Punjab State Board PSEB 11th Class Agriculture Book Solutions Chapter 6 पशु पालन Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Agriculture Chapter 6 पशु पालन
PSEB 11th Class Agriculture Guide पशु पालन Textbook Questions and Answers
(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दो-
प्रश्न 1.
पंजाब में गौओं और भैंसों की संख्या बताओ।
उत्तर-
पंजाब में लगभग 17 लाख गायें तथा 50 लाख भैंसें हैं।
प्रश्न 2.
मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन कितने दूध की आवश्यकता होती
उत्तर-
मनुष्य को तन्दुरुस्त रहने के लिए प्रतिदिन 250 ग्राम दूध की ज़रूरत होती है।
प्रश्न 3.
दूध देने वाली उत्तम गाय की नस्ल का नाम बताएं।
उत्तर-
दूध देने वाली सबसे बढ़िया भारतीय नस्ल की गाय है साहीवाल।
प्रश्न 4.
लाल सिन्धी गाय एक सूए में कितना दूध देती है ?
उत्तर-
यह एक प्रसूतिकाल में 1800 किलो दूध देती है।
प्रश्न 5.
गर्भवती गाय को प्रसूतन तिथि से कितने दिन पहले दूध से हटा लेना चाहिए ?
उत्तर-
गर्भवती गाय को प्रसूतन तिथि से लगभग 60 दिन पहले दूध से हटा लेना चाहिए।
प्रश्न 6.
400 किलो भार वाली गाय या भैंस को प्रतिदिन कितने चारे की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
400 किलो भार वाली गाय या भैंस को 35 किलो हरे चारे की ज़रूरत होती है।
प्रश्न 7.
युवा गाय का 300 किलोग्राम भार कितने महीने बाद हो जाता है ?
उत्तर-
बछड़ी का 300 कि०ग्रा० भार 18 महीने की आयु में हो जाता है।
प्रश्न 8.
मुर्रा नस्ल की भैंस का एक सूए का दूध कितना होता है ?
उत्तर-
औसतन 1700-1800 किलोग्राम।
प्रश्न 9.
डेयरी फार्म के प्रशिक्षण के लिए कहां सम्पर्क करना चाहिए ?
उत्तर-
जिले के डिप्टी डायरैक्टर डेयरी विकास, कृषि विज्ञान केन्द्र या गडवासु, लुधियाना से।
प्रश्न 10.
पंजाब में भैंसों की कौन-कौन सी नस्लें मिलती हैं ?
उत्तर-
मुर्रा तथा नीली रावी।
(ख) एक दो वाक्यों में उत्तर दो-
प्रश्न 1.
साहीवाल नस्ल की गाय का विस्तारपूर्वक वर्णन करो।
उत्तर –
गुण | साहीवाल |
मूल घर | इसका घर ज़िला मिंटगुमरी (पाकिस्तान) है। |
रंग तथा कद | रंग भूरा लाल, चमड़ी ढीली, शरीर मध्यम से भारी, टांगें छोटी, झालर बड़ी, सींग छोटे तथा भारी, मुहाना बड़ा। |
बैल | बैल बड़े सुस्त तथा धीमे होते हैं। |
एक सूए का औसत दूध | 1800 किलो |
दूध में चर्बी | 5.5% |
प्रश्न 2.
होलस्टीन फ्रीजीयन गाय के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर –
गुण | होलस्टीयन फ्रीजीयन |
मूल घर | हालैंड, अब अन्य देशों में भी मिलती है |
रंग | काला-सफ़ेद अथवा लाल |
शरीर | यह सबसे भारी तथा सबसे अधिक दूध देने वाली नसल है। इसका शरीर लम्बा तथा मुहाना बड़ा होता है। |
एक प्रसवकाल में दूध | 5500-6500 किलो |
दूध में चर्बी | 3.5-4.0% |
प्रश्न 3.
बढ़िया गाय का चुनाव कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
बढ़िया गाय का चुनाव निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर किया जाता
- एक साधारण संकर गाय को पहला गर्भ धारण 24-30 महीने की आयु में करना चाहिए।
- पहली बार गर्भ धारण के समय भार 400 किलो होना चाहिए।
- गाय प्रसूतन के पश्चात् 60-70 दिनों में दुबारा गर्भाधारन योग्य हो जाए।
- 3000 किलो से अधिक दूध दे तथा सूखे का समय 60 दिन हो।
- गाय के दो सूए में अन्तर 12-14 महीने होना चाहिए।
- दूध में चिकनाहट की मात्रा 4.0% 4.5% होनी चाहिए।
प्रश्न 4.
प्रसूतन के बाद गाय की सम्भाल कैसे की जाती है ?
उत्तर-
प्रसूतन के बाद उपरान्त गाय को एक बाल्टी गुनगुने पानी में 50 ग्राम नमक मिलाकर पिलाना चाहिए। इसे प्रतिदिन चार दिनों तक 2 किलोग्राम पिसी गेहूं तथा एक किलोग्राम गुड़ का दलिया पका कर दो बार दो। प्रसव के बाद गाय की 2 घण्टे के भीतर चुआई कर लेनी चाहिए। अधिक दूध देने वाली गाय की पहले 2-3 दिन पूरी तरह चुआई नहीं करनी चाहिए।
प्रश्न 5.
गौओं के शैड का फर्श कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
पशुओं के खड़े होने के लिए 180-210 सेंटीमीटर (6-7 फुट) लम्बी जगह तथा चौड़ाई वाली तरफ 120 सेंटीमीटर (4 फुट) की आवश्यकता होती है। मल-मूत्र के सही निकास के लिए खुरली से नाली तक ढलान होनी चाहिए। नाली लगभग 1 फुट चौड़ी होनी चाहिए तथा हर पांच-छ: फुट दूरी पर एक इंच ढलान होनी चाहिए। फर्श ईंटों तथा सीमेन्ट का पक्का अच्छा रहता है। फर्श फिसलन वाला न हो इसलिए उस पर गहरी झर्रियां निकाल देनी चाहिएं। बिना छत वाली जगह पर फर्श पर ईंटें लगा देनी चाहिए।
प्रश्न 6.
