Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 28 न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार
SST Guide for Class 8 PSEB न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Textbook Questions and Answers
I. खाली स्थान भरो:
1. ………… पहली सूचना रिपोर्ट को कहते हैं।
2. भारत की सबसे बड़ी अदालत …………. है।
3. सरकार के मुख्य अंग ………… हैं।
4. सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) का जज (न्यायाधीश) …………. साल और हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) का न्यायाधीश …………. साल तक अपने पद पर बने रहते हैं।
5. पी०आई०एल० से तात्पर्य ………… है।
6. फ़ौजदारी मुकद्दमा धारा …………. अधीन दर्ज किया जाता है।
उत्तर-
- FIR
- सर्वोच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट
- विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका
- 65, 62
- जनहित मुकद्दमें
- 134.
II. निम्नलिखित वाक्यों में सही (✓) या गलत (✗) का निशान लगाओ :
1. न्यायपालिका को संविधान की रक्षक कहा जाता है। – (✓)
2. भारत में दोहरी न्याय प्रणाली लागू है। – (✗)
3. जिला अदालत के विरुद्ध उच्च अदालत में अपील नहीं हो सकती है। – (✗)
4. न्यायाधीश की नियुक्ति प्रधानमन्त्री द्वारा की जाती है। – (✗)
5. ज़मीन-जायदाद से सम्बन्धित झगड़े फ़ौजदारी झगड़े होते हैं। – (✗)
III. बहुविकल्पीय प्रश्न :
प्रश्न 1.
सर्वोच्च अदालत को विशेष अधिकार संविधान की किस धारा के अनुसार दिए गए हैं ?
(क) धारा-134
(ख) धारा-135
(ग) धारा-136
(घ) धारा-137
उत्तर-
(ग) धारा-136
प्रश्न 2.
उच्च अदालतों का गठन कैसे किया जाता है ?
(क) जिला स्तर
(ख) तहसील स्तर
(ग) राज्य स्तर
(घ) गांव स्तर।
उत्तर-
राज्य स्तर
प्रश्न 3.
जनहित मुकद्दमें किस प्रकार दर्ज हो सकते हैं ?
(क) निजी हितों की रक्षा हेतु
(ख) सरकारी हितों की रक्षा हेतु
(ग) जनतक हितों की रक्षा हेतु
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
जनता के हितों की रक्षा के लिए।
IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :
प्रश्न 1.
न्यायपालिका किस को कहते हैं ?
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करती है। यह संविधान तथा मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है और कानून का उल्लंघन करने वालों को दण्ड देती है।
प्रश्न 2.
भारत की सबसे बड़ी अदालत कौन-सी है और यह कहां पर स्थित है ?
उत्तर-
भारत की सबसे बड़ी अदालत को सर्वोच्च न्यायालय कहते हैं। भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।
प्रश्न 3.
मुख्य मुकद्दमें कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
मुख्य मुकद्दमें दो प्रकार के होते हैं-सिविल मुकद्दमें तथा फ़ौजदारी मुकद्दमें। सिविल मुकद्दमों में मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, सम्पत्ति, ज़मीनी झगड़े आदि शामिल हैं। फ़ौजदारी मुकद्दमों का सम्बन्ध मारपीट, लड़ाईझगड़ों तथा गाली-गलोच आदि से है।
प्रश्न 4.
सिविल (दीवानी) मुकद्दमा क्या है ?
उत्तर-
सिविल मुकद्दमें आम लोगों से सम्बन्धित होते हैं। इन विवादों में नागरिकों के मौलिक अधिकार, विवाह, तलाक, बलात्कार, सम्पत्ति तथा भूमि सम्बन्धी झगड़े आदि आते हैं। इनका सम्बन्ध निजी जीवन से होता है। इनमें दीवानी मुकद्दमें भी शामिल हैं।
प्रश्न 5.
सरकारी वकील कौन होते हैं ?
उत्तर-
जो वकील सरकार की ओर से मुकद्दमा लड़ते हैं, उन्हें सरकारी वकील कहा जाता है।
प्रश्न 6.
जनहित मुकद्दमा (PIL) क्या है ?
