Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 5 घर की आन्तरिक सजावट Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 5 घर की आन्तरिक सजावट
PSEB 10th Class Home Science Guide घर की आन्तरिक सजावट Textbook Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
घर की आन्तरिक सजावट के लिए किन-किन मुख्य वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
घर को सजाने के लिए अनेकों वस्तुएं मिलती हैं और प्रयोग की जा सकती हैं। परन्तु मुख्य रूप में घर की सजावट के लिए निम्नलिखित वस्तुएं प्रयोग की जाती हैं
- फर्नीचर
- पर्दे
- कालीन/गलीचे
- गद्दियां/कुशन
- सजावट के लिए सहायक सामान।
प्रश्न 2.
फर्नीचर का चयन करते समय कौन-सी मुख्य दो बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
फर्नीचर खरीदते समय सबसे ज़रूरी बात बजट अर्थात् आप फर्नीचर पर कितना पैसा खर्च कर सकते हो। उस के अनुसार ही आपको उसकी मज़बूती और डिज़ाइन देखना पड़ेगा। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किस काम के लिए फर्नीचर खरीदना है उदाहरणतया यदि पढ़ने वाला मेज़ (Study Table) लेना है तो उसकी ऊंचाई, किताबें रखने के लिए जगह ध्यान देने वाली बातें हैं। इसी तरह कुर्सी की ऊंचाई, बाजुओं की ऊँचाई इतनी होनी चाहिए कि आदमी उसमें आराम से बैठ सके।
प्रश्न 3.
बैठक के लिए किस प्रकार के फर्नीचर की आवश्यकता होती है?
उत्तर-
बैठक परिवार के सभी सदस्यों और मेहमानों के बैठने के लिए प्रयोग की जाती है। खेलने, पढ़ने, लिखने, संगीत सुनने के काम यहां किए जाते हैं। इसलिए बैठक में सोफा, कुर्सियां और दीवान रखे जा सकते हैं। इनके बीच एक कॉफ़ी मेज़ रखना चाहिए। सोफे और कुर्सियों के आस-पास भी छोटे मेज़ (Peg table) चाय, पानी के गिलास, कप और एशट्रे (Ashtray) रखने चाहिएं।
प्रश्न 4.
घर में फर्नीचर पॉलिश बनाने का एक ढंग बताएं।
अथवा
फर्नीचर की पॉलिश बनाने के दो ढंग बताएं।
उत्तर-
घर में लकड़ी के फर्नीचर की पॉलिश निम्नलिखित ढंग से बनाई जा सकती है(1) तारपीन का तेल
= 2 भाग मैथिलेटिड स्पिरिट = 1 भाग
अलसी का तेल (Linseed) = 2 भाग
सिरका = 1 भाग
ऊपरलिखित चार वस्तुओं को एक बोतल में डालकर हिलाओ। यह पॉलिश गहरे रंग की लकड़ी पर प्रयोग की जा सकती है। इसमें तारपीन के तेल और सिरका चिकनाहट के दागों को खत्म करता है। अलसी का तेल लकड़ी को ठीक स्थिति में रखता है जबकि मैथिलेटिड स्पिरिट सूखने में मदद करती है। (2) शहद की मक्खी का मोम = 15 ग्राम
तारपीन का तेल = 250 मि०ली० मोम को हल्के सेक से पिघला लें। आग से नीचे उतारकर उसमें तारपीन का तेल डालें। तब तक हिलाएं जब तक मोम तेल में अच्छी तरह घुल न जाए।
प्रश्न 5.
कपड़े से ढके हुए फर्नीचर की देखभाल कैसे करनी चाहिए?
उत्तर-
कपड़े से ढके हुए फर्नीचर को वैक्यूम कलीनर से साफ़ किया जा सकता है। इसके न होने से गर्म कपड़े झाड़ने वाले ब्रुश से भी इसको साफ़ किया जा सकता है। यदि कपड़ा फिट जाए या अधिक गन्दा हो जाए तो 2 गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच सिरका मिलाकर इसमें साफ़ मुलायम कपड़ा भिगोकर अच्छी तरह निचोड़ कर फर्नीचर के कवर को साफ़ करो। इससे कपड़ा साफ़ हो जाता है और चमक भी आ जाती है। चिकनाहट के दागों को पेट्रोल या पानी में डिटर्जेंट घोलकर साफ़ कीजिए। बाद में साफ़ पानी में कपड़ा भिगोकर साफ़ कीजिए ताकि डिटर्जेंट निकल जाए।
प्रश्न 6.
आजकल प्लास्टिक का फर्नीचर क्यों प्रचलित हो रहा है?
उत्तर-
आजकल प्लास्टिक के प्रयोग के बढ़ने के कई कारण हैं
- यह जल्दी नहीं टूटता।
- इस पर खरोंच और निशान आदि नहीं पड़ते।
- यह पानी नहीं चूसता इसलिए इसको आसानी से धोकर साफ़ किया जा जाता है।
- इसको कोई कीड़ा या दीमक नहीं लगता।
- यह कई रंगों में मिल जाता है।
प्रश्न 7.
घर में पर्दे क्यों लगाए जाते हैं?
उत्तर-
पर्दो के बिना घर अच्छा नहीं लगता इसलिए पर्दे घर की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए लगाए जाते हैं। परन्तु इसके साथ ही ये घर को तेज़ हवा और रोशनी, धूलमिट्टी से भी बचाते हैं। पर्दे लगाने से कमरों में एकांत की भावना पैदा होती है।
प्रश्न 8.
कालीन या पर्दे खरीदते समय रंग का क्या महत्त्व होता है?
उत्तर-
पर्दे या कालीन खरीदते समय इनके रंग का चुनाव घर की दीवारों और फर्नीचर के रंग और डिज़ाइन के अनुसार होना चाहिए। सर्दियों में गहरे और गर्मियों में हल्के रंगों के पर्दे अच्छे रहते हैं। यदि कालीन और सोफा डिजाइनदार हो तो पर्दे प्लेन एक रंग के होने चाहिएं, इसके अतिरिक्त छोटे कमरे में प्लेन या छोटे डिज़ाइन के पर्दे ही अच्छे रहते हैं। इस तरह कालीन का चुनाव करते समय भी सोफे और पर्दो को ध्यान में रखना आवश्यक है। यदि पर्दे प्लेन हैं तो कालीन डिज़ाइनदार अधिक रंगों वाला खरीदा जा सकता है। यदि कमरा बड़ा हो तो कालीन बड़े डिज़ाइन और गहरे रंग का होना चाहिए परन्तु यदि कमरा छोटा हो तो कालीन फीके प्लेन रंग का होना चाहिए।
प्रश्न 9.
पुष्प सज्जा के लिए फूलों का चयन कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
पुष्प सज्जा के लिए फूलों का चुनाव करते समय कमरे और कमरे की रंग योजना को ध्यान में रखना चाहिए। खाने वाले कमरे में सुगन्ध रहित फूलों का प्रयोग करना चाहिए जबकि अन्य कमरों में सुगन्धित। फूलों का रंग कमरे की योजना से मेल खाता होना चाहिए। फूलों का आकार फूलदान के आकार के अनुसार होना चाहिए।
प्रश्न 10.
स्टैम होल्डर किस काम आता है और ये किस आकार में मिलते हैं?
उत्तर-
स्टैम होल्डर फूलों को अपने स्थान पर टिकाने के काम आते हैं। ये भारी होने चाहिएं ताकि फूलों के वज़न से हिल कर न गिरें। यह कई आकार के मिलते हैं जैसे, वर्गाकार, आयताकार, त्रिकोणाकार, अर्द्ध-चन्द्रमा की शक्ल और टी (T) आकार में मिलते हैं।
प्रश्न 11.
पुष्प सज्जा के मुख्य ढंग कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
पुष्प सज्जा के लिए मुख्य ढंग हैं
- जापानी
- अमरीकन।।
जापानी ढंग संकेतक है इसमें तीन फूलों का प्रयोग किया जाता है। जिसमें सबसे ऊँचा फूल परमात्मा, मध्य का मानव और सब से नीचे वाला धरती का प्रतीक होता है। इसमें एक ही रंग के एक ही किस्म के फूल होते हैं।
अमरीकन ढंग में कई रंगों के इकट्ठे फूल प्रयोग किए जाते हैं। इसलिए इसको समूह ढंग भी कहा जाता है।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 12.