वंड किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
वंड एक मिश्रण होता है। यह अनाज, तेल वाले बीजों की खल्ल तथा दूसरे कृषि औद्योगिक बाइप्राडक्टों को मिलाकर बनाया जाता है जिससे जानवरों को अनिवार्य ऊर्जा तथा प्रोटीन तत्त्वों की सन्तुलित खुराक मिल जाती है। साधारणतः दो तरह के बनाए जाते हैं। एक प्रकार में कम पाचन योग्य कच्चे प्रोटीन (13-15%) होते हैं तथा इसे फलीदार चारों जैसे बरसीम, लूसण तथा रवाह के साथ मिलाकर डाला जाता है। दूसरी किस्म के पाचन योग्य कच्चे प्रोटीन (16-18%) होते हैं तथा इसको गैर-फलीदार चारों जैसे कि हरी मक्की, बाजरा, चरी आदि से मिलाकर डाला जाता है।
प्रश्न 7.
पशुओं के गोबर की सम्भाल कैसे करनी चाहिए ?
उत्तर-
गोबर प्रतिदिन निकाल कर शैड से दूर गड्ढे में फेंक देना चाहिए। गड्ढे का आकार 20 x 14 x 4 फुट होना चाहिए। इसे एक तरफ से भरना आरम्भ करें तथा भरी हुई जगह को मिट्टी से ढांप देना चाहिए, इस तरह गोबर की शक्ति नष्ट नहीं होती। पूरी तरह गली हुई रूढ़ी ही गड्ढे से निकालकर खेतों में डालनी चाहिए। ख़रीफ की फसल बोने के समय गर्मी कम होती है, इस तरह कूड़े के खाद के तत्त्व उड़ते नहीं।
प्रश्न 8.
दूध वाले बर्तनों की सफ़ाई कैसे की जाती है ?
उत्तर-
बर्तनों को 2-3 बार साफ़ ठण्डे पानी से धोना चाहिए। बर्तन की धातु अनुसार कपड़े धोने वाला सोडा सोडियम हैक्सामैटा फॉस्फेट, ट्राई सोडियम फॉस्फेट तथा सोडियम मैटासिलीकेट आदि प्रयोग करना चाहिए। सोडे को गुनगुने पानी में घोल कर बर्तन साफ़ करने चाहिए। बर्तन को 2-3 बार गुनगुने पानी से धोकर सोडा निकाल दो तथा फिर ठण्डे पानी से धोना चाहिए।
बर्तनों को गर्म पानी, भाप अथवा रसायन जैसे कैल्शियम तथा सोडियम हाइपोक्लोराइड आदि के प्रयोग से कीटाणु रहित करना चाहिए। रसायनों से साफ़ करके बर्तनों को अच्छी तरह साफ पानी से धोना चाहिए।
प्रश्न 9.
कटड़ओं की संभाल के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
नवजात नाड़ 10 सें०मी० छोड़ कर कीटाणु रहित कैंची से काट देना चाहिए तथा कटङ्क को सूखे कपड़े से साफ़ करना चाहिए। हर रोज़ नाड़ को कीटाणु रहित करने के लिए टिंक्चर आयोडीन अथवा डिटोल 2-3 बार लगाओ जब तक यह सूख कर गिर न जाएं। बच्चे को जन्म से दो घण्टे के बीच दूध अवश्य पिलाएं। यदि कटड़ को किसी सहायता की जरूरत हो तो उसके मुंह में चूसने के लिए थन डाल दें। यदि माँ की प्रसव के पश्चात् मृत्यु हो जाए तो कटड़ को किसी अन्य गाय के दूध में 5 मिलीमीटर अरण्डी का तेल, पाँच मिलीमीटर मछली का तेल तथा एक अण्डा घोल कर 4 दिनों के लिए देना चाहिए। कटड़ओं को छोटी आयु में ही दाना तथा नर्म चारा खाने की आदत डाल देनी चाहिए, पर उन्हें ज़रूरत से अधिक नहीं खिलाना चाहिए। 15 दिन की आयु से कटड़ओं को बंड देनी आरम्भ कर दें। हरा चारा खाना शुरू कर देने पर बंड नहीं देनी चाहिए।
प्रश्न 10.
दूध दोहते समय कौन-से नुक्ते अपनाने चाहिए ?
उत्तर-
- दूध की दुहाइ अलग-अलग कमरे में करनी चाहिए।
- शांत तथा साफ-सुथरी जगह पर बर्तनों में दुहाइ करनी चाहिए।
- दूध की दुहाइ से पहले थनों को डिटोल या लाल दवाई में भिगोकर कपड़े से साफ करना चाहिए।
- दुहाइ पूरी मुट्ठी से करनी चाहिए तथा अंगूठा मोड़ कर दुहाइ नहीं करनी चाहिए।
(ग) पांच-छ: वाक्यों में उत्तर दो –
प्रश्न 1.
दुधारु पशुओं की सम्भाल कैसे की जा सकती है ?