उत्तर-
जन-हित-मुकद्दमा सरकार के किसी विभाग या अधिकारी या संस्था के विरुद्ध दायर किया जाता है। ऐसे मुकद्दमें का सम्बन्ध सार्वजनिक हित से होना अनिवार्य है। किसी के निजी हितों की रक्षा के लिए जन-हित-मुकद्दमेबाज़ी की शरण नहीं ली जा सकती। ऐसे केसों की पैरवी सरकारी वकीलों द्वारा ही की जाती है।
प्रश्न 7.
एफ० आई० आर० (प्रथम सूचना शिकायत) क्या है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है-किसी तरह की दुर्घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को सूचित करना। यह सूचना समीप के पुलिस केन्द्र को देनी होती है।
V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दो :
प्रश्न 1.
न्यायपालिका का महत्त्व वर्णन करें।
उत्तर-
न्यायपालिका सरकार का वह अंग है जो न्याय करता है। लोकतन्त्रीय सरकार में न्यायपालिका का विशेष महत्त्व है क्योंकि इसे ‘संविधान की रक्षक’, लोकतन्त्र की पहरेदार और अधिकारों एवं स्वतन्त्रताओं की समर्थक माना गया है। संघीय प्रणाली में न्यायपालिका की महत्ता और भी अधिक है क्योंकि संघीय प्रणाली में केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य होने वाले झगड़ों का निपटारा करने, संविधान की रक्षा करने तथा इसकी निरपेक्ष व्याख्या करने के लिए न्यायपालिका को विशेष भूमिका निभानी पड़ती है। किसी सरकार की श्रेष्ठता को परखने के लिए उसकी न्यायपालिका की निपुणता सबसे बड़ी कसौटी है।
प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका के विशेष अधिकार लिखें।
उत्तर-
न्याययिक पुनर्निरीक्षण न्यायपालिका का विशेष अधिकार है। इसके अनुसार न्यायपालिका यह देखती है कि विधानपालिका द्वारा पारित किया गया कोई कानून या कार्यपालिका द्वारा जारी कोई अध्यादेश संविधान के विरुद्ध तो नहीं है। यदि न्यायपालिका को महसूस हो कि यह संविधान के विरुद्ध है , तो वह उसे (कानून या अध्यादेश को) रद्द कर सकती है। अपने इसी अधिकार के कारण ही न्यायापालिका संविधान की संरक्षक कहलाती है।
प्रश्न 3.
भारत की एकल न्यायिक प्रणाली के बारे में लिखो।
उत्तर-
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। सर्वोच्च न्यायालय भारत का सबसे बड़ा न्यायालय है जो भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। प्रांतों के अपने-अपने न्यायालय हैं जिन्हें हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय) कहा जाता है। जिला स्तर पर सत्र न्यायालय कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल मैजिस्ट्रेट है। स्थानीय स्तर पर न्याय का कार्य पंचायतें तथा न्यायपालिका-निगमें करती हैं। सभी न्यायालय क्रमवार सर्वोच्च न्यायालय के अधीन हैं। यदि कोई निम्न अदालत के न्याय से प्रसन्न नहीं है तो वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।
प्रश्न 4.
फ़ौजदारी मुकद्दमें कौन-से होते हैं ? सिविल तथा फ़ौजदारी मुकद्दमों में अन्तर लिखें।
उत्तर-
फ़ौजदारी मुकद्दमों में मारपीट, लड़ाई-झगड़े, गाली-गलोच आदि के मुकद्दमें शामिल हैं। किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि पहुंचाने के मामले फ़ौजदारी मुकद्दमों में आते हैं। उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति किसी की भूमि पर अनुचित अधिकार कर लेता है तो वह दीवानी मुकद्दमें का विषय है। परन्तु जब दोनों पक्षों में लड़ाई-झगड़ा या मारपीट होती है और एक-दूसरे की शारीरिक हानि होती है, तो यह मुकद्दमा दीवानी के साथ-साथ फ़ौजदारी भी बन जाता है। इरादा-ए-कत्ल (Intention to Murder) या हत्या करने की भावना भी फ़ौजदारी मुकद्दमें में शामिल है। जब किसी पर धारा 134 के अन्तर्गत फ़ौजदारी मुकद्दमा चलाया जाता है, तो उसे मृत्युदण्ड भी दिया जा सकता है।
इसके विपरीत सिविल मुकद्दमें प्रायः मौलिक अधिकारों, विवाह, तलाक, बलात्कार, ज़मीनी झगड़ों आदि से सम्बन्ध रखते हैं। इस प्रकार इनका सम्बन्ध व्यक्ति के निजी जीवन से होता है।
प्रश्न 5.
एफ० आई० आर० (प्राथमिक सूचना रिपोर्ट) कहां दर्ज हो सकती है ? एफ० आई० आर० दर्ज न होने पर अदालत की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ है पुलिस को किसी दुर्घटना की प्रथम सूचना देना। यह शिकायत समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। फिर भी यदि किसी नागरिक की एफ० आई० आर० किसी पुलिस केन्द्र में दर्ज नहीं हो पाती, तो वह किसी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का सहारा ले सकता है।
संविधान के अनुसार कोई भी अदालत पुलिस को एफ० आई० आर० दर्ज करने का निर्देश दे सकती है। इसके अतिरिक्त न्यायालय स्वयं भी एफ० आई० आर० दर्ज करके पुलिस को पैरवी करने का निर्देश दे सकता है। सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के पास ऐसे विशेष अधिकार हैं। परन्तु आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जबकि किसी पुलिस अधिकारी ने किसी घटना या दुर्घटना की एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार किया हो। यदि ऐसा हो तो देश की अदालतों को इस सम्बन्ध में भी विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
PSEB 8th Class Social Science Guide न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)
सही जोड़े बनाइए :
1. भारत का सर्वोच्च न्यायालय – प्रांत का न्यायालय.
2. उच्च न्यायालय – सम्पति तथा ज़मीनी झगड़े
3. फौजदारी मुकद्दमे – दिल्ली
4. दीवानी मुकद्दमे – मारपीट, लड़ाई-झगड़े।
उत्तर-
- दिल्ली
- प्रांत का न्यायालय
- सम्पत्ति तथा ज़मीनी झगड़े
- मारपीट, लड़ाई-झगड़े।
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं।
प्रश्न 2.
संविधान की धारा 136 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय को क्या विशेष अधिकार प्राप्त है ?
उत्तर-
संविधान की धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।
प्रश्न 3.
‘विशेष अदालत कानून’ (Special Courts Act) क्या है ?
उत्तर-
विशेष अदालत कानून के अनुसार विशेष अदालतों के निर्णयों के विरुद्ध अपील केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही की जा सकती है। यह अपील विशेष अदालत द्वारा निर्णय दिए जाने के पश्चात् 30 दिन के अन्दर की जानी आवश्यक है।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत के सभी न्यायालय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। देश का सबसे बड़ा न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। प्रान्तों (राज्यों) के अपने-अपने ‘उच्च न्यायालय’ हैं। जिला स्तर पर सेशन (सत्र) न्यायालय हैं। इसके अतिरिक्त तहसील स्तर पर उपमण्डल अधिकारी (सिविल) हैं। स्थानीय स्तर पर लोगों को न्याय उपलब्ध कराने के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं तथा नगर-परिषदों आदि का गठन किया गया है। सबसे बड़े न्यायालय ‘सर्वोच्च न्यायालय’ के अधीन उच्च-न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधीन जिला न्यायालय हैं। इसी प्रकार तहसील स्तर के न्यायालय जिला न्यायालयों के अधीन हैं।
इससे स्पष्ट है कि भारत में एकल (इकहरी) न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है।
प्रश्न 2.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं
- न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
- न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
एफ० आई० आर० (F.I.R.) अथवा प्राथमिक सूचना शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई व्यक्ति क्या-क्या प्रयास कर सकता है ?
