Punjab State Board PSEB 11th Class Agriculture Book Solutions Chapter 10 मछली पालन Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Agriculture Chapter 10 मछली पालन
PSEB 11th Class Agriculture Guide मछली पालन Textbook Questions and Answers
(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दो-
प्रश्न 1.
दो विदेशी किस्म की मछलियों के नाम बताओ।
उत्तर-
कॉमन क्रॉप, सिल्वर क्रॉप विदेशी जातियां हैं।
प्रश्न 2.
मछलियां पालने वाला जौहड़ कितना गहरा होना चाहिए ?
उत्तर-
इसकी गहराई 6-7 फुट होनी चाहिए।
प्रश्न 3.
मछली पालन के उपयोग किए जाने वाले पानी की पी०एच० कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
इसकी पी०एच० अंक 7-9 के मध्य होना चाहिए।
प्रश्न 4.
मछली पालन के लिए तैयार जौहड़ में कौन-कौन सी रासायनिक खादों का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
जौहड़ के लिए यूरिया खाद तथा सुपरफास्फेट का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 5.
प्रति एकड़ में कितने बच्च तालाब में छोड़े जाते हैं ?
उत्तर-
प्रति एकड़ में बच्च की संख्या 4000 होनी चाहिए।
प्रश्न 6.
मछलियों का बच्च कहां से प्राप्त होता है ?
उत्तर-
मछलियों का बच्च गुरु अंगद देव वैटरनरी तथा एनीमल साइंसज विश्वविद्यालय, लुधियाना के मछली कॉलेज या पंजाब सरकार के मछली बच्च फार्म से प्राप्त किए जा सकते हैं।
प्रश्न 7.
दो भारतीय मछलियों के नाम लिखो।
उत्तर-
कतला, रोहू।
प्रश्न 8.
मछलियों के छप्पड़ वाली जमा की मिट्टी किस तरह की होनी चाहिए ?
उत्तर-
चिकनी या चिकनी मैरा।
प्रश्न 9.
व्यापारिक स्तर या मछली पालन के लिए छप्पड़ का क्या आकार होना चाहिए ?
उत्तर-
क्षेत्रफल 1 से 5 एकड़ तथा गहराई 6-7 फुट होनी चाहिए।
प्रश्न 10.
किसी भी मांसाहारी मछली का नाम लिखो।
उत्तर-
सिंघाड़ा, मल्ली।
(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दो-
प्रश्न 1.
मछली पालन के लिए पाली जाने वाली भारतीय और विदेशी मछलियों के नाम बताओ।
उत्तर-
भारतीय मछलियां-कतला, रोहू तथा मरीगल। विदेशी मछलियां-कॉमन क्रॉप, सिल्वर क्रॉप, ग्लास क्रॉप।।
प्रश्न 2.
मछली पालन के लिए तैयार किए जाने वाले जौहड़ के डिज़ाइन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
जौहड़ का डिज़ाइन तथा खुदाई-व्यापारिक स्तर पर मछलियां पालने के लिए जौहड़ का क्षेत्रफल 1 से 5 एकड़ तथा गहराई 6-7 फुट होनी चाहिए। जौहड़ का तल समतल तथा किनारे ढलानदार होने चाहिएं। पानी डालने तथा निकालने का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए। इसके लिए पाइपों पर वाल्व लगे होने चाहिएं। खुदाई फरवरी के मास में करनी चाहिए ताकि मार्च-अप्रैल में मछलियों के बच्चे तालाब में छोड़े जा सकें। एक एकड़ के तालाब में बच्चे रखने के लिए एक कनाल (500 वर्ग मीटर) का नर्सरी तालाब अवश्य बनाओ जिसमें बच्चे रखे जा सकें। कम भूमि पर भी छोटे तालाब आदि बनाए जा सकते हैं जहां मछलियां पाली जा सकती हैं।
प्रश्न 3.
मछली पालन के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी के स्तर के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
पानी में घुली हुई ऑक्सीजन तथा इसका तेजाबीपन जोकि पी०एच० अंक से पता चलता है बहुत महत्त्वपूर्ण है। मछलियों के जीवित रहने तथा वृद्धि विकास के लिए ये बातें बहुत प्रभाव डालती हैं। पी०एच० अंक 7-9 के मध्य होना चाहिए। 7 से कम पी०एच० अंक बढ़ाने के लिए बारीक पिसा हुआ चूना (80-100 किलो प्रति एकड़) पानी में घोल कर ठण्डा करने के पश्चात् तालाब में छिटक देना चाहिए।
प्रश्न 4.