उत्तर-
पंजाब में जलवायु के अनुसार पशुओं के निवास का विशेष ध्यान रखना चाहिए। निवास ऐसा होना चाहिए, जिसमें चारा खाने के समय तथा दूध निकालते समय पशुओं को बांधा जा सके तथा बाकी समय के दौरान खुले रहें। इस तरह सारा समय बांधने तथा सारा समय खुले रखने के अवगुणों से पशुओं को बचाया जा सकता है। शैड का . दरवाजा पूर्व-पश्चिम की ओर होना चाहिए तथा खुरली उत्तर की ओर ठीक रहती है।
1. स्थान की ज़रूरत-बड़े जानवरों के लिए 12-14 वर्ग मीटर स्थान काफ़ी है। इसमें से 4.25 मीटर स्थान छत वाला होना चाहिए तथा 8.6 वर्ग मीटर स्थान खुला होना चाहिए।
2. फर्श-पशु के खड़े होने के लिए 180-210 सेंटीमीटर की लम्बाई तथा चौड़ाई 120 सेंटीमीटर काफ़ी होती है। फर्श ईंटों तथा सीमेन्ट का न फिसलने योग्य होना चाहिए। फर्श में इसलिए गहरी झर्रियां निकाल देनी चाहिएं।
3. मल-मूत्र के निकास की नाली-मल-मूत्र के निकास के लिए खुरली से नाली तक ढलान रखनी चाहिए। यह नाली अवश्य बनाई जानी चाहिए।
4. दीवारें-शैड के इर्द-गिर्द दीवारें बना देनी चाहिएं।
5. छत-निवास वाले स्थान पर ईंट-बालों की छत सस्ती तथा आरामदायक रहती है। छत 3.6 मीटर ऊंची होनी चाहिए तथा उसे लीप देना चाहिए। छत की मिट्टी के नीचे पॉलीथीन कागज़ बिछा देना चाहिए ताकि वर्षा के समय छत में से पानी न टपके, दीमक से बचाव के लिए बलियों को कीटनाशक के घोल में डुबो देना चाहिए तथा छिड़काव करते रहना चाहिए।
6. पानी की खुरली-यह बड़े जानवरों के लिए लगभग 75 सेंटीमीटर (2.5 फुट) ऊंची तथा छोटे जानवरों के लिए 45 सेंटीमीटर (1.5 फुट) ऊंची होनी चाहिए। इसकी चौड़ाई लगभग 1-1.25 मीटर तक होनी चाहिए तथा लम्बाई चारे वाली खुरली का दसवां हिस्सा होनी चाहिए।
7. चारे के आचार वाला खड्डा-इसे चारा काटने वाली मशीन के नज़दीक बनाएं।
8. गोबर की सम्भाल-गोबर की सम्भाल 20 x 14 x 4 फुट के गड्ढे में करें तथा भर जाने पर इसे मिट्टी से ढक दें। गलने पर यह रूढ़ी खाद का काम देगा।
9. शैड को कीटाणु रहित करना-पशुओं के रहने वाली शैड को कीटाणु रहित करने के लिए 4% फिनायल के घोल से धोएं तथा छिड़काव करें। 6 घण्टे बाद दीवारों, फर्श तथा सामान को जहां फिनायल का छिड़काव किया था, पानी से धो दें।
10. गर्मियों तथा सर्दियों में पशुओं की सम्भाल-शैड के गिर्द छाया के लिए वृक्ष लगाएं तथा 3-4 बार गर्मियों में पशुओं को नहलाएं। पंखे तथा कूलर भी लगाए जा सकते हैं। सर्दियों में पशुओं को छत के नीचे रखो तथा अधिक सर्दी के वक्त अधिक शक्ति वाला चारा दें।
प्रश्न 2.
दुधारु पशुओं को खुराक खिलाने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
- जानवर को उसकी आवश्यकतानुसार ही खिलाना चाहिए।
- जानवर को समय पर ही खिलाना चाहिए। यह वंड या तो दूध निकालने से पहले अथवा दूध देते समय खिलाना चाहिए। दोनों बार पहले आधा-आधा करके वंड खिलाया जा सकता है।
- अधिक खिलाने से जानवर खाना बन्द कर देते हैं।
- वंड में अचानक परिवर्तन न लाएं।
- दानों का हमेशा दलिया बना कर खिलाएं।
- नेपियर बाजरा, बाजरा, मक्की आदि को कुतर कर खिलाना चाहिए।
- 5-6 किलोग्राम हरे चारे के स्थान पर एक किलोग्राम सूखा चारा भी प्रयोग किया जा सकता है। अच्छी किस्म के हरे चारे वंड की बचत करते हैं।
- पर कुछ पचने लायक तत्त्व गैर-फलीदार चारों में अधिक होते हैं। इसलिए दोनों तरह के चारों को ध्यान में रखते हुए वंड की बचत करनी चाहिए। आवश्यकता से अधिक प्रोटीन को जानवर ऊर्जा के लिए प्रयोग कर लेते हैं।
- जिन चारों में नमी अधिक हो उन्हें कुछ समय धूप में रखकर अथवा इसमें तूड़ी आदि मिला कर खिलाना चाहिए।
- अफारे तथा बदहजमी से बचाव के लिए फलीदार चारे खिलाने से पहले उनमें तूड़ी अथवा अन्य चारे मिला लेने चाहिएं।
- साधारणतः हरे पत्तों का आचार दूध निकालने के पश्चात् खिलाना चाहिए, नहीं तो इसके दूध में गन्ध आने लगती है।
- जानवरों के खाने वाले पदार्थ को सूखी हवा वाली जगह पर अच्छे ढंग से रखें।
- फंगस लगे अथवा खराब खुराक पशुओं को न खिलाएं।
प्रश्न 3.
दूध दोहने के बाद दूध की सम्भाल पर नोट लिखें।
उत्तर-
1. निकाले दूध की सम्भाल-दूध निकालने के तुरन्त पश्चात् शैड में से बाहर निकाल लें क्योंकि दूध में शैड के वातावरण की बदबू मिल सकती है। दूध छान कर उसमें से तूड़ी अथवा चारे के कण, बाल, धूड़, पतंगे आदि निकाले जा सकते हैं। दूध लोहे अथवा प्लास्टिक की छननी अथवा मलमल के कपड़े से छाना जा सकता है। हर बार छानने के पश्चात् छननी को अच्छी तरह धो लेना चाहिए तथा इसे हर बार कीटाणु रहित करना चाहिए। इस तरह दूध में बैक्टीरिया कम पैदा होंगे तथा दूध को देर तक सम्भाल कर रखा जा सकता है।
2. दूध को ठण्डा करना-दूध ठण्डा करने से बैक्टीरिया कम पैदा होते रहते हैं। दूध को 5°C तक ठण्डा करना चाहिए। दूध ठीक ढंग से ठण्डा न करने की हालत में दूध फट जाता है। ठण्डा करने के तरीके हैं-ड्रम तथा दूध के कैनों को बड़े टब में ठण्डे पानी में इस तरह डूबो कर रखें ताकि टब में पानी की सतह कैनों में दूध की सतह से ऊंची हो। दूध को गर्मियों में 2-3 घण्टे में एकत्र केन्द्र अथवा बेचने के स्थान पर ड्रम में डालकर उसकी ढुलाई करो। सारे कैन पूरी तरह भरे होने चाहिएं, ताकि उसमें दूध न हिले। गांवों में साइकिल, स्कूटर, बैलगाड़ी, टैम्पू आदि द्वारा दूध ढोकर शहरों में लाया जाता है।
प्रश्न 4.
सींग दागना पर नोट लिखें।
उत्तर-
सींग दागने से पशु सुन्दर लगते हैं। वे आपस में एक-दूसरे से भिड़ते नहीं है। इनके लिए कम स्थान की आवश्यकता पड़ती है। इनको खुले में भी रखा जा सकता है। सींग दागने के लिए लाल सुर्ख गर्म लोहे की दागनी का प्रयोग किया जाता है। कटड़ी के सींग 7-10 दिनों में तथा बछड़ी के सींग 15-20 दिनों की आयु में दागे जाते हैं।
प्रश्न 5.
