Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच Textbook Exercise Questions, and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 11 पूर्ति तथा कीमत पूर्ति की लोच
PSEB 11th Class Economics आय की धारणाएँ Textbook Questions and Answers
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
पूर्ति की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
प्रो० थॉमस के अनुसार, “वस्तुओं की पूर्ति वह मात्रा है जो एक बाज़ार में किसी निश्चित समय पर विभिन्न कीमतों पर बिकने के लिए प्रस्तुत की जाती है।”
प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ति के नियम अनुसार, अन्य बातें सामान रहें तो वस्तु की कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत कम होने पर पूर्ति कम हो जाती है।
प्रश्न 3.
एक ही पूर्ति वक्र पर ऊपर की ओर संचलन का क्या कारण होता है ?
उत्तर-
कीमत में वृद्धि।
प्रश्न 4.
एक ही पूर्ति वक्र पर नीचे की ओर संचलन का क्या कारण होता है ?
उत्तर-
कीमत में कमी।
प्रश्न 5.
किसी वस्तु की पूर्ति वक्र पर संचलन का क्या कारण होता है ?
उत्तर-
कीमत में परिवर्तन।
प्रश्न 6.
पूर्ति तालिका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ति तालिका वह तालिका है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बिक्री के लिए प्रस्तुत की जाने वाली विभिन्न मात्राओं को प्रकट करती है।
प्रश्न 7.
बाज़ार पूर्ति तालिका अथवा बाज़ार पूर्ति अवसूची से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की पूर्ति करने वाली सभी फ़र्मों की पूर्ति के जोड़ को बाजार पूर्ति तालिका कहते हैं।
प्रश्न 8.
पूर्ति के विस्तार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
यदि अन्य बातें समान रहें, तो किसी वस्तु की कीमत के बढ़ने पर पूर्ति में वृद्धि हो जाती है तो इसको पूर्ति का विस्तार कहते हैं।
प्रश्न 9.
पूर्ति के संकुचन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
यदि अन्य बातें समान रहें तो किसी वस्तु की कीमत में कमी आने से पूर्ति घटती है तो इसको पूर्ति का संकुचन कहते हैं।
प्रश्न 10.
पूर्ति में वृद्धि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उसी कीमत पर अधिक मात्रा की पूर्ति या कम कीमत पर पहले जितनी मात्रा की पूर्ति को पूर्ति में वृद्धि कहा जाता है।
प्रश्न 11.
पूर्ति में कमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उसी कीमत पर कम मात्रा की पूर्ति या कीमत के बढ़ने पर पहले जितनी मात्रा की पूर्ति को पूर्ति की कमी कहा जाता है।
प्रश्न 12.
कीमत पूर्ति की लोच से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के कारण पूर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को कीमत पूर्ति की लोच कहते हैं।
प्रश्न 13.
पूर्ण लोचदार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत में थोड़े से परिवर्तन के कारण पूर्ति में अंततः परिवर्तन हो जाए तो इसको पूर्ण लोचदार पूर्ति कहते हैं।
प्रश्न 14.
पूर्ण बेलोचदार पूर्ति कब होती है ?
उत्तर-
जब कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो पूर्ति पूर्ण बेलोचदार होती है।
प्रश्न 15.
इकाई से अधिक लोचदार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत में परिवर्तन की दर से पूर्ति में अधिक दर से परिवर्तन होता है तो इसको इकाई से अधिक लोचदार पूर्ति कहते हैं।
प्रश्न 16.
इकाई से कम लोचदार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस दर से कीमत में परिवर्तन होता है यदि उससे कम दर पर पूर्ति में परिवर्तन हो तो इसको कम लोचदार पूर्ति कहते हैं।
प्रश्न 17.
कीमत पूर्ति की लोच के माप की आनुपातिक विधि का सूत्र लिखें।
उत्तर-
प्रश्न 18.
कीमत पूर्ति की लोच के माप की ज्यामितीय विधि (Geometric Method) का सूत्र लिखें।
उत्तर-
Es = \(\frac{\Delta \mathrm{Q}}{\Delta \mathrm{S}} \times \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}} \)
प्रश्न 19.
यदि कीमत 10 रुपए प्रति इकाई है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता परन्तु पूर्ति 20 वस्तुओं से बढ़ कर 30 वस्तुएँ हो जाती हैं तो यह पूर्ति के किस प्रकार के परिवर्तन को बताता है ?
उत्तर-
पूर्ति में वृद्धि।
प्रश्न 20.
यदि वस्तु की कीमत 10 रु० प्रति वस्तु से बढ़ कर 20 रु० प्रति वस्तु हो जाती है और पर्ति 100 वस्तुओं से बढ़ कर 200 वस्तुएँ हो जाती हैं तो इस परिवर्तन को पूर्ति का विस्तार/पूर्ति की वृद्धि।
उत्तर-
पूर्ति का विस्तार।
प्रश्न 21.
एक विक्रेता के पास निश्चित समय वस्तु की जो मात्रा बाजार में उपलब्ध होती है उसको कहा जाता है …………… ।
(a) स्टॉक
(b) माँग की मात्रा
(c) प्रवाह
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) स्टॉक।
प्रश्न 22.
अन्य बातें समान रहने पर कीमत की वृद्धि से पूर्ति में जो वृद्धि होती है इसको पूर्ति का …….. कहा जाता है।
(a) वृद्धि
(b) विस्तार
(c) संकुचन
(d) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) विस्तार।
प्रश्न 23.
अन्य बातें समान रहने पर कीमत की कमी से पूर्ति में जो कमी होती है इसको पूर्ति का ……….. कहते हैं।
(a) वृद्धि
(b) विस्तार
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) संकुचन।
प्रश्न 24.
कीमत समान रहती है और पूर्ति में वृद्धि होती है तो इस को पूर्ति का ………. कहते हैं।
(a) वृद्धि
(b) विस्तार
(c) संकुचन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(a) वृद्धि।
प्रश्न 25.
कीमत बढ़ने से वस्तु की पहले जितनी पूर्ति को कहा जाता है।
(a) पूर्ति की वृद्धि
(b) पूर्ति का विस्तार
(c) पूर्ति का संकुचन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) पूर्ति की वृद्धि।
प्रश्न 26.
समान कीमत पर कम मात्रा में पूर्ति अथवा कम कीमत पर पहले जितनी पूर्ति को ………… कहा जाता है।
(a) पूर्ति की वृद्धि
(b) पूर्ति का विस्तार ।
(c) पूर्ति में कमी
(d) पूर्ति का संकुचन।
उत्तर-
(c) पूर्ति में कमी।
प्रश्न 27.
कीमत में वृद्धि के कारण, पूर्ति में हुई वृद्धि को ………. कहते हैं।
(a) पूर्ति में वृद्धि
(b) पूर्ति में कमी
(c) पूर्ति में विस्तार
(a) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) पूर्ति का विस्तार।
प्रश्न 28.
निम्नलिखित में से पूर्ति का निर्धारित कौन सा है ?
(a) माँग
(b) माँग की लोच
(c) कीमत
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) कीमत।
प्रश्न 29.
किस स्थिति में कीमत स्थिर रहेगी जब माँग तथा पूर्ति दोनों बढ़ती अथवा घटती हैं ?
