Punjab State Board PSEB 8th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Lokoktiyan लोकोक्तियाँ Exercise Questions and Answers, Notes.
PSEB 8th Class Hindi Grammar लोकोक्तियाँ (2nd Language)
ऐसी प्रचलित उक्तियाँ जो अपने विशेष अर्थों से किसी सच्चाई को प्रकट करती हैं, उन्हें लोकोक्तियाँ कहा जाता है।
वाक्य प्रयोग सहित आवश्यक लोकोक्तियाँ :
अन्त बुरे का बुरा = बुरे काम का बुरा फल होता है – नन्हें मल ने धन के लोभ में अपने सम्बन्धी की हत्या कर दी। आज वह जेल की यातना भुगत रहा है। सच है, अन्त बुरे का बुरा।
अन्धा क्या चाहे दो आँखें = जब मनचाही वस्तु बिना प्रयत्न के मिल जाये तब कहा जाता है – मुंशी प्रेमचन्द जी नौकरी की तलाश में थे। इतने में दुकान पर खड़े एक मुख्याध्यापक ने उन्हें नौकरी करने के लिए पूछा। तब प्रेमचन्द जी कहने लगे – अन्धा क्या चाहे दो आँखें।
अन्धों में काना राजा = मूों में थोड़ा जानकार भी मान पाता है – रामू ने तो मैट्रिक भी पास नहीं की। ग्राम के लोग उसे बहुत पढ़ा – लिखा समझ कर चौधरी मानते हैं, यह अन्धों में काना राजा वाली बात है।
अब पछताए क्या होत हैं जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत = काम बिगड़ जाने के बाद पछताना व्यर्थ है – मोता सिंह साल भर पढ़ा नहीं। जब परीक्षा में फेल हो गया, तो रोने लगा। तब उसके पिता कहने लगे – अब पछताए क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत।
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता = अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता,
प्रयोग – इस कार्यालय में सभी लोग रिश्वतखोर हैं। अनिल अकेला भला इस बुराई का कैसे अन्त कर सकता है। कहा भी है – अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है = अपने क्षेत्र में शक्तिहीन भी बल का दिखावा करता है – राजेश राजीव को अपनी गली में गालियाँ निकालने लगा। राजीव ने कहा मुहल्ले से बाहर निकलो जरा, मजा चखा। अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है।
आगे कुआँ पीछे खाई = दोनों ओर संकट – पाकिस्तान में रहने वाले लोग पाकिस्तान छोड़कर भारत आते हैं तो उन्हें काम – धन्धा नहीं मिलता। वहाँ रहते हैं तो जीवन सुरक्षित नहीं। उनके लिए तो आगे कुआँ पीछे खाई वाली बात है।
आ बैल मुझे मार = जान – बूझकर मुसीबत मोल लेना – मोहन सिंह और राकेश लड़ रहे थे। सुरेन्द्र सिंह उनके बीच आ धमका और अपने दाँत तुड़वा बैठा। वहाँ उपस्थित लोगों ने कहा कि सुरेन्द्र सिंह पर तो आ बैल मुझे मार वाली लोकोक्ति घटती है।
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे = अपना अपराध स्वीकार न करना, निर्दोष को अपराधी ठहराना – मोहन ने अपनी पुस्तक चोरी करते सोहन को पकड़ लिया। सोहन तपाक से बोला कि तुम अपनी पुस्तक क्लास रूम में क्यों छोड़ गए थे ? इस पर मोहन के मुँह से निकला, उल्टा चोर कोतवाल को डाँटें।
दुकान फीका पकवान = सार कम दिखावा ज्यादा – नाम तो सेठ धनी राम परन्तु वह अपनी लड़की की शादी में बारात को अच्छा खाना भी न दे सका। इस पर कुछ लोगों ने कहा ऊँची दुकान फीका पकवान।