दुधारु पशु खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
एक पंजाबी कहावत मशहूर है कि ‘लवेरी लो चो के हाली लो जोत के’। इससे साफ़ है कि पशु खरीदते समय उससे दूध दुह कर खरीदो। कम-से-कम तीन बार दूध दुहने के बाद खरीदना चाहिए।
जानवर आगे-पीछे तथा ऊपर से देखने पर तिकोना लगे तथा उसकी चमड़ी पतली होनी चाहिए। दूध दुहने के पश्चात् मुहाना नींबू की तरह निचुड़ जाना चाहिए तथा यह भी देख लें कि मुहाने में कोई गांठ न हो। पशु हमेशा दूसरे-तीसरे सूए का ही खरीदें तथा अगर पीछे बछड़ी या कटड़ी हो तो इससे अच्छी कोई बात नहीं।
Agriculture Guide for Class 11 PSEB पशु पालन Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अच्छी भैंस की पहली बार सूए के समय आयु कितनी होती है ?
उत्तर-
36-40 माह।
प्रश्न 2.
बढ़िया भैंस के दो सूयों में अंतर बताओ।
उत्तर-
15-16 माह।
प्रश्न 3.
हरियाणा नस्ल की गाय एक सूए में कितना दूध देती है ?
उत्तर-
1000 किलोग्राम दूध।
प्रश्न 4.
थारपार्कर गाय एक सूए में कितना दूध देती है ?
उत्तर-
1400 किलोग्राम।
प्रश्न 5.
गाय का प्रसूतन के पश्चात् कितनी देर में दूध निकाल लेना चाहिए ?
उत्तर-
2 घण्टे में।
प्रश्न 6.
पांच साल से कम आयु के दुधारू जानवर को कितनी वंड फालतू देना चाहिए ?
उत्तर-
0.5 से 1.0 किलो।
प्रश्न 7.
पानी वाली खुरली की ऊंचाई छोटे जानवर के लिए लगभग कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
1.5 फुट ऊंची।
प्रश्न 8.
नीली रावी का मूल घर बताओ।
उत्तर-
मिंटगुमरी (पाकिस्तान)।
प्रश्न 9.
दुधारू पशु का 305 दिनों के सुए का कम-से-कम दूध कितना होना चाहिए ?
उत्तर-
भैंस का 2500 किलोग्राम तथा गाय का 4000 किलोग्राम।
प्रश्न 10.
भैंस की पहले सूए के समय आयु बताओ।
उत्तर-
36 माह।
प्रश्न 11.
गाय के पहले प्रसव की आयु बताओ।
उत्तर-
30 माह।
प्रश्न 12.
गाय का दोगलाकरण (संकरन) कौन-सी नस्ल से किया जाता है ?
उत्तर-
जर्सी नसल से।
प्रश्न 13.
नसलकशी का लाभ अथवा हानि कितने वर्षों बाद स्पष्ट होता है ?
उत्तर-
5-7 वर्ष बाद।
प्रश्न 14.
दुधारु पशु खरीदते समय लगातार कितनी बार दुहाई के बाद खरीदना चाहिए ?
उत्तर–
तीन बार लगातार ।
प्रश्न 15.
साहीवाल के सींग तथा मुहाने के बारे में बताओ।
उत्तर-
सींग छोटे तथा मुहाना बड़ा होता है।
प्रश्न 16.
हरियाणा नसल के दूध तथा फैट की मात्रा बताओ।
उत्तर-
औसत दूध 1000 किलो (एक प्रसव का) फैट 4% ।
प्रश्न 17.
साहीवाल की दूध की मात्रा तथा फैट के बारे बताओ।
उत्तर-
औसत दूध 1800 किलो (एक प्रसव) फैट 5% ।
प्रश्न 18.
लाल सिंधी का मूल घर बताओ।
उत्तर-
सिंध (पाकिस्तान)।
प्रश्न 19.
कच्छ (गुजरात) कौन-सी गाय का मूल घर है ?
उत्तर-
थारपार्कर।
प्रश्न 20.
होलसटीन-फरीजीयन का औसत दूध तथा फैट बताओ।
उत्तर-
5500-6500 किलो दूध, फैट 3.5-4.0% 1
प्रश्न 21.
जरसी का मूल घर बताओ।
उत्तर-
इंग्लैंड का जरसी टापू।
प्रश्न 22.
जरसी का दूध तथा फैट बताओ।
उत्तर-
3000-5000 किलो, फैट 5%।
प्रश्न 23.
डेयरी जानवर 80% ऊर्जा की आवश्यकता कहां से पूरी होती है ?
उत्तर-
निशास्ता।
प्रश्न 24.
कटड़ियों के सींग कितनी आयु में सींग दागने चाहिए ?
उत्तर-
7-10 दिन की आयु।
प्रश्न 25.
बछड़ी के सींग कितनी आयु में सींग दागने चाहिए ?
उत्तर-
15-20 दिन की आयु।
प्रश्न 26.
बछड़ा, बछड़ी को कौन-सी बीमारियों से बचाव के लिए टीके लगाए जाने चाहिए ?
उत्तर-
मुँह खुर, गलघोंटु।
प्रश्न 27.
दूध की दुहाई कितनी देर में पूरी हो जाती है ?
उत्तर-
एक पशु को 6-8 मिनट लगते हैं।
प्रश्न 28.
गाय के शैड की दिशा किस तरफ होनी चाहिए ?
उत्तर-
पूर्व-पश्चिम की तरफ।
प्रश्न 29.
बड़े जानवर के लिए कितने स्थान की आवश्यकता है ?
उत्तर-
12-14 वर्ग फुट।
प्रश्न 30.
150 क्विंटल हरे चारे का आचार बनाने के लिए गड्ढे का आकार बताओ।
उत्तर-
20 x 12 x 5 फुट।
प्रश्न 31.
भारत में भैंसों के एक सूए का औसत दूध बताओ।
उत्तर-
500 किलोग्राम।
प्रश्न 32.
पंजाब में भैंसों के एक सूए का औसत दूध बताओ।
उत्तर-
1500 किलोग्राम।
प्रश्न 33.
