Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 14 सांख्यिकी का अर्थ, क्षेत्र तथा अर्थशास्त्र में महत्त्व Textbook Exercise Questions, and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 14 सांख्यिकी का अर्थ, क्षेत्र तथा अर्थशास्त्र में महत्त्व
PSEB 11th Class Economics सांख्यिकी का अर्थ, क्षेत्र तथा अर्थशास्त्र में महत्त्व Textbook Questions and Answers
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
संख्यात्मक विश्लेषण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संख्यात्मक विश्लेषण से तात्पर्य, किसी तथ्य के विभिन्न पहलुओं का संख्याओं के आधार पर विश्लेषण करना होता है। अर्थात् संख्यात्मक विश्लेषण वह क्रिया है, जिसमें ‘अंकों का विज्ञान’ प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
सांख्यिकी की बहुवचन अथवा समंक के रूप में एक परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
समंकों से हमारा अभिप्राय उन संख्यात्मक तत्त्वों से है, जो पर्याप्त सीमा तक अनेक प्रकार के कारणों से प्रभावित होते हैं।
प्रश्न 3.
सांख्यिकी की एकवचन अथवा विज्ञान के रूप में परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
एकवचन के रूप में सांख्यिकी का अर्थ सांख्यिकी विधियां अथवा सांख्यिकी विज्ञान से है।
प्रश्न 4.
सांख्यिकी विधियों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
सांख्यिकी विधियों से हमारा अभिप्राय उन विधियों से है जो अनेक कारणों से प्रभावित संख्यात्मक आंकड़ों की व्याख्या करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती हैं।
प्रश्न 5.
सांख्यिकी की एक सीमा लिखिए।
उत्तर-
सांख्यिकी केवल ऐसे तथ्यों का अध्ययन करती है जिन्हें संख्याओं के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
सांख्यिकी के किसी एक कार्य का वर्णन करें।
उत्तर-
सांख्यिकी का एक महत्त्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैतथ्यों की तुलना-सांख्यिकी का एक काम अलग-अलग तथ्यों में तुलना करना भी होता है।
प्रश्न 7.
सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट करने के लिए कोई एक मत दें।
उत्तर-
अर्थशास्त्र के लिए महत्त्व-सांख्यिकी अर्थशास्त्र का आधार है। आर्थिक समस्याओं को सुलझाने के लिए सांख्यिकी की सहायता ली जाती है।
प्रश्न 8.
“सांख्यिकी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।” इस मत की पुष्टि करें।
उत्तर-
डिजराइली ने कहा है, “झूठ तीन प्रकार के होते हैं झूठ, सफेद झूठ और सांख्यिकी।” इसलिए कुछ लोग यह कहते हैं कि सांख्यिकी झूठे होते हैं।
प्रश्न 9.
सांख्यिकी वह विधि है जो समंकों का संकलन, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण व निर्वचन से सम्बन्धित है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 10.
सांख्यिकी का महत्त्व …………….. क्षेत्रों में होता है।
(a) अर्थशास्त्र
(b) आर्थिक नियोजन
(c) बैंकिंग
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 11.
सांख्यिकी को क्राकस्टन और काउडेन ने सांख्यिकी ………. कहा है।
उत्तर-
विधियां।
प्रश्न 12.
बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की सब से अच्छी परिभाषा ………….. ने दी।
(a) एचनबाल
(b) बाउले
(c) होरेस सीक्रिस्ट
(d) क्राकस्टन और काउडेन।
उत्तर-
(c) होरेस सीक्रिस्ट।
प्रश्न 13.
भारत की जनसंख्या 1951 में 36 करोड़ थी जोकि 2011 में 121 करोड़ हो गई है। इसको सांख्यिकी कहते हैं।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 14.
सांख्यिकी विज्ञान भी है और कला भी है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 15.
समंकों के संग्रहकरण, प्रस्तुतिकरण, विश्लेषण तथा विवेचन को वर्णात्मक सांख्यिकी कहा जाता
उत्तर-
सही।
प्रश्न 16.
सांख्यिकी में समूचे समूह को ब्रह्मांड कहा जाता है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 17.
सांख्यिकी में औसतों का अध्ययन किया जाता है जिसके कारण इनका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।
उत्तर-
ग़लत।
प्रश्न 18.
सांख्यिकी का अर्थशास्त्र में प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि अर्थशास्त्र सांख्यिकी के लिए लाभदायक
उत्तर-
ग़लत।
प्रश्न 19.
सांख्यिकी आर्थिक नियोजन का ………….. है।
उत्तर-
आधार।
प्रश्न 20.
सांख्यिकी में गुणात्मक आंकड़ों को प्रकट किया जाता है।
उत्तर-
ग़लत।
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
सांख्यिकी क्या है?
उत्तर-
आक्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार, “सांख्यिकी शब्द के दो अर्थ हैं।”
- बहुवचन के रूप में व्यवस्थित विधि द्वारा एकत्रित किए गए संख्यात्मक तथ्य जैसे कि जनसंख्या सम्बन्धी एकत्र किए गए आंकड़े।
- एकवचन के रूप में सांख्यिकी विधियां अर्थात् आंकड़ों को एकत्रित करने, उनके वर्गीकरण तथा प्रयोग करने सम्बन्धी विज्ञान।” इस प्रकार सांख्यिकी में उन विधियों का अध्ययन किया जाता है, जिन द्वारा आंकड़ों को एकत्रित करने, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा व्याख्या करने की समस्याओं का हल किया जाता है।
प्रश्न 2.
सांख्यिकी की एकवचन के रूप में परिभाषा दो।
अथवा
सांख्यिकी की उचित परिभाषा दो।
उत्तर-
प्रो० क्राक्स्टन तथा काउडेन के अनुसार, “सांख्यिकी को संख्यात्मक आंकड़ों का संग्रहण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा व्याख्या से सम्बन्धित विज्ञान कहा जाता है।” सांख्यिकी उन विधियों से सम्बन्धित है, जिन द्वारा आंकड़ों को एकत्र करके, इनकी व्यवस्था की जाती है। आंकड़ों का विश्लेषण करके परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
प्रश्न 3.
“सांख्यिकी विज्ञान नहीं, बल्कि वैज्ञानिक विधि है,” स्पष्ट करो।
अथवा
सांख्यिकी के औज़ारों को स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रो० क्राक्स्टन तथा काउडेन ने कहा है कि सांख्यिकी विज्ञान नहीं, बल्कि वैज्ञानिक विधियां हैं। इसमें वैज्ञानिक विधियों का अध्ययन किया जाता है। जैसे कि समंकों का संग्रहकरण (Collection), व्यवस्थीकरण (Organization), प्रस्तुतीकरण (Presentation), विश्लेषण (Analysis) तथा व्याख्या (Interpretation)। इन विधियों की सहायता से व्यावहारिक समस्याओं को आंकड़ों से हल किया जाता है। इनको सांख्यिकी औज़ार भी कहा जाता है।
प्रश्न 4.
सांख्यिकी की विषय सामग्री को स्पष्ट करें।
अथवा
वर्णात्मक सांख्यिकी तथा आगमन सांख्यिकी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
सांख्यिकी की विषय सामग्री को दो भागों में विभाजित किया जाता है-
- वर्णात्मक सांख्यिकी-वर्णात्मक सांख्यिकी से अभिप्राय उन विधियों से होता है, जो समंकों को एकत्र करने तथा विश्लेषण करके व्याख्या करने से होता है। इसमें केन्द्रीय प्रवृत्तियों का माप, अपकिरण, सहसम्बन्ध इत्यादि विधियां शामिल होती हैं।
- आगमन सांख्यिकी-आगमन सांख्यिकी का अर्थ एक समुच्चय में से सैंपल लेकर निष्कर्ष निकाले जाते हैं, जिनको सभी समुच्चयों पर लागू किया जाता है। इसको आगमन सांख्यिकी कहा जाता है।
प्रश्न 5.
एक तालिका द्वारा सांख्यिकी अध्ययन के चरण तथा उनसे सम्बन्धित उपकरण बताओ।
उत्तर –
चरण | सांख्यिकी अध्ययन | सांख्यिकी उपकरण |
प्रथम चरण | आंकड़ों का संकलन | निर्देशन तथा संगणना विधि |
द्वितीय चरण | आंकड़ों का व्यवस्थीकरण | |
तीसरा चरण | आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण | तालिका, ग्राफ तथा रेखाचित्र |
चौथा चरण | आंकड़ों का विश्लेषण | केन्द्रीय प्रवृत्तियों, सहसम्बन्ध सूचकांक के |
पांचवां चरण | आंकड़ों की व्याख्या | सांख्यिकी विधियों का परिणाम तथा आंकड़ों के सम्बन्धों की व्याख्या |
प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि सांख्यिकी आंकड़े होते हैं, परन्तु सभी आंकड़े सांख्यिकी नहीं।
उत्तर-
सांख्यिकी का सम्बन्ध आंकड़ों से होता है, परन्तु सभी आंकड़े सांख्यिकी नहीं, जैसे कि भारत की जनसंख्या 1951 में 36 करोड़ थी। यह सांख्यिकी नहीं। आंकड़ों के समुच्चय को सांख्यिकी कहा जाता है, जैसे कि भारत की जनसंख्या 1951 में 36 करोड़ थी, जोकि 2001 में बढ़कर 102.7 करोड़ हो गई है। इसको सांख्यिकी कहा जाएगा। क्योंकि इसमें आंकड़ों का समूह दिया गया है।
प्रश्न 7.
सांख्यिकी के दो महत्त्वपूर्ण कार्य बताओ।
उत्तर-
सांख्यिकी के दो महत्त्वपूर्ण कार्य हैं
- तथ्यों में तुलना करना जैसे दो देशों में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर, उन देशों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना से लगाया जाता है।
- तथ्यों में सम्बन्ध स्थापित करना, जैसे कि वस्तु की कीमत तथा उस वस्तु की मांग का विपरीत सम्बन्ध होता है, परन्तु दूसरी बातें समान रहती हैं।
प्रश्न 8.
सांख्यिकी के अविश्वास के कारण बताओ।
उत्तर-
सांख्यिकी के अविश्वास के मुख्य कारण इस प्रकार हैं –
- समंकों को पूर्व निर्धारक परिणामों अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है।
- एक समस्या के लिए विभिन्न प्रकार के आंकड़े एकत्रित किए जा सकते हैं।
- उचित आंकड़ों को गलत ढंग से पेश करके लोगों को भ्रमित किया जा सकता है।
- जब समंक अधूरे एकत्रित किए जाते हैं तो गलत परिणाम प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 9.
“सांख्यिकी अपने आप कुछ सिद्ध नहीं करती। इसका प्रयोगी इसका गलत प्रयोग करता है।” स्पष्ट करो।
उत्तर –
सांख्यिकी के समंक अपने आप कुछ भी सिद्ध नहीं करते, बल्कि समंकों से इनको प्रयोग करने वाला कुछ भी सिद्ध कर सकता है। समंकों को एकत्र करने के लिए सांख्यिकी माहिर होते हैं। यदि वह एक शहर में औसत आय का माप करते समय 200 अमीर परिवारों के आंकड़े एकत्रित करके औसत आय निकालते हैं तो यह परिणाम उस शहर की ठीक आर्थिक स्थिति को ब्यान नहीं करेगा।
प्रश्न 10.
आर्थिक सन्तुलन में सांख्यिकी का क्या महत्त्व है? .
उत्तर-
सन्तुलन का अभिप्राय उस स्थिति से होता है, जिस स्थिति को प्राप्त करके कोई मनुष्य उसको छोड़ना नहीं चाहता। एक उत्पादक वस्तु की कीमत निर्धारण करना चाहता है तो वस्तु की मांग तथा वस्तु की पूर्ति जहां समान होती है, उस जगह पर सन्तुलन स्थापित होगा तथा कीमत निश्चित की जाएगी। इस उद्देश्य के लिए मांग तथा पूर्ति के आंकड़े लाभदायक होते हैं।
प्रश्न 11.
समाज सुधारकों के लिए सांख्यिकी का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
सांख्यिकी को सामाजिक समस्याओं के लिए भी प्रयोग किया जाता है। एक समाज सुधारक के लिए सामाजिक बुराइयां जैसे कि दहेज प्रथा, जुआ, शराबखोरी इत्यादि से सम्बन्धित आंकड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं। इनकी जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् वह इन बुराइयों का हल करने के लिए सुझाव देता है। इसलिए आंकड़ों की जानकारी महत्त्वपूर्ण होती है।
प्रश्न 12.
सांख्यिकी का व्यापार में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
एक अच्छा व्यापारी बाज़ार की पूर्ण जानकारी प्राप्त करके उत्पादन सम्बन्धी निर्णय लेता है। देश में वस्तु की कितनी मांग होगी तथा उस वस्तु की पूर्ति के लिए देश में कच्चा माल, श्रमिक, पूंजी इत्यादि सम्बन्धी आंकड़े प्राप्त करके व्यापारी अच्छे ढंग से उत्पादन कर सकता है। बोडिंगटन अनुसार, “एक अच्छा व्यापारी वह है जोकि शुद्धता के अनुकूल ही अनुमान लगा सकता है।”
प्रश्न 13.
सांख्यिकी विधियां साधारण बुद्धि का स्थानापन्न नहीं होती?
उत्तर-
सांख्यिकी विधियां साधारण बुद्धि से प्रयोग करनी चाहिए, परन्तु ये साधारण बुद्धि का स्थानापन्न नहीं होती। सांख्यिकी विधियां बहुत-सी मान्यताओं पर आधारित होती हैं। इसलिए जो परिणाम सांख्यिकी द्वारा प्राप्त किए जाते हैं, उनको आंकड़ों के एकत्रित करने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर देखना चाहिए, जैसे कि एक शहर में अस्पतालों की संख्या अधिक हो सकती है तथा उस शहर में मृतकों की संख्या भी अधिक हो सकती है, परन्तु यह परिणाम प्रत्येक स्थान पर उचित लागू नहीं होगा। इसलिए सांख्यिकी परिणाम गलत भी हो सकते हैं। इसलिए इनका प्रयोग बिना सोचेसमझे नहीं किया जाना चाहिए अर्थात् हमें अपनी बुद्धि का प्रयोग किए बिना सांख्यिकी विधियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 14.
आंकड़ों को एकत्रित करते समय किस प्रकार की त्रुटियों की सम्भावना हो सकती है?
उत्तर-
आंकड़ों का एकत्रीकरण, व्यवस्थीकरण, वर्गीकरण तथा विश्लेषण करते समय कई तरह की त्रुटियां हो सकती हैं, जैसे कि-
- मापने सम्बन्धी त्रुटियां
- प्रश्नावली में दोष होने सम्बन्धी त्रुटियां
- आंकड़ों को लिखते समय त्रुटियां
- गणना करने वाले द्वारा पक्षपात की त्रुटियां, इत्यादि।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
प्रो० होरेस सीक्रिस्ट की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
समंकों से हमारा आशय तथ्यों के समूह से है जोकि एक पर्याप्त सीमा तक अनेक कारणों से प्रभावित होते हैं जिनको अंकों में व्यक्त किया जाता है, जोकि गणना किए जाते हैं अथवा शुद्धता के स्तर के आधार पर अनुमानित किए जाते हैं, जिनको पूर्व निश्चित उद्देश्य के लिए एक व्यवस्थित ढंग से एकत्रित किया जाता है तथा उन्हें एक-दूसरे से सम्बन्ध स्थापित करके रखा जाता है।
प्रश्न 2.
सांख्यिकी की एक उचित परिभाषा दें।
उत्तर-
सांख्यिकी की उपयुक्त परिभाषा-अर्थशास्त्र की भान्ति सांख्यिकी की परिभाषा में भी कितना मतभेद है। यह उपयुक्त विभिन्न परिभाषाओं से स्पष्ट हो जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसका क्षेत्र बहुत व्यापक है तथा दिन-प्रतिदिन विकसित होता गया है। फिर भी इन सभी परिभाषाओं के विवेचन से कुछ मूल तत्त्व प्रकट होते हैं जिनका एक उपयुक्त परिभाषा में समावेश करना आवश्यक है-
- सांख्यिकी की प्रकृति-इसमें यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह कला और विज्ञान दोनों हैं।
- विषय सामग्री-सांख्यिकी में समंकों का अध्ययन होता है अर्थात् ऐसे सामूहिक तथ्यों को जिनको संख्याओं में व्यक्त किया जा सकता है और जिन पर विविध कारणों का प्रभाव पड़ता है।
- उद्देश्य-सांख्यिकी में निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति का पर्याप्त रूप में अध्ययन होता है।
- सांख्यिकीय रीतियां-परिभाषा में सांख्यिकीय रीतियां-जैसे संग्रहण, वर्गीकरण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, सम्बन्ध स्थापन, निर्वचन और पूर्वानुमान-का समावेश होना आवश्यक है।
इन्हें संग्रहण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण और निर्वचन चार प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है। सांख्यिकी की एक उपयुक्त परिभाषा निम्न हो सकती है- “सांख्यिकी एक विज्ञान और एक कला है जो सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक व अन्य समस्याओं से सम्बन्धित समंकों के संग्रहण, वर्गीकरण, सारणीयन, प्रस्तुतीकरण, सम्बन्ध-स्थापन, निर्वचन और पूर्वानुमान से सम्बन्ध रखती है ताकि निर्धारित उद्देश्य की पर्ति हो सके।”
प्रश्न 3.
“सांख्यिकी विज्ञान नहीं, बल्कि वैज्ञानिक विधि है।” समीक्षा करें।
उत्तर-
सांख्यिकी एक वैज्ञानिक विधि है। कुछ विद्वान् सांख्यिकी को विज्ञान नहीं बल्कि वैज्ञानिक विधि स्वीकार करते हैं। क्रॉक्सटन एवं काउडन ने भी इसी प्रकार का मत प्रकट किया है कि सांख्यिकी विज्ञान नहीं, वैज्ञानिक विधि है। उनके अनुसार सांख्यिकी स्वयं लक्ष्य नहीं, लक्ष्य प्राप्त करने का एक रास्ता है। वह साध्य नहीं, साधन है, परन्तु वैज्ञानिक विधि का अर्थ यह नहीं है कि सांख्यिकी विज्ञान नहीं है, सांख्यिकी विज्ञान है और इतना महत्त्वपूर्ण विज्ञान है कि यह अन्य विज्ञानों का आधार बन गई है।
प्रश्न 4.
सांख्यिकी की तीन सीमाएं लिखें।
उत्तर-
1. सांख्यिकी संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन करता है, गुणात्मक तंथ्यों का नहीं-सांख्यिकी में केवल संख्यात्मक तथ्यों का ही अध्ययन सम्भव है और जिन तथ्यों का संख्यात्मक माप सम्भव नहीं होता, उनका अध्ययन सांख्यिकी में नहीं किया जाता, जैसे सभ्यता, दरिद्रता, ईमानदारी आदि गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन सांख्यिकी में सम्भव नहीं है। इसके विपरीत कुछ तथ्य और समस्याएं ऐसी भी होती हैं जिनका संख्यात्मक वर्णन ही सम्भव नहीं होता और उनके गुणात्मक स्वरूप का ही अध्ययन करता है जैसे चरित्र, सुन्दरता, व्यवहार, बौद्धिक स्तर आदि। ऐसे विषय सांख्यिकी के क्षेत्र से बाहर रहते हैं, परन्तु अप्रत्यक्ष रूप से इनका अध्ययन सम्भव बनाया जा सकता है।
2. सांख्यिकी तथ्यों में सजातीयता व समानता होनी चाहिए-समंकों के पारस्परिक तुलनात्मक अध्ययन हेतु यह आवश्यक है कि समंकों में सजातीयता व समानता हो। यदि समंकों में एकरूपता का अभाव है जो निष्कर्ष भ्रमात्मक होंगे जैसे चलने में मुद्रा की मात्रा एवं परीक्षाफल से सम्बन्धित समंकों के आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता, क्योंकि दोनों प्रकार के समंक सजातीय नहीं और इन पर आधारित निष्कर्ष भी गलत व भ्रमात्मक होंगे।
3. सांख्यिकी केवल साधन प्रस्तुत करती है, समाधान नहीं-सांख्यिकी का कार्य समंकों को संकलित करना है, उनमें निष्कर्ष निकालना नहीं है। सांख्यिकी का कार्य तो पक्षपात रहित ढंग से संकलित करके उन्हें प्रदर्शित करना है जिससे आंकड़ों का दुरुपयोग न हो सके और सही निष्कर्ष निकाले जा सकें। अत: सांख्यिकी साधन प्रस्तुत करती है, उसके समाधान के सम्बन्ध में कुछ नहीं बताती।
प्रश्न 5.
सांख्यिकी के उद्देश्य लिखें।
उत्तर-
- अनुसन्धान क्षेत्र में सांख्यिकी विधियों का प्रयोग करना।
- विभिन्न समस्याओं का विवेचनात्मक अध्ययन करना।
- प्राप्त सामग्री से महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष निकालना एवं पूर्वानुमान लगाना।
- भूतकालीन एवं वर्तमान समंकों को संकलित करके उन्हें काल श्रेणी के रूप में प्रस्तुत करना।
- प्राप्त समंकों को इस प्रकार रखना कि वे तुलना के योग्य हों।
- परिवर्तनों के कारणों एवं परिणामों का मूल्यांकन करना।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
सांख्यिकी से क्या अभिप्राय है? बहुवचन में सांख्यिकी की परिभाषा को स्पष्ट करो। (What is Statistics ? Explain the Definition of Statistics in the plural sense.) (T.B.Q.1)
उत्तर-
सांख्यिकी की बहुवचन के रूप में परिभाषा (Definition of statistics in plural sense)सांख्यिकी के पिता जर्मन के अर्थशास्त्री ऐचन वाल (Achen Wall) को माना जाता है। उन्होंने कहा था, “आंकड़ा शास्त्र राज्य से संबंध रखने वाले महत्त्वपूर्ण तथ्यों का संग्रह होता है, जोकि ऐतिहासिक तथा व्यावहारिक होते हैं।” इस तरह आंकड़ों से सम्बन्धित परिभाषाएं दी गईं। इस रूप में प्रो० होरेस सीकरिस्ट ने आंकड़ा शास्त्र की उचित परिभाषा दी। उनके शब्दों में, आंकड़ा शास्त्र से हमारा अभिप्राय तथ्यों के समुच्चय से होता है, जोकि बहुत-से कारणों से प्रभावित होता है, जिनको संख्या के रूप में दिखाया जाता है। एक उचित मात्रा की शुद्धता अनुसार संख्या अथवा अनुमानित ढंग से एकत्रित किया जाता है, जोकि पूर्व निर्धारण उद्देश्य के लिए एकत्रित किए जाते हैं तथा एक-दूसरे से सम्बन्धित रूप में पेश किए जाते हैं।
सांख्यिकी की मुख्य विशेषताएं (Main Characteristics of Statistics)-
बहुवचन के रूप में सांख्यिकी की विशेषताओं को होरेस सीकरिस्ट की परिभाषा को ध्यान में रखकर इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन किया जा सकता है-
1. सांख्यिकी तथ्यों का समुच्चय है-सीकरिस्ट की परिभाषा में यह स्पष्ट किया गया है कि सांख्यिकी से अभिप्राय तथ्यों के समुच्चय से होता है। जब हम यह कहते हैं कि भारत की जनसंख्या 1951 में 36 करोड़ थी तो इससे कोई परिणाम प्राप्त नहीं होता। परन्तु जब भारत की जनसंख्या की वृद्धि को स्पष्ट किया जाता है जोकि प्रत्येक दस वर्षों पश्चात् 36 करोड़, 43 करोड़, 54 करोड़, 68 करोड़, 84 करोड़ तथा 102.7 करोड़ हो गई है। इस सूचना से हम यह परिणाम निकालते हैं कि 1951-2001 तक 50 वर्षों में भारत की जनसंख्या लगभग तीन गुणा बढ़ गई है।
2. सांख्यिकी के आंकड़े अनेकों कारणों से प्रभावित होते हैं-सांख्यिकी की दूसरी विशेषता है कि तथ्यों को प्रभावित करने वाले अनेक कारण होते हैं। जैसे कि किसी क्षेत्र में गेहूँ की पैदावार अधिक होने के बहुत-से कारण होते हैं, जैसे कि भूमि की उपजाऊ शक्ति, सिंचाई की सुविधाएं, कृषि करने के आधुनिक ढंग, लोगों का मेहनती होना इत्यादि।
3. सांख्यिकी को संख्याओं में दर्शाया जाता है-सांख्यिकी में हम समस्याओं को संख्याओं के रूप में स्पष्ट करते हैं। गुणात्मक तत्त्वों जैसे कि अमीर-गरीब, गोरा-काला इत्यादि गुणों से सांख्यिकी का सम्बन्ध नहीं होता है।
4. सांख्यिकी के आंकड़े संख्या द्वारा अथवा अनुमानित एकत्रित किए जाते हैं-सांख्यिकी में आंकड़ों को एकत्रित करने की दो विधियां होती हैं। प्रथम विधि अनुसार आंकड़ों को संख्या अनुसार एकत्रित किया जाता है जैसे कि एक स्कूल अथवा कॉलेज में कितने विद्यार्थी पढ़ते हैं। कई बार आंकड़ों का अनुमान लगाना पड़ता है जैसे कि होस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों द्वारा नशीले पदार्थों पर किए गए खर्च के आंकड़े संख्या द्वारा एकत्रित नहीं किए जा सकते। इसलिए आंकड़ों का अनुमान लगाया जाता है।
5. सांख्यिकी के आंकड़ों में उचित मात्रा में शुद्धता होनी चाहिए-सांख्यिकी के आंकड़े एकत्रित करते समय शुद्धता के लिए एक उचित स्तर को ध्यान में रखना चाहिए।
6. सांख्यिकी के आंकड़े क्रमानुसार एकत्रित करना-आंकड़ा शास्त्र में जो आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं, इनको क्रमानुसार एकत्रित करना चाहिए है। आंकड़े एकत्रित करने से पहले योजना बनानी चाहिए है।
7. आंकड़ों का पूर्व निर्धारित उद्देश्य होना चाहिए-आंकड़ों को पहले निश्चित उद्देश्य के लिए ही एकत्रित करना चाहिए। यदि हम किसी देश को विकसित अथवा अल्पविकसित सिद्ध करना चाहते हैं तो दुनिया के विभिन्न राष्ट्रों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना द्वारा इसको सिद्ध किया जा सकता है।
8. सांख्यिकी के आंकड़े एक-दूसरे से सम्बन्धित होने चाहिए-सांख्यिकी की एक विशेषता यह है कि जिन आंकड़ों को हम एकत्रित करते हैं, वह एक-दूसरे से सम्बन्धित हों अर्थात् उनमें तुलना की जा सके।
प्रश्न 2.
सांख्यिकी की एकवचन के रूप में परिभाषा दो।(Define Statistics in the singular sense.)
अथवा
सांख्यिकी की सांख्यिकी विधियों के रूप में परिभाषा को स्पष्ट कीजिए। (Explain Statistics in the form of statistical method.)
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने सांख्यिकी को एकवचन के रूप में स्पष्ट करने का प्रयत्न किया है। इसलिए आंकड़ा शास्त्र को सांख्यिकी विधियों का शास्त्र अथवा सांख्यिकी विज्ञान कहा जाता है। इस सम्बन्ध में प्रो० क्राक्स्टन तथा काउडेन ने सांख्यिकी की परिभाषा को उचित रूप में स्पष्ट किया है। उनके अनुसार, “सांख्यिकी को संख्यात्मक आंकड़ों का संग्रहण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा व्याख्या से सम्बन्धित विज्ञान कहा जा सकता है।” (“Statistics may be defined as the collection, presentation, analysis and Interpretation of Numerical data.”- Croxton and Cowden)
आधुनिक परिभाषाओं के अनुसार सांख्यिकी वह विज्ञान है, जिसमें पाँच विधियों का अध्ययन किया जाता है।
1. आंकड़ों के एकत्रित करना-सांख्यिकी में प्रथम कार्य आंकड़ों को एकत्रित करना होता है। सांख्यिकी में यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण भाग माना जाता है, क्योंकि परिणामों का ठीक होना इस बात पर निर्भर करता है कि आंकड़े कितने सही एकत्रित किए गए हैं।
2. आंकड़ों की व्यवस्था-सांख्यिकी में आंकड़ों को एकत्रित करने के पश्चात् इन आंकड़ों का संगठन करना महत्त्वपूर्ण होता है। इसलिए आंकड़ों का वर्गीकरण किया जाता है। वर्गीकरण के साथ केवल अनिवार्य आंकड़े रखे जाते हैं तथा गैर अनिवार्य आंकड़ों को छोड़ दिया जाता है।
3. आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण-आंकड़ों को क्रम देने के पश्चात् उनके प्रदर्शन की विधि को अपनाया जाता है। आंकड़ों को सरल, संक्षेप तथा सुन्दर रूप देने के लिए सारणियों (Tables) द्वारा अथवा चित्रों (Diagrams) द्वारा तथा रेखाचित्रों (Graphs) द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस विधि में हम उन ढंगों का अध्ययन करते हैं, जिनके द्वारा सारणियों, चित्र तथा रेखाचित्र बनाए जाते हैं।
4. आंकड़ों का विश्लेषण-आंकड़ों का विश्लेषण सांख्यिकी विधियों की सहायता से किया जाता है। सांख्यिकी में आंकड़ों के विश्लेषण के लिए बहुत-से ढंग बताए गए हैं, जैसे कि प्राकृतिक प्रवृत्तियाँ, अपकिरण के माप, विचलन का माप, सह-सम्बन्ध, सूचकांक इत्यादि बहुत-सी विधियां होती हैं, जिनके द्वारा आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है।
5. आंकड़ों की व्याख्या-सांख्यिकी की यह अंतिम विधि है, इसमें हम आंकड़ों के विश्लेषण की सहायता से परिणाम निकालते हैं। इस प्रकार आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने सांख्यिकी को एक विज्ञान कहा है, जिसमें हम सांख्यिकी विधियों का अध्ययन करते हैं।
प्रश्न 3.
सांख्यिकी के क्षेत्र को स्पष्ट करो। (Explain the Scope of Statistics.)
उत्तर-
सांख्यिकी का क्षेत्र बहुत विशाल है। शायद ही कोई ऐसा शुद्ध विज्ञान अथवा समाज है, जहां पर सांख्यिकी का प्रयोग नहीं किया जाता। सांख्यिकी का प्रयोग बहुवचन के रूप में नहीं, बल्कि एकवचन के रूप में किया जाता है। सांख्यिकी के क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
1. सांख्यिकी का स्वरूप-सांख्यिकी के स्वरूप में हम इन बातों का अध्ययन करते हैं कि सांख्यिकी एक विज्ञान (science) है अथवा कला (art) है। सांख्यिकी एक विज्ञान भी है अथवा कला भी है। विज्ञान के रूप में सांख्यिकी के विषय-सामग्री का क्रमानुसार अध्ययन किया जाता है। इसके नियमों में कारण तथा परिणामों का सम्बन्ध होता है। परिणामों की परख की जा सकती है। यह सभी विशेषताएं सांख्यिकी में होने के कारण यह एक विज्ञान है।
सांख्यिकी कला भी है, क्योंकि वास्तविक समस्याओं का हल करने के लिए आंकड़ों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए यह मजबूरन रोशनी ही प्रदान नहीं करता, बल्कि फल भी देती है। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसको सांख्यिकी विधियों (Statistical Methods) का अध्ययन करते हैं।
2. सांख्यिकी की विषय-सामग्री-सांख्यिकी की विषय-सामग्री को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है
(i) वर्णात्मक सांख्यिकी-वर्णात्मक सांख्यिकी से अभिप्राय उन विधियों से होता है, जिन द्वारा आंकड़ों का संग्रहण (collection)- प्रस्तुतीकरण (presentation) तथा विश्लेषण (analysis) करना होता है। विधियों में औसत (averages) का माप, अपकिरण का माप (disperion), विषमता का माप (skewness) इत्यादि को शामिल किया जाता है। संक्षेप रूप में हम कह सकते हैं कि वर्णात्मक सांख्यिकी एक कच्चे माल जैसा है, जिनके आधार पर परिणाम निकाले जाते हैं। यदि आप 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों की औसत आय का माप करते हैं तो एक वर्णात्मक सांख्यिकी है।
(ii) आगमन सांख्यिकी-आगमन सांख्यिकी से अभिप्राय है कि सैंपल को आधार बनाकर जो परिणाम प्राप्त किए जाते हैं, वह परिणाम समुच्चय (Universe) पर लागू किए जा सकते हैं। समुच्चय का अर्थ है कि वह परिणाम औसतन उचित लागू होते हैं।
3. सांख्यिकी की सीमाएं-सांख्यिकी एक महत्त्वपूर्ण विज्ञान है, जोकि वास्तविक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है, परन्तु इसकी कुछ सीमाएं ऐसी हैं, जिनको दूर नहीं किया जा सकता। इसकी कुछ महत्त्वपूर्ण सीमाएं निम्नलिखित अनुसार हैं –
- सांख्यिकी व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन नहीं करता-आंकड़ा शास्त्र की महत्त्वपूर्ण कमी यह है कि इसमें समुच्चयों का अध्ययन किया जाता है तथा व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन नहीं किया जाता। उदाहरणस्वरूप मान लो चार व्यक्तियों A, B, C तथा D की आय क्रमवार 10,000, 9000, 8000 तथा 1000 रु० मासिक है। औसत आय 10,000 + 9,000 + 8,000 + 1,000 = 28,000 : 4 = 7,000 रु० मासिक होगी। परन्तु औसत आय D मनुष्य की आय का प्रकटीकरण नहीं करती।
- सांख्यिकी संख्यात्मक इकाइयों का अध्ययन करता है-इस विज्ञान में गुणात्मक तत्त्वों जैसे कि ईमानदारी, सुन्दरता, दोस्ती, बहादुरी इत्यादि का अध्ययन नहीं किया जाता। यह केवल संख्यात्मक इकाइयों का अध्ययन करता है।
- केवल औसतों का अध्ययन-सांख्यिकी के परिणाम सर्वव्यापक तथा शत-प्रतिशत ठीक नहीं होते। यह तो औसत रूप में लागू होने वाले परिणामों का अध्ययन करता है। जब हम कहते हैं कि जापानी लोगों में देश प्रेम तथा कुर्बानी की भावना होती है तो यह अनिवार्य नहीं कि प्रत्येक जापानी में यह गुण पाए जाएं।
- एक समान आंकड़ों का अध्ययन-प्रो० बाउले के अनुसार, सांख्यिकी की एक कमी यह है कि इसमें एक समान तथा एकरूप के आंकड़ों का अध्ययन किया जाता है। विभिन्न गुणों के आंकड़ों का अध्ययन सम्भव नहीं होता।
5. सांख्यिकी का गलत प्रयोग-सांख्यिकी का गलत प्रयोग किया जा सकता है। सांख्यिकी के आंकड़ों द्वारा झूठ को भी सच सिद्ध किया जा सकता है। इसलिए यह ठीक कहा गया है, “कुछ झूठ होते हैं, कुछ अति के झूठ तथा कुछ अत्यन्त झूठ सांख्यिकी हैं।” (“There are lies, damn lies and statistics.”)
6. केवल माहिरों द्वारा प्रयोग-सांख्यिकी एक विशेष प्रकार का शास्त्र है। इसका प्रयोग साधारण मनुष्यों द्वारा नहीं किया जा सकता। जिन मनुष्यों को सांख्यिकी का पूर्ण ज्ञान होता है, केवल उन माहिरों द्वारा ही सांख्यिकी का प्रयोग किया जा सकता है। प्रो० डबल्यू० आई० किंग के शब्दों में, “सांख्यिकी गीली मिट्टी जैसी है, जिससे आप परमात्मा अथवा शैतान की तस्वीर अपनी इच्छानुसार बना सकते हो।” (“Statistics are like clay, of which you can make a God or a Devil, as you please.”_W.I. King),
प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र में सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट करें। (Explain the Importance of statistics in the Economics.)
उत्तर-
सांख्यिकी के महत्त्व को अर्थशास्त्र के क्षेत्र के लिए स्पष्ट करते हुए प्रो० मार्शल ने कहा था, “सांख्यिकी कच्ची मिट्टी जैसी है, जिससे मैं भी, दूसरे अर्थशास्त्रियों की तरह ईंटें बनाता हूँ।” (“Statistics are like the straw out of which I, like every economist have to make bricks” -Marshall) अर्थशास्त्र के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। अर्थशास्त्र में सांख्यिकी के महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है –
1. आर्थिक तुलना-सांख्यिकी की सहायता से आर्थिक तुलना सम्भव होती है। आर्थिक तुलना दो प्रकार से की जाती है-
- अन्तर-क्षेत्रीय तुलना-इससे अभिप्राय देश के विभिन्न क्षेत्रों में तुलना करने से होता है।
- समय अनुसार तुलना-समय अनुसार तुलना का अर्थ समय के आधार पर तुलना करना, जैसे कि 1951 में भारत की जनसंख्या 36 करोड़ थी, जोकि 2001 में 102.7 करोड़ हो गई है।
2. आर्थिक सम्बन्धों का अध्ययन-सांख्यिकी में आर्थिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। जैसे कि वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती है तो उस वस्तु की मांग कम हो जाती है। इस तरह के सम्बन्ध को सांख्यिकी की सहायता से स्पष्ट किया जाता है।
3. आर्थिक भविष्यवाणियां-सांख्यिकी द्वारा आर्थिक भविष्यवाणियां की जा सकती हैं। सांख्यिकी की सहायता से हम अनुमान लगा सकते हैं कि भारत की जनसंख्या आज से 20 वर्ष पश्चात् कितनी होगी।
4. आर्थिक सिद्धान्तों का निर्माण-अर्थशास्त्र में आर्थिक सिद्धान्तों का निर्माण किया जाता है। उस उद्देश्य के लिए सांख्यिकी आंकड़ों के आधार पर सांख्यिकी सम्बन्धों को स्पष्ट किया जाता है, जिससे आर्थिक परिणाम प्राप्त किए जाते हैं।
5. नीतियों का निर्माण–सांख्यिकी की सहायता से देश में आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है, जैसे कि प्रत्येक वर्ष देश का बजट बनाया जाता है।
6. आर्थिक सन्तुलन-सांख्यिकी की सहायता से आर्थिक सन्तुलन प्राप्त किया जाता है। उदाहरणस्वरूप प्रत्येक उपभोगी अपनी आय से अधिक-से-अधिक सन्तुष्टि प्राप्त करना चाहता है। जब वह अपने पैसे इस ढंग से खर्च करता है कि उसको प्रत्येक वस्तु से प्राप्त होने वाला सीमान्त तुष्टिगुण समान मिलता है तो उसकी सन्तुष्टि अधिकतम होती है। सीमान्त तुष्टिगुण को समान करने के लिए सांख्यिकी के समंकों की आवश्यकता होती है।
7. आर्थिक नियोजन में महत्त्व-भारत के योजना आयोग अनुसार देश के आर्थिक विकास के लिए नियोजन सांख्यिकी के अधिकतम प्रयोग पर निर्भर करता है। (“Planning for the Economic Development of the Country depends on the maximum use of statistics’’-Planning Commissions). एक देश का आर्थिक नियोजन सांख्यिकी के समंकों की सहायता से बनाया जाता है।
8. व्यापार के लिए लाभदायक-एक सफल व्यापारी वह होता है, जोकि आंकड़ों सम्बन्धी शुद्ध जानकारी रखता है, यदि एक व्यापारी आने वाले समय के लिए मांग व पूर्ति का अनुमान लगाता है तो उसको व्यापार में वृद्धि होती है, इसलिए सांख्यिकी व्यापारियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण होती है।
प्रश्न 5.
सांख्यिकी के अविश्वासी होने को स्पष्ट करें। इसके अविश्वास को दूर करने के उपाय भी बताओ। (Explain the Distrust of Statistics. Discuss the Remedies to Remove distrust.)
अथवा
“सांख्यिकी गीली मिट्टी जैसे होती है, जिससे आप इच्छानुसार देवता अथवा शैतान बना सकते हो।” स्पष्ट कीजिए। (“Statistics are like clay of which you can make a God or Devil as you please.” Discuss.)
अथवा
झूठ तीन प्रकार के होते हैं, झूठ, महाझूठ तथा सांख्यिकी। यह झूठ इसी क्रम में घटिया भी होते हैं। स्पष्ट करो।
(There are three types of lies; Lies, Damn lies, and Statistics, wicked in the order of their naming. Discuss.)
उत्तर-
आंकड़ा शास्त्र एक ऐसा विषय है जिसमें आंकड़ों द्वारा समस्याओं को प्रकट किया जाता है। हम जानते हैं कि सांख्यिकी का अर्थ आंकड़ों को एकत्रित करना, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा व्याख्या से होता है, इसमें बहुत-से औज़ारों का प्रयोग किया जाता है ताकि समस्याओं को हल किया जा सके। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रत्येक शास्त्र में आंकड़ा शास्त्र की विधियां लाभदायक होती हैं, परन्तु आंकड़ों को पेश करने पर ही उनकी सच्चाई निर्भर करती है। एक अनुसन्धानकर्ता आंकड़ों को पेश करते समय निजी उद्देश्यों के लिए आंकड़ों का गलत प्रयोग कर सकता है।
साधारण तौर पर लोग आंकड़ों पर द्वारा विश्वास करते हैं। जिस कारण आंकड़ा शास्त्री कई बार झूठ को सच्च साबित करने में सफल हो जाते हैं। इसीलिए यह कहा जाता है कि, “झूठ तीन प्रकार के होते हैं-झूठ, महाझूठ तथा सांख्यिकी।” (“There are three kinds of lies, Damn lies, and statistics”) यह झूठ इसी क्रम में घटिया भी होते हैं। इसी तरह यह भी कहा जाता है, “आंकड़े प्रथम दर्जे के झूठ होते हैं” अथवा आंकड़े झूठ के तंतु होते हैं। यदि हम इन कथनों को देखते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि सांख्यिकी के सभी आंकड़े विश्वसनीय नहीं होते। यह तो अनुसन्धानकर्ता के अनुसन्धान पर निर्भर करता है कि किस प्रकार के आँकड़े एकत्रित करके प्रस्तुत किए जाते हैं।
यदि अनुसन्धानकर्ता गलत उद्देश्य की पूर्ति को मुख्य रखकर अनुसन्धान करता है तो उस अनुसन्धान के परिणाम गलत परिणाम प्रस्तुत करते हैं। परन्तु यदि उचित ढंग से आंकड़े एकत्रित करके विश्लेषण किया जाता है तो यह आंकड़े लाभदायक परिणाम भी प्रदान करते हैं। संख्याएं अपने आप में निष्कपट होती हैं। इन संख्याओं की प्रस्तुति पर निर्भर करेगा कि प्राप्त परिणाम भी सामाजिक विज्ञान के लिए लाभदायक है अथवा हानिकारक, इसीलिए यह ठीक कहा गया है, “आंकड़े तो गीली मिट्टी जैसे होते हैं, जिससे आप देवता अथवा शैतान कुछ भी बना सकते हो।”
सांख्यिकी की अविश्वासी के मुख्य कारण (Reasons for Distrust of Statistics) सांख्यिकी के प्रति अविश्वास के मुख्य कारण निम्नलिखित अनुसार हैं –
- आंकड़े अशुद्ध तथा पक्षपाती हो सकते हैं।
- आंकड़ा शास्त्री, आंकड़ों से कुछ भी सिद्ध कर सकता है।
- ठीक आंकड़े भी गुमराह कर सकते हैं।
इसलिए आंकड़ों का प्रयोग करते समय सावधानी से काम लेना चाहिए। प्रो० डब्लयू० आई० किंग के अनुसार, “सांख्यिकी विज्ञान एक बहुत ही लाभदायक सेवक होता है। परन्तु इसका मूल्य उनके लिए अधिक है जोकि इसका उचित प्रयोग करते हैं।” (“The Science of statistics is the most useful servant, but only of great value for those who understand its proper use.”-W. I. King)
अविश्वास दूर करने के सुझाव (Measures to Remove Distrust) सांख्यिकी के अविश्वास को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जाते हैं-
- विशेषज्ञों द्वारा प्रयोग-सांख्यिकी एक ऐसा विषय है जो केवल विशेषज्ञों द्वारा ही प्रयोग किया जा सकता है। इस स्थिति में निपुण व्यक्ति ही इसके विश्वसनीय परिणाम निकाल सकता है।
- पक्षपात का अभाव-आंकड़े पक्षपात रहित होने चाहिए। पक्षपात द्वारा एकत्रित किए आंकड़ों से उचित परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते।
- सीमाओं की ओर ध्यान-सांख्यिकी का प्रयोग करते समय सांख्यिकी की सीमाओं को ध्यान में रखना चाहिए।