उत्तर-
जब माँग तथा पूर्ति दोनों एक ही अनुपात में बढ़ती अथवा कम होती हैं तो कीमत स्थिर रही है।
प्रश्न 30.
कीमत में कमी कारण पूर्ति में कमी को पूर्ति का ……… कहते हैं।
उत्तर-
कीमत में कमी कारण पूर्ति में कमी को पूर्ति का संकुचन कहते हैं।
प्रश्न 31.
पूर्ति की कीमत लोच, कीमत और पर्ति के किस प्रकार का सम्बन्ध दर्शाती है।
उत्तर-
पूर्ति की कीमत लोच कीमत में होने वाले परिवर्तन के परिणाम स्वरूप पूर्ति में होने वाले परिवर्तन के सम्बन्ध को दर्शाती हैं।
प्रश्न 32.
बाकी बातें सामान्य रहें कीमत में वृद्धि से पूर्ति में वृद्धि होती तो इस को पूर्ति का विस्तार कहते
उत्तर-
सही।
प्रश्न 33.
Σs = …………. हैं।
उत्तर-
Σs = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
प्रश्न 34.
कीमत सामान्य रहे और पूर्ति में वृद्धि हो जाए तो इसको पूर्ति में वृद्धि कहते हैं।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 35.
कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इस को पूर्ण बेलोचदार पूर्ति कहते
उत्तर-
सही।
प्रश्न 36.
जब पूर्ति में कमी, आय, फैशन आदि कारणों से होती है तो इसको ………. कहते हैं।
(a) पूर्ति में संकुचन
(b) पूर्ति में कमी
(c) पूर्ति में विस्थापन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) पूर्ति में कमी।
प्रश्न 37.
जब आय, फैशन आदि करके पूर्ति में वृद्धि होती है तो ……… कहते हैं।
(a) पूर्ति में संकुचन
(b) पूर्ति में कमी
(c) पूर्ति में विस्थापन
(d) पूर्ति में विस्तार।
उत्तर-
(d) पूर्ति में विस्तार।
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
पूर्ति से क्या अभिप्राय है ? पूर्ति अनुसूची तथा वक्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से होता है, जो निश्चित समय निश्चित कीमत पर विक्रेता बेचने के लिए तैयार होता है।
सूची तथा रेखाचित्र 1 में ₹ 10 कीमत पर पूर्ति 100 वस्तुओं की पूर्ति है तथा ₹ 20 पर 200 वस्तुओं की पूर्ति है। SS पूर्ति वक्र है।
प्रश्न 2.
पूर्ति के नियम से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
एक काल्पनिक पूर्ति वक्र द्वारा पूर्ति के नियम को स्पष्ट करो।
उत्तर-
पूर्ति का नियम यह बताता है कि जब शेष बातें समान रहती हैं, कीमत में वृद्धि से पूर्ति बढ़ जाती है तथा कीमत के घटने से पूर्ति कम हो जाती है, इसको पूर्ति का नियम कहते हैं। (इसको सूची पत्र तथा रेखाचित्र 1 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।)
प्रश्न 3.
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन (Change in Quantity Supplied) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
पूर्ति के विस्तार तथा संकुचन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब कीमत में परिवर्तन से पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है तो इसको पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन कहते हैं, जैसे कि कीमत के बढ़ने से पूर्ति बढ़ जाती है तो इसको पूर्ति का विस्तार (Extension in Supply) कहते हैं, परन्तु जब कीमत के घटने से पूर्ति कम हो जाती है तो इसको पूर्ति का संकुचन (Contraction in Supply) कहा जाता है, जैसे कि रेखाचित्र 1 में दिखाया गया है।
प्रश्न 4.
पूर्ति में परिवर्तन (Change in Supply) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
पूर्ति में वृद्धि तथा कमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब कीमत के बिना अन्य कारणों करके पूर्ति में परिवर्तन होता है तो इसको पूर्ति में परिवर्तन कहते हैं, जब कीमत समान रहती है तथा पूर्ति बढ़ जाती है तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहा जाता है, जैसे SS से S1S1 हो जाता है अथवा उसी कीमत पर कम पूर्ति SS से S2S2 हो जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहते हैं।
प्रश्न 5.
पूर्ति वक्र पर परिवर्तन तथा पूर्ति वक्र में परिवर्तन का अन्तर बताओ।
उत्तर-
जब कीमत के बढ़ने तथा घटने से पूर्ति में वृद्धि अथवा कमी होती है तो इसको पूर्ति वक्र पर परिवर्तन कहा जाता है, जब कीमत के बिना अन्य तत्त्वों के कारण पूर्ति वक्र दाईं ओर अथवा बाईं ओर खिसक जाती है तो इसको पूर्ति वक्र में परिवर्तन कहते हैं।
प्रश्न 6.
पूर्ति तथा भण्डार में अन्तर बताओ।
उत्तर-
निश्चित समय निश्चित कीमत पर वस्तु की वह मात्रा जो बेचने के लिए पेश की जाती है, उसको पूर्ति कहते स्टॉक में से जितनी वस्तुएं बेची जाती हैं, उसको पूर्ति कहते हैं।
प्रश्न 7.
पूर्ति की लोच से क्या अभिप्राय है ? इसका माप कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के कारण पूर्ति में हुए प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को पूर्ति की लोच कहा जाता
प्रश्न 8.
यदि दो पूर्ति रेखाएं एक-दूसरे को काटती हैं तो।कौन-सी रेखा पर पूर्ति अधिक लोचशील होगी ? | Y|
उत्तर-
यदि दो पूर्ति रेखाएं एक-दूसरे को काटती हैं तो जो पूर्ति वक्र चपटी होगी, उस वक्र पर पूर्ति अधिक लोचशील होगी। रेखाचित्र 3 में S1S1 खड़वी है तथा S2S2 चपटी है। चपटी वक्र पर पूर्ति अधिक लोचशील है, क्योंकि कीमत OP से OP, होने से S2S2 पर अधिक पूर्ति की जाती है।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
व्यक्तिगत पूर्ति तथा वस्तु की बाज़ार पूर्ति को स्पष्ट करो।
उत्तर-
मान लो बाज़ार में दो उत्पादक हैं। उनके द्वारा विभिन्न कीमतों पर की पूर्ति के योग को बाजार पूर्ति कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप सूचीपत्र में जब A उत्पादक द्वारा विभिन्न कीमत पर विभिन्न पूर्ति को दिखाया गया
है तो इसको व्यक्तिगत पूर्ति सूची तथा वक्र (Individual Supply Schedule & Curve) कहा जाता है। जब B उत्पादक की पूर्ति को A उत्पादन की पूर्ति में जोड़ दिया जाता है तो इसको बाज़ार मांग सूची तथा बाज़ार पूर्ति वक्र कहा जाता है।
प्रश्न 2.
पूर्ति में परिवर्तन लाने वाले तत्त्वों को स्पष्ट करो।
अथवा
पूर्ति वक्र दाईं ओर क्यों खिसक (Shifting of Supply Curve) जाती है ?