मुर्रा का एक सुए का औसत दूध तथा फैट की मात्रा बताओ।
उत्तर-
1700-1800 किलोग्राम, 7% फैट।
प्रश्न 34.
पंजाब में ग्रामीण जनसंख्या कितनी है ?
उत्तर-
पंजाब में 70% जनसंख्या ग्रामीण है।
प्रश्न 35.
दुधारु पशुओं से हर वर्ष कितना दूध पैदा किया जाता है ?
उत्तर-
इनसे लगभग 94 लाख टन दूध वार्षिक पैदावार होती है।
प्रश्न 36.
पंजाब में प्रति पशु औसतन कितना दूध पैदा होता है ?
उत्तर-
यह औसत 937 ग्राम प्रति पशु रोज़ाना है।
प्रश्न 37.
राष्ट्रीय स्तर पर प्रति पशु रोज़ाना औसतन कितना दूध पैदा होता है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 291 ग्राम प्रति पशु रोज़ाना है।
प्रश्न 38.
संसार में भारत का दूध की पैदावार में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर-
संसार में भारत का दूध पैदावार में पहला स्थान है।”
प्रश्न 39.
पंजाब में दोगले नसलीकरण का कार्य बड़े स्तर पर चलाने के लिए क्या किया गया है ?
उत्तर-
विदेशों से होल्स्टीयन फ्रीजियन तथा जरसी नसल की गायें तथा इस नसल के बैलों के टीके मंगवाने का प्रबन्ध किया गया है। ……..
प्रश्न 40.
देसी गाय एक प्रसव पश्चात् कितना दूध देती है ?
उत्तर-
देसी गाय एक प्रसव के पश्चात् लगभग 1000 से 1800 किलोग्राम दूध देती है।
प्रश्न 41.
हरियाणा नसल की तथा साहीवाल तथा लाल सिन्धी गायों के दूध में चिकनाहट (फैट) कितनी होती है ?
उत्तर-
हरियाणा 4.0%, साहीवाल 5.0%, लाल सिन्धी 5.0%।
प्रश्न 42.
होल्स्टीयन-फ्रीजियन नसल की गाय एक प्रसव के पश्चात् कितना दूध देती है तथा इसमें कितनी चिकनाहट होती है ?
उत्तर-
यह 5500-6500 किलो दूध देती है। इसमें चिकनाहट 3.5 से 4.0% होती है।
प्रश्न 43.
जरसी नसल की गाय एक प्रसव काल में कितना दूध देती है तथा इसमें कितनी चिकनाहट (फैट) होती है ?
उत्तर-
यह एक प्रसवकाल में औसतन 3000-5000 किलो दूध देती है। इसमें चिकनाहट (फैट) 5% होती है।
प्रश्न 44.
बरसीम से जानवरों को मोक (आफरा ) न लगे इसके लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
बरसीम में तूड़ी मिलाकर डालनी चाहिए।
प्रश्न 45.
बच्चे को खीस किस हिसाब में खिलानी चाहिए ?
उत्तर-
बच्चे के शरीर में वज़न के 10वें हिस्से के हिसाब से सर्दियों में 3-4 दिन तथा गर्मियों में 3 बार खिलानी चाहिए।
प्रश्न 46.
बछड़े को वंड कब से देनी आरम्भ करनी चाहिए ?
उत्तर-
बछड़े को वंड 15 दिन की आयु में देनी आरम्भ कर दो।
प्रश्न 47.
कटड़ियों तथा बछड़ियों के सींग किस आयु में दागने चाहिए ?
उत्तर-
कटड़ियों के सींग 7-10 दिन की आयु में तथा बछड़ियों के सींग 15-20 दिन की आयु में ही लाल सुर्ख लोहे की दागनी से दागने चाहिएं।
प्रश्न 48.
18 महीने में बछड़े का भार कितना हो जाता है ?
उत्तर-
बछड़े का भार 300 कि०ग्रा० तक हो जाता है।
प्रश्न 49.
अगर दूध मशीन से निकालना हो तो थनों को किस घोल से साफ़ करना चाहिए ?
उत्तर-
50% बीटाडीन तथा 50% ग्लिसरीन के घोल से।
प्रश्न 50.
पानी की खुरली कितनी ऊंची होनी चाहिए ?
उत्तर-
बड़े जानवरों तथा छोटे जानवरों के लिए क्रमशः 2.5 फुट तथा 1.5 फुट होनी चाहिए।
प्रश्न 51.
गोबर की सम्भाल के लिए खड्डे का आकार बताओ।
उत्तर-
इसका आकार 20 x 14 x 4 फुट होना चाहिए।
प्रश्न 52.
पंजाब में तथा भारत में भैंस के एक प्रसव का औसत दूध कितना है ?
उत्तर-
पंजाब में यह औसत 1500 किलोग्राम तथा भारत में 500 किलोग्राम है।
प्रश्न 53.
भारत में भैंसों की कितनी नसलें हैं ?
उत्तर-
भारत में भैंसों की 15 नसलें हैं।
प्रश्न 54.
दूध के लिए किस धातु के बने बर्तन सबसे बढ़िया रहते हैं ?
उत्तर-
दूध के लिए सबसे बढ़िया बर्तन एल्यूमीनियम के रहते हैं।
प्रश्न 55.
बर्तनों को कीटाणु रहित करने के लिए रसायन का नाम लिखो।
उत्तर-
सोडियम तथा कैल्शियम हाइपोक्लोराइड।
प्रश्न 56.
सबसे बढ़िया दो उद्देशीय गाय कौन-सी है ?
उत्तर-
गाय की हरियाणा नसल इस तरह की है।
प्रश्न 57.
निशास्ते के मुख्य स्रोत कौन-से हैं ?
उत्तर-
निशास्ते के मुख्य स्रोत पौधों के बीज की सेलुलोज़ तथा स्टार्च हैं।
प्रश्न 58.
अफारे तथा बदहज़मी से बचने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
फलीदार चारा खिलाने से पहले इनमें तूड़ी अथवा अन्य चारे मिला लेने चाहिए।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दूध की बढ़ रही मांग को कैसे पूरा किया जा सकता है ?
उत्तर-
दूध की बढ़ रही मांग को पशुओं की संख्या बढ़ाकर तथा दूसरी उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ा कर भी किया जा सकता है। दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए दोगली नसलीकरण करने के लिए बढ़िया किस्म के विदेशी बैलों का प्रयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
लाभदायक डेयरी फार्म के व्यवसाय के लिए आर्थिक पक्ष से दुधारू पशुओं में कौन-से म्यार होने चाहिएं ?
