Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 14 भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक
SST Guide for Class 6 PSEB भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Textbook Questions and Answers
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें
प्रश्न 1.
सातवाहनों के प्रशासन के बारे में लिखें।
उत्तर-
सातवाहनों ने दक्कन में लगभग 300 वर्षों तक राज्य किया। इनका प्रशासन बहुत उत्तम था, जिस कारण राज्य में सुख-शान्ति तथा समृद्धि थी। इनके प्रशासन का वर्णन इस प्रकार है –
- राजा-सातवाहन साम्राज्य में राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। उसे धर्म का रक्षक तथा दैवी शक्तियों का मालिक माना जाता था। चाहे राजा निरंकुश था, फिर भी स्थानीय संस्थाओं को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त थी।
- अधिकारी-अमात्य तथा महामात्र आदि अधिकारी शासन चलाने में राजा की सहायता करते थे।
- प्रान्त-साम्राज्य प्रान्तों में बंटा हुआ था। प्रान्त का प्रशासन सेनापति द्वारा चलाया जाता था।
- जिले-प्रान्तों को जिलों में बांटा हुआ था। ज़िलों को अहारास कहा जाता था।
- गांवों का प्रशासन-गांवों का प्रशासन गांव के मुखिया द्वारा चलाया जाता था जो ‘गोलमिकास’ कहलाता था।
- न्याय तथा सेना-सातवाहनों की न्याय व्यवस्था कठोर थी। सेना में घोड़ों, पैदल सैनिकों, रथों, हाथियों तथा नौकाओं का प्रयोग किया जाता था।
- आय के साधन-सातवाहनों की आय का मुख्य साधन शायद भूमिकर था।
प्रश्न 2.
प्रथम महान् चोल शासक कौन था तथा उसकी प्राप्तियां कौन-सी थीं?
उत्तर-
प्रथम् महान् चोल शासक कारीकल था।
प्राप्तियां-
- कारीकल ने अपने पड़ोसी चेर तथा पांड्य राजाओं को बुरी तरह से हराया।
- उसने श्रीलंका पर आक्रमण किया।
- उसने जंगलों को साफ़ करके भूमि को कृषि योग्य बनाया और सिंचाई के लिए नहरों तथा तालाबों का प्रबन्ध किया।
- उसने बाढ़ों को रोकने के लिए कावेरी नदी पर बांध बनवाया।
प्रश्न 3.
200 ई० पू० से 300 ई० तक दक्षिण भारत के लोगों के जीवन बारे में लिखें।
उत्तर-
200 ई० पू० से 300 ई० तक दक्षिण भारत के लोगों का जीवन बहुत साधारण था। अधिकतर लोग किसान थे तथा गांवों में रहते थे।
- लेकिन शाही घराने के लोग तथा अमीर लोग शहरों के भीतरी भागों में रहते थे।
- बहुत-से व्यापारी तथा कारीगर समुद्री तटों के साथ लगते शहरों में बसे हए थे ताकि उन्हें व्यापार करने में आसानी रहे।
- लोग परिवार में मिल-जुल कर रहते थे। दिन भर काम करने के पश्चात् लोग अपना मनोरंजन करने के लिए संगीत, नृत्य, कविता-पाठ तथा जुआ आदि मनोरंजन के साधनों का प्रयोग करते थे।
- संगीत-यन्त्रों के रूप में वीणा, बांसुरी, तारों के तरंग वाले यन्त्रों तथा ढोल का प्रयोग किया जाता था। संगीत बहुत विकसित था। लोग रात तथा दिन के लिए अलगअलग राग बजाते-गाते थे।
- किसान, व्यापारी, पशु-पालक तथा कारीगर सरकार को टैक्स देते थे।
प्रश्न 4.
महापाषाण संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
दक्षिणी भारत में महापाषाण संस्कृति लगभग 1000 ई० पू० अस्तित्व में आई थी। इस भाग में वे लोग निवास करते थे, जिन्हें महापाषाण-निर्माता कहा जाता है। किसी विशाल पत्थर को महापाषाण कहते हैं। इस संस्कृति के लोग अपनी कब्रों को बड़े-बड़े पत्थरों के टुकड़ों से घेर देते थे। इसी कारण उनकी संस्कृति को महापाषाण संस्कृति का नाम दिया गया है।
महापाषाण संस्कृति की जानकारी हमें महाराष्ट्र में इनामगांव, तकलाघाट, म्यूरभाटी तथा दक्षिणी भारत में मास्की, कोपब्ल तथा ब्रह्मगिरि आदि स्थानों से मिले खण्डहरों से प्राप्त होती है। इन खण्डहरों से पता चलता है कि महापाषाण संस्कृति के लोग काले तथा लाल रंग के मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करते थे। इन बर्तनों में भिन्न-भिन्न प्रकार के मटके तथा अन्य बर्तन शामिल होते थे। कई बर्तन चाक पर बनाए जाते थे।
लोग कृषि तथा शिकार, दोनों प्रकार के व्यवसाय करते थे। कृषि का व्यवसाय काफ़ी उन्नत था, परन्तु अधिकतर लोग शिकार करना पसन्द करते थे।
प्रश्न 5.
महापाषाण संस्कृति के दफ़नाने के ढंग सम्बन्धी लिखें।
उत्तर-
महापाषाण संस्कृति के लोग मृतकों को दफनाने के लिए एक विशेष रिवाज का पालन करते थे। वे मृतकों को दफ़नाकर उनके चारों ओर बड़े-बड़े पत्थरों का एक घेरा बनाते थे। इसके अतिरिक्त वे लोग मृतकों के बर्तन, औज़ार तथा हथियार आदि उनके साथ ही दफ़ना देते थे। शायद उन लोगों को विश्वास था कि मृत्यु के पश्चात् मनुष्य दूसरे संसार में चला जाता है तथा उसे वहाँ भी अपनी वस्तुओं की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 6.
डिमिट्रियस तथा मिनेन्द्र कौन थे?
उत्तर-
1. डिमिट्रियस-डिमिट्रियस पहला हिन्द-यूनानी हमलावर था जिसने मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत पर हमला करके अफ़गानिस्तान, पंजाब तथा सिन्ध के एक बड़े भाग पर कब्जा कर लिया था। लेकिन डिमिट्रियस को मध्य एशिया के बलख प्रान्त से हाथ धोने पड़े थे क्योंकि वहां यूकेटाइस ने सफल विद्रोह किया था।
2. मिनेन्द्र-मिनेन्द्र हिन्द-यूनानियों का एक महान् शासक था। उसने बौद्ध धर्म अपना लिया था। बौद्ध साहित्य में यह मिलिन्द के नाम से प्रसिद्ध है। वह बहुत योग्य तथा वीर शासक था। उसने पुष्यमित्र शुंग के काल में भारत पर आक्रमण करके पंजाब (आधुनिक पाकिस्तान सहित) तथा कश्मीर के कुछ भागों पर अधिकार कर लिया।
प्रश्न 7.
शकों (सिथियन्ज) के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
सिथियन्ज़ अथवा शक अथवा मध्य एशिया के मूल निवासी थे। ये 200 ई० पू० के मध्य में भारत में आक्रमणकारी के रूप में आए थे तथा यहां ही स्थायी रूप में रहने लग पड़े। आरम्भ में इन लोगों की बस्तियां उत्तर-पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश में मथुरा तथा मध्य भारत में थीं। परन्तु बाद में पश्चिमी भारत का गुजरात तथा मध्य प्रदेश का उज्जैन क्षेत्र उनकी शक्ति के केन्द्र बन गए। रुद्रदमन प्रथम, सिथियन्ज़ वंश का बहुत प्रसिद्ध शासक था, जिसने 200 ई० में राज्य किया। चौथी शताब्दी के अन्त में गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य (चन्द्रगुप्त द्वितीय) ने सिथियन्ज़ को हरा कर उनके शासन का अन्त कर दिया।
प्रश्न 8.
कनिष्क पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था। उसने 78 ई० से 102 ई० तक शासन किया। वीरता की दृष्टि से उसकी तुलना समुद्रगुप्त के साथ की जाती है।
राज्य का विस्तार-कनिष्क के शासन काल में कुषाण राज्य का सबसे अधिक विस्तार हुआ। उसका राज्य बिहार तक फैला हुआ था, जिसमें मध्य भारत, गुजरात, सिन्ध, पंजाब, अफ़गानिस्तान तथा बलख शामिल थे। उसने चीनी सेनापति पान चाओ से भी युद्ध किया था।
बौद्ध धर्म तथा कनिष्क-बौद्ध धर्म के अनुयायी के रूप में कनिष्क की तुलना सम्राट अशोक से की जाती है। उसने बौद्ध धर्म के मठों तथा विहारों की मरम्मत करवाई तथा कई नवीन मठों तथा विहारों का निर्माण करवाया। उसने कश्मीर में बौद्ध धर्म के विद्वानों की एक सभा बुलाई थी, जिसे चतुर्थ बौद्ध सभा कहा जाता है। उसने अश्वघोष, नागार्जुन तथा वसुमित्र जैसे बौद्ध विद्वानों को आश्रय दिया।
कला-प्रेमी-कनिष्क एक महान् कला-प्रेमी था। उसके समय में महात्मा बुद्ध की अनेक सुन्दर मूर्तियां बनाई गईं। उसके काल में गंधार कला के अलावा मथुरा कला का भी विकास हुआ। उसने बहुत-से सोने-चांदी के सिक्के भी चलाए।
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
- गौतमीपुत्र शातकर्णी ने ……….. से ………….. तक राज्य किया।
- सातवाहनों ने नगरों तथा गाँवों को जोड़ने के लिए …………. बनवाई।
- सातवाहन शासक ………….. के अनुयायी थे।
- पाण्डेय राज्य की राजधानी …………. थी।
- पल्लव जिन्हें अंग्रेज़ी में ………….. कहते थे, ईरान से भारत आने वाला एक विदेशी कबीला था।
- कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा …………… था।
उत्तर-
- 106 ई०, 130
- सड़कें
- हिंदू धर्म
- मदुरै
- पार्थियन
- कनिष्क।
III. निम्नलिखित के ठीक जोड़े बनायें
- गौतमीपुत्र शातकर्णी का उत्तराधिकारी – (क) यज्ञश्री शातकर्णी
- सातवाहनों का अन्तिम महान् शासक – (ख) वशिष्ठीपुत्र पुलमावि
- काले तथा लाल बर्तन – (ग) कुम्हार का काम
- दरांती और कस्सी – (घ) कुषाण शासक
- मिनेन्द्र – (ङ) चीनी सेनापति
- कुजुल कैडफिसिज़ – (च) हिन्द-यूनानी आक्रमणकारी
- पान चाओ – (छ) बौद्ध विद्वान्
- अश्वघोष – (ज) औज़ार
उत्तर-
सही जोड़े
- गौतमीपुत्र शातकर्णी का उत्तराधिकारी – वशिष्ठीपुत्र पुलमावि
- सातवाहनों का अन्तिम महान् शासक – यज्ञश्री शतकर्णी
- काले तथा लाल बर्तन – कुम्हार का काम
- दरांती तथा कस्सी – औज़ार
- मिनेन्द्र – हिन्द-यूनानी आक्रमणकारी
- कुजुल कैडफिसिज़ – कुषाण शासक
- पान चाओ – चीनी सेनापति
- अश्वघोष – बौद्ध विद्वान्।
IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) बताएं
- दक्कन में पाण्डेय मौर्यों के प्रसिद्ध उत्तराधिकारी थे।
- गौतमीपुत्र शातकर्णी ने 106 ई० से 131 ई० तक राज्य किया।
- संगीत, नाच, कविता-उच्चारण तथा जुआ आदि मनोरंजन की प्रसिद्ध किस्में थीं।
- शकों को चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने पराजित नहीं किया था।
- गोडोफ़र्नीज़ एक सिथियन शासक था।
- कनिष्क ने चौथी बौद्ध-सभा बुलाई थी।
- हुविष्क एक पार्थियन शासक था।
उत्तर-
- (✓)
- (✗)
- (✓)
- (✗)
- (✗)
- (✓)
- (✗)
PSEB 6th Class Social Science Guide भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक Important Questions and Answers
कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
गौतमी पुत्र शातकर्णी दक्कन राजवंश का एक प्रसिद्ध शासक था। उस वंश का नाम बताएं।
उत्तर-
सातवाहन।
प्रश्न 2.
सातवाहन शासक हिन्दू धर्म के अनुयायी थे। परंतु उनका व्यापारी वर्ग . एक अन्य धर्म को मानता था। वह धर्म कौन-सा था?
उत्तर-
बौद्ध धर्म।
प्रश्न 3.
भारत का प्रसिद्ध यूनानी शासक मिनेंद्र बौद्ध साहित्य में किस नाम से प्रसिद्ध है? .
उत्तर-
सम्राट् मिलिन्द।
बहु-विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कुषाण शासक कनिष्क ने निम्न में से किस चीनी सेनापति से युद्ध किया?
(क) पान चाओ
(ख) चिन पिंग
(ग) पिंग चिन।
उत्तर-
(क) पान चाओ
प्रश्न 2.
गांधार कला शैली किन दो कला शैलियों का मिश्रण थी?
(क) यूनानी तथा ईरानी
(ख) यूनानी तथा भारतीय
(ग). मथुरा तथा द्रविड़।
उत्तर-
(ख) यूनानी तथा भारतीय
प्रश्न 3.
अश्वघोष एक प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान था। बताएं कि निम्न में से वह किस शासक का दरबारी था?
(क) हुविष्क
(ख) मिनेंद्र
(ग) कनिष्क।
उत्तर-
(ग) कनिष्क
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सातवाहन वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
सातवाहन वंश का संस्थापक सिमुक था।
प्रश्न 2.
गौतमीपुत्र शतकर्णी का राज्यकाल लिखें।
उत्तर–
गौतमीपुत्र शतकर्णी ने 106 ई० से 130 ई० तक राज्य किया।
प्रश्न 3.
चोल वंश का प्रथम राजा कौन था?
उत्तर-
चोल वंश का प्रथम राजा कारीकल था।
प्रश्न 4.
नेडूनचयशान किस वंश का प्रसिद्ध राजा था?
उत्तर-
पांड्य वंश का।
प्रश्न 5.
पल्लव शासक अंग्रेज़ी में किस नाम से जाने जाते हैं?
उत्तर-
पार्थियन।
प्रश्न 6.
क्षत्रप का क्या अर्थ है?
उत्तर-
शक जाति के कुछ लोग पल्लव राजाओं के अधीन प्रान्तों के मवर्नर बन गए थे। इन गवर्नरों को क्षत्रप कहा जाता था।
प्रश्न 7.
कुषाण वंश का संस्थापक कौन था?
उत्तर-
कुषाण वंश का संस्थापक कुजुल कैडफीसिज़ था।
प्रश्न 8.
कनिष्क की राजधानी का नाम बताएं।
उत्तर-
कनिष्क की राजधानी पुरुषपुर (वर्तमान पेशावर) थी।
प्रश्न 9.
कनिष्क किस बौद्ध विद्वान् के प्रभावाधीन बौद्ध धर्म का अनुयायी बना?
उत्तर-
कनिष्क बौद्ध विद्वान् अश्वघोष के प्रभावाधीन बौद्ध धर्म का अनुयायी बना।
प्रश्न 10.
कनिष्क ने कौन-सा नगर बसाया?
उत्तर-
कनिष्क ने बारामूला के निकट कनिष्कपुर नगर बसाया।
प्रश्न 11.
कनिष्क ने चौथी बौद्ध सभा का आयोजन कहां किया?
उत्तर-
कनिष्क ने चौथी बौद्ध सभा का आयोजन कश्मीर में किया।
प्रश्न 12.
अश्वघोष की पुस्तक का नाम बताएं।
उत्तर-
अश्वघोष की पुस्तक बुद्धचरित्रम् थी।
प्रश्न 13.
200 ई० पू० से 300 ई० तक भारत में कला की कौन-सी दो शैलियों का आरम्भ हुआ?
उत्तर-
गन्धार शैली तथा मथुरा शैली का आरम्भ हुआ।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
शक जाति के आक्रमण के बारे में बताएँ।
उत्तर-
शक जाति मध्य एशिया की रहने वाली थी। लगभग 165 ई० पूर्व में चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में रहने वाली यू-ची जाति ने शक जाति को मध्य एशिया से खदेड़ दिया। अत: शकों ने मध्य एशिया से निकलकर कई यूनानी प्रदेशों को विजित कर लिया। इन्होंने अपने छोटे-छोटे राज्य स्थापित कर लिए।
प्रश्न 2.
कनिष्क की दो विजयों के बारे में बताएं।
उत्तर-
कनिष्क की दो विजयों का वर्णन इस प्रकार है –
1. कश्मीर की विजय-कश्मीर की विजय कनिष्क की प्रसिद्ध विजय थी। वहां उसने कई नये नगरों की स्थापना की। वर्तमान बारामूला के निकट स्थित कनिष्कपुर इन नगरों में से एक था।
2. मगध से युद्ध-उसने मगध के शासक के साथ भी युद्ध किया। वहां से वह पाटलिपुत्र के प्रसिद्ध भिक्षु अश्वघोष को अपने साथ ले आया।
प्रश्न 3.
विदेशी आक्रमणों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरा-
विदेशी आक्रमणों के कारण भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ा।
- शक, हिन्द-यूनानी, पल्लव, कुषाण आदि अनेक विदेशी जातियों के लोग भारतीय समाज में शामिल हो गए। वे हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करने लगे।
- अनेक विदेशी लोगों ने भारतीयों के साथ विवाह सम्बन्ध स्थापित करके भारतीय संस्कृति को अपना लिया।
- कनिष्क आदि विदेशी राजाओं ने बौद्ध धर्म को अपनाया और इसका विदेशों में प्रचार करवाया।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सातवाहनों का इतिहास लिखें।
उत्तर-
सातवाहनों की जानकारी वैदिक साहित्य से भी मिलती है। सातवाहनों ने कृष्णा नदी तथा गोदावरी नदी के बीच का प्रदेश (आंध्र) जीत लिया। इसलिए सातवाहनों को आन्ध्र भी कहा जाता है। सातवाहन ब्राह्मण जाति के थे।
1. सिमुक तथा कृष्ण-सिमुक सातवाहन वंश का संस्थापक था। सिमुक के बाद उसका छोटा भाई कान्हा या कृष्ण राजगद्दी पर बैठा।
2. शातकर्णी प्रथम-शातकर्णी प्रथम कृष्ण का पुत्र था। वह एक महान् विजेता था। उसने मध्य भारत में मालवा तथा बरार को जीत लिया और हैदराबाद को भी अपने साम्राज्य में मिलाया। उसने अश्वमेध यज्ञ भी किया तथा कई उपाधियां धारण कीं। शातकर्णी के राज्य की सीमाएं सौराष्ट्र, मालवा, बरार, उत्तरी कोंकण, पूना तथा नासिक तक फैली हुई थीं।
3. गौतमीपुत्र शातकर्णी-गौतमीपुत्र शातकर्णी सातवाहनों का बहुत ही शक्तिशाली राजा था। उसने 106 ई० से 130 ई० तक राज्य किया। उसने शक, यूनानी तथा पार्थियन्ज़ जाति की विदेशी शक्तियों का मुकाबला किया।
4. यज्ञश्री शातकर्णी-यज्ञश्री शातकर्णी सातवाहनों का अन्तिम महान् राजा था। उसके समय में शक जाति के बार-बार हमलों के कारण सातवाहनों की शक्ति को भारी हानि पहुंची।
प्रश्न 2.
कनिष्क की प्रमुख विजयों के बारे में लिखें।
उत्तर-
कनिष्क कुषाण जाति का सबसे प्रसिद्ध राजा था। वह 78 ई० के लगभग राजगद्दी पर बैठा। उसने पुरुषपुर (पेशावर) को अपनी राजधानी बनाया। उसने अनेक प्रदेश जीते, जिनका वर्णन इस प्रकार है –
- शक क्षत्रपों पर विजय-उसने उज्जैन, मथुरा तथा पंजाब के शक क्षत्रपों को हराया तथा उनका राज्य अपने राज्य में मिला लिया।
- कश्मीर की जीत-कश्मीर कनिष्क की प्रसिद्ध विजय थी। वहां पर उसने कई नगरों की स्थापना की।
- मगध से युद्ध-उसने मगध के शासक के साथ भी युद्ध किया। वहां से वह पाटलिपुत्र के प्रसिद्ध भिक्षु अश्वघोष को अपने साथ ले आया।
- चीन की जीत-कनिष्क ने चीन पर दो बार आक्रमण किया। उसे दूसरी बार सफलता मिली। इस प्रकार उसे काश्गर, यारकन्द तथा खोतान प्रदेश चीन से मिल गए।
प्रश्न 3.
गंधार कला तथा मथुरा कला शैलियों के बारे लिखें।
उत्तर-
गंधार कला तथा मथुरा कला शैलियों का जन्म 200 ई० पूर्व से 300 ई० के बीच के समय में हुआ। इन शैलियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है –
1. गंधार कला-इस कला का जन्म गंधार में हुआ, इसलिए इसका नाम गंधार कला रखा गया। इस कला का विकास कुषाण युग में हुआ। इस कला में मूर्तियों का विषय भारतीय था जबकि मूर्तियां बनाने का ढंग यूनानी था। गंधार शैली में मुख्य रूप से महात्मा बुद्ध की मूर्तियां बनाई गई थीं। इन मूर्तियों में चेहरे के भावों को बहुत ही आकर्षक रूप से दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, बुद्ध की मूर्ति के चेहरे पर शान्त भावों को आसानी से पढ़ा जा सकता है।
2. मथुरा शैली-कनिष्क के समय मथुरा में कुछ भारतीय कलाकार रहते थे। उन्होंने एक नवीन कला शैली को जन्म दिया, जिसे मथुरा शैली कहते हैं। यह शुद्ध भारतीय कला थी। इस पर विदेशी कला का कोई प्रभाव नहीं था। इसमें अधिकतर मूर्तियां महात्मा बुद्ध की बनाई जाती थीं।
भारत 200 ई. पू. से 300 ई. तक PSEB 6th Class Social Science Notes
- दक्कन अथवा दक्षिणापथ – विंध्याचल पर्वत तथा नर्मदा नदी के दक्षिणी प्रदेश को ‘दक्कन’ कहा जाता था । प्राचीन काल में दक्कन को दक्षिणापथ के नाम से पुकारा जाता था।
- सातवाहन – दक्कन में मौर्य साम्राज्य के प्रसिद्ध उत्तराधिकारी सातवाहन थे।
- गौतमीपुत्र शातकर्णी तथा यज्ञश्री शातकर्णी – गौतमीपुत्र शातकर्णी सातवाहनों का प्रथम शासक तथा यज्ञश्री शातकर्णी अन्तिम शासक था।
- महापाषाण – विशाल पत्थर को महापाषाण कहते हैं।
- दक्षिणी भारत में महापाषाण संस्कृति का आरम्भ – दक्षिणी भारत में महापाषाण संस्कृति का आरम्भ लगभग 1000 ई० पू० में हुआ।
- चोल, पांड्य तथा चेर – चोल, पांड्य तथा चेर दक्षिणी भारत के प्रसिद्ध राज्य थे।
- दक्षिणी भारत के राज्यों के विदेशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध – दक्षिणी भारत के राज्यों के मिस्र, अरब, रोमन साम्राज्य, मलाया तथा चीन के साथ व्यापारिक सम्बन्ध थे।
- भारत में ईसाई धर्म के प्रसार के प्रारम्भिक केन्द्र – भारत में ईसाई धर्म के प्रसार के प्रारम्भिक केन्द्र मालाबार तट तथा चेन्नई थे।
- इण्डो-ग्रीक – भारत तथा सीमावर्ती प्रदेशों में सिकन्दर के गर्वनरों को इण्डो-ग्रीक नाम से जाना जाता था।
- शक, पल्लव तथा कुषाण – शक, पल्लव तथा कुषाण भारत में मध्य एशिया से आने वाले कबीले थे।
- कनिष्क – कनिष्क कषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा था।
- वसिष्क, हुविष्क तथा वासुदेव आदि – कनिष्क के पश्चात् शासन करने वाले राजा वसिष्क, हुविष्क तथा वासुदेव आदि थे।
- कुषाण राज्य का अन्त – कुषाण राज्य का अन्त 300 ई० में हुआ।