Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 17 स्त्रियां तथा सुधार
SST Guide for Class 8 PSEB स्त्रियां तथा सुधार Textbook Questions and Answers
I. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखें :
प्रश्न 1.
सती प्रथा को कब, किसने तथा किसके प्रयास से अवैध घोषित किया गया था ?
उत्तर-
सती प्रथा को 1829 ई० में लार्ड विलियम बैंटिक ने राजा राममोहन राय के प्रयत्नों से अवैध घोषित किया था।
प्रश्न 2.
किस वर्ष में विधवा-विवाह कराने की कानूनी तौर पर आज्ञा दी गई ?
उत्तर-
विधवा-विवाह कराने की कानूनी आज्ञा 1856 ई० में दी गई।
प्रश्न 3.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (विश्वविद्यालय) की स्थापना कब तथा किसने की ?
उत्तर-
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 ई० में सर सैय्यद अहमद खां ने की। उस समय इसका नाम मोहम्मडन एंग्लो-ओरियेंटल कालेज था।
प्रश्न 4.
नामधारी आन्दोलन की स्थापना कब, कहां तथा किसके द्वारा हुई ?
उत्तर-
नामधारी आन्दोलन की स्थापना 13 अप्रैल, 1857 को भैणी साहिब (लुधियाना) में श्री सतगुरु राम सिंह जी द्वारा हुई।
प्रश्न 5.
सिंह सभा लहर ने स्त्री शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहां-कहां शिक्षण संस्थाएं स्थापित की ?
उत्तर-
सिंह सभा ने स्त्री-शिक्षा के लिए फ़िरोज़पुर, कैरो तथा भमौड़ में शिक्षण संस्थाएं स्थापित की।
प्रश्न 6.
दूसरे विवाह पर प्रतिबन्ध कब तथा किसके प्रयास से लगाया गया था ?
उत्तर-
दूसरे विवाह पर प्रतिबन्ध 1872 ई० में केशव चन्द्र सेन के प्रयासों से लगाया गया था।
प्रश्न 7.
राजा राममोहन राय द्वारा स्त्रियों के उद्धार से सम्बन्धित दिए गए योगदान का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
राजा राममोहन राय 19वीं शताब्दी के महान् समाज सुधारक थे। उनका मानना था कि समाज तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं दिये जाते।
- उन्होंने समाज में से सती-प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रचार किया। उन्होंने विलियम बैंटिंक की सरकार को विश्वास दिलाया कि सती-प्रथा का प्राचीन धार्मिक शास्त्रों में कोई स्थान नहीं है। उनके तर्कों एवं प्रयत्नों के परिणामस्वरूप सरकार ने 1829 ई० में सती-प्रथा पर कानून द्वारा रोक लगा दी।
- उन्होंने महिलाओं की भलाई के लिए कई लेख लिखे।
- उन्होंने बाल-विवाह एवं बहु-विवाह की निन्दा की तथा कन्या वध का विरोध किया।
- उन्होंने पर्दा प्रथा को महिला विकास के मार्ग में बाधा बताते हुए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई।
- उन्होंने नारी-शिक्षा का प्रचार किया। वह विधवा-विवाह के भी पक्ष में थे।
- उन्होंने महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में अधिकार दिये जाने पर बल दिया।
प्रश्न 8.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर द्वारा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए दिये गये योगदान का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर एक महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने महिलाओं के हित के लिए कड़ा परिश्रम किया तथा कन्याओं की शिक्षा के लिए अपने खर्च पर बंगाल में लगभग 25 स्कूल स्थापित किये। उन्होंने विधवा-विवाह के पक्ष में अथक संघर्ष किया। उन्होंने 1855-60 ई० के बीच लगभग 25 विधवा विवाह करवाये। उनके प्रयत्नों से 1856 ई० में हिन्दू विधवा-विवाह कानून पास किया गया। उन्होंने बाल-विवाह का खण्डन किया।
प्रश्न 9.
सर सैय्यद अहमद खां द्वारा स्त्रियों के उद्धार के लिए किये गये प्रयासों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
सर सैय्यद अहमद खां इस्लामी समाज का सुधार करना चाहते थे। उनका मानना था कि समाज तभी समद्ध बन सकता है यदि महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना जाये। उन्होंने बालकों एवं बालिकाओं का बहुत ही छोटी आयु में विवाह करने का घोर विरोध किया। उन्होंने तलाक प्रथा के विरुद्ध जोरदार आवाज़ उठाई। उन्होंने पर्दा-प्रथा का भी खण्डन किया। उनका कहना था कि पर्दा मुस्लिम महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तथा उनके विकास के मार्ग में एक बाधा है। वह समाज में प्रचलित दासता की प्रथा को उचित नहीं मानते थे। उन्होंने समाज में विद्यमान बुराइयों को दूर करने के लिए ‘तहज़ीब-उल-अखलाक’ नामक समाचार-पत्र निकाला। सर सैय्यद अहमद खां ने समाज में अशिक्षा को समाप्त करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। वह धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी शिक्षा प्रदान करने के पक्षधर थे।
प्रश्न 10.