उत्तर –
305 दिन के सूए का कम-से-कम दूध (किलोग्राम) | 2500 | 4000 |
पूरे यौवन में एक दिन का कम से कम दूध (किलोग्राम) | 12-13 | 19.20 |
पहले सूए की आयु (वर्ष) | 3 (36 माह) | 2 1/2 (30 माह) |
दूध देने से हटने का समय (महीने) (प्रसव से पहले) | 2 | 2 |
प्रश्न 3.
गायों का दूध बढ़ाने के लिए नस्ल सुधार किस तरह किया जा सकता
उत्तर-
पंजाब के मैदानी इलाकों में गायों का दूध बढ़ाने के लिए इस नस्ल सुधार होलस्टीन फ्रीजियन नस्ल के बैलों से देसी तथा दोगली गायों को मिला कर किया जा सकता है। अर्द्ध पहाड़ी क्षेत्रों में जहां हरे चारे की कमी है, गायों का नस्लीकरण जरसी नसल के प्रयोग से किया जाता है। होलस्टीन फ्रीजियन नस्ल का दूध अधिक होता है तथा जरसी के दूध में चर्बी की प्रतिशत मात्रा अधिक है।
प्रश्न 4.
गर्भवती वाली तथा दूध से हटी गाय की सम्भाल कैसे करोगे ?
उत्तर-
गर्भवती वाली गाय को प्रसव की तारीख से 60 दिन पहले दूध से हटा लेना चाहिए। ऐसा करने के लिए 5-7 दिन के लिए बंड बंद कर दो तथा हरा चारा भी घटा देना चाहिए। थनों की सूजन छिछड़ा रोग से बचाव के लिए कीटाणु नाशक दवाई लगा देनी चाहिए। पहले दो प्रसवों में इन गायों को एक किलो अतिरिक्त वंड डालनी चाहिए, क्योंकि उनकी शारीरिक वृद्धि भी हो रही होती है।
प्रसव के दो सप्ताह पहले गाय को अन्य गाय से अलग कर देना चाहिए। उसको साफ़ कमरे में रखें जहां आराम के लिए सूखी पुआल डाली हो। उम्मीद वाली गाय की ढुलाई नहीं करनी चाहिए। भीड़-भाड़ से गुरेज़ करें तथा पशु न फिसले। इस समय मुहाना काफ़ी बड़ा हो जाता है। इसलिए ध्यान रखें कि मुहाने पर कोई चोट अथवा ज़ख्म न लगे।
प्रश्न 5.
भैंसों की देखभाल बारे क्या जानते हो ?
उत्तर-
भैंसों की सम्भाल साधारणतः गाय जैसी ही होती है। भैंसों में दो प्रसवों का अन्तर अधिक होता है तथा कटड़ों की मृत्यु-दर अधिक होती है। कटड़ों की मौत को घटाने के लिए उनकी जन्म से पहले तथा बाद में अच्छी देखभाल करनी चाहिए। कमज़ोर भैंसें विशेषतः कम भार वाली भैंसों को प्रजनन नहीं करवाना चाहिए। भैंस के प्रसव से पहले अच्छी खुराक देनी चाहिए। गर्भ के आखिरी 3 महीने में उसकी अच्छी तरह देखभाल बहुत ज़रूरी है। नए पैदा हुए कटड़ों की खुराक की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए। कटड़ों को छोटे ग्रुपों में बढ़िया सूखा बिछाए कमरों में रखें तथा जन्म से लेकर नियमबद्ध तरीके से क्रीम रहित करने वाली दवाई तथा बीमारियों से बचाव के लिए समय पर टीके लगवाने चाहिएं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गाय की विदेशी नस्ल ( जर्सी) का वर्णन करो।
उत्तर-
गुण | जर्सी |
मूल घर | इंग्लैंड में जर्सी टापू |
रंग | भूसला अथवा भूरे लाल धब्बे |
शरीर | यह सबसे छोटे कद वाली नसल है |
एक सूए का औसतन दूध | 3000-5000 किलो |
दूध में चिकनाई फैट | 5% |
प्रश्न 2.
भारत में बढ़ रही दूध की मांग कैसे पूरी हो सकती है ?
उत्तर-
दूध की बढ़ रही मांग को पूरा करने के लिए दो कार्य किए जा सकते हैं –
- दूध देने वाली गायों-भैंसों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए।
- दूध देने वाली गायों-भैंसों की नसल में सुधार करके भी दूध बढ़ाया जा सकता है।
लवेरों की संख्या तो पहले ही हमारे पास अधिक है तथा दूसरे ढंग के लिए विदेशी नसल की बढ़िया गायें मंगवाई जा सकती हैं परन्तु इनमें भी हमारे वातावरण को सहन करने की शक्ति कम है तथा ये शीघ्र ही बीमार हो जाती हैं। इसलिए मौजूदा लवेरों के दूध के सामर्थ्य को बढ़ाना इनका सही ढंग है। इसलिए लवेरों की नसल सुधार तथा अच्छी देखभाल की ज़रूरत है।
नसल सुधार के लिए बढ़िया किस्म के होलस्टीन फ्रीजियन तथा जर्सी नस्ल के बैलों की अच्छी सम्भाल की जाती है।
परन्तु भैंसें तो भारत में पहले ही दुनिया की सबसे बढ़िया किस्म की हैं। इसलिए इनमें दोगली नसलकशी के लिए कोई गुन्जाइश नहीं। इसलिए जो नसलें भारत में मौजूद हैं, उनका चुनाव करके सुधार भी किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
जानवरों के शरीर के संचालन के लिए खुराक की जानकारी दें।
उत्तर-
अधिक दूध की पैदावार के लिए जानवरों की खुराक तथा शरीर का संचालन ठीक ढंग से होना चाहिए। जानवरों के लिए अनिवार्य खुराकी तत्त्वों को चार भागों में बांटा जा सकता है –
- ऊर्जा देने वाले पदार्थ
- प्रोटीन
- खनिज पदार्थ
- विटामिन।
सभी जानवर अपनी ऊर्जा की आवश्यकता खाद्य तत्त्वों निशास्ता, प्रोटीन तथा चिकनाई से प्राप्त करते हैं। डेयरी जानवर 80% ऊर्जा आवश्यकता निशास्ते से पूरी करते हैं।
400 किलो वज़न की गाय अथवा भैंस के शरीर संचालन की ज़रूरत 35 किलो हरे चारे (बरसीम, लूसण, मक्की, ज्वार अथवा बाजरा) से पूरी हो सकती है। भारी जानवरों के लिए जैसे कि 500 किलो वज़न वाली गाय के लिए 45 किलो हरा चारा काफ़ी है। इसमें 10% तक तूड़ी मिलानी ठीक रहती है। क्योंकि हरे बरसीम अथवा लूसण में प्रोटीन अधिक होती है तथा सूखा मादा कम होता है। दूध की पैदावार के लिए अथवा बढ़ रहे बछड़े तथा बछड़ियों की ज़रूरत हरे चारे तथा सन्तुलित वंड मिश्रण से पूरी का जा सकती है। जो भैंसें 5 किलो तथा गायें 7 किलो दूध दे सकती हैं, उन्हें 40-60 किलो फलीदार हरा चारा काफ़ी है। बरसीम की पहली कटाइयों में तुडी मिलानी चाहिए ताकि जानवरों को अफारा न लगे। अधिक दूध देने वाली गायों को अधिक हरा चारा नहीं डालना चाहिए नहीं तो वह वंड नहीं खा सकेंगी।
प्रश्न 4.
