PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science Geography Chapter 4 महासागर

SST Guide for Class 7 PSEB प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 1-15 शब्दों में दो।

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति से क्या भाव है?
उत्तर-
प्राकृतिक वनस्पति से भाव उन जड़ी-बूटियों तथा पेड़-पौधों से है, जो अपने आप उग आते हैं। इसमें मनुष्य का कोई योगदान नहीं होता। किसी प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति वहां के धरातल, मिट्टी के प्रकार, जलवायु आदि पर निर्भर करती है।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वनस्पति को प्रमुख कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर-
प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा गया है –

  1. वन
  2. घास के मैदान तथा
  3. मरुस्थलीय झाड़ियां।

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प्रश्न 3.
जंगलों से कौन-सी वस्तुएं प्राप्त होती हैं ?
उत्तर-
जंगलों से हमें कई प्रकार की लकड़ी, बांस, कागज़ बनाने वाले घास, गूद, गन्दा बरोज़ा, तारपीन, लाख, चमड़ा रंगने का छिलका, दवाइयों के लिए जड़ी-बूटियां आदि वस्तुएं प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 4.
जंगल अप्रत्यक्ष रूप में हमारी क्या सहायता करते हैं ?
उत्तर-
वन परोक्ष रूप से हमारी बहुत सहायता करते हैं।

  1. ये वातावरण से कार्बन-डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
  2. ये वर्षा लाने में सहायक होते हैं और तापमान को अधिक नहीं बढ़ने देते।
  3. ये बाढ़ और भू-क्षरण को रोकते हैं।
  4. ये भूमि के अन्दर पानी के रिसाव में सहायता करते हैं।
  5. वन मरुस्थलों के विस्तार को रोकते हैं और वन्य-जीवों तथा पक्षियों को आवास (Habitat) प्रदान करते हैं।

प्रश्न 5.
जंगलों के विकास का क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर-
जंगल (वन) हमारे लिए वरदान हैं। इनके विकास का निम्नलिखित प्रभाव पड़ेगा –

  1. देश की आर्थिक प्रगति होगी।
  2. पर्यावरण शुद्ध होगा।
  3. वन्य जीवन की सुरक्षा होगी।

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प्रश्न 6.
मानव परिस्थिति (पारिस्थितिक) सन्तुलन को कैसे बिगाड़ रहा है?
उत्तर-
मनुष्य आवास तथा कृषि योग्य भूमि प्राप्त करने के लिए वनों की अन्धाधुन्ध कटाई कर रहा है। इससे पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ रहा है।

प्रश्न 7.
उष्ण घास के मैदानों के स्थानीय नाम बताएं।
उत्तर-
उष्ण घास के मैदानों को अफ्रीका में पार्कलैण्ड, वेंजुएला में लानोज तथा ब्राज़ील में कैंपोज़ कहते हैं।

प्रश्न 8.
ठण्डे मरुस्थलों की वनस्पति के बारे में लिखो।
उत्तर-
ठण्डे मरुस्थलों में जब थोड़े समय के लिए बर्फ पिघलती है, तो विभिन्न रंगों के फलों वाले छोटे-छोटे पौधे उग जाते हैं। उत्तरी भागों में छोटी-छोटी घास जैसे काई और लिचन (लाइकन) उग जाती है।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भूमध्य रेखी जंगलों के बारे में लिखो।
उत्तर-
भूमध्य रेखी जंगल भू-मध्य रेखा से 10° उत्तर और 10° दक्षिणी अक्षांशों में फैले हुए हैं। इन वनों को सदाबहार घने जंगल कहते हैं। भू-मध्य रेखा पर सारा साल उच्च तापमान रहता है और वर्षा भी अधिक होती है। इसी कारण यहां घने वन पाए जाते हैं। इन वनों की ऊपर वाली शाखाएं आपस में इस प्रकार मिली होती हैं कि वे एक छतरी के समान दिखाई देती हैं। इसलिए सूर्य का प्रकाश भी धरती पर नहीं पहुंच पाता। इन वनों में कई प्रकार के वृक्ष होते हैं; फिर भी ये वृक्ष आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं होते। इसका मुख्य कारण यह है कि ये इतने सघन होते हैं कि इनमें से गुज़रना कठिन होता है। इस कारण इनकी कटाई नहीं हो सकती।

दक्षिणी अमेरिका, मध्य अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मैडागास्कर में इन वनों के बहुत बड़े क्षेत्र हैं। ऑस्ट्रेलिया, मध्य-अमेरिका में इन वनों ने थोड़ा-थोड़ा क्षेत्र घेरा हुआ है।