एक तन्दुरुस्ती हजार नियामत है = सेहत अमूल्य धन है – तुम पैसा कमाने के चक्कर में रात – दिन काम करते रहते हो अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते, याद रखो एक तन्दुरुस्ती हज़ार नियामत है।
एक करेला दूसरा नीम चढ़ा = एक तो वैसे ही बुरा हो फिर उसकी संगत भी अच्छी न हो – राम दास एक तो व्यापारी है और दूसरा फिर बनिया कंजूस क्यों न हो, क्योंकि कहा गया है एक करेला दूसरा नीम चढ़ा।
एक पंथ दो काज = एक काम करने से दो लाभ – मैं अमृतसर में किसी काम के लिए गया था और वहाँ हरिमन्दिर साहिब के दर्शन भी कर आया। इसी को कहते हैं – एक पंथ दो काज।
कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली = अमीर – गरीब का क्या मुकाबला, दो व्यक्तियों में बड़ा फ़र्क – तुम गरीब मोहन की सेठ धनी राम से बराबरी करते हो। कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
काठ की हाँडी बार – बार नहीं चढ़ती = बेइमानी बार – बार नहीं होती – वर्षों हलवाई दूध में मिलावट करता रहा। आज जब उसके दूध की जाँच की गई तो पकड़ा गया और दो हज़ार रुपया जुर्माना किया गया। सच ही कहा है – काठ की हाँडी बार – बार नहीं चढ़ती।
कौआ कैसे चल सके राज हंस की चाल = छोटा व्यक्ति महापुरुषों का मुकाबला नहीं कर सकता – गरीब धनी राम की नकल करके अपनी थोड़ी – सी पूंजी भी गंवा बैठा। ठीक ही कहा है – कौआ कैसे चल सके राजहंस की चाल।
घर की मुर्गी दाल बराबर = घर की वस्तु का आदर नहीं होता – मोहन की माँ पकौड़े भी देसी घी के बनाती है। बनाए भी क्यों न, चार भैंसें घर में हैं। उसके लिए तो कहा जा सकता है – घर की मुर्गी दाल बराबर।
चोर की दाढ़ी में तिनका = अपराधी को अपने अपराध के प्रकट होने की चिन्ता लगी रहती है – चोरी के आरोप में पकड़े लोगों के सामने सिपाही ने थानेदार से कहा कि मैंने असली चोर पकड़ लिया है तो एक आदमी बोल पड़ा – थानेदार साहब, मैंने चोरी नहीं की है, इसी को कहते हैं चोर की दाढ़ी में तिनका।
चिराग तले अन्धेरा = अपनी बुराई न दिखाई देना-मास्टर जी दूसरों को परिवार – कल्याण का उपदेश देते हैं, परन्तु उनके अपने सात बच्चे हैं। सच कहा है – चिराग तले अन्धेरा।
चार दिन की चाँदनी फिर अन्धेरी रात = सुख और ऐश्वर्य क्षणिक होता है – अरे महेश, धन – दौलत के नशे में तुम्हें ईश्वर को नहीं भूलना चाहिए। चार दिन की चाँदनी फिर अन्धेरी रात वाली लोकोक्ति का तुम्हें ध्यान रखना चाहिए।
छोटा मुँह बड़ी बात = अनुचित काम कहना या अपनी सामर्थ्य से बड़ा काम करना अरे सुरेश, तुम्हें छोटा मुँह बड़ी बात करते शर्म आनी चाहिए। आखिर मैं तुम्हारा बड़ा भाई छछूदर के सिर में चमेली का तेल = अयोग्य व्यक्ति को उत्तम वस्तु देना – मैट्रिक फेल घनश्याम का विधानसभा के लिए चुना जाना एक प्रकार से छछूदर के सिर में चमेली का तेल वाली कहावत है।
जल में रह कर मगर से वैर = जिसके अधीन रहा जाए उसी से वैर करना – मित्रवर, अपने मैनेजर के विरुद्ध बातें बनाना छोड़ दो। जल में रह कर मगर से वैर करना उचित नहीं है।
जिसकी लाठी उसी की भैंस = बलवान् का सर्वत्र बोलबाला होता है – आज के युग में जिसकी लाठी, उसकी भैंस वाली कहावत ही चरितार्थ होती है।
तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर = शक्ति के अनुसार काम करना चाहिए – मित्र, शादी पर अपनी ताकत से बढ़कर खर्च मत करो, कहा भी है कि तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर।
नीम हकीम खतरा जान = अनजान आदमी लाभ की अपेक्षा हानि करता है – रोगी को किसी अच्छे डॉक्टर या वैद्य को दिखाओ। अपने घरेलू इलाज छोड़ दो क्योंकि नीम हकीम खतरा जान।
नौ नकद न तेरह उधार = कभी उधार नहीं करना चाहिए – उधार माँगने पर दुकानदार ने कहा कि हम लोग उधार का व्यवहार नहीं रखते, हमारा तो नियम नौ नकद न तेरह उधार वाला है।
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं = पराधीनता में कभी सुख नहीं मिलता, नौकरी में पराधीन रहना पड़ता है। मेला हो, त्योहार हो, नौकर को मालिक की खुशी देखनी पड़ती है। ठीक ही कहा है – पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।
यह मुंह और मसूर की दाल = किसी काम के योग्य न होना, अपने से अधिक की इच्छा करना – तुम शीला से विवाह करना चाहते हो। तुम आठवीं पास, वह बी० ए० पास। यह तो वही बात हुई यह मुँह और मसूर की दाल।
रस्सी जल गई पर बल न गया = सब नष्ट होने पर भी अपनी अकड़ न छोड़ना परीक्षा में असफल होने पर भी राजेश अपनी विद्वता की डींग मारता फिरता है। इसी को कहते हैं – रस्सी जल गई पर बल न गया।
लातों के भूत बातों से नहीं मानते = बुरे व्यक्ति मार खाए बिना सीधे नहीं होते रामचन्द्र जी ने रावण को सीता जी को छोड़ने के लिए कई सन्देश भेजे लेकिन वह बिल्कुल न माना और अन्त में रामचन्द्र जी को युद्ध करना ही पड़ा। ठीक ही कहा है – लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
सावन हरे न भादों सूखे = सदा एक – सी अवस्था में रहना – सुरेश निर्धन होने के कारण पाई – पाई के लिए मरता ही था, लेकिन अब जबकि उसका व्यापार चमक उठा है, अब भी उसकी पाई – पाई के लिए मरने की आदत नहीं गई। उसकी तो सावन हरे न भादों सूखे वाली बात है।
सिर मुंडाते ही ओले पड़ना = तुरन्त मुसीबत आना – मोहन घर से निकला ही था कि दंगे भड़क उठे, उसके गोली आ लगी। सिर मुंडाते ही ओले पड़ने की उक्ति चरितार्थ हो गई।
सौ सुनार की एक लोहार की = कमजोर की सौ चोटों से बलवान् की एक चोट ही करारी होती है – प्रतिदिन तंग किए जाने पर प्रमोद ने बलदेव से कहा – ध्यान से सुन लो, किसी दिन इतना पीटूंगा कि नानी याद आ जाएगी। तुम शायद जानते नहीं कि सौ सुनार
की, एक लोहार की होती है।
साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे = काम भी बन जाए और हानि भी न हो बीरबल ने अकबर को समझाया कि राजपूतों से युद्ध करना मौत को बुलाना है। अतः हमें ऐसा उपाय निकालना चाहिए जिससे साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
सहज पके सो मीठा होय = धीरे – धीरे किया जाने वाला काम दृढ़ तथा फलदायक होता है – अरे महेश ! यदि परीक्षा की शुरू से ही तैयारी करोगे, तब ही प्रथम स्थान प्राप्त कर सकोगे क्योंकि सहज पके सो मीठा होय।
होनहार बिरवान के होत चीकने पात = महान् व्यक्ति बनने के लक्षण पहले ही प्रकट हो जाते हैं – मुन्शी प्रेमचन्द जी छोटी अवस्था में ही सुन्दर कहानियाँ तथा लेख लिखने लग पड़े थे। आगे चलकर वे महान् साहित्यकार बने। सच है – होनहार बिरवान के होत चीकने पात।