बछड़े के दूध छुड़ाने के बारे में बताओ।
उत्तर-
दूध छुड़ाना-बछड़ों को दूध चुसवाने की जगह पिलाना चाहिए। इसके लिए बछड़ों को जन्म से ही माँ से अलग कर दो। इस तरह दूध की पैदावार का सही अनुमान लग जाता है तथा बछड़े को आवश्यकतानुसार दूध भी पिलाया जा सकता है। दूध हमेशा ताज़ा तथा शारीरिक तापमान (30-40°C) पर ही पिलाना चाहिए। इस तरह थन ज़ख्मी नहीं होते तथा छूत की बीमारियां भी नहीं लगती। इसके साथ-साथ यदि बच्चा मर जाए तो पशु दूध आसानी से देते हैं।
प्रश्न 5.
बछड़े-बछड़ियों की पहचान तथा बछड़ों की सम्भाल तथा दुधारू पशुओं की देख-रेख के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
बछड़े-बछड़ियों की पहचान-जानवरों की संख्या अधिक होने की सूरत में उनकी ठीक-ठाक पहचान के लिए प्रबन्ध होना अनिवार्य है। छोटे जानवरों के कानों में नंबर लगा कर अथवा गले में रस्सी अथवा जंजीर में नम्बर लटका कर इनकी पहचान आसानी से की जा सकती है। बछड़ों तथा बड़े जानवरों की पहचान के लिए कानों में नम्बर वाली मुर्कियां (वालियां) डाली जा सकती हैं। अथवा गर्म लोहे से पीठ पर नम्बर लगाए जा सकते हैं।
बछड़ों की सम्भाल-अगर बछड़ों को बढ़िया राशन मिले तो उनकी प्रतिदिन 500700 ग्राम शारीरिक वृद्धि हो सकती है। साधारणत: उनके शरीर का भार 15 महीने की आयु में 200-250 किलो ग्राम तथा 18 महीने में 300 किलोग्राम हो जाता है। एक वर्ष की आयु से पशुओं में गर्भ धारण की निशानियों के लिए ध्यान से देखें।
दुधारू पशुओं की देख-रेख-प्रसव से 5 दिन पश्चात् दुधारु पशुओं को साधारण वंड डालना चाहिए। दूध की पैदावार तथा हरे चारे की मात्रा तथा क्वालिटी अनुसार वंड की मात्रा बढ़ा लेनी चाहिए। दुधारु पशुओं का (खासकर दूध देने वाले) प्रसव से पहले तीन महीने साधारणतः भार घटता है जो कि चिन्ता की बात नहीं।।
प्रश्न 6.
पंजाब में भैंसों की दो नसलों के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
मुर्रा नसल-इसका मूल घर रोहतक (हरियाणा) में है। मुर्रा का अर्थ है मुड़ा हुआ। इस नसल का नाम इसके मुड़े हुए सींगों के कारण पड़ा है। इस नसल का रंग काला होता है। इसकी पूंछ की दुम (सिरा) सफेद तथा सींग मुड़े (कुण्डलदार), गर्दन तथा सिर पतले, भारी मुहाना तथा थन लम्बे होते हैं। भैंसों के शरीर का भार 430 किलोग्राम तथा नरों का 575 किलोग्राम होता है। यह नसल औसतन एक प्रसव में 1700-1800 किलोग्राम दूध देती है। इसके दूध में चिकनाहट 7% होती है।
नीली रावी-इसका मूल घर मिंटगुमरी (पाकिस्तान) में है। इसका रंग काला, माथा सफ़ेद (फूलदार), घुटनों तक टांगें सफ़ेद, पूंछ की दुम सफ़ेद होती है। इसका एक अन्य नाम पाँच कल्याणी भी है। इसका कद मध्यम, सींग छोटे तथा तेज़, आंखें बिल्ली होती हैं। भैंस का भार 450 किलोग्राम तथा नरों का 600 किलोग्राम होता है। एक प्रसव में औसतन दूध 1600-1800 किलोग्राम प्राप्त हो जाता है।
प्रश्न 7.
