनी रचनाओं में अनेक स्थानों पर 16वीं शताब्दी के लोगों की धार्मिक अवस्था का वर्णन किया है। उनके अनुसार हिंदू तथा मुसलमान दोनों धर्म बाह्याडंबरों जैसे शरीर पर भस्म मलना, माथे पर तिलक लगाना, कानों में कुंडल डालना, नदी में स्नान करना, रोजे रखना तथा कब्रों आदि की पूजा पर बहुत ज़ोर देते थे। धर्म की वास्तविकता को लोग पूरी तरह से भूल चुके थे। अंत में हम डॉक्टर हरी राम गुप्ता के इन शब्दों से सहमत हैं,
“संक्षेप में गुरु साहिब के आगमन के समय भारत के दोनों धर्म-हिंदू धर्म तथा इस्लाम-भ्रष्टाचारी तथा पतित हो चुके थे। वे अपनी पवित्रता तथा गौरव को गंवा चुके थे।”3
3. “In short, at the time of Guru Nanak’s advent both the religions in India, Hinduism and Islam, had become corrupt and degraded. They had lost their pristine purity and glory.” Dr. H.R. Gupta, History of Sikh Gurus (New Delhi : 1993) p.12.
प्रश्न 7.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक तथा धार्मिक अवस्था का वर्णन करें।
(Describe the social and religious condition of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक दशा भी बहुत दयनीय थी। उस समय समाज हिंदू और मुसलमान नामक दो मुख्य वर्गों में विभाजित था। मुसलमान शासक वर्ग से संबंध रखते थे, इसलिए उन्हें समाज में विशेष अधिकार प्राप्त थे। दूसरी ओर हिंदू अधिक जनसंख्या में थे परंतु उन्हें लगभग सभी अधिकारों से वंचित रखा गया था। उन्हें काफिर और जिम्मी कहकर पुकारा जाता था। समाज में स्त्रियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उन्हें पुरुषों की जूती समझा जाता था। डॉक्टर जसबीर सिंह आहलुवालिया के अनुसार,
“जिस समय गुरु नानक जी ने अवतार धारण किया तो उस समय से पूर्व ही भारतीय समाज जड़ एवं पतित हो चुका था।”1
1. “When Guru Nanak appeared on the horizon, the Indian society had already become static and decadent.” Dr. Jasbir Singh Ahluwalia, Creation of Khalsa : Fulfilment of Guru Nanak’s Mission (Patiala : 1999) p. 19.
संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा कैसी थी ?
(What was the political condition of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक अवस्था ब्यान करें।
(Explain the political condition of Punjab in the beginning of 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा बड़ी खराब थी। लोधी सुल्तानों की ग़लत नीतियों के परिणामस्वरूप यहाँ अराजकता फैली हुई थी। शासक वर्ग भोग-विलास में डूबा रहता था। सरकारी कर्मचारी, काज़ी तथा उलमा भ्रष्ट एवं रिश्वतखोर हो गए थे। मुसलमान हिंदुओं पर बहुत अत्याचार करते थे। उन्हें बलपूर्वक इस्लाम धर्म में सम्मिलित किया जाता था। राज्य की शासन-व्यवस्था भंग होकर रह गई थी। ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर पंजाब के गवर्नर दौलत खाँ लोधी ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया।
प्रश्न 2.
“16वीं सदी के आरंभ में पंजाब त्रिकोणी संघर्ष का अखाड़ा था।” व्याख्या करें।
(“’In the beginning of the 16th century, the Punjab was a cockpit of triangular struggle.” Explain.)
अथवा
16वीं सदी के शुरू में पंजाब ‘त्रिकोणी संघर्ष’ का वर्णन कीजिए।
(Explain the triangular struggle of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
अथवा
पंजाब के तिकोने (त्रिकोने) संघर्ष के बारे में आप क्या जानते हैं ? (P.S.E.B. June 2017) (What do you know about the triangular struggle in Punjab ?)
अथवा
16वीं सदी के शुरू में पंजाब में हुए त्रिकोणीय संघर्ष के बारे में संक्षेप में लिखें।
(Write in brief about the triangular struggle of the Punjab in the beginning of the 16th country.)
उत्तर-
16वीं सदी के आरंभ में पंजाब त्रिकोणे संघर्ष का अखाड़ा था। यह त्रिकोणा संघर्ष काबुल के शासक बाबर, दिल्ली के शासक इब्राहीम लोधी तथा पंजाब के सूबेदार दौलत खाँ लोधी के मध्य चल रहा था। दौलत खाँ लोधी पंजाब का स्वतंत्र शासक बनना चाहता था। इस संबंध में जब इब्राहीम लोधी को पता चला तो उसने दौलत खाँ के पुत्र दिलावर खाँ को बंदी बनाकर कारावास में डाल दिया। दौलत खाँ ने इस अपमान का बदला लेने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया। इस त्रिकोणे संघर्ष के अंत में बाबर की जीत हुई।
प्रश्न 3.
दौलत खाँ लोधी कौन था ? (Who was Daulat Khan Lodhi ? )
अथवा
दौलत खाँ लोधी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Daulat Khan Lodhi.)
उत्तर-
दौलत खाँ लोधी 1500 ई० में पंजाब का सूबेदार नियुक्त हुआ था। वह पंजाब में स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने के स्वप्न देख रहा था। इस संबंध में जब इब्राहीम लोधी को पता चला तो उसने दौलत खाँ लोधी को शाही दरबार में उपस्थित होने को कहा। दौलत खाँ ने अपने छोटे पुत्र दिलावर खाँ को दिल्ली भेज दिया। दिलावर खाँ को दिल्ली पहुँचते ही बंदी बना लिया गया। शीघ्र ही वह किसी प्रकार कारागार से भागने में सफल हो गया। दौलत खाँ लोधी ने इस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया।
प्रश्न 4.
बाबर के भारत पर आक्रमण के कोई तीन कारण लिखें। (Write any three causes of the invansions of Babur over India.)
उत्तर-
- बाबर अपने सामग्रज्य का विस्तार करना चाहता था।
- वह भारत से अतुल्य संपदा लूटना चाहता था।
- वह भारत में इस्लाम का प्रसार करना चाहता था।
प्रश्न 5.
बाबर ने सैदपुर पर कब आक्रमण किया ? सिख इतिहास में इस आक्रमण का क्या महत्त्व है ? (When did Babar invade Saidpur ? What is its importance in Sikh History ?)
अथवा
बाबर के पंजाब के तीसरे हमले का संक्षिप्त वर्णन करें। (Give a brief account of Babur’s third invasion over Punjab.)
उत्तर-
बाबर ने सैदपुर पर 1520 ई० में आक्रमण किया यहाँ के लोगों ने बाबर का सामना किया। फलस्वरूप बाबर ने क्रोधित होकर बड़ी संख्या में लोगों की हत्या कर दी और उनके मकानों एवं महलों को लूटपाट करने के पश्चात् आग लगा दी गई। हज़ारों स्त्रियों को बंदी बना लिया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। गुरु नानक देव जी जो इस समय सैदपुर में ही थे, ने बाबर की सेनाओं द्वारा लोगों पर किए गए अत्याचारों का वर्णन ‘बाबर वाणी’ में किया है। बाबर की सेनाओं ने गुरु नानक देव जी को भी बंदी बना लिया था। बाद में बाबर की सेना ने गुरु जी को रिहा कर दिया।
प्रश्न 6.
पानीपत की पहली लड़ाई का संक्षिप्त विवरण दो।
(Give a brief account of the First Battle of Panipat.)
अथवा
बाबर तथा इब्राहीम लोधी के मध्य युद्ध कब तथा क्यों हुआ ? ।
(Why and when did the battle take place between Babur and Ibrahim Lodhi ?)
अथवा
पानीपत की पहली लड़ाई तथा इसके महत्त्व का संक्षेप में वर्णन करें।
(Explain the First Battle of Panipat and its significance.)
उत्तर-
बाबर ने पंजाब के गवर्नर दौलत खाँ लोधी को सबक सिखाने के लिए नवंबर, 1525 ई० में पंजाब पर पाँचवीं बार आक्रमण किया। दौलत खाँ बाबर के सामने थोड़ा सा डटा परंतु शीघ्र ही उसने अपने हथियार डाल दिए। बाबर ने पंजाब की विजय से प्रोत्साहित होकर दिल्ली की ओर रुख किया। 21 अप्रैल, 1526 ई० को दोनों सेनाओं के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ। इस युद्ध में इब्राहीम लोधी की पराजय हुई। पानीपत की इस निर्णायक विजय के कारण भारत में मुग़ल वंश की स्थापना हुई।
प्रश्न 7.
पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर क्यों विजयी रहा ? (What led to the victory of Babur in the First Battle of Panipat ?)
अथवा
भारत में बाबर की विजय और अफ़गानों की पराजय के कारणों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(Give a brief account of the causes of victory of Babur and defeat of the Afghans in India.)
उत्तर-
- दिल्ली का सुल्तान इब्राहीम लोधी अपने दुर्व्यवहार और अत्याचार के कारण बहुत बदनाम था।
- इब्राहीम लोधी की सेना बहुत निर्बल थी।
- बाबर एक योग्य सेनापति था। उसको युद्धों का काफ़ी अनुभव था।
- बाबर द्वारा तोपखाने के प्रयोग ने भारी तबाही मचाई।
प्रश्न 8.
पानीपत की प्रथम लड़ाई के तीन मुख्य परिणाम लिखें। (Write the three main results of the first battle of Panipat.)
उत्तर-
- लोधी वंश का अंत हो गया।
- मुग़ल साम्राज्य की स्थापना हो गई।
- नई युद्ध प्रणाली का आरंभ हुआ।
प्रश्न 9.
गुरु नानक देव जी के अनुसार शासक अन्यायकारी क्यों थे? (According to Guru Nanak Dev Ji why the rulers were unjust ?)
उत्तर-
- वे हिंदुओं से ज़जिया एवं तीर्थ यात्रा कर वसूलते थे।
- वे किसानों एवं जनसाधारण पर बहुत अत्याचार करते थे। .
- वे रिश्वत लिए बिना इन्साफ (न्याय) नहीं करते थे।
प्रश्न 10.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक अवस्था कैसी थी?
(What was the social condition of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
गुरु नानक देव जी के जन्म समय पंजाबियों की सामाजिक दशा के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the social condition of Punjab at the time of birth of Guru Nanak Dev ?)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का समाज मुसलमान और हिंदू नामक दो वर्गों में बँटा हुआ था। मुसलमानों को विशेष अधिकार प्राप्त थे क्योंकि वे शासक वर्ग से संबंधित थे। उन्हें राज्य के उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था। दूसरी ओर हिंदुओं को लगभग सारे अधिकारों से वंचित रखा गया था। मुसलमान उनको काफिर कहते थे। मुसलमान हिंदुओं पर बहुत अत्याचार करते थे। उस समय समाज में स्त्रियों की स्थिति बहुत दयनीय थी।
प्रश्न 11.
सोलहवीं शताब्दी के शुरू में पंजाब में स्त्रियों की स्थिति कैसी थी? (What was the social condition of women in Punjab in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
16वीं सदी के प्रारंभ में पंजाब की स्त्रियों की हालत के विषय में वर्णन कीजिए।
(Describe about the condition of women in Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। हिंदू समाज में स्त्रियों को पुरुषों के बराबर नहीं समझा जाता था। उस समय बहुत-सी लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। उनका अल्पायु में विवाह कर दिया जाता था। उनकी शिक्षा की ओर ध्यान नहीं दिया जाता था। उस समय सती प्रथा भी पूरे जोरों पर थी। विधवा पर अनेक प्रकार की पाबंदियाँ लगायी जाती थीं। मुस्लिम समाज में भी स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी। उन पर कई पाबंदियाँ लगाई गई थीं।
प्रश्न 12.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के समाज में मुसलमानों की श्रेणियों का वर्णन करें।
(Give an account of the Muslim classes of Punjab in the beginning of 16th century.)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में मुस्लिम समाज तीन श्रेणियों में बँटा हुआ था—
- उच्च श्रेणी-उच्च श्रेणी में अमीर, खान, शेख, काज़ी और उलमा शामिल थे। इस श्रेणी के लोग बड़े ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे।
- मध्य श्रेणी-मध्य श्रेणी में व्यापारी, सैनिक, किसान और राज्य के छोटे-छोटे कर्मचारी सम्मिलित थे। उनके जीवन तथा उच्च श्रेणी के जीवन में काफ़ी अंतर था।
- निम्न श्रेणी-इस श्रेणी में अधिकतर दास-दासियाँ एवं मज़दूर सम्मिलित थे। उन्हें अपना जीवन निर्वाह करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। उनको अपने स्वामी के अत्याचारों को सहन करना पड़ता था।
प्रश्न 13.