उत्तर-
जब कीमत समान रहती है, परन्तु पूर्ति बढ़ जाती है तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहते हैं तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर को खिसक जाती है। जैसे कि रेखाचित्र में पूर्ति वक्र SS से दाईं ओर खिसककर S1S1 दिखाई गई है। निम्नलिखित तत्त्व पूर्ति में वृद्धि लाते हैं :
- साधनों की कीमतें-जब उत्पादन के साधनों की कीमतें घट जाती हैं तो उत्पादन लागत कम हो जाती है। इसलिए उत्पादक अधिक वस्तुओं की पूर्ति करते हैं। यदि साधनों की कीमतें बढ़ जाती हैं तो पूर्ति वक्र बाईं ओर खिसक जाएगी।
- तकनीक में परिवर्तन-यदि तकनीक का विकास हो जाता है तो उत्पादन की लागत कम हो जाती है तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाएगी।
- संबंधित वस्तुओं की कीमतें-यदि स्थानापन्न वस्तुओं की कीमतें कम हो जाती हैं तो एक वस्तु की पूर्ति बढ़ जाएगी तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाती है।
- बाज़ार में फ़र्मों की संख्या-यदि बाज़ार में फ़र्मों की संख्या बढ़ जाती है तो बाज़ार में पूर्ति बढ़ जाएगी तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर पूर्ति खिसक जाती है।
प्रश्न 3.
पूर्ति में वृद्धि तथा पूर्ति में विस्तार में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
पूर्ति में परिवर्तन तथा पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
1. पूर्ति में विस्तार (Expansion of Supply)-जब कीमत में वृद्धि से पूर्ति में वृद्धि होती है तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहा जाता है।
सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 6 में जब कीमत ₹ 10 से बढ़कर ₹ 20 हो जाती है तो वस्तुओं की पूर्ति 50 वस्तुओं से बढ़कर 100 वस्तुएं हो जाती हैं। EE1 को पूर्ति का विस्तार कहा जाता है। इसको पूर्ति में परिवर्तन भी कहते हैं।
2. पूर्ति की वृद्धि (Increase in Supply)-वस्तु की कीमत समान रहती है परन्तु स्थानापन्न वस्तु की कीमत कम हो जाती है, जैसे कि चाय की कीमत कम हो जाती है तो कॉफी की पूर्ति दाईं ओर खिसक जाएंगी।
सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 7 में कीमत ₹ 5, 5 समान हैं परन्तु मांग 50 वस्तुओं से बढ़कर 100 वस्तुओं की हो जाती है। इसको मांग की वृद्धि कहा जाता है। इसको पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन भी कहते हैं।
प्रश्न 4.
पूर्ति का संकुचन तथा पूर्ति में कमी के अन्तर को स्पष्ट करो।
उत्तर-
1. पूर्ति का संकुचन (Contraction in Supply)-वस्तु की कीमत में कमी होने से पूर्ति कम हो जाती है तो इसको पूर्ति का संकुचन कहते हैं, जैसे कि सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 8 में कीमत ₹ 5 से कम होकर ₹ 3 रह जाती है तो पूर्ति 50 वस्तुओं से कम होकर 30 वस्तुएं रह जाती हैं तो इसको पूर्ति का संकुचन कहते हैं। रेखाचित्र 8 में SS पर E से E1 तक पूर्ति का संकुचन है।
2. पूर्ति की कमी (Decrease in Supply)-जब वस्तु की कीमत समान रहती है, परन्तु किसी अन्य कारण करके पूर्ति पहले से कम हो जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहते हैं। सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 9 में कीमत ₹ 5,5 प्रति 50 वस्तुओं से कम होकर 30 वस्तुएं रह जाती हैं। इसको पूर्ति की कमी कहते हैं। रेखाचित्र में पूर्ति वक्र SS की जगह पर S1S1 बन जाती है।
प्रश्न 5.
लागत घटाने वाली तकनीकी विकास पूर्ति वक्र पर क्या प्रभाव डालती है ? दो उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
लागत घटाने वाली तकनीकी प्रगति से उत्पादन की सीमान्त लागत कम हो जाती है। जब किसी फ़र्म की लागत में कमी हो जाती है तो पूर्ति में वृद्धि होगी। लागत घटाने वाली तकनीक से पूर्ति में वृद्धि होगी। उदाहरणस्वरूप :
- कम्प्यूटर के प्रयोग से दफ्तरों में कम क्लर्कों से काम होने लगा है। इससे लागत घट गई है। इससे पूर्ति वक्र दाईं ओर को खिसक जाती है।
- बड़े पैमाने पर कोका कोला फैक्ट्रियों में स्वयं-चालक मशीनों से बोतलें भरी जाती हैं। बोतलों को धोने से लेकर दोबारा कोका कोला भरने का सभी काम मशीनों द्वारा किया जाता है, इससे लागत कम हो गई है तथा पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाती है।
प्रश्न 6.
कीमत पूर्ति की लोच से क्या अभिप्राय है ? पूर्ति की लोच की मात्राएं अथवा किस्मों को स्पष्ट करो।
अथवा
कीमत पूर्ति की लोच के माप के लिए जमैट्रिक विधि की व्याख्या करो।
उत्तर-
वस्तु की पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन जोकि कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से उत्पन्न होती है, इनके अनुपात को कीमत पूर्ति की लोच कहा जाता है।
कीमत में % परिवर्तन कीमत पूर्ति की लोच की मात्राएं अथवा किस्में :
1. पूर्ण लोचशील पूर्ति-जब कीमत में थोड़ा-सा परिवर्तन होने से पूर्ति में अनन्त परिवर्तन हो जाता है तो इसको पूर्ण लोचशील पूर्ति कहते हैं। पूर्ति वक्र OX के समानान्तर होती है।
2. पूर्ण अलोचशील पूर्ति-जब कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इसको पूर्ण अलोचशील पूर्ति कहा जाता है। पूर्ति वक्र OY के समानान्तर होती है।
3. अधिक लोचशील पूर्ति-जब कीमत में थोड़ा-सा से परिवर्तन होने से पूर्ति में अधिक अनुपात पर परिवर्तन होता है, तो इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहा जाता है। रेखाचित्र में (MM1 > PP1) पूर्ति में परिवर्तन अधिक है। कीमत में परिवर्तन से तो इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहा जाता है।
4. समान लोचशील पूर्ति-जब कीमत में परिवर्तन तथा पूर्ति में परिवर्तन का अनुपात समान होता है तो इसको समान लोचशील कहा जाता है। (MM1 = PP1) पूर्ति में वृद्धि, कीमत में वृद्धि के समान है, इसको समान लोचशील पूर्ति कहते हैं।
5. कम लोचशील पूर्ति-कीमत में वृद्धि बहुत अधिक हो, परन्तु पूर्ति में वृद्धि कम अनुपात पर होती है तो इसको कम लोचशील पूर्ति कहते हैं। जैसे कि (MM1 < PP1) पूर्ति में वृद्धि, कीमत में वृद्धि से कम है, इसको कम लोचशील पूर्ति कहते हैं।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
पूर्ति से क्या अभिप्राय है ? पूर्ति के नियम की व्याख्या करो। इस नियम की सीमाएं बताओ।
(What is Supply ? Explain the Law of Supply. Explain the limitations/Exceptions of the Law.)