फर्नीचर घर की आन्तरिक सजावट के लिए क्यों ज़रूरी है?
उत्तर–
प्रत्येक परिवार की खाने, आराम करने, लेटने और आराम करने की प्रारम्भिक आवश्यकताएं हैं। इनको पूरा करने के लिए फर्नीचर की आवश्यकता होती है। इसलिए इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने के साथ-साथ यदि घर की सुन्दरता में बढ़ोत्तरी कर सकें तो सोने पर सुहागे वाली बात है। घर की सजावट में बढ़ोत्तरी करने के लिए फर्नीचर का डिज़ाइन, ढांचा और आकार परिवार की आवश्यकताओं और कमरे के आकार के अनुसार होना चाहिए। छोटे घरों में पलंग और दीवानों में लकड़ी के खाली बक्से होने चाहिए ताकि उनमें परिवार के कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं रखी जा सकें।
प्रश्न 13.
फर्नीचर का चयन और खरीदते समय कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है?
उत्तर-
आजकल बाजार में कई प्रकार का फर्नीचर उपलब्ध है इसलिए उसके चुनाव के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
- डिज़ाइन-फर्नीचर का आकार और डिज़ाइन कमरे के आकार और अन्य वस्तुओं के आकार अनुसार ही होना चाहिए। यदि कमरा छोटा है तो फीके और प्लेन रंग के कपड़े वाला या हल्के रंग की लकड़ी वाला फर्नीचर होना चाहिए।
- कीमत-फर्नीचर की कीमत परिवार के बजट के अनुसार होनी चाहिए।
- आकार- फर्नीचर का आकार कमरे और अन्य वस्तुओं के आकार से मेल खाता होना चाहिए।
- फर्नीचर के कार्य-जिस काम के लिए फर्नीचर खरीदा जाए वह पूरा होना चाहिए। जैसे कि यदि अलमारी खरीदनी है तो वह आपकी आवश्यकताएं पूर्ण करती हो।
- लकड़ी की किस्म और अन्य सामग्री-लकड़ी की बढ़िया किस्म होनी चाहिए। यदि स्टील या एल्यूमीनियम का खरीदना है तो बढ़िया किस्म की स्टील चाहिए जिसमें जंग न लगे।
- मज़बूती-मज़बूती देखने के लिए उसको ज़ोर से हिलाकर या उठाकर देखो। ज़मीन पर पूरी तरह टिकने वाला हो।
- बनावट-फर्नीचर की बनावट के लिए उसके जोड़, पॉलिश और सफ़ाई देखनी आवश्यक है।
- मीनाकारी-अधिकतर मीनाकारी वाला फर्नीचर अच्छा नहीं रहता क्योंकि इसकी सफ़ाई अच्छी तरह से नहीं हो सकती।
- कपड़े से ढका हुआ फर्नीचर-कपड़े का रंग, डिज़ाइन और गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए।
प्रश्न 14.
कमरों में फर्नीचर की व्यवस्था करते समय कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है?
उत्तर-
कमरों में फर्नीचर की व्यवस्था करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है
- उपयोगिता या प्रयोग (Use)- फर्नीचर की व्यवस्था उसकी उपयोगिता या प्रयोग पर निर्भर करती है। बैठक में जहां बैठकर बातचीत करनी हो तो वहां सोफा या कुर्सियां आदि ही प्रयोग करनी चाहिएं। उनको इस ढंग से रखें कि एक इकाई नज़र आए। हमेशा ऐसे फर्नीचर को प्राथमिकता देनी चाहिए। जिसका दोहरा प्रयोग हो सके जैसे सोफा कम बैड या बॉक्स वाला दीवान आदि।
- आकार (Size)-फर्नीचर का आकार कमरे के अनुसार होना चाहिए। यदि कमरा बड़ा है तो कपड़े से ढका हुआ फर्नीचर प्रयोग किया जा सकता है। परन्तु छोटे कमरे में बैंत, लकड़ी या रॉट आयरन (Wrought iron) का फर्नीचर प्रयोग कीजिए।
- लय (Rythm)- फर्नीचर की व्यवस्था इस ढंग से करो कि विस्तार का प्रभाव पड़े। बड़ी वस्तुओं को पहले टिकाओ फिर छोटी और फिर आवश्यकता अनुसार अन्य वस्तुएं रखी जा सकती हैं।
- अनुरूपता (Harmony)- फर्नीचर की भिन्न-भिन्न वस्तुओं का आपस में और इन वस्तुओं का कमरे के आकार और रंग से ताल-मेल होना चाहिए।
- बल (Emphasis)-कमरे में किसी स्थान पर बल देने के लिए फर्नीचर का प्रयोग किया जा सकता है।
- आरामदायक (Comfort)- फर्नीचर की व्यवस्था इस ढंग से हो कि परिवार के सदस्यों को उससे आराम मिल सके। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हैं
- कमरे में आने-जाने के रास्ते का ध्यान रखना।
- कमरे में अधिक फर्नीचर न रखें।
- लकड़ी, बैंत या राट आयरन के फर्नीचर को गद्दियों से सजाओ।
- फर्नीचर दीवारों से जोड़कर रखें और न कमरे के बीच रखें।
- फर्नीचर की उपयोगिता को ध्यान में रखकर उनका समूहीकरण कीजिए।
प्रश्न 15.
बैठक में फर्नीचर की व्यवस्था कैसे करोगे?
उत्तर-
बैठक में फर्नीचर इस तरह रखना चाहिए कि उसमें करने वाले कार्य जैसे आराम, खेल या संगीत आदि अच्छी तरह किया जा सके। बैठक में एक ओर सोफा, उसके सामने दीवान और अन्य कुर्सियां रखी जा सकती हैं। यह सारा सामान आपस में मेल खाता होना चाहिए। बैठक में पढ़ने के लिए एक मेज़ कुर्सी भी रखी जा सकती है। जिस पर किताबें और ट्यूब लाइट (Tube Light) होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त टी० वी०, रेडियो और संगीत के लिए पियानो रखें। एक कोने में कैरम बोर्ड, चैस या ताश भी रखी जा सकती है। दीवारों पर कुछ सुन्दर तस्वीरें लगाई जा सकती हैं। हो सके तो फूलदान में कुछ फूल या फिर गमले भी कमरे में रखे जा सकते हैं।
प्रश्न 16.
सोने के कमरे और खाने के कमरे में फर्नीचर की व्यवस्था कैसे करोगे?
उत्तर-
1. सोने वाला कमरा-सोने वाले कमरे में सबसे महत्त्वपूर्ण फर्नीचर सोने के लिए चारपाई या बैड होते हैं। ये पूर्ण आरामदायक होने चाहिएं। इनके सिर वाला भाग दीवार से लगाकर रखें। पलंग के आस-पास इतना स्थान अवश्य हो कि पलंग को झाड़पोंछ कर पलंग पोश बिछाया जा सके। हो सके तो पलंग के दोनों ओर एक छोटा-सा मेज़ रखा जाए। आजकल बैड के साथ ही साइड टेबल मिलते हैं जो टेबल लैंप या प्रयोग में आने वाला सामान रखने के काम आते हैं। इसके अतिरिक्त कमरे में दो कुर्सियां या मूड़े, एक छोटा मेज़ भी रखना चाहिए। तैयार होने के लिए प्रयोग किया जाने वाला शीशा या ड्रेसिंग टेबल को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहाँ काफ़ी रोशनी पहुंचती हो। सोने वाले कमरे में अल्मारी भी ज़रूरी है। कई बार यह दीवार में ही बनी होती हैं नहीं तो स्टील या लोहे की अल्मारी भी रखी जा सकती है जिसमें कपड़े और जूते रखने के लिए पूरा स्थान हो।
2. खाना खाने वाला कमरा-इस कमरे में सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु खाने वाला मेज़ और कुर्सियां होती हैं। इनका आकार और संख्या परिवार के सदस्यों और मेहमानों के अनुसार होनी चाहिए। खाने के मेज़ वाली कुर्सियों पर गद्दियां होनी चाहिएं जो बाजू के बिना और पीछे से सीधी हों। इस मेज़ को कमरे के बीच में रखना चाहिए। खाने के कमरे में एक अल्मारी (Cupboard) भी रखी जा सकती है जिसमें बर्तन, टेबल सैट, कटलरी और इस कमरे से सम्बन्धित सामान रखा जा सके।
प्रश्न 17.
लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल कैसे करोगे?
उत्तर-
लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल के लिए निम्नलिखित ढंग हैं —
लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल-लकड़ी के फर्नीचर को प्रतिदिन साफ़ कपड़े के साथ झाड़-पोंछ कर साफ़ करना चाहिए। लकड़ी को आमतौर पर सींक लग जाती है। यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर दीमक लग जाए तो दीमक की दवाई का खराब हिस्से पर छिड़काव (स्प्रे) करो। साल में एक दो बार लकड़ी के फर्नीचर को धूप लगवा लेनी चाहिए। अगर धूप बहुत तेज़ हो तो कुछ समय के लिए ही लगाओ। पॉलिश किए मेज़ पर गर्म सब्जी के बर्तन या ठण्डे पानी के गिलास सीधे ही नहीं रखने चाहिए, नहीं तो मेज़ पर दाग पड़ जाते हैं। इनके नीचे प्लास्टिक, कारक या जूट आदि के मैट रखने चाहिए। फर्नीचर से दाग उतारने के लिए गुनगुने पानी में सिरका मिलाकर या हल्का डिटरजेंट मिला कर कपड़ा इस घोल में गीला करके साफ करो। परन्तु फर्नीचर को ज्यादा गीला नहीं करना चाहिए। गीला साफ़ करने के बाद फर्नीचर को सूखे कपड़े के साथ साफ़ करो और स्पिरिट में भीगी रूई आदि से फिर साफ़ करो। अगर लकड़ी ज्यादा खराब हो गई हो तो इसको रेगमार से रगड़ कर पॉलिश किया जा सकता है। यदि लकड़ी में छेद हो गए हों तो उसे मधुमक्खी के मोम से भर लो।
प्रश्न 18.
भिन्न-भिन्न प्रकार के फर्नीचर की देखभाल भिन्न-भिन्न तरीके से क्यों की जाती है?
उत्तर-
भिन्न-भिन्न फर्नीचर भिन्न-भिन्न वस्तुएं जैसे-लकड़ी, कपड़ा, प्लास्टिक, बैंत और लोहे का बना होता है। प्रत्येक वस्तु की बनावट भिन्न होती है जैसे लकड़ी के फर्नीचर को दीमक और चूहे का डर होता है जबकि लोहे के फर्नीचर को इन दोनों वस्तुओं से कोई नुकसान नहीं होता, परन्तु इसको जंग लग जाता है। इस तरह कपड़ा भी दीमक, चूहे, सिल, मिट्टी, धूल से खराब हो जाता है, परन्तु प्लास्टिक और बैंत अलग किस्म के हैं। प्लास्टिक पर पानी या सिल का कोई प्रभाव नहीं होता। ये गर्म वस्तु और धूप से खराब होता है। इस तरह बैंत के फर्नीचर की सम्भाल अन्य फर्नीचर से भिन्न होती है। इसलिए फर्नीचर भिन्न-भिन्न तरह के पदार्थों से बने होने के कारण उनकी सम्भाल भी भिन्न-भिन्न है।
प्रश्न 19.
पर्दे लगाने के क्या लाभ हैं? पर्दो के लिए कपड़ा कैसा खरीदना चाहिए?
उत्तर-
- पर्दे लगाने से घर सुन्दर, आकर्षक और मेहमानों का सत्कार करने वाला लगता है।
- पर्दो से कमरे में एकान्त (Privacy) की भावना पैदा होती है।
- पर्दे लगाने से यदि खिड़कियां और दरवाज़े के फ्रेम अच्छे न हों तो उनको ढका जा सकता है।
- ये अधिक हवा और रोशनी को भीतर आने से रोकते हैं।
पर्दे हमेशा प्लेन, प्रिंटिड, सूती, रेशमी, टपेस्ट्री, केसमैंट, खद्दर, हाथ करघे का बना कपड़ा या सिल्क साटन के ही प्रयोग किए जा सकते हैं। पर्यों के लिए बुर वाला कपड़ा प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि अपने देश में मिट्टी आंधी काफ़ी है, जिससे मिट्टी को पर्दे पकड़ लेते हैं। सबसे बढ़िया सूती पर्दे ही रहते हैं क्योंकि इन द्वारा हवा आर-पार गुज़र सकती है और ये रोशनी भी रोक लेते हैं।
प्रश्न 20.
कालीन का चयन कैसे करना चाहिए?
उत्तर-
कालीन का चुनाव करते समय उसकी मज़बूती, रंग, रूप और आकार सम्बन्धी बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। बड़े कमरे में कालीन गहरे रंग का डिजाइनदार बिछाया जा सकता है। परन्तु यह कमरे की रंग योजना से मिलता-जुलता हो। परन्तु छोटे कमरे में प्लेन और फीके रंग का कालीन ही ठीक रहता है। प्लेन कालीन पर अन्य वस्तुएं अधिक उभरती हैं। कालीन की लम्बाई, चौड़ाई कमरे के अनुसार होनी चाहिए।
प्रश्न 21.
फर्श पर बिछाने के लिए कालीन को सबसे अच्छा क्यों समझा जाता है?
उत्तर-
कालीन बिछाने से कमरे की सुन्दरता बढ़ती है। इससे टूटा-फूटा फर्श भी ढका जाता है। कालीन फर्श से थोड़ा ऊपर उठा होने के कारण उस क्षेत्र को अन्य कमरे से अलग कर आकर्षित बनाता है। कालीन बिछाने से कमरे की अन्य वस्तुएं भी सुन्दर दिखाई देती हैं और सर्दियों में कमरा गर्म रहता है।
प्रश्न 22.
फूलों को सजाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखोगे?
उत्तर-
फूलों को सजाने के समय फूलों में अनुरूपता, अनुपात, लय, सन्तुलन और बल का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
- अनुरूपता (Harmony)-भिन्न-भिन्न प्रकार के एक रंग के फूल सजाकर उनमें अनुरूपता लाई जा सकती है। जैसे केवल लाल रंग या केवल सफ़ेद रंग से ही। यदि भिन्न-भिन्न फूल हों तो भी उनको दोहराने से अनुरूपता पैदा की जा सकती है। फूल का तालमेल फूलदान और कमरे से भी होना चाहिए।
- अनुपात (Proportion)-फूलों के आकार के अनुसार ही फूलदान प्रयोग किया जाना चाहिए। ग्लैडियोलस के फूल एक शीशे के फूलदान में सुन्दर लगते हैं। साथ ही सबसे ऊँचे फूल की लम्बाई फूलदान से 1/2 गुना होनी चाहिए और एक चपटे (Flat) फूलदान में सबसे ऊँचे फूल की ऊँचाई फूलदान की लम्बाई और चौड़ाई जितनी होनी चाहिए।
- लय (Rhythm)-फूल व्यवस्था में लय का होना बहुत आवश्यक है। हमारी नज़र लय से ही घूमती है। फूल व्यवस्था में गोल या त्रिकोण व्यवस्था के कारण लय लाई जा सकती है। इस तरह एक रंग के भिन्न-भिन्न शेड वाले फूल प्रयोग करके भी लय पैदा की जा सकती है।
- बल (Emphasis)-फूल व्यवस्था में भी एक केन्द्र बिन्दु होना चाहिए और यह बिन्दु व्यवस्था के बीच होना चाहिए।
- सन्तुलन (Balance)-फूल व्यवस्था में सन्तुलन होना भी बहुत आवश्यक है। इसमें कई बार फूल एक ओर गिरते नज़र आते हैं जो सन्तुलन को खराब करते हैं। सन्तुलन बनाने के लिए सबसे बड़ा और गहरे रंग का फूल फूलदान के बीच लगाएं अन्य फूल पत्ते उसके आस-पास दोनों बराबरी पर रखें।
प्रश्न 23.
सजावट के लिए फूलों का चयन कैसे किया जाता है और कैसे इकट्ठा किया जाता है?