उत्तर-
एफ० आई० आर० का अर्थ किसी भी दुर्घटना की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने से है। यह रिपोर्ट समीप के पुलिस केन्द्र में दर्ज कराई जा सकती है। नियम के अनुसार किसी भी पुलिस केन्द्र की पुलिस एफ० आई० आर० दर्ज करने से इन्कार नहीं कर सकती। यदि किसी पुलिस केन्द्र की पुलिस यह सूचना दर्ज नहीं करती, तो उस पुलिस केन्द्र के एस० एच० ओ० (थानेदार) तक पहुंच की जा सकती है। यदि थानेदार भी उस प्रथम सूचना शिकायत को दर्ज करने से इन्कार करता है तो उप-पुलिस अधीक्षक से मिला जा सकता है। यदि वह भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज नहीं . करवाता, तो जिले के पुलिस अधीक्षक के पास जाया जा सकता है। यदि पुलिस अधीक्षक भी प्रथम शिकायत सूचना दर्ज करने में आनाकानी-करता है तो एफ० आई० आर० देश के किसी भी पुलिस केन्द्र में दर्ज करवाई जा सकती है।
प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका को किस प्रकार स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-
- न्यायपालिका को विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है ताकि किसी मुकद्दमें का निर्णय करते समय उस पर किसी दल या सरकार का नियन्त्रण न हो।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रह सकते हैं। उन्हें उनके पद से हटाने का ढंग भी आसान नहीं है।
- न्यायाधीशों का वेतन भी अधिक है। इसे उनके कार्यकाल में कम नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
सरकारी वकील की भूमिका स्पष्ट करें।
उत्तर-
सरकारी वकील वे वकील होते हैं जो सरकार के पक्ष में मुकद्दमा लड़ते हैं। भिन्न-भिन्न प्रकार के मुकद्दमें लड़ने के लिए भिन्न-भिन्न सरकारी वकील होते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि सरकार और सरकारी कर्मचारियों के मध्य होने वाले मुकद्दमें, सरकारी सम्पत्ति के केस, फ़ौजदारी मुकद्दमें और सिविल मुकद्दमें लड़ने के लिए अलग अलग सरकारी वकील होते हैं। इन सब मुकद्दमों में सरकारी वकीलों को सरकार के पक्ष में लड़ना होता है और हर मुकद्दमें में सरकार का बचाव करना होता है।
प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, सत्र न्यायालय तथा तहसील स्तर के न्यायालय कहां-कहां स्थित होते हैं ? गांव स्तर के न्यायालय के बारे में भी बताओ।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय देश की राजधानी में, उच्च न्यायालय प्रान्तों में तथा सत्र न्यायालय जिलों में स्थित होते हैं। तहसील स्तर के न्यायालय सत्र न्यायालय के अधीन होते हैं। गांव स्तर पर लोगों को न्याय दिलवाने के लिए ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है। परन्तु ग्राम पंचायतों के अधिकार अधिक विस्तृत नहीं हैं। ये छोटे-मोटे झगड़ों का ही निपटारा करती हैं। इन्हें किसी अपराधी को कारावास का दण्ड देने का अधिकार नहीं है। ये अपराधी को प्रायः जुर्माना ही करती हैं।
प्रश्न 7.
मुकद्दमा निम्न न्यायालय से उच्च न्यायालय में लाने की प्रक्रिया के सम्बन्ध में अपने विचार लिखो।
उत्तर-
भारतीय संविधान में नागरिकों को न्याय दिलाने की व्यवस्था की गई है। यदि किसी केस (विवाद) में ऐसा प्रतीत हो कि न्याय ठीक नहीं हुआ है, तो कोई भी नागरिक उच्च स्तर के न्यायालय की शरण ले सकता है। जिला न्यायालयों के विरुद्ध ‘उच्च-न्यायालय’ में अपील की जा सकती है और उच्च-न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को मानने के लिए उच्च न्यायालय प्रतिबद्ध हैं। इसी प्रकार उच्च-न्यायालयों के निर्णयों को मानने के लिए जिला न्यायालय प्रतिबद्ध हैं।
प्रश्न 8.
न्यायाधीशों की नियुक्ति koun करता है।
उत्तर-न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्यत: राष्ट्रपति करता है। वह पहले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करता है, फिर वह उसकी सलाह से सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करते समय वह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ सम्बन्धित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल की सलाह लेता है।
जिला न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। इसमें वह उच्च न्यायालय की सलाह लेता है।
प्रश्न 9.
सर्वोच्च न्यायालय का अपीली क्षेत्र लिखो।
उत्तर-
सर्वोच्च न्यायालय का अपीलीय अधिकार क्षेत्र अपीलें सुनने से सम्बन्ध रखता है। यह उच्च न्यायालयों द्वारा किए गए निर्णय के विरुद्ध अपीलें सुनता है। ये अपीलें तीन प्रकार की हो सकती हैं-संविधान सम्बन्धी, दीवानी तथा फ़ौजदारी।
1. संविधान सम्बन्धी अपीलें-
- यदि किसी राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा दीवानी, फ़ौजदारी या किसी अन्य मुकद्दमे के बारे में यह प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाये कि मुकद्दमे में और अधिक संवैधानिक व्याख्या की ज़रूरत है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
- यदि उच्च न्यायालय प्रमाण-पत्र न भी जारी करे तो सर्वोच्च न्यायालय स्वयं ऐसी स्वीकृति देकर मुकद्दमे की सुनवाई कर सकता है।
2. दीवानी अपीलें-
- यदि उच्च न्यायालय द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मुकद्दमे में साधारण महत्त्व का कोई कानूनी प्रश्न है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
- कुछ विशेष मुकद्दमों में सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना भी उसके निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।
3. फ़ौजदारी अपीलें सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित स्थितियों में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध फ़ौजदारी अपील में सुन सकता है
- कोई भी ऐसा मुकद्दमा जिसमें निम्न न्यायालयों ने किसी व्यक्ति को दोषमुक्त कर दिया हो, परन्तु उच्च न्यायालय ने उसे मृत्युदण्ड दे दिया हो।
- यदि उच्च न्यायालय ने निम्न न्यायालय में चल रहे मुकद्दमे को सीधा अपने पास मंगवा लिया हो और दोषी को मृत्यु दण्ड दे दिया हो।
- यदि उच्च न्यायालय यह प्रमाणित करे कि मुकद्दमा अपील के योग्य है।
इसके अतिरिक्त धारा 136 के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को यह विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मुकद्दमें में निम्न न्यायालयों द्वारा दिये गए निर्णय के विरुद्ध अपील सुन सकता है।
न्यायपालिका की कार्यविधि तथा विशेषाधिकार PSEB 8th Class Social Science Notes
- सरकार के अंग – सरकार के तीन मुख्य अंग होते हैं-विधानपालिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका। विधानपालिका कानून बनाती है, कार्यपालिका कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका न्याय करती है।
- एकल न्यायपालिका – भारत में एकल न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। ऊपर से लेकर नीचे तक सभी न्यायालय आपस में जुड़े हुए हैं।
- न्यायपालिका की स्वतन्त्रता – न्यायपालिका को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। उदाहरण के लिए इसे विधानपालिका तथा कार्यपालिका से अलग रखा गया है, ताकि वह स्वतन्त्र रह कर निर्णय दे सके।
- सर्वोच्च न्यायालय का अपीली क्षेत्राधिकार – सर्वोच्च न्यायालय राज्यों के उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपीलें सुनता है।
देश का सबसे ऊंचा न्यायालय होने के कारण इसके निर्णय को अन्तिम माना जाता है। - दीवानी अपीलें – किसी भी दीवानी विवाद के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। परन्तु उच्च-न्यायालय द्वारा यह प्रमाणित किया जाना आवश्यक है कि विवाद में साधारण महत्त्व का कोई ठोस कानूनी प्रश्न है। विशेष केसों में सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना भी अपील सुन सकता है।
- जन-हित-मुकद्दमेंबाजी – जन-हित-मुकद्दमेंबाज़ी में सार्वजनिक हित में कोई भी व्यक्ति, जिसका किसी मुकद्दमें से सीधा सम्बन्ध नहीं है, अदालत में मुकद्दमा दायर कर सकता है। अदालतों द्वारा उस मुकद्दमें की सुनवाई भी नियमित मुकद्दमों के समान ही की जाती है।
- मुकद्दमें – मुकद्दमें मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं- दीवानी तथा फ़ौजदारी।
- एफ० आई० आर० किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को सूचित करना होता है। इसे एफ० आई० आर० अथवा प्राथमिक सूचना शिकायत कहा जाता है।