16वीं सदी के आरंभ में पंजाब के समाज में मुसलमानों की सामाजिक अवस्था किस प्रकार थी?
(What was the social condition of Muslims of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
गुरु नानक देव जी के जन्म के समय पंजाब के मुसलमान समाज की दशा के ऊपर रोशनी डालें।
(Throw light on the condition of muslim society of Punjab on the eve of Guru Nanak Dev Ji’s birth.)
उत्तर-
शासक वर्ग से संबंधित होने के कारण 16वीं शताब्दी में मुसलमानों की स्थिति हिंदुओं की अपेक्षा अच्छी थी। उस समय मुस्लिम समाज-उच्च श्रेणी, मध्य श्रेणी तथा निम्न श्रेणी में बँटा हुआ था। उच्च श्रेणी में अमीर, खान, शेख तथा मलिक इत्यादि आते थे। वे बहुत ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। मध्य श्रेणी में सैनिक, व्यापारी, किसान तथा राज्य के छोटे कर्मचारी सम्मिलित थे। वे भी अच्छा जीवन व्यतीत करते थे। निम्न श्रेणी में दास-दासियाँ एवं मज़दूर सम्मिलित थे। उन्हें अपने जीवन के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी।
प्रश्न 14.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के समाज में हिंदुओं की सामाजिक अवस्था कैसी थी ?
(What was the social condition of the Hindus of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के समाज में हिंदुओं की स्थिति बहुत दयनीय थी। समाज का बहुवर्ग होते हुए भी उन्हें लगभग सारे अधिकारों से वंचित रखा गया था। उनको काफिर और जिम्मी कहा जाता था। उन्हें जजिया और यात्रा कर आदि देने पड़ते थे। मुसलमान हिंदुओं को बलपूर्वक इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए विवश करते थे। उस समय हिंदू समाज कई जातियों व उपजातियों में बँटा हुआ था। उच्च जाति के लोग निम्न जाति के लोगों से घृणा करते थे। हिंदू समाज में स्त्रियों की दशा बहुत दयनीय थी।
प्रश्न 15.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में प्रचलित शिक्षा प्रणाली के बारे में संक्षेप जानकारी दें।
(Give a brief account of prevalent education in the Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में शिक्षा के क्षेत्र में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है। मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य उलमा और मौलवी करते थे। वे मस्जिदों, मकतबों और मदरसों में शिक्षा देते थे। राज्य सरकार उन्हें अनुदान देती थी। उस समय मुसलमानों के पंजाब में सबसे अधिक शिक्षा केंद्र लाहौर और मुलतान में थे। हिंदू लोग ब्राह्मणों से मंदिरों और पाठशालाओं में शिक्षा प्राप्त करते थे। इनमें प्रारंभिक शिक्षा के संबंध में जानकारी दी जाती थी।
प्रश्न 16.
16वीं शताब्दी के आरंभ में लोगों के मनोरंजन के साधनों पर टिप्पणी लिखिए।
(Write a note on the means of entertainment of the people of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में मुसलमान अपना मनोरंजन कई साधनों से करते थे। वे शिकार करने, चौगान खेलने, जानवरों की लड़ाइयाँ देखने और घुड़दौड़ में भाग लेने के बहुत शौकीन थे। वे समारोहों और महफिलों में बढ़कर भाग लेते थे। इनमें संगीतकार और नर्तकियाँ उनका मनोरंजन करती थीं। वे शतरंज और चौपड़ खेलकर भी अपना मनोरंजन करते थे। मुसलमान ईद, नौरोज और शब-ए-बरात इत्यादि के त्योहारों को बड़ी धूम-धाम से मनाते थे। 16वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदू, नृत्य, गीत और संगीत के बहत शौकीन थे। वे ताश और शतरंज भी खेलते थे।
प्रश्न 17.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की आर्थिक हालत का संक्षिप्त ब्योरा दें।
(Give a brief account of the economic condition of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
अथवा
16वीं शताब्दी में पंजाब की आर्थिक दशा का संक्षिप्त वर्णन करें। .
(Briefly explain the economic condition of Punjab during the 16th century.)
अथवा
16वीं सदी के शुरू में पंजाब की आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
(Briefly mention the economic condition of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में पंजाब के लोग आर्थिक तौर पर खुशहाल थे। पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। भूमि उपजाऊ होने के कारण यहाँ फ़सलों की भरपूर पैदावार होती थी। इस कारण पंजाब को भारत का अन्न भंडार की संज्ञा दी जाती थी। पंजाब के लोगों का दूसरा मुख्य व्यवसाय उद्योग था। ये उद्योग सरकारी और गैर-सरकारी दोनों तरह के थे। उस समय पंजाब में कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग और लकड़ी उद्योग बहुत प्रसिद्ध थे। उस समय पंजाब का व्यापार बड़ा विकसित था।
प्रश्न 18.
सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में पंजाब की खेती-बाड़ी संबंधी संक्षेप जानकारी दें। (Give a brief account of the agriculture of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य कार्य खेती-बाड़ी था। पंजाब की ज़मीन बहुत उपजाऊ थी। खेती के अधीन और भूमि लाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कृषकों को विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाती थीं। यहाँ के लोग बड़े परिश्रमी थे। सिंचाई के लिए कृषक मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर करते थे किंतु नहरों, तालाबों और कुओं का प्रयोग भी किया जाता था। पंजाब की प्रमुख फ़सलें गेहूँ, जौ, मक्का, चावल, और गन्ना थीं। फ़सलों की भरपूर पैदावार होने के कारण पंजाब को भारत का अन्न भंडार कहा जाता था।
प्रश्न 19.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के उद्योग के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the Punjab industries in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के प्रसिद्ध उद्योगों का विवरण दें। (Give an account of the main industries of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
कृषि के पश्चात् पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय उद्योग था। ये उद्योग सरकारी भी थे और व्यक्तिगत भी। सरकारी उद्योग बड़े-बड़े शहरों में स्थापित थे जबकि व्यक्तिगत (निजी) गाँवों में । पंजाब के उद्योगों में वस्त्र उद्योग सर्वाधिक प्रसिद्ध था। इनमें सूती, ऊनी और रेशमी तीनों प्रकार के वस्त्र निर्मित होते थे। कपड़ा उद्योग के अतिरिक्त उस समय पंजाब में चमड़ा, शस्त्र, बर्तन, हाथी दाँत और खिलौने इत्यादि बनाने के उद्योग भी प्रचलित थे।
प्रश्न 20.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Give a brief account of the trade of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
पंजाब का व्यापार काफ़ी विकसित था। माल के परिवहन का कार्य बनजारे करते थे। मेलों और त्योहारों के समय विशेष मंडियाँ लगाई जाती थीं। उस समय पंजाब का विदेशी व्यापार मुख्य रूप से अफ़गानिस्तान, ईरान, अरब, सीरिया, तिब्बत, भूटान और चीन इत्यादि देशों के साथ होता था। पंजाब से इन देशों को अनाज, वस्त्र, कपास, रेशम और चीनी निर्यात की जाती थी। इन देशों से पंजाब इन देशों में घोड़े, फर, कस्तुरी और मेवे आयात करता था।
प्रश्न 21.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का जीवन स्तर कैसा था? (What was the living standard of people in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
उस समय पंजाब के लोगों का जीवन स्तर एक-सा नहीं था। मुसलमानों के उच्च वर्ग के लोगों के पास धन का बाहुल्य था और वे ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। वे बड़े शानदार महलों में रहते थे। हिंदुओं के उच्च वर्ग के पास धन तो बहुत था किंतु मुसलमान उनसे यह धन लूट कर ले जाते थे। समाज के मध्य वर्ग में मुसलमानों का जीवन स्तर तो अच्छा था , परंतु हिंदुओं का जीवन स्तर संतोषजनक नहीं था। समाज में निम्न श्रेणी के लोग न तो अच्छे वस्त्र पहन सकते थे न ही अच्छा भोजन खा सकते थे। वे प्रायः साहूकारों के ऋणी रहते थे।
प्रश्न 22.
16वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदू धर्म की धार्मिक स्थिति कैसी थी ?
(What was the religious position of Hinduism in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का प्रमुख धर्म हिंदू धर्म था। यह धर्म भारत का सबसे प्राचीन धर्म था। इस धर्म के लोग वेदों में विश्वास रखते थे। 16वीं शताब्दी में पंजाब में रामायण तथा महाभारत बहुत लोकप्रिय थे। वे अनेक देवी-देवताओं की पूजा, तीर्थ यात्राओं, नदियों में स्नान करने को बहुत पवित्र समझते थे। वे ब्राह्मणों का बहुत सम्मान करते थे। ब्राह्मणों के सहयोग के बिना कोई भी धार्मिक कार्य अधूरा समझा जाता था।
प्रश्न 23.
इस्लाम पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Islam.)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में इस्लाम की दशा कैसी थी ? (What was the condition of Islam in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
हिंदू धर्म के पश्चात् पंजाब का दूसरा मुख्य धर्म इस्लाम था। इसकी स्थापना सातवीं शताब्दी में मक्का में हज़रत मुहम्मद साहिब द्वारा की गई थी। उन्होंने अरब समाज में प्रचलित सामाजिक-धार्मिक बुराइयों का खंडन किया। उन्होंने एक ईश्वर तथा परस्पर भ्रातृत्व का प्रचार किया। उनके अनुसार प्रत्येक मुसलमान को पाँच सिद्धांतों पर चलना चाहिए। इन सिद्धांतों को जीवन के पाच स्तंभ कहा जाता है।
प्रश्न 24.
सुन्नियों के बारे में एक संक्षेप नोट लिखें। (Write a short note on the Sunnis.)
अथवा
सुन्नी मुसलमान। . (The Sunni Musalman.)
उत्तर-
पंजाब के मुसलमानों की बहुसंख्या सुन्नियों की थी। दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तान तथा मुग़ल सम्राट सुन्नी थे। इसलिए उन्होंने सुन्नियों को प्रोत्साहित किया तथा उन्हें विशेष सुविधाएँ प्रदान की। उस समय नियुक्त किए जाने वाले सभी काज़ी, मुफ्ती तथा उलेमा जी कि न्याय तथा शिक्षा देने का कार्य करते थे, सुन्नी संप्रदाय से संबंधित थे। सुन्नी हज़रत मुहम्मद साहिब को अपना पैगंबर समझते थे। वे कुरान को अपना सबसे पवित्र ग्रंथ समझते थे। वे एक अल्लाह में विश्वास रखते थे। वह इस्लाम के बिना किसी अन्य धर्म के अस्तित्व को सहन करने को तैयार नहीं थे। वे हिंदुओं के कट्टर दुश्मन थे तथा उन्हें काफिर समझते थे।
प्रश्न 25.
शिया कौन थे? वर्णन करो। (Who were the Shias ? Explain.)
अथवा
शिया। (The Shias.)