उत्तर-
फूलों का चुनाव-
- फूलों का चुनाव करते समय यह ध्यान रखो कि खाना-खाने वाले कमरे में सुगन्ध हीन फूल हों और अन्य कमरों में सुगन्धित।
- फूलों का रंग कमरे की रंग योजना से मिलता-जुलता हो।
- फूलों का आकार फूलदान के अनुसार होना चाहिए।
फूलों को इकट्ठा करना-फूल सब से कोमल होते हैं। इनको सुबह-शाम ही तोड़ें जब इन पर धूप न पड़ती हो। फूलों को काटने के लिए तेज़ छुरी का प्रयोग करो
और टहनी हमेशा तिरछी काटो ताकि डण्डी का अधिकतर भाग, पानी सोख सके। फूलों को काटने के पश्चात् आधे घण्टे के लिए पानी की बाल्टी में भिगो दीजिए और किसी ठण्डे और अन्धेरे वाले स्थान पर रखें। फूल तोड़ते समय ध्यान रखें कि फूल पूरा न खिला हो। फूलों को अधिक समय तक ठीक रखने के लिए पानी में नमक, लाल दवाई, फिटकरी और कोयले का चूरा प्रयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 24.
फूलदान और स्टैम होल्डर कैसे हो सकते हैं?
उत्तर-
आजकल बाज़ार में कई रंगों और डिज़ाइनों के फूलदान मिलते हैं, परन्तु अधिक डिजाइन वाला फूलदान फूल व्यवस्था के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए। फूलदान का चुनाव फूलों के रंग, आकार और जिस स्थान पर करना हो, पर निर्भर करता है। यदि फूल व्यवस्था खाने वाले मेज़ या. बैंठक के कॉफी टेबल पर करनी हो तो फूलदान छोटा और कम गहरा होना चाहिए। इस फूलदान का आकार मेज़ के आकार के अनुसार होना चाहिए। बड़े, भारी फूलों के लिए कम खरवें फूलदान प्रयोग करने चाहिए। आजकल फूलदान चीनी मिट्टी, पीतल और तांबे आदि के मिलते हैं। नर्म फूलों के लिए कांच और चांदी के फूलदान ठीक लगते हैं।
स्टैम होल्डर फूलों को सही स्थान पर टिकाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं और फिर कई आकारों में मिलते हैं। जैसे गोल, वर्गाकार, त्रिकोणीय, आयताकार और अर्द्ध चन्द्रमा आकार में। स्टैम होल्डर खरीदते समय यह देखना आवश्यक है कि यह भारी हो, इसकी कीलों या पिनों में बहुत अधिक दूरी न हो। स्टैम होल्डर का चुनाव फूल व्यवस्था के अनुसार ही किया जाता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 25.
घर की आन्तरिक सजावट से क्या अभिप्राय है और कैसे की जाती है?
उत्तर-
प्रत्येक औरत में सुन्दरता और सजावट वाली वस्तु को परखने के लिए प्राकृतिक योग्यता होती है। घर की सजावट गृहिणी की रचनात्मक योग्यता को प्रकट करती है। इसलिए इसको रचनात्मक कला कहा जाता है। इसलिए घर के प्रत्येक कमरे और समूचे घर की सजावट को ही घर के अन्दर की सजावट कहा जाता है। अभिप्राय यह कि घर का प्रत्येक कमरा कला और डिज़ाइन के मूल अंशों और सिद्धान्तों के अनुसार सजाना ही घर के अन्दर की सजावट है। घर की सजावट घर को आकर्षक और सुन्दर बनाने के लिए की जाती है। परन्तु यह ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि सजावट से परिवार के सदस्यों के आराम और काम करने में रुकावट न पड़े।
घर की सजावट के लिए फर्नीचर, पर्दे, कालीन, कुशन, पुष्प सज्जा और तस्वीरें आदि प्रयोग की जाती हैं । परन्तु इन सभी वस्तुओं का चुनाव एक-दूसरे पर निर्भर करता है ताकि प्रत्येक कमरा अपने आप में डिज़ाइन की एक पूरी इकाई लगे। फर्नीचर-यह घर की सजावट का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। परन्तु इसका चुनाव परिवार के बजट, परिवार की आवश्यकताओं, कमरे के आकार और रंग के हिसाब से करना चाहिए। क्योंकि भिन्न-भिन्न कमरों में भिन्न-भिन्न तरह का फर्नीचर प्रयोग में आता है जैसे बैठक में सोफे, कुर्सियां और दीवान आदि, सोने वाले कमरे में बैड, अल्मारी, कुर्सियां, ड्रेसिंग टेबल आदि और खाना खाने वाले कमरे में मेज़, कुर्सियां और हो सके तो बर्तनों के लिए शीशे वाली अल्मारी। यह सारा फर्नीचर बना भी भिन्न-भिन्न किस्म का होता है। यह सामान लकड़ी, कपड़े, लोहे, स्टील, बैंत या प्लास्टिक का बना हो सकता है। यह भी चुनाव करते समय ध्यान देने की बात है कि यदि कमरा बड़ा है तो कपड़े से ढका हुआ फर्नीचर रखा जा सकता है। परन्तु यदि कमरा छोटा है तो सादे डिज़ाइन में लकड़ी, बैंत या लोहे का फर्नीचर अच्छा लगता है।
पर्दे-सजावट में पर्दो की भूमिका भी बड़ी महत्त्वपूर्ण है। पर्यों के बिना घर की सजावट अधूरी लगती है। यह घर को सुन्दर बनाने के साथ-साथ घर का तापमान और हवा पर नियन्त्रण रखते हैं। पर्दे हमेशा सूती ही प्रयोग करने चाहिए। वैसे तो बाज़ार में साटन, सिल्क, टपैस्ट्री, हथ करघे के बने कपड़े मिलते हैं। पर्यों का रंग और डिज़ाइन का भी कमरे के अन्य सामान के साथ तालमेल होना चाहिए। खुले और बड़े कमरे में गहरे और बड़े डिज़ाइन वाले पर्दे अच्छे लगते हैं क्योंकि इससे कमरा छोटा दिखाई देता है जबकि छोटे कमरे में हल्के रंगों के प्लेन पर्दे ही अच्छे लगते हैं। इससे कमरा खुलाखुला सा लगता है।
कालीन-कालीन भी कमरे की सजावट में बढ़ोत्तरी करता है। आजकल कई रंगों और डिज़ाइनों के कालीन बाज़ार में उपलब्ध हैं। परन्तु कालीन खरीदते समय इसकी मज़बूती, रंग और आकार कमरे के रंग व्यवस्था के अनुसार होना चाहिए। छोटे कमरों के लिए, हल्के रंगों के प्लेन कालीन ठीक रहते हैं। इन पर सामान अन्य अधिक सुन्दर लगता है जबकि बड़े कमरे के लिए गहरे रंग में डिज़ाइनदार कालीन बिछाया जाए तो सुन्दर लगता है।
पुष्प सज्जा-पुष्प सज्जा भी घर की सजावट का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। इसमें याद रखने योग्य बात यह है कि खाने के कमरे में सुगन्धहीन फूलों की व्यवस्था होनी चाहिए और अन्य कमरों में सुगन्धित फूलों की। फूल व्यवस्था यदि खाने वाले या कॉफी टेबल पर करनी हो तो उसकी ऊँचाई उससे 4 इंच होनी चाहिए। पर यदि किसी कोने या किसी विशेष काम करने के मेज़ आदि पर रखनी हो तो बड़े आकार में की जा सकती है। पुष्प सज्जा के लिए फूलदान का चुनाव में बहुत आवश्यक है। फूलदान फूलों के रंग से मिलता-जुलता होना चाहिए जो बहुत बढ़िया हरे और ग्रे रंग में फूलदान प्रयोग किए जा सकते हैं। कोमल फूलों के लिए शीशे और चांदी के फूलदान प्रयोग करने चाहिए। फूल व्यवस्था की ऊँचाई फूलदान से 12 गुणा होनी चाहिए तभी यह ठीक अनुपात में लगती है।
तस्वीरें-घर के अन्दर की सजावट के लिए कमरों की दीवारों पर कुछ तस्वीरें भी लगाई जा सकती हैं। बड़ी दीवार पर एक बड़ी तस्वीर लगानी चाहिए। यदि एक आकार की हल्की मेल खाती छोटी तस्वीरें हैं तो उनका समूह बनाकर लगाया जा सकता है। तस्वीरों को दीवार पर बहुत ऊँचा नहीं लगाना चाहिए। ये इतनी ऊंचाई पर हों कि खड़े होकर या बैठकर बिना गर्दन ऊपर किए आराम से देख सकें।
इसके अतिरिक्त घर की सजावट के लिए लकड़ी, पीतल, तांबे, कांच, क्रिस्टल आदि के शो-पीस भी प्रयोग किए जाते हैं। छोटे-छोटे अधिक टुकड़ों से एक बड़ी सजावट की वस्तु अधिक बढ़िया लगती है। यदि तस्वीर अधिक छोटी है तो उनको एक समूह में किसी टेबल या शैल्फ (Shelf) पर सजाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त टेबल लैंप और किताबें भी कमरे की सजावट का एक भाग हैं। किताबों से कमरे को चरित्र मिलता। है। बाहर से आने वाले को किताबें देखकर ही आपके चरित्र का ज्ञान हो जाता है।
ये ऊपरलिखित वस्तुएं घर की सजावट के लिए बहुत आवश्यक हैं, परन्तु उससे भी आवश्यक उनका चुनाव और व्यवस्था करने का ढंग है जो घर की सजावट को चार चाँद लगाता है।
प्रश्न 26.