प्रश्न 2.
आर्थिक पक्ष से कौन-से जंगल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं ?
उत्तर-
आर्थिक दृष्टि से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तथा मूल्यवान वन नुकीले पत्तों वाले वन हैं। इन वनों को सदाबहार वन भी कहते हैं। यूरेशिया में इन्हें टैगा (Taiga) वन कहा जाता है। इन वनों में चीड़, फ़र और स्यूस के वृक्ष मिलते हैं। इन वृक्षों से नर्म लकड़ी प्राप्त होती है जिससे गूदा और कागज़ बनाया जाता है।

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प्रश्न 3.
मानसूनी जंगलों (वनों) को पतझड़ी जंगलों (वनों) के नाम से क्यों पुकारा जाता है?
उत्तर-
मानसूनी वन कम उष्ण अर्थात् उपोष्ण अक्षांशों पर पाये जाते हैं। जिन क्षेत्रों में किसी एक मौसम में वर्षा अधिक मात्रा में होती है वहां इनके पत्ते चौड़े होते हैं। ये वन उन क्षेत्रों में अधिक होते हैं जहां मानसून पवनों के कारण अधिक वर्षा होती है। इस कारण इन्हें मानसूनी वन कहते हैं। जिस मौसम में वर्षा नहीं होती; ये वन अपने पत्ते गिरा देते हैं। इसलिए इन्हें पतझड़ी वन भी कहा जाता है। ये वन आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये वन भू-मध्यरेखीय वनों से कम सघन हैं और मनुष्य की पहुंच में हैं। इनसे इमारती तथा ईंधन की लकड़ी मिलती है। परन्तु अधिकतर मानसूनी वन काट दिए गए हैं और प्राप्त भूमि पर कृषि की जाने लगी है।

प्रश्न 4.
शीत ऊष्ण घास के मैदानों के बारे में लिखो। इनके भिन्न-भिन्न महाद्वीपों में कौन-कौन से नाम हैं ?
उत्तर-
शीतोष्ण घास के मैदान कम वर्षा वाले शीतोष्ण क्षेत्रों में पाये जाते हैं। यहां घास अधिक ऊंची तो नहीं होती, परन्तु यह कोमल तथा सघन होती है। अतः यह पशुओं के चारे के लिए बहुत उपयोगी होती है। इन घास के मैदानों को विभिन्न महाद्वीपों में भिन्न-भिन्न नाम दिये गये हैं। इन्हें यूरेशिया में स्टैपीज़, उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज़, दक्षिणी अमेरिका में पम्पाज़, दक्षिणी अफ्रीका में वैल्ड तथा ऑस्ट्रेलिया में डाउन्ज के नाम से पुकारा जाता है।

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प्रश्न 5.
गर्म मरुस्थलीय वनस्पति के बारे में लिखो।
उत्तर-
संसार के प्रमुख गर्म मरुस्थल अफ्रीका में सहारा और कालाहारी, अरब-ईरान का मरुस्थल, भारतपाकिस्तान का थार मरुस्थल, दक्षिणी अमेरिका में ऐटोकामा, उत्तरी अमेरिका में दक्षिणी कैलेकैनिया और उत्तरी मैक्सिको तथा ऑस्ट्रेलिया में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के मरुस्थल हैं। इन मरुस्थलों में अधिक गर्मी तथा कम वर्षा के कारण बहत कम वनस्पति मिलती है। यहां केवल कांटेदार झाड़ियां, थोहर, छोटी-छोटी जड़ी-बूटियां और घास आदि ही पैदा होते हैं। प्रकृति ने इस वनस्पति को इस प्रकार का बनाया है कि यह अत्यधिक गर्मी और शुष्कता को सहन कर सके। इनकी जड़ें लम्बी और मोटी होती हैं ताकि पौधे गहराई से नमी प्राप्त कर सकें। पौधों का छिलका मोटा होता है तथा पत्ते मोटे और चिकने होते हैं, ताकि वाष्पीकरण से अधिक पानी नष्ट न हो।

प्रश्न 6.
जंगलों (वनों) की सम्भाल क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
वनों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। ये हमारी बहुत-सी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं । वनों से प्राप्त लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में, मकान बनाने में तथा कई अन्य कामों, जैसे कागज़ बनाने, रेलों के डिब्बे, स्लीपर, रेयन (कपड़ा बनाने के लिए) आदि बनाने के लिए होता है। वनों से हमें लकड़ी के अतिरिक्त अन्य कई उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। सबसे बढ़कर वन वर्षा लाने में सहायता करते हैं, बाढ़ों पर नियन्त्रण करते हैं तथा भूक्षरण को रोकते हैं। परन्तु जनसंख्या की वृद्धि के साथ वनों का उपभोग बढ़ रहा है। जिससे वन-क्षेत्र कम हो रहा है। अतः वनों की सम्भाल और नये वृक्ष लगाने की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

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(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125-130 शब्दों में लिखो

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति के बारे में विसृत रूप में लिखो।
उत्तर-
प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उन जड़ी-बूटियों तथा पेड़-पौधों से है, जो मनुष्य के प्रयत्न के बिना अपने आप उग आते हैं। इसमें मनुष्य का कोई योगदान नहीं होता। किसी प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति वहां के धरातल, मिट्टी के प्रकार, जलवायु आदि पर निर्भर करती है।
प्राकृतिक वनस्पति के भाग-प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा गया है –
(1) वन
(2) घास के मैदान तथा
(3) मरुस्थलीय झाड़ियां।
I. वन-वनों को वर्षा की मात्रा, मौसमी बांट, तापमान आदि कारक प्रभावित करते हैं। इस आधार पर वनस्पति तीन प्रकार की है –
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(1) भू-मध्य रेखीय वन (2) मानसूनी अथवा पतझड़ी वन (3) नुकीली पत्ती वाले वन।
1. भू-मध्य रेखीय वन-ये वन भू-मध्य रेखा से 10° उत्तर और 10° दक्षिण अक्षांशों में फैले हुए हैं। इन वनों को सदाबहार घने वन कहते हैं। भू-मध्य रेखा पर सारा साल निरन्तर उच्च तापमान रहता है और वर्षा भी अधिक होती है। इसी कारण यहां घने वन पाए जाते हैं। इन वनों की ऊपर वाली शाखाएं आपस में इस प्रकार मिली होती हैं कि वे एक छतरी के समान दिखाई देती हैं। इसलिए सूर्य का प्रकाश भी धरती पर नहीं पहुंच पाता। इन वनों में कई प्रकार के वृक्ष होते हैं; फिर भी ये वृक्ष आर्थिक रूप से लाभदायक नहीं होते। इसका मुख्य कारण यह है कि ये इतने सघन होते हैं कि इनमें से गुज़रना कठिन होता है। इस कारण इनकी कटाई नहीं हो सकती।

दक्षिणी अमेरिका, मध्य अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी एशिया, मैडागास्कर में इन वनों के बहुत बड़े क्षेत्र हैं। ऑस्ट्रेलिया, मध्य-अमेरिका में इन वनों ने थोड़ा-थोड़ा क्षेत्र घेरा हुआ है।

2. मानसूनी अथवा पतझड़ी वन-मानसूनी वन कम उष्ण अर्थात् उपोष्ण अक्षांशों पर पाये जाते हैं। जिन क्षेत्रों में किसी एक मौसम में अधिक वर्षा होती है, वहां इनके पत्ते चौड़े होते हैं। ये वन उन क्षेत्रों में अधिक होते हैं जहां मानसून पवनों के कारण अधिक वर्षा होती है। इस कारण इन्हें मानसूनी वन कहते हैं। जिस मौसम में वर्षा नहीं होती; ये वन अपने पत्ते गिरा देते हैं। इसलिए इन्हें पतझड़ी वन भी कहा जाता है। ये वन आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये वन भू-मध्य रेखीय वनों से कम सघन हैं और मनुष्य की पहुंच में हैं। इनसे इमारती तथा ईंधन की लकड़ी मिलती है। परन्तु अधिकतर मानसूनी वन काट दिए गए हैं और प्राप्त भूमि पर कृषि की जाने लगी है।

3. नुकीली पत्ती वाले वन-ये वन आर्थिक दृष्टि से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तथा मूल्यवान हैं। इन वनों को सदाबहार वन भी कहते हैं। यूरेशिया में इन्हें टेगा (Taiga) वन कहा जाता है। इन वनों में चीड़, फ़र और स्पूस के वृक्ष मिलते हैं। इन वृक्षों से नर्म लकड़ी प्राप्त होती है जिससे गूदा और कागज़ बनाया जाता है।

II. घास के मैदान-घास के मैदान मुख्य रूप से दो प्रकार के हैं-उष्ण घास के मैदान तथा शीतोष्ण घास के मैदान।
1. उष्ण घास के मैदान-घास के ये मैदान 10°-30° अक्षांशों पर उत्तरी तथा दक्षिणी गोलाद्धों में पाये जाते हैं। इन घास के मैदानों को ‘सवाना घास के मैदान’ कहा जाता है। परन्तु अलग-अलग क्षेत्रों में इन्हें अलग-अलग नाम दिये गए हैं। अफ्रीका में इन्हें पार्कलैण्ड, जुएला में लानोज़ और ब्राज़ील में कैम्पोज़ कहते हैं।

इन मैदानों की घास पांच मीटर तक ऊंची हो जाती है और सूखकर बहुत कठोर हो जाती है। यहां पर कहीं-कहीं छोटे कद के वृक्ष भी मिलते हैं। इन घास के मैदानों में घास खाने वाले और मांसाहारी पशु बहुत अधिक पाये जाते हैं।