उत्तर-
सुन्नियों के पश्चात् पंजाब के मुसलमानों में दूसरा महत्त्वपूर्ण स्थान शिया संप्रदाय को प्राप्त था। वे भी सुन्नियों की भांति हज़रत मुहम्मद साहिब को अपना पैगंबर मानते थे। वे कुरान को अपना पवित्र ग्रंथ स्वीकार करते थे। वे एक अल्लाह में विश्वास रखते थे। वे भी प्रतिदिन पाँच बार नमाज पढ़ते थे। वे भी रमज़ान के महीने में रोज़े रखते थे। वे भी मक्का की यात्रा करना आवश्यक समझते थे। शिया तथा सुन्नियों में कुछ अंतर थे। इन मतभेदों के कारण सुन्नी तथा शिया एक-दूसरे के विरोधी हो गए।
प्रश्न 26.
उलमा कौन थे ? उनके प्रमुख कार्य क्या थे। (Who were Ulemas ? What were their main functions ?)
उत्तर-
- उलमा कौन थे ? उलमा इस्लाम के विद्वान थे।
- उलमा के कार्य- उलमा के प्रमुख कार्य निम्नलिखित थे—
- वे इस्लामी कानून (शरीअत) की व्याख्या करते थे।
- वे सुल्तान को हिंदुओं के विरुद्ध जिहाद के लिए प्रेरित करते थे।
- वे इस्लाम के प्रसार के लिए योजनाएँ तैयार करते थे।
प्रश्न 27.
सूफ़ी मत की मुख्य शिक्षाएँ लिखें। (Write the main teachings of Sufism.)
अथवा
सूफ़ी कौन थे? (Who were Sufies ?)
उत्तर-
- सूफ़ी मुसलमानों का एक प्रसिद्ध संप्रदाय था।
- वे एक अल्लाह में विश्वास रखते थे। वे अल्लाह को छोड़कर किसी अन्य की उपासना में विश्वास नहीं रखते थे।
- उनके अनुसार अल्लाह सर्वशक्तिमान् एवं सर्वव्यापक है।
- अल्लाह को प्राप्त करने के लिए वे पीर अथवा गुरु का होना अत्यावश्यक मानते थे। वे संगीत में विश्वास रखते थे।
- वे मानवता की सेवा को अपना परम धर्म मानते थे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in one Word to one Sentence)
प्रश्न 1.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा कैसी थी ?
अथवा
बाबर के आक्रमण के समय पंजाब की राजनीतिक दशा कैसी थी ?
उत्तर-
बहुत शोचनीय।
प्रश्न 2.
पंजाब की राजनीतिक दशा के संबंध में गुरु नानक देव जी ने क्या फरमाया है ?
उत्तर-
प्रत्येक ओर झूठ एवं रिश्वत का बोलबाला था।
प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी के जन्म के समय दिल्ली पर किस शासक का शासन था ?
अथवा
लोधी वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
बहलोल लोधी।
प्रश्न 4.
सिकंदर लोधी कौन था ?
उत्तर-
भारत का सुल्तान।
प्रश्न 5.
सिकंदर लोधी कब सिंहासन पर बैठा था ?
उत्तर-
1489 ई०।
प्रश्न 6.
इब्राहीम लोधी कब सिंहासन पर बैठा था ?
उत्तर-
1517 ई०।
प्रश्न 7.
लोधी वंश का अंतिम शासक कौन था ?
उत्तर-
इब्राहीम लोधी।
प्रश्न 8.
दौलत खाँ लोधी कौन था ?
उत्तर-
दौलत खाँ लोधी 1500 ई० से 1525 ई० तक पंजाब का सूबेदार था।
प्रश्न 9.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का शासक कौन था ?
उत्तर-
दौलत खाँ लोधी।
प्रश्न 10.
पंजाब के त्रिकोणे संघर्ष से क्या भाव है ?
उत्तर-
16वीं सदी के आरंभ में इब्राहीम लोधी, दौलत खाँ लोधी तथा बाबर के मध्य चलने वाले सघंर्ष से है।
प्रश्न 11.
बाबर कहाँ का शासक था ?
उत्तर-
काबुल।
प्रश्न 12.
बावर कौन था ?
उत्तर-
बावर काबुल का शासक था।
प्रश्न 13.
बाबर ने पंजाब पर अपना प्रथम आक्रमण कब किया ?
उत्तर-
1519 ई०।
प्रश्न 14.
बाबर ने भारत पर आक्रमण क्यों किया ? कोई एक कारण लिखें।
उत्तर-
वह अपने राज्य का विस्तार करना चाहता था।
प्रश्न 15.
गुरु नानक देव जी ने बाबर के किस आक्रमण की तुलना ‘पाप की बारात’ से की है ?
उत्तर-
सैदपुर आक्रमण की।
प्रश्न 16.
बाबर ने सैदपुर पर आक्रमण कब किया ?
उत्तर-
1520 ई०
प्रश्न 17.
बाबर से सैदपुर पर आक्रमण के समय किस सिख गुरु साहिबान को बंदी बना लिया था ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी।
प्रश्न 18.
गुरु नानक देव जी को किस मुग़ल बादशाह ने गिरफ्तार किया था ?
उत्तर-
बाबर ने।
प्रश्न 19.
पानीपत की प्रथम लड़ाई कब हुई ?
उत्तर-
21 अप्रैल, 1526 ई०।
प्रश्न 20.
पानीपत की प्रथम लड़ाई किसके मध्य हुई ?
उत्तर-
बाबर तथा इब्राहीम लोधी।
प्रश्न 21.
पानीपत की पहली लड़ाई का कोई एक महत्त्वपूर्ण परिणाम बताएँ।
उत्तर-
भारत में मुग़ल वंश की स्थापना।
प्रश्न 22.
पानीपत की प्रथम लड़ाई के पश्चात् भारत में किस वंश की स्थापना हुई ?
उत्तर-
मुग़ल वंश।
प्रश्न 23.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का समाज किन दो प्रमुख वर्गों में विभाजित था ?
उत्तर-
मुस्लिम एवं हिंदु।
प्रश्न 24.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का मुस्लिम समाज कितने वर्गों में विभाजित था ?
उत्तर-
तीन।
प्रश्न 25.
16वीं शताब्दी पंजाब के मुस्लिम समाज की उच्च श्रेणी की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर-
वे बहुत ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे।
प्रश्न 26.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का हिंदू समाज कितनी जातियों में बँटा था ?
उत्तर-
चार।
प्रश्न 27.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में स्त्रियों की दशा कैसी थी ?
उत्तर-
बहुत अच्छी नहीं थी।
प्रश्न 28.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में मुस्लिम शिक्षा के एक प्रसिद्ध केंद्र का नाम बताएँ।
उत्तर-
लाहौर।
प्रश्न 29.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय बताएँ।
उत्तर-
कृषि।
प्रश्न 30.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की किसी एक प्रमुख फ़सल का नाम बताएँ।
उत्तर-
गेहूँ।
प्रश्न 31.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का सर्वाधिक विख्यात उद्योग कौन-सा था ?
उत्तर-
कपड़ा उद्योग।
प्रश्न 32.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का एक सर्वाधिक प्रसिद्ध गर्म वस्त्र तैयार करने के केंद्र का नाम बताओ।
उत्तर-
अमृतसर।
प्रश्न 33.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब से निर्यात की जाने वाली किन्हीं दो प्रमुख वस्तुओं के नाम बताएँ।
उत्तर-
वस्त्र तथा अन्न।
प्रश्न 34.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की किसी एक व्यापारिक श्रेणी का नाम बताएँ।
उत्तर-
महाजन।
प्रश्न 35.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के योगियों की मुख्य शाखा को क्या कहा जाता था ?
उत्तर-
नाथपंथी अथवा गोरखपंथी।
प्रश्न 36.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के योगियों की मुख्य शाखां को क्या कहा गया था ?
उत्तर-
वे शिव की पूजा करते थे।
प्रश्न 37.
योगियों को कनफटे योगी क्यों कहा जाता था ?
उत्तर-
क्योंकि वे कानों में बड़े-बड़े कुंडल डालते थे।।
प्रश्न 38.
शैव मत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस मत के लोग शिव जी के पुजारी थे।
प्रश्न 39.
वैष्णव मत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
इस मत के लोग विष्णु तथा उसके अवतारों की पूजा करते थे।
प्रश्न 40.
शक्ति मत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इस मत के लोग दुर्गा, काली आदि देवियों की पूजा करते थे।
प्रश्न 41.
इस्लाम की स्थापना किसने की थी ?
उत्तर-
हज़रत मुहम्मद साहिब।
प्रश्न 42.
इस्लाम कितने स्तंभों में विश्वास रखता है ?
उत्तर-
पाँच।
प्रश्न 43.
चिश्ती सिलसिले के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर-
शेख मुइनुद्दीन चिश्ती।
प्रश्न 44.
शेख मुइनुद्दीन ने चिश्ती सिलसिले की स्थापना कहाँ की थी ?
उत्तर-
अजमेर।
प्रश्न 45.
पंजाब में चिश्ती सिलसिले का सबसे प्रसिद्ध नेता कौन था ?
उत्तर-
शेख फ़रीद जी।
प्रश्न 46.
सुहरावर्दी सिलसिले का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
ख्वाज़ा बहाउद्दीन जकरिया।
प्रश्न 47.
सुहरावर्दी सिलसिले की नींव कहाँ रखी गई थी ?
उत्तर-
मुलतान में।
प्रश्न 48.
सूफ़ियों का कोई एक मुख्य सिद्धांत बताएँ।
उत्तर-
वे केवल एक अल्लाह में विश्वास रखते थे।
प्रश्न 49.
उलमा कौन होते थे ?
उत्तर-
वह मुसलमानों के धार्मिक नेता थे।
प्रश्न 50.
जजिया से क्या भाव है ?
उत्तर-
गैर मुसलमानों से वसूल किया जाने वाला एक धार्मिक कर।
प्रश्न 51.
भक्ति लहर का कोई एक मुख्य सिद्धांत लिखें।
उत्तर-
एक परमात्मा में विश्वास।
प्रश्न 52.
पंजाब में भक्ति लहर का संस्थापक कौन था ?
उत्तर-
गुरु नानक देव जी।
प्रश्न 53.
पंजाब में किस धर्म का विकास हुआ ?
उत्तर-
सिख धर्म का।
(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)
प्रश्न 1.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा बहुत……थी।
उत्तर-
(शोचनीय)
प्रश्न 2.
बहलोल लोधी ने……..में लोधी वंश की स्थापना की थी।”
उत्तर-
(1451 ई०)
प्रश्न 3.
1469 ई० में गुरु नानक जी के जन्म समय दिल्ली का सुल्तान……था।
उत्तर-
(बहलोल लोधी)
प्रश्न 4.
इब्राहीम लोधी……..में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
उत्तर-
(1517 ई०)
प्रश्न 5.
दौलत खाँ लोधी पंजाब का गवर्नर ………. में बना।
उत्तर-
(1500 ई०)
प्रश्न 6.
1519 ई० से 1526 ई० के समय दौरान पंजाब को अपने अधीन करने के लिए………..संघर्ष आरंभ हो
उत्तर-
(तिकोणा)
प्रश्न 7.
1504 ई० में बाबर……….का शासक बना।
उत्तर-
(काबुल)
प्रश्न 8.
1519 ई० से 1526 ई० के दौरान बाबर ने पंजाब पर……..आक्रमण किए थे।
उत्तर-
(पाँच)
प्रश्न 9.
बाबर ने पंजाब पर पहला आक्रमण……….में किया।
उत्तर
(1519 ई०)
प्रश्न 10.
बाबर ने……..आक्रमण के दौरान गुरु नानक देव जी को बंदी बना लिया था।
उत्तर-
(सैदपुर)
प्रश्न 11.
पानीपत का पहला आक्रमण………को हुआ।
उत्तर-
(21 अप्रैल, 1526 ई०)
प्रश्न 12.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का मुस्लिम समाज……..वर्गों में विभाजित था।
उत्तर-
(तीन)
प्रश्न 13.
पंजाब में मुसलमानों के उच्च शिक्षा के प्रसिद्ध केन्द्र…….और………थे।
उत्तर-
(लाहौर, मुलतान)
प्रश्न 14.