पुष्प सज्जा किस सिद्धान्त पर और कैसे की जाती है?
उत्तर-
पुष्प सज्जा करने का सिद्धान्त-कोई भी डिज़ाइन बनाने के लिए डिज़ाइन के मूल अंश जैसे कि रंग, आकार, लाइनें और रचना और डिज़ाइन के मूल सिद्धान्तों की जानकारी होनी आवश्यक है। फूलों की व्यवस्था करते समय फूल, फूलदान और अन्य आवश्यक सामग्री को मिलाकर इस तरह का डिज़ाइन बनाना चाहिए जोकि सबको अपनी ओर आकर्षित करे। फूलों की व्यवस्था करते समय निम्नलिखित सिद्धान्तों को ध्यान में रखना आवश्यक है
1. अनुरूपता (Harmony)-भिन्न-भिन्न तरह के एक रंग के फूल सजाकर उनमें अनुरूपता लायी जा सकती है जैसे कि सफ़ेद रंग के वरबीना, फ्लोक्स, स्वीट पीज़ और पिटूनिया को मिलाकर फूलों की व्यवस्था करना। एक ही तरह के फूलों के एक रंग के भिन्न-भिन्न शेड (Shade) के फूल प्रयोग करने से भी अनुरूपता लायी जा सकती है। यदि भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल लगाए जाएं तो भी उनको दोहराने से अनुरूपता का एहसास होता है। सभी को अलग-अलग किस्मों और रंगों के फूल प्रयोग करने से परेशानी पैदा होती है। फूलों का तालमेल फूलदान और फूल रखने के आस-पास भी होना आवश्यक है। एक छोटे कमरे में बहुत बड़ा फूलदान रखा हुआ अच्छा नहीं लगता।
2. अनुपात (Proportion)-फूलदान के अनुसार ही फूलों का आकार होना चाहिए। छोटे या हल्के कांच के फूलदान में भारी फूल अच्छे नहीं लगते। एक मध्यम या लम्बे फूलों के लिए सबसे ऊँचे फूल की ऊँचाई फूलदान से 172 गुना होनी चाहिए। चपटे (Flat) फूलदान में सबसे ऊँचे फूल की ऊँचाई फूलदान की लम्बाई और चौड़ाई जितनी होनी चाहिए।
3. सन्तुलन (Balance)- फूलों की व्यवस्था का सन्तुलन ठीक होना चाहिए ताकि फूल एक ओर गिरते दिखाई न दें। यदि फूल एक ओर छोटे और दूसरी ओर बड़े लगाए जाएं या एक ओर सभी हल्के रंग के और दूसरी ओर गहरे रंग के लगाए जाएं तो फूलों का एक ओर भार अधिक लगता है जोकि देखने को उचित नहीं लगता। सही सन्तुलन बनाने के लिए सबसे लम्बा, बड़ा या रंग में गहरा फूल फूलदान के बीच लगाना चाहिए। बाकी के फूल और पत्ते इस केन्द्र बिन्दु के आस-पास इस तरह लगाओ कि दोनों ओर बराबर दिखाई दें। आस-पास के फूल थोड़े छोटे या हल्के रंग के हों तो केन्द्र पर अधिक ध्यान जाता है और देखने वाले को अधिक अच्छा लगता है।
4. लय (Rhythm)-एक अच्छी फूल व्यवस्था में लय का होना भी बहुत आवश्यक है जब किसी वस्तु को देखने के लिए हमारी नज़र आसानी से घूमती है तो वह लय के कारण ही होता है। गोल या त्रिकोणीय फूल व्यवस्था करने से लय पैदा की जा सकती है। जब फूलों के पीछे पत्ते लगाकर S या C आकार की फूल व्यवस्था की जाए जिसका केन्द्र में अधिक बल हो तो भी लय ठीक रहती है। फूलों की व्यवस्था में एक अच्छी लय दर्शाने के लिए मध्य में एक सीधा लम्बा फूल लगाओ और इसकी एक ओर तिरछी टहनी वाले पहले फूल से छोटे एक या दो फूल लगाओ और दूसरी ओर छोटे ओर तिरछे फूल लगाओ। एक ही रंग के भिन्न-भिन्न शेड के फूल प्रयोग करके भी लय उत्पन्न की जा सकती है। नज़र गहरे रंग से फीके रंग की ओर जाएगी।
5. बल (Emphasis)-फूलों की व्यवस्था में एक केन्द्र बिन्दु होना चाहिए जो आपके ध्यान को अधिक आकर्षित करे। यह केन्द्र बिन्दु व्यवस्था के बीच नीचे को होना चाहिए, बड़े, गहरे या उत्तेजित रंग के फूल के साथ यह एहसास दिलाया जा सकता है। फूलदान सादा होना चाहिए ताकि बल फूल पर हो और आपका ध्यान फूल व्यवस्था की ओर हो जाए। आस-पास के फूल छोटे, कम उत्तेजित और विरले लगाने चाहिए इस तरह करने से भी केन्द्र बिन्दु पर अधिक ध्यान जाता है।
पीछे दिए सिद्धान्तों को मन में रखते हुए यदि पुष्प सज्जा की जाए तो देखने को बहुत सुन्दर लगेगी और कमरा भी अधिक सजा हुआ दिखाई देगा।
फूलों को सजाने के लिए मुख्य दो ढंग हैं-
(i) जापानी
(ii) अमरीकन।
(i) जापानी-यह ढंग सांकेतिक होता है। इसमें तीन फूल प्रयोग किए जाते हैं, जिनमें सबसे बड़ा (ऊंचा) फूल परमात्मा, बीच का मानव और सबसे नीचे का धरती का प्रतीक होते हैं। इसमें फूल की किस्म और एक ही रंग के होते हैं।
(ii) अमरीकन-इस ढंग में कई किस्मों के और कई रंगों के फूल इकठे प्रयोग किए जाते हैं इसलिए इस को समूह ढंग भी कहा जाता है। एक प्रकार की फूल व्यवस्था में भिन्न-भिन्न किस्म और भिन्न-भिन्न रंगों के फूल प्रयोग किए जाते हैं। इस तरह की व्यवस्था बड़े कमरे में ही की जा सकती है या किसी विशेष अवसर पर भी की जा सकती है।
इन ढंगों के अतिरिक्त और भी कई प्रकार के फूलों की व्यवस्था की जाती है जैसे कि ऊपरलिखित दोनों ढंगों को मिलाकर जिसमें दोनों ही ढंगों के अच्छे गुण लिए जाते हैं। छोटे फूलों से निचले बर्तन में भी फूलों की व्यवस्था की जाती है।
प्रश्न 27.