उत्तर-
पूर्ति से अभिप्राय (Meaning of Supply)-पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से होता है, जोकि निश्चित समय विशेष कीमत पर एक विक्रेता बेचने के लिए तैयार होता है। यदि एक दुकानदार के पास 100 बोरियां चीनी की भण्डार में हैं। यदि एक बोरी की कीमत ₹ 2000 है तो दुकानदार 50 बोरियां ही बेचने के लिए तैयार है तो चीनी की पूर्ति 50 बोरी होगी। यदि कीमत बढ़कर 2200 प्रति बोरी हो जाती है तथा इस कीमत पर दुकानदार 80 बोरियां बेचने के लिए तैयार है तो चीनी की 80 बोरियों की पूर्ति होगी। इसलिए प्रो० अनातोल मुराद के अनुसार, “किसी वस्तु की पूर्ति से अभिप्राय वस्तु की उस मात्रा से है, जिसको बेचने वाला विशेष समय उचित कीमत पर बाज़ार में बेचने के लिए तैयार है।”
(“Supply refers to the quantity of a commodity offered for sale at a given price in a given market at a given time.”
-Anatol Murad) पूर्ति का नियम (Law of Supply)-पूर्ति के नियम में किसी वस्तु की कीमत तथा पूर्ति के सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है। कीमत तथा पूर्ति का सम्बन्ध सकारात्मक (Positive) होता है, अर्थात् अन्य बातें समान रहें, वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है तथा कीमत घटने से वस्तु की पूर्ति कम हो जाती है।
प्रो० डूली के शब्दों में, “पूर्ति का नियम यह स्पष्ट करता है कि अधिक कीमत हो तो वस्तु की पूर्ति अधिक होती है अथवा कम कीमत हो तो वस्तु की पूर्ति कम होती है।” (“The Law of supply states that higher the price, the greater the quantity supplied or the lower the price the smaller the quantity supplied.” -Dooley) उदाहरणस्वरूप एक दुकानदार रूमाल बेचता है, यदि एक रूमाल की कीमत ₹ 10 निश्चित होती है तो वह दुकानदार 100 रूमाल बेचने को तैयार है। जैसे-जैसे रूमाल की कीमत बढ़ती जाती है, पूर्ति में वृद्धि होगी तथा कीमत घटने से पूर्ति घटती जाती है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं तो पूर्ति के नियम में यह अनिवार्य नहीं होता कि जिस अनुपात पर कीमत बढ़ जाती है, उसी अनुपात पर ही पूर्ति में वृद्धि होगी, बल्कि पूर्ति में वृद्धि कम अनुपात पर हो सकती है अथवा अधिक अनुपात पर भी हो सकती है। इसको एक सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
सूचीपत्र में स्पष्ट होता है कि जैसे-जैसे वस्तु की कीमत बढ़ रही है, उसकी पूर्ति की मात्रा में वृद्धि होती है। जब रूमाल की कीमत ₹ 10 है तो उत्पादक 100 रूमाल बेचने को तैयार हैं, जब कीमत ₹ 15 हो जाती है तो पूर्ति 200 रूमाल है, ₹ 20 पर 300 रूमालों की पूर्ति तथा ₹ 25 पर 400 रूमालों की पूर्ति की जाती है। पूर्ति सूची को हम पूर्ति वक्र की सहायता से भी स्पष्ट कर सकते हैं। जैसे कि ₹ 10 पर रूमाल 100 बेचे जाते हैं तथा ₹ 25 कीमत पर 400 रूमालों की पूर्ति है तो SS पूर्ति वक्र है। जैसा रेखाचित्र 15 द्वारा स्पष्ट किया गया है।
मान्यताएं (Assumptions) –
- बेचने वाले तथा खरीददारों की आय में कोई परिवर्तन नहीं होता।
- उत्पादन लागत में परिवर्तन नहीं होता।
- यह नियम साधारण समय में लागू होता है।
- स्थानापन्न वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहती हैं।
- भविष्य में कीमतों के परिवर्तन होने की सम्भावना नहीं।
नियम की सीमाएं अथवा अपवाद –
- असाधारण स्थितियों तथा असाधारण वस्तुओं पर नियम लागू नहीं होता।
- नाशवान वस्तुओं तथा कृषि की उपज पर नियम लागू नहीं होता।
- कारोबार बन्द करना हो अथवा पुराना स्टॉक बेचना हो तो नियम लागू नहीं होता।
प्रश्न 2.
पूर्ति वक्र पर परिवर्तन तथा पूर्ति वक्र में परिवर्तन के अन्तर को स्पष्ट करो। (Explain the difference between movement on supply curve and shift in supply curve.)
अथवा
पूर्ति में विस्तार तथा संकुचन, वृद्धि तथा कमी में अन्तर स्पष्ट करो। (Distinguish between Extension and Contraction, increase and decrease in supply.)
उत्तर-
पूर्ति वक्र पर परिवर्तन (Movement on Supply Curve)
अथवा
पर्ति में विस्तार तथा संकुचन (Extension & Contraction in Supply)-
(i) पूर्ति में विस्तार (Extension in Supply)-पूर्ति में विस्तार उसी समय कहा जाता है, जब कीमत में वृद्धि होने से पूर्ति बढ़ जाती है :
सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 16 में स्पष्ट किया है कि उत्पादक कुल्फी की बिक्री करता है। कुल्फी की कीमत एक रुपया प्रति कुल्फी है तो एक कुल्फी बेचने के लिए तैयार है। जब कुल्फी की कीमत बढ़कर ₹ 5 प्रति कुल्फी हो जाती है तो पांच कुल्फियों की बिक्री की जाती है। इसी तरह उत्पादन का सन्तुलन बिन्दु A से बिन्दु B तक बदल जाता है तथा । उत्पादक SS पूर्ति वक्र पर ही रहता है। इसको पूर्ति का विस्तार कहा जाता है।
(ii) पूर्ति का संकुचन (Contraction in Supply)-जब कुल्फी की कीमत कम हो जाती है तो उत्पादक कम कुल्फियां बेचने को तैयार होता है तो इसको पूर्ति का संकुचन कहा जाता है।
सूचीपत्र अनुसार जब कुल्फी की कीमत ₹ 5 से कम होकर एक रुपया रह जाती है तो कुल्फी की पूर्ति पांच से कम होकर एक रह जाती है, जैसे कि रेखाचित्र 17 में सन्तुलन बिन्दु A से बदलकर B पर O स्थापित हो जाता है। इसको पूर्ति का संकुचन कहा जाता है।
पूर्ति की वृद्धि तथा कमी (Increase and decrease in Supply)-
अथवा
पूर्ति वक्र में परिवर्तन (Shift in the Supply Curve)- जब कीमत की पूर्ति कीमत के बिना दूसरे कारणों करके परिवर्तन होती है तो इसको पूर्ति में वृद्धि अथवा कमी कहा जाता है। अर्थात् फैशन, आदत, रीति-रिवाज, उत्पादन की लागतों, उत्पादन करने के ढंग इत्यादि करने के कारण पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है।
(i) पूर्ति में वृद्धि (Increase in Supply)-पूर्ति की वृद्धि की व्याख्या दो भागों में की जा सकती है।
I. पहले जितनी कीमत पर अधिक पूर्ति (Same Price More Supply)
II. कम कीमत पर पहले जितनी पूर्ति (Less Price Same Supply)
सूची पत्र तथा रेखाचित्र 18 अनुसार
- कीमत समान ₹ 5,5 है परन्तु पूर्ति 2 से 4 हो जाती है।
- कीमत पांच रुपए से तीन रुपये हो जाती है परन्तु पूर्ति 2, 2 समान हो तो इसको पूर्ति की वृद्धि कहा जाता है तथा पूर्ति वक्र SS से बदलकर S1S1 बन जाती है।
(ii) पूर्ति की कमी (Decrease in Supply)-पूर्ति के घटने से अभिप्राय कीमत के बिना जिस समय दूसरे कारणों करके पूर्ति कम हो जाती है, जैसे कि कच्चे माल की कीमत घटने के कारण अथवा कच्चे माल की पैदावार के घटने के कारण पूर्ति घट जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहा जाता है। इसकी व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है :
1. पहले वाली कीमत पर कम पूर्ति (Same Price Less Supply)
2. अधिक कीमत पर पहले जितनी पूर्ति (More Price Same Supply)
सूची पत्र तथा रेखाचित्र 19 अनुसार-
- कीमत समान ₹ 5,5 है, परन्तु पूर्ति 2 से कम होकर एक वस्तु ही रह जाती है।
- कीमत ₹ 5 से बढ़कर ₹ 7 हो जाती है तो पूर्ति 2,2 वस्तुएं समान रहती हैं, जैसे कि A से B तथा A से C तक दिखाया है। पूर्ति रेखा SS से बदलकर S1S1 हो जाती है तो इसको पूर्ति की कमी कहा जाता है।
प्रश्न 3.
