PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Avikari Shabd (Avyay) अविकारी शब्द (अव्यय) Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar अविकारी शब्द (अव्यय)

प्रश्न 1.
अव्यय किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
जिन शब्दों का लिंग, वचन, कारक, काल आदि के कारण कोई रूप नहीं बदलता उन्हें अव्यय कहते हैं। अव्यय का दूसरा नाम अविकारी शब्द है।
अव्यय चार प्रकार के होते हैं-
(1) क्रिया विशेषण
(2) सम्बन्ध बोधक
(3) समुच्चय बोधक
(4) विस्मयादि बोधक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

1. क्रिया विशेषण

प्रश्न 1.
क्रिया विशेषण का लक्षण (परिभाषा) लिखकर उसके भेदों का वर्णन करो।
अथवा
क्रिया विशेषण किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद हैं ?
उत्तर:
वे शब्द जो क्रिया की विशेषता प्रकट करें, उसे क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-धीरे-धीरे, यहाँ से, कल, आज, ऊँचे से ऊँचाई आदि। क्रिया विशेषण के चार भेद हैं
1. कालवाचक :
जो क्रिया विशेषण शब्द क्रिया के होने का समय सूचित करते हैं उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-आज, कल, परसों, जब, तब, कब, साय, प्रात: आदि।
उदाहरण :
(i) मैं प्रातः व्यायाम करता हूँ।
(ii) आजकल वर्षा हो रही है।
(iii) परसों मेला देखने चलेंगे।

2. स्थानवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया के स्थान या दिशा के विषय में बोध कराएँ उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे–यहाँ, वहाँ, आगे, पीछे, मध्य, ऊपर, नीचे, इधर, किधर, दाहिने, बाएँ, सामने आदि।
उदाहरण :
(i) इधर-उधर मत देखो।
(ii) भीतर जा कर पढ़ो।
(ii) यहाँ बैठो।

3. परिमाणवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया के परिमाण को प्रकट करें उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-अधिक, जितना, थोड़ा, बहुत, कम आदि।
उदाहरण :
(i) कम बोलो, अधिक सोचो।
(ii) तनिक हँसो भी।
(iii) चाय में दूध काफी है, चीनी थोड़ी है।

4. रीतिवाचक :
जो क्रिया विशेषण क्रिया की रीति या विधि का बोध कराएँ उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं; जैसे-धीरे-धीरे, जल्दी, शीघ्र, तेज़ आदि।
उदाहरण :
(i) दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
(ii) मैं तो ठीक पढ़ रहा था।
(iii) क्या तुम पैदल चलोगे ?

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

2. संबंध बोधक

प्रश्न 1.
संबंध बोधक अव्यय किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
जो संज्ञा और सर्वनाम के आगे-पीछे आ कर वाक्यों के दूसरे शब्दों से उसका सम्बन्ध बताते हैं, उन्हें सम्बन्ध बोधक अव्यय कहा जाता है; जैसे-ऊपर, भीतर, आगे, पीछे, ऊँचे, नीचे, समीप, दूर, बाहर, सहित आदि।
उदाहरण:
(i) डर के मारे उसका चेहरा पीला पड़ गया।
(ii) मेरा घर विद्यालय के पीछे है।

3. समुच्चय बोधक

प्रश्न 1.
समुच्चय बोधक अथवा योजक अव्यय किसे कहते हैं ?
अथवा
योजक की परिभाषा लिखें।
उत्तर:
जो दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को मिलाते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक या योजक अव्यय कहते हैं; जैसे-और, भी, तथा, कि, अथवा, अतः, किन्तु, परन्तु, इसलिए, मानो आदि।
उदाहरण :
(i) मोहन ने कहा कि मैं आपकी प्रतीक्षा करूँगा।
(ii) मैंने तो बहुत कहा किन्तु वह नहीं माना।

4. विस्मयादि बोधक

प्रश्न 1.
विस्मयादि बोधक किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो शब्द विस्मय हर्ष, शोक, घृणा आदि भावों को प्रकट करते हैं, उन्हें विस्मयादि बोधक कहते हैं; जैसे-ओहो, आह, हाय, बाप रे, खूब, वाह-वाह, धन्य, अरे, अजी इत्यादि।
उदाहरण :
(i) हाय ! मैं मारा गया।
(ii) वाह ! क्या फिल्म थी।
(iii) धन्य ! गुरुदेव जो आप यहाँ पधारे।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

आति लघत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित वाक्यों में से क्रिया विशेषण शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) रवि आज भोजन नहीं करेगा।
(ख) धीरे-धीरे चलो।
(ग) इतना मत पढ़ो।
(घ) वहाँ घोर अंधेरा है।।
(ङ) उस दिन वर्षा सुबह से हो रही थी।
(च) गुफा में रुक-रुक कर पानी टपक रहा था।
(छ) धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।
(ज) शेषनाग नामक स्थान पर रात भर टिकना अनिवार्य होता है।
(झ) वीर पुरुष किसी से नहीं डरता।
(ज) मोहन आज भोजन नहीं करेगा।
उत्तर:
(क) आज
(ख) धीरे-धीरे
(ग) इतना
(घ) वहाँ
(ङ) सुबह
(च) रुक-रुक
(छ) धीरे-धीरे
(ज) रात भर
(झ) किसी से
(ज) आज।

2. निम्नलिखित वाक्यों में से सम्बन्ध बोधक शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) तुम्हारे अतिरिक्त यहाँ कोई नहीं है।
(ख) गाँव से परे मठ में एक पुजारी रहता था।
(ग) मैं अध्यापक के विरुद्ध गवाही नहीं दूंगा।
(घ) पेड़ के नीचे छाया का आनंद लो।
उत्तर:
(क) तुम्हारे अतिरिक्त,
(ख) परे,
(ग) के विरुद्ध
(घ) नीचे।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

3. निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चय बोधक (योजक) शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) नित्य भजन कीजिए, ताकि मन शांत रहे।
(ख) योगेश और अवधेश दोनों साथी हैं।
(ग) रवि गाता ही नहीं, अपितु नाचता भी है।
(घ) यदि इस समय ओले पड़े, तो फसल नष्ट हो जाएगी।
(ङ) जो करेगा सो भरेगा।
(च) मेरे लिए जैसा रमेश वैसे ही तुम।
उत्तर:
(क) ताकि,
(ख) और,
(ग) अपितु,
(घ) यदि, तो,
(ङ) जो, सो,
(च) जैसा, वैसे।

4. निम्नलिखित वाक्यों में से विस्मयादि बोधक शब्द छाँटो

प्रश्न 1.
(क) छिः छिः मोहिनी ! तुम कितनी गन्दी हो।
(ख) ओह, कितना बड़ा साँप है।
(ग) हाय ! हाय ! दुष्ट पुत्र ने मुझे बर्बाद कर दिया।
(घ) शाबाशं ! कैप्टन तुम्हारी टीम जीत गई।
(ङ) वाह! कितना सुन्दर दृश्य है।
उत्तर:
(क) छिः छिः
(ख) ओह !
(ग) हाय ! हाय !
(घ) शाबाश
(ङ) वाह!

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द (अव्यय)

प्रश्न 2.
‘ओह’ शब्द को विस्मयादिबोधक वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
ओह ! यह क्या हुआ।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Hindi Guide for Class 12 PSEB शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दो:

प्रश्न 1.
‘चलना हमारा काम है’ कविता आशा और उत्साह की कविता है-स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने गतिशीलता को ही जीवन माना है। स्थिरता को उसने मृत्यु समान माना है। गतिशील जीवन ही जीवन पथ में आने वाली बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने की हिम्मत रखता है। जब व्यक्ति के पैरों में चलने की शक्ति है तो वह किनारे पर खड़ा क्यों देखता रहे । जीवन में सुख-दुःख, आशा-निराशा तो आते ही रहते हैं किन्तु जीवन रुकना नहीं चाहिए। स्पष्ट है कि कविता में आशा और उत्साह बनाए रखने की बात कही गई है।

प्रश्न 2.
‘चलना हमारा काम है’ कविता का सार लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में गतिशीलता को जीवन और स्थिरता को मृत्यु बताया गया है। गतिशील जीवन में बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने की हिम्मत होती है। कवि कहते हैं कि जब मेरे पैरों में चलने की शक्ति है तो मैं दूर खड़ा क्यों देखता रहूँ। जब तक मैं अपनी मंज़िल न पा लूँ मैं रुकूँगा नहीं। जीवन में सुख-दुःख तो आते ही रहते हैं किन्तु भाग्य को दोष देकर मुझे रुकना नहीं है चलते ही जाना है। भले ही जीवन की इस यात्रा में कुछ लोग रास्ते से ही लौट गए किंतु जीवन तो निरंतर चलता ही रहता है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 3.
‘मानव बनो, मानव ज़रा’ कविता का शीर्षक क्या सन्देश देता है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता का शीर्षक यह सन्देश देता है कि मानव कल्याण के लिए जियो अथवा अपना जीवन लगाओ ताकि मानवता तुम पर गर्व कर सके।

प्रश्न 4.
‘मानव बनो, मानव जरा’ कविता का सार लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में मनुष्य को आत्मनिर्भर होने की बात कही गई है। कवि का कहना है प्यार करना और उसमें खुशामद करना तथा किसी दूसरे का आश्रय ग्रहण करना तुम्हारी भूल है, इससे कोई लाभ न होगा। न ही आँसू बहाने और न ही किसी के आगे हाथ फैलाने से कोई लाभ होगा। कष्टों में हाय तौबा करना या कराहना तुम्हें शोभा नहीं देता। अपने इन आँसुओं का सदुपयोग करते हुए विश्व के कण-कण को सींच कर हरा-भरा कर देना है। अब पछताओ मत बल्कि यदि तुम्हें जलना ही है तो अपनी भस्म से इस धरती को उपजाऊ बनाओ।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
मैं तो फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया।
जो बंद कर पलकें सहज
दो घूट हँस कर पी गया।
जिसमें सुधा मिश्रित गरल, वह साकिया का जाम है
चलना हमारा काम है।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि जो मिट जाता है वही जी जाता है। जो स्वाभाविक रूप से आँखें बन्द करके सुख-दुःख ऐसे दो घुट हँसकर पी जाता है जिसमें अमृत मिश्रित विष होता है अर्थात् सुख के साथ दुःख भी होते हैं वही वास्तव में साकी का दिया हुआ शराब का प्याला है।

प्रश्न 6.
उफ़ हाय कर देना कहीं
शोभा तुम्हें देता नहीं
इन आँसुओं से सींच कर दो
विश्व का कण-कण हरा
मानव बनो, मानव ज़रा।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि कष्ट में कराहना-हाय तौबा करना तुम्हें शोभा नहीं देता बल्कि तुम्हें चाहिए कि अपने इन आँसुओं से सींच कर विश्व के कण-कण को हरा कर दो अर्थात् धरती का कण-कण अपनी संवेदना से भर दो। अत: हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बन कर देखो।

PSEB 12th Class Hindi Guide शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ ने उच्च शिक्षा किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी?
उत्तर:
काशी हिंदू विश्वविद्यालय से।

प्रश्न 2.
सुमन जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ था?
उत्तर:
मिट्टी की बारात पर।

प्रश्न 3.
कवि के विचार से जीवन और मृत्यु क्या है?
उत्तर:
कवि के विचार से गतिशीलता जीवन है और स्थिरता मृत्यु है।

प्रश्न 4.
इन्सान को अपने जीवन में शक्ति की प्राप्ति किससे होती है?
उत्तर:
इन्सान को गतिशील जीवन में बाधाओं को पार कर आगे बढ़ने से शक्ति प्राप्त होती है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 5.
कवि के सामने तय करने के लिए कैसा रास्ता पड़ा है ?
उत्तर:
लंबा रास्ता।

प्रश्न 6.
जीवन की राह को किस तरह आसानी से काटा जा सकता है?
उत्तर:
एक-दूसरे से सुख-दुख को बांटते हुए जीवन की राह को आसानी से काटा जा सकता है।

प्रश्न 7.
जीवन की राह पर बढ़ते हुए इन्सान सदा किस से घिरा रहता है?
उत्तर:
वह निराशा से घिरा रहता है।

प्रश्न 8.
इन्सान का मूल कार्य क्या है?
उत्तर:
जीवन की राह में आगे बढ़ते जाना।

प्रश्न 9.
कवि ने दुनिया को क्या कहा है?
उत्तर:
सुंदर संसार रूपी सागर।

प्रश्न 10.
संसार में सभी को क्या सहने ही पड़ते हैं ?
उत्तर:
संसार में सभी को दु:ख सहने ही पड़ते हैं।

प्रश्न 11.
कवि पूर्णता की खोज में कहाँ-कहाँ भटकता रहा?
उत्तर:
कवि पूर्णता की खोज में दर-दर भटकता रहा।

प्रश्न 12.
जीवन की राह में सफलता की प्राप्ति किसे होती है?
उत्तर:
जीवन की राह में सफलता की प्राप्ति निरंतर आगे बढ़ने वालों को ही प्राप्त होती है।

प्रश्न 13.
कवि ने इन्सान को क्या न करने की सलाह दी है?
उत्तर:
कवि ने इन्सान को कष्टों से डरने, व्यर्थ पछताने, रोने-पीटने और निराशावादी न बनने की सलाह दी है।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 14.
जब तक न मंजिल पा सकूँ…………
उत्तर:
तब तक न मुझे विराम है।

प्रश्न 15.
इस विशद विश्व प्रवाह में,
उत्तर:
किसको नहीं बहना पड़ा।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

प्रश्न 16.
कर दो धरा को उर्वरा,
उत्तर:
मानव बनो, मानव बनो।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
अपने हृदय की राख से धरती को उपजाऊ बना दो।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
कवि जीवन की पूर्णता के लिए दर-दर भटकता फिरा।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
कवि अपूर्ण जीवन लेकर कवि सब कुछ प्राप्त करता रहा।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 20.
आपस में कहने-सुनने से बोझ कम नहीं होता।
उत्तर:
नहीं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. सुमन को ‘मिट्टी की बारात’ कृति पर कौन सा पुरस्कार मिला ?
(क) साहित्य अकादमी
(ख) पद्मश्री
(ग) पद्मभूषण
(घ) पद्मविभूषण
उत्तर:
(क) साहित्य अकादमी

2. कवि को देव पुरस्कार किस काव्य संग्रह पर मिला ?
(क) आपका विश्वास
(ख) विश्वास बढ़ता ही गया
(ग) विश्वास
(घ) धूप
उत्तर:
(ख) विश्वास बढ़ता ही गया

3. कवि के अनुसार गतिशीलता क्या है ?
(क) जीवन
(ख) भाव
(ग) भावना
(घ) चलना
उत्तर:
(क) जीवन

4. कवि के अनुसार स्थिरता क्या है ?
(क) ठहरना
(ख) मृत्यु
(ग) जीवन
(घ) जीवन-मृत्यु
उत्तर:
(ख) मृत्यु

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

5. कवि के अनुसार संसार में वह किसकी खोज में दर-दर भटकता है ?
(क) पूर्णता
(ख) अपूर्णता
(ग) ईश्वर
(घ) शांति
उत्तर:
(क) पूर्णता

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ सप्रसंग व्याख्या

चलना हमारा काम है !

1. गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर-दर खड़ा,
है रास्ता इतना पड़ा।
जब तक न मंज़िल पा सकूँ, तब तक न मुझे विराम है,
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
गति = चाल। प्रबल = बलशाली, ज़ोर की। मंज़िल = ठिकाना, लक्ष्य। विराम = रुकना, आराम।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश डॉ० शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने बताया है कि गतिशीलता जीवन है और स्थिरता मृत्यु । गतिशील जीवन में बाधाओं को लाँघते हुए आगे बढ़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि जीवन चलते रहने का नाम है रुकने का नहीं। इसी तथ्य की व्याख्या करते हुए वे कहते हैं कि जब मेरे पैरों में चलने की बलशाली शक्ति है तो फिर मैं क्यों जीवन-पथ पर जगह-जगह रुकता रहूँ। जब मैं यह जानता हूँ कि मेरे सामने बड़ा लम्बा रास्ता पड़ा है तो फिर मैं क्यों रुकूँ। मुझे तो तब तक चलना होगा जब तक मैं अपनी मंज़िल, अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर लूँ। मुझे रुकना नहीं है क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. कवि का मानना है जब तक मनुष्य को अपना लक्ष्य न प्राप्त हो जाए, उसे निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
  2. भाषा सहज, भावपूर्ण है।
  3. उद्बोधनात्मक शैली है।
  4. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

2. कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया,
कुछ बोझ अपना बँट गया।
अच्छा हुआ तुम मिल गई,
कुछ रास्ता ही कट गया।
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है।
चलना हमारा काम है!