मछली पालन के व्यवसाय के लिए भिन्न-भिन्न किस्म की मछलियों के बच्च में क्या अनुपात होता है ?
उत्तर-
विभिन्न प्रकार की मछलियों के बच्चों का अनुपात निम्नलिखित अनुसार है(i) कतला 20%, रोहू 30%, ग्रास क्रॉप 10%, सिल्वर क्रॉप 10%, मरीगल 10%, कॉमन क्रॉप 20%। (ii) कतला 25%, कॉमन क्रॉप 20%, मरीगल 20%, रोहू 35%।
प्रश्न 5.
मछली तालाब में खरपतवार की समाप्ति के तरीके बताओ।
उत्तर-
पुराने तालाबों में खरपतवार न उग सकें। इसके लिए पानी का स्तर 5-6 फुट होना चाहिए। खरपतवार को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित ढंग हैं-
- भौतिक साधन-तालाब का पानी निकाल कर इसे खाली करके खरपतवार को कंटीली तार से निकाला जा सकता है।
- जैविक साधन-ग्रास कार्प मछलियां कई खरपतवारों (स्पाईरोडैला, हाईड्रिला, वुल्फीया, वेलीसनेरिया, लेमना) को खा जाती हैं। सिल्वर कार्प मछलियां, काई, पुष्पपुंज (एल्गल ब्लूमज़) को कंट्रोल करने में सहायक हैं।
प्रश्न 6.
जौहड़ में नहरी पानी के उपयोग के समय कौन-सी सावधानी ध्यान रखनी चाहिए ?
उत्तर-
नहरी पानी का प्रयोग करते समय खाल के मुंह पर लोहे की बारीक जाली लगानी चाहिए। ऐसा मांसाहारी तथा नदीन मछली को तालाब में जाने से रोकने के लिए करना आवश्यक है।
प्रश्न 7.
जौहड़ में मछली के दुश्मनों के बारे में बताओ।
उत्तर-
मांसाहारी मछलियां (मल्ली, सिंगाड़ा), नदीन मछलियां (शीशा, पुट्ठी कंघी), मेंढक, सांप आदि मछली के दुश्मन हैं।
प्रश्न 8.
मछलियों को खुराक कैसे दी जाती है ?
उत्तर-
मछलियों को 25% प्रोटीन वाली खुराक देनी चाहिए। बारीक पिसी हुई खुराक को 3-4 घण्टे तक भिगो कर रखना चाहिए। फिर इस भोजन के पेड़े बनाकर पानी के तल से 2-3 फुट नीचे रखी ट्रे अथवा टोकरियों अथवा छेदों वाले प्लास्टिक के थैलों में डालकर मछलियों को खाने के लिए देना चाहिए।
प्रश्न 9.
मछलियों को रोगों से बचाने के उपाय बताओ।
उत्तर-
मछलियों को बीमारियों से बचाने के लिए पूंग को लाल दवाई के घोल (100 ग्राम प्रति लीटर) में डुबो देने के पश्चात् तालाब में छोड़ो। लगभग प्रत्येक 15 दिन के अन्तर के पश्चात् मछलियों के स्वास्थ्य की जांच करनी चाहिए। बीमार मछलियों के उपचार के लिए सिफ़ारिश किये गये ढंगों का प्रयोग करो अथवा विशेषज्ञों के साथ सम्पर्क करो।
प्रश्न 10.
मछली पालन बारे प्रशिक्षण कहां से लिया जा सकता है ?
उत्तर-
मछली पालन बारे में प्रशिक्षण जिला मछली पालन अफ़सर, कृषि विज्ञान केन्द्र या फिर गुरु अंगद देव वैटनरी तथा एनीमल साईंसज विश्वविद्यालय लुधियाना से प्राप्त किया जा सकता है।
(ग) पांच-छः वाक्यों में उत्तर दें-
प्रश्न 1.