कीमत पूर्ति की लोच के माप की विधियां बताओ।
(Explain the methods of measurement of Price Elasticity of Supply.)
अथवा
पूर्ति की मात्राएं अथवा किस्मों को स्पष्ट करो। (Explain the kinds or degrees of Elasticity of Demand.)
उत्तर-
प्रो० बिलास के अनुसार, “पूर्ति की लोच से अभिप्राय वस्तु की पूर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को कीमत में होने वाले परिवर्तन से विभाजित करने से होता है।”
(“’Elasticity of supply is defined as the percentage change in quantity supplied divided by percentage change in price.” -Bilas)
कीमत पूर्ति की लोच के माप की विधियां (Methods of Measurement of Price Elasticity of Supply)-
1. आनुपातिक अथवा प्रतिशत विधि (Proportionate or Percentage Method)-इस विधि अनुसार वस्तु की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को पूर्ति की लोच कहा जाता है।
उदाहरणस्वरूप : एक उत्पादन ₹ 10 कीमत पर 100 वस्तुओं की पूर्ति करता है, यदि कीमत ₹ 20 हो जाती है तो 200 वस्तुओं की पूर्ति की जाती है। पूर्ति की लोच ज्ञात करो।
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{100}{10} \times \frac{10}{100}\)= 1
∴ Es = 1
2. जमैट्रिक विधि (Geometric Method)-
अथवा
पूर्ति की लोच की मात्राएं (Degrees of Elasticity of Supply) जमैट्रिक विधि अनुसार पूर्ति की लोच की पांच मात्राएं होती हैं
1. अधिक लोचशील पूर्ति (More Elastic Supply)यदि कीमत में थोड़ा-सा परिवर्तन होता है, परन्तु पूर्ति में परिवर्तन बहुत अधिक हो जाए तो इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहा जाएगा। जैसे कि कीमत 10% बढ़ जाती है तथा पूर्ति में वृद्धि 50% हो जाती है, इसको अधिक लोचशील पूर्ति कहते हैं।
इसको पढ़ा जाएगा MM1 पूर्ति में परिवर्तन PP1 कीमत में परिवर्तन से अधिक है तो पूर्ति अधिक लोचशील है। रेखाचित्र 20 में अधिक लोचशील पूर्ति को दिखाया गया है। इस स्थिति में पूर्ति रेखा OY रेखा को टकराती है।
2. समान लोचशील पूर्ति (Equal Elastic Supply)-पूर्ति की लोच को समान लोचशील कहां जाता है, जब कीमत में परिवर्तन की अनुपात तथा पूर्ति में परिवर्तन की अनुपात समान होती है। रेखाचित्र 21 अनुसार पूर्ति की लोच इस प्रकार है :
पूर्ति की लोच इकाई के समान है तथा पूर्ति रेखा मुख्य बिन्दु 0 को मिलती है।
3. कम लोचशील पूर्ति (Less Elastic Supply)-पूर्ति की लोच कम लोचशील होती है, जब पूर्ति में परिवर्तन कम होता है, परन्तु कीमत में परिवर्तन अधिक अनुपात पर होता है।
पूर्ति की लोच कम है, इस स्थिति में पूर्ति रेखा Ox से टकराती है।
4. पूर्ण लोचशील पूर्ति (Perfectly Elastic Supply)पूर्ति को पूर्ण लोचशील कहा जाता है, जब वस्तु की कीमत OS समान रहती है, परन्तु इस पर वस्तु की पूर्ति शून्य अथवा OM अथवा OM1 हो जाती है। इसको पूर्ति वक्र की लोच का अनन्त (∝) होना कहा जाता है। यदि कीमत थोड़ी-सी कम हो जाए तो पूर्ति शून्य हो जाएगी।
5. पूर्ण अलोचशील पूर्ति (Perfectly Inelastic Supply)- इसको पूर्ति की लोच का शून्य होना कहा जाता है। जब कीमत में परिवर्तन होने से पूर्ति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इस स्थिति को पूर्ण अलोचशील पूर्ति कहा जाता है। कीमत OP से OP1 बढ़ जाती है, परन्तु पूर्ति OM में कोई परिवर्तन नहीं होता। इस प्रकार पूर्ति की लोच की 5 मात्राएं होती हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित व्यक्तिगत तथा बाज़ार अनुसूची को देखो।
(a) ऊपर दिए सूचीपत्र को पूरा करो, जिसमें फ़र्मों तथा बाज़ार द्वारा आलुओं की मात्रा की पूर्ति की जाती है।
(b) एक रेखाचित्र में प्रत्येक फ़र्म की पूर्ति वक्र तथा बाज़ार पूर्ति वक्र का निर्माण करो। व्यक्तिगत पूर्ति वक्र तथा बाज़ार पूर्ति वक्र में आप क्या सम्बन्ध देखते हो ? स्पष्ट करो।
(c) फ़र्म A की पूर्ति की लोच का माप करो, जब कीमत ₹ 2 से ₹ 3 हो जाती है।
उत्तर-
फ़र्म A द्वारा पूर्ति पंक्ति I = 100 – (20 + 45) = 35
बाज़ार पूर्ति पंक्ति II = 37 + 30 + 50 = 117
फ़र्म B द्वारा पूर्ति पंक्ति III = 135 – (40 + 55) = 40 फ
फ़र्म C द्वारा पूर्ति पंक्ति IV = 154 – (44 + 50) = 60
बाज़ार पूर्ति पंक्ति V = 48 + 60 + 65 = 173
(b) रेखाचित्र द्वारा प्रत्येक फ़र्म तथा बाज़ार का पूर्ति वक्र-
रेखाचित्र 25 में –
- S1SA फ़र्म A की पूर्ति वक्र है।
- S2SB फ़र्म B की पूर्ति वक्र है।
- S3SC फ़र्म C की पूर्ति वक्र है।
- S4SM बाज़ार की पूर्ति वक्र है।
(c) फ़र्म A की पूर्ति की लोच जब कीमत 2 रुपये से बढ़कर 3 रुपए हो जाती है तो पूर्ति 37 kg आलुओं से बढ़कर 40 kg आलू हो जाती है। _इसमें P = 2, S = 37, AP = 1, ΔS = 3
प्रश्न 5.
वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करें। (Explain the factors Affecting Supply of a Commodity.)
उत्तर-
वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों को पूर्ति फलन (Supply Function) भी कहा जाता है। पूर्ति फलन को निम्नलिखित समीकरण के रूप में स्पष्ट किया जा सकता है-
S = f (Px, PQ, PF, NF G, Gp, T. Ec Ep)
(यहाँ S = पूर्ति, f (फलन), Px = वस्तु की कीमत, P0 = अन्य वस्तुओं की कीमतें, PF = उत्पादन के साधनों की कीमतें, NF = फ़र्मों की संख्या G = फ़र्मों का उद्देश्य, GP = सरकारी नीति, T = तकनीक, EC = सम्भावित प्रतियोगिता, EP = भविष्य में कीमत सम्भावना।)
1. वस्तु की कीमत (Price of Commodity)-किसी वस्तु की कीमत तथा पूर्ति में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। कीमत बढ़ने से पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत कम होने से पूर्ति कम हो जाती है।
2. अन्य वस्तुओं की कीमत (Price of Other Commodities)-अन्य वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होने से इस वस्तु की कीमत में भी वृद्धि हो जाएगी। इस से फ़र्म को लाभ होने लगता है और वस्तु की पूर्ति में वृद्धि हो जाती
3. उत्पादन के साधनों की कीमत (Price of Factors of Productions) – उत्पादन के साधनों की कीमत भी पूर्ति को प्रभावित करती है। यदि उत्पादन के साधनों की कीमत में वृद्धि होती है तो इससे उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और पूर्ति में कमी हो जाती है।
4. फ़र्मों की संख्या (Numbers of Firms)-वस्तु की पूर्ति फ़र्मों की संख्या पर भी निर्भर करती है। फ़र्मों की संख्या अधिक होने पर वस्तु की पूर्ति अधिक हो जाती है और फ़र्मों की संख्या कम होने से पूर्ति कम हो जाती है।
5. फ़र्म का उद्देश्य (Goal of the Firm)–यदि फ़र्म का उद्देश्य लाभ को अधिकतम करना है तो कीमत में वृद्धि होने पर पूर्ति अधिक की जाएगी। इसके विपरीत यदि फ़र्म का उद्देश्य उत्पादन तथा रोज़गार में वृद्धि करना है तो परचलित कीमत पर पूर्ति अधिक की जाएगी।
6. सरकारी नीति (Government Policy)-सरकार की नीति भी पूर्ति पर प्रभाव डालती है। यदि सरकार करों में वृद्धि करती है तो पूर्ति में कमी हो जाएगी। यदि सरकार आर्थिक सहायता देती है तो पूर्ति में वृद्धि हो जाती है।
7. तकनीक में सुधार (Improvement in Technology)-तकनीक सुधार का पूर्ति पर प्रभाव पड़ता है। यदि उत्पादन तकनीक में सुधार होता है तो लाभ में वृद्धि हो जाती है और इससे पूर्ति में वृद्धि होती है।
8. फ़र्मों में मुकाबला (Competition among Firms)-यदि बाद में मुकाबला अधिक है तो पूर्ति में वृद्धि हो जाती है मुकाबला कम होने की हालत में पूर्ति में कमी हो जाती है।
9. भविष्य में कीमत सम्भावना (Expected Price in Future)-भविष्य में कीमत सम्भावना भी पूर्ति को प्रभावित करती है। यदि भविष्य में कीमत बढ़ने की सम्भावना है तो वर्तमान में पूर्ति कम हो जाएगी।
प्रश्न 6.
कीमत पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करें। (Explain the factors affecting Price elasticity of Supply.)
उत्तर-
कीमत पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्व इस प्रकार हैं-
- वस्तु की प्रकृति-नाशवान वस्तुओं की पूर्ति बेलोचदार होती है क्योंकि कीमत में वृद्धि होने पर उनकी पर्ति में वृद्धि नहीं की जा सकती। इस के विपरीत टिकाऊ वस्तुओं की पूर्ति लोचदार होती है। कीमत में परिवर्तन होने पर टिकाऊ वस्तुओं की पूर्ति में परिवर्तन हो जाता है।
- उत्पादन लागत-यदि उत्पादन पर घटती लागत का नियम लागू होता है तो पूर्ति लोचदार होगी और यदि उत्पादन पर बढ़ती लागत का नियम लागू होता है तो पूर्ति बेलोचदार होगी।
- उत्पादन तकनीक-यदि तकनीक पूँजी प्रधान हो तो पूर्ति बेलोचदार होगी क्योंकि पूर्ति को सरलता से बढ़ाया नहीं जा सकता। यदि उत्पादन तकनीक सरल है तो पूर्ति अधिक लचकदार होगी।
- समय-अति अल्पकाल में समय बहुत कम होता है और पूर्ति में परिवर्तन नहीं किया जा सकता इसलिए पूर्ति पूर्ण बेलोचदार होगी। जितना समय लम्बा होगा पूर्ति अधिक लोचदार होगी।
- जोखिम-उत्पादक यदि जोखिम उठाने के लिए तैयार है तो पूर्ति लोचदार होगी। यदि वह जोखिम नहीं उठाना चाहते तो पूर्ति बेलोचदार होगी।
V. संरव्यात्मक प्रश्न (Numericals)
प्रश्न 1.
एक वस्तु की कीमत ₹ 10 प्रति इकाई है तथा 500 इकाइयों की पूर्ति की जाती है। यदि कीमत 10 प्रतिशत कम हो जाती है तथा पूर्ति 400 इकाइयों की हो जाती है तो पूर्ति की लोच बताओ।
उत्तर-
कीमत (P) = ₹ 10
पूर्ति (S) = 500
कीमत में कमी = 10%
नई कीमत (P1) = 10 – (10 x \(\frac{10}{100}\) ) 1 = ₹ 9 पूर्ति (S1) = 400
कीमत में परिवर्तन ΔP (P1 – P) = 9 – 10 = – 1
पूर्ति में परिवर्तन ΔS (S1 – S) = 400 – 500 = – 100
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta \mathrm{P}} \times\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{S}}=\frac{-100}{-1} \times \frac{10}{500}=2 \)
Es = 2 उत्तर
प्रश्न 2.
यदि वस्तु की कीमत ₹ 5 है तथा बेचने वाला 600 इकाइयां वस्तु बेचने को तैयार है। जब कीमत बढ़कर ₹ 6 हो जाती है तो वह 720 इकाइयां वस्तु बेचता है। कीमत पूर्ति की लोच का माप करो।
उत्तर-
कीमत (P) = 5 पूर्ति (S) = 600
नई कीमत (P1) = 6
नई पूर्ति (S1) = 720
कीमत में परिवर्तन (P1 – P) (6 – 5) = 1
पूर्ति में परिवर्तन (S1– S) (720 – 600) = 120
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{120}{1} \times \frac{5}{600}=1 \)
Es = 1
कीमत पूर्ति की लोच इकाई के समान है।
प्रश्न 3.