कठिन शब्दों के अर्थ:
राही = रास्ते पर चलने वाला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को निरंतर गतिमान रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि जीवन की डगर पर चलते समय अपनी जीवन संगिनी का साथ होने की बात कह रहे हैं। कवि कहते हैं कि जीवन का रास्ता तब कटता है जब साथी मुसाफिरों से व्यक्ति कुछ अपने दिल की बात या दु:ख दर्द की बात कहे और कुछ उनके दुःख दर्द की बात सुने। इस तरह रास्ता आसानी से कट जाता है। जीवन यात्रा में मनुष्य यदि दूसरों से सुख-दुःख बाँटता हुआ चले तो रास्ता आसानी से कट जाता है। कवि अपनी प्रियतमा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि अच्छा हुआ तुम मुझे मिल गईं, तुम्हारे साथ के कारण मेरा रास्ता तो सुखपूर्वक कट गया। क्या रास्ते में ही मैं अपना परिचय तुम्हें दूँ ? मेरा परिचय तो बस इतना ही समझ लो कि मैं भी तुम्हारी तरह रास्ता चलने वाला एक राही हूँ। हमें तो बस चलते ही जाना है क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. जीवन-संघर्ष में साथी के मिल जाने से डगर सहज हो जाती है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

3. जीवन अपूर्ण लिए हुए,
पाता कभी, खोता कभी
आशा-निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी,
गति-मति न हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है।
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अपूर्ण जीवन = अधूरा जीवन । पाना = प्राप्त करना। खोना = गँवाना। गति-मति = चाल और बुद्धि। अवरुद्ध = रुका हुआ, बन्द। आठो याम = आठों पहर-दिन के चौबीस घंटों में आठ पहर होते हैं, हर समय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ में से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को निरंतर गतिमान रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि अधूरा जीवन लेकर मनुष्य कभी कुछ प्राप्त कर लेता है और कभी कुछ खो देता है। वह सदा आशा-निराशा से घिरा रहता है। कभी वह हँसता है तो कभी रोता है अर्थात् कभी उसके जीवन में खुशियाँ आती हैं तो कभी दुःख आते हैं। इन सब के होते हुए यदि आठों पहर इस बात का ध्यान रहे कि कहीं हमारी चाल या हमारी बुद्धि में कोई रुकावट न आए तभी हम जीवन रूपी मार्ग पर अच्छी तरह चल सकेंगे। क्योंकि चलते रहना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए।
  2. भाषा सरल, भावपूर्ण है। ओज गुण प्रेरक स्वर है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

4. इस विशद विश्व प्रवाह में,
किस को नहीं बहना पड़ा।
सुख-दुःख हमारी ही तरह
किस को नहीं सहना पड़ा।
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ;‘मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
विशद = स्वच्छ, सुन्दर। विश्व-प्रवाह = संसार रूपी सागर का बहाव। व्यर्थ = बेकार में। विधाता = भाग्य। वाम = उलटा, विपरीत। – प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने निरंतर गतिशील रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि इस सुन्दर संसार रूपी सागर के स्वच्छ प्रवाह में किस को नहीं बहना पड़ा अर्थात् जिसने संसार में जन्म लिया है उसे संसार के दुःख-सुख तो भोगने ही पड़े हैं। हमारी तरह हर किसी को दुःख सहने पड़े हैं। फिर मैं ही बेकार में यह कहता फिरूँ कि भाग्य मेरे विपरीत है अर्थात् मेरा मन्द भाग्य है। हमारा काम तो चलते ही रहना है।

विशेष:

  1. संसार में सबको सुख-दुःख सहना पड़ता है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। रूपक तथा अनुप्रास अलंकार है।

5. मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा,
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा,
पर हो निराशा क्यों मुझे ? जीवन इसी का नाम है।
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
दर-दर भटकना = जगह-जगह मारे-मारे फिरना। पग = कदम। रोड़ा अटकना = बाधा पड़ना, रुकावट पड़ना। निराश = आशा छोड़ना, ना उम्मीद होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने निरंतर गतिशील रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं तो जीवन की पूर्णता की खोज में जगह-जगह मारा-मारा फिरता रहा। तब मैंने पाया कि मुझे हर कदम पर कुछ न कुछ रुकावटें आती रहीं, परन्तु इन रुकावटों से विघ्न बाधाओं से क्या मुझे निराश हो जाना चाहिए ? अर्थात् कभी नहीं क्योंकि जीवन तो इसी का नाम है। अतः हमें विघ्न बाधाओं से निराश नहीं होकर जीवन में सदा चलते रहना चाहिए क्योंकि जीवन तो चलते रहने का नाम है।

विशेष:

  1. मनुष्य को बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार हैं।

6. कुछ साथ में चलते रहे,
कुछ बीच ही से फिर गये,
पर गति न जीवन की रुकी,
पर जो गिर गये सो गिर गये
चलता रह शाश्वत, उसी की सफलता अभिराम है।
चलना हमारा काम है !

कठिन शब्दों के अर्थ:
फिर गये = लौट गये। शाश्वत = निरन्तर। अभिराम = सुन्दर।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने गति को जीवन माना है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं जीवन की इस यात्रा में कुछ लोग साथ-साथ चलते रहे, कुछ बीच से ही निराश-हताश होकर लौट गये परन्तु जीवन की गति कभी रुकी नहीं। जीवन-यात्रा तो निरन्तर चलती रही जो लोग मार्ग में गिर गये वह समझो गिर गये, नष्ट हो गये। किन्तु जो निरन्तर चलता रहा है उसी की सफलता सुन्दर कहलाती है। अत: चलते जाओ क्योंकि चलना ही हमारा काम है।

विशेष:

  1. जीवनपथ पर साथी से मिलते-बिछड़ते रहते हैं।
  2. भाषा सहज, सरल तथा भावपूर्ण है।

7. मैं तो फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
जो बन्दकर पलकें सहज
दो घूट हँसकर पी गया
जिसमें सुधा-मिश्रित गरल, वह साकिया का जाम है।
चलना हमारा काम है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
फ़कत = केवल। सहज = स्वाभाविक रूप से। सुधा = अमृत। गरल = विष। साकिया = शराब परोसने वाली लड़की। जाम = प्याला।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘चलना हमारा काम है’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने गति को जीवन माना है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि जो मिट जाता है वही जी जाता है। जो स्वाभाविक रूप से आँखें बन्द करके सुख-दुःख ऐसे दो घुट हँसकर पी जाता है जिसमें अमृत मिश्रित विष होता है अर्थात् सुख के साथ दुःख भी होते हैं वही वास्तव में साकी का दिया हुआ शराब का प्याला है।

विशेष:

  1. कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति जीवन में सुख-दुःख को सहज भाव से लेता है। उसी का जीवन है।
  2. भाषा उर्दू शब्दों युक्त भावपूर्ण है।

मानव बनो, मानव ज़रा

1. है भूल करना प्यार भी
है भूल यह मनुहार भी
पर भूल है सबसे बड़ी
करना किसी का आसरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
मनुहार = खुशामद, चापलूसी। आसरा = सहारा, आश्रय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘मानव बनो, मानव जरा’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को आत्म-निर्भर होने की बात कही है। कवि का मानना है कि आँसू बहाने, किसी का आश्रय ग्रहण करने या किसी के सामने हाथ फैलाने का कोई लाभ नहीं है। अगर जलना ही है तो धरती के कल्याण के लिए जलो।

व्याख्या:
कवि मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने का संदेश देते हुए कहते हैं कि प्यार करना भी भूल है और किसी की खुशामद करना भी भूल है। परन्तु इन सबसे बड़ी भूल है किसी दूसरे का आश्रय लेना अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो, ज़रा मानव बन कर देखो।

विशेष:

  1. कवि ने आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी है।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। अनुप्रास अलंकार है।

2. अब अश्रु दिखलाओ नहीं
अब हाथ फैलाओ नहीं
हुंकार कर दो एक जिससे
थरथरा जाए धरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
हुँकार = गर्जन। धरा = पृथ्वी।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो जरा’ से ली गई हैं, जिसमे कवि ने. मनुष्य का मानवतावाद का संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने का सन्देश देते हुए कहता है कि अब तुम आँसू बहा कर मत दिखाओ और न ही किसी के सामने हाथ फैलाओ बल्कि ऐसी गर्जना करो कि जिस से पृथ्वी काँप उठे। अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो, ज़रा मानव बनकर देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को किसी के सम्मुख हाथ नहीं फैलाना चाहिए।
  2. भाषा सरल भावपूर्ण हैं।

3. उफ़ हाय कर देना कहीं
शोभा तुम्हें देता नहीं
इन आँसुओं से सींच कर दो
विश्व का कण-कण हरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
उफ़ हाय करना = कष्ट में कराह उठना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो ज़रा’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य का मानवतावाद का संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि कष्ट में कराहना-हाय तौबा करना तुम्हें शोभा नहीं देता बल्कि तुम्हें चाहिए कि अपने इन आँसुओं से सींच कर विश्व के कण-कण को हरा कर दो अर्थात् धरती का कण-कण अपनी संवेदना से भर दो। अत: हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बन कर देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को दुःख में धैर्य धारण करना चाहिए।
  2. भाषा सरल तथा भावपूर्ण है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 10 शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

4. अब हाथ मत अपने मलो
जलना अगर ऐसे जलो
अपने हृदय की भस्म से
कर दो धरा को उर्वरा
मानव बनो, मानव ज़रा।

कठिन शब्दों के अर्थ:
उर्वरा = उपजाऊ। हाथ मलना = पछताना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ डॉ० शिवमंगल सिंह सुमन द्वारा रचित कविता ‘मानव बनो ज़रा’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य का मानवतावाद को संदेश दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि अब पछताने से कोई लाभ न होगा। तुम्हें यदि जलना ही है तो अपने हृदय की भस्म से धरती को उपजाऊ बना दो अर्थात् धरती के कल्याण के लिए जलो जिस से मानवता तुम पर गर्व कर सके। अतः हे मनुष्य ! तुम मानव बनो और ज़रा मानव बनकर तो देखो।

विशेष:

  1. मनुष्य को लोककल्याण करने की प्रेरणा दे रहा है।
  2. भाषा सरल मुहावरेदार है। उद्बोधनात्मक स्वर है।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ Summary

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जीवन परिचय

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी का जीवन परिचय दीजिए।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर गाँव में 16 अगस्त, सन् 1916 ई० को हुआ था। आप की आरम्भिक शिक्षा रीवां और ग्वालियर में हुई। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आपने हिन्दी विषय में एम० ए० और डी० लिट० की उपाधियां प्राप्त की। इन्होंने हाई स्कूल के अध्यापक पद से लेकर विश्वविद्यालय के उप-कुलपति पद पर कार्य किया। सन् 1956-61 तक आपने नेपाल में भारत सरकार के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के तौर पर कार्य किया। आपको ‘विश्वास बढ़ता ही गया’ काव्य संग्रह पर देव पुरस्कार, ‘पर आँखें नहीं भरीं’ पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नवीन पुरस्कार, ‘मिट्टी की बारात’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, तथा सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इनकी अन्य रचनाएँ हिल्लोक, प्रणय सृजन, जीवन के गान हैं।

शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कविताओं का सार

चलना हमारा काम है कविता ने मनुष्य को सांसारिक जीवन में आने वाले सुख-दुःखों को समभाव से ग्रहण करते हुए निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी है क्योंकि कठिनाइयों का सामना करना ही जीवन है। कुछ साथी मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे-परन्तु उत्साह और हिम्मत से आगे बढ़ते रहना चाहिए।

‘मानव बनो, मानव जरा’ कविता में कवि ने मनुष्य को आंसू बहाने, पराश्रित होने घबरा जाने के स्थान पर आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया है तथा संसार को संवेदनापूर्ण बनाकर लोककल्याण का मार्ग अपनाने पर बल दिया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

Hindi Guide for Class 12 PSEB सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
‘साँप’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता आधुनिक नागरिक सभ्यता पर एक तीखा व्यंग्य है। कवि के अनुसार आज का सभ्य नगर निवासी पूरी तरह आत्म केन्द्रित हो चुका है। स्वार्थपरता उस पर इस सीमा तक हावी हो चुकी है कि उसकी सहज मानवीयता पूरी तरह लुप्त हो गई है। यही नहीं उसे दूसरों को पीड़ित करने और यातना देने में विशेष सुख प्राप्त होने लगा है।

प्रश्न 2.
‘साँप’ कविता तथाकथित सभ्य व नगर समाज पर एक करारी चोट है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर:
हम कवि से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि नगर में रहने वाला तथाकथित सभ्य समाज आज इतना स्वार्थी और आत्म केन्द्रित हो गया है कि उसे किसी दुःख दर्द की परवाह ही नहीं। भौतिकवाद और नकली चेहरे का मुखौटा ओढ़े हुए वह भीतर से इतना विषैला हो गया है जितना जंगल में रहने वाला साँप वह दूसरों को उसमें से चोट पहुँचाने में जरा भी नहीं हिचकता।

प्रश्न 3.
‘जो पुल बनाएँगे’ कविता में कवि ने प्राचीन प्रतीकों के माध्यम से आज के युग सत्य को प्रकट किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि ने प्राचीन प्रतीकों नल-नील, श्रीराम और रावण के प्रतीकों द्वारा आज के इस सत्य का उद्घाटन किया है कि पुल बनाने वाले मजदूरों का नाम नहीं होता, नाम होता है इंजीनियर का। लड़ती सेना है नाम सरदार का होता है। वास्तविक निर्माता इतिहास के पन्नों में मिट कर रह जाता है। इतिहास में उसका कोई उल्लेख नहीं होता। नींव की ईंट की भूमिका को नज़रअंदाज कर दिया जाता है और उस नींव पर खड़े भवन को याद किया जाता है। लोग ताजमहल को याद करते हैं उसे बनाने वाले मजदूरों, कारीगरों को नहीं, बस यही कहते हैं कि इसे शाहजहाँ ने बनवाया है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 4.
‘साँप’ कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में आधुनिक सभ्यता से ध्वस्त होते हुए मानव मूल्यों पर खेद व्यक्त किया गया है। आधुनिक सभ्यता में व्यक्ति स्वार्थी हो गया है जिसके कारण वह जंगली साँप की तरह एक-दूसरे को काटने और निगल जाने पर उतारू हो गया है। कवि के अनुसार इस प्रवृत्ति का आधार वर्तमान पूँजी व्यवस्था है और शोषण उसे सुरक्षित रखता है।

प्रश्न 5.
‘जो पुल बनाएँगे’ कविता का भाव अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में इतिहास के एक सत्य का उद्घाटन किया है कि इतिहास का वास्तविक निर्माता अनाम ही रह जाता है। नींव की ईंट की भूमिका को इतिहास नज़रअन्दाज कर देता है। ‘लड़े फौज नाम हो सरदार का’ वाली बात हो जाती

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
साँप ! तुम सभ्य तो हुए नहीं……विष कहाँ पाया ?”
उत्तर:
कवि साँप को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि तुम तो जंगली हो अर्थात् जंगलों में रहने वाले प्राणी हो अतः तुम अभी तक अपने को सभ्य नहीं कह सकते क्योंकि तुम्हें नगरों में बसना नहीं आया और नगरों में बसने वाले ही अपने आप को सभ्य कहलाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य यह है आधुनिक सभ्यता और संस्कृति के केन्द्र नगर में साँप पूरी तरह सभ्य नहीं हो सका अर्थात् साँप ने अभी तक नागरिक सभ्यता को स्वीकार नहीं किया। .. कवि साँप से पूछता है तुम सभ्य भी नहीं हुए, नगरों में बसना भी तुम्हें नहीं आया। फिर तुमने विष कहाँ से पाया है और कहाँ से दूसरों को काटने की कला सीखी ? क्योंकि ये गुण तो सभ्य कहलाने वाले शहरियों में हैं। तात्पर्य यह है कि नागरिक सभ्यता को स्वीकार किये बिना उसने कैसे शहरी जीवन की पूंजीवादी शोषण की प्रवृत्ति को पहचान लिया।

प्रश्न 7.
जो पुल बनाएँगे……..बन्दर कहलाएँगे।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि जो लोग पुल बनाएँगे वे अवश्य ही पीछे रह जाएँगे। सेनाएँ उस पुल से पार हो जाएँगी और रावण मारे जाएँगे तथा श्रीराम विजयी होंगे। परन्तु पुल का निर्माण करने वाले नल और नील इतिहास में बन्दर ही कहलाएँगे। कवि का संकेत रामेश्वरम् में समुद्र पर बनाए गए पुल की ओर है जिसको पार कर श्रीराम की सेना ने रावण पर विजय प्राप्त की। किन्तु इतिहास में पुल निर्माता अनाम ही रह गए।

PSEB 12th Class Hindi Guide सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अज्ञेय जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
7 मार्च, सन् 1911 ई० को बिहार के जिला देवरिया के ‘कसया’ में।

प्रश्न 2.
अज्ञेय जी का देहावसान कब हुआ था?
उत्तर:
4 अप्रैल, सन् 1987 में।

प्रश्न 3.
अज्ञेय का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
सच्चिदानन्द हीरानंन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 4.
अज्ञेय के द्वारा रचित चार रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
कितनी नावों में कितनी बार, हरी घास पर क्षणभर, बावरा अहेरी, पूर्वा।

प्रश्न 5.
अज्ञेय के दो उपन्यासों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नदी के द्वीप, शेखर एक जीवनी।

प्रश्न 6.
‘साँप’ कविता कैसी है?
उत्तर:
प्रयोगवादी-छोटी कविता।

प्रश्न 7.
‘साँप’ कविता की दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
प्रतीकात्मक भाषा, व्यंग्यात्मक शैली।

प्रश्न 8.
कवि ने साँप के प्रतीक से क्या व्यक्त करने की कोशिश की है?
उत्तर:
आधुनिक सभ्यता से ध्वस्त होते हुए मानव-मूल्यों पर खेद की अभिव्यक्ति।

प्रश्न 9.
कवि ने व्यंग्य से किसे पहचानने की तरफ संकेत किया है?
उत्तर:
कवि ने शहरी जीवन की पूँजीवादी शोषण प्रवृत्ति को पहचानने की तरफ संकेत किया है।

प्रश्न 10.
अपने आप को सभ्य कौन कहलाना चाहता है?
उत्तर:
नगरवासी।

प्रश्न 11.
पूर्ण रूप से आत्मकेंद्रित कौन हो चुके हैं ?
उत्तर:
स्वार्थ भावों से भरे हुए नगरवासी।

प्रश्न 12.
कवि ने ‘साँप’ कविता में किस शैली का प्रयोग किया है?
उत्तर:
व्यंग्यात्मक शैली।

प्रश्न 13.
‘जो पुल बनायेंगे’ के रचयिता कौन हैं?
उत्तर:
अज्ञेय जी।

प्रश्न 14.
कवि ने ‘जो पुल बनायेंगे’ कविता में किन के प्रति अपने हृदय की पीड़ा को व्यक्त किया है?
उत्तर:
मज़दूरों और शोषितों के प्रति।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 15.
तब कैसे सीखा डसना…………
उत्तर:
विष कहां पाया?

प्रश्न 16.
सेनाएं हो जाएंगी पार………….
उत्तर:
मारे जायेंगे रावन।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 17.
जो निर्माता रहे………….
उत्तर:
इतिहास में बंदर कहलायेंगे।]

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 18.
साँप ने डसना और विष प्राप्त करना सीख लिया है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
पुल बनाने वाले अवश्य ही पीछे रह जाएंगे।
उत्तर:
हाँ।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न

प्रश्न 1.
साँप कविता के कवि का नाम लिखें।
उत्तर:
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

प्रश्न 2.
कवि अज्ञेय का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. अज्ञेय को ‘कितनी नावों में कितनी बार’ कविता पर पुरस्कार मिला ?
(क) ज्ञानपीठ
(ख) साहित्य अकादमी
(ग) पद्मश्री
(घ) पद्मभूषण।
उत्तर:
(क) ज्ञानपीठ

2. अज्ञेय किस काल के कवि माने जाते हैं ?
(क) प्रयोगवाद के
(ख) प्रगतिवाद के
(ग) छायावाद के
(घ) निराशावाद के।
उत्तर:
(क) प्रयोगवाद के

3. ‘सांप’ किस भाषा पर आधारित कविता है ?
(क) आशावाद
(ख) निराशावाद
(ग) व्यंग्य
(घ) हास्य।
उत्तर:
(ग) व्यंग्य

4. अज्ञेय को किसका प्रवर्तक कवि माना जाता है ?
(क) प्रगतिवाद का
(ख) प्रयोगवाद का
(ग) तार सप्तक का
(घ) छायावाद का।
उत्तर:
(ग) तार सप्तक का

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’

5. ‘नदी के द्वीप’ किस विधा की रचना है ?
(क) काव्य
(ख) गद्य
(ग) उपन्यास
(घ) कहानी।
उत्तर:
(ग) उपन्यास

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ सप्रसंग व्याख्या

साँप

साँप !
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया
एक बात पूछू-(उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डसना
विष कहाँ पाया?