मछली पालन के लिए जौहड़ बनाने के लिए जगह का चुनाव और उनके डिजाइन व खुदाई के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
जौहड़ बनाने के लिए स्थान का चुनाव-चिकनी अथवा चिकनी मैरा मिट्टी वाली भूमि जौहड़ बनाने के लिए ठीक रहती है क्योंकि इसमें पानी सम्भालने की शक्ति अधिक होती है। पानी खड़ा करने के लिए हल्की (रेतीली)भूमि में कद्दू किया जा सकता है। पानी का साधन अथवा स्रोत भी निकट ही होना चाहिए ताकि जौहड़ को सरलता से भरा जा सके तथा समय-समय पर सूखे के कारण जौहड़ में पानी की कमी को पूरा किया जा सके। इसके लिए नहरी पानी का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसके लिए नाली के मुंह पर लोहे की बारीक जाली लगा देनी चाहिए ताकि मांसाहारी तथा खरपतवार आदि मछलियां नहरी पानी द्वारा जौहड़ में न मिल जाएं।
जौहड़ का डिजाइन तथा खुदाई-व्यापारिक स्तर पर मछलियां पालने के लिए जौहड़ का क्षेत्रफल 1 से 5 एकड़ तथा गहराई 6-7 फुट होनी चाहिए। जौहड़ का तल समतल तथा किनारे ढलानदार होने चाहिएं। पानी डालने तथा निकालने का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए। इसके लिए पाइपों पर वाल्व लगे होने चाहिएं। खुदाई फरवरी के महीने में करनी चाहिए ताकि मार्च-अप्रैल में मछलियों का पूंग तालाब में छोड़ा जा सके। एक एकड़ के जौहड़ में पूंग रखने के लिए एक कनाल (500 वर्ग मीटर) का नर्सरी जौहड़ अवश्य बनवाओ जिसमें पूंग रखा जा सके।
प्रश्न 2.
पुराने जौहड़ों को मछली पालन के योग्य कैसे बनाया जाए ?
उत्तर-
पुराने जौहड़ में नदीन न पनप सके इसके लिए पानी का स्तर 5-6 फुट होना चाहिए। नदीनों को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित ढंग हैं –
- भौतिक विधि-जौहड़ का पानी निकाल कर इसे खाली करके नदीनों को कंटीली तार से निकाला जा सकता है।
- जैविक विधि-ग्रास कार्प मछलियां कई खरपतवारों (स्पाइरो डैला, हाइड्रिला, वुल्फीया, वेलिसनेरिया, लैमना) को खा जाती हैं। सिल्वर कार्प मछलियां काई, पुष्पपुंज (एल्गल ब्लूमज) को कंट्रोल करने में सहायक हैं।
पुराने जौहड़ों में से मछली के शत्रुओं की समाप्ति-पुराने तालाबों में पाई जाने वाली मांसाहारी मछलियां डौला, सिंगाड़ा, मल्ली तथा नदीन मछलियां। शीशा, पुट्ठी कंघी, मेंढक तथा सांपों को बार-बार जाल लगाकर तालाब में से निकालते रहना चाहिए। सांपों को बड़ी सावधानी से मार दो।
प्रश्न 3.
पुराने जौहड़ों में से खरपतवार की समाप्ति कैसे करेंगे ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दो।
प्रश्न 4.
मछली पालन के समय जौहड़ों में कौन-सी खादें डाली जाती हैं ?
उत्तर-
नये खोदे गये तालाब में मछली का प्राकृतिक भोजन (प्लैंकटन) की लगातार उपज होती रहे। इसके लिए खादों का प्रयोग किया जा सकता है। तालाब में पूंग छोड़ने से 15 दिन पहले खाद डालनी चाहिए। पुराने तालाब में खाद डालने की दर उसके पानी की क्वालिटी तथा प्लैंकटन की उपज पर निर्भर करती है।
दूसरी किश्त पहली किश्त के 15 दिन पश्चात् तथा रासायनिक खाद की दूसरी किश्त एक मास के पश्चात् डालो।
प्लैंकटन की लगातार पैदावार के लिए गोबर की खाद, मुर्गियों की खाद, बायोगैस सल्लरी, यूरिया, सुपरफॉस्फेट आदि खादों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 5.
मछली पालन व्यवसाय के विकास में मछली पालन विभाग और वेटरनरी यूनिवर्सिटी की क्या भूमिका है ?
उत्तर-
मछली पालन का व्यवसाय प्रारम्भ करने से पहले मछली पालन विभाग, पंजाब से प्रशिक्षण प्राप्त कर लेना चाहिए। इस विभाग की ओर से प्रत्येक जिले में प्रति मास पांच दिन की ट्रेनिंग दी जाती है।
प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात् यह विभाग मछली पालन के व्यवसाय के लिए तालाब के निर्माण तथा पुराने तालाब को ठीक करने अथवा सुधार के लिए सहायता भी देता है।
मछली पालन का प्रशिक्षण वेटरनरी यूनिवर्सिटी से प्राप्त किया जा सकता है।
Agriculture Guide for Class 11 PSEB मछली पालन Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मछली कितने ग्राम की होने पर बेचने योग्य हो जाती है ?