दूध वाले बर्तनों की सफाई के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
दूध वाले बर्तन-दूध वाले बर्तन कई तरह की धातुओं से बनाए जा सकते हैं। पर लोहे अथवा तांबे आदि धातुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह कुछ मात्रा में दूध में घुल जाती हैं तथा अवांछनीय रासायनिक क्रिया द्वारा दूध में मिल कर घटिया स्वाद तथा बदबू पैदा करती हैं। अच्छी तरह कलई किए तांबे, गैल्वेनाईज्ड लोहे तथा क्रोम निक्कल के बर्तन दूध के बर्तनों के तौर पर बहुत तस्सली बख्स रहते हैं। पर यह बहुत महँगे पड़ते हैं, जबकि एल्यूमीनियम के बर्तन सबसे बढ़िया सस्ते तथा अधिक देर तक चलने वाले होते हैं । यह दूध पर बुरा प्रभाव नहीं डालते। इन्हें आसानी से साफ़ तथा कीटाणु रहित किया जा सकता है।
बर्तनों की सफ़ाई-बढ़िया दूध पैदा करने के लिए बर्तनों को साफ़ तथा कीटाणु रहित करना . बहुत ज़रूरी है। दूध वाले बर्तनों को प्रयोग के तुरन्त पश्चात् धोकर साफ़ कर लेना चाहिए।
बर्तनों को तब तक धोते रहें, जब तक धोने वाला पानी साफ़ आना न शुरू हो जाए। धोने के लिए सोडे का प्रयोग किया जा सकता है। घोल में सोडा इतना ही डालें कि वह हाथों पर बुरा प्रभाव न डाले। बर्तन की धातु अनुसार सफ़ाई के लिए कपड़े धोने वाला सोडा, सोडियम हैक्सामैटाफॉस्फेट, ट्राई सोडियम फॉस्फेट, सोडियम मैटासिलीकेट आदि प्रयोग की जा सकती है।
सोडे को गुनगुने पानी (40°C) में घोल कर बर्तन में डालकर ब्रुश अथवा हाथों से अच्छी तरह अन्दर-बाहर से रगड़ कर साफ़ करें। बाद में बर्तन को 2-3 बार गुनगुने पानी से धोकर सोडा निकाल दें तथा अन्त में ठण्डे पानी से धो दें। साफ़ किए बर्तनों को उल्टे रखकर सुखा लेना चाहिए।
कीटाणु रहित करने से बीमारियां फैलाने वाले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। कीटाण रहित करने के लिए उबलता हुआ पानी, भाप तथा रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए। बर्तनों को 2-3 मिनट भाप की फुहार में रखकर कीटाणु रहित किया जा सकता है। दूध के बर्तनों में उबलता पानी डाल कर आधे घण्टे के लिए बन्द कर दें तथा बर्तन का तापमान लगभग 85°C होना चाहिए। सोडियम तथा कैल्शियम हाइपोक्लोराइड जैसे रसायन पदार्थ भी बर्तनों को कीटाणु रहित करने के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं। इन रसायनों की 200 ग्राम मात्रा 1000 लिटर पानी में घोल कर बर्तन में 2 मिनट के लिए डालना काफ़ी है। अगर कुआर्टनरी अमोनियम प्रयोग करना हो तो यह 50 ग्राम प्रति 1000 लीटर पानी में घोल कर प्रयोग किया जा सकता है। रसायनों को साफ़ करने के पश्चात् बर्तन अच्छी तरह साफ़ पानी से धोने चाहिए नहीं तो इनकी गन्दगी दूध अथवा पदार्थों को खराब कर सकती है।
प्रश्न 8.
देशी गायों की नस्लों का विस्तारपूर्वक वर्णन करो।
उत्तर-
पशु पालन PSEB 11th Class Agriculture Notes
- पंजाब में लगभग 70% जनसंख्या ग्रामीण है।
- पंजाब में 17 लाख गायें तथा 50 लाख भैंसें हैं।
- पंजाब में प्रति जीव औसतन 937 ग्राम दूध प्रतिदिन पैदा किया जाता है जबकिराष्ट्रीय स्तर पर यह 291 ग्राम है।
- होलस्टीन-फ्रीज़ियन दूध देने वाली सबसे बढ़िया विदेशी नस्ल है।
- देसी गाय एक सुए में लगभग 1000 से 1800 किलोग्राम दूध देती है।
- गाय की देसी नसलें हैं हरियाणा, साहीवाल, लाल सिन्धी तथा थारपार्कर।
- थारपार्कर तथा हरियाणा द्विउद्देशीय नसलें हैं।
- गाय की विदेशी नसलें हैं होलस्टीयन-फ्रीज़ियन, जरसी। क्रमशः इनके एक सूए से औसतन 5500-6500, 3000-5000 किलो दूध मिल जाता है।
- लगभग 35 किलो हरा चारा 400 किलो भारी गाय अथवा भैंस के शरीर के संचालन की आवश्यकता पूरी करता है।
- जानवरों के लिए आवश्यक खुराकी तत्त्वों को मोटे तौर पर 4 भागों में बांट सकते हैं, जैसे ऊर्जा देने वाले पदार्थ, प्रोटीन, खनिज, पदार्थ तथा विटामिन।
- जानवरों को पौष्टिक तत्व पूरे मिलें इसलिए बंड, जोकि अनाज, तेल वाले बीजों की खल्ल आदि मिश्रण है, दिया जाता है।
- अगर दुहाई दूध निकालने वाली मशीन से करनी हो तो थनों को 50% बीटाडीन + 50% ग्लिसरीन के घोल में डुबो लेना चाहिए।
- दूध से हट चुकी गर्भवती गाय को इधर-उधर नहीं ले जाना चाहिए तथा फिसलने से बचाना चाहिए।
- गाय की प्रसूतन के 2 घण्टे बाद दुहाई कर लेनी चाहिए।
- नये जन्मे बछड़े के नाड़ को प्रतिदिन 2-3 बार टिंचर आयोडीन या डीटोल लगा देनी चाहिए।
- बछड़े को दूध पीलाना चाहिए तथा चूसवाना नहीं चाहिए।
- कटड़ी तथा बछड़ी के क्रमश : 7-10 दिन तथा 15-20 दिनों की आयु में सिंग दाग देने चाहिए।
- युवा गाय को अच्छा राशन मिले तो भार 18 महीने में 300 किलोग्राम हो जाता है।।
- दूध दोहन का काम 6-8 मिनट में पूरी मुट्ठी से करना चाहिए।
- बड़े पशु को लगभग 12-14 वर्ग फुट स्थान की आवश्यकता होती है।
- फालतू फलीदार चारे को सुखा कर हेय तथा गैर-फलीदार का आचार बना कर संभाला जा सकता है।
- भारत में भैंस के एक सूए का औसतन दूध 500 किलोग्राम है। पंजाब में यह , 1500 किलोग्राम है।
- भारत में भैंसों की 15 नसलें हैं। पंजाब में साधारणत: दो नसलें मिलती हैं मुर्रा तथा नीली रावी।
- बढ़िया भैंस को पहले सूए में 2000 तथा दूसरे में 2500 किलोग्राम दूध देना चाहिए।
- दूध को 5°C तक ठण्डा करके रखें, इस तरह बैक्टीरिया फलते फूलते नहीं।
- दूध वाले बर्तनों को अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए।