Punjab State Board PSEB 8th Class Physical Education Book Solutions Chapter 1 प्राथमिक सहायता Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Physical Education Chapter 1 प्राथमिक सहायता
PSEB 8th Class Physical Education Guide प्राथमिक सहायता Textbook Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता किसे कहते हैं ?
उत्तर–
प्राथमिक सहायता से भाव उस सहायता से है जो किसी रोगी या ज़ख्मी व्यक्ति को अचानक चोट लगने या दुर्घटना के तुरन्त बाद डॉक्टर के आने से पहले या अस्पताल पहुंचाने से पहले दी जाती है। इसे ही प्राथमिक सहायता कहा जाता है।
प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता के कौन-से उद्देश्य हैं ?
उत्तर-
- रोगी को समीप के अस्पताल पहुँचाना या डॉक्टर के पास ले जाना।
- रोगी की हालत को सुधारना।
- रोगी की हालत को बिगड़ने से बचाना।
- रोगी की जिंदगी को बचाना।
प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता बॉक्स (First Aid Box) में कौन-कौन सा सामान होना चाहिए?
उत्तर–
प्राथमिक सहायता प्रदान करने के लिए प्राथमिक सहायता बॉक्स में निम्नलिखित सामान होना चाहिए
- तिकोनियां, गोल पट्टियां तथा गर्म पट्टियां ।
- भिन्न-भिन्न प्रकार की पट्टियां।
- थर्मामीटर, चिमटी, कैंची, टॉर्च तथा सेफ्टी पिन्ज आदि।
- ओ०आर० एस० (ORS) के पैकेट।
- लीकोपोर या एडहैसिव टेप (Anticeptic Tap/Adhesive Tap)
- एक साफ़ रूई का पैकेट।
- साँस ठीक करने के लिए इन्हेलर।
- भिन्न-भिन्न प्रकार के कीटाणु रहित फाहे या रूई के फाहे।
- दवाई को मापने हेतु गिलास या बेकेलाइट गिलास।
- एन्टीसेप्टिक तथा कीटाणु नाशक : स्पिरिट, बीटाडिन, बोरिक एसिड, साबुन, बरनोल, टिचर, आयोडीन तथा डिसेल आदि दवाइयां (स्पिरिट या क्रीम)।
प्रश्न 4.
प्राथमिक सहायता के नियम लिखिए।
उत्तर-
प्राथमिक सहायता से भाव उस सहायता से है जो किसी रोगी या ज़ख्मी व्यक्ति को अचानक चोट लगने या दुर्घटना के तुरन्त बाद डॉक्टर के आने से पहले या अस्पताल पहुंचाने से पहले दी जाती है। इसे ही प्राथमिक सहायता कहा जाता है।
प्राथमिक सहायता के नियम -वर्तमान काल में किसी भी व्यक्ति का जीवन सुरक्षित नहीं है,क्योंकि हर रोज़ कोई-न-कोई घटनाएं होती रहती हैं। इनसे बचने के लिए हमें प्राथमिक सहायता का ज्ञान अथवा नियमों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। इसके मुख्य नियम इस प्रकार हैं-
- सबसे पहले घायल व्यक्ति के शरीर पर लगे घावों में से खतरनाक चोट का इलाज करना चाहिए।
- बहते खून को बन्द करना चाहिए।
- यदि रोगी बेहोश हो या उसका सांस तक रुक गया हो तो उसे बनावटी सांस देनी चाहिए।
- यदि कोई दुर्घटना हुई हो तो शीघ्र आवश्यकतानुसार तुरन्त चिकित्सा शुरू कर देनी चाहिए।
- रोगी की दशा खराब नहीं होने देनी चाहिए।
- रोगी को अन्तिम क्षणों तक बचाने की कोशिश जारी रखनी चाहिए।
- रोगी के चारों ओर भीड़ इकट्ठी नहीं होने देनी चाहिए।
- रोगी को आरामदेह स्थिति में रखो।
- रोगी का साहस बढ़ाते रहना चाहिए।
- रोगी को आघात से बचाना चाहिए।
- रोगी को पूर्णत: गर्म रखो, चाय या दूध आदि पीने के लिए दो।
- प्राथमिक सहायता देते समय कोई हिचक या संकोच नहीं करना चाहिए।
- आवश्यकतानुसार रोगी के शरीर के कपड़े उतार देने चाहिए।
- रोगी को प्राथमिक सहायता देते समय बहुत ही धैर्य, सहानुभूति और मृदु भाषा से काम लेना चाहिए।
- प्राथमिक सहायता देने के बाद रोगी को किसी योग्य डॉक्टर के पास अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए।
प्रश्न 5.