स्वामी दयानन्द जी द्वारा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए दिये गये योगदान का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने इस बात पर बल दिया कि समाज में महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने बालक एवं बालिकाओं के बहुत ही छोटी आयु में विवाह की प्रथा, अर्थात् बाल-विवाह का कड़ा विरोध किया। वे विधवा-विवाह के पक्षधर थे। उन्होंने विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा आश्रम स्थापित किये। उनके द्वारा स्थापित संस्था आर्य समाज ने सती प्रथा तथा दहेज प्रथा का खण्डन किया। असहाय कन्याओं को सिलाई-कढ़ाई के काम का प्रशिक्षण देने के लिए उन्होंने अनेक केन्द्र स्थापित किये। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया तथा भारत के विभिन्न भागों में कन्याओं की शिक्षा के लिए स्कूल खोले।
प्रश्न 11.
19वीं सदी में स्त्रियों (महिलाओं) की दशा का वर्णन करें।।
उत्तर-
19वीं सदी में भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा दयनीय थी। उस समय भारत में सती प्रथा, कन्या हत्या, दास प्रथा, पर्दा, प्रथा, विधवा विवाह निषेध तथा बहु-विवाह आदि कुरीतियों ने महिलाओं का जीवन दूभर बना दिया था। भारतीय समाज में से इन कुरीतियों को समाप्त करने के लिए 19वीं शताब्दी में धार्मिक-सामाजिक आन्दोलन आरम्भ किये गये।
स्त्रियों की दशा को दयनीय बनाने वाली मुख्य कुरीतियां-
1. कन्या-वध-समाज में कन्या के जन्म को अशुभ समझा जाता था, जिसके कई कारण थे। प्रथम, कन्याओं के . विवाह पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ता था जो आम आदमी के वश की बात नहीं थी। दूसरे, माता-पिता को अपनी कन्याओं के लिए योग्य वर खोजना कठिन हो जाता था। तीसरे, यदि कोई माता-पिता अपनी कन्या का विवाह नहीं कर पाते थे तो इसे बुरा माना जाता था। अतः अनेक लोग कन्या को जन्म लेते ही मार देते थे।
2. बाल-विवाह-कन्याओं का विवाह छोटी आयु में ही कर दिया जाता था। इसलिए कन्याएं प्रायः अनपढ़ (अशिक्षित) ही रह जाती थीं। यदि किसी लड़की का पति छोटी आयु में ही मर जाता था तो उसे सती कर दिया जाता था या फिर उसे जीवन भर विधवा ही रहना पड़ता था।
3. सती-प्रथा-सती-प्रथा के अनुसार यदि किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती थी, तो उसे जीवित ही पति की चिता पर जला दिया जाता था।
4. विधवा-विवाह निषेध-समाज की ओर से विधवा-विवाह पर कड़ी रोक लगाई गई थी। विधवा का समाज में अनादर किया जाता था। उनके केश काट दिये जाते थे और उन्हें सफेद वस्त्र पहना दिए जाते थे।
5. पर्दा-प्रथा-पर्दा-प्रथा के अनुसार महिलाएं सदा पर्दा करके ही रहती थीं। इसका उनके स्वास्थ्य एवं विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता था।
6. दहेज-प्रथा-दहेज-प्रथा के अनुसार विवाह के समय पर कन्या को दहेज दिया जाता था। निर्धन लोगों को दहेज देने के लिए साहूकारों से ऋण लेना पड़ता था। अतः कई कन्याएं आत्म-हत्या कर लेती थीं।
7. महिलाओं को अशिक्षित रखना- अधिकतर लोगों द्वारा कन्याओं को शिक्षा नहीं दी जाती थी। उनको शिक्षित करना व्यर्थ माना जाता था, ताकि शिक्षा द्वारा उन्हें आवश्यकता से अधिक स्वतन्त्रता न मिल सके। कन्याओं को शिक्षित करना समाज के लिए भी हानिकारक माना जाता था।
8. हिन्दू समाज में महिलाओं को सम्पत्ति का अधिकार न देना-हिन्दू समाज में महिलाओं को अपनी पैतृक सम्पत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता था।
प्रश्न 12.