जब सेबों की कीमत ₹4 प्रति किलोग्राम है तो बेचने वाला प्रतिदिन 80 क्विटल सेबों की बिक्री करता है। यदि कीमत पूर्ति की लोच 2 है तथा सेबों की कीमत ₹ 5 प्रति किलोग्राम की जाती है तो विक्रेता कितने सेबों की बिक्री करेगा ?
उत्तर-
दिया है : कीमत (P) = 4, पूर्ति (S) = 80
नई कीमत (P1) = 5 नई पूर्ति (S1) = ?
कीमत में परिवर्तन (P1 – P) (5 – 4) = 1
पूर्ति में परिवर्तन (S1 – S) (S1 – 80)
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\) = 2 = \(\frac{\left(S_{1}-80\right)}{1} \times \frac{4}{80}\)
= 40 = S1 – 80
40 + 80 = S1
अथवा
S1 = 120 क्विटल सेब उत्तर।
प्रश्न 4.
वस्तु की पूर्ति की लोच 5 है। वस्तु की कीमत ₹ 5 पर फ़र्म 500 इकाइयों की पूर्ति करती है।
यदि कीमत बढ़कर ₹ 6 हो जाए तो फ़र्म कितनी वस्तुओं की बिक्री करेगी ?
उत्तर-
कीमत (P) = 5, पूर्ति (S) = 500 नई कीमत
(P1) = 6, नई पूर्ति (S1) = ?
पूर्ति की लोच = S, ΔP = 6 – 5 = 1, ΔS = S1-500
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
5 = \(\frac{S_{1}-500}{1} \times \frac{5}{500}\)
⇒ 500 = S1 – 500
⇒ 500 + 500 = S1
अथवा
S1 = 1000 इकाइयां उत्तर।
प्रश्न 5.
एक वस्तु की कीमत ₹ 5 प्रति इकाई पर 100 इकाइयां वस्तु की पूर्ति की जाती है। जब कीमत ₹ 6 प्रति इकाई हो जाती है तो पूर्ति में 10% वृद्धि हो जाती है। पूर्ति की लोच का पता करो।
उत्तर –
कीमत (P) = 5,
पूर्ति (S) = 100 नई
कीमत (P1) = 6, नई पूर्ति (S1) = 10% वृद्धि
= \(\frac{10}{100} \times 100\) = 10+100 = 110
ΔP1 = 6 – 5 = 1
ΔS = 110-100 = 10
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{10}{1} \times \frac{5}{100}=\frac{1}{2} \) = 0.5
∴ पूर्ति की लोच (Es) < 1 उत्तर
प्रश्न 6.
एक वस्तु की कीमत 20% बढ़ जाती है तो वस्तु की पूर्ति 50 से 60 इकाइयां हो जाती है। पूर्ति की लोच ज्ञात करो।
उत्तर-
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = 20%
पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन = \(\frac{60-50}{50} \times 100\) = 20%
पूर्ति की लोच (Es) = 1 उत्तर
प्रश्न 7.
एक वस्तु का पूर्ति लोच गुणांक 3 है। एक विक्रेता ₹ 8 प्रति इकाई की कीमत पर वस्तु की 20 इकाइयों की पूर्ति करता है। यदि वस्तु की कीमत ₹ 2 प्रति इकाई बढ़ जाती है तो इस स्थिति में विक्रेता वस्तु की कितनी इकाइयों की पूर्ति करेगा।
उत्तर-
दिया है . P = ₹ 8
Es = 3
S = 20
S = ?
ΔP = ₹ 2
ΔS = S1 – 20
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
⇒ 3 = \(\frac{S_{1}-20}{2} \times \frac{8}{20}=3=\frac{S_{1}-20}{2}\)
= 3 × 5 = S1 – 20
= 15 = S1 – 20
= 15 + 20 = S1 अथवा
S1 = 35 उत्तर।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित सूचना के आधार पर पूर्ति की मात्रा ज्ञात करो।
पूर्ति की लोच (Es) = 4, कीमत (P) = 5
पूर्ति की मात्रा (Q) = 100
प्रति इकाई कीमत में परिवर्तन (P1) = 6
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन (Q1) = ?
उत्तर-
दिया है- पूर्ति की लोच (Es) = 4, कीमत (P) = ₹ 5
पूर्ति की मात्रा (Q) = 100
प्रति इकाई कीमत में परिवर्तन (P1) = ₹ 6
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन (Q1) = ?
Es = 4, P = 5, Q = 100, ΔP = 1, ΔQ = Q1 – 100
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\) अथवा \(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\)
⇒ 4 = \(\frac{Q_{1}-100}{1} \times \frac{5}{100}\)
⇒ 4 = \(\frac{Q_{1}-100}{20}\)
⇒ 80 = Q1 – 100
⇒ 80 + 100 = Q1 अथवा
Q1 = 180 वस्तुएं उत्तर।
प्रश्न 9.
एक वस्तु की प्रति इकाई वस्तु की कीमत ₹ 8 है, जिस पर 400 इकाइयों की पूर्ति की जाती है। यदि पूर्ति की लोच 2 है, वह कीमत ज्ञात करो, जिस पर 600 इकाइयों की पूर्ति की जाएगी ?
उत्तर-
दिया है
P = 8,S = 400, Es = 2
P1 = ? S1 = 600
ΔP = P1 – P (P1 – 8),
ΔS = S1 – S (600 – 400) = 200
∴ ES = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
⇒ 2 = \(\frac{200}{P_{1}-8} \times \frac{8}{400}\)
⇒ 2 = \(\frac{4}{P_{1}-8}\)
⇒ 2(P1 – 8) = 4
⇒ 2P1 – 16 = 4
⇒ 2P1 = 4+16
⇒ 2P1 = 20
⇒ P1 = \(\frac{20}{2}\) = 10 उत्तर।
प्रश्न 10.
एक वस्तु की कीमत ₹ 5 प्रति इकाई दी है तथा इस पर 600 वस्तुओं की इकाइयों की पूर्ति की जाती है। यदि कीमत बढ़कर ₹ 6 प्रति इकाई हो जाती है तो पूर्ति में वृद्धि 25% हो जाती है। पूर्ति की लोच का माप करो।
उत्तर-
दिया है- P = ₹ 5 P1= ₹ 6
ΔP = ₹1
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का माप
₹5 कीमत पर परिवर्तन = 1
₹ 1 कीमत पर परिवर्तन = \(\frac{1}{5}\)
₹ 100 कीमत पर परिवर्तन = \(\frac{1}{5}\) × 100 = 20%
S = 600, ΔS = 25%
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है। उत्तर।
प्रश्न 11.
यदि एक वस्तु की कीमत ₹ 10 इकाई से कम होकर ₹ 9 प्रति इकाई रह जाती है तो वस्तु की पूर्ति में कमी 20% हो जाती है। पूर्ति की लोच का माप करो।
उत्तर-
दिया है P = ₹ 10, P1 = ₹ 9, ΔP = 9- 10 = – 1
₹ 10 कीमत पर परिवर्तन = – 1
₹ 1 कीमत पर परिवर्तन = –\(\frac{1}{10}\)
₹ 100 कीमत पर परिवर्तन = – \(\frac{1}{10}\) x 100 = – 10%
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = – 10%
पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन = – 20%
∴ कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = -10%
∴ Es = 2 उत्तर।
प्रश्न 12.
वस्तु की कीमत में 10% वृद्धि होने से, वस्तु की पूर्ति 400 इकाइयों से बढ़कर 450 इकाइयां हो जाती हैं। पूर्ति की लोच का माप करो। क्या पूर्ति लोचशील है ?
उत्तर-
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = 10%
S = 400, S1 = 450, ΔS = S1 – S (450 – 400) = 50
पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन का माप
400 इकाइयों पर वृद्धि = 50
1 इकाई पर वृद्धि = \(\frac{50}{400}\)
100 इकाइयों पर वृद्धि = \( \frac{50}{400} \times 100=\frac{25}{2} \%\)
∴ पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन = \(\frac{25}{2} \%\)
⇒ \(\frac{25}{2} \times \frac{1}{10}=\frac{25}{20}\) = 1.25
पूर्ति की लोच = 1.25 Es > 1
∴ पूर्ति लोचशील है। उत्तर।।
प्रश्न 13.
एक वस्तु की कीमत 5% कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वस्तु की मात्रा 400 इकाइयों से कम होकर 370 हो जाती है, पूर्ति की लोच का माप करो। क्या पूर्ति लोचशील है ?
उत्तर-
दिया है- वस्तु की कीमत में कमी = -5%
S = 400, S1 = 370, ΔS = S1 – S (370 – 400) = – 30
400 इकाइयों पर परिवर्तन = – 30
1 इकाई पर परिवर्तन = \(\frac{-30}{400}\)
100 इकाइयों पर परिवर्तन = \(\frac{-30}{400} \times 100=\frac{-30}{4} \%\)
वस्तु की पूर्ति में कमी = \(\frac{-30}{4} \%\)
Es = 1.5
∴ पूर्ति लोचशील है। उत्तर।
प्रश्न 14.
एक वस्तु की कीमत ₹ 8 प्रति इकाई है तथा पूर्ति की मात्रा 200 इकाइयां हैं। पूर्ति की लोच 1.5 है। यदि कीमत बढ़कर ₹ 10 प्रति इकाई हो जाती है तो नई कीमत पर उस वस्तु की पूर्ति मात्रा ज्ञात करो।
उत्तर-
दिया है :
P = 8, P1 = 10, Es = 1.5
S = 200, S1 = ?
∴ ΔP = P1 – P = 10 – 8 = 2
ΔS = S1 – S = (S1 – 200)
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
⇒ 1.5 = \(\frac{S_{1}-200}{2} \times \frac{8}{200}\)
⇒ 1.5 = \(\frac{S_{1}-200}{50}\)
⇒ 75 = S1 – 200
⇒ 75 + 200 = S1
∴ S1= 275 इकाइयां उत्तर।
प्रश्न 15.
एक वस्तु की पूर्ति की लचक 5 है। उत्पादक ₹ 5 प्रति इकाई पर वस्तु की 500 इकाइयों की पूर्ति करता है। कीमत ₹ 6 प्रति इकाई होने पर उत्पादक इस वस्तु की कितनी मात्रा की पूर्ति करेगा।
उत्तर-
दिया है :
P = 5, P1 = 6, ΣS = 5S
S= 500 S1 = ?
ΔP= P1 – P = 6 – 5 = 1
ΔS = S1 – S = S1 – 500
ΣS = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
5 = \(\frac{S_{1}-500}{1} \times \frac{5}{100}\)
5 = \(\frac{S_{1}-500}{1} \times \frac{1}{100}\)
5 x 100 = S1 – 500
500 + 500 = S1
∴ S1 = 1000 उत्तर
प्रश्न 16.
एक वस्तु की कीमत लचक 2.5 है। ₹ 10 प्रति इकाई कीमत होने पर इसकी पूर्ति 200 इकाइयां हैं। ₹ 8 प्रति इकाई कीमत होने पर पूर्ति की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
दिया है :
P = 10, P1 = 8,ΣS = 2.5
S = 200, S1 = ?
∴ ΔP = P1 – P = 8 – 10 = – 2
ΔS = S1 – S = S1 – 200
∴ ΣS = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}\)
2.5 = \(\frac{S_{1}-200}{-2} \times \frac{10}{200}\)
2.5 = \(\frac{S_{1}-200}{-2} \times \frac{1}{20}\)
2.5 = \(\frac{S_{1}-200}{-40}\)
– 100 = S1 – 200
– 100 + 200 = S1
S1 = 100 उत्तर
प्रश्न 17.
जब किसी वस्तु की कीमत ₹ 3 से बढ़कर ₹ 4 प्रति इकाई हो जाती है और इस वस्तु की पूर्ति 200 इकाइयों से बढ़कर 300 इकाइयां हो जाती है तो पूर्ति की लोच ज्ञात करें।
उत्तर-
कीमत (P) = ₹ 3 पूर्ति (S) = 200 इकाइयां
नई कीमत (P1) = ₹4
नई पर्ति (S1) = 300
इकाइयां कीमत में परिवर्तन (ΔP) = (P1 – P) = 4 – 3 = 1
पूर्ति में परिवर्तन (ΔS) = (S1 – S) = 300 – 200 = 100.
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{100}{1} \times \frac{3}{200}=\frac{300}{200}\) = 1.5
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है। उत्तर
प्रश्न 18.
जब किसी वस्तु की कीमत बढ़कर ₹ 4 से ₹ 5 प्रति इकाई हो जाती है इससे पूर्ति 100 इकाइयों से बढ़कर 200 इकाइयां हो जाती है। पूर्ति की लोच ज्ञात करें। उत्तरकीमत (P) = ₹4
पूर्ति (S) = 100 इकाइयां
नई कीमत (P) = ₹5
नई पूर्ति (S1) = 200 इकाइयां
कीमत में परिवर्तन (ΔP) = P1 – P = 5 – 4 = 1
पूर्ति में परिवर्तन (ΔS) = S1 – S = 200 – 100 = 100 इकाइयां
Es = \(\frac{\Delta S}{\Delta P} \times \frac{P}{S}=\frac{100}{1} \times \frac{4}{100}\) = 4
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है। उत्तर
प्रश्न 19.
जब किसी वस्तु की कीमत ₹ 2 से बढ़कर ₹ 3 हो जाती है और पूर्ति 300 इकाइयों से बढ़कर 400 इकाइयां हो जाती है तो पूर्ति की लोच ज्ञात करें।
उत्तर-
कीमत (P) = ₹ 2 पूर्ति (S) = 300 इकाइयां
नई कीमत (P) = ₹ 3. नई पूर्ति (S) = 400 इकाइयां
कीमत में परिवर्तन ΔP = P1 – P = 3 – 2 = 1
पूर्ति में परिवर्तन ΔS = S1 – S = 400 – 300 = 100
Es = \(\frac{\Delta \mathrm{S}}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{S}}=\frac{100}{1} \times \frac{2}{300}=\frac{200}{300}=\frac{2}{3}\) = 0.66
पूर्ति की लोच इकाई से कम है।