16वीं सदी के आरंभ में हिंदू समाज में ………………. को प्रमुखता प्राप्त थी।
उत्तर-
(ब्राह्मणों)
प्रश्न 15.
16वीं सदी के आरंभ में स्त्रियों की दशा अच्छी………थी।
उत्तर-
(नही)
प्रश्न 16.
16वीं सदी के आरंभ में अधिकाँश हिंदू …………भोजन खाते थे।
उत्तर-
(शाकाहारी)
प्रश्न 17.
सदी के आरंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय……….था।
उत्तर-
(कृषि)
प्रश्न 18.
16वी सदी के आरंभ में पंजाब का सब से प्रसिद्ध उद्योग………..था।
उत्तर-
(कपड़ा उद्योग)
प्रश्न 19.
16वीं सदी के आरंभ में पंजाब में गर्म वस्त्र तैयार करने के प्रसिद्ध केंद्र…….और………था।
उत्तर-
(अमृतसर, कश्मीर)
प्रश्न 20.
16वीं सदी के आरंभ में ……… और………… पंजाब के सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र थे।
उत्तर-
(लाहौर, मुलतान)
प्रश्न 21.
जोगी मत की स्थापना ……………. ने की थी।
उत्तर-
(गोरखनाथ)
प्रश्न 22.
……………भक्ति लहर का बानी था?
उत्तर-
(गुरु नानक देव जी)
प्रश्न 23.
इस्लाम का संस्थापक ……………. था।
उत्तर-
(हज़रत मुहम्मद साहिब)
प्रश्न 24.
पंजाब में चिश्ती सिलसिले का सबसे प्रसिद्ध प्रचारक …………… था।
उत्तर-
(शेख फ़रीद)
(iii) ठीक अथवा गलत (True or False)
नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें—
प्रश्न 1.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा बहुत अच्छी थी।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 2.
लोधी वंश का संस्थापक सिकंदर लोधी था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 3.
बहलोल लोधी 1451 ई० में सिंहासन पर बैठा था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 4.
सिकंदर लोधी 1489 ई० में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 5.
इब्राहीम लोधी 1517 ई० में लोधी वंश का नया सुल्तान बना था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 6.
दौलत खाँ लोधी 1469 ई० में पंजाब का सूबेदार नियुक्त हुआ था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 7.
बाबर का जन्म 1494 ई० में हुआ था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 8.
बाबर ने 1504 ई० में काबुल पर कब्जा कर लिया था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 9.
बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण 1519 ई० में किया।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 10.
बाबर ने सैदपुर पर 1524 ई० में आक्रमण किया।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 11.
गुरु नानक देव जी ने बाबर के सैदपुर के आक्रमण की तुलना पाप की बारात से की है। . .
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 12.
बाबर और इब्राहिम लोधी के मध्य पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल, 1526 ई० को हुई।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 13.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का मुस्लिम समाज दो श्रेणियों में बँटा हुआ था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 14.
मुस्लिम समाज की निम्न श्रेणी में सबसे अधिक संख्या किसानों की थी।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 15.
16वीं शताब्दी के मुस्लिम समाज में स्त्रियों का बहत सम्मान किया जाता था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 16.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में मुस्लिम शिक्षा के दो प्रसिद्ध केंद्र लाहौर और मुलतान थे।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 17.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के हिंदू समाज में ब्राह्मणों को प्रमुखता प्राप्त थी।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 18.
16वीं शताब्दी के आरंभ में क्षत्रियों का मुख्य व्यवसाय खेतीबाड़ी करना था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 19.
16वीं शताब्दी में स्त्रियों की दशा बड़ी शोचनीय थी।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 20.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय पशु पालन था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 21.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में सब से अधिक गेहूँ की पैदावार की जाती थी।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 22.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का सबसे प्रसिद्ध उद्योग कपड़ा उद्योग था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 23.
16वीं शताब्दी में कश्मीर शालों के उद्योग के लिए अधिक प्रसिद्ध था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 24.
गोरखनाथ ने जोगियों की नाथ पंथी संप्रदाय की स्थापना की थी।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 25.
इस्लाम की स्थापना हज़रत मुहम्मद साहिब ने की थी।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 26.
चिश्ती सिलसिले की नींव शेख मुइनुद्दीन चिश्ती ने रखी थी। .
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 27.
पंजाब में चिश्ती सिलसिले का प्रमुख प्रचारक शेख फ़रीद था। .
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 28.
सुहरावर्दी सिलसिले का संस्थापक शेख बहाउद्दीन जकरिया था।
उत्तर-
ठीक
(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए—
प्रश्न 1.
लोधी वंश की स्थापना किसने की थी ?
(i) बहलोल लोधी
(ii) दौलत खाँ लोधी
(iii) सिकंदर लोधी
(iv) इब्राहीम लोधी।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 2.
बहलोल लोधी कब सिंहासन पर बैठा था?
(i) 1437 ई० में
(ii) 1451 ई० में
(iii) 1489 ई० में
(iv) 1517 ई० में।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 3.
इब्राहीम लोधी कब दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ?
(i) 1489 ई० में
(ii) 1516 ई० में
(iii) 1517 ई० में
(iv) 1526 ई० में।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 4.
दौलत खाँ लोधी कौन था ?
(i) पंजाब का सूबेदार
(ii) दिल्ली का सूबेदार
(iii) अवध का सूबेदार
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 5.
दौलत खाँ लोधी किस राज्य का स्वतंत्र शासक बनना चाहता था ?
(i) मगध
(ii) दिल्ली ।
(iii) पंजाब
(iv) गुजरात।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 6.
दौलत खाँ लोधी को पंजाब का सूबेदार कब नियुक्त किया गया था?
(i) 1489 ई० में
(i) 1500 ई० में
(iii) 1517 ई० में
(iv) 1526 ई० में।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 7.
पंजाब के त्रिकोणीय संघर्ष में कौन शामिल नहीं था ?
(i) बाबर
(ii) दौलत खाँ लोधी
(iii) इब्राहीम लोधी
(iv) आलम खाँ लोधी।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 8.
बाबर ने पंजाब पर प्रथम आक्रमण कब किया ?
(i) 1509 ई० में ।
(ii) 1519 ई० में
(iii) 1520 ई० में
(iv) 1524 ई० में।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 9.
बाबर ने सैदपुर पर आक्रमण कब किया था ?
(i) 1519 ई० में
(ii) 1520 ई० में
(iii) 1524 ई० में
(iv) 1526 ई० में।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 10.
बाबर के सैदपुर आक्रमण के समय कौन-से सिख गुरु साहिब को बंदी बनाया गया था ?
(i) गुरु नानक देव जी
(ii) गुरु अंगद देव जी
(iii) गुरु हरगोबिंद जी
(iv) गुरु तेग़ बहादुर जी।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 11.
बाबर और इब्राहीम लोधी के मध्य पानीपत की प्रथम लड़ाई कब हुई ?
(i) 1519 ई० में
(ii) 1525 ई० में ।
(iii) 1526 ई० में
(iv) 1556 ई० में।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 12.
पानीपत की प्रथम लड़ाई में किसकी पराजय हुई ?
(i) बाबर की
(ii) महाराणा प्रताप की
(iii) इब्राहीम लोधी की
(iv) दौलत खाँ लोधी की।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 13.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का मुस्लिम समाज कितने वर्गों में विभाजित था ?
(i) दो
(ii) तीन
(iii) चार
(iv) पाँच।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 14.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के मुस्लिम समाज की उच्च श्रेणी में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं थे ?
(i) मलिक
(ii) शेख
(iii) इक्तादार
(iv) व्यापारी।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 15.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के मुस्लिम समाज में कौन शामिल था ?
(i) व्यापारी
(ii) सैनिक
(iii) किसान
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 16.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के मुस्लिम समाज की निम्न श्रेणी में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं थे?
(i) काजी
(ii) नौकर
(iii) दास
(iv) मज़दूर।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 17.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के मुसलमानों का सबसे प्रसिद्ध शिक्षा का केंद्र कौन-सा था ?
(i) सरहिंद
(ii) जालंधर
(iii) पेशावर
(iv) लाहौर।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 18.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था ?
(i) व्यापार
(ii) कृषि
(iii) उद्योग
(iv) पशु-पालन।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 19.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सबसे प्रसिद्ध फ़सल कौन-सी थी ?
(i) गेहूँ
(ii) चावल
(iii) गन्ना
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 20.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का सबसे प्रसिद्ध उद्योग कौन-सा था?
(i) चमड़ा उद्योग
(ii) वस्त्र उद्योग
(iii) शस्त्र उद्योग
(iv) हाथी दाँत उद्योग।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 21.
16वीं शताब्दी के आरंभ में निम्नलिखित में से कौन-सा गरम कपड़ा उद्योग का केंद्र नहीं था ?
(i) जालंधर
(ii) अमृतसर
(iii) कश्मीर
(iv) काँगड़ा।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 22.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का सबसे प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र कौन-सा था ?
(i) लाहौर
(ii) लुधियाना
(iii) जालंधर
(iv) अमृतसर।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 23.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का प्रमुख धर्म कौन-सा था ?
(i) इस्लाम
(ii) हिंदू
(iii) इसाई
(iv) सिख।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 24.
योगियों की नाथपंथी शाखा की स्थापना किसने की थी ?
(i) गोरखनाथ
(ii) शिवनाथ
(iii) महात्मा बुद्ध
(iv) स्वामी महावीर।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 25.
पुराणों में विष्णु के कितने अवतारों का वर्णन किया गया है ?
(i) 5
(ii) 10
(iii) 24
(iv) 25
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 26.
16वीं शताब्दी के आरंभ में निम्नलिखित में से कौन-सा मत हिंदू धर्म के साथ संबंधित नहीं था ?
(i) शैव मत
(ii) वैष्णव मत
(iii) शक्ति मत
(iv) सूफी मत।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 27.
इस्लाम का संस्थापक कौन था ?
(i) अबु बकर
(ii) उमर
(iii) हज़रत मुहम्मद साहिब
(iv) अली।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 28.
इस्लाम की स्थापना कब की गई थी ?
(i) पाँचवीं शताब्दी में
(ii) छठी शताब्दी में
(iii) सातवीं शताब्दी में
(iv) आठवीं शताब्दी में।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 29.
इस्लाम का पहला खलीफ़ा कौन था ?
(i) अली
(ii) अबु बकर
(iii) उमर
(iv) उथमान।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 30.
सूफ़ी शेखों की विचारधारा को क्या कहा जाता है ?
(i) पीर
(i) दरगाह
(iii) तस्स वुफ़
(iv) सिलसिला।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 31.
चिश्ती सिलसिले का संस्थापक कौन था ?
(i) ख्वाजा मुइनुदीन चिश्ती
(ii) शेख बहाउदीन जकरिया
(iii) शेख फ़रीद जी
(iv) शेख निज़ामुदीन औलिया।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 32.
पंजाब में चिश्ती सिलसिले का सबसे प्रसिद्ध प्रचारक कौन था ?
(i) शेख निज़ामुद्दीन औलिया
(ii) शेख फ़रीद
(iii) शेख कुतबउदीन बख्तीआर काकी
(iv) ख्वाजा मुइनुदीन चिश्ती।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 33.
पंजाब में सुहरावर्दी सिलसिले का मुख्य केंद्र कहाँ था ?
(i) मुलतान
(ii) लाहौर
(iii) जालंधर
(iv) अमृतसर।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 34.
निम्नलिखित में से किसने कव्वाली गाने की प्रथा को आरंभ किया ?
(i) इस्लाम ने
(ii) सूफ़ियों ने
(iii) हिंदुओं ने
(iv) सिखों ने।
उत्तर-
(i)
Long Answer Type Question
प्रश्न 1.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक हालत कैसी थी ? (What was the political condition of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक अवस्था ब्यान करें। (Explain the political condition of Punjab in the beginning of 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा बड़ी डावाँडोल थी। लोधी सुल्तानों की गलत नीतियों के कारण चारों ओर अराजकता फैली हुई थी। शासक वर्ग भोग-विलास में डूबा हुआ था। दरबारों में प्रतिदिन जश्न मनाए जाते थे। इन जश्नों में नर्तकियाँ बड़ी संख्या में भाग लेती थीं और मदिरा के दौर चलते थे। फलस्वरूप प्रजा की ओर ध्यान देने के लिए किसी के पास समय ही नहीं था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट हो चुके थे। चारों ओर रिश्वत का बोलबाला था। यहाँ तक कि काजी एवं उलमा भी रिश्वत लेकर न्याय करते थे। मुसलमान हिंदुओं पर बहुत अत्याचार करते थे। उन्हें तलवार के बल पर इस्लाम धर्म में सम्मिलित किया जाता था। राज्य की शासन-व्यवस्था भंग होकर रह गई थी। ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर पंजाब के गवर्नर दौलत खाँ लोधी ने स्वतंत्र होने का प्रयास किया। इस संबंध में उसने बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया। बाबर ने दौलत खाँ लोधी को पराजित करके 1525 ई० के अंत में पंजाब पर अधिकार कर लिया था। उसने 21 अप्रैल, 1526 ई० में पानीपत के प्रथम युद्ध में सुल्तान इब्राहीम लोधी को पराजित करके भारत में मुगल वंश की स्थापना की।
प्रश्न 2.
“16वीं सदी के आरंभ में पंजाब त्रिकोणे संघर्ष का अखाड़ा था।” व्याख्या करें। . .
(“’In the beginning of the 16th century, the Punjab was a cockpit of triangular struggle.” Explain.)
अथवा
16वीं सदी के शुरू में पंजाब में ‘त्रिकोणीय संघर्ष’ का वर्णन कीजिए। (Explain the ‘Triangular struggle’ of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
पंजाब 16वीं सदी के आरंभ में त्रिकोणे संघर्ष का अखाड़ा था। यह त्रिकोणा संघर्ष राजसत्ता को प्राप्त करने के लिए काबुल के शासक बाबर, दिल्ली के शासक इब्राहीम लोधी तथा पंजाब के सूबेदार दौलत खाँ लोधी के मध्य चल रहा था। दौलत खाँ लोधी पंजाब का स्वतंत्र शासक बनने के स्वप्न देख रहा था। इस संबंध में जब इब्राहीम लोधी को पता चला तो उसने दौलत खाँ लोधी को स्थिति को स्पष्ट करने के लिए शाही दरबार में उपस्थित होने को कहा। दौलत खाँ ने सुल्तान के क्रोध से बचने के लिए अपने छोटे पुत्र दिलावर खाँ को दिल्ली भेजा। दिल्ली पहुँचने पर इब्राहीम लोधी ने उसे बंदी बना कर कारावास में डाल दिया। दिलावर खाँ किसी प्रकार कारावास से भागने में सफल हो गया। पंजाब पहुँच कर उसने अपने पिता दौलत खाँ को दिल्ली में उसके साथ किए गए अपमानजनक व्यवहार के बारे में जानकारी दी। दौलत खाँ ने इस अपमान का बदला लेने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया। बाबर भी इसी स्वर्ण अवसर की प्रतीक्षा में था। इस त्रिकोणे संघर्ष के अंत में बाबर विजयी हुआ। उसने 1525-26 ई० में न केवल पंजाब अपितु दिल्ली पर भी कब्जा कर लिया। इस प्रकार भारत में मुग़ल वंश की स्थापना हुई।
प्रश्न 3.
दौलत खाँ लोधी कौन था ? दौलत खौ लोधी एवं इब्राहीम लोधी के बीच संघर्ष के क्या कारण थे ?
(Who was Daulat Khan Lodhi ? What were the causes of struggle between Daulat Khan Lodhi and Ibrahim Lodhi ?)
अथवा
दौलत खाँ लोधी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on Daulat Khan Lodhi.)
उत्तर-
दौलत खाँ लोधी पंजाब का सूबेदार (गवर्नर) था। वह इस पद पर 1500 ई० में नियुक्त हुआ था। दौलत खाँ लोधी और सुल्तान इब्राहीम लोधी के बीच संघर्ष का मुख्य कारण यह था कि दौलत खाँ पंजाब में स्वतंत्र शासन स्थापित करने का यत्न कर रहा था। इस संबंध में उसने आलम खाँ लोधी जोकि इब्राहीम लोधी का सौतेला भाई था और जो दिल्ली का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था, के साथ मिलकर षड्यंत्र करने आरंभ कर दिये थे। जब इन षड्यंत्रों के संबंध में इब्राहीम लोधी को ज्ञात हुआ तो उसने दौलत खाँ लोधी को शाही दरबार में उपस्थित होने का आदेश दिया। दौलत खाँ ने सुल्तान के क्रोध से बचने के लिए अपने छोटे पुत्र दिलावर खाँ को दिल्ली भेज दिया। जब दिलावर खाँ दिल्ली पहुंचा तो उसे बंदी बना लिया गया। उससे बहुत दुर्व्यवहार किया गया। शीघ्र ही वह किसी प्रकार कारागार से भागने और पुनः पंजाब लौटने में सफल हो गया। यहाँ पहुँच कर उसने अपने पिता दौलत खाँ को दिल्ली में उससे किए दुर्व्यवहार के संबंध में बताया। दौलत खाँ लोधी ने इस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया। बाद में दौलत खाँ लोधी बाबर के विरुद्ध हो गया था। बाबर ने अपने पाँचवें आक्रमण के दौरान दौलत खाँ लोधी को पराजित कर पंजाब को अपने अधिकार में ले लिया था।
प्रश्न 4.
बाबर कौन था ? उसने पंजाब पर किस समय के दौरान और कितने आक्रमण किए ? इन आक्रमणों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
(Who was Babar ? When and how many times did he invade Punjab ? Write briefly about these invasions.)
अथवा
पंजाब पर बाबर द्वारा किए गए आक्रमणों का संक्षिप्त वर्णन करें। . (Give a brief account of Babar’s invasions over Punjab.)
उत्तर-
बाबर काबुल का शासक था। उसने 1519 ई० से 1526 ई० के समय के दौरान पंजाब पर पाँच आक्रमण किए। बाबर ने पंजाब पर पहला आक्रमण 1519 ई० में किया। इस आक्रमण के दौरान बाबर ने भेरा और बाजौर नामक क्षेत्रों पर अधिकार किया। बाबर के वापस जाते ही वहाँ के लोगों ने पुनः इन क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इसी वर्ष बाबर ने पंजाब पर दूसरी बार आक्रमण किया। इस बार बाबर ने पेशावर को अपने अधिकार में ले लिया। 1520 ई० में बाबर ने पंजाब पर अपने तीसरे आक्रमण के दौरान बाजौर, भेरा और स्यालकोट के प्रदेशों को अपने अधिकार में ले लिया। तत्पश्चात् बाबर ने सैदपुर पर आक्रमण किया। इस आक्रमण के दौरान बाबर ने सैदपुर में भारी लूट-पाट की। मुग़ल सेनाओं ने अन्य लोगों के साथ-साथ गुरु नानक देव जी को भी बंदी बना लिया। बाद में बाबर के कहने पर उन्हें रिहा कर दिया गया। 1524 ई० में दौलत खाँ लोधी के निमंत्रण पर बाबर ने पंजाब पर चौथी बार आक्रमण किया। बाबर ने बिना किसी कठिनाई के पंजाब पर अधिकार कर लिया। बाद में दौलत खाँ लोधी बाबर के विरुद्ध हो गया। दौलत खाँ लोधी को सबक सिखाने के लिए बाबर ने पंजाब पर पाँचवीं बार नवंबर, 1525 ई० में आक्रमण किया। बाबर ने दौलत खाँ को पराजित करके पंजाब पर अधिकार कर लिया। तत्पश्चात् बाबर ने 21 अप्रैल, 1526 ई० में पानीपत के प्रथम युद्ध में सुल्तान इब्राहीम लोधी को पराजित करके भारत में मुग़ल वंश की स्थापना की।
प्रश्न 5.
बाबर ने सैदपुर पर कब आक्रमण किया ? सिख इतिहास में इस आक्रमण का क्या महत्त्व है ? (When did Babar invade Saidpur ? What is its importance in Sikh History ?)
उत्तर-
बाबर ने सैदपुर पर 1520 ई० में आक्रमण किया। यहाँ के लोगों ने बाबर का सामना किया। फलस्वरूप बाबर ने क्रोधित होकर बड़ी संख्या में लोगों की हत्या कर दी और उनके मकानों एवं महलों को लूट-पाट करने के पश्चात् आग लगा दी गई। हजारों स्त्रियों को बंदी बना लिया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। गुरु नानक देव जी जो इस समय सैदपुर में ही थे, ने बाबर की सेनाओं द्वारा लोगों पर किए गए अत्याचारों का वर्णन ‘बाबर वाणी’ में किया है। बाबर की सेनाओं ने गुरु नानक देव जी को भी बंदी बना लिया था। बाद में जब बाबर को इस संबंध में ज्ञात हुआ कि उसकी सेनाओं ने किसी संत महापुरुष को बंदी बनाया है तो उसने शीघ्र ही उनकी रिहाई का आदेश दे दिया। बाबर ने अपनी आत्मकथा तुज़क-ए-बाबरी में लिखा है कि यदि उसे मालूम होता कि इस शहर में ऐसा महात्मा निवास करता है तो वह कभी भी इस शहर पर आक्रमण न करता। गुरु नानक देव जी के कहने पर बाबर ने बहत-से अन्य निर्दोष लोगों को भी रिहा कर दिया। इस प्रकार सिखों और मुग़लों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों की शुरुआत हुई।
प्रश्न 6.
पानीपत की पहली लड़ाई के ऊपर नोट लिखें।
(Give a brief account of the First Battle of Panipat.)
अथवा
बाबर तथा इब्राहीम लोधी के मध्य युद्ध कब तथा क्यों हुआ ? (Why and when did the battle take place between Babar and Ibrahim Lodhi ?)
अथवा
पानीपत की पहली लड़ाई तथा इसके महत्त्व का संक्षेप में वर्णन करें। (Explain the First Battle of Panipat and its significance.)
उत्तर-
बाबर ने पंजाब के गवर्नर दौलत खाँ लोधी को सबक सिखाने के उद्देश्य से नवंबर, 1525 ई० में पंजाब पर पाँचवीं बार आक्रमण किया। दौलत खाँ ने थोड़ा सामना करने के पश्चात् अपने शस्त्र फेंक दिए। बाबर ने उसे क्षमा कर दिया। इस प्रकार बाबर ने एक बार फिर समूचे पंजाब को अपने अधिकार में ले लिया। पंजाब की विजय से प्रोत्साहित होकर बाबर ने इब्राहीम लोधी के साथ दो-दो हाथ करने का निर्णय किया। इस उद्देश्य से उसने अपनी सेनाओं को दिल्ली की ओर बढ़ने का आदेश दिया। जब इब्राहीम लोधी को इस संबंध में समाचार मिला तो वह अपने साथ एक लाख सैनिकों को लेकर बाबर का सामना करने के लिए पंजाब की ओर चल पड़ा। बाबर के अंतर्गत उस समय 20 हज़ार सैनिक थे। 21 अप्रैल, 1526 ई० को दोनों सेनाओं के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ। इस युद्ध में इब्राहीम लोधी की पराजय हुई और वह युद्ध-भूमि में मारा गया। पानीपत की इस निर्णयपूर्ण विजय के कारण पंजाब से लोधी वंश सदा के लिए समाप्त हो गया और अब यह मुग़ल वंश के अधीन हो गया।
प्रश्न 7.
पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर क्यों विजयी रहा ? (What led to the victory of Babar in the First battle of Panipat ?)
अथवा
भारत में बाबर की विजय और अफ़गानों की पराजय के कारणों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(Give a brief account of the causes of victory of Babar and defeat of the Afghans in India.)
उत्तर-
पानीपत के युद्ध में बाबर की विजय के लिए कई कारण उत्तरदायी थे। दिल्ली का सुल्तान इब्राहीम लोधी अपने दुर्व्यवहार और अत्याचार के कारण अपने सरदारों और प्रजा में बहुत बदनाम था। वे ऐसे शासक से छुटकारा पाना चाहते थे। इब्राहीम लोधी की सेना भी बहुत निर्बल थी। उसके बहुत-से सैनिक केवल लूटमार के उद्देश्य से एकत्रित हुए थे। उनके लड़ने के ढंग पुराने थे और उनमें योजना की कमी थी। इब्राहीम लोधी ने पानीपत में 8 दिनों तक बाबर की सेना पर आक्रमण न करके भारी राजनीतिक भूल की। यदि वह बाबर को सुरक्षा प्रबंध मज़बूत न करने देता तो शायद युद्ध का परिणाम कुछ और ही निकलता। बाबर एक योग्य सेनापति था। उसको युद्धों का काफ़ी अनुभव था। बाबर द्वारा तोपखाने के प्रयोग ने भारी तबाही मचाई। इब्राहीम लोधी के सैनिक अपने तीरकमानों और तलवारों के साथ इनका मुकाबला न कर सके। इनके कारण अफ़गानों की पराजय हुई और बाबर विजयी रहा।
प्रश्न 8.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक अवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(Explain the social condition of Punjab in the beginning of the 16th century.)
अथवा
गुरु नानक देव जी के जन्म समय पंजाबियों की सामाजिक दशा के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the social condition of Punjab at the time of birth of Guru Nanak Dev ?)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का समाज दो मुख्य वर्गों मुसलमान और हिंदू में बंटा हुआ था। शासक वर्ग से संबंधित होने के कारण मुसलमानों को समाज में विशेष अधिकार प्राप्त थे। वे राज्य के उच्च पदों पर नियुक्त थे। दूसरी ओर हिंदुओं को लगभग सारे अधिकारों से वंचित रखा गया था। मुसलमान उनको काफ़िर कहते थे। मुसलमान हिंदुओं पर इतने अत्याचार करते थे कि बहुत-से हिंदू मुसलमान बनने के लिए विवश हो गए। उस समय समाज में स्त्रियों की स्थिति बहुत दयनीय थी। उच्च श्रेणी के मुसलमानों के वस्त्र बहुत बहुमूल्य होते थे। ये वस्त्र रेशम और मखमल के बने होते थे। शिकार, घुड़दौड़, शतरंज, नाच-गाने, संगीत, जानवरों की लड़ाइयाँ और ताश उस समय के लोगों के मनोरंजन के मुख्य साधन थे।
प्रश्न 9.
सोलहवीं शताब्दी के शुरू में पंजाब में स्त्रियों की स्थिति कैसी थी ? (What was the condition of women in Punjab in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के शुरू में पंजाब में स्त्रियों की दशा बहुत शोचनीय थी। हिंदू समाज में स्त्रियों का स्थान पुरुषों के बराबर नहीं था। उनको घर की चारदीवारी के अंदर बंद रखा जाता था। उस समय बहुत-सी लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। उस समय लड़कियों का विवाह अल्पायु में कर दिया जाता था। बाल विवाह के कारण उनकी शिक्षा की ओर ध्यान नहीं दिया जाता था। उस समय सती प्रथा भी पूरे जोरों पर थी। विधवा को पुनः शादी करने की आज्ञा नहीं थी। मुस्लिम समाज में भी स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी। समाज की ओर से उन पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे। वेश्या प्रथा, तलाक प्रथा और पर्दा प्रथा के कारण उनकी हालत बड़ी दयनीय हो गई थी। मुस्लिम समाज में उच्च वर्ग की स्त्रियों को कुछ विशेष सुविधाएँ प्राप्त थीं पर इनकी संख्या बहुत कम थी।
प्रश्न 10.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में मुस्लिम समाज किन-किन श्रेणियों में बंटा हुआ था और वे कैसा जीवन व्यतीत करते थे ?
(In to which classes were the Muslim society of the Punjab divided and what type of the life did they lead in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
16वीं सदी के शुरू में पंजाब के समाज में मुसलमानों की श्रेणियों का वर्णन करें।
(Give an account of the Muslim Classes of Punjab in the beginning of the. 16th Century.)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में मुस्लिम समाज तीन श्रेणियों में बंटा हुआ था—
1. उच्च श्रेणी-उच्च श्रेणी में अमीर, खान, शेख, काज़ी और उलमा शामिल थे। इस श्रेणी के लोग बड़े ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। वे बड़े-बड़े महलों में रहते थे। वे अपना अधिकतर समय जश्न मनाने में व्यतीत करते थे। उलमा तथा काज़ी मुसलमानों के धार्मिक नेता थे। इनका मुख्य कार्य इस्लामी कानूनों की व्याख्या करना तथा लोगों को न्याय देना था।
2. मध्य श्रेणी-मध्य श्रेणी में व्यापारी, सैनिक, किसान और राज्य के छोटे-छोटे कर्मचारी सम्मिलित थे। उनके जीवन तथा उच्च श्रेणी के लोगों के जीवन में काफ़ी अंतर था। परंतु उनका जीवन स्तर हिंदुओं की उच्च श्रेणी के मुकाबले बहुत अच्छा था।
3. निम्न श्रेणी-इस श्रेणी में अधिकतर दास-दासियाँ एवं मज़दूर सम्मिलित थे। इनका जीवन अच्छा नहीं था। उन्हें अपना जीवन निर्वाह करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। उनको अपने स्वामी के अत्याचारों को सहन करना पड़ता था।
प्रश्न 11.
16वीं सदी के आरंभ में पंजाब के समाज में मुसलमानों की सामाजिक अवस्था किस प्रकार थी ?
(What was the social condition of Muslims of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के मुस्लिम समाज की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. समाज तीन वर्गों में विभाजित था-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब का मुस्लिम समाज उच्च वर्ग, मध्य वर्ग और निम्न वर्ग में विभाजित-था।
i) उच्च वर्ग-इस वर्ग में अमीर, खान, शेख़, मलिक, इकतादार, उलमा और काज़ी इत्यादि शामिल थे। इस वर्ग के लोग बहुत ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। वे बहुत भव्य महलों में निवास करते थे। उन की सेवा के लिए बड़ी संख्या में नौकर होते थे।
ii) मध्य वर्ग—इस श्रेणी में सैनिक, व्यापारी, कृषक, विद्वान्, लेखक और राज्य के छोटे कर्मचारी शामिल थे। उनके जीवन तथा उच्च वर्ग के लोगों के जीवन-स्तर में बहुत अंतर था। किंतु हिंदुओं की तुलना में वे बहुत अच्छा जीवन बिताते थे।
iii) निम्न वर्ग-इस वर्ग में दास-दासियाँ, नौकर और श्रमिक शामिल थे। इनकी संख्या बहुत अधिक थी। उनका जीवन अच्छा नहीं था। उनके स्वामी उन पर बहुत अत्याचार करते थे।
2. स्त्रियों की दशा-मुस्लिम समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। वे बहुत कम शिक्षित होती थीं। बहुविवाह और तलाक प्रथा ने उनकी दशा और दयनीय बना दी थी।
3. भोजन-उच्च वर्ग के मुसलमान कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन खाते थे। वे माँस, हलवा, पूड़ी और मक्खन इत्यादि का बहुत प्रयोग करते थे। निम्न वर्ग से संबंधित लोगों का भोजन साधारण होता था।
4. पहनावा-उच्च वर्ग के मुसलमानों के वस्त्र बहुमूल्य होते थे। ये वस्त्र रेशम और मखमल से निर्मित थे। निम्न वर्ग के लोग सूती वस्त्र पहनते थे। पुरुषों में कुर्ता और पायजामा पहनने की, जबकि स्त्रियों में लंबा बुर्का पहनने की प्रथा थी।
5. शिक्षा-16वीं शताब्दी के आरंभ में मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य उलमा और मौलवी करते थे। वे मस्जिदों, मकतबों और मदरसों में शिक्षा देते थे। मस्जिदों और मकतबों में प्रारंभिक शिक्षा दी जाती थी, जबकि मदरसों में उच्च शिक्षा। उस समय मुसलमानों के पंजाब में सबसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र लाहौर और मुलतान में थे।
6. मनोरंजन के साधन-16वीं शताब्दी के आरंभ में मुसलमान अपना मनोरंजन कई साधनों से करते थे। वे शिकार करने, चौगान खेलने, जानवरों की लड़ाइयाँ देखने और घुड़दौड़ में भाग लेने के बहुत शौकीन थे। वे अपने त्योहारों को बड़ी धूम-धाम से मनाते थे।
प्रश्न 12.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के समाज में हिंदुओं की सामाजिक अवस्था कैसी थी ?
(What was the social condition of the Hindus of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदू समाज की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. जाति प्रथा—हिंदू समाज कई जातियों व उप-जातियों में विभाजित था। समाज में सर्वोच्च स्थान ब्राह्मणों को प्राप्त था। मुस्लिम शासन की स्थापना के कारण क्षत्रियों ने नए व्यवसाय जैसे दुकानदारी, कृषि इत्यादि अपना लिए थे। वैश्य व्यापार और कृषि का ही व्यवसाय करते थे। निम्न जातियों के साथ इस काल में दुर्व्यवहार किया जाता था।
2. स्त्रियों की दशा-हिंदू समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी। समाज में उनका स्तर पुरुषों के समान नहीं था। लड़कियों की शिक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। उनका अल्पायु में ही विवाह कर दिया जाता था। इस काल में सती प्रथा बहुत ज़ोरों पर थी। विधवा को पुनर्विवाह करने की अनुमति नहीं थी।
3. खान-पान—हिंदुओं का भोजन साधारण होता था। अधिकाँश हिंदू शाकाहारी होते थे। उनका भोजन गेहूँ, चावल, सब्जियाँ, घी और दूध इत्यादि से तैयार किया जाता था। वे माँस, लहसुन और प्याज़ का प्रयोग नहीं करते थे। गरीब लोग साधारण रोटी के साथ लस्सी पीकर अपना निर्वाह करते थे।
4. पहनावा—हिंदुओं का पहनावा बहुत साधारण होता था। वे प्रायः सूती वस्त्र पहनते थे। पुरुष धोती और कुर्ता पहनते थे। वे सिर पर पगड़ी भी बाँधते थे। स्त्रियाँ साड़ी, चोली और लहंगा पहनती थीं। निर्धन लोग चादर से ही अपना शरीर ढाँप लेते थे।
5. मनोरंजन के साधन-हिंदू नृत्य, गीत और संगीत के बहुत शौकीन थे। वे ताश और शतरंज भी खेलते थे। गाँवों के लोग जानवरों की लड़ाइयाँ और मल्लयुद्ध देखकर अपना मनोरंजन करते थे। इसके अतिरिक्त हिंदू अपने त्योहारों दशहरा, दीवाली, होली आदि में भी भाग लेते थे।
6. शिक्षा-16वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदू लोग ब्राह्मणों से मंदिरों और पाठशालाओं में शिक्षा प्राप्त करते थे। पंजाब में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु हिंदुओं का कोई केंद्र नहीं था। धनी वर्ग के हिंदू मदरसों से उच्च शिक्षा प्राप्त करते थे।
प्रश्न 13.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में प्रचलित शिक्षा प्रणाली के बारे में संक्षेप जानकारी दें।
(Give a brief account of prevalent education in the Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में शिक्षा के क्षेत्र में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई थी। मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य उलमा और मौलवी करते थे। वे मस्जिदों, मकतबों और मदरसों में शिक्षा देते थे। राज्य सरकार उन्हें अनुदान देती थी। मस्जिदों और मकतबों में प्रारंभिक शिक्षा दी जाती थी जबकि मदरसों में उच्च शिक्षा। मदरसे प्रायः शहरों में ही होते थे। उस समय मुसलमानों के पंजाब में सबसे अधिक शिक्षा केंद्र लाहौर और मलतान में थे। इनके अतिरिक्त जालंधर, सुल्तानपुर, समाना, नारनौल, भटिंडा, सरहिंद, स्यालकोट और काँगड़ा भी शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्र थे। हिंदू लोग ब्राह्मणों से मंदिरों और पाठशालाओं में शिक्षा प्राप्त करते थे। इनमें प्रारंभिक शिक्षा के संबंध में जानकारी दी जाती थी। पंजाब में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु हिंदुओं का कोई केंद्र नहीं था। धनी वर्ग के हिंदू अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए मुसलमानों के मदरसों में भेज देते थे। उनकी संख्या न के बराबर थी क्योंकि मुसलमान हिंदुओं को घृणा की दृष्टि से देखते थे।
प्रश्न 14.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों के मनोरंजन के मुख्य साधन क्या थे ?
(What were the main means of entertainment of the people of Punjab in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में मुसलमान अपना मनोरंजन कई साधनों से करते थे। वे शिकार करने, चौगान खेलने, जानवरों की लड़ाइयाँ देखने और घुड़दौड़ में भाग लेने के बहुत शौकीन थे। वे समारोहों और महफिलों में बढ़कर भाग लेते थे। इनमें संगीतकार और नर्तकियाँ उनका मनोरंजन करती थीं। वे शतरंज और चौपड़ खेलकर भी अपना मनोरंजन करते थे। मुसलमान ईद, नौरोज और शब-ए-बरात इत्यादि के त्योहारों को बड़ी धूम-धाम से मनाते थे। 16वीं शताब्दी के आरंभ में हिंदू, नृत्य, गीत और संगीत के बहुत शौकीन थे। वे ताश और शतरंज भी खेलते थे। गाँवों के लोग जानवरों की लड़ाइयाँ और मल्लयुद्ध देखकर अपना मनोरंजन करते थे। इनके अतिरिक्त हिंदू अपने त्योहारों में भी भाग लेते थे।
प्रश्न 15.
सोलहवीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की आर्थिक हालत का संक्षिप्त ब्योरा दें।
(Give a brief account of the economic condition of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
अथवा
16वीं शताब्दी में पंजाब की आर्थिक हालत का वर्णन करें।
(Briefly explain the economic condition of Punjab during the 16th century.)
अथवा
16वीं सदी के शुरू में पंजाब की आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
(Briefly mention the economic condition of the Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों की आर्थिक दशा बहुत अच्छी थी। उपजाऊ भूमि, विकसित व्यापार तथा लोगों के परिश्रम ने पंजाब को एक समृद्ध प्रदेश बना दिया। 16वीं शताब्दी के पंजाब के लोगों के आर्थिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है—
1. कृषि-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। पंजाब की भूमि बहुत उपजाऊ थी। सिंचाई के लिए कृषक मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर करते थे। यहाँ पर फसलों की भरपूर पैदावार होती थी। यहाँ की मुख्य फसलें गेहूँ, कपास, जौ, मकई, चावल और गन्ना थीं। फसलों की भरपूर उपज होने के कारण पंजाब को भारत का अन्न भंडार कहा जाता था।
2. उद्योग-कृषि के पश्चात् पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय उद्योग था। ये उद्योग सरकारी भी थे और व्यक्तिगत भी। पंजाब के उद्योगों में वस्त्र उद्योग सर्वाधिक प्रसिद्ध था। यहाँ सूती, ऊनी और रेशमी तीनों प्रकार के वस्त्र निर्मित होते थे। कपड़ा उद्योग के अतिरिक्त उस समय पंजाब में चमड़ा, शस्त्र, बर्तन, हाथी दाँत और खिलौने इत्यादि बनाने के लिए उद्योग भी प्रचलित थे।
3. पशु पालन-पंजाब के कुछ लोग पशु पालन का व्यवसाय करते थे। पंजाब में पालतू रखे जाने वाले मुख्य पशु गाय, बैल, भैंसे, घोड़े, खच्चर, ऊँट, भेड़ें और बकरियाँ इत्यादि थे। इन पशुओं से दूध, ऊन और भार ढोने का काम लिया जाता था।
4. व्यापार–पंजाब का व्यापार काफ़ी विकसित था। व्यापार का कार्य कुछ विशेष श्रेणियों के हाथ में होता था। पंजाब का विदेशी व्यापार मुख्य रूप से अफ़गानिस्तान, ईरान, अरब, सीरिया, तिब्बत, भूटान और चीन इत्यादि देशों के साथ होता था। पंजाब से इन देशों को अनाज, वस्त्र, कपास, रेशम और चीनी निर्यात की जाती थी। इन देशों से पंजाब घोड़े, फर, कस्तूरी और मेवे आयात करता था।
5. व्यापारिक नगर-16वीं शताब्दी के आरंभ में लाहौर और मुलतान पंजाब के दो प्रसिद्ध व्यापारिक नगर थे। इनके अतिरिक्त पेशावर, जालंधर, अमृतसर तथा लुधियाना पंजाब के अन्य प्रसिद्ध व्यापारिक नगर थे।
6. जीवन स्तर-उस समय पंजाब के लोगों के जीवन स्तर में बहुत अंतर था। मुसलमानों के उच्च वर्ग के लोगों के पास धन का बाहुल्य था। हिंदुओं के उच्च वर्ग के पास धन तो बहुत था, किंतु मुसलमान उनसे यह धन लूट कर ले जाते थे। समाज के मध्य वर्ग में मुसलमानों का जीवन स्तर तो अच्छा था, परंतु हिंदू अपना निर्वाह बहुत मुश्किल से करते थे। समाज में निर्धनों और कृषकों का जीवन-स्तर बहुत निम्न था।
प्रश्न 16.
सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में पंजाब की खेती-बाड़ी संबंधी संक्षेप जानकारी दें। (Give a brief account of the agriculture of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ में पंजाब के लोगों का मुख्य कार्य खेती-बाड़ी था। पंजाब की जमीन बहुत उपजाऊ थी। खेती के अधीन और भूमि लाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कृषकों को विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाती थीं। यहाँ के लोग बड़े परिश्रमी थे। सिंचाई के लिए कृषक मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर करते थे किंतु नहरों, तालाबों और कुओं का प्रयोग भी किया जाता था। इन कारणों से चाहे पंजाब के कृषक पुराने ढंग से खेती करते थे तब भी यहाँ फसलों की भरपूर पैदावार होती थी। पंजाब की प्रमुख फसलें गेहूँ, जौ, मक्का , चावल और गन्ना थीं। इनके अतिरिक्त पंजाब में कपास, बाजरा, ज्वार, सरसों और कई किस्मों की दालें भी पैदा की जाती थीं। फसलों की भरपूर पैदावार होने के कारण पंजाब को भारत का अन्न भंडार कहा जाता था।
प्रश्न 17.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के उद्योग के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about the Punjab Industries in the beginning of the 16th century ?)
अथवा
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के प्रसिद्ध उद्योगों का विवरण दें। (Give an account of the main industries of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
कृषि के पश्चात् पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय उद्योग था। ये उद्योग सरकारी भी थे और व्यक्तिगत भी। सरकारी उद्योग बड़े-बड़े शहरों में स्थापित थे जबकि व्यक्तिगत (निजी) गाँवों में। पंजाब के उद्योगों में वस्त्र उद्योग सर्वाधिक प्रसिद्ध था। वहाँ सूती, ऊनी और रेशमी तीनों प्रकार के वस्त्र निर्मित होते थे। क्योंकि पंजाब के उच्च वर्ग के लोगों में रेशमी वस्त्र की बहुत माँग थी, इसलिए पंजाब में यह वस्त्र अधिक मात्रा में तैयार किया जाता था। समाना, सुनाम, सरहिंद, दीपालपुर, जालंधर, लाहौर और मुलतान इस उद्योग के प्रसिद्ध केंद्र थे। गुजरात और स्यालकोट में चिकन के वस्त्र तैयार किए जाते थे। मुलतान और सुल्तानपुर शीट के वस्त्रों के लिए विख्यात थे। स्यालकोट में धोतियाँ, साड़ियाँ, पगड़ियाँ और बढ़िया कढ़ाई वाली लुंगियाँ तैयार की जाती थीं। अमृतसर, काँगड़ा और कश्मीर गर्म वस्त्र तैयार करने के प्रसिद्ध केंद्र थे। कपड़ा उद्योग के अतिरिक्त उस समय पंजाब में चमड़ा, शस्त्र, बर्तन, हाथी दाँत और खिलौने इत्यादि बनाने के लिए उद्योग भी प्रचलित थे।
प्रश्न 18.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Give a brief account of the trade of Punjab in the beginning of the 16th century.)
उत्तर-
पंजाब का व्यापार काफ़ी विकसित था। व्यापार का कार्य कुछ विशेष श्रेणियों के हाथ में होता था। हिंदुओं की क्षत्रिय, महाजन, बनिये, सूद और अरोड़ा नामक जातियाँ तथा मुसलमानों की बोहरा और खोजा नामक जातियाँ व्यापार का कार्य करती थीं। माल के परिवहन का कार्य बनजारे करते थे। व्यापारी चोरों, डाकुओं के भय से काफिलों के रूप में चलते थे। उस समय हुंडी बनाने की भी प्रथा थी। शाहूकार ब्याज पर पैसा देते थे। मेलों और त्योहारों के समय विशेष मंडियाँ लगाई जाती थीं। पंजाब में ऐसी मंडियाँ मुलतान, लाहौर, जालंधर, दीपालपुर, सरहिंद, सुनाम और समाना इत्यादि स्थानों पर लगाई जाती थीं। इन मंडियों से बड़ी संख्या में लोग अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदते थे। पशुओं के व्यापार के लिए भी पंजाब में विशेष मंडियाँ लगती थीं। उस समय पंजाब का विदेशी व्यापार मुख्य रूप से अफ़गानिस्तान, ईरान, अरब, सीरिया, तिब्बत, भूटान और चीन इत्यादि देशों के साथ होता था। पंजाब से इन देशों को अनाज, वस्त्र, कपास, रेशम और चीनी निर्यात की जाती थी। इन देशों से पंजाब घोड़े, फर, कस्तूरी और मेवे आयात करता था।
प्रश्न 19.
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का जीवन स्तर कैसा था ? (What was the living standard of people in the beginning of the 16th century ?)
उत्तर-
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब के लोगों का जीवन स्तर एक-सा नहीं था। मुसलमानों के उच्च वर्ग के लोगों के पास धन का बाहुल्य था और वे ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। वे बड़े शानदार महलों में रहते थे। उनकी पोशाकें बहुत कीमती होती थीं तथा वे विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट भोजन खाते थे। सुरा तथा सुंदरी उनके जीवन का एक अभिन्न अंग था। उनकी सेवा के लिए बड़ी संख्या में नौकर, दास तथा दासियाँ होती थीं। हिंदुओं के उच्च वर्ग के पास धन तो बहुत था किंतु मुसलमान उनसे यह धन लूट कर ले जाते थे। इसलिए वे अपना धन छुप कर खर्च करते थे। समाज के मध्य वर्ग में मुसलमानों का जीवन स्तर तो अच्छा था, परंतु हिंदुओं का जीवन स्तर संतोषजनक नहीं था। हिंदू अपना निर्वाह बहुत मुश्किल से करते थे। समाज में निर्धनों और कृषकों का जीवन स्तर बहुत निम्न था। वे न तो अच्छे वस्त्र पहन सकते थे न ही अच्छा भोजन खा सकते थे। वे प्रायः साहूकारों के ऋणी रहते थे।
Source Based Questions
नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
1
बहलोल लोधी की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र सिकंदर लोधी 1489 ई० में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। उसने 1517 ई० तक शासन किया। मुस्लिम इतिहासकारों की दृष्टि में वह एक बहुत ही न्यायप्रिय और दयालु सुल्तान था परंतु उसकी न्यायप्रियता और दया केवल मुसलमानों तक ही सीमित थी। वह फिरोजशाह तुग़लक तथा औरंगजेब की भाँति एक कट्टर मुसलमान था। वह हिंदुओं को बहुत घृणा की दृष्टि से देखता था। उसने हिंदुओं के प्रति बहुत कठोर और अत्याचारपूर्ण नीति अपनाई। उसने हिंदुओं के अनेक प्रसिद्ध मंदिरों को नष्ट कर दिया था तथा उनके स्थानों पर मस्जिदों का निर्माण करवाया। उसने हिंदुओं का यमुना में स्नान करने पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने हिंदुओं को बलपूर्वक इस्लाम धर्म में शामिल करना आरंभ कर दिया। उसने बोधन नामक एक ब्राह्मण को इसलिए मृत्यु के घाट उतार दिया क्योंकि उसने हिंदू धर्म को इस्लाम धर्म के समान अच्छा कहा था।
- सिकंदर लोधी कौन था ?
- सिकंदर लोधी कब सिंहासन पर बैठा ?
- 1485 ई०
- 1486 ई०
- 1487 ई०
- 1489 ई०
- मुस्लिम इतिहासकार सिकंदर लोधी को कैसा सुल्तान मानते थे ?
- सिकंदर लोधी ने हिंदुओं के प्रति कौन-सा कदम उठाया ?
- सिकंदर लोधी ने बोधन ब्राह्मण को क्यों मौत के घाट उतार दिया था ?
उत्तर-
- सिकंदर लोधी दिल्ली का सुल्तान था । उसने 1489 ई० से 1517 ई० तक शासन किया।
- 1489 ई०।
- एक बहुत ही न्यायप्रिय व दयालु सुल्तान।
- उसने हिंदुओं को ज़बरदस्ती इस्लाम धर्म में शामिल कर लिया।
- उसने हिंदू धर्म को इस्लाम धर्म के बराबर अच्छा कहा था।
2
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में प्रजा की दशा बहुत दयनीय थी। शासक वर्ग जश्नों में अपना समय व्यतीत करते थे। ऐसी स्थिति में प्रजा की ओर किसी का ध्यान ही नहीं था। सरकारी कर्मचारी भ्रष्ट हो चुके थे। चारों ओर रिश्वत का बोलबाला था। सुल्तान तो सुल्तान, काज़ी और उलेमा भी रिश्वत लेकर न्याय देते थे। हिंदुओं पर अत्याचार बहुत बढ़ गए थे। उन्हें तलवार की नोक पर बलपूर्वक इस्लाम धर्म में शामिल किया जाता था।
- 16वीं सदी के आरंभ में प्रजा की हालत कैसी थी ?
- 16वीं सदी के आरंभ में सरकारी कर्मचारियों का आचरण कैसा था ?
- 16वीं सदी के आरंभ में सुल्तान, काज़ी तथा उलेमा न्याय कैसे करते थे ?
- 16वीं सदी के आरंभ में राज्य की ओर से क्या नीति अपनाई जाती थी ?
- 16वीं शताब्दी में शासक वर्ग ……… में अपना समय व्यतीत करते थे।
उत्तर-
- 16वीं सदी के आरंभ में प्रजा की हालत दयनीय थी।
- उस समय सरकारी कर्मचारी बहुत भ्रष्ट हो चुके थे।
- उस समय सुल्तान, काजी तथा उलेमा रिश्वत लेकर न्याय करते थे।
- उस समय राज्य की ओर से हिंदुओं पर बहुत अत्याचार किए जाते थे।
- जश्नों ।
3
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक दशा भी बहुत दयनीय थी। उस समय समाज हिंदू और मुसलमान नामक दो मुख्य वर्गों में विभाजित था। क्योंकि मुसलमान शासक वर्ग से संबंध रखते थे, इसलिए उन्हें समाज में विशेष अधिकार प्राप्त थे। उन्हें राज्य के उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था। दूसरी ओर हिंदू जोकि जनसंख्या के अधिकाँश भाग से संबंधित थे, को लगभग सभी अधिकारों से वंचित रखा गया था। उन्हें काफिर और जिम्मी कहकर पुकारा जाता था। मुसलमान हिंदुओं पर इतने अत्याचार करते थे कि बहुत-से हिंदू मुसलमान बनने पर विवश हो गए थे।
- 16वीं सदी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक दशा को बहुत खराब क्यों माना जाता था ?
- 16वीं सदी के आरंभ में किन लोगों को अधिकारों से वंचित रखा गया था ?
- काफ़िर किसे कहा जाता था ?
- जज़िया क्या था ?
- मुसलमान ………… वर्ग से संबंध रखते थे।
उत्तर-
- क्योंकि समाज में स्त्रियों की हालत बड़ी दयनीय थी।
- हिंदुओं को।
- गैर-मुसलमानों को काफ़िर समझा जाता था।
- जज़िया हिंदुओं से लिया जाने वाला एक कर था।
- शासक।
4
16वीं शताब्दी के आरंभ में शिक्षा के क्षेत्र में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई थी। मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य उलेमा और मौलवी करते थे। वे मस्जिदों, मकतबों और मदरसों में शिक्षा देते थे। राज्य सरकार उन्हें अनुदान देती थी। मस्जिदों और मकतबों में प्रारंभिक शिक्षा दी जाती थी जबकि मदरसों में उच्च शिक्षा। मदरसे प्रायः शहरों में ही होते थे। उस समय मुसलमानों के पंजाब में सबसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र लाहौर और मुलतान में थे। इनके अतिरिक्त जालंधर, सुल्तानपुर, समाना, नारनौल, बठिंडा, सरहिंद, स्यालकोट और काँगड़ा भी शिक्षा के प्रसिद्ध केंद्र थे।
- 16वीं सदी के आरंभ में शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति क्यों नहीं हुई थी ?
- क्या मौलवी मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य करते थे ?
- मुसलमानों को आरंभिक शिक्षा कहाँ दी जाती थी ?
- 16वीं शताब्दी के आरंभ में मुसलमानों की शिक्षा का कोई एक प्रसिद्ध केंद्र का नाम लिखें।
- मदरसे प्रायः …………… में होते थे।
उत्तर-
- 16वीं शताब्दी के आरंभ में शिक्षा देने की जिम्मेवारी सरकार की नहीं होती थी।
- हाँ, मौलवी मुसलमानों को शिक्षा देने का कार्य करते थे।
- मुसलमानों को आरंभिक शिक्षा मस्जिदों तथा मकतबों में दी जाती थी।
- 16वीं सदी के आरंभ में मुसलमानों की शिक्षा का एक प्रसिद्ध केंद्र लाहौर था।
- शहरों।
5
सूफी मत 16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब में बहुत लोकप्रिय था। सूफी संत शेख अथवा पीर के नाम से भी जाने जाते थे। वे एक अल्लाह में विश्वास रखते थे। वे अल्लाह को छोड़ कर किसी अन्य की पूजा में विश्वास नहीं रखते थे। उनके अनुसार अल्लाह सर्वशक्तिमान् है और वह प्रत्येक स्थान पर विद्यमान है। अल्लाह को प्राप्त करने के लिए वे प्रेम भावना पर बल देते थे। वे धर्म के बाह्याडंबरों में विश्वास नहीं रखते थे। अल्लाह को प्राप्त करने के लिए वे पीर अथवा गुरु का होना अत्यावश्यक मानते थे। वे संगीत में भी विश्वास रखते थे। उन्होंने कव्वाली गाने की प्रथा चलाई। मनुष्य की सेवा करना वे आवश्यक मानते थे। उनका जाति-प्रथा में कोई विश्वास नहीं था। वे अन्य धर्मों का आदर करते थे। सूफ़ी शेखों की विचारधारा को तस्सवुफ़ भी कहा जाता है।
- सूफ़ी मत किस धर्म से संबंधित था ?
- सूफ़ी शेख अन्य किस नाम से जाने जाते थे ?
- सूफ़ी शेखों की विचारधारा को क्या कहा जाता है ?
- सूफी मत का कोई एक सिद्धांत लिखें।
- अल्लाह को प्राप्त करने के लिए सूफ़ी किस का होना आवश्यक मानते थे ?
- पीर
- कव्वाली
- दरगाह
- उपरोक्त सारे।
उत्तर-
- सूफी मत इस्लाम धर्म से संबंधित था।
- सूफ़ी शेख ‘पीर’ के नाम से जाने जाते थे।
- सूफ़ी शेखों की विचारधारा को तस्सवुफ़ कहा जाता था।
- वह एक अल्लाह में विश्वास रखते हैं।
- पीर।
16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दशा PSEB 12th Class History Notes
- राजनीतिक दशा (Political Condition)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की राजनीतिक दशा बड़ी दयनीय थी-पंजाब दिल्ली सल्तनत के अधीन था जिस पर लोधी सुल्तानों का शासन था— 1469 ई० में दिल्ली सुल्तान बहलोल लोधी ने ततार खाँ लोधी को पंजाब का गवर्नर नियुक्त कियाततार खाँ लोधी सुल्तान के खिलाफ किए गए असफल विद्रोह में मारा गया-1500 ई० में एक नए लोधी सुल्तान सिकंदर लोधी ने दौलत खाँ लोधी को पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया- इब्राहीम लोधी के नए सुल्तान बनते ही दौलत खाँ लोधी ने उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने आरंभ कर दिए—दौलत खाँ ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया-बाबर ने 1519 ई० से 1526 ई० तक पंजाब पर पाँच आक्रमण किए—अपने पाँचवें आक्रमण के दौरान बाबर ने दौलत खाँ लोधी को हरा कर पंजाब पर अधिकार कर लिया-21 अप्रैल, 1526 ई० को पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर ने इब्राहिम लोधी को परास्त किया—परिणामस्वरूप पंजाब लोधी वंश के हाथों से निकल कर मुग़ल वंश के हाथों में चला गया।
- सामाजिक दशा (Social Condition)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की सामाजिक दशा बड़ी ही दयनीय थी—समाज हिंदू और मुसलमान नामक दो मुख्य वर्गों में विभाजित था—शासक वर्ग से संबंधित होने के कारण मुसलमानों को विशेष अधिकार प्राप्त थे—मुस्लिम समाज उच्च, मध्य तथा निम्न वर्गों में विभाजित था—मुस्लिम स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी—हिंदू बहुसंख्या में थे, परंतु उन्हें अधिकारों से वंचित रखा गया था-हिंदू समाज कई जातियों तथा उपजातियों में बँटा हुआ था–हिंदू स्त्रियों को पुरुषों के बराबर नहीं समझा जाता था—समाज का अमीर वर्ग स्वादिष्ट भोजन करता और बहुमूल्य वस्त्र पहनता था–निम्न वर्गों का भोजन और वस्त्र साधारण होते थे—उस समय शिकार, चौगान, जानवरों की लड़ाइयाँ, शतरंज, नृत्य, संगीत और ताश आदि मनोरंजन के साधन थे—शिक्षा मस्जिदों, मदरसों और मंदिरों में प्रदान की जाती थी।
- आर्थिक दशा (Economic Condition)-16वीं शताब्दी के आरंभ में पंजाब की आर्थिक दशा … बहुत अच्छी थी—पंजाब के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था—यहाँ की मुख्य फसलें गेहूँ, कपास, जौ, मकई और गन्ना थीं—फसलों की पर्याप्त उपज होती थी—लोगों का दूसरा मुख्य व्यवसाय उद्योग था – उद्योगों में वस्त्र उद्योग सर्वाधिक प्रसिद्ध था—चमड़ा, शस्त्र, बर्तन, हाथी दाँत और खिलौने आदि के उद्योग भी प्रचलित थे—पशु पालन का व्यवसाय भी किया जाता था—पंजाब का आंतरिक तथा विदेशी व्यापार बड़ा उन्नत था—विदेशी व्यापार अफ़गानिस्तान, ईरान, अरब, सीरिया, तिब्बत और चीन आदि देशों के साथ था-लाहौर और मुलतान पंजाब के दो सर्वाधिक प्रसिद्ध नगर थे—कम मूल्यों के कारण साधारण लोगों का निर्वाह भी सुगमता से हो जाता था।