उत्तर-
500 ग्राम।
प्रश्न 2.
एक खरपतवार मछली का नाम बताओ।
उत्तर-
पुट्ठी कंघी।
प्रश्न 3.
मछली का प्राकृतिक भोजन क्या है ?
उत्तर-
प्लैंकटन।
प्रश्न 4.
मछलियां पालने वाला छप्पड़ कितना गहरा होना चाहिए ?
उत्तर-
6-7 फुट।
प्रश्न 5.
डौला——–किस्म की मछली है।
उत्तर-
मांसाहारी।
प्रश्न 6.
जौहड़ बनाने के लिए कैसी मिट्टी वाली भूमि का चुनाव करना चाहिए ?
उत्तर-
उसके लिए चिकनी अथवा चिकनी मैरा मिट्टी वाली भूमि चुनो।
प्रश्न 7.
चिकनी अथवा चिकनी मैरा मिट्टी वाली भूमि ही क्यों जौहड़ के लिए चुनी जाती है ?
उत्तर-
क्योंकि ऐसी मिट्टी में पानी सम्भालने की शक्ति अधिक होती है।
प्रश्न 8.
जौहड़ की खुदाई किस मास में करनी चाहिए ?
उत्तर-
जौहड़ की खुदाई फरवरी मास में करनी चाहिए।
प्रश्न 9.
खरपतवार को कौन-सी मछलियां खा लेती हैं ?
उत्तर-
ग्रास क्रॉप तथा सिल्वर क्रॉप।
प्रश्न 10.
खरपतवार मछलियों के नाम बताओ।
उत्तर-
शीशा तथा पुट्ठी कंघी।
प्रश्न 11.
मांसाहारी मछलियों के नाम बताओ।
उत्तर-
सिंघाड़ा, मल्ली, डौला।।
प्रश्न 12.
यदि पानी का पी० एच० अंक 7 से कम हो जाए तो क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
बारीक पिसा हुआ चूना पानी में घोल कर ठण्डा करके तालाब में 80-100 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़क दो।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-
मछलियां पकड़ने तथा पूंग छोड़ने के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
जब मछलियां 500 ग्राम की हो जाएं तो वह बेचने योग्य हो जाती हैं। मछलियां जिस प्रकार की निकाली जाएं उतना ही उस प्रकार का मछलियों का पूंग नर्सरी तालाब में से निकाल कर तालाब में छोड़ देना चाहिए।
मछली पालन PSEB 11th Class Agriculture Notes
- वैज्ञानिक विधि से मछलियां पालने से वर्ष में लाभ कृषि से भी अधिक हो जाता
- मछलियों की भारतीय किस्में हैं-कतला, रोहू तथा मरीगल ।
- मछलियों की विदेशी किस्में हैं-कॉमन क्रॉप, सिल्वर क्रॉप तथा ग्रास क्रॉप।
- जौहड़ (छप्पड़) बनाने के लिए चिकनी अथवा चिकनी मैरा मिट्टी वाली भूमि का प्रयोग करना चाहिए।
- जौहड़ (छप्पड़) 1-5 एकड़ क्षेत्रफल के तथा 6-7 फुट गहरा होना चाहिए।
- पानी की गहराई 5-6 फुट होनी चाहिए।
- पानी का पी०एच० अंक 7-9 के मध्य होना चाहिए। यदि 7 से कम हो तो चूने के प्रयोग से बढ़ाया जा सकता है।
- जौहड़ में 1-2 इंच आकार के 4000 प्रति एकड़ के हिसाब से डालो।
- बच्चे का अनुपात इस प्रकार हो सकता है
(i) कतला 20%, कॉमन क्रॉप 20%, मरीगल 10%, ग्रास क्रॉप 10%, रोहू 30%, सिल्वर क्रॉप 10% ।
(ii) कतला 25%, मरीगल 20%, रोहू 35%, कॉमन क्रॉप 20% । - मछलियों को 25% प्रोटीन वाला सहायक भोजन दो।
- 500 ग्राम की मछली को बेचा जा सकता है।
- विभिन्न संस्थाओं से मछली पालन के व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए।