Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 8 नए राज्य एवं शासक Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 8 नए राज्य एवं शासक
SST Guide for Class 7 PSEB नए राज्य एवं शासक Textbook Questions and Answers
(क) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लिखें
प्रश्न 1.
मध्यकालीन युग दौरान जाति-प्रथा किस प्रकार की थी ?
उत्तर-
आरम्भिक मध्यकाल में जाति-प्रथा बहुत कठोर थी। समाज चार जातियों में बंटा हुआ था। ये जातियां थीं-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र। ब्राह्मण धार्मिक रस्में पूरी करते थे। इसलिए समाज में उनका बहुत आदर था। क्षत्रिय सैनिक तथा शासक बनते थे और युद्ध में भाग लेते थे। वैश्य व्यापार करते थे। परन्तु समाज में शूद्रों की दशा अच्छी नहीं थी। राजपूतों को अपनी ऊँची जाति पर बहुत मान था। वे अपनी पुत्रियों को विवाह निम्न कही जाने वाली जातियों में नहीं करते थे। समाज में स्त्रियों का आदर किया जाता था। उन्हें उच्च शिक्षा दिलाई जाती थी। वे सामाजिक तथा धार्मिक कार्यों में भाग लेती थीं। उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार अपना पति चुनने का अधिकार था। वे जौहर की रस्म करती थीं जो उनकी पवित्रता का प्रतीक थी।
प्रश्न 2.
त्रिपक्षीय संघर्ष किन तीन राजवंशों के बीच (मध्य) हुआ ?
उत्तर-
त्रिगुट संघर्ष से तात्पर्य उस संघर्ष से है जो राष्ट्रकूटों, प्रतिहारों तथा पालों के बीच कन्नौज पर अधिकार करने के लिए हुआ। कन्नौज उत्तरी भारत का प्रसिद्ध नगर था। उत्तरी भारत में इस नगर की स्थिति बहुत अच्छी थी। क्योंकि इस नगर पर अधिकार करने वाला शासक गंगा के मैदान पर अधिकार कर सकता था, इसलिए इस पर अधिकार करने के लिए कई लड़ाइयां लड़ी गईं। इस संघर्ष में राष्ट्रकूट, प्रतिहार तथा पाल नामक प्रमुख राजवंश भाग ले रहे थे। इन राजवंशों ने बारी-बारी से कन्नौज पर अधिकार किया। आधुनिक इतिहासकार इसी संघर्ष को त्रिगुट संघर्ष का नाम देते हैं।
प्रश्न 3.
किस काल को ‘राजपूत काल’ कहा जाता है ?
उत्तर-
हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात् भारत अनेक छोटे-बड़े राज्यों में बंट गया। इनमें से अधिकतर राज्यों पर राजपूतों का शासन था। राजपूत शासक आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे। अतः राजपूत राज्य समाप्त होते रहते थे और फिर से अस्तित्व में आते रहते थे। इस प्रकार 8वीं शताब्दी से लेकर 13वीं शताब्दी तक देश पर मुख्य रूप से राजपूतों का ही शासन रहा। इसलिए इस काल को राजपूत काल का नाम दिया जाता है।
प्रश्न 4.
महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण क्यों किया था ?
उत्तर-
महमूद गज़नवी (999-1030) गज़नी राज्य के शासक सुबुक्तगीन का पुत्र था। उसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया। इन आक्रमणों का मुख्य उद्देश्य भारत के धन को लूटना था।
प्रश्न 5.
मुहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण क्यों किया था ?
उत्तर-
मुहम्मद गौरी अफ़गानिस्तान के गौर (Ghor) वंश से सम्बन्ध रखता था। उसके राज्य में आधुनिक अफ़गानिस्तान के गज़नी और हरात के बीच के क्षेत्र शामिल थे। उसके भारत पर आक्रमणों का उद्देश्य केवल भारत के धन को लूटना ही नहीं था, वह भारत में मुस्लिम राज्य स्थापित करना चाहता था।
(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
- मिहिरभोज ……………. वंश का शक्तिशाली शासक था।
- देवपाल शासक ने बौद्ध गया में …………… मंदिर का निर्माण करवाया।
- राष्ट्रकूट शासक ………….. के शौकीन थे।
उत्तर-
- गुर्जर-प्रतिहार,
- महाबौद्धी,
- कला तथा साहित्य।
(ग) निम्नलिखित के सही जोड़े बनाएं :
(क) – (ख)
1. गुर्जर-प्रतिहार शासक – 1. बंगाल, बिहार एवं झारखंड
2. पाल शासक – 2. राजस्थान तथा गुजरात
3. राष्ट्रकूट शासक – 3. दक्षिण
उत्तर-
1. गुर्जर-प्रतिहार शासक – राजस्थान तथा गुजरात
2. पाल शासक – बंगाल, बिहार एवं झारखंड
3. राष्ट्रकूट शासक-दक्षिण
PSEB 7th Class Social Science Guide नए राज्य एवं शासक Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
आरम्भिक (पूर्व) मध्यकालीन युग के उत्तरी तथा दक्षिणी भारत के तीन-तीन राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
उत्तरी भारत के राज्य-प्रतिहार अथवा गुर्जर-प्रतिहार राज्य, पाल तथा राजपूत राज्य। दक्षिणी भारत के राज्य-पल्लव, पाण्डेय तथा चोल।
प्रश्न 2.
गुर्जर-प्रतिहार शासक कहां शासन करते थे ?
उत्तर-
गुर्जर-प्रतिहार शासक राजस्थान तथा गुजरात के कुछ भागों पर शासन करते थे।
प्रश्न 3.
गुर्जर-प्रतिहार वंश का सबसे शक्तिशाली शासक कौन था ? उसने कब से कब तक शासन किया ?
उत्तर-
गुर्जर-प्रतिहार वंश का सबसे शक्तिशाली शासक मिहिर भोज था। उसने 836 ई० से लेकर 885 ई0 तक शासन किया।
प्रश्न 4.
गुर्जर-प्रतिहार वंश का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर-
गुर्जर-प्रतिहार वंश के अन्तिम शासक राजपाल ने 1018-19 ई० में महमूद गज़नवी की अधीनता स्वीकार कर ली थी। इससे क्रोधित होकर राजपूतों ने उसकी हत्या कर दी, उसकी मृत्यु के साथ गुर्जर-प्रतिहार वंश का अंत हो गया।
प्रश्न 5.
गुर्जर-प्रतिहार शासक महेन्द्रपाल की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
महेन्द्रपाल मिहिर भोज का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था। उसने 885-910 ई० तक शासन किया। वह कला और साहित्य प्रेमी था।
प्रश्न 6.
पाल शासकों ने कहां पर शासन किया ? इस वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर–
पाल शासकों ने आधुनिक बंगाल, बिहार तथा झारखंड के प्रदेशों पर शासन किया। इस वंश का संस्थापक गोपाल था। उसने 750 ई० में पाल वंश की स्थापना की थी।
प्रश्न 7.
पाल शासकों की दो सफ़लताएं बताओ।
उत्तर-
- पाल शासकों के अधीन भवन-निर्माण कला, चित्रकला, शिक्षा तथा साहित्य में बहुत उन्नति हुई।
- पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। परन्तु वे अन्य धर्मों के प्रति भी उदार थे।
प्रश्न 8.
पाल शासक धर्मपाल की एक शिक्षा सम्बन्धी सफ़लता बताओ।
उत्तर-
धर्मपाल शिक्षा-प्रेमी शासक था। उसने विक्रमशिला विहार की स्थापना की जो बाद में एक महान् विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) बना।
प्रश्न 9.
राष्ट्रकूट शासक कहां शासन करते थे ?
उत्तर-
राष्ट्रकूट दक्कन पर शासन करते थे। दक्कन में कृष्णा तथा तुंगभद्रा नदियों के उत्तरी प्रदेश शामिल हैं।
प्रश्न 10.
राष्ट्रकूट वंश के प्रसिद्ध शासकों के नाम बताओ।
उत्तर-
दन्तीदुर्ग, कृष्ण प्रथम, गोविन्द द्वितीय, ध्रुव, गोविन्द तृतीय, अमोघवर्ष तथा कृष्ण तृतीय।
प्रश्न 11.
राष्ट्रकूट शासकों की मुख्य सफ़लताएं बताओ।
उत्तर-
राष्ट्रकूट शासकों की मुख्य सफ़लताएं निम्नलिखित थीं –
- राष्ट्रकूट शासकों ने दक्षिण भारत में चालुक्यों तथा पल्लवों से युद्ध किए।
- राष्ट्रकूट शासक ध्रुव ने प्रतिहार शासक वत्सराज को हरा कर कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
- राष्ट्रकूट शासक कला तथा शिक्षा के संरक्षक थे। अमोघवर्ष एक अच्छा कवि था। कृष्ण प्रथम ने एलोरा में कैलाश मन्दिर बनवाया।
- राष्ट्रकूटों ने दूसरे देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किए।
- उन्होंने हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य सभी धर्मों को भी संरक्षण दिया।
प्रश्न 12.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
1. मिहिरभोज
2. धर्मपाल
3. देवपाल
4. अमोघवर्ष
5. पृथ्वीराज चौहान।
उत्तर-
1. मिहिरभोज-मिहिरभोज प्रथम (836-885 ई०) गुर्जर-प्रतिहार वंश का एक प्रसिद्ध शासक था। अरब यात्री सुलेमान ने उसे एक वीर योद्धा तथा कुशल प्रशासक कहा है। उसने पाल वंश से अपने खोये हुए प्रदेश पुनः प्राप्त किए। वह विष्णु का उपासक था। उसने ‘आदिवराह’ की उपाधि धारण की।
2. धर्मपाल-धर्मपाल (770-810 ई०) पाल वंश का प्रसिद्ध शासक था। अरब यात्री सुलेमान लिखता है कि उसकी सैनिक शक्ति उसके विरोधियों से कहीं अधिक थी। उसने प्रतिहार तथा राष्ट्रकूट शासकों के साथ युद्ध किए। धर्मपाल शिक्षा-प्रेमी भी था। उसने विक्रमशिला के प्रसिद्ध बौद्ध मठ की स्थापना की जो उच्च शिक्षा का केन्द्र बना।
3. देवपाल-देवपाल पाल शासक धर्मपाल का पुत्र था। उसने 810 ई० से 850 ई० तक शासन किया। उसे पाल वंश का सबसे शक्तिशाली शासक माना जाता है। उसने असम तथा उड़ीसा को विजय किया। उसने प्रतिहारों के विरुद्ध भी युद्ध किए और उन्हें पराजित करके पाल राज्य की प्रतिष्ठा में वृद्धि की।
4. अमोघवर्ष-अमोघवर्ष (814-878 ई०) राष्ट्रकूट वंश का एक शासक था। उसने 64 वर्ष तक शासन किया। वह अपनी विद्वता के लिए विख्यात है। उसने ‘कविराज मार्ग’ नामक ग्रन्थ की रचना की। यह कन्नड़ साहित्य की सबसे पहली काव्य रचना है।
5. पृथ्वीराज चौहान-पृथ्वीराज चौहान चौहान वंश का सबसे महान् शासक था। उसने 1179 से 1192 ई० तक शासन किया। दिल्ली तथा अजमेर के प्रदेश उसके अधीन थे। उसने चन्देल राजा को हरा कर महोबा तथा कुछ अन्य किले अपने अधिकार में ले लिए। उसने गुजरात के चालुक्य शासक भीम द्वितीय से भी टक्कर ली। वह 1192 ई० में मुहम्मद गौरी के हाथों पराजित हुआ।
प्रश्न 13.
किन्हीं दो प्रसिद्ध राजपूत वंशों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
दो प्रसिद्ध राजपूत वंश निम्नलिखित थे –
1. प्रतिहार वंश-इस वंश के राजा कन्नौज तथा उसके आस-पास के प्रदेश पर शासन करते थे। इस वंश का पहला महान् शासक नागभट्ट-I था। भोज प्रथम इस वंश का एक अन्य प्रसिद्ध शासक था।
2. चौहान वंश-इस वंश का शासन राजस्थान में अजमेर के प्रदेश पर था। पृथ्वीराज चौहान इस वंश का प्रसिद्ध राजा था। उसने मुहम्मद गौरी से दो बार टक्कर ली।
प्रश्न 14.
महमूद गज़नवी और मुहम्मद गौरी के आक्रमणों में क्या अन्तर था ?
उत्तर-
महमूद गज़नवी और मुहम्मद गौरी के आक्रमणों में निम्नलिखित अन्तर था –
महमूद गज़नवी | मुहम्मद गौरी |
(1) महमूद गज़नवी के आक्रमणों का उद्देश्य केवल धन लूटना था। | (1) मुहम्मद गौरी के आक्रमणों का उद्देश्य उत्तरी भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना करना था। |
(2) महमूद गज़नवी अपने सभी आक्रमणों में विजयी रहा। | (2) मुहम्मद गौरी अपने आक्रमणों में एक बार पराजित हुआ। |
(3) महमूद गज़नवी के आक्रमणों से भारत को धन की बड़ी हानि हुई। | (3) मुहम्मद गौरी के आक्रमणों से भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना हुई। |
प्रश्न 15.
कन्नौज का क्या महत्त्व था ? उन राजाओं के नाम बताओ जो कन्नौज पर अधिकार करना चाहते थे।
उत्तर-
कन्नौज हर्षवर्धन की राजधानी था। इस पर विजय प्राप्त करना प्रभुसत्ता का चिन्ह माना जाता था। कन्नौज की स्थिति ऐसी थी कि इस पर अधिकार करने वाला शासक पूरी गंगा घाटी पर अधिकार कर सकता था। अतः कन्नौज पर अधिकार करने के लिए बंगाल-बिहार के पाल, मध्य भारत तथा पूर्वी राजस्थान के प्रतिहार तथा दक्कन के राष्ट्रकूट राजाओं के बीच संघर्ष हुआ। इस संघर्ष को त्रिपक्षीय संघर्ष का नाम दिया जाता है। यह संघर्ष लगभग 200 वर्ष तक चला। इस संघर्ष ने तीनों राजवंशों को आर्थिक दृष्टि से कमजोर बना दिया।
प्रश्न 16.
राजपूतों की उत्पत्ति के विषय में लिखिए।
उत्तर-
राजपूतों की उत्पत्ति के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग विचार हैं। इनमें से मुख्य विचार निम्नलिखित हैं –
- राजस्थान के प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टॉड के अनुसार राजपूत मध्य एशिया के कबीलों की सन्तान हैं। वे हूणों के आक्रमणों के बाद भारत में आ बसे।
- वेद व्यास तथा गौरी शंकर ओझा का विचार है कि राजपूत प्राचीन क्षत्रियों की सन्तान हैं।
- एक अन्य विचार चन्द बरदाई का है। वह अपनी पुस्तक पृथ्वीराज रासो में लिखता है कि राजपूतों की उत्पत्ति अग्निकुल से हुई।
चौहान, परमार, गुर्जर-प्रतिहार, चालुक्य तथा चन्देल इस काल के मुख्य राजपूत वंश अथवा कुल थे।
प्रश्न 17.
चौहान कौन थे ? उनके विषय में संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
चौहानों को चाहमान भी कहा जाता है। पृथ्वीराज चौहान इस वंश का सबसे शक्तिशाली शासक था। उसने 1179 से 1192 ई० तक शासन किया। वह एक वीर योद्धा था। उसने चन्देल राजा को पराजित करके उसके कई प्रदेश छीन लिए। 1191 ई० में उसने तराइन की पहली लड़ाई में मुहम्मद गौरी को पराजित किया। परन्तु अगले ही वर्ष 1192 ई० में तराइन की दूसरी लड़ाई में वह मुहम्मद गौरी से पराजित हुआ और उसका वध कर दिया गया। इस प्रकार दिल्ली से चौहान वंश का राज्य समाप्त हो गया।
चन्द बरदाई ने अपनी पुस्तक पृथ्वीराज रासो में पृथ्वीराज चौहान की सफलताओं का विस्तार से वर्णन किया है।
प्रश्न 18.
महमूद गज़नवी के प्रमुख आक्रमणों के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
महमूद गज़नवी गज़नी का शासक था। वह गज़नी को एक शक्तिशाली राज्य बनाना चाहता था। इसलिए वह एक बड़ी सेना तैयार करना चाहता था जिसके लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता थी। धन प्राप्त करने के लिए उसने भारत पर 17 हमले (आक्रमण) किए। उसके प्रमुख आक्रमणों का वर्णन इस प्रकार है –
1. जयपाल पर आक्रमण, 1001 ई०-1001 ई० में महमूद गज़नवी ने पंजाब के हिन्दूशाही शासक जयपाल पर आक्रमण किया। इसमें जयपाल पराजित हुआ और उसे बन्दी बना लिया गया। कहा जाता है कि महमद ने जयपाल से 2,50,000 सोने के सिक्के लेकर उसे मुक्त कर दिया। परन्तु जयपाल इस अपमान को सहन न कर सका। उसने अपने आपको आग लगा कर अपनी जान दे दी।
2. आनन्दपाल से युद्ध 1008 ई०-आनन्दपाल जयपाल का पुत्र था। महमूद गज़नवी ने 1008 ई० में उसके साथ युद्ध किया। आनन्दपाल ने उज्जैन, ग्वालियर, कालिंजर, दिल्ली तथा अजमेर के हिन्दू शासकों की सेना को इकट्ठा करके महमूद का सामना किया। एक भीषण लड़ाई के बाद महमूद विजयी रहा। उसने पंजाब में भयंकर लूटमार की।।
3. नगरकोट पर आक्रमण-महमूद गज़नवी ने 1009 ई० में नगरकोट (कांगड़ा) पर आक्रमण किया। उसने नगरकोट पर अधिकार कर लिया और यहां के मन्दिरों से अपार सोना-चांदी लूटा।
4. थानेश्वर पर आक्रमण-महमूद ने 1014 ई० में थानेश्वर पर आक्रमण किया। यहां के विशाल मन्दिरों में अपार धन-सम्पत्ति थी। महमूद गज़नवी इसे लूट कर अपने देश ले गया।
5. मथुरा तथा कन्नौज पर आक्रमण 1018-19 ई०-महमूद गजनवी ने 1018-19 ई० में मथुरा पर आक्रमण किया। उसने मार्ग में आने वाले नगरों में लूटमार की और उन्हें आग की भेंट चढ़ा दिया। 1018 ई० में वह मथुरा पहुंचा और वहां के मन्दिरों को ध्वस्त कर दिया। ___ मथुरा से वह कन्नौज पहुंचा। कन्नौज के शासक राजपाल ने उसके आगे आत्म-समर्पण कर दिया। महमूद ने वहां के मन्दिरों में खूब लूटमार की और उन्हें तोड़-फोड़ डाला।
6. कालिंजर पर आक्रमण, 1021 ई०-1021 ई० में महमूद ने कालिंजर पर आक्रमण कर दिया। वहां के शासक विद्याधर के पास एक विशाल सेना,थी। फिर भी वह महमूद का सामना न कर सका और मैदान छोड़ कर भाग गया।
सोमनाथ के मन्दिर पर आक्रमण, 1025 ई०-1025 ई० में महमूद गज़नवी ने काठियावाड़ (गुजरात) में स्थित सोमनाथ के मन्दिर पर आक्रमण किया। यह
7. मन्दिर अपनी धन-सम्पदा के लिए संसार भर में प्रसिद्ध था। इसके अतिरिक्त यह हिन्दुओं का सबसे, पवित्र मन्दिर माना जाता था। महमूद ने इस मन्दिर में भयंकर लूटमार की और मन्दिर को ध्वस्त कर दिया। यहां से वह सैंकड़ों मन सोना-चांदी तथा हीरे-जवाहरात अपने देश ले गया। यह महमूद की सबसे बड़ी विजय थी। इसके लिए खलीफ़ा ने उसे सम्मानित किया। 1030 ई० में महमूद गज़नवी की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 19.
मुहम्मद गौरी के प्रमुख हमलों (आक्रमणों) की समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
मुहम्मद गौरी अफ़गानिस्तान के गौर राज्य का शासक था। वह 1173 ई० में सिंहासन पर बैठा। शासक बनने के पश्चात् उसने भारत-विजय करने का निश्चय किया। 1175 ई० में उसने मुल्तान पर आक्रमण किया और उस पर अधिकार कर लिया। उसके अन्य प्रमुख आक्रमणों का वर्णन इस प्रकार है –
1. गुजरात पर आक्रमण-1178 ई० में गौरी ने गुजरात पर आक्रमण किया। गुजरात के शासक ने बड़ी वीरता से मुहम्मद गौरी का सामना किया | और उसे बुरी तरह पराजित किया।
2. तराइन का पहला युद्ध-मुहम्मद गौरी भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना करना चाहता था। इसलिए उसने 1191 ई० में दिल्ली पर आक्रमण कर दिया। दिल्ली पर उन दिनों पृथ्वीराज चौहान का शासन था, जो बड़ा ही वीर तथा साहसी शासक था। तराइन के स्थान पर पृथ्वीराज और गौरी की सेनाओं | में घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में मुहम्मद गौरी बुरी तरह पराजित हुआ।
3. तराइन का दूसरा युद्ध-अपनी हार का बदला लेने के लिए गौरी ने 1192 ई० में दोबारा भारत पर आक्रमण किया। इस बार कन्नौज के राजा म्मद गौरी जयचन्द ने भी उसका साथ दिया। तराइन के स्थान पर गौरी और पृथ्वीराज की सेनाओं में जमकर युद्ध हुआ। पृथ्वीराज चौहान के नेतृत्व में राजपूत बड़ी वीरता से लड़े, परन्तु अन्त में गौरी की विजय हुई। इस विजय से दिल्ली और अजमेर पर मुहम्मद गौरी का अधिकार हो गया।
4. जयचन्द से युद्ध-1194 ई० में मुहम्मद गौरी ने कन्नौज के शासक जयचन्द को पराजित किया और कन्नौज का प्रदेश जीत लिया।
5. अन्य विजयें-इसी बीच मुहम्मद गौरी के एक सेनानायक मुहम्मद-बिन-बख्तियार खिलजी ने बंगाल और बिहार पर अधिकार कर लिया। उसके अन्य सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुजरात को भी जीत लिया।
इस प्रकार मुहम्मद गौरी ने कुछ ही समय में लगभग पूरे उत्तरी भारत पर अपना अधिकार जमा लिया। उसे भारत में तुर्क राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। 1206 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त लेख लिखिए –
(क) आर्थिक दशा
(ख) धर्म।
उत्तर-
(क) आर्थिक दशा-पूर्व मध्यकाल में कृषि लोगों का मुख्य व्यवसाय था। भारत से कीमती पत्थर, मसाले, रेशम, ऊनी तथा सूती वस्त्र, चन्दन की लकड़ी, नारियल आदि विदेशों को भेजे जाते थे। मध्य एशिया से खजूर, शराब तथा घोड़े भारत में आते थे।
(ख) धर्म-पूर्व (आरम्भिक) मध्यकाल में भारत में मुख्य रूप से जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा हिन्दू धर्म प्रचलित थे। परन्तु राजपूत हिन्दू धर्म के अनुयायी थे। इसलिए उनके शासनकाल में हिन्दू धर्म ने बड़ी उन्नति की।
उत्तरी भारत में हिन्दू धर्म के दो सम्प्रदाय बहुत अधिक लोकप्रिय थे-शैव मत तथा वैष्णव मत। लोग विष्णु, शिव तथा शक्ति की पूजा करते थे। वे विष्णु के दस अवतारों की पूजा भी करते थे। इस काल में उत्तरी तथा दक्षिणी भारत में भक्ति लहर बहुत अधिक लोकप्रिय हुई। श्री गुरु नानक देव जी, समानुज तथा माधव जी ने ईश्वर की भक्ति पर बल दिया। उन्होंने लोगों को बताया कि सच्चे मन से प्रभु-भक्ति करना ही मुक्ति का साधन है। वे जाति तथा वर्ण के भेदभाव के विरुद्ध थे।
(क) सही कथनों पर (✓ ) तथा ग़लत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :
- प्रारम्भिक मध्यकालीन युग में भारतीय लोगों का मुख्य कार्य कृषि था।
- महमूद गज़नवी ने भारत पर सत्रह आक्रमण किए।
- जयचन्द अजमेर का शासक था जिसने मुहम्मद गौरी को हराया।
- राजा हर्षवर्धन की राजधानी दिल्ली थी।
उत्तर-
- (✓ )
- (✓ )
- (✗)
- (✗)
(ख) सही उत्तर चुनिए :
प्रश्न 1.
चित्र में दिखाया गया व्यक्ति चाहमान वंश का एक शक्तिशाली शासक था। इसका क्या नाम था ?
(i) जयचन्द
(ii) विद्याधर
(iii) पृथ्वीराज चौहान।
उत्तर-
(iii) पृथ्वीराज चौहान।
प्रश्न 2.
राजा हर्षवर्धन की राजधानी कौन-सी थी?
(i) कन्नौज
(ii) चंदवाड़ा
(iii) सियालकोट।
उत्तर-
(i) कन्नौज।
प्रश्न 3.
चित्र में एलोरा का कैलाश मंदिर दिखाया गया है ? बताइए कि यह किसके द्वारा बनवाया गया था?
(i) राष्ट्रकूट शासक कृष्ण तृतीय द्वारा
(ii) राष्ट्रकूट शासक दंतीदुर्ग द्वारा
(iii) प्रतिहार शासक वत्सराज द्वारा।
उत्तर-
(i) राष्ट्रकूट शासक कृष्ण तृतीय द्वारा।
नए राज्य एवं शासक PSEB 7th Class Social Science Notes
- आरम्भिक मध्यकालीन युग के राज्य – आरम्भिक मध्यकाल में उत्तरी भारत में प्रतिहार (गुर्जर-प्रतिहार), पाल तथा राजपूत और दक्षिणी भारत में राष्ट्रकूट, पल्लव, पांडेय तथा चोल राज्य स्थापित थे।
- गुर्जर-प्रतिहार गुर्जर-प्रतिहार – शासक राजस्थान तथा गुजरात के कुछ भागों पर शासन करते थे। इस वंश के प्रमुख शासक नागभट्ट, मिहिरभोज, महेन्द्रपाल तथा राजपाल थे।
- पाल वंश – पाल शासक आधुनिक बंगाल, बिहार तथा झारखण्ड पर शासन करते थे। इसकी स्थापना 750 ई० में गोपाल ने की थी। इस वंश के अन्य प्रमुख शासक धर्मपाल, देवपाल आदि थे।
- राष्ट्रकूट वंश – राष्ट्रकूट वंश की स्थापना 742 ई० में दंती दुर्ग ने की थी। इस वंश के शासकों ने कन्नौज पर अधिकार करने के लिए पाल तथा प्रतिहार शासकों से संघर्ष किया। उन्होंने कला तथा शिक्षा को भी संरक्षण दिया।
- समाज, धर्म तथा आर्थिक दशा – इस काल में जाति प्रथा बहुत कठोर थी। इस काल के प्रमुख धर्मों में हिन्दू धर्म (शैव तथा वैष्णव), जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म थे।
- चौहान (चाहमान) वंश – इस वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक पृथ्वीराज चौहान था। उसने 1179-1192 ई० तक शासन किया।
- राजपूत काल – हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद उत्तरी भारत के राज्यों पर मुख्यत: राजपूतों का शासन था। इसलिए इस काल को राजपूत काल कहा जाता है।
- कन्नौज के लिए संघर्ष – कन्नौज अपनी स्थिति के कारण बहुत ही महत्त्वपूर्ण था। इसलिए कन्नौज पर अधिकार करने के लिए पालों, प्रतिहारों तथा राष्ट्रकूटों के बीच कड़ा संघर्ष हुआ।
- महमूद गज़नवी – गज़नी के शासक महमूद गज़नवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए। वह बहुत-सा सोना-चांदी लूटकर अपने देश ले गया।
- मुहम्मद गौरी – गौर के शासक मुहम्मद गौरी ने तराइन की दूसरी लड़ाई (1192) में पृथ्वीराज चौहान को हरा कर भारत में तुर्क साम्राज्य की नींव रखी।