कमरों की सजावट में कौन कौन-सी सहायक सामग्री का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
कमरों की सजावट के लिए फर्नीचर, पर्दे और कालीन के अतिरिक्त तस्वीरें और अन्य सामान प्रयोग किया जा सकता है। इनमें तस्वीरें बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
बैठक में साधारण शौक की तस्वीरें जैसे कि कोई दृश्य आदि की तस्वीर लगानी चाहिए। एक कमरे में एक ही प्रकार की तस्वीरें लगानी चाहिएं। यदि ये अधिक महंगी होने के कारण न खरीदी जा सकें तो इनकी प्रतिलिपियां भी लगाई जा सकती हैं। अधिक छोटी-छोटी तस्वीरें लगाने की अपेक्षा एक या दो बड़ी तस्वीरें लगानी अधिक अच्छी लगती हैं। एक कमरे की सभी तस्वीरों के फ्रेम एक से ही होने चाहिए। अधिक तस्वीरों से कमरा रंग-बिरंगा लगता है। यदि अधिक तस्वीरों लगानी भी हैं तो उनको इकट्ठा करके लगाएं। तस्वीरें अधिक ऊँची नहीं लगानी चाहिए ताकि उनके देखने के लिए आँखों और गर्दन पर कोई बोझ न पड़े।
तस्वीरों के अतिरिक्त घर को सजाने के लिए पीतल, तांबे, लकड़ी, दांत खण्ड, क्रिस्टल, शीशे और चीनी मिट्टी की कई वस्तुएं मिलती हैं। यह भी अधिक छोटी वस्तुएं खरीदने से कुछ बड़ी वस्तुएं खरीदना ही अच्छा रहता है। इनको ऐसे स्थान पर रखें जहाँ पड़ी सुन्दर लगें। साधारण घरों में दीवार में छोटे झरोखे रखे जाते हैं। इन वस्तुओं को वहां रखा जा सकता है या फिर किसी मेज़ आदि पर रखी जा सकती हैं। इनकी रोज़ाना झाड़-पोंछ करनी चाहिए और जब आवश्यकता हो इनको पॉलिश करना चाहिए।
किताबों से कमरे को चरित्र मिलता है। कमरे में बाहर से आने वाले को आपके मिलने से पहले ही आपके चरित्र का पता चल जाता है। किताबों का अस्तित्व बातचीत का भी एक साधन बन जाता है। इसके अतिरिक्त किताबें सजावट में भी योगदान देती हैं।
पुस्तकों के अतिरिक्त टेबल लैंप भिन्न-भिन्न बनावट, किस्म और रंगों के मिलते हैं। इस तरह अनेकों किस्मों की घड़ियां भी बाज़ार में उपलब्ध हैं। यदि ठीक तरह इनका चुनाव किए जाए तो यह घर की शान को दुगुना कर देते हैं।
प्रश्न 28.
घर की सजावट में फर्नीचर सबसे महत्त्वपूर्ण कैसे है?
उत्तर-
फर्नीचर घर की सजावट का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है क्योंकि यह महंगा होने से जल्दी बदला नहीं जा सकता। घर में भिन्न-भिन्न कमरे और भाग होते हैं और प्रत्येक कमरे में उसके प्रयोग के अनुसार ही फर्नीचर रखा जाता है और देखभाल भी भिन्न-भिन्न होती है।
बैठक-बैठक में फर्नीचर को इस तरह रखना चाहिए कि उसमें करने वाले कार्य जैसे कि आराम, खेल या संगीत आदि को अच्छी तरह किया जा सके। एक ओर सोफा, दीवान और कुर्सियां आदि रखें ताकि और मेहमानों को बैठाया जा सके। इसके बीच या एक ओर कॉफी की मेज़ रखो। कॉफी की मेज़ का आकार 45 सें० मी० x 90 सें० मी० होना चाहिए। सोफे और कुर्सियों के आस-पास छोटे मेज़ भी रखे जा सकते हैं जिन पर सिग्रेट ऐशट्रे या चाय, कॉफी के प्याले या शर्बत के गिलास रखे जाते हैं। एक ओर संगीत का सामान जैसे कि पियानो या स्टीरियो सैट या टेप रिकार्ड आदि रखे जा सकते हैं और एक कोने में कैरम, चैस या ताश मेज़ पर रखी जा सकती है। यदि पढ़ने का कमरा अलग न हो तो बैठक में ही एक ओर किताबों की अल्मारी या शैल्फ रखें और एक मेज़ और कुर्सी लिखने-पढ़ने के लिए रखे जा सकते हैं। पढ़ने वाली मेज़ पर टेबल लैंप रखा जा सकता है या इसको रोशनी के निकट होना चाहिए। आजकल कई घरों में बैठक में टी० वी० भी रखा जाता है।
दीवारों पर साधारण शौक की कुछ तस्वीरें लगाई जा सकती हैं। कमरे में एक या दो गमले या फूलों के फूलदान रखे जा सकते हैं। पीतल या लकड़ी की सजावट के सामान से भी कमरे को सजाया जा सकता है। सामान को इस ढंग से रखें कि कमरा खुलासा लगे।
सोने के कमरे-सोने के कमरे के फर्नीचर में पलंग ही प्रमुख होते हैं। पलंगों के सिर वाली साइड दीवार के साथ होनी चाहिए। पलंगों के आस-पास इतना स्थान होना चाहिए कि उनके गिर्द जाकर बिस्तर झाड कर और पलंग पोश बिछाया जा सके। पलंगों को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए कि दरवाज़ा या खिड़की खुली होने पर भी बाहर से पलंग नज़र न आएं। आजकल डॉक्टर सख्त पलंग पर सोने की राय देते हैं। भारत में अधिक लोग सन, मुंजी, रस्सी या निवार के बनी चारपाई पर सोते हैं। यह चारपाई हल्की होती है और गर्मियों में इनको कमरे से बाहर भी निकाला जा सकता है। पलंगों के अतिरिक्त सोने वाले कमरे में दो-तीन कुर्सियां या दीवान या 2-3 मूढे और एक मेज़ भी रखे जा सकते हैं।
कई बार सोने वाले कमरे का एक भाग तैयार होने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। कमरे के एक ओर शीशे और दराजों वाली मेज़ रखें और इसके सामने एक सैटी या ‘स्टूल रखें। कमरा बड़ा होने की स्थिति में इस भाग को पर्दा लगाकर भिन्न भी किया जा
सकता है। दीवार पर शीशा टांग कर उसके नीचे एक शैल्फ बनाकर श्रृंगार मेज़ का काम । लिया जा सकता है। इसके निकट ही दीवार में एक अल्मारी बनी होनी चाहिए जिसमें कपड़े रखे जा सकें। यदि दीवार में अल्मारी न हो तो स्टील या लकड़ी की अल्मारी का प्रयोग किया जा सकता है।
खाना खाने का कमरा-खाना खाने के कमरे में खाने की मेज़ और कुर्सियां मुख्य फर्नीचर होती हैं। मेज़ 4, 6 या 8 आदमियों के लिए या इससे भी बड़ा हो सकता है। घर में खाना खाने वाले व्यक्तियों की संख्या और बाहर से आने वाले मेहमानों की संख्या अनुसार ही मेज़ का आकार होना चाहिए। खाना खाने वाली कुर्सियां छोटी, बिना बाजू की और सीधी पीठ वाली होती हैं। प्रायः कमरे के बीच मेज़ रखी जाती है और इसके आसपास कुर्सियां रखी जाती हैं। इस कमरे में चीनी के बर्तन और गिलास, छुरियां, चम्मच आदि रखने के लिए एक अल्मारी भी रखी जाती है। यह अल्मारी दीवार के बीच भी बनाई जा सकती है, कई घरों में बैठक और खाना खाने का कमरा इकट्ठा ही बनाया जाता है। इस तरह के कमरे में जो भाग बाहर की ओर लगता है वह बैठक और अन्दर रसोई के साथ लगता भाग खाना खाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
पढ़ने-लिखने का कमरा-इसमें किताबों की अल्मारी या शैल्फ होने चाहिएं। कमरे के बीच या एक दीवार के साथ वाली मेज़ और उसके सामने एक कुर्सी रखी जाती है। इसके अतिरिक्त दो तीन आराम कुर्सियां भी रखी जा सकती हैं।
प्रश्न 29.
फर्नीचर की देखभाल कैसे करोगे?
उत्तर-
अलग-अलग तरह के फर्नीचर की देखभाल के लिए निम्नलिखित ढंग हैं —
1. लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल -लकड़ी के फर्नीचर को हर रोज़ साफ कपड़े के साथ झाड़-पोंछ कर साफ करना चाहिए। लकड़ी को आमतौर पर सींक लग जाती है। यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर सींक लग जाए तो सींक की दवाई का खराब हिस्से पर छिड़काव (स्प्रे) करो। साल में एक दो बार लकड़ी के फर्नीचर को धूप लगवा लेनी चाहिए। अगर धूप बहुत तेज़ हो तो कुछ समय के लिए ही लगाओ। पालिश किए मेड़ पर गर्म सब्जी के बर्तन या ठण्डे पानी के गिलास सीधे ही नहीं रखने चाहिए, नहीं तो मेज़ पर दाग पड़ जाते हैं। इनके नीचे प्लास्टिक, कारक या जूट आदि के मैट रखने चाहिए। फर्नीचर से दाग उतारने के लिए गुनगुने पानी में सिरका मिलाकर या हल्का डिटरजेंट मिला कर, कपड़ा इस घोल में गीला करके साफ करो। परन्तु फर्नीचर को ज्यादा गीला नहीं करना चाहिए ! गीला साफ़ करने के बाद फर्नीचर को सूखे कपड़े के साथ साफ करो और स्पिरट में भीगी रूई आदि से फिर साफ करो। अगर लकड़ी ज्यादा खराब हो गई हो तो इसको रेगमार से रगड़ कर पॉलिश किया जा सकता है।
यदि लकड़ी में छेद हो गए हों तो उसे मधुमक्खी के मोम से भर- लो।
2. पेंट (रंग रोगन) किए हुए फर्नीचर की देखभाल — ऐसे फर्नीचर को धोया जा सकता है। ज्यादा गन्दा होने की स्थिति में गुनगुने पानी में डिटरजेंट मिला कर साफ करो। किसी खुरदरी वस्तु से फर्नीचर को नहीं रगड़ना चाहिए नहीं तो खरोंचें पड़ जाएंगी और कोई जगहों से पेंट उतर भी सकता है। दोबारा पेंट करना हो तों पहले पेंट को अच्छी तरह उतार लेना चाहिए।
3. बैंत के फर्नीचर की देखभाल — ऐसे फर्नीचर का प्रयोग आमतौर पर बैठक या (बग़ीचे) में किया जाता है। केन के बने डाइनिंग मेज़, कुर्सियां और सोफे भी मिल जाते हैं। नाइलोन वाली केन को ज्यादा धूप में नहीं रखना चाहिए क्योंकि धूप में यह खराब हो जाती है। इसको सूखे या गीले कपड़े से साफ़ किया जा सकता है। ज्यादा गन्दा हो तो नमक या डिटरजैंट वाले पानी से इसे धो लो और साफ कपड़े से सुखा लो। मोम वाले केन को रोज़ साफ सूखे कपड़े से पोंछ लेना चाहिए। ज्यादा खराब होने से रेती कागज़ से सभी तरफ से रगड़ कर दोबारा वैक्स पॉलिश कर लो। पेंट किए केन को लगभग दो सालों बाद दोबारा साफ़ करवा लेना चाहिए।
4. कपड़े से कवर किये (ढके) फर्नीचर की देखभाल — ऐसे फर्नीचर को बिजली के झाड़ (वैकऊम कलीनर) से या गर्म कपड़े से साफ करने वाले बुर्श से साफ करना चाहिए। कपड़े का रंग फीका पड़ गया हो तो दो गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच सिरका मिला कर नर्म कपड़ा इसमें भिगो लो और अच्छी तरह निचोड़ कर कवर साफ करने से कपड़े में चमक आ जाती हैं और साफ भी हो जाता
है। चिकनाई के दाग़ पेट्रोल या पानी में डिटरजैंट मिला कर उसकी झाग से साफ़ किये जाते हैं। झाग से साफ करने के बाद गीले कपड़े से साफ़ करो।
5. प्लास्टिक के फर्नीचर की देखभाल — प्लास्टिक का फर्नीचर रासायनिक पदार्थों से बनता हैं। प्लास्टिक को पिघला कर अलग-अलग आकारों और डिज़ाइनों का फर्नीचर बनाया जाता है। प्लास्टिक के फर्नीचर को पानी से धोया जा सकता है। बुर्श या स्पंज आदि को साबुन वाले पानी से भिगो कर प्लास्टिक के फर्नीचर को साफ़ करके धो के सुखा लो।
6. रैक्सीन या चमड़े के फर्नीचर की देखभाल — नकली चमड़े (रैक्सीन) का फर्नीचर बहुत महंगा नहीं होता और इसे साफ़ करना भी आसान है। इसका प्रयोग आमतौर पर बैंकों, दफ्तरों, गाड़ियों आदि में किया जाता है। यह सर्दियों को ठण्डा और गर्मियों को गर्म हो जाता है इसलिये घरों में इसका प्रयोग कम ही होता है। इसको गीले कपड़े से साफ़ किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर धोया भी जा सकता है। चमड़े का फर्नीचर बहुत महंगा होता है इसलिये इसका प्रयोग कम ही किया जाता है। इसकी हर रोज़ झाड़-पोंछ करनी चाहिए और बरसात में यह अच्छी तरह सूखा होना चाहिए ताकि इसको फंगस न लगे। चमड़े के फर्नीचर को साल में दो बार दो हिस्से अलसी का तेल और एक-एक हिस्सा सिरका मिला कर बने घोल से पालिश करना चाहिए।
Home Science Guide for Class 10 PSEB घर की आन्तरिक सजावट Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
घर की आन्तरिक सजावट के लिए क्या कुछ प्रयोग होता है?
उत्तर-
पर्दे, ग़लीचे, फूल, फर्नीचर आदि।
प्रश्न 2.
प्लास्टिक के फर्नीचर का लाभ बताओ।
उत्तर-
इसे दीमक नहीं लगती।
प्रश्न 3.
पर्दे तथा ग़लीचे कैसे होने चाहिए?
उत्तर-
दीवारों तथा फर्नीचर के रंगों के अनुसार।
प्रश्न 4.
फूलों को सजाने के लिए ढंग बताओ।
उत्तर-
जापानी तथा अमरीकन।
प्रश्न 5.
बैठक में कैसा काम किया जाता है?
उत्तर-
खेलने, लिखने, पढ़ने, मनोरंजन आदि का।
प्रश्न 6.
घर की सुन्दरता बढ़ाने के अलावा पर्दो के लाभ बताओ।
उत्तर-
तेज़ हवा, प्रकाश तथा मिट्टी धूल आदि से बचाते हैं।
प्रश्न 7.
पर्दे लगाने से कमरों में कैसी भावना पैदा होती है?
उत्तर-
एकांत की भावना।
प्रश्न 8.
सर्दियों में (ठंडे देशों) किस रंग के पर्दे लगाए जाते हैं?
उत्तर-
गहरे रंग के।
प्रश्न 9.
छोटे कमरे में कैसे पर्दे ठीक रहते हैं?
उत्तर-
प्लेन तथा छोटे डिज़ाइन वाले।
प्रश्न 10.
खाने वाले कमरे में कैसे फूल प्रयोग करने चाहिए?
उत्तर-
सुगंध रहित।
प्रश्न 11.
जापानी ढंग में बड़ा (ऊँचा) फूल किसका प्रतीक होता है?
उत्तर-
परमात्मा का।
प्रश्न 12.
जापानी ढंग में छोटा फल किस का प्रतीक होता है?
उत्तर-
धरती का।
प्रश्न 13.
फूल कब तोड़ने चाहिए?
उत्तर-
सुबह या शाम जब धूप कम हो।
प्रश्न 14.
फूलदान किस पदार्थ के बने होते हैं?
उत्तर-
चीनी मिट्टी, पीतल, तांबे आदि के।
प्रश्न 15.
प्लास्टिक के फर्नीचर को किस से बचा कर रखना चाहिए?
उत्तर-
धूप तथा सर्दी से।
प्रश्न 16.
जापानी ढंग में कौन-सा फूल धरती की तरफ संकेत करता है?
उत्तर-
छोटा फूल।
प्रश्न 17.
फूलों को ठीक स्थान पर टिकाने के लिए किस वस्तु का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
स्टैम होल्डर।
प्रश्न 18.
जापानी ढंग में सबसे नीचे वाला फूल किस तरफ संकेत करता है?
उत्तर-
धरती की तरफ।
प्रश्न 19.
किस किस्म की फूल व्यवस्था में कई किस्म तथा कई रंगों के फूलों का प्रयोग होता है?
उत्तर-
अमरीकन ढंग में।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गद्दियाँ/कुशन कमरे की सुन्दरता किस प्रकार बढ़ाते हैं?