स्त्रियों की दशा सुधारने तथा शिक्षा के बारे में अलग-अलग समाज सुधारकों के विचारों तथा प्रयासों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्त्रियों की दशा सुधारने तथा शिक्षा के बारे में भिन्न-भिन्न समाज सुधारकों के विचारों तथा प्रयासों का वर्णन इस प्रकार है
1. राजा राममोहन राय-राजा राममोहन राय 19वीं शताब्दी के महान् समाज-सुधारक थे। उनका मानना था कि समाज तब तक उन्नति नहीं कर सकता जब तक महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं दिये जाते।
- उन्होंने समाज में से सती-प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रचार किया। उन्होंने विलियम बैंटिक की सरकार को विश्वास दिलाया कि सती-प्रथा का प्राचीन धार्मिक शास्त्रों में कोई स्थान नहीं है। उनके तर्कों एवं प्रयत्नों के परिणामस्वरूप सरकार ने 1829 ई० में सती-प्रथा पर कानून द्वारा रोक लगा दी।
- उन्होंने महिलाओं की भलाई के लिए कई लेख लिखे।
- उन्होंने बाल-विवाह एवं बहु-विवाह की निन्दा की तथा कन्या वध का विरोध किया।
- उन्होंने पर्दा-प्रथा को महिला विकास के मार्ग में बाधा बताते हुए इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई।
- उन्होंने नारी-शिक्षा का प्रचार किया। वह विधवा-विवाह के भी पक्ष में थे।
- उन्होंने महिलाओं को पैतृक सम्पत्ति में अधिकार दिये जाने पर बल दिया।
2. ईश्वर चन्द्र विद्यासागर-ईश्वर चन्द्र विद्यासागर एक महान् समाज सुधारक थे। उन्होंने महिलाओं के हित के लिए कड़ा परिश्रम किया तथा कन्याओं की शिक्षा के लिए अपने खर्च पर बंगाल में लगभग 25 स्कूल स्थापित किये। उन्होंने विधवा-विवाह के पक्ष में अनथक संघर्ष किया। उन्होंने 1855-60 ई० के बीच लगभग 25 विधवा विवाह करवाये। उनके प्रयत्नों से 1856 ई० में हिन्दू विधवा-विवाह कानून पास किया गया। उन्होंने बाल-विवाह का खण्डन किया।
3. सर सैय्यद अहमद खां-सर सैय्यद अहमद खां इस्लामी समाज का सुधार करना चाहते थे। उनका मानना था कि समाज तभी समृद्ध बन सकता है यदि महिलाओं को पुरुषों के बराबर माना जाये। उन्होंने बालकों एवं बालिकाओं का बहुत ही छोटी आयु में विवाह करने का घोर विरोध किया। उन्होंने तलाक प्रथा के विरुद्ध जोरदार आवाज़ उठाई। उन्होंने पर्दा प्रथा का भी खण्डन किया। उनका कहना था कि पर्दा मुस्लिम महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तथा उनके विकास के मार्ग में एक बाधा है। वे समाज में प्रचलित दास प्रथा को उचित नहीं मानते थे। उन्होंने समाज में विद्यमान बुराइयों को दूर करने के लिए ‘तहज़ीब-उल-अखलाक’ नामक समाचार-पत्र निकाला। सर सैय्यद अहमद खां ने समाज में अशिक्षा समाप्त करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। वह धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी शिक्षा प्रदान करने के पक्षधर थे।
4. स्वामी दयानन्द सरस्वती-स्वामी दयानन्द सरस्वती ने इस बात पर बल दिया कि समाज में महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने बालक एवं बालिकाओं के बहुत ही छोटी आयु में विवाह की प्रथा अर्थात् बालविवाह का कड़ा विरोध किया। वह विधवा-विवाह के पक्षधर थे। उन्होंने विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा आश्रम स्थापित किये। उनके द्वारा स्थापित संस्था आर्य समाज ने सती प्रथा तथा दहेज प्रथा का खण्डन किया। उन्होंने असहाय कन्याओं को सिलाई-कढ़ाई के काम का प्रशिक्षण देने के लिए अनेक केन्द्र स्थापित किये। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया तथा भारत के विभिन्न भागों में कन्याओं की शिक्षा के लिए स्कूल खोले।
5. श्रीमती ऐनी बेसेंट-श्रीमती ऐनी बेसेंट थियोसोफिकल सोसायटी की सदस्य थीं। इस संस्था ने स्त्री जाति के उद्धार के लिए बाल विवाह का विरोध किया तथा विधवा विवाह के पक्ष में आवाज़ उठाई। शिक्षा के विकास के लिए इस संस्था ने स्थान-स्थान पर बालक-बालिकाओं के लिए स्कूल खोले। 1898 ई० में इसने बनारस में हिन्दू कॉलेज स्थापित किया। यहां हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों की शिक्षा भी दी जाती थी।
प्रश्न 13.
बहुत से सुधारकों ने स्त्रियों की दशा की ओर विशेष ध्यान क्यों दिया ?
उत्तर-
अनेक समाज-सुधारकों ने महिलाओं की समस्याओं पर निम्नलिखित कारणों से विशेष ध्यान दिया-
- विभिन्न समाज-सुधारकों का कहना था कि समाज द्वारा महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं जिन्हें रोकना अनिवार्य है।
- समाज-सुधारकों का विचार था कि समाज में वर्तमान बुराइयों को समाप्त करने के लिए महिलाओं को शिक्षित करना आवश्यक है।
- उन्होंने अनुभव किया कि यदि देश को विदेशी राजनीतिक दासता से स्वतन्त्र करवाना है तो सर्वप्रथम अपने घर और समाज का सुधार करना होगा।
- उन्होंने यह भी अनुभव किया कि समाज में फैली कुरीतियों को समाप्त करने के लिए सर्वप्रथम महिलाओं की दशा सुधारना आवश्यक है।
- समाज-सुधारकों का मानना था कि देश की लोकतन्त्र प्रणाली समाज में समानता के बिना अधूरी है। अत: उन्होंने महिलाओं को समाज में पुरुषों के समान अधिकार दिलाने का प्रयास किया।
प्रश्न 14.
महाराष्ट्र के समाज सुधारकों द्वारा स्त्रियों के उद्धार के लिए दिए गए योगदान का वर्णन करें।
उत्तर-
महाराष्ट्र में समाज सुधारकों ने विभिन्न संस्थाएं स्थापित की। इन्हीं संस्थाओं ने स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए विशेष अभियान चलाये जिनका वर्णन इस प्रकार है-
1. परमहंस सभा-19वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के समाज सुधारकों ने समाज में जागृति लाने के लिए आन्दोलन आरम्भ किये। 1849 ई० में परमहंस मण्डली की स्थापना की गई। इसने मुम्बई में धार्मिक-सामाजिक सुधार आन्दोलन आरम्भ किये। इसका मुख्य उद्देश्य मूर्ति-पूजा तथा जाति-प्रथा का विरोध करना था। इस सभा ने नारी-शिक्षा के लिए कई स्कूलों की स्थापना की। इसने सायंकाल को शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं की भी स्थापना की। ज्योतिबा फुले ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए पिछड़ी जाति की कन्याओं के लिए पुणे में एक स्कूल खोला। उन्होंने विधवाओं की दशा सुधारने के लिए भी प्रयत्न किये। उनके प्रयत्नों से 1856 ई० में सरकार ने विधवा-पुनर्विवाह कानून पास कर दिया। उन्होंने विधवाओं के बच्चों के लिए एक अनाथालय खोला। महाराष्ट्र के एक अन्य प्रसिद्ध समाज सुधारक गोपाल हरि देशमुख थे जोकि लोक-हितकारी के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने समाज की बुराइयों का खण्डन किया तथा समाज सुधार पर बल दिया।
2. प्रार्थना समाज-1867 ई० में महाराष्ट्र में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। महादेव गोबिन्द रानाडे तथा राम कृष्ण गोपाल भण्डारकर इस समाज के प्रसिद्ध नेता थे। उन्होंने जाति प्रथा तथा बाल-विवाह का विरोध किया। वह विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में थे। उन्होंने विधवा-विवाह संघ की स्थापना की। उन्होंने कई स्थानों पर शिक्षण संस्थाएं तथा अनाथाश्रम खोले। उनके प्रयत्नों से 1884 ई० में दक्कन शिक्षा सोसायटी की स्थापना हुई, जिसने पुणे में दक्कन कॉलेज की स्थापना की।
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1. हिन्दू समाज में स्त्रियों को …………… सम्पत्ति लेने का अधिकार नहीं था।
2. अपने भाई की पत्नी के सती हो जाने के पश्चात् ………… के जीवन में एक नया मोड़ आया।
3. 1872 ई० में केशवचन्द्र सेन द्वारा ………… पर पाबंदी लगायी गई।
4. तलाक प्रथा का ………….. ने विरोध किया।
5. ………. 1886 ई० में इंग्लैंड में थियोसिफीकल सोसाइटी में शामिल हई।
उत्तर-
- पैतृक
- राजा राममोहन राय
- दूसरे विवाह
- सर सैय्यद अहमद खां
- श्रीमती ऐनी बेसेंट।
III. सही जोड़े बनाएं:
क – ख
1. स्वामी विवेकानंद – 1. नामधारी लहर
2. श्री सतगुरु राम सिंह जी – 2. रामकृष्ण मिशन
3. सिंह सभा लहर – 3. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
4. सर सैय्यद अहमद खां – 4. मंजी साहिब (अमृतसर)
उत्तर-
1. स्वामी विवेकानंद – रामकृष्ण मिशन
2. श्री सतगुरु राम सिंह जी – नामधारी लहर
3. सिंह सभा लहर – मंजी साहिब (अमृतसर)
4. सर सैय्यद अहमद खां – अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
PSEB 8th Class Social Science Guide स्त्रियां तथा सुधार Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)
(क) सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
सती प्रथा को (1829 ई०) अवैध घोषित किया-
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) लार्ड विलियम बैंटिक
(ii) लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज़
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड विलियम बैंटिक
प्रश्न 2.
नामधारी आंदोलन की स्थापना हुई.
(i) मंजी साहिब (अमृतसर)
(ii) मिठू बस्ती (जालंधर)
(iii) भैणी साहिब (लुधियाना)
(iv) शकूरगंज।
उत्तर-
भैणी साहिब (लुधियाना)
प्रश्न 3.
अहमदिया लहर की नींव रखी
(i) सर सैय्यद अहमद खां
(ii) श्री सतिगुरु राम सिंह जी
(iii) बाबा दयाल सिंह ।
(iv) मिर्जा गुलाम अहमद।
उत्तर-
मिर्जा गुलाम अहमद
प्रश्न 4.
दूसरे विवाह पर प्रतिबंध लगवाया-
(i) राजा राम मोहन राय
(ii) ईश्वर चन्द्र विद्यासागर
(ii) केशव चन्द्र सेन
(iv) स्वामी दयानन्द।
उत्तर-
केशव चन्द्र सेन
प्रश्न 5.
‘आनंद विवाह’ की प्रणाली प्रथा आरम्भ की-
(i) श्री सतिगुरु राम सिंह
(ii) बाबा दयाल सिंह
(iii) मिर्जा गुलाम अहमद
(iv) प्रो० गुरुमुख सिंह।
उत्तर-
श्री सतिगुरु राम सिंह
प्रश्न 6.
सती प्रथा को किसके प्रयत्नों से समाप्त किया गया ?
(i) राजा राम मोहन राय
(ii) सर सैय्यद अहमद खाँ
(iii) वीर सलिंगम
(iv) स्वामी दयानंद सरस्वती।
उत्तर-
राजा राम मोहन राय
प्रश्न 7.
नामधारी आन्दोलन के संस्थापक कौन थे ?
(i) स्वामी विवेकानंद
(ii) श्रीमती एनीबेसेंट
(iii) सतिगुरु राम सिंह
(iv) बाबा दयाल सिंह।
उत्तर-
सतिगुरु राम सिंह।
(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन पर (✗) का निशान लगाएं :
1. 1854 ई० के वुड डिस्पैच में स्त्री शिक्षा पर जोर दिया गया।
2. केशवचन्द्र सेन आर्य समाज के प्रसिद्ध नेता थे।
3. प्रार्थना समाज ने विधवा पुनः विवाह का विरोध किया।
उत्तर-
- ✓
- ✗
- ✗
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी के भारतीय समाज में प्रचलित किन्हीं चार कुरीतियों के नाम बताओ, जिन्होंने स्त्रियों की दशा को दयनीय बना दिया।
उत्तर-
सती प्रथा, कन्या वध, पर्दा प्रथा तथा बहु विवाह आदि।
प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी में लोग कन्याओं का वध क्यों करते थे ? कोई दो कारण लिखो।
उत्तर-
- लड़कियों के विवाह पर बहुत अधिक धन खर्च करना पड़ता था।
- माता-पिता को अपनी लड़कियों के लिए योग्य वर ढूंढ़ने में कठिनाई होती थी।
प्रश्न 3.
19वीं शताब्दी में लोग लड़कियों को शिक्षा क्यों नहीं दिलवाते थे ?
उत्तर-
लोग लड़कियों को शिक्षा दिलवाना उन्हें अधिक आजादी देने के बराबर मानते थे। इसके अतिरिक्त वे लड़कियों की शिक्षा को समाज के लिए हानिकारक भी मानते थे।
प्रश्न 4.
ब्रह्म समाज से जुड़े दो नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
राजा राममोहन राय तथा केशवचन्द्र सेन।
प्रश्न 5.
आर्य समाज के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर-
स्वामी दयानन्द सरस्वती।
प्रश्न 6.
साईंटिफिक सोसायटी की स्थापना किसने, कहां और क्यों की ?
उत्तर-
साईंटिफिक सोसायटी की स्थापना सर सैय्यद अहमद खां ने अलीगढ़ में की। इसकी स्थापना विज्ञान के एक ग्रंथ का उर्दू में अनुवाद करने के लिए की गई थी।
प्रश्न 7.
निरंकारी आन्दोलन के संस्थापक कौन थे ? उन्होंने किस रीति के अनुसार विवाह करने का उपदेश दिया ?