प्रसंग:
‘साँप’ कविता प्रयोगवादी कविता के प्रवर्तक अज्ञेय जी की एक छोटी कविता है जो उनके काव्य संग्रह ‘इन्द्र धनुष रौंदे हुए’ में संकलित है। इस कविता में अज्ञेय जी ने आधुनिक सभ्यता से ध्वस्त होते हुए मानव मूल्यों पर खेद व्यक्त किया है। शहरी जीवन में आधुनिकता की विकृति सभ्यता के नाम पर व्यक्ति को अकेला छोड़ती हुई, पछाड़ती हुई तेजी से फैल रही है। आज का समाज भी उसी को नवीन संस्कृति मान कर प्राचीन संस्कारों, मूल्यों और आदर्शों को नकार रहा है।
साँप का प्रतीक लेकर नये व्यक्ति की व्याख्या में अज्ञेय जी ने आधुनिक नागरिक सभ्यता की प्रवृत्ति को स्पष्ट किया है जिसका आधार पूँजीवादी व्यवस्था है और शोषण उसे सुरक्षित रखने का आधार।

व्याख्या:
कवि साँप को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि तुम तो जंगली हो अर्थात् जंगलों में रहने वाले प्राणी हो अतः तुम अभी तक अपने को सभ्य नहीं कह सकते क्योंकि तुम्हें नगरों में बसना नहीं आया और नगरों में बसने वाले ही अपने आप को सभ्य कहलाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य यह है आधुनिक सभ्यता और संस्कृति के केन्द्र नगर में साँप पूरी तरह सभ्य नहीं हो सका अर्थात् साँप ने अभी तक नागरिक सभ्यता को स्वीकार नहीं किया। .. कवि साँप से पूछता है तुम सभ्य भी नहीं हुए, नगरों में बसना भी तुम्हें नहीं आया। फिर तुमने विष कहाँ से पाया है और कहाँ से दूसरों को काटने की कला सीखी ? क्योंकि ये गुण तो सभ्य कहलाने वाले शहरियों में हैं। तात्पर्य यह है कि नागरिक सभ्यता को स्वीकार किये बिना उसने कैसे शहरी जीवन की पूंजीवादी शोषण की प्रवृत्ति को पहचान लिया।

विशेष:

  1. कवि के कहने का भाव यह है कि अपने आप को सभ्य कहलाने वाला नगर निवासी पूरी तरह आत्म केन्द्रित हो चुका है। स्वार्थपरता उस पर इस सीमा तक हावी हो गयी है कि उसकी सहज मानवीयता पूर्ण रूप से लुप्त हो गई है। यही नहीं उसे तो दूसरों को पीड़ित करने और यातना देने में विशेष सुख प्राप्त होता है। इस तरह कवि ने आधुनिक सभ्यता के ध्वस्त होते हुए मानव मूल्यों पर खेद व्यक्त किया है।
  2. भाषा प्रतीकात्मक तथा भावपूर्ण है। शैली व्यंग्यात्मक है।

जो पुल बनायेंगे

जो पुल बनायेंगे
वे अनिवार्यतः
पीछे रह जायेंगे।
सेनाएं हो जायेंगी पार
मारे जायेंगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे,
इतिहास में
बन्दर कहलायेंगे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अनिवार्यतः = अवश्य ही, यकीनन। जयी = विजेता। निर्माता = बनाने वाले।

प्रसंग:
‘जो पुल बनायेंगे’ कविता प्रयोगवादी कवि अज्ञेय जी के काव्य संग्रह ‘पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ’ में संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने इतिहास के निर्माता अर्थात् नींव की ईंट के अनाम रह जाने की त्रासदी का उल्लेख किया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि जो लोग पुल बनाएँगे वे अवश्य ही पीछे रह जाएँगे। सेनाएँ उस पुल से पार हो जाएँगी और रावण मारे जाएँगे तथा श्रीराम विजयी होंगे। परन्तु पुल का निर्माण करने वाले नल और नील इतिहास में बन्दर ही कहलाएँगे। कवि का संकेत रामेश्वरम् में समुद्र पर बनाए गए पुल की ओर है जिसको पार कर श्रीराम की सेना ने रावण पर विजय प्राप्त की। किन्तु इतिहास में पुल निर्माता अनाम ही रह गए।

विशेष:

  1. आधुनिक युग की भी यही त्रासदी है कि नींव की ईंट अर्थात् इतिहास निर्माता अनाम ही रह जाता है। आधुनिक युग में पुल बनाने वाले मजदूरों का कहीं नाम नहीं होता, नाम होता है तो इंजीनियर का।
  2. भाषा प्रतीकात्मक तथा भावपूर्ण है।

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Summary

सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जीवन परिचय

‘अज्ञेय’ जी का जीवन परिचय दीजिए।

करतारपुर के भणोत सारस्वत ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखने वाले सच्चिदानंद का जन्म 7 मार्च, सन् 1911 ई० को बिहार के जिला देवरिया के ‘कसया’ नामक स्थान पर हुआ। वहाँ इनके पिता हीरानन्द शास्त्री पुरातत्व विभाग में काम करते थे। पिता के साथ इन्होंने अनेक प्रदेशों का भ्रमण किया। इन्होंने सन् 1925 ई० में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक पास करके यहीं से सन् 1929 में बी० एससी० की परीक्षा पास की। एम० ए० अंग्रेज़ी में दाखिला लिया किन्तु स्वतन्त्रता युद्ध में कूद पड़ने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और क्रान्तिकारी साथियों के साथ पकड़े गए।

इस अवधि में ये चार वर्ष तक जेल में भी रहे और यहीं से आपने अपना साहित्यिक जीवन आरम्भ किया। अपने जीवन में आपने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया और अनेक नौकरियाँ की और छोड़ी तथा देश-विदेश की कई यात्राएँ कीं।

इन्हें इनकी काव्यकृति ‘आंगन के पार. द्वार’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, ‘कितनी नावों में कितनी बार’ भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा इंटरनेशनल पोएट्री एवार्ड से सम्मानित किया गया था। 4 अप्रैल, सन् 1987 को अज्ञेय जी का निधन हो गया। इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ, हरी घास पर क्षणभर, बाबरा अहेरी, पूर्वा इन्द्रधनुष रौंदे हुए तारसप्तक हैं। शेखर एक जीवनी तथा नदी के द्वीप उनके प्रमुख उपन्यास हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

Hindi Guide for Class 12 PSEB हरिवंशराय बच्चन Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
‘पौधों की पीढ़ियाँ’ में छोटे-छोटे सुशील और विनम्र पौधों का क्या कहना है ?
उत्तर:
बड़े बरगद के पेड़ की छत्र-छाया में रहने वाले छोटे-छोटे पौधे अपने को किस्मत वाला मानते हैं जो उन्हें बड़े पेड़ का संरक्षण मिला है। उन्हें किसी प्रकार की कोई चिन्ता नहीं है क्योंकि गर्मी, सर्दी या बरसात की सब मुसीबतें बरगद का पेड़ अपने ऊपर झेल लेता है। उसी के आसरे हम दिन काट रहे हैं। हम निश्चित हैं और सुखी हैं।

प्रश्न 2.
‘बरगद का पेड़’ किसका प्रतीक है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
बरगद का पेड़ बड़े-बुजुर्गों का प्रतीक है जो अपने से छोटों को, अपने परिवार को संरक्षण प्रदान करते हैं तथा उनकी मुसीबतें अपने ऊपर झेल लेते हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

प्रश्न 3.
‘पौधों की पीढ़ियाँ’ युग सत्य को उद्भासित करती हैं, स्पष्ट करें।
उत्तर:
नई और पुरानी पीढ़ी में युगों से विचार भेद रहा है किंतु वर्तमान युग का सत्य यह है कि नई पीढ़ी ने विद्रोह दर्शाने के साथ-साथ पुरानी पीढ़ी के अस्तित्व को ही नकारना शुरू कर दिया है। उसे पुरानी पीढ़ी का अस्तित्व असहय लगने लगा है। इसी कारण वह पुरानी पीढ़ी को समूल नष्ट करने पर तुल गई है। युग की इस भयावह स्थिति का यथार्थ चित्र कवि ने प्रस्तुत कविता में चित्रित किया है।

प्रश्न 4.
‘मधु पात्र टूटने’ तथा ‘मंदिर के ढहने’ के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
‘मधुपात्र टूटने’ के द्वारा कवि कहना चाहता है कि यदि किसी कारण से तुम्हारी कोई बहुमूल्य वस्तु खो जाती है तो उस को लेकर दु:खी होने की बजाए जो कुछ शेष बचा है उसी को काम में लाते हुए नए सिरे से निर्माण करना चाहिए। नए संसार की रचना करनी चाहिए। यही बात कवि ने मंदिर के ढहने के द्वारा कही है कि यदि तुम्हारी कल्पना, तुम्हारी भावनाओं, तुम्हारे सपनों से बना हुआ मंदिर ढह जाता है तो निराश न होकर शेष बचे ईंट, पत्थर और कंकर एकत्र कर एक नए संसार, नये मंदिर का निर्माण करना चाहिए।

प्रश्न 5.
‘अंधेरे का दीपक’ कविता का सार लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता बच्चन जी का एक आशावादी गीत है। कवि मनुष्य को यह सन्देश देना चाहता है कि कल्पना के असफल हो जाने पर, भावनाओं और स्वप्नों के टूट जाने पर तुम्हें निराश नहीं होना चाहिए बल्कि जो कुछ भी तुम्हारे पास बचा है उसे ही संजोकर नवनिर्माण करना चाहिए। रात भले ही अन्धेरी है पर दीपक जलाकर उस अन्धकार को दूर करने से तुम्हें किस ने रोका है।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 6.
कल्पना के हाथ से कमनीय …. था ।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि माना कि रात अँधेरी है परन्तु इस अँधेरी रात में प्रकाश फैलाने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें किस ने रोका है? मान लो कि तुम ने कल्पना में जिस सुंदर महल का निर्माण किया था और अपनी भावनाओं से जो तंबू तान दिए थे जिन्हें तुमने अपने स्वप्नों से अपनी पसंद के अनुसार सजाया था, और जो स्वर्ग में भी कठिनाई से प्राप्त अर्थात् दुर्लभ रंगों से लिप्त था। यदि वह महल, ढह जाए अर्थात् तुम्हारी कल्पना साकार नहीं होती, तुम्हारे सपने अधूरे रह जाते हैं, तो ढहे हुए उस महल के ईंट, पत्थर और कंकड़ों को जोड़ कर एक शांतिदायक कुटिया बनाना भी कब मना है ? माना कि रात अँधेरी है और अंधकार को दूर करने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें कौन रोकता है ?

प्रश्न 7.
नहीं वक्त का जुल्म हमेशा ….. इसे समूचा।
उत्तर:
कवि वर्तमान पीढ़ी द्वारा बड़ों को समूल नष्ट करने की बात का उल्लेख करता हुआ कहता है कि हम समय के अत्याचार को सदा इसी प्रकार सहन नहीं करते जाएँगे। हम तो काँटों की आरी और कुल्हाड़ी तैयार करेंगे। फिर आप जब यहाँ आएँगे तो बरगद की डाली-डाली कटी हुई पाएँगे और यह बरगद का पेड़ जो अपने आपको बड़ा समझता है डालियों और पत्तों से रहित एक सूखे पेड़ की तरह नंगा बूचा रह जाएगा। हम इसे सारे का सारा निगल जाएँगे।

PSEB 12th Class Hindi Guide हरिवंशराय बच्चन Additional Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हरिवंशराय बच्चन’ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
27 नवंबर, सन् 1907 को इलाहाबाद में।

प्रश्न 2.
बच्चन को साहित्य अकादमी पुरस्कार किस रचना पर प्राप्त हुआ था?
उत्तर:
‘दो चट्टानों’ पर।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

प्रश्न 3.
हरिवंशराय बच्चन की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
मधुशाला, मधुबाला, निशा निमंत्रण, दो चट्टानें।

प्रश्न 4.
हरिवंशराय बच्चन’ का देहावसान कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 2002 में।

प्रश्न 5.
‘पौधों की पीढ़ियों’ में कवि ने किस-किस के बीच अंतर दर्शाया है?
उत्तर:
पुरानी और नई पीढ़ी की विचारधारा के बीच।

प्रश्न 6.
‘बरगद का पेड़’ किसका प्रतीक है?
उत्तर:
पुरानी पीढ़ी का।

प्रश्न 7.
नई पीढ़ी के प्रतीक कौन-से हैं ?
उत्तर:
बरगद के नीचे उगे छोटे-छोटे असंतुष्ट और रुष्ट कुछ पौधे।

प्रश्न 8.
कवि के अनुसार नई पीढ़ी किस स्वभाव की है?
उत्तर:
उग्र, विद्रोही और निरादर के भाव से भरी हुई।

प्रश्न 9.
‘अंधेरे का दीपक’ कविता में कवि का स्वर कैसा है?
उत्तर:
आशावादी।

प्रश्न 10.
‘अंधेरी रात’ किसकी प्रतीक है?
उत्तर:
गरीबी, निराशा, पीड़ा, हताशा और दुःख।

प्रश्न 11.
कवि की भाषा में कैसे शब्दों के प्रयोग की अधिकता है?
उत्तर:
तत्सम और तद्भव शब्दों की।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

प्रश्न 12.
कवि ने ‘बरगद का पेड़’ कविता के माध्यम से क्या व्यक्त किया है?
उत्तर:
वर्तमान युग की भयावह स्थिति की यथार्थता।।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
छोटे-छोटे कुछ पौधे…….
उत्तर:
बड़े सुशील-विनम्र।

प्रश्न 14.
हमको बौना बना रखा..
उत्तर:
हम बड़े दुःखी हैं।

प्रश्न 15.
और निगल जाएँगे……
उत्तर:
तन हम इसे-इसे समूचा।

प्रश्न 16.
है अंधेरी रात………………………।
उत्तर:
पर दीवा जलाना कब मना है।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 17.
‘अंधेरे का दीपक’ एक निराशावादी कविता है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 18.
नई-पुरानी पीढ़ियों में सदा ही भेद रहा है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 19.
बरगद का पेड़ बड़े-बुजुर्गों का प्रतीक है।
उत्तर:
हाँ।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. भारत सरकार ने बच्चन को किस मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ नियुक्त किया ?
(क) भारत
(ख) स्वदेश
(ग) विदेश
(घ) श्रम
उत्तर:
(ग) विदेश

2. ‘दो चट्टानों’ पर कवि को कौन सा पुरस्कार मिला?
(क) साहित्य
(ख) साहित्य अकादमी
(ग) ज्ञानपीठ
(घ) पद्मभूषण
उत्तर:
(ख) साहित्य अकादमी

3. श्री हरिवंशराय बच्चन ने आत्मकथा कितने भागों में लिखी ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(घ) चार

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

4. बच्चन को भारत सरकार ने किस अलंकार से अलंकृत किया ?
(क) पद्मभूषण
(ख) पद्मविभूषण
(ग) पद्मश्री
(घ) ज्ञानपीठ
उत्तर:
(ख) पद्मविभूषण

5. ‘अंधेरे का दीप’ कविता किस प्रकार की कविता है ?
(क) आशावादी
(ख) निराशावादी
(ग) प्रयोगवादी
(घ) प्रगतिवादी
उत्तर:
(क) आशावादी

हरिवंशराय बच्चन सप्रसंग व्याख्या

पौधों की पीढ़ियाँ कविता का सार

‘पौधों की पीढ़ियाँ’ कविता में कवि ने पुरानी और नई पीढ़ी की विचारधारा के अन्तर को स्पष्ट किया है। प्राचीन समय में बुजुर्गों की छत्रछाया को वरदान माना जाता था, जो आज अभिशाप बन गई है। बरगद के पेड़ के नीचे उगे छोटे-छोटे पौधे स्वयं को उस की छत्रछाया में समस्त विपत्तियों से सुरक्षित मानकर सौभाग्यशाली मानते हैं। इसके बाद की पीढ़ी बरगद के नीचे के पौधे स्वयं को बदकिस्मत कहते हैं क्योंकि बरगद की छाया ने उन्हें बौना बनाकर खतरों का सामना नहीं करने दिया। इसके भी बाद की पीढ़ी उदंडतापूर्वक बरगद पर आरोप लगाती है कि उन्हें छोटा रखकर ही वह बड़ा बना हुआ है, यदि वे पहले जन्म लेते तो बरगद के बड़े भाई होते। इस प्रकार वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपने अंग्रेजों के प्रति विद्रोह को कवि ने उचित नहीं माना है।

1. देखा, एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है।
उसके नीचे हैं
छोटे-छोटे कुछ पौधे
बड़े सुशील-विनम्र
लगे मुझसे यों कहने,
“हम कितने सौभाग्यवान् हैं।
आसमान से आग बरसे, पानी बरसे,
आँधी टूटे, हमको कोई फिकर नहीं है ।
एक बड़े की वरद छत्र-छाया के नीचे
हम अपने दिन बिता रहे हैं
बड़े सुखी हैं !”

कठिन शब्दों के अर्थ:
सुशील = अच्छे स्वभाव वाले। विनम्र = विनीत, झुके हुए। आगी = आग। वरद = वर देने वाला। छत्र-छाया = आश्रय।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश छायावादोत्तर युग के कवि डॉ० हरिवंशराय बच्चन’ द्वारा लिखित काव्यकृति ‘बहुत दिन बीते’ में संकलित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने नई और पुरानी पीढ़ी की सोच में अन्तर को स्पष्ट किया है। नई पीढ़ी अपने बड़ों की छत्र-छाया में सुख का अनुभव करती थी जबकि नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के प्रति विद्रोह करती है, उसके अस्तित्व को नकारते हुए उन्हें समूल नष्ट करने पर उतारू है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैंने देखा कि एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है। उसके नीचे कुछ छोटे-छोटे पौधे उगे हैं जो बड़े अच्छे स्वभाव और विनीत भाव के थे। वे छोटे-छोटे पौधे कवि से कहने लगे कि हम कितने सौभाग्यशाली हैं कि आसमान से चाहे आग बरसे या पानी अर्थात् गर्मी की ऋतु हो या वर्षा ऋतु , आँधी तूफान आए पर हमें कोई चिंता नहीं है। क्योंकि हम एक बड़े बरगद के वृक्ष की छत्र-छाया में रह कर अपने दिन बिता रहे हैं और बड़े सुखी हैं। बरगद उन की रक्षा करता है।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार पुराने समय में लोग किसी बड़े के आश्रय में रह कर सुख एवं सुरक्षा का आभास करते थे क्योंकि उनका मानना था कि बड़े उनकी हर हाल में रक्षा करेंगे और सुख सुविधा का ध्यान रखेंगे और रखते हैं। बड़ों के संरक्षण में रह कर वे संतुष्ट थे। छोटे बड़ों के सामने विनम्र और विनीत भाव से खड़े रहते थे तथा उनका आदर करते थे।
  2. भाषा अत्यन्त सरल तथा प्रतीकात्मक है।
  3. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार हैं।

2. देखा, एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है;
उसके नीचे हैं
छोटे-छोटे कुछ पौधे
असंतुष्ट और रुष्ट।
देखकर मुझको बोले,
“हम भी कितने बदकिस्मत हैं!
जो खतरों का नहीं सामना करते
कैसे वे ऊपर को उठ सकते हैं !”
इसी बड़े की छाया ने तो
हमको बौना बना रखा
हम बड़े दुःखी हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ:
रुष्ट = नाराज़। बौना = छोटे कद का।।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने नई और पुरानी पीढ़ी की बुजुर्गों के प्रति विचारधारा का विश्लेषण किया है।

व्याख्या:
कवि बदले परिवेश में नई पीढ़ी के मनोभावों को व्यक्त करता हुआ कहता है कि मैंने देखा कि बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है जिसके नीचे कुछ छोटे-छोटे पौधे थे जो असंतुष्ट और नाराज़ थे। कवि कहता है कि मुझे देखकर वे छोटे-छोटे पौधे कहने लगे कि हम कितने बदकिस्मत हैं जो खतरों का सामना नहीं कर सकते क्योंकि हमारे स्थान पर यह बड़ा बरगद का पेड़ सब कुछ सह लेता है। बिना संघर्ष किए तथा खतरों का सामना करके हम कैसे उन्नति कर सकते हैं, क्योंकि इसी बड़े बरगद के पेड़ की छाया ने हमें छोटे कद का बना रखा है। अतः हम बड़े दुःखी हैं क्योंकि हम कुछ नहीं कर सकते।

विशेष:

  1. कवि का भाव यह है कि नई पीढ़ी अपने बुजुर्गों से बड़ी नाराज़ है क्योंकि उन्हें लगता है कि बड़ों का संरक्षण उन की उन्नति एवं विकास में बाधक बन रहा है। बड़ों के संरक्षण में वे संघर्ष करने, खतरों का सामना करने से वंचित रह जाते हैं। कवि ने यहाँ दूसरी पीढ़ी की बात की है जो बड़ों के संरक्षण से असंतुष्ट और नाराज़ है।
  2. भाषा सरल तथा प्रतीकात्मक है।
  3. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

3. देखा, एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है
उसके नीचे हैं
छोटे-छोटे कुछ पौधे
तने हुए उद्दण्ड।
देखकर मुझको गरजे,
“हमको छोटा रखकर ही
यह बड़ा बना है,
जन्म अगर हम पहले पाते
तो हम इसके अग्रज होते,
हम इसके दादा कहलाते,
इस पर छाते।”

कठिन शब्दों के अर्थ:
तने हुए = अकड़ कर खड़े हुए। उदंड = गुस्ताख, जिसके स्वर में विद्रोह झलकता हो, किसी की न मानने वाला। अग्रज = बड़े। छाते = छाया प्रदान करते।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने नई और पुरानी पीढ़ी की विचारधारा का अन्तर प्रस्तुत किया है।

व्याख्या:
कवि वर्तमान पीढ़ी की अपने बड़ों के प्रति उदंडता का वर्णन करता हुआ कहता है कि मैंने देखा कि बरगद का बड़ा पेड़ खड़ा है, उसके नीचे छोटे-छोटे पौधे कुछ अकड़े हुए विद्रोही स्वभाव के बने हुए हैं । वे कवि को देखकर गरज कर बोले कि यह बरगद का पेड़ हमें छोटा बना कर ही बड़ा बना है। यदि हमारा जन्म भी इससे पहले हुआ होता तो हम इस के बड़े भाई अर्थात् बुजुर्ग या बड़े होते। तब हम इसके दादा कहलाते और इसे अपनी छाया प्रदान करते अर्थात् यह हमारे संरक्षण में रहता।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार वर्तमान पीढ़ी अपने बड़ों का आदर करना तो दूर रहा वह उनके प्रति विद्रोह की भावना रखती है। उसे बड़ों का होना असह्य लगने लगा है।
  2. भाषा सरल किन्तु प्रतीकात्मक है।
  3. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश तथा मानवीकरण अलंकार है।

4. नहीं वक्त का जुल्म हमेशा
हम यों ही सहते जाएँगे।
हम काँटो की
आरी और कुल्हाड़ी अब तैयार करेंगे,
फिर जब आप यहाँ आएँगे,
बरगद की डाली-डाली कटती पाएँगे।
ठूठ-मात्र यह रह जाएगा
नंगा-बूचा,
और निगल जाएँगे तन हम इसे समूचा।”

कठिन शब्दों के अर्थ:
जुल्म = अत्याचार । हमेशा = सदा। ढूंठ मात्र = डालियों और पत्तों से रहित सूखा पेड़। समूचा = सारा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘पौधों की पीढ़ियाँ’ से ली गई हैं, जिसमें नई और पुरानी पीढ़ी के विचारों का अन्तर स्पष्ट किया गया है।

व्याख्या:
कवि वर्तमान पीढ़ी द्वारा बड़ों को समूल नष्ट करने की बात का उल्लेख करता हुआ कहता है कि हम समय के अत्याचार को सदा इसी प्रकार सहन नहीं करते जाएँगे। हम तो काँटों की आरी और कुल्हाड़ी तैयार करेंगे। फिर आप जब यहाँ आएँगे तो बरगद की डाली-डाली कटी हुई पाएँगे और यह बरगद का पेड़ जो अपने आपको बड़ा समझता है डालियों और पत्तों से रहित एक सूखे पेड़ की तरह नंगा बूचा रह जाएगा। हम इसे सारे का सारा निगल जाएँगे।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार वर्तमान पीढ़ी अपने बड़ों का निरादर करने पर ही नहीं तुली है बल्कि वह उन्हें समूल नष्ट करना भी चाहती है। इसीलिए वह अपनी पूर्व पीढी के प्रति विद्रोह की भावना रखती है।
  2. भाषा सरल, भावपूर्ण तथा प्रतीकात्मक है।
  3. मानवीकरण, अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

अन्धेरे का दीपक कविता का सार

‘अन्धेरे का दीपक’ कविता में कवि का स्वर आशावादी है। वह कहता है कि यदि जीवन में तुमने कोई मधुर कल्पना की है और एक अत्यन्त सुन्दर महल बना लिया है, यदि वह टूट भी जाए तो निराश होने के स्थान पर उसी महल के ईंट, पत्थर जोड़कर नई झोंपड़ी तो बना ही सकते हो। यदि तुम्हारा बनाया सुन्दर मदिरापान का पात्र टूट जाए तो तुम अपनी ओर से निर्मल झरने का जल तो पी ही सकते हो। अन्धेरी रात में प्रकाश लाने के लिए दिया जलाने से तुम्हें कौन रोक सकता है ? इसलिए असफलताओं से निराश होने के स्थान पर फिर से प्रयास करना चाहिए। सफलता अवश्य ही मिलेगी।

1. है अँधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है ?
कल्पना के हाथ से कमनीय
जो मन्दिर बना था,
भावना के हाथ ने जिसमें
वितानों को तना था,
स्वप्न ने अपने करों से
था जिसे रुचि से सँवारा
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों
से, रसों से जो सना था।
ढह गया वह तो जुटाकर
ईंट, पत्थर कंकड़ों को।
एक अपनी शांति की
कुटिया बनाना कब मना है?
है अँधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है ?

कठिन शब्दों के अर्थ:
कमनीय = कोमल, सुंदर। वितान = तंबू, खेमा। करों से = हाथों से। रुचि = पसंद। दुष्प्राप्य = कठिनाई से प्राप्त होने वाला। सना = लिप्त।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश छायावादोत्तर युग के कवि डॉ० हरिवंश राय बच्चन’ जी की काव्यकृति ‘सतरंगिनी’ में संकलित कविता ‘अंधेरे का दीपक’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने यह संदेश दिया है कि दुःख और अवसादपूर्ण क्षणों में भी मनुष्य को आशा का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि माना कि रात अँधेरी है परन्तु इस अँधेरी रात में प्रकाश फैलाने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें किस ने रोका है? मान लो कि तुम ने कल्पना में जिस सुंदर महल का निर्माण किया था और अपनी भावनाओं से जो तंबू तान दिए थे जिन्हें तुमने अपने स्वप्नों से अपनी पसंद के अनुसार सजाया था, और जो स्वर्ग में भी कठिनाई से प्राप्त अर्थात् दुर्लभ रंगों से लिप्त था। यदि वह महल, ढह जाए अर्थात् तुम्हारी कल्पना साकार नहीं होती, तुम्हारे सपने अधूरे रह जाते हैं, तो ढहे हुए उस महल के ईंट, पत्थर और कंकड़ों को जोड़ कर एक शांतिदायक कुटिया बनाना भी कब मना है ? माना कि रात अँधेरी है और अंधकार को दूर करने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें कौन रोकता है ?

विशेष:

  1. कवि के अनुसार सुंदर सपनों के महल के ढह जाने पर निराश और हताश होकर नहीं बैठ जाना चाहिए। असफलता से निराश न होकर नव निर्माण का पुनः संकल्प करके जीवन को नए ढंग से जीना चाहिए।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, सरस तथा भावपूर्ण है।
  3. प्रश्न अलंकार तथा उद्बोधनात्मक स्वर है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 8 हरिवंशराय बच्चन

2. बादलों के अश्रु में धोया
गया नभ-नील नीलम
का बनाया था गया मधु
पात्र मनमोहक, मनोरम,
प्रथम ऊषा की किरण को
लालिमा-सी लाल मदिरा
थी उसी में चमचमाती
नव घनों में चंचला, सम,
वह अगर टूटा मिलाकर
हाथ की दोनों हथेली,
एक निर्मल स्रोत से
तृष्णा बुझाना कब मना है ?
है अंधेरी रात, पर दीवा जलाना कब मना है ?

कठिन शब्दों के अर्थ:
अश्रु = आँसू। मधुपात्र = शराब पीने का प्याला। मनमोहक = मन को मोहने वाला। मनोरम = सुंदर। मदिरा = शराब। चंचला = बिजली। निर्मल= साफ, स्वच्छ । स्रोत = चश्मा, धारा। तृष्णा = प्यास।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘अन्धेरे का दीपक’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने मनुष्य को कभी भी निराश नहीं होने का सन्देश दिया है।

व्याख्या:
कवि निराशा या असफलता मिलने पर भी निराश न होकर उत्साहित होकर फिर से नवनिर्माण की प्रेरणा देता हुआ कहता है कि यदि तुम ने बादलों के आँसुओं से धुले नीले आकाश जैसे बहुमूल्य नीलम पत्थर से बना शराब पीने का प्याला बनाया था, जो अत्यन्त मन को लुभाने वाला और सुंदर बन पड़ा था, उस प्याले में उषा की पहली किरण जैसी लाललाल शराब डाली थी; जो उस प्याले में पड़ी चमचमा रही थी जैसे नए बादलों में बिजली चमकती हो, वह प्याला यदि किसी कारणवश टूट भी जाए तो अपनी दोनों हाथों की हथेलियों की ओक बनाकर किसी साफ चश्मे से अपनी प्यास बुझाने की तो मनाही नहीं है ? माना कि रात अँधेरी है किंतु रात के अंधेरे को दूर करने के लिए दीपक जलाने से तुम्हें किसने रोका

विशेष:

  1. कवि का मानना है कि व्यक्ति को अपनी बहुमूल्य वस्तु के नष्ट होने पर दुःखी होने की बजाए जो कुछ भी पास बचा है उसी के भरोसे जिंदगी जीने का प्रयास करना चाहिए। जो कुछ नष्ट हो गया वह तो वापस नहीं आएगा अतः दुःखी न होकर पूरे उत्साह और लग्न से जीवन जीने के नए रास्ते की खोज करनी चाहिए।
  2. भाषा तत्सम प्रधान, सरस तथा भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास, उपमा तथा मानवीकरण अलंकार है।

हरिवंशराय बच्चन Summary

हरिवंशराय बच्चन जीवन परिचय

हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय दीजिए।

श्री हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर, सन् 1907 ई० को इलाहाबाद में हुआ। इन्होंने यहीं से अंग्रेज़ी में एम०ए० किया तथा यहीं अंग्रेजी साहित्य पढ़ाते रहे। इन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच०डी० की उपाधि प्राप्त की थी। इन्हें विदेश मन्त्रालय में हिन्दी-विशेषज्ञ के रूप में भारत सरकार ने नियुक्त किया था। ये राज्य सभा के भी सदस्य रहे थे। इन्हें काव्यकृति ‘दो चट्टानों’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण की उपाधि से अलंकृत किया। सन् 2002 में इनका निधन हो गया था।

बच्चन जी की प्रमुख रचनाएँ मधुशाला, मधुकलश, मधुबाला, मिलन यामिनी, निशा-निमन्त्रण, सतरंगिनी, दो चट्टानें हैं।

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Grammar Conjunctions Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with appropriate Connectors :

1. Ram would have helped her ……….. he had enough money.
2. Wisdom is better ………….. riches.
3. Sita had been waiting for two hours ……….. the train arrived.
4. Many are called, ………… few are chosen.
5. I ran fast, ………… I missed the train.
6. I would rather suffer …………. apologize.
7. Wait ……………… I come back
8. Let us go to bed ………….. it is twelve.
9. I would rather die ……….. tell a lie.
10. I like her …………… she is beautiful.
Answer:
1. if 2. than 3. when 4. but 5. yet 6. than 7. until 8. as 9. than 10. because / for.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with appropriate Connectors :

1. We eat ………… we may live.
2. Men will reap ………….. they sow.
3. He ran …………. he had been shot.
4. He is …………. a rogue ……….. a fool.
5. ………….. you sow, …………. shall you reap.
Answer:
1. so that 2. what 3. though 4. either, or 5. As, so.

Rewrite each of these pairs of simple sentences as one sentence, using the Connectors given in the brackets :

1. You must start early. You will catch the train.
2. They batted badly. They won the match.
3. Their house is small. It is comfortable.
4. Sign these papers. You’ll get the loan.
5. Tell me the truth. I shall punish you.
Answer:
1. If you start early, you will catch the train.
2. Although they batted badly, they won the match.
3. Their house is small, still it is comfortable.
4. If you sign these papers, you’ll get the loan.
5 Unless you tell me the truth, I shall punish you.

Fill in the blanks with suitable Connectors given in the brackets :

1. I would have gone to the party ……….. I had been invited. (so that, although, if)
2. She went to the doctor ……. she might be cured. (therefore, because, so that)
3. I shall wait for you ……….. you return. (unless, until)
4. She is a fine player ………… she is so small. (because, although, unless)
5. The teacher punished him ………. he had broken the windowpane. (as, though)
Answer:
1. if 2. so that 3. until 4. although 5. as.

Fill in the blanks with suitable Connectors :

1. She is beautiful ………. not vain.
2. Though he is poor, ………….. he is honest.
3. He is neither an idler ……….. a gambler.
4. He had scarcely reached the school ………… it began to rain.
5. A month has passed ……….. he came here.
6. Give me water to drink ………… I shall die of thirst.
7. She is a fine player …………. she is so small.
8. I was so tired …………. I at once fell asleep.
9. Make hay ………. the sun shines.
10. He is neither hard-working ………… intelligent.
Answer:
1. but 2. yet 3. nor 4. when 5. since 6. or 7. though 8. that 9. while 10. nor.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Pick out the Subordinate Conjunctions from the following sentences :

1. Let us go to bed as it is late now.
2. He studied hard in order that he might pass.
3. He carried a stick in his hand lest he should stumble.
4. He threatened to dismiss him unless he confessed his guilt.
5. He remained silent when he heard that.
6. We never understood why he behaved in that silly way.
7. We shall leave the class as soon as you start speaking.
8. He wished to know whether I was ready to accompany him.
9. If he is here, I shall call on him.
10. He was alarmed lest he should be taken in.
Answer:
1. as 2. in order that 3. lest 4. unless 5. when 6. why. 7. as soon as 8. whether 9. If 10. lest.

Combine the following sets of sentences by using suitable Connectors :

1. It may rain. Take an umbrella.
2. Do not go out in this rain. You may catch a cold.
3. Work hard. Otherwise, you will fail.
4. It was raining hard. I stayed at home.
5. I eat. I am hungry.
6. You say so. I must believe it.
7. He is very poor. He is contented.
8. I am going to Delhi. I am expecting a merry time.
9. I did not listen to him. I failed badly.
10. You will succeed. You should work hard.
Answer:
1. Take an umbrella, as it may rain.
2. Do not go out in this rain or you may catch cold.
3. Work hard or you will fail.
4. As it was raining hard, I stayed at home.
5. I eat when I am hungry.
6. I must believe it because you say so.
7. Though he is very poor, he is contented.
8. I am going to Delhi where I expect a merry time.
9. As I did not listen to him, I failed badly.
10. If you work hard, you will succeed.

Choose the correct Conjunction given in brackets :

1. He tried hard (and, but) could not succeed.
2. He will not come (if, unless) you do not invite him.
3. He had died (before, after) the doctor came.
4. You will be late (if, unless) you hurry up.
5. You must see me (before, when) you leave for Delhi.
6. He worked hard (and, yet) he failed.
7. He is as clever (as, so) his father.
8. (Though, Even if he is my friend, I will not help him in this matter.
Answer:
1. but 2. if 3. before 4. unless 5. before 6. yet 7. as 8. Though.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. I leave my bed ………… the sun rises.
2. ……… you say so, I shall proceed in the matter.
3. ………. you walk fast, you will catch the train.
4. Work hard ……….. you may pass.
5. Walk carefully …….. you should slip.
6. She is not so wise ………. you think.
7. ……….. fast you may run, you cannot beat me in the race.
8. Though she worked hard, ……….. she could not top the list.
9. As you sow, ……… shall you reap.
10. He speaks ………… he were my officer.
Answer:
1. before 2. As 3. If 4. so that 5. lest 6. as 7. However 8. yet 9. so 10. as if.

Fill in the blanks, selecting suitable words from those given in brackets :

1. The book …………. you sent to me, is really interesting. (that, who)
2. The Chief Minister ……….. is very popular with the masses, commands a great respect. (that, who)
3. This is the lady ………. purse had been stolen. (whom, whose)
4. This is the house …….. we want to purchase. (that, who)
5. The pen ………. I like the most has been sold out. (which, who)
6. Varanasi ………. is a city of temples is a place of pilgrimage for the Hindus. (whose, which)
7. The man …………….. she disliked came to her help in her hour of misery. (who, whom)
8. The bird ……… sweet voice you heard every morning is no more.. (whose, whom)
9. Can you identify the person …….. abused you ? (whom, who)
10. The prayer song ……….. we sing every day has been composed by my father. (that, who)
Answer:
1. that 2. who 3. whose 4. that 5. which 6. which 7. whom 8. whose 9. who 10. that.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. It is a week …….. the holidays began.
2. The crops will die ………… the rains fall.
3. Work hard ……….. you should fail.
4. You will fail ……. you do not put in proper efforts.
5. I shall be surprised ……….. you fail.
6. He took medicine ………… he might get well.
7. You may not go out ………. your work is done.
8. You can stay here ……… you wish.
9. Wait here ………. I return.
10. He went to the doctor ………. he was ill.
Answer:
1. since 2. before 3. lest 4. if 5. if 6. so that 7. until 8. as long as 9. until 10. because.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Leave the room ……. you will be caught.
2. Wise men love truth ……… fools shun it.
3. She was found guilty and ……. she was punished.
4. He received a prize ……. his brother was punished.
5. Don’t make a noise ……… I shall punish you.
6. He is a liar ….. a cheat.
7. Trust in God ……. do the right.
8. ……… he is wrong ……. I am wrong.
9. Ashok had no hope of success, ………. he tried.
10. John was naughty; ……. I punished him.
Answer:
1. otherwise’ 2. while 3. therefore 4. while 5. or 6. and / as well as 7. and 8. Either, or 9. yet 10. so.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks selecting the proper Subordinative Conjunctions from those given in brackets :

1. Tell me ……… he has gone. (as, nowhere, because, where)
2. ……… he satisfies me, he cannot get promotion. (unless, if, because)
3. The thief ran …….. he saw the owner of the house. (as soon as, as long as, how)
4. Make hay ……. the sun shines. (while, before)
5. He was late …….. it was raining cats and dogs. (as, how, when)
6. Let us take lunch ……… it is already twelve. (as, so, while)
7. He works hard ……. he may win some position. (in order that, lest, as)
8. He is studying very hard ……… he may top the list this time. .(so that, lest, as)
9. We eat …….. we may live. (so that, because, as if )
10. He walked with care ………… he should stumble. (so that, lest, as)
Answer:
1. where 2. Unless 3. as soon as 4. while 5. as 6. as 7. in order that 8. so that 9. so that 10. lest.

Fill in the blanks with Subordinative Conjunctions :

1. He will join the meeting ……….. he is allowed to do so.
2. ……….. it was quite cold, yet she did not light a fire.
3. We eat …….. we may live.
4. The sun will shine ……. the world lasts.
5. He continued gambling ……. he lost all his money.
6. She is extremely happy …….. she has been engaged to a boy of her choice.
7. He will not pass ………… he works hard.
8. The thief was caught red-handed ……….. he was stealing a jewellery box.
Answer:
1. if 2. Though 3. so that 4. as long as 5. until 6. because 7. unless 8. when.

Join the following pairs of sentences into single sentences, using the Subordinative Conjunctions given in the brackets :

1. You must leave the room. (whether) :
You may wish it or not.

2. He is honest. (though)
He is a poor man.

3. You wish it. (since)
I shall help him.

4. He talked so much. (that)
He made himself hoarse.

5. He will succeed. (because)
He is working hard.

6. We called at his house. (as)
The clock struck four.

7. There is a will. (where)
There is a way.

8. He returned home. (after)
The rain had stopped.

9. The patient had died. (before)
The doctor came.

10. I called on him. (when)
He was at home.
Answer:
1. You must leave the room whether you wish it or not.
2. He is honest. though he is a poor man.
3. Since you wish it, I shall help him.
4. He talked so much that he made himself hoarse.
5. He will succeed because he is working hard.
6. As we called at his house, the clock struck four.
7. Where there is a will, there is a way.
8. He returned home after the rain had stopped.
9. The patient had died before the doctor came.
10. When I called on him, he was at home.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Hardly had he gone there ……….. it started raining.
2. He is both a painter ……….. a singer.
3. Life is such a puzzle ………. cannot be solved.
4. I am so tired ….. I cannot walk.
5. He is as tired …….. you are.
6. Not only is he rich but generous ………..
7. He is not only anxious to acquire knowledge …….. eager to display it.
8. His action was either just ………. unjust.
9. Hardly had I reached the station ……… the train started.
10. Scarcely had I arrived there …….. all the visitors dispersed.
Answer:
1. when 2. and 3. as 4. that 5. as 6. also 7. but also 8. or 9. when 10. when.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Wait here ……… I come back.
2. I like him ……. he is honest.
3. We must eat ……. we shall die.
4. You will never pass …….. you do not work hard.
5. He failed ……….. he did not work hard.
6. He is very wise ……… he is young.
7. Either take it ……….. leave it.
8. Work hard ……….. you will fail.
9. I would rather die …….. yield.
10. I know ……… he will come.
Answer:
1. until 2. because 3. or 4. if 5. because 6. though 7. or 8. or 9. than 10. that.

Fill in the blanks with suitable Conjunctions :

1. Pinky was happy …….. she passed the test.
2. You can do much better …….. you try harder.
3. Always brush your teeth ……….. a meal.
4. I will not let you go …… you confess.
5. The children waited ……. their mother came.
6. I have been living here ……… 1990.
7. Make hay. …….. the sun shines.
8. He failed ………. he tried again.
9. Walk quickly ……….. you will miss the train.
10. Cats can climb trees …….. dogs cannot.
Answer:
1. when 2. if 3. after 4. until 5. until 6. since 7. while 8. yet 9. or / otherwise 10. while

Conjunction-

दो शब्दों, वाक्यांशों (Phrases) अथवा वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्द को conjection कहा जाता है जैसे
1. The teacher taught Mohan and Abdul.
2. I want some pen or pencil.
3. He will take tea, but I will take milk.
4. I will try to come as soon as I can.

Conjunctions of years on lait :
1. Co-ordinate Conjunctions.
2. Correlative Conjunctions.
3. Subordinate Conjunctions.

Co-ordinate Conjunctions-समान स्थिति वाले तथा स्वतन्त्र शब्दों । वाक्यांशों । वाक्यों को मिलाने वाले शब्दों को Co-ordinate Conjunctions कहा जाता है। जैसे

1. Noun को Noun से
2. Verb को Verb से ।
3. Adjective को Adjective से
4. Adverb को Adverb से
5. Phrase को Phrase से
6. Sentence को Sentence से
Mohan as well as Sohan came to my house.
We worked and played together.
He is sad but hopeful.
He spoke loudly and clearly.
He met me in the bazaar and again at the railway station.
He worked hard, yet he failed.

साधारण प्रयोग में आने वाले कुछ Co-ordinate Conjunctions निम्नलिखित हैं
PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions 3

Correlative Conjunctions – जोड़ों के रूप में प्रयुक्त होने वाले Conjunctions को Correlative Conjunctions कहा जाता है; जैसे

1. He worked so hard that he fell ill.
2. He could neither sit nor stand.
3. He is both kind and honest.
4. Either Mohan or Sohan has done it.
5. She is not only proud but also mean

साधारण प्रयोग में आने वाले कुछ Co-ordinate Conjunctions निम्नलिखित हैं
PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions 4

Subordinate Conjunctions-जो शब्द एक या अधिक आश्रित (Subordinate) वाक्यों को प्रधान (Principal) वाक्य से जोड़े, उन्हें Subordinate Conjunctions कहा जाता है। जैसे

Principal Clause Subordinate Clause
1. I don’t think
2. I know
3. I was away
4. Tell me
5. He is the boy
if he would pass.
why he has come here.
when Radha came here.
where he lives
who beat my brother

साधारण प्रयोग में आने वाली मुख्य Subordinate Conjunctions निम्नलिखित हैं
PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions 5

The Use Of Some Conjunctions

(1) No sooner, hardly, scarcely.
No sooner के बाद सदा than का प्रयोग किया जाता है। Scarcely और Hardly के बाद when का प्रयोग किया जा सकता है।
1. No sooner did we reach the station than the train started.
2. She had hardly / scarcely heard the news when she began to weep.

(2) Unless, if.
Unless के साथ not का प्रयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि unless = if not.
If के साथ (यदि आवश्यकता हो तो) not का प्रयोग किया जा सकता है।
1. Unless you work very hard, you can’t pass.
2. If you do not work very hard, you can’t pass.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

(3) Until (till), as long as (so long as), while.
Until (till) = उस समय तक जबकि = up to the time when
(ये शब्द point of time की ओर संकेत करते हैं।)
As long as = जितने समय तक
So long as, while = during the time that
(ये शब्द period of time की ओर संकेत करते हैं।)
यदि till | until का सम्बन्ध पहले वाक्य से हो तो प्रायः until का प्रयोग किया जाता है।
यदि till / until का सम्बन्ध पिछले वाक्य से हो तो प्रायः till का प्रयोग किया जाता है।

किन्तु till | until के प्रयोग में कोई विशेष अन्तर नहीं समझा जाता है।
1. Go straight on until you come to the post office and then turn left.
2. Until you told me, I had heard nothing of it.
3. She won’t go away till you promise to help her.
4. Let us wait till the rain stops.
5. While there is life, there is hope.
As long as there is life, there is hope.
So long as there is life, there is hope.

(4) Because, so that (in order that).
Because का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी बात का कारण (reason) बताना हो।
In order that अथवा so that का प्रयोग उस समय किया जाता है जब किसी उद्देश्य (Purpose) का वर्णन करना हो।
1. He failed because he did not work hard.
2. He worked hard so that he might win a scholarship.

(5) Since, before.
जब Since का प्रयोग एक Conjunction के रूप में किया जाए तो
(i) इससे पूर्व आने वाले वाक्य में कभी भी Past Indefinite Tense का प्रयोग नहीं किया जा सकता
(ii) इसके बाद आने वाले वाक्य में सदा ही Past Indefinite Tense का प्रयोग किया जाता है।

1. Two months have passed since he came here.
2. It is two weeks since my examinations were over.
Before, if, until, unless, while, when, आदि समय-वाचक योजकों (Temporal Conjunctions) के बाद कभी भी Future Tense का प्रयोग नहीं किया जाता है यद्यपि मुख्य वाक्य (Principal Clause) Future Tense में ही हो।
1. I will help him if he comes to me.
2. The crops will die before the rains fall.
3. I shall not let you go until you pay back my money.
4. I shall give him your message when he comes here.

(6) No other तथा rather के साथ than का प्रयोग किया जाता है, न कि but का।
1. No other than Mohan did this mischief.
2. I would rather die than beg.

(7) As to = about, concerning = के सम्बन्ध में।
इसका प्रयोग वाक्य के आरम्भ में ही किया जाना चाहिए और वह भी केवल तब जब किसी बात पर बल डालना हो।
As to your brother, I will deal with him later.
निम्नलिखित वाक्य में इसका प्रयोग ग़लत है
I don’t know as to why he failed.
हमें कहना चाहिए
I don’t know why he failed.

(8) Neither …………….. nor तथा Either …………… or.
1. This book is neither useful nor cheap.
2. Either you or your friend has stolen my book.
3. You can either play or work.
4. Mona can neither see nor hear.

(9) Not only ……………… but also.
1. She is not only beautiful but intelligent also.
2. The cruel master not only lashed his servant but also got him arrested.

(10) Though ………….. yet.
1. Though he worked hard, yet he failed.
2. Though he is rich, yet he is not mean.

(11) Both …. …………. and
1. Ramesh is both handsome and sensible.
2. Both Hema and her sister were absent.

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

(12) So …………………… that.
1. He worked so hard that he won a scholarship.
2. He is so mean that you cannot expect any help from him.

(13) Such …………… as.
1. Raman is such a fool as no one likes.
2. I love such students as are hard-working.

(14) Whether ………………… or.
1. You must leave the room whether you wish it or not.
2. I am going ahead with my plans whether I succeed or fail.

(15) The same ………….. as / that.
1. It is the same kind of pen as mine.
2. This is the same man that came to my help.

(16) निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखिए

1. That का प्रयोग Direct Narration में नहीं किया जा सकता है और न ही इस का प्रयोग
Indirect Narration में किसी प्रश्न-वाचक वाक्य से पूर्व किया जा सकता है।

2. Lest के साथ auxiliary के रूप में सदा should का प्रयोग किया जाता है।
(Walk fast lest you should miss the train.)

PSEB 9th Class English Grammar Conjunctions

3. Like (= जैसा) का प्रयोग कभी भी as (= जैसा) के स्थान पर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि
इस अर्थ में like एक Preposition है जबकि as एक Conjunction है।
1. He is like your brother.
2. He did as your brother did.

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

Punjab State Board PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

Hindi Guide for Class 12 PSEB सुमित्रानन्दन पंत Textbook Questions and Answers

(क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
‘दो लड़के’ कविता के प्रतिपाद्य को अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता कवि की एक प्रगतिवादी रचना है, जिसमे कवि ने मानवतावादी दृष्टिकोण अभिव्यक्त करते हुए मनुष्य को ही ईश्वर मानते हुए उसे धरती पर ही स्वर्ग बसाने के लिए कहा है, जिससे मनुष्य आपस में प्रेम प्यार से रहते हुए अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर सके। कोई भेदभाव न रहे, किसी का शोषण न हो, मानवीयता का प्रचार हो।

प्रश्न 2.
‘दो लड़के’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
दो लड़के’ शीर्षक कविता पंत जी की काव्यकृति ‘युगवाणी’ में संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपनी मानवतावादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त किया है। कविता के आरम्भ में कवि ने यथार्थ का चित्रण करते हुए दो निर्धन निम्न जाति के नंग-धडंग किन्तु सुन्दर गठीले शरीर वाले लड़कों का वर्णन किया है बाद में कविं आत्मा की एकान्तिक उपासना को भौतिक शरीर के सामने नगण्य मानता हुआ कहता है कि संसार में रहने का सबसे अधिक अधिकार उसे है जो अधिक दुर्बल है। संसार में रहने के लिए मनुष्य को उपयुक्त साधनों की आवश्यकता है। मनुष्य एक-दूसरे को मानव-सुलभ प्रेमदान देता हुआ धरती पर स्वर्ग स्थापित कर सके।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

प्रश्न 3.
‘सुख-दुःख’ में कवि ने सुख और दुःख को क्या-क्या उपमाएँ दी हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
कवि ने सुख और दुःख को आँख-मिचौनी का खेल कहा है। कवि ने सुख और दुःख को उषा और सन्ध्या, मिलन और विरह, आँसू और हँसी तथा चाँद और बादलों से उपमा दी है।

प्रश्न 4.
‘सुख-दुःख’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दुःख या सुख का निरन्तर रहना भी कष्टकारक होता है। अतः हमें सुख-दुःखों को आपस में बाँट लेना चाहिए ताकि जीवन में सन्तुलन बना रह सके।

(ख) सप्रसंग व्याख्या करें:

प्रश्न 5.
सुन्दर लगती नग्न देह ………….. सच्चे।
उत्तर:
कवि उन दो निर्धन लड़कों की दीन-हीन दशा का चित्रण करते हुए कहता है कि उन लड़कों का नंगा शरीर सुन्दर लगता है जो व्यक्ति के मन और आँखों को मोह लेता है। मनुष्यता के नाते व्यक्ति के हृदय में अपनापन भर जाता है। ये पासी के बच्चे भी तो मनुष्य के ही बालक हैं। उनका रोम-रोम मनुष्य के सच्चे साँचे में ढला हुआ है।

प्रश्न 6.
यह साँझ उषा का आँगन …….. जीवन का।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यह संसार सन्ध्या और उषा का आँगन है अर्थात् यहाँ सन्ध्या रूपी दुःख भी है तो उषा रूपी सुख भी है। यहाँ विरह और मिलन का मिलाप होता है अर्थात् संसार में लोग मिलते भी हैं और बिछुड़ते भी हैं। इस तरह वे मिलन के सुख और बिछुड़ने के दुःख को झेलते हैं। मनुष्य के जीवन में हँसी भी है और आँसू भी हैं। उसे सुख-दुःख दोनों ही भोगने पड़ते हैं। यही मानव जीवन है।

PSEB 12th Class Hindi Guide सुमित्रानन्दन पंत Additional Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुमित्रानंदन पंत का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
पंत जी का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गांव में 21 मई, सन् 1900 ई० में हुआ था।

प्रश्न 2.
पंत जी को ‘चिदंबरा’ पर कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ था?
उत्तर:
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार।।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

प्रश्न 3.
पंत जी को डी० लिट् की उपाधि किस विश्वविद्यालय ने दी थी?
उत्तर:
कलकत्ता विश्वविद्यालय ने।

प्रश्न 4.
पंत जी का देहांत कब हुआ था?
उत्तर:
सन् 1977 ई० में।

प्रश्न 5.
दो निर्धन बालक प्रायः कहां आ जाते थे?
उत्तर:
लेखक के टीले पर बने घर के आंगन में।

प्रश्न 6.
दोनों बालक कवि को प्रतीत होते थे?
उत्तर:
सांवले रंग की मूर्ति की तरह, साँवले और चुस्त।

प्रश्न 7.
दोनों बालक किसकी तरह किलकारियां मारा करते थे?
उत्तर:
बंदर की तरह।

प्रश्न 8.
उन दोनों बच्चों की लगभग आयु कितनी थी?
उत्तर:
छः सात वर्ष।

प्रश्न 9.
कवि ने समाज में रहने वाले सभी लोगों को कैसा माना है?
उत्तर:
भेदभाव से रहित-पूरी तरह से एक समान।

प्रश्न 10.
कवि जीवन में सदा किसकी खेल-मिचौली देखना चाहता था?
उत्तर:
सुख-दुःख की खेल-मिचौली।

प्रश्न 11.
अधिक सुख और दुःख से यह जंग कैसा लगता है?
उत्तर:
पीड़ित।

प्रश्न 12.
कवि ने इस संसार को किसका आँगन माना है?
उत्तर:
सांझ-उषा का आँगन।

वाक्य पूरे कीजिए

प्रश्न 13.
सुंदर लगती नग्न देह,…………
उत्तर:
मोहती नयन मन।

प्रश्न 14.
जग का अधिकारी है वह,……………….।
उत्तर:
जो है दुर्बलतर।।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

प्रश्न 15.
निष्ठुर है जड़ प्रकृति…………………।
उत्तर:
सहज भंगुर जीवित जन।

प्रश्न 16.
मानव का साम्राज्य बने,………
उत्तर:
मानव-हित निश्चय।।

प्रश्न 17.
जग पीड़ित है अति दुःख से,………….
उत्तर:
जग-पीड़ित रे अति-सुख से।

प्रश्न 18.
दुख-सुख की निशा-दिवा में….
उत्तर:
सोता-जगता जग जीवन।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 19.
‘दो लड़के’ एक प्रगतिवादी कविता है।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 20.
दो लड़के पल्लव में संकलित है।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 21.
कवि जीवन में चिर सुख-चिर दुख चाहता था।
उत्तर:
हाँ।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि पंत का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
सुमित्रानंदन पंत।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. हिंदी साहित्य का सर्वप्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार किसको मिला ?
(क) सुमित्रानंदन पंत
(ख) निराला
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) प्रसाद
उत्तर:
(क) सुमित्रानंदन पंत

2. सुमित्रानंदन पंत को भारत सरकार ने किस सम्मान से अलंकृत किया ?
(क) पद्मविभूषण
(ख) पद्मभूषण
(ग) ज्ञानपीठ
(घ) भारत रत्न।
उत्तर:
(ख) पद्मभूषण

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

3. सुमित्रानंदन पंत को किस कृति पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
(क) चिदंबरा
(ख) चितकोबरा
(ग) ऋतंबरा
(घ) ऋतुम्बर
उत्तर:
(क) चिदंबरा

4. कवि ने संसार को किसका आंगन माना है ?
(क) सांझ का
(ख) ऊषा का
(ग) सांझ-ऊषा का
(घ) रात का।
उत्तर:
(ग) सांझ-ऊषा का

5. ‘दो लड़के’ कैसी कविता है ?
(क) प्रगतिवादी
(ख) प्रयोगवादी
(ग) छायावादी
(घ) हालावादी।
उत्तर:
(क) प्रगतिवादी

सुमित्रानन्दन पंत सप्रसंग व्याख्या

दो लड़के कविता का सार

‘दो लड़के’ कविता में कवि ने दो निर्धन नाटे, सांवले, मांसल, नंगे तन, छ:सात साल के लड़कों के फुर्तीलेपन, मामूली-सी वस्तुएं प्राप्त करके भी प्रसन्न हो जाने का वर्णन किया है। उन्हें अपने अभावग्रस्त जीवन में भी आनन्द की अनुभूति होती है, वे इस अभाव से चिन्तित नहीं हैं। कवि के मन में उनके प्रति अपनापन जाग उठता है। वह चाहता है कि ये बालक भी मानव की सन्तान हैं। इसलिए मानव-मात्र में कोई भेदभाव न रहे। मानव का कल्याण हो, शोषण न हो। सब परस्पर प्रेमभाव से रहें। सब की इच्छाएं पूर्ण हों तथा धरती पर ही स्वर्ग बन जाए।

1. मेरे आंगन में, टीले पर है मेरा घर,
दो छोटे-से लड़के आ जाते हैं अक्सर,
नंगे-तन, गदबदे, साँवले, सहज छबीले
मिट्टी के मटमैले पुतले -पर फुर्तीले।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अक्सर = प्रायः । गदबदे = कोमल, भरे हुए शरीर वाले। सहज = स्वाभाविक रूप से। छबीले = सुन्दर, संजीला। पुतला = मूर्ति। फुर्तीला = चुस्त।।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश आधुनिक युग के प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा लिखित कविता ‘दो लड़के’ में से लिया गया है। यह कविता कवि की काव्यकृति ‘युगवाणी’ में संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि प्रगतिवादी बन कर समाज के दो असहाय एवं पीड़ित बालकों का चित्रण करते हुए अपने मानवतावादी दृष्टिकोण को व्यक्त कर रहे हैं।

व्याख्या:
कवि अपने आँगन में आने वाले दो निर्धन बालकों का चित्रण करते हुए कहता है कि टीले पर बने मेरे घर के आँगन में दो छोटे-से लड़के प्रायः आ जाते हैं। वे शरीर से नंगे होते हैं, किन्तु भरे हुए शरीर वाले, साँवले रंग के स्वाभाविक रूप से सुन्दर दिखते हैं। वे मिट्टी से लथपथ होते हैं उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वे कोई मिट्टी की मूर्ति हो परन्तु हैं बड़े ही चुस्त अर्थात् वे हर काम बड़ी चुस्ती-फुर्ती से करते हैं।

विशेष:

  1. कवि ने अपने आंगन में आकर खेलने वाले दो बालकों का सजीव चित्रण किया है।
  2. भाषा तत्सम, तद्भव, देशज शब्दों से युक्त भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास तथा उत्प्रेक्षा अलंकार है।

2. जल्दी से, टीले के नीचे, उधर उतर कर
वे चुन ले जाते कूड़े से निधियाँ सुन्दर
सिगरेट के खाली डिब्बे, पन्नी चमकीली
फीतों के टुकड़े, तस्वीरें नीली पीली
मासिक-पत्रों के कवरों की, और बन्दर से
किलकारी भरते हैं, खुश हो-हो अन्दर से।
दौड़ पार आँगन के फिर हो जाते ओझल
वे नाटे छ:-सात साल के लड़के मांसल।

कठिन शब्दों के अर्थ:
टीला = छोटी पहाड़ी, ऊँची जगह । निधियाँ = खज़ाने। पन्नी = चमकीला कागज़ जो सिगरेट की डिबिया में होता है! कवर = मुख्य पृष्ठ। किलकारी भरना = खुशी से ऊँची आवाज़ में चीखना। नाटे = छोटे कद के। मांसल = पुष्ट शरीर वाले तगड़े।
प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से लिया गया है। इसमें कवि ने निर्धन वर्ग के दो नंग-धडंग छ:-सात वर्षीय बालकों की अभावों में भी मस्त रहने की दशा का चित्रण करते हुए उनके प्रति मानवीय संवेदना जगाने का प्रयास किया है।

व्याख्या:
अपने घर के आँगन में प्रायः आने वाले दो निर्धन किन्तु सुन्दर लड़कों का वर्णन करता हुआ कवि कहता है कि वे लड़के जल्दी से टीले के नीचे दूसरी तरफ उतर कर कूड़े से अपने लिए खज़ाना समझते हुए कुछ चीजें चुनकर ले जाते थे। जैसे कि सिगरेट के खाली डिब्बे, चमकीली पन्नी, बूटों के फीतों के टुकड़े और मासिक पत्रों के मुख्य पृष्ठों की नीली-पीली रंगीन तस्वीरें। इन चीजों को पाकर वे अन्दर से खुश हो-होकर बन्दरों के समान किलकारियाँ भरते हैं और आँगन को दौड़ कर पार कर आँखों से ओझल हो जाते हैं। वे छोटे कद के पुष्ट शरीर वाले छ: सात साल के लड़के

विशेष:

  1. कवि मानता है कि वे निर्धन बालक छोटी-छोटी चीजें पाकर भी प्रसन्न होते हैं। उन्हें अपनी निर्धनता या अभाव भरे जीवन की कोई चिन्ता नहीं है।
  2. भाषा सहज, तद्भव एवं देशज शब्दों से युक्त चित्रात्मक है।
  3. अनुप्रास तथा उपमा अलंकार हैं।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

3. सुन्दर लगती नग्न देह, मोहती नयन-मन,
मानव के नाते उर में भरता अपनापन।
मानव के बालक हैं ये पासी के बच्चे,
रोम-रोम मानव, साँचे में ढाले सच्चे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
पासी = एक जाति। उर = हृदय।

प्रसंग:
यह काव्यांश सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से उद्धृत है। इसमें कवि ने निर्धन वर्ग के दो नंग-धडंग छ:-सात वर्षीय बालकों की अभावों में भी मस्त रहने की दशा का चित्रण करते हुए उनके प्रति मानवीय संवेदना जगाने का प्रयास किया है।

व्याख्या:
कवि उन दो निर्धन लड़कों की दीन-हीन दशा का चित्रण करते हुए कहता है कि उन लड़कों का नंगा शरीर सुन्दर लगता है जो व्यक्ति के मन और आँखों को मोह लेता है। मनुष्यता के नाते व्यक्ति के हृदय में अपनापन भर जाता है। ये पासी के बच्चे भी तो मनुष्य के ही बालक हैं। उनका रोम-रोम मनुष्य के सच्चे साँचे में ढला हुआ है।

विशेष:

  1. कवि के अनुसार वे दोनों लड़के निम्न और निर्धन जाति के होते हुए भी मानव के बच्चे होने के कारण सुन्दर प्रतीत होते हैं। उन्हें देखकर उसके मन में उनके प्रति अपनापन जागता है। कवि ने इन बालकों की चिन्तामुक्त दशा का वर्णन करते हुए इनके प्रति सद्भाव व्यक्त किया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान परन्तु सरल तथा भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

4. अस्थि-माँस के इन जीवों का ही यह जग घर,
आत्मा का अधिवास न यह, वह सूक्ष्म अनश्वर !
न्योछावर है आत्मा नश्वर रक्त-मॉस पर,
जग का अधिकारी है वह, जो है दुर्बलतर !

कठिन शब्दों के अर्थ:
अस्थि-माँस = हड्डियाँ और माँस। जीव = प्राणी। अधिवास = रहने का स्थान। नश्वर = नाशवान्। दुर्बलतर = अत्यन्त कमज़ोर।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यावतरण सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से अवतरित है। इसमें कवि ने दो निर्धन नंगधडंग बालकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवि अपने मानवतावादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता हुआ कहता है कि यह संसार हाड़ मांस के प्राणियों का ही घर है। यह संसार आत्मा के रहने की जगह नहीं है क्योंकि आत्मा तो सूक्ष्म और न नाश होने वाली अर्थात् अमर है जबकि संसार की प्रत्येक वस्तु तो स्थूल और अनित्य है। कवि कहता है कि इस न नष्ट होने वाली-अमर आत्मा पर यह नाशवान् रक्त माँस का पुतला मानव न्योछावर है तात्पर्य यह है कि इस नाशवान् हाड़-माँस के पुतले मानव के सामने अनश्वर आत्मा क्षुद्र है। इस नाशवान संसार में रहने का वही अधिकारी है जो अत्यन्त कमज़ोर भी है तात्पर्य यह है कि निर्धन, कमज़ोर लोग भी इस संसार में रहने का अधिकार रखते हैं।

विशेष:

  1. कवि आत्मा की एकान्तिक उपासना को भौतिक शरीर के सामने नगण्य मानता है। कवि के लिए पूर्ण मानव ही ईश्वर है।
  2. भाषा सहज, सरल, देशज-तत्सम शब्दों से युक्त भावपूर्ण है।
  3. अनुप्रास अलंकार तथा चित्रमयता है।

5. वह्नि बाढ़, उल्का, झंझा की भीषण भू पर
कैसे रह सकता है कोमल मनुज कलेवर?
निष्ठुर है जड़ प्रकृति, सहज भंगुर जीवित जन,
मानव को चाहिए यहाँ मनुजोचित साधन !

कठिन शब्दों के अर्थ:
वह्नि = आग। उल्का = तारों का टूट कर धरती पर गिरना। झंझा = तूफान। भीषण = भयानक । कलेवर = शरीर। निष्ठुर = निर्दय, कठोर। जड़ = बेजान। सहज भंगुर = आसानी से या स्वाभाविक रूप से नष्ट होने वाला। मनुजोचित = मनुष्य के लिए उचित। साधन = तरीका।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्य-खंड सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से अवतरित है। इसमें कवि ने दो निर्धन नंगधडंग बालकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

व्याख्या:
कवि संसार की भीषणता का उल्लेख करता हुआ मनुष्य को जीने के लिए उचित साधन होने की चर्चा करता हुआ कहता है कि इस संसार में आग का डर है बाढ़ का उत्पीड़न है अर्थात् बाढ़ आकर दु:खी करती है। तारों के टूट कर धरती पर गिरने का भय है। यहाँ इस धरती पर भयंकर तूफान आते रहते हैं फिर भला कोमल शरीर वाला मनुष्य इस धरती पर या इस संसार में कैसे रह सकता है। बेजान प्रकृति भी बड़ी निर्दयी है और जीवन सहज ही नाश हो जाने वाला है। अतः इस संसार में रहने के लिए मनुष्य को उचित साधनों की आवश्यकता है।

विशेष:

  1. परोक्ष रूप में कवि प्रकृति द्वारा भी-आग, बाढ़, उल्कापात और तूफान द्वारा ग़रीबों को सताए जाने की बात कह रहा है और समाज से यह आशा करता है कि वह पिछड़ों और ग़रीबों के लिए भी जीने के उचित साधन जुटाए।
  2. तत्सम प्रधान भाषा में उपदेशात्मकता है।
  3. प्रश्न तथा अनुप्रास अलंकार तथा चित्रात्मकता का गुण है।

6. क्यों न एक हों मानव मानव सभी परस्पर
मानवता निर्माण करें जग में लोकोत्तर ?
जीवन का प्रासाद उठे भू पर गौरवमय,
मानव का साम्राज्य बने, मानव-हित निश्चय।

कठिन शब्दों के अर्थ:
परस्पर = आपस में। लोकोत्तर = अलौकिक । प्रासाद = महल। मानव-हित = मनुष्य की भलाई के लिए।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से उद्धृत है। इसमें कवि ने दो निर्धन बालकों के चिन्तामुक्त जीवन का चित्रण करते हुए मानव मात्र के परस्पर मिलजुल कर तथा भेदभाव से रहित समाज बनाकर रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि भेदभाव भरे, अमीर-गरीब का भेद रखने वाले इस संसार को बदलने का प्रयत्न करने के लिए कहता है कि क्यों न सभी मनुष्य आपस में मिलकर संसार में एक अलौकिक मानवता का निर्माण करें, जिससे पृथ्वी पर जीवन का गौरवशाली महल खड़ा किया जा सके और मनुष्य की भलाई के लिए मनुष्य का एक साम्राज्य बन जाए।

विशेष:

  1. कवि का तात्पर्य यह है कि इस संसार से अमीर-ग़रीब का भेद मिट जाना चाहिए। यह न हो कि एक तो आनन्द से जीवन व्यतीत करे और दूसरा पेट भर रोटी को भी तरसें, इसलिए हमें इस भेदभाव को मिटा कर समता की भावना युक्त संसार का निर्माण करना चाहिए।
  2. तत्सम प्रधान भाषा में प्रवाह तथा भावों का सुन्दर समन्वय है।
  3. अनुप्रास, प्रश्न तथा रूपक अलंकार है।

7. जीवन की क्षण-धूलि रह सके जहाँ सुरक्षित,
रक्त-माँस की इच्छाएँ जन की हों पूरित।
मनुज प्रेम से जहाँ रह सकें-मानव ईश्वर।
और कौन-सा स्वर्ग चाहिए तुझे धरा पर ?

कठिन शब्दों के अर्थ:
पूरित = पूरी।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यावतरण सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘दो लड़के’ से अवतरित है। इसमें कवि ने दो निर्धन बालकों के चिन्तामुक्त जीवन का चित्रण करते हुए मानव मात्र के परस्पर मिलजुल कर तथा भेदभाव से रहित समाज बनाकर रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि धरती को ही स्वर्ग बनाने की कामना करते हुए कहता है कि हमें ऐसे संसार का निर्माण करना होगा जहाँ इस क्षणिक जीवन की मिट्टी सुरक्षित रह सके। प्रत्येक मनुष्य की इच्छाएं पूरी हो सकें। मनुष्य एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक रह सके। हे मनुष्य रूपी ईश्वर ! तुझे धरती पर फिर किस दूसरे स्वर्ग की कामना होगी.? मनुष्य का साम्राज्य ही तुम्हारा स्वर्ग होगा अर्थात् जिस प्रकार स्वर्ग में सभी सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं, धरती पर भी वे सब प्राप्त होगी तो धरती स्वर्ग कहलाएगी।

विशेष:

  1. कवि का तात्पर्य यह है कि मनुष्य मनुष्य से प्रेम करके अपनी सभी इच्छाओं को पूरी कर सकता है तथा धरती को स्वर्ग बना सकता है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है।
  3. प्रश्न अलंकार है।

सुख-दुःख कविता का सार

‘सुख-दुःख’ कविता में कवि ने सदा के लिए न सुख चाहा है और न ही दुःख। कवि का मानना है कि सुख-दुःख के मधुर मिलन में ही जीवन की परिपूर्णता है। अत्यधिक सुख अथवा दुःख से लोग परेशान हो जाते हैं। सुख और दुःख का संगम ही उचित है। जैसे रात के बाद दिन अच्छा लगता है, वैसे ही दुःख के बाद सुख में आनन्द आता है। दुःख-सुख तो विरह के बाद मिलन में सुख के समान है। इस कविता में कवि ने सुख-दुःख से सम्बन्धित अपनी दाशनिक मान्यताओं को व्यक्त किया है।

1. मैं नहीं चाहता चिर-सुख,
मैं नहीं चाहता चिर-दुःख,
सुख-दुःख की खेल-मिचौनी,
खोले जीवन अपना मुख।

कठिन शब्दों के अर्थ:
चिर = देर तक रहने वाला। खेल-मिचौनी = आँख मिचौनी का खेल। खोले जीवन अपना मुख = जीवन अग्रसर हो।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश आधुनिक युग के प्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानन्दन पन्त की काव्यकृति ‘गुंजन’ में संकलित ‘सुख-दुःख’ शीर्षक कविता में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि जीवन में सुख-दुःख की समानता होने की कामना करते हैं क्योंकि निरन्तर दुःख हो या सुख सदा मनुष्य को दुःखी करते हैं।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि मैं यह भी नहीं चाहता कि सुख देर तक मेरे जीवन में बना रहे और मैं यह भी नहीं चाहता दुःख देर तक मेरे जीवन में बना रहे। मैं तो यह चाहता हूँ कि मेरे जीवन में, सुख-दुःख आँख-मिचौनी का खेल । खेलते रहें अर्थात् सुख-दुःख मेरे जीवन में आते जाते रहें इस तरह मेरा जीवन चलता रहे।

विशेष:

  1. कवि का मानना है कि सुख-दुःख रथ के पहिये के समान हों कभी पहिए का एक भाग ऊपर आ जाए तो कभी दूसरा। सदा सुख या सदा दुःख बना रहने पर जीवन रुक जाएगा। आँख-मिचौनी के खेल में कभी एक छिपता है तो कभी दूसरा। इसी प्रकार जीवन में भी कभी सुख छिप जाए दूर हो जाए तो कभी दुःख। यही जीवन है।
  2. तत्सम प्रधान सहज भाषा का प्रयोग किया गया है।
  3. अनुप्रास अलंकार तथा लाक्षणिकता विद्यमान है।

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 7 सुमित्रानन्दन पंत

2. सुख-दुःख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन,
फिर घन में ओझल हो शशि
फिर शशि से ओझल हो घन

कठिन शब्दों के अर्थ:
मिलन = संयोग। ओझल होना = छिप जाना।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘सुख-दुःख’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख को समभाव से ग्रहण करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि सुख और दुःख के उचित संयोग से मेरा जीवन पूर्ण हो अर्थात् जीवन में सुख-दुःख आते जाते रहने चाहिए जैसे कभी बादलों में चाँद छिप जाए और कभी बादल चाँद से दूर हो जाएँ।

विशेष:

  1. चाँद सुख का प्रतीक माना जाता है और बादल दुःख के।
  2. भाषा तत्सम प्रधान लाक्षणिक से युक्त है।
  3. अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार हैं।

3. जग पीड़ित है अति दुःख से,
जग पीड़ित रे अति-सुख से,
मानव-जग में बँट जावें
दुःख सुख से औ, सुख दुःख से।

कठिन शब्दों के अर्थ:
पीड़ित = दु:खी। अति = अत्यधिक।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘सुख-दुःख’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख को समभाव से ग्रहण करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि संसार दुःख की अधिकता से भी दु:खी है और सुख की अधिकता से भी दुःखी है अर्थात् मनुष्य निरन्तर दुःख या विपत्तियाँ सहता-सहता भी दुःखी हो जाता है और मनुष्य सुख के निरन्तर बने रहने से भी ऊब जाता है। इसलिए वह चाहता है कि मानव जगत् में दुःख-सुख से और सुख-दुःख से बँट जाएँ अर्थात् दुःखी मनुष्य के दुःखों को सुखी मनुष्य बाँट लें और सुखी मनुष्य के थोड़े सुख दुःखी मनुष्यों में बँट जाएँ। इस तरह जीवन में सुख-दुःख का सन्तुलन बना रहेगा।

विशेष:

  1. कवि ने सुख-दुःख के बराबर बँटवारे की कामना की है। सुखी व्यक्ति दुःखियों के दुःख को दूर करें।
  2. भाषा तत्सम प्रधान तथा भावपूर्ण है।
  3. कवि ने सुख-दुःख को समभाव से स्वीकार करने पर बल दिया है।

4. अविरत दुःख है उत्पीड़न
अविरत सुख भी उत्पीड़न
सुख-दुःख की निशा-दिवा में
सोता-जगता जग-जीवन।

कठिन शब्दों के अर्थ:
अविरत = निरन्तर, लगातार। उत्पीड़न = दुःख का कारण। दिवा = दिन।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता सुख-दुःख से लगी गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख . में समन्वय पर बल दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि निरन्तर दुःख भी दुःख का कारण बनता है अर्थात् मनुष्य को व्यथित कर देता है और निरन्तर सुख भी दुःख पैदा करने का कारण बनता है अर्थात् लगातार सुख सहते-सहते या भोगते-भोगते मनुष्य उदासीन हो जाता है। इसलिए चाहिए तो यह है कि दुःख-सुख रूपी रात-दिन में मनुष्य जीवन सोता-जागता रहे। क्योंकि लगातार दुःख सहते-सहते मनुष्य व्याकुल हो जाता है और सुख के दिनों में वह उत्सव और उल्लास मनाता है।

विशेष:

  1. मानव जीवन सुख-दुःख का ही मिश्रण है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान लाक्षणिक है।
  3. अनुप्रास, रूपक तथा मानवीकरण अलंकार हैं।

5. यह साँझ-उषा का आँगन,
आलिंगन विरह-मिलन का,
चिर हास-अश्रुमय आनन ।
रे इस मानव-जीवन का।

कठिन शब्दों के अर्थ:
आलिंगन = मिलाप। विरह = जुदाई, बिछुड़ना। आनन = चेहरा, मुख। ..

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानन्दन पंत द्वारा रचित कविता ‘सुख-दुःख’ से ली गई हैं, जिसमें कवि ने सुख-दुःख में समन्वय पर बल दिया है।

व्याख्या:
कवि कहते हैं कि यह संसार सन्ध्या और उषा का आँगन है अर्थात् यहाँ सन्ध्या रूपी दुःख भी है तो उषा रूपी सुख भी है। यहाँ विरह और मिलन का मिलाप होता है अर्थात् संसार में लोग मिलते भी हैं और बिछुड़ते भी हैं। इस तरह वे मिलन के सुख और बिछुड़ने के दुःख को झेलते हैं। मनुष्य के जीवन में हँसी भी है और आँसू भी हैं। उसे सुख-दुःख दोनों ही भोगने पड़ते हैं। यही मानव जीवन है।

विशेष:

  1. कवि ने सुख-दुःख के समन्वय पर बल दिया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान एवं लाक्षणिक है।
  3. रूपक और मानवीकरण अलंकार हैं।

सुमित्रानन्दन पंत Summary

सुमित्रानन्दन पंत जीवन परिचय

सुमित्रानन्दन पन्त जी का जीवन परिचय दीजिए ।

सुमित्रानन्दन पन्त जी का जन्म अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में 21 मई, सन् 1900 ई० को हुआ। इनके पिता का नाम पंडित गंगादत्त तथा माता का नाम सरस्वती था। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा तथा बनारस में प्राप्त की थी तथा उच्च शिक्षा के लिए प्रयाग के म्योर सैंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया, किन्तु महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर पढ़ाई छोड़ दी और साहित्य साधना करने लगे। इन्होंने आकाशवाणी, इलाहाबाद में भी कार्य किया था। इन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण से, कलकत्ता विश्वविद्यलय ने डी० लिट् से, साहित्य अकादमी ने ‘कला और बूढ़ा चाँद’ पर सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार तथा भारतीय ज्ञानपीठ ने ‘चिदम्बरा’ पर सम्मानित किया था। सन् 1977 में इनका देहान्त हो गया था। इन्होंने कविता, नाटक, उपन्यास, कहानियां, निबन्ध आदि सभी लिखे हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ वीणा, पल्लव, गुंजन, युगान्त, ग्राम्या, लोकायतन, चिदंबरा, कला और बूढ़ा चांद हैं।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Kriya क्रिया Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar क्रिया

प्रश्न 1.
क्रिया की परिभाषा लिखकर कर्म के आधार पर क्रिया के भेद लिखो।
अथवा
क्रिया की परिभाषा सोदाहरण दें।
अथवा
क्रिया किसे कहते हैं ? कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
जिस शब्द के द्वारा किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे-
(i) भगवान् की पूजा करो।
(ii) कृष्ण राधा को देखता है,
(iii) किसान बैल को हाँकता है,
(iv) पानी बहता है।
इन वाक्यों में पूजा करना, देखना, हाँकना तथा बहना क्रियाएँ हैं कि क्योंकि इनसे कार्य करने या होने का बोध होता है।

कर्म के अनुसार क्रिया के दो भेद हैं-
1. अकर्मक :
जिस क्रिया के व्यापार का फल कर्ता पर ही पड़े (कर्म न हो) अकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे-कृष्ण रोता है। मोहन भागता है।

2. सकर्मक :
जिस क्रिया के व्यापार का फल कर्ता को छोड़ कर कर्म पर ही पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-श्याम पुस्तक पढ़ता है। मोहन पेंसिल देता है।

सकर्मक क्रिया के भेद :
(i) एककर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का एक कर्म होता है, वे एककर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-शोभा फूल तोड़ती है। सतीश पुस्तक पढ़ता है। ‘फूल’ तथा ‘पुस्तक’ इन वाक्यों में कर्म हैं।
(ii) द्विकर्मक क्रियाएँ-कुछ सकर्मक क्रियाएँ ऐसी होती हैं जिनमें दो कर्म आ जाते है, उन्हें द्विकर्मक क्रियाएँ कहते हैं; जैसे-राम मुझे पुस्तक देता है। ‘मुझे’ तथा ‘पुस्तक’ दोनों ही वाक्य में कर्म हैं। अतः ‘उक्त वाक्य में’ द्विकमर्क क्रिया है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 2.
रचना की दृष्टि से क्रिया के भेद लिखो।
उत्तर:
रचना की दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित भेद हैं
1. सामान्य क्रिया : जहाँ केवल एक क्रिया का प्रयोग किया जाए वह सामान्य क्रिया कहलाती है; जैसे-अनिल आया। सोहन ने पढ़ा। मैंने खाया।
2. संयुक्त क्रिया : दो या दो से अधिक धातुओं से मिलकर बनने वाली क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-लिखना चाहता है, पढ़ सकता है, जा सकता है।
3. नामधातु क्रिया : संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण से बनने वाली क्रियाओं को नाम धातु क्रिया कहते हैं; जैसे-हथियाना, बतियाना, लतियाना आदि।
4. प्रेरणार्थक क्रिया : जो क्रिया या कर्ता स्वयं क्रिया न करके किसी अन्य को क्रिया करने की प्रेरणा देता है, उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं; जैसे-सुनाना, लिखाना, पढ़ाना, कराना।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ
मूल धातु
Img 1

5. पूर्वकालिक क्रिया : जब कोई क्रिया मुख्य क्रिया से पूर्व ही समाप्त हो जाए तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं; जैसे-सीता खाना खा कर स्कूल जाएगी। यहाँ पर ‘जाएगी’ मुख्य क्रिया है और ‘खा कर’ पूर्वकालिक क्रिया है।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित क्रियाओं में से सकर्मक और अकर्मक क्रियाएँ छाँट कर लिखो

प्रश्न 1.
तोड़ना, रोना, मरना, मारना, उबालना, लड़ना, गिरना।
उत्तर:
अकर्मक – तोड़ना, मारना, उबालना।
सकर्मक – रोना, मरना, लड़ना, गिरना।

2. नीचे लिखे वाक्यों में जो क्रियाएँ हैं, उन्हें छाँट कर लिखो

प्रश्न 1.
(क) राम ने पत्र लिखा।
(ख) मोहन अपनी जगह से उठ बैठा।
(ग) रमा पुस्तक पढ़ रही है।
(घ) वह देखो, चन्द्रमा निकल आया।
उत्तर:
(क) लिखा
(ख) उठ बैठा
(ग) पढ़ रही है
(घ) देखो, निकल आया।

3. निम्नलिखित शब्दों के नाम धातु रूप को वाक्यों में प्रयोग करें-

हाथ, बात, दुःख, आप, शर्म।
उत्तर:
1. हाथ = हथियाना – उसने मेरी पुस्तक हथिया ली।
2. बात = बतियाना – शिमला आने से पूर्व मुझे बतिया देना।
3. दुःख = दुखाना – कभी किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए।
4. आप = अपनाना – सदा सद्गुणों को अपनाना चाहिए।
5. शर्म = शर्माना – पेट भर कर खाओ, शर्माओ मत।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
क्रिया के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
दो।

प्रश्न 2.
क्रियापद चुन कर लिखें
(क) राम
(ख) ने
(ग) पत्र
(घ) लिखा।
उत्तर:
लिखा।

प्रश्न 3.
श्याम पुस्तक पढ़ता है-में कौन-सी क्रिया है ?
(क) अकर्मक
(ख) सकर्मक
(ग) द्विकर्मक
(घ) प्रेरणार्थक।
उत्तर:
सकर्मक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 4.
पूजा सोती है-में कौन-सी क्रिया है ?
(क) अकर्मक
(ख) सकर्मक
(ग) द्विकर्मक
(घ) प्रेरणार्थक।
उत्तर:
अकर्मक।

प्रश्न 5.
पूनम ने आद्या को हलवा दिया-में कौन-सी क्रिया है ?
(क) सकर्मक
(ख) प्रेरणार्थक
(ग) द्विकर्मक
(घ) अकर्मक।
उत्तर:
द्विकर्मक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Visheshan विशेषण Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar विशेषण

प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं ? विशेषण के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करे, विशेषण कहलाता है; जैसे-वीर पुरुष। इसमें वीर शब्द पुरुष की विशेषता प्रकट करता है। इसलिए यह विशेषण है। विशेषण के चार भेद हैं
(1) गुणवाचक
(2) परिमाणवाचक
(3) संख्यावाचक
(4) निर्देशक या सार्वनामिक।
1. गुणवाचक : जो शब्द किसी पदार्थ के गुण, दोष, आकार, रंग, अवस्था, समय आदि का बोध कराए, उसे ‘गुणवाचक विशेषण’ कहते हैं; जैसे-भला मनुष्य, काला घोड़ा, निचला कमरा।

2. परिमाणवाचक :
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की माप या तोल सम्बन्धी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें ‘परिमाणवाचक विशेषण’ कहते हैं; जैसे-दो मीटर कपड़ा, चार किलो मिठाई। इसके दो भेद हैं
(i) निश्चित परिमाणवाचक-जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध हो; जैसे-दो क्विटल, चार लिटर।
(ii) अनिश्चित परिमाणवाचक-जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध न हो; जैसे-कुछ दूध, थोड़ा घी, बहुत मिठाई।

3. संख्यावाचक :
जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या (गिनती) का ज्ञान कराए, उसे ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहते हैं; जैसे-एक पुस्तक, दस लड़के। इसके भी दो भेद निम्नलिखित हैं
(i) निश्चित संख्यावाचक-जो निश्चित संख्या का ज्ञान कराए; जैसे-पाँच लड़कियाँ, दुगुना बोझ।
(ii) अनिश्चित संख्यावाचक-जो निश्चित संख्या का बोध न कराए; जैसे-सभी छात्र, कुछ लोग, कई दिन।

4. निर्देशन या सार्वनामिक :
जो सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत या निर्देश के रूप में आता है, वह विशेषण बन जाता है; जैसे-यह घोड़ा, वह पुस्तक। निर्देशक विशेषण को निर्देशवाचक, संकेतवाचक, सांकेतिक और सार्वनामिक विशेषण भी कहा जाता है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 2.
विशेषण और विशेष्य किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विशेषण जिस शब्द की विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने वाले शब्द को कहते हैं।
जैसे-मुर्ख लड़का’ में मुर्ख विशेषण है तथा लड़का विशेष्य।

प्रश्न 3.
सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में क्या अंतर है ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द ‘सर्वनाम’ कहलाते हैं परन्तु यदि वाक्य में वे किसी संज्ञा से पहले प्रयुक्त होकर उसकी ओर संकेत करते हैं तो वे सर्वनाम न रह कर विशेषण बन जाते हैं; जैसे-यह चुप बैठा है। वह रोटी खाता है। (यह, वहसर्वनाम)। ये कपड़े मेरे हैं। वह पुस्तक किसकी है ? (ये, यह–सार्वनामिक विशेषण)।

प्रश्न 4.
विशेषणों की तुलना से क्या अभिप्राय है ? तुलना की दृष्टि से विशेषण की कितनी अवस्थाएँ होती हैं ?
उत्तर-संज्ञाओं के गुण-दोषों की न्यूनता-अधिकता का बोध कराए जाने को विशेषण की तुलना कहा जाता है। तुलना के विचार से विशेषण की तीन अवस्थाएँ हैं
(1) मूलावस्था
(2) उत्तरावस्था
(3) उत्तमावस्था।

1. मूलावस्था : इसमें विशेष्य की किसी से तुलना नहीं की जाती; जैसे–मोहन सुन्दर
2. उत्तरावस्था : इसमें दो पदार्थों की तुलना की जाती है और एक की अधिकता या न्यूनता दिखाई जाती है; जैसे-राम श्याम से अधिक चतुर है।
3. उत्तमावस्था : इसमें एक की तुलना दो से अधिक वस्तुओं से की जाती है और इसे सबसे ऊँचा या सबसे नीचा दर्शाया जाता है; जैसे-राम अपनी श्रेणी में सबसे चतुर है।

आवश्यक जानकारी :
विशेषण की पहली अवस्था (मूलावस्था) में विशेषण शब्द के साथ कोई प्रत्यय नहीं लगता जबकि उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ प्रत्यय लगते हैं। कुछ उदाहरण-
मूलावस्था – उत्तरावस्था – उत्तमावस्था
योग्य – योग्यतर – योग्यतम
प्रिय – प्रियतर – प्रियतम
अधिक – अधिकतर – अधिकतम
निकट – निकटतर – निकटतम

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 5.
परिमाण वाचक विशेषण किसे कहते हैं और ये कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर:
परिमाण वाचक विशेषण-जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की मापतोल सम्बन्धी विशेषता को प्रकट करे उन्हें परिमाण वाचक विशेषण कहते हैं; जैसे-दो मीटर कपड़ा, चार किलो मिठाई। इसके दो भेद हैं
(1) निश्चित परिमाण वाचक।
(2) अनिश्चित परिमाण वाचक।

प्रश्न 6.
सार्वनामिक विशेषण किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर:
सार्वनामिक विशेषण-जो सर्वनाम संज्ञा के साथ उसके संकेत या निर्देश के रूप में आता है, वह विशेषण बन जाता है; जैसे-यह घोड़ा, वह पुस्तक। इनमें ‘यह’ और ‘वह’ सार्वनामिक विशेषण है।

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

1. निम्नलिखित वाक्यों में से सार्वनामिक विशेषण छाँटिए

प्रश्न 1.
(क) वे विद्यार्थी लगातार परिश्रम करते हैं।
(ख) यह भारत का सर्वप्रिय फल है।
(ग) वह बच्चा खेल रहा है।
उत्तर:
(क) वे
(घ) यह
(ग) वह।

2. नीचे लिखे वाक्यों में से विशेषण चुनिए

प्रश्न 1.
(1) काला घोड़ा सबसे आगे निकल गया।
(2) मनोहर के घर सफ़ेद गाय है।
(3) वीर पुरुष किसी से नहीं डरता।
(4) पर्वत से भारी चट्टान नीचे जा गिरी।
(5) हमेशा बुरे लोगों से दूर रहो।
(6) हमें अब पता चला कि हममें क्या कमी है ?
(7) वह विकराल डाकू सामने आ खड़ा हुआ।
(8) उसका भाई बहुत निपुण है।
उत्तर:
(1) काला
(2) सफ़ेद
(3) वीर
(4) भारी
(5) बुरे
(6) कमी
(7) विकराल
(8) निपुण।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

3. नीचे लिखे सन्दर्भ में से विशेषण छांटो

प्रश्न 1.
सहसा उन्हें किसी की कठोर आवाज़ सुनाई दी-“ठहरो”। वृद्ध ने रुक कर और पीछे मुड़कर देखा तो जंगल की झाड़ियाँ चीरता हुआ वह विकराल डाकू सामने आ खड़ा हुआ। ऊँचा कद, काला शरीर, विकराल चेहरा, लाल आँखें, उठे हुए केश, बड़ी-बड़ी मूंछे और हाथ में तेज़ कटार। निश्चय ही वह मनुष्य नहीं दैत्य दिखाई देता था।
उत्तर:
कठोर, विकराल, ऊँचा, काला, लाल, बड़ी-बड़ी तेज़।

4. नीचे दिए गए कोष्ठक में से उपयुक्त विशेषण शब्द चुनकर रिक्त स्थानों में भरो

प्रश्न 1.
(उत्साही, क्रूर, हज़ारों, धर्म के रक्षक, विरक्त, निर्भीक) ।
मालाधारी………….. व्यक्ति भी तलवार उठा लेता है। खालसा धर्म के प्रवर्तक तथा ………… गुरु गोबिन्द सिंह जी ने बन्दा बैरागी को तत्कालीन………….. मुग़ल सरकार से …………. बेगुनाहों के खून का बदला लेने के लिए आशीर्वाद देकर भेजा। वह बचपन से ही …………. और …………… प्रकृति का था।
उत्तर:
विरक्त, धर्म के रक्षक, क्रूर, हज़ारों, उत्साही, निर्भीक।

5. निम्नलिखित शब्दों में से संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण अलग-अलग करें

प्रश्न 1.
कर्तव्य, हम, अधिकार, वे, वृद्ध, अचल।
उत्तर:
संज्ञा – कर्त्तव्य, अधिकार, वृद्ध।
सर्वनाम – हम, वे।
विशेषण – अचल।

6. नीचे लिखे गद्यांश में से संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्द चुनो

प्रश्न 1.
महापुरुषों के जीवन के आलोक में जब हम अपने आपको पढ़ते हैं तब हमें पता चलता है कि हम में क्या कमी है, हमारी कमजोरियाँ क्या हैं, हमारा जीवन इतना आलोकहीन क्यों है ? हम इस सत्य से परिचित होते हैं कि हमारे अन्दर भी उतनी ही शक्ति छिपी है, जितनी कि महापुरुषों के पास थी।
उत्तर:
संज्ञाएँ-महापुरुषों, शक्ति, जीवन, सत्य। सर्वनाम-हम, अपने। विशेषण-कमी, आलोकहीन।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
विशेषण के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
चार।

प्रश्न 2.
विशेषण छाँट कर लिखें
(क) काला
(ख) घोड़ा
(ग) भाग
(घ) गया।
उत्तर:
काला।

प्रश्न 3.
‘इतिहास’ शब्द का विशेषण क्या है ?
(क) इतिहासिक
(ख) ऐतिहासिक
(ग) इतिहासता
(घ) ऐतिहासिकता।
उत्तर:
ऐतिहासिक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 4.
‘साहसी’ का विशेषण नहीं है
(क) साहसिक
(ख) साहस
उत्तर:
साहस।

प्रश्न 5.
चार किलो दूध लाना में रेखांकित विशेषण है
(क) संख्यावाचक
(ख) गुणवाचक
(ग) परिमाणवाचक
(घ) सार्वनाम वाचक।
उत्तर:
परिमाणवाचक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Sarvanam सर्वनाम Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar सर्वनाम

प्रश्न 1.
सर्वनाम किसे कहते हैं ? सर्वनाम के कितने भेद हैं ? भेदों के नाम लिखो।
अथवा
सर्वनाम की परिभाषा लिखो और उसके भेद भी बताओ।
उत्तर:
वाक्य में संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले विकारी शब्दों को सर्वनाम कहते हैं; जैसे-सोहन, मोहन के साथ उनके घर गया। इस वाक्य में ‘उसके’ सर्वनाम मोहन के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है। सर्वनाम के छः भेद हैं

1. पुरुष वाचक – जिससे वक्ता (बोलने वाला), श्रोता (सुनने वाला) और जिसके सम्बन्ध में चर्चा हो रही है उसका ज्ञान प्राप्त हो।
जैसे- अन्य पुरुष – वह, वे
मध्यम पुरुष – तू, तुम
उत्तम पुरुष – मैं, हम

2. निश्चय वाचक – इस सर्वनाम से वक्ता के समीप या दूर की वस्तु का निश्चय होता है; जैसे-यह, ये, वह, वे।

3. अनिश्चय वाचक – इस सर्वनाम से किसी पुरुष एवं वस्तु का निश्चित ज्ञान नहीं होता है; जैसे-कोई, कुछ।

4. संबंध वाचक – इस सर्वनाम से दो संज्ञाओं में परस्पर संबंध का ज्ञान होता है; जैसे-जो, सो। जो करेगा, सो भरेगा।

5. प्रश्न वाचक – इस सर्वनाम का प्रयोग प्रश्न पूछने और कुछ जानने के लिए होता है; जैसे-कौन, क्या। आप कौन हैं ? मैं क्या करूंगा ?

6. निज वाचक – जिन वाक्यों में सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता स्वयं अपने लिए करता है, उसे निज वाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे-मैं अपने विद्यालय गया। यह अपनी पुत्री है। मोहन ने अपना पाठ याद किया।
यहाँ पर ‘अपने’, ‘अपनी’ और ‘अपना’ शब्द निज वाचक सर्वनाम के रूप में प्रयोग किए गए हैं। इसलिए ये शब्द निज वाचक सर्वनाम कहलाएंगे।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

प्रश्न 2.
निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
निजवाचक सर्वनाम-जिन वाक्यों में सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता स्वयं अपने लिए करता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे-मैं अपने विद्यालय गया। उसने अपना पाठ याद कर लिया है।

प्रश्न 3.
पुरुष वाचक सर्वनाम किसे कहते हैं ? और ये कितने प्रकार के हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पुरुष वाचक सर्वनाम-जिन सर्वनाम शब्दों के द्वारा वक्ता, श्रोता और जिसके सम्बन्ध में चर्चा हो रही है, उसका ज्ञान प्राप्त हो, वह पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाता है। यह तीन प्रकार के हैं-
(1) उत्तम पुरुष : जैसे-मैं, तुम।
(2) मध्यम पुरुष : जैसे-तू, तुम।
(3) अन्य पुरुष : जैसे, वह, वे आदि।

बहुविकल्पीय प्रश्न सही शब्द चुन कर उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
सर्वमान के कितने भेद हैं ?
(क) दो
(ख) चार
(ग) छः
(घ) आठ।
उत्तर:
छः।

प्रश्न 2.
‘यह’ कौन सा सर्वनाम है ?
(क) निजवाचक
(ख) निश्चयवाचक
(ग) संबंधवाचक
(घ) प्रश्नवाचक।
उत्तर:
निश्चयवाचक।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

प्रश्न 3.
संबंधवाचक सर्वनाम का वाचक है
(क) जो
(ख) कौन
(ग) कोई
(घ) यह।
उत्तर:
जो।

प्रश्न 4.
सर्वनाम छाँट कर लिखें
(क) हम
(ख) कल
(ग) घूमने
(घ) गए।
उत्तर:
हम।

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

1. नीचे लिखे वाक्यों में से सर्वनाम चुनिए

(क) मैं खेलने जा रहा था।
(ख) हम कल घूमने गए।
(ग) मैं स्कूल जाता हूँ।
(घ) हरीश ने कहा कि वह आज स्कूल नहीं जाएगा।
(ङ) सोहन मोहन के साथ उसके घर को गया।
(च) पूनम तथा उसकी माता अमृतसर गए हैं।
(छ) माता जी ने पुत्रों से कहा, “तुम यहीं बैठे रहो।”
(ज) मुख्याध्यापक जी ने कहा, “हमें सत्य पर डटे रहना चाहिए।”
(झ) मैं छोटा बच्चा थोड़े ही हूँ।
(ञ) हम कल दिल्ली गए।
उत्तर:
(क) मैं
(ख) हम
(ग) मैं
(घ) वह
(ङ) उसके
(च) उसकी
(छ) तुम
(ज) हमें
(झ) मैं
(ञ) हम।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

2. नीचे के रिक्त स्थानों में सर्वनाम की पूर्ति करें

(क) हरि ने …………माँ से कहा कि …………. आज व्रत रमूंगा।
(ख) मोहन ने …………… मित्र से कहा कि ………….. आज घर पर रहेगा।
(ग) दुष्ट ………… दुष्टता नहीं छोड़ता।
(घ) पिता ने …………. पुत्र से कहा बेटा ………….. सच बोलना चाहिए।
(ङ) सेठ ने …………… नौकर को डाँटकर कहा …………… सीधे हो जाओ।
उत्तर:
(क) अपनी, मैं
(ख) अपने, वह
(ग) अपनी
(घ) अपने, तुम्हें
(ङ) अपने, तुम।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Sangya ke Vikar (ling, vachan, karak) संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक) Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 8th Class Hindi Grammar संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

प्रश्न 1.
संज्ञा शब्दों में विकार किनके कारण होता है ?
उत्तर:
लिंग, वचन और कारक के कारण संज्ञा शब्दों में विकार होता है। इनको विकारक तत्व भी कहते हैं।

(अ) लिंग

प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं ? उसके भेद बताओ।
उत्तर:
संज्ञा के जिस रूप से स्त्री या पुरुष जाति का बोध हो उसे लिंग कहते हैं। हिन्दी में दो लिंग हैं-
(i) पुल्लिग
(ii) स्त्रीलिंग।
1. पुल्लिग : संज्ञा के जिस रूप से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिग कहते हैं; जैसे-लड़का, शेर, धोबी।
2. स्त्रीलिंग : संज्ञा के जिस रूप से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे-लड़की, शेरनी, धोबिन।
आवश्यक निर्देश-लिंग परिवर्तन और उसके नियम स्मरण तालिका (Memory Chart) में देखें।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

(आ) वचन

प्रश्न 1.
वचन किसे कहते हैं और वचन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
संज्ञा के जिस रूप से किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध हो, उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी में दो वचन हैं-
(i) एकवचन
(ii) बहुवचन।

1. एकवचन : संज्ञा का जो रूप एक ही वस्तु का बोध कराए, उसे एकवचन कहते हैं; जैसे-लड़का, घोड़ा, बहन आदि।
2. बहवचन : संज्ञा का जो रूप एक से अधिक वस्तुओं का बोध कराए, उसे बहुवचन कहा जाता है; जैसे-लड़कियाँ, घोड़े, बहनें आदि।
आवश्यक निर्देश : वचन परिवर्तन सम्बन्धी नियम स्मरण तालिका (Memory Chart) में विस्तार से देखिए।

(इ) कारक

प्रश्न 1.
कारक किसे कहते हैं ? इसके कितने भेद हैं ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उस वाक्य का दूसरे शब्दों से सम्बन्ध जाना जाता है उस रूप को कारक कहते हैं; जैसे-मोहन ने पुस्तक को मेज़ पर रख दिया।
विभक्ति : कारक प्रकट करने के लिए संज्ञा अथवा सर्वनाम के साथ ‘ने’, ‘को’, ‘से’ आदि जो चिह्न लगाए जाते हैं, उन्हें विभक्ति कहा जाता है। हिन्दी में आठ कारक हैं। इनके नाम और विभक्ति चिह्न इस प्रकार हैं
कारक – विभक्ति चिह्न
(1) कर्ता – ने
(2) कर्म – को
(3) करण – से, के द्वारा, के साथ
(4) सम्प्रदान – को, के लिए, वास्ते
(5) अपादान – से (पृथक्त्व बोधक)
(6) सम्बन्ध – का, के, की
(7) अधिकरण – में, पर
(8) सम्बोधन – हे, अरे, रे।
1. कर्ता : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है; जैसे-(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है। (ii) सोहन ने दूध पीया।
2. कर्म : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता हो, उसे कर्म कारक कहते हैं; जैसे-श्याम पाठशाला जाता है।
3. करण : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से कर्ता के काम करने के साधन का बोध हो उसे करण कारक कहा जाता है; जैसे-राम ने बाण से बाली को मारा।
4. सम्प्रदान : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के लिए क्रिया की जाए, उसे सम्प्रदान कारक कहा जाता है; जैसे-अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें लाया।
5. अपादान : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से पृथक्कता, आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता हो, उसे अपादान कारक कहा जाता है; जैसे-वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
6. सम्बन्ध : संज्ञा या सर्वनाम का जो रूप एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ सम्बन्ध प्रकट करे, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं; जैसे-यह मोहन का घर है।
7. अधिकरण : संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं; जैसे-वीर सैनिक युद्ध भूमि में मारा गया।
8. सम्बोधन : संज्ञा का जो रूप चेतावनी या किसी को पुकारने का सूचक हो; जैसेहे ईश्वर ! हमारी रक्षा करो। .

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

प्रश्न 2.
कर्ता कारक की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहा जाता है; जैसे-मोहन पुस्तक पढ़ता है-इस वाक्य में कर्ता कारक है।

प्रश्न 3.
नीचे लिखे कारकों में क्या भेद हैं ? स्पष्ट कीजिए
(क) कर्ता और कर्म।
(ख) करण और अपादान में अन्तर।
(ग) संबंध और सम्प्रदान।
उत्तर:
(क) कर्ता और कर्म कर्ता :

कर्ता कर्म
(1) कर्ता कारक में संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया को करने वाले का बोध कराया जैसे-देव ने कविता पढ़ी। (1) कर्म कारक में किसी वस्तु या व्यक्ति पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है; जैसे-अध्यापक छात्र को पढ़ाता है|
(2) कर्ता कारक का सामान्य विभक्ति चिह्न ‘ने’ होता है। (2) कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘को’ होता है।

(ख) करण और अपादान :

करण अपादान
(1) करण कारक क्रिया के साधन का बोध कराने वाले संज्ञा के रूप को कहते हैं; जैसे-सुनील कलम से लिखता है। (1) अपादान कारक संज्ञा के किसी रूप से किसी वस्तु के दूसरी वस्तु से अलग होने का बोध कराता है; जैसे-वृक्ष से पत्ता गिरता है।
(2) इसके विभक्ति चिह्न ‘से’, ‘के साथ’, ‘के द्वारा’ आदि होते हैं। (2) इसका विभक्ति चिह्न ‘से’ है।

(ग) संबंध और सम्प्रदान :

संबंध सम्प्रदान
(1) संबंध कारक में संज्ञा के किसी रूप का दूसरी वस्तु से संबंध सूचित किया जाता है; जैसेराम चरित मानस तुलसी कृत महाकाव्य है। (1) सम्प्रदान कारक में किसी वस्तु के लिए कोई क्रिया की जाती है; जैसे-वह स्नान के लिए नदी पर जाता है।
(2) इसके विभक्ति चिह्न ‘के’, ‘की’, ‘रा’, ‘रे’, ‘री’, ‘ना’, ‘ने’, ‘नी’ आदि हैं। (2) इसके विभक्ति चिहन ‘का’, ‘को’ तथा ‘के लिए’ हैं।
(3) संबंध कारक का रूप, लिंग और वचन आदि के कारण बदल जाता है। (3) सम्प्रदान कारक का रूप, लिंग और वचन आदि के कारण नहीं बदलता है।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

प्रश्न 4.
सम्प्रदान और कर्म कारक में क्या अंतर है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सम्प्रदान कारक-सम्प्रदान कारक में किसी वस्तु के लिए’ क्रिया की जाती है; जैसे-वह पढ़ने के लिए विद्यालय गया। इसका विभक्ति चिह्न ‘के लिए’ है।
कर्म कारक : कर्म कारक में किसी व्यक्ति या वस्तु पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है; जैसे-पुलिस ने चोर को पकड़ा। इसका विभक्ति चिहन ‘को’ है।

प्रश्न 5.
करण और अपादान कारक में अंतर बताइए। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
करण और अपादान कारक में अंतर :
करण कारक : करण कारक क्रिया के साधन का बोध कराने वाले संज्ञा के रूप को कहते हैं; जैसे-वह साइकिल से स्कूल गया। सोहन कलम से लिखता है। इसका विभक्ति चिह्न ‘से’ है लेकिन इसका अर्थ के साथ या के द्वारा होता है।
अपादान कारक : अपादान कारक संज्ञा के किसी रूप से किसी वस्तु के दूसरी वस्तु से अलग होने का बोध कराता है; जैसे-वृक्षों से पत्ते गिरते हैं। इसका विभक्ति चिह्न ‘से’ है लेकिन इसका अर्थ वस्तु से अलग होने का भाव दर्शाता है।

प्रश्न 6.
अपादान कारक किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संज्ञा का सर्वनाम के जिस रूप से पृथक्कता, आरम्भ, भिन्नता आदि का बोध होता हो, उसे अपादान कारक कहा जाता है। जैसे-वृक्ष से पत्ते गिरते हैं-इस वाक्य में से अपादान कारक है।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

1. प्रत्येक का सही उत्तर छाँट कर लिखिए

प्रश्न (क)
नदी का बहुवचन क्या है ?
(क) नदियाँ
(ख) नदीयाँ
(ग) नदियों।
उत्तर:
(क) नदियाँ

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

प्रश्न (ख)
नीति का बहुवचन क्या है ?
(क) नीतीयाँ
(ख) नीतियों
(ग) नीतियाँ।
उत्तर:
(ख) नीतियाँ

प्रश्न (ग)
खिड़की का बहुवचन क्या है ?
(क) खिड़कियों
(ख) खिड़कीयाँ
(ग) खिड़कियाँ।
उत्तर:
(ग) खिड़कियाँ।

2. निम्नलिखित के स्त्रीवाचक रूप बनाओ और उस स्त्रीवाचक रूप को बहुवचन में बदलो-

शब्द – स्त्रीवाचक – बहुवचन
कवि – …………….. – ………….
नर – …………….. – ………….
चूहा – …………….. – ………….
वर – …………….. – ………….
बेटा – …………….. – ………….
लड़का – …………….. – ………….
पति – …………….. – ………….
छात्र – …………….. – ………….
उत्तर:
शब्द – स्त्रीवाचक – बहुवचन
(i) कवि – कवयित्री – कवयित्रियाँ
(ii) नर – नारी – नारियाँ
(ii) चूहा – चुहिया – चुहियाँ
(iv) वर – वधू – वधुएँ
(v) बेटा – बेटी – बेटियाँ
(vi) लड़का – लड़की – लड़कियाँ
(vii) पति – पत्नी – पत्नियाँ
(viii) छात्र – छात्रा – छात्राएँ

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

3. नीचे लिखे वाक्यों को कारक चिहनों से भरो

(क) उस ……………अपनी बेटी ऋतु के लिए पुस्तकें खरीदीं।
(ख) पेड़………….. पत्ता गिरता है।
(ग) दूध ………… सेहत अच्छी रहती है।
(घ) अध्यापक कुर्सी………………. बैठता है।
(ङ) तुम यह कोट लेकर किस ………… देना चाहते हो ? ।
उत्तर:
(क) ने
(ख) से
(ग) से
(घ) पर
(ङ) को।

4. निम्नलिखित वाक्यों में से कारक छाँटिये तथा कारक का नाम भी लिखिए

(i) मनुष्य धन के लिए देश विदेश भटकता है।
(ii) चोर चलती गाड़ी से कूद गया।
(iii) राम ने मोहन को पुस्तक दी।
(iv) वह घोड़े से गिर गया।
(v) वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
(vi) हे वीरो ! देश की रक्षा करो।
(vii) प्रकाश से अन्धकार नष्ट होता है।
(viii) रोगियों की सेवा करो।
(ix) समुद्र में लहरें उठती हैं।
(x) पीड़ितों को दान दो।
(xi) मोहन का ज्वर उतर गया।
(xii) भिखारी को भिक्षा दे दो।
(xiii) भिखारी को भगा दो।
(xiv) बच्चे छत पर खेल रहे हैं।
उत्तर:
(i) धन के लिए-सम्प्रदान कारक।
(ii) गाड़ी से-अपादान कारक।।
(iii) राम ने-कर्ता कारक, मोहन को-कर्म कारक।
(iv) घोड़े से-अपादान कारक।
(v) वृक्ष से-अपादान कारक।
(vi) हे वीरो-संबोधन कारक, देश की-संबंध कारक।
(vii) प्रकाश से-करण कारक।
(viii) रोगियों की-संबंध कारक।
(ix) समुद्र में-अधिकरण कारक।
(x) पीड़ितों को-कर्म कारक।
(xi) मोहन का संबंध कारक।
(xii) भिखारी को-कर्मकारक।
(xiii) भिखारी को-कर्मकारक।
(xiv) छत पर-अधिकरण।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

बहुविकल्पीय प्रश्न निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखें

प्रश्न 1.
संज्ञा के कितने भेद हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
तीन।

प्रश्न 2.
लिंग कितने होते हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
दो।

प्रश्न 3.
वचन कितने होते हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर:
दो।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

प्रश्न 4.
कारक के कितने भेद हैं ?
(क) दो
(ख) चार
(ग) सात
(घ) आठ।
उत्तर:
आठ।

प्रश्न 5.
वृक्ष से पत्ते गिरते हैं, रेखांकित में कारक है
(क) संप्रदान
(ख) अपादान
(ग) करण
(घ) कर्म।
उत्तर:
अपादान।

प्रश्न 6.
‘नदी’ का बहुवचन है
(क) नदियाँ
(ख) नदीयाँ
(ग) नदियों
(घ) नदीयों
उत्तर:
नदियाँ।

PSEB 8th Class Hindi Vyakaran संज्ञा के विकार (लिंग, वचन, करक)

प्रश्न 7.
‘शेर’ का स्त्रीलिंग है
(क) शेरि
(ख) शेरी
(ग) शेरिनी
(घ) शेरनी।
उत्तर:
शेरनी।

प्रश्न 8.
संज्ञा शब्द चुनें
(क) घोड़ा
(ख) बहुत
(ग) तेज़
(घ) दौड़ा।
उत्तर;
घोड़ा।