उत्तर-
गद्दियाँ या कुशन कमरे की सुन्दरता बढ़ाते हैं। गद्दियाँ भिन्न-भिन्न आकार तथा _रंगों में मिल जाती हैं। इनका चुनाव फर्नीचर पर निर्भर करता है। प्लेन सोफे पर डिज़ाइन वाले कुशन, फीके रंग पर गहरे रंग के कुशन रखने से कमरे की सुन्दरता बढ़ जाती है।
प्रश्न 2.
फूलों को सजाने के ढंग बताएं।
उत्तर-
स्या उत्तर दें।
प्रश्न 3.
बैठक तथा खाना खाने वाले कमरे का आयोजन किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 4.
फूलों की व्यवस्था करने समय फूलों को कैसे इकट्ठा किया जाता है तथा फूलदान का चयन कैसे किया जाता है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 5.
फर्नीचर की देखभाल के बारे विस्तार में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 6.
फर्नीचर ख़रीदते समय उसके डिजाइन का ध्यान किस प्रकार रखना चाहिए?
उत्तर-
फर्नीचर ख़रीदते समय धान रखना चाहिए कि इस का डिज़ाइन कमरे में रखी ।। अन्य वस्तुओं के आकार अनुसार हो तथा कमरे के आकार के अनुसार भी हो। बड़े प्रिंट वाले कपड़े वाला फर्नीचर प्रयोग किया जाए तो कई बार कमरे का आकार छोटा लगने लगता है। फर्नीचर का रंग तथा बनावट कमरे की वस्तुओं से मिलता-जुलता भी होना चाहिए।
प्रश्न 7.
फर्नीचर का चुनाव किस प्रकार करना चाहिए ? विस्तार से बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 8.
फर्नीचर का चुनाव करते समय उसके डिज़ाइन और आकार के बारे में क्या ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 9.
फूल व्यवस्था करते समय फूलदान का चुनाव किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 10.
घर की आन्तरिक सजावट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
घर के प्रत्येक कमरे तथा समूचे घर की सजावट को घर की आन्तरिक सजावट कहा जाता है। घर के प्रत्येक कमरे को डिज़ाइन के मूल अंशों तथा सिद्धान्तों के अनुसार सजाना ही घर की आन्तरिक सजावट है। घर की सजावट घर को सुन्दर तथा आकर्षक बनाने के लिये की जाती है तथा घर की सजावट के लिये फर्नीचर; पर्दे, कालीन फूल व्यवस्था तथा तस्वीरों का प्रयोग किया जाता है। घर को सजाते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि परिवार के सदस्यों के आराम में बाधा न पड़े।
प्रश्न 11.
फूलों को सजाने का जापानी ढंग क्या है?
उत्तर-
फूलों को सजाने का जापानी ढंग संकेतक होता है। इसमें तीन फूल प्रयोग किया जाते हैं जिनमें सबसे बड़ा (ऊँचा) फूल परमात्मा, मध्य का मानव तथा सबसे निचला (छोटा) धरती का प्रतीक होते हैं। इसमें फूल एक ही किस्म पर एक जैसे रंग के होते हैं।
प्रश्न 12.
बैठक तथा सोने वाले कमरे में फर्नीचर की व्यवस्था किस प्रकार करोगे?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 13.
पुष्प सज्जा के जापानी और अमरीकन ढंगों के बारे में लिखो।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 14.
कालीन के चुनाव के लिए रंग तथा आकार का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 15.
आन्तरिक सजावट के लिए पर्यों का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 16.
सोने वाले कमरे तथा रसोई का आयोजन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 17.
पढ़ने वाले कमरे तथा स्टोर का आयोजन किस प्रकार करना चाहिए?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 18.
लकड़ी तथा कपड़े से ढके फर्नीचर की देखभाल के बारे में बताएँ।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 19.
फलों को सजाने के अमरीकन ढंग के बारे में लिखो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।
प्रश्न 20.
मिट्टी वाले इलाके के लिए आप फर्नीचर का चयन किस आधार पर करेंगे?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 21.
फूलों की व्यवस्था करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कोई चार प्रकार के फर्नीचर की देखभाल के बारे में बताओ।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 2.
फूलों की व्यवस्था पर नोट लिखो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 3.
फर्नीचर खरीदते समय कौन-सी बातों को मन में रखना चाहिए?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 4.
घर में भिन्न-भिन्न कमरों का आयोजन कैसे करना चाहिए?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 5.
फर्नीचर का चयन कैसे किया जाता है? विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 6.
फूलों की व्यवस्था के सिद्धान्त लिखो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।
प्रश्न 7.
फूलों को सजाने के कौन-से मुख्य ढंग हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. रिक्त स्थान भरें
- जापानी ढंग में सब से बड़ा (ऊँचा) फूल ……………….. का प्रतीक है।
- ……………. किस्म की फूल व्यवस्था में कई प्रकार तथा कई रंगों के फूल इक्ट्ठे प्रयोग किए जाते हैं।
- …………… फूलों को ठीक स्थान पर टिकाने के लिए प्रयोग होते हैं।
- जापानी ढंग में मध्यम फूल ………………. का प्रतीक है।
उत्तर-
- परमात्मा,
- अमरीकन,
- स्टैम होल्डर,
- मानव।
II. ठीक/ग़लत बताएं
- प्लास्टिक के फर्नीचर को दीमक लग जाती है।
- फूलों की सजावट के जापानी ढंग में दस फूलों का प्रयोग होता है।
- अमरीकन ढंग में कई रंगों के फूलों का प्रयोग होता है।
- पर्दे घर की आन्तरिक सजावट के लिए प्रयोग होते हैं।
- जापानी ढंग में बड़ा फूल ईश्वर का प्रतीक होता है।
उत्तर-
- ग़लत,
- ग़लत,
- ठीक,
- ठीक,
- ठीक।
III. बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न में ठीक है
(क) फूलों को सजाने का जापानी ढंग संकेतक है।
(ख) जापानी ढंग में नीचे वाला फूल धरती की तरफ संकेत करता है।
(ग) सर्दी में गहरे रंग के पर्दे लगाएं।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में ठीक है
(क) खाने वाले कमरे में सुगंधित फूल होने चाहिए।
(ख) फूल दोपहर को तोड़ें।
(ग) फूलों का आकार फूलदान के अनुसार हो।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(ग) फूलों का आकार फूलदान के अनुसार हो।
घर की आन्तरिक सजावट PSEB 10th Class Home Science Notes
- घर के अन्दर की सजावट के लिए फर्नीचर, पर्दे, गलीचे, कुशन, फूल, गुलदस्ते आदि वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है।
- फर्नीचर का चुनाव करते समय अपने बजट और आवश्यकता का ध्यान रखना चाहिए।
- प्लास्टिक के फर्नीचर का प्रयोग आजकल इसलिए बढ़ गया है क्योंकि यह सस्ता होता है। जल्दी खराब नहीं होता और इसको दीमक नहीं लगता।
- पर्दे और गलीचे घर की दीवारों और फर्नीचर के रंग के अनुसार ही खरीदने चाहिएं।
- घर में फूलों को सजाने के लिए जापानी और अमेरिकन ढंगों का प्रयोग किया जा सकता है।
- फूल व्यवस्था के लिए फूलों का चुनाव करते समय कमरे की रंग योजना को ध्यान में रखना चाहिए।
- सोने वाले कमरे का फर्नीचर आरामदायक और आकर्षित होना चाहिए।
- हर प्रकार के फर्नीचर को सम्भालने की जानकारी गृहिणी के पास होनी चाहिए।
- फूलों को सजाने के लिए सुमलता, अनुपात, संतुलन, लय, बल आदि सिद्धान्तों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
घर को यदि अन्दर से सजाया जाए तो वह देखने में सुन्दर लगता है। प्रत्येक औरत में सुन्दरता और घर को सजाने वाली वस्तु को परखने की कुदरती योग्यता होती है। घर के अन्दर की सजावट, जगह, सजावट के सामान को परिवार के सदस्यों की प्रारम्भिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। घर को सजाने के लिए अलग तरह का सामान और अच्छे ढंग-तरीके प्रयोग किए जाते हैं। घर की सजावट में औरत की रचनात्मक और कलात्मक योग्यता महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।