प्राथमिक सहायक किसे कहा जाता है?
उत्तर-
जिस व्यक्ति ने किसी अधिकारिक संस्था से प्राथमिक सहायता की शिक्षा प्राप्त करके टैस्ट पास किया हो, उसे प्राथमिक सहायक कहा जाता है।
प्रश्न 6.
प्राथमिक सहायक के गुण लिखिए।
उत्तर-
प्राथमिक सहायक का गुण (Qualities of First Aider)—प्राथमिक सहायक में निम्नलिखित गुण होने चाहिए
- प्राथमिक सहायक बहुत ही समझदार और होशियार होना चाहिए, जिसको दूसरों की सेवा करने उपरान्त शान्ति मिले और अपना काम फर्ज़ समझकर करें।
- प्राथमिक सहायक बड़ा चुस्त होना चाहिए जो कि रोगी को लगी चोट आदि को समझने की योग्यता रखता हो।
- प्राथमिक सहायता योजनाबद्ध होनी चाहिए।
- वह बहुत फुर्तीला होना चाहिए।
- उसका व्यवहार हमदर्दी वाला होना चाहिए। वह सहनशील, लगनशील और त्याग की भावना रखता हो।
- वह स्पष्ट व्यक्ति होना चाहिए ताकि आस-पास के लोगों को समझा सके।
- उसे तुरन्त निर्णय लेने में सक्षम होना चाहिए ताकि यह जान सके कि अनेक चोटों से सबसे पहले किसकी देखभाल ज़रूरी है।
- प्राथमिक सहायक दृढ़ संकल्प वाला होना चाहिए।
- वह स्वाभिमानी होना चाहिए।
- उसमें इतना धैर्य व सामर्थ्य होनी चाहिए कि वह रोगी या दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अन्तिम क्षणों तक सहायता दे सकता हो।
- प्राथमिक सहायक उत्साही और साहसी होना चाहिए।
- उसका व्यवहार अच्छा होना चाहिए।
- प्राथमिक सहायक स्वस्थ तथा दृढ़ निश्चय वाला होना चाहिए।
- प्राथमिक सहायक को प्राथमिक सहायता की पूरी तथा अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
- उसे बिना किसी भय या लालच के सहायता करनी चाहिए।
प्रश्न 7.
सी०पी०आर० (C.P.R.) के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
C-Cardio (सी-कार्डिओ) P_Pulmonary (पी-पलमोनरी) R-Resuscitation (आर-रिसेसीटेशन)
जब रोगी की नब्ज तथा श्वास क्रिया महसूस न हो, उसकी आंखों की हिलजुल बंद हो जाए तथा रोगी बेहोश हो जाए, तो उसके दिल तथा फेफड़ों को पुनः चलाने के लिए सी०पी०आर० किया जाए। सी०पी०आर० करते समय रोगी के दिल पर अपनी हथेलियां रखें उससे लगभग तीस बार दबाएं। फिर दो बार मुंह पर मुंह रखकर अपना सांस उसके मुंह में डालें। जब तक रोगी की नब्ज महसूस न हो मुँह से सांस देते रहें। यदि ठीक समय पर सी०पी०आर० किया जाए तो रोगी की जान बच सकती है।
सी०पी०आर० कब करनी चाहिए?
- जब रोगी बेहोश हो।
- जब रोगी की आंखों में हल-चल बंद हो।
- जब रोगी की नब्ज न हिलती हो।
- जब रोगी की धड़कन न सुनाई दे।
सी०पी०आर० कब नहीं करनी चाहिए?
- जब रोगी की सांस कठिनाई से आ रही हो।
- जब रोगी को दिल का दौरा पड़ा हो।
प्रश्न 8.
मुँह से मुँह द्वारा बनावटी साँस देने के ढंग के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर–
बनावटी सांस कैसे दिया जाता है-जब रोगी के रुके हुए सांस को चलाने के लिए बनावटी सांस देना हो, तो उसे बनावटी सांस कहा जाता है।
मुँह से मुँह द्वारा बनावटी साँस देने के ढंग-रोगी के मुँह में कोई रुकावट हो, सबसे पहले प्राथमिक सहायता देने वाले को उस रुकावट से दूर कर देना चाहिए। फिर पीड़ित का नाक बंद करके अपने मुँह से हवा भरें और रोगी के मुँह पर अपना मुँह रख कर ज़ोर से अपना साँस उसके मुँह में भर दें।
जब सहायता देने वाले का साँस रोगी के अंदर जाएगा तो रोगी की छाती में वायु भर जाएगी और फूल जाएगी।
प्राथमिक सहायता देने वाला यह क्रिया 12 से 16 बार करे अथवा जब तक पीड़ित का श्वास आना शुरू न हो जाए।
प्रश्न 9.
शैफ़र विधि द्वारा बनावटी श्वास कैसे दिया जाता है ? वर्णन करो।
उत्तर-
शैफ़र विधि-
1. रोगी की स्थिति-रोगी को भूमि पर मुंह के बल इस प्रकार लिटाना चाहिए कि उसकी बाहें सिर से ऊपर और हथेलियां भूमि की ओर हों।
उसका सिर एक ओर मोड़ कर फुर्ती के साथ उसके कपड़े ढीले कर दो। यदि रोगी पीठ के भार लेटा हो तो उसे उल्टा करके मुंह के बल लिटा दो। ऐसा करने के लिए उसकी बाहों को उसके शरीर से हटा दो। उसकी दूर वाली टांग नज़दीक वाली टांग के ऊपर ले आओ। उसके चेहरे को बचाते हुए उसे इस प्रकार लिटाओ कि वह मुंह के बल हो जाए।
2. प्राथमिक सहायक की स्थिति-प्राथमिक सहायक को रोगी की कमर के एक ओर थोड़ा नीचे घुटनों के बल अपनी एड़ियां थोड़ा पीछे हटा कर बैठना चाहिए।बैठे हुए उसका मुंह रोगी के सिर की ओर होना चाहिए। इसके बाद उसे अपने हाथों को रोगी की कमर पर इस प्रकार रखना चाहिए कि एक हाथ रीढ़ की हड्डी पर और दूसरा हाथ दूसरी ओर हो। अंगूठे और टखने मिले हुए हों और अंगुलियां भूमि की ओर हों। दोनों बाहें सीधी हों।
3. बनावटी सांस देने की क्रिया-प्राथमिक सहायक धीरे-धी रे आगे की ओर सरकते हुए अपने शरीर के भार को रोगी की कमर पर डालें। ऐसा करने से रोगी के पेट के अंग भूमि से उसका मध्य पेट या डायाफ्राम की ओर दब जायेगा। इस प्रकार से फेफड़ों से हवा निकल जायेगी। इस क्रिया में दो सैकिंड का समय लगना चाहिए। दो मिनट भार डालने के बाद रोगी की कमर से अपना भार हटा दो। अब धीरे-धीरे प्राथमिक सहायक अपनी एड़ियों पर आ जाए। इस प्रकार पेट के अंग पीछे हट जायेंगे और डायाफ्राम गिर जायेगा तथा फेफड़ों में हवा भी जाएगी। इस क्रिया में तीन सैकिंड लगने चाहिए। दोनों क्रियाओं में कुल पांच सैकिंड का समय लगना चाहिए और यह एक मिनट में 12 बार क्रिया होनी चाहिए।
यह बनावटी सांस देने की क्रिया उस समय तक जारी रखनी चाहिए जब तक रोगी की श्वास-प्रक्रिया शुरू नहीं हो जाती।
Physical Education Guide for Class 8 PSEB प्राथमिक सहायता Important Questions and Answers
बहु विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता के उद्देश्य लिखें
(क) मरीज को नज़दीक अस्पताल लेकर जाना
(ख) रोगी की हालत सुधारना
(ग) हालत बिगड़ने न देना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 2.
प्राथमिक सहायता के बॉक्स में सामान आवश्यक है –
(क) थर्मामीटर
(ख) कैंची
(ग) चिमटी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायता के नियम हैं
(क) रक्त को बहने से रोकना
(ख) बेहोश रोगी को बनावटी श्वास देना
(ग) रोगी की हालत में सुधार लाना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 4.
प्राथमिक सहायता के गुण हैं
(क) प्राथमिक सहायता करने वाला सूझवान और होशियार होना चाहिए
(ख) उसे योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए
(ग) वह अपने कार्य में निपुण होना चाहिए
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 5.
C.P.R. है –
(क) कार्डिओ
(ख) पलमोनरी
(ग) रिसेसीटेशन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 6.
C.P.R. कब देनी चाहिए ?
(क) जब रोगी की नब्ज न चलती हो
(ख) रोगी की दिल की धड़कन बंद हो
(ग) रोगी की आँखों में हलचल न हो
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।
बहुत छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो आप क्या करोगे ?
उत्तर-
रोगी का बुखार कम करने के लिए उपाय किया जाएगा और डॉक्टर को दिखाया जाएगा।
प्रश्न 2.
ज़हरीले जानवर के काटने से शरीर में क्या फैलने का डर रहता है ?
उत्तर-
ज़हर फैलने का।
प्रश्न 3.
प्राथमिक सहायक का व्यवहार कैसा होना चाहिए ?
उत्तर–
प्राथमिक सहायक का व्यवहार मीठा, नम्रता भरा और हमदर्दी भरा होना चाहिए।
प्रश्न 4.
जली हुई जगह का रंग कैसा हो जाता है ?
उत्तर-
जली हुई जगह का रंग बदसूरत लाल हो जाता है।
प्रश्न 5.
डॉक्टर के पहुंचने से पहले रोगी या घायल व्यक्ति को दी जाने वाली सहायता को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
प्राथमिक सहायता।
प्रश्न 6.
प्राथमिक सहायता का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर-
रोगी या घायल की जान बचाना।
प्रश्न 7.
प्राथमिक सहायक (First Aider) को डॉक्टरी सहायता मिलने तक क्या करते रहना चाहिए ?
उत्तर-
रोगी की देखभाल।
प्रश्न 8.
साँप द्वारा डसे स्थान को किससे धोना चाहिए ?
उत्तर-
पानी और पोटाशियम के मिश्रण से।
प्रश्न 9.
सांप द्वारा डसे हुए स्थान पर चाकू या ब्लेड से कैसा कटाव करना चाहिए ?
उत्तर-
1″ लम्बा और = ” गहरा।
प्रश्न 10.
कटाव करने के लिए चाकू या ब्लेड कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
रोगाणु मुक्त।
प्रश्न 11.
किसी पागल कुत्ते के काटने से व्यक्ति की क्या दशा हो सकती है ?
उत्तर-
व्यक्ति की मृत्यु।
प्रश्न 12.
प्रारम्भिक सहायक में पहला गुण क्या होना चाहिए ?
उत्तर-
चुस्ती एवं फुर्ती।
प्रश्न 13.
रोगी के बेहोश होने पर श्वास बन्द होने पर क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
बनावटी साँस देना चाहिए।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राथमिक सहायता से क्या भाव है ?
उत्तर–
प्राथमिक सहायता से भाव उस सहायता से है, जो किसी रोगी द्वारा बीमार, बेहोश व्यक्ति या दुर्घटना के समय डॉक्टर के आने से पहले व्यक्ति को दी जाए।
प्रश्न 2.
पागल कुत्ते के काटने से जहर शरीर में किस तरह फैलता है?
उत्तर-
पागल कुत्ते के काटने से कुत्ते का जहर काटी हुई जगह पर नाड़ियों द्वारा नाड़ी तंत्र में पहुंच जाता है। वहां जहर दिमाग में दाखिल हो जाता है। यह जहर कुत्ते की लार में होता है। जख्म या खरोंच के साथ जहर व्यक्ति के सारे शरीर में फैल जाता है।
प्रश्न 3.
पागल कुत्ते के काटने से जो डॉक्टरी सहायता तुरंत न दी जा सके तो क्या करना चाहिए?
उत्तर-
कई बार पागल कुत्ते के काटने से मरीज को तुरंत डॉक्टरी सहायता नहीं पहुंचाई जा सकती। इस हालत में रोगी के जख्म को जला देना चाहिए। ऐसे करने के लिए बंधन खोल देना चाहिए और किसी तरल कास्टिक कार्बनिक या शोरे का तेजाब जख्म ऊपर लगाएं। ऐसे करने से जहर खत्म हो जाएगा।
प्रश्न 4.
डंक लगने के चिह्न बताओ।
उत्तर-
किसी कीड़े आदि के डंक मारने पर डंक वाली जगह सूज जाती है। वहां दर्द महसूस होने लगता है और कई भयानक चिह्न पैदा हो जाते हैं।
प्रश्न 5.
जलने पर लक्षण बताओ।
उत्तर-
जलने के लक्षण-
- जली हुई जगह पर बहुत दर्द होती है।
- चमड़ी लाल हो जाती है और छाले पड़ जाते हैं।
- जले हुए अंग भद्दे लगते हैं।
- जलने के कारण कई बार सदमा भी लग जाता है।
प्रश्न 6.
लू लगने के पांच लक्षण लिखो।
उत्तर-
लू लगने के पांच लक्षण –
- रोगी बेहोश हो जाता है।
- रोगी की चमड़ी गर्म हो जाती है।
- रोगी के चेहरे का रंग नीला हो जाता है।
- रोगी को सांस लेने में कठिनाई आती है।
- रोगी की नब्ज़ तेज़ हो जाती है।