उत्तर-
निरंकारी आन्दोलन के संस्थापक बाबा दयाल जी थे। उन्होंने गुरुमत की रीति के अनुसार विवाह करने का उपदेश दिया।
प्रश्न 8.
‘आनन्द विवाह’ की प्रणाली (प्रथा) किसने चलाई ? इसकी क्या विशेषता थी ?
उत्तर-
आनन्द विवाह की प्रणाली (प्रथा) श्री सतिगुरु राम सिंह जी ने चलाई। इस प्रणाली के अनुसार केवल सवा रुपये में ही विवाह हो जाता था।
प्रश्न 9.
सिंह सभा लहर की नींव कब और कहां रखी गई ?
उत्तर-
सिंह सभा लहर की नींव अक्तूबर 1873 ई० में मंजी साहिब (अमृतसर) में रखी गई।
प्रश्न 10.
लाहौर में सिंह सभा की शाखा कब स्थापित की गई ? इसका प्रधान किसे बनाया गया ?
उत्तर-
लाहौर में सिंह सभा की शाखा 1879 ई० में स्थापित की गई। इसका प्रधान प्रो० गुरुमुख सिंह को बनाया गया।
प्रश्न 11.
अहमदिया लहर की नींव कब, कहां और किसने रखी ?
उत्तर-
अहमदिया लहर की नींव 1853 ई० में मिर्जा गुलाम अहमद ने जिला गुरदासपुर में रखी।
प्रश्न 12.
समकृष्ण मिशन की स्थापना कब, किसने और किसकी याद में की ?
उत्तर-
रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 ई० में स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की याद में की।
प्रश्न 13.
संगत सभा की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
संगत सभा की स्थापना 1860 ई० में केशवचन्द्र सेन ने की।
प्रश्न 14.
श्रीमती ऐनी बेसेंट कब भारत आईं ? उनका सम्बन्ध किस संस्था से था ?
उत्तर-
श्रीमती ऐनी बेसेंट 1893 ई० में भारत आईं। उनका सम्बन्ध थियोसोफिकल सोसायटी से था।
प्रश्न 15.
प्रार्थना समाज की स्थापना कब हुई ? इसके दो मुख्य नेता कौन-कौन थे ?
उत्तर-
प्रार्थना समाज की स्थापना 1867 ई० में हुई। इसके दो प्रमुख नेता महादेव गोबिन्द रानाडे तथा राम कृष्ण गोपाल भण्डारकर थे।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
निरंकारी आन्दोलन तथा बाबा दयाल जी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
निरंकारी आन्दोलन के संस्थापक बाबा दयाल जी थे। उस समय समाज में कन्या के जन्म को अपशकुन समझा जाता था। अतः अनेक कन्याओं को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। महिलाओं में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती प्रथा आदि बुराइयां प्रचलित थीं। विधवा के साथ बुरा व्यवहार किया जाता था और उसे पुनर्विवाह की अनुमति नहीं दी जाती थी। बाबा दयाल जी ने इन सभी बुराइयों को समाप्त करने का पूरा प्रयास किया। उन्होंने कन्या वध तथा सती प्रथा का विरोध किया। उन्होंने लोगों को अपने बच्चों के विवाह गुरुमत के अनुसार करने का उपदेश दिया।
प्रश्न 2.
नामधारी लहर की स्थापना कब और किसने की ? इसके द्वारा किए गए सामाजिक सुधारों का वर्णन करो।
उत्तर-
नामधारी लहर की स्थापना 13 अप्रैल, 1857 ई० को श्री सतिगुरु राम सिंह जी ने भैणी साहिब (लुधियाना) में की। उन्होंने समाज में प्रचलित बुराइयों का विरोध किया।
- उन्होंने बाल-विवाह, कन्या-वध तथा दहेज-प्रथा आदि बुराइयों का प्रबल विरोध किया।
- उन्होंने महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए उन्हें पुरुषों के समान अधिकार देने पर बल दिया।
- उन्होंने विवाह के समय किये जाने वाले व्यर्थ के व्यय का खण्डन किया। श्री सतिगुरु राम सिंह
- उन्होंने विवाह की एक प्रणाली चलाई जिसे आनन्द विवाह का नाम दिया गया। इस प्रणाली के अनुसार केवल सवा रुपये में विवाह की रस्म पूरी कर दी जाती थी। वह जाति-प्रथा में भी विश्वास नहीं रखते थे।
प्रश्न 3.
केशवचन्द्र सेन कौन थे ? समाज सुधार के क्षेत्र में उनके योगदान का वर्णन करो।
उत्तर-
केशवचन्द्र सेन ब्रह्म समाज के एक प्रसिद्ध नेता थे। वह 1857 ई० में ब्रह्म समाज में सम्मिलित हुए थे। 1860 ई० में उन्होंने संगत सभा की स्थापना की, जिसमें धर्म सम्बन्धी विषयों पर विचार-विमर्श होता था। केशव चन्द्र सेन ने नारीशिक्षा एवं विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में प्रचार किया। उन्होंने बाल-विवाह तथा बहु-विवाह आदि प्रथाओं की घोर निन्दा की। केशवचन्द्र सेन के प्रयत्नों से 1872 ई० में सरकार ने कानून पास करके दूसरे विवाह पर रोक लगा दी।
प्रश्न 4.
समाज सुधार के क्षेत्र में श्रीमती ऐनी बेसेंट तथा थियोसोफिकल सोसायटी का क्या योगदान है ?
उत्तर-
श्रीमती ऐनी बेसेंट 1886 ई० में इंग्लैण्ड में थियोसोफिकल सोसायटी में सम्मिलित हुईं। 1893 ई० में वह भारत आ गईं। उन्होंने भारत का भ्रमण किया तथा भाषण दिये। उन्होंने पुस्तकें तथा लेख लिखकर सोसायटी के सिद्धान्तों का प्रचार किया। थियोसोफिकल सोसायटी ने अनेक सामाजिक सुधार भी किये। इसने बाल-विवाह तथा जाति-प्रथा का विरोध किया। इसने पिछड़े लोगों तथा विधवाओं के उद्धार के लिए प्रयत्न किये। सोसायटी ने शिक्षा के विकास के लिए स्थान-स्थान पर बालकों तथा बालिकाओं के लिए स्कूल खोले। 1898 ई० में बनारस में सैंट्रल हिन्दू कॉलेज स्थापित किया गया, जहां हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों की श्री शिव को राती थी।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
समाज सुधार तथा नारी उद्धार के लिए सिंह सभा लहर, अहमदिया लहर तथा स्वामी विवेकानन्द (रामकृष्ण मिशन) द्वारा किये गये कार्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
सिंह सभा लहर-सिंह सभा लहर की नींव 1873 ई० में मंजी साहिब (अमृतसर) में रखी गई। इसका उद्देश्य सिख धर्म तथा समाज में प्रचलित बुराइयों को दूर करना था। सरदार ठाकुर सिंह संधावालिया को इसका प्रधान तथा ज्ञानी ज्ञान सिंह को सचिव नियुक्त किया गया। देश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले सिख सिंह सभा के सदस्य बन सकते थे। 1879 ई० में लाहौर में सिंह सभा की एक अन्य शाखा खोली गई। इसका प्रधान प्रो० गुरुमुख सिंह को बनाया गया। धीरे-धीरे पंजाब में अनेक सिंह सभा शाखाएं स्थापित हो गईं। सिंह सभा के प्रचारकों ने समाज में प्रचलित जातिप्रथा, अस्पृश्यता तथा अन्य सामाजिक बुराइयों का जोरदार खण्डन किया।
इस लहर ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देने के लिए प्रबल प्रचार किया। इसने महिलाओं में प्रचलित पर्दा-प्रथा, बाल-विवाह, बहु-विवाह तथा विधवा-विवाह निषेध आदि बुराइयों की निन्दा की। सिंह सभा ने विधवाओं की देखभाल के लिए विधवा-आश्रम स्थापित किये। इसने नारी-शिक्षा की ओर भी विशेष ध्यान दिया। सिख कन्या महाविद्यालय फिरोज़पुर, खालसा भुजंग स्कूल कैरो तथा विद्या भण्डार भमौड़ आदि प्रसिद्ध कन्या विद्यालय थे जो सर्वप्रथम सिंह सभा के अधीन स्थापित हुए।
अहमदिया लहर-अहमदिया लहर की नींव 1853 ई० में मिर्जा गुलाम अहमद ने कादियां जिला गुरदासपुर में रखी। उन्होंने लोगों को कुरान शरीफ के उपदेशों पर चलने के लिए कहा। उन्होंने परस्पर भाईचारे (भ्रातृभाव) तथा धार्मिक सहनशीलता का प्रचार किया। उन्होंने धर्म में प्रचलित झूठे रीति-रिवाज़ों, अन्ध-विश्वासों और कर्मकाण्डों का त्याग करने का प्रचार किया। उन्होंने धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ पश्चिमी शिक्षा देने का समर्थन भी किया। उन्होंने कई स्कूल और कॉलेजों की स्थापना की।
स्वामी विवेकानन्द तथा राम कृष्ण मिशन-स्वामी विवेकानन्द ने 1897 ई० में अपने गुरु स्वामी राम कृष्ण परमहंस की स्मृति में ‘राम कृष्ण मिशन’ की स्थापना की। उन्होंने भारतीय समाज में प्रचलित अन्ध-विश्वासों और व्यर्थ के रीति-रिवाजों की निन्दा की। वे जाति-प्रथा तथा अस्पृश्यता में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने महिलाओं की दशा सुधारने के लिए विशेष प्रयत्न किये। वे महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार,दिये जाने के पक्ष में थे। उन्होंने कन्यावध, बाल-विवाह, दहेज-प्रथा आदि बुराइयों का विरोध किया। वे विधवा-विवाह के पक्ष में थे। उन्होंने नारी-शिक्षा के लिए प्रचार किया तथा कई स्कूल एवं पुस्तकालय स्थापित किये।
प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी के सुधार आन्दोलनों के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारतीय सुधारकों के प्रयत्नों के परिणामस्वरूप सरकार ने कई सामाजिक बुराइयों पर कानूनी रोक लगा दी। महिलाओं की दशा सुधारने की ओर विशेष ध्यान दिया गया।
- 1795 ई० तथा 1804 ई० में कानून पास करके कन्या-वध पर रोक लगा दी गई।
- 1829 ई० में लार्ड विलियम बैंटिक ने कानून द्वारा सती प्रथा पर रोक लगा दी।
- सरकार ने 1843 ई० में कानून पास करके भारत में दास प्रथा को समाप्त कर दिया।
- बंगाल के महान् समाज सुधारक ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के प्रयत्नों से 1856 ई० में विधवा-पुनर्विवाह को कानून द्वारा मान्यता दे दी गई।
- सरकार ने 1860 ई० में कानून पास करके बालिकाओं के लिए विवाह की आयु कम-से-कम 10 वर्ष निश्चित की। 1929 ई० में शारदा एक्ट के अनुसार बालकों के विवाह के लिए कम-से-कम 16 साल और बालिकाओं के लिए 14 साल की आयु निश्चित की गई।
- 1872 ई० में सरकार ने कानून पास करके अन्तर्जातीय विवाह को स्वीकृति दे दी। (7) 1854 ई० के वुड डिस्पैच में महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया गया।
स्त्रियां तथा सुधार PSEB 8th Class Social Science Notes
- धार्मिक और सामाजिक सुधार आन्दोलन -19वीं शताब्दी में भारतीय समाज के सभी समुदायों के धार्मिक और सामाजिक सुधार के धार्मिक और सामाजिक सुधार के आन्दोलनों का आरम्भ हुआ। धर्म के क्षेत्र में इन आन्दोलनों ने कट्टरता, अन्धविश्वासों तथा पुरोहितों के आधिपत्य पर प्रहार किए। सामाजिक जीवन में इनका उद्देश्य जाति-प्रथा, बाल-विवाह तथा अन्य सामाजिक असमानताओं को दूर करना था।
- राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज – राजा राममोहन राय (1772-1833) ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की उन्होंने सती-प्रथा तथा बाल-विवाह की समाप्ति के लिए अभियान चलाया। केशवचन्द्र सेन के नेतृत्व में ब्रह्म समाज का नाम पूरे देश में फैल गया।
- सुधार आन्दोलनों का प्रसार – देश के अन्य भागों में भी ऐसे ही आन्दोलन आरम्भ हो गए। 1867 ई० में बम्बई (मुम्बई) में प्रार्थना समाज की स्थापना हुई। महादेव गोविन्द रानाडे (1842-1901) जैसे अनेक राष्ट्रीय नेता इसमें सम्मिलित हुए। महाराष्ट्र में अनुसूचित जातियों के जागरण में महात्मा ज्योतिबा फुले ने सक्रिय भूमिका निभाई। .
- आर्य समाज – आर्य समाज की स्थापना 1875 में स्वामी दयानन्द ने की। उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा तथा दहेज प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठाई।।
- सिक्ख सुधार आन्दोलन सिक्खों से सम्बन्धित दो मुख्य सुधार आन्दोलन चले-नामधारी (कूका) आन्दोलन तथा सिंह सभा आन्दोलन। इनमें से सिंह सभा आन्दोलन ने शिक्षा तथा साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की।
- अन्य सुधार आन्दोलन – स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं के प्रसार के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। श्रीमती ऐनी बेसेंट ने 1893 में थियोसोफिकल आन्दोलन को फिर से मज़बूत बनाने का प्रयास किया। मुसलमानों में सुधार आन्दोलन का आरम्भ नवाब अब्दुल लतीफ ने किया। मुसलमानों में सबसे प्रभावशाली आन्दोलन सैय्यद अहमद खान (1817-98) ने आरम्भ किया। उनका सबसे बड़ा कार्य 1875 में मोहम्मडन ऐंग्लो ओरियन्टल कॉलेज की स्थापना करना था।
- सुधार आन्दोलनों के प्रभाव – सुधार आन्दोलनों के परिणामस्वरूप स्त्री उद्धार के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई, राष्ट्रवाद का उदय हुआ तथा जनता में एकता की भावना पैदा हुई।