2. शीतोष्ण घास के मैदान-शीतोष्ण घास के मैदान कम वर्षा वाले शीतोष्ण क्षेत्रों में पाये जाते हैं। यहां घास अधिक ऊंची तो नहीं होती, परन्तु यह कोमल तथा सघन होती है। अतः यह पशुओं के चारे के लिए बहुत उपयोगी होती है। इन घास के मैदानों को भी विभिन्न महाद्वीपों में भिन्न-भिन्न नाम दिये गये हैं। इन्हें यूरेशिया में स्टैपीज़, उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज़, दक्षिणी अमेरिका में पम्पाज़, दक्षिणी अफ्रीका में वैल्ड तथा ऑस्ट्रेलिया में डाउन्ज़ के नाम से पुकारा जाता है।

III. मरुस्थलीय झाड़ियां-संसार में दो प्रकार के मरुस्थल पाये जाते हैं-गर्म मरुस्थल तथा ठण्डे मरुस्थल।
1. गर्म मरुस्थल-संसार के प्रमुख गर्म मरुस्थल अफ्रीका में सहारा और कालाहारी, अरब-ईरान का मरुस्थल, भारत-पाकिस्तान का थार मरुस्थल, दक्षिणी अमेरिका में ऐटोकामा, उत्तरी अमेरिका में दक्षिणी कैलिफ्रेनिया और उत्तरी मैक्सिको तथा ऑस्ट्रेलिया में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया का मरुस्थल हैं। इन मरुस्थलों में अधिक गर्मी तथा कम वर्षा के कारण बहुत कम वनस्पति मिलती है। यहां केवल कांटेदार झाड़ियां, थोहर, छोटी-छोटी जड़ी-बूटियां और घास आदि ही पैदा होते हैं। प्रकृति ने इस वनस्पति को इस प्रकार का बनाया है कि यह अत्यधिक गर्मी और शुष्कता को सहन कर सके। इनकी जड़ें लम्बी और मोटी होती हैं ताकि पौधे गहराई से नमी प्राप्त कर सकें। पौधों का छिलका मोटा होता है तथा पत्ते मोटे और चिकने होते हैं, ताकि वाष्पीकरण से अधिक पानी नष्ट न हो।

2. ठण्डे मरुस्थल-ठण्डे मरुस्थल कनाडा तथा यूरेशिया के सुदूर उत्तरी अक्षांशों में स्थित हैं। यहां वर्ष में अधिकतर समय बर्फ जमी रहती है। जब थोड़े समय के लिए बर्फ पिघलती है, तो विभिन्न प्रकार के रंगों के फूलों वाले छोटे-छोटे पौधे उग आते हैं। उत्तरी भागों में छोटी-छोटी घास जैसे काई और लिचन (लाइकन) उग जाती है।

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प्रश्न 2.
संसार में जंगली जीवों की सुरक्षा तथा सम्भाल के बारे में लिखो। पारिस्थिति (पारिस्थितिक) सन्तुलन को बनाये रखने के लिए जंगली जीवों की भूमिका के बारे में लिखो।
उत्तर-
जंगली जीव हमारी अमूल्य सम्पत्ति हैं। परन्तु जंगलों के विनाश के साथ-साथ जंगली जीवों की संख्या बहुत कम होती जा रही है। मनुष्य जंगल काटने के साथ-साथ जंगली जीवों का शिकार भी करता रहा है। मांस, खाल तथा अन्य अंगों के लिए मनुष्य अन्धा-धुन्ध पशुओं का शिकार करता रहा है। परिणामस्वरूप जंगली जीवों की कई जातियां लुप्त हो गई हैं और कई जातियों की संख्या इतनी कम हो गई है कि उनके लुप्त हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। उदाहरण के लिए भारत में गेंडा, चीता, शेर आदि जीव लुप्त होने की कगार पर हैं।

पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाए रखने में जंगली जीवों की भूमिका-पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाये रखने में वन्य जीवों का बहुत अधिक योगदान है। प्रकृति ने जीव-मण्डल की रचना इस प्रकार की है कि एक जीव भोजन के लिए दूसरे जीव पर निर्भर है। छोटे जीव बडे जीवों का भोजन हैं। मांसाहारी जीव घास खाने वाले जीवों पर निर्भर हैं। अतः किसी एक जीव-जाति का अस्तित्व समाप्त हो जाने पर पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ जाता है। उदाहरण के लिए यदि शेर, चीते आदि मांसाहारी जीवों की संख्या बढ़ जाये या घास खाने वाले जीव कम हो जायें तो शेर तथा चीते भूखे मर जाएंगे या फिर मांसाहारी जीव मनुष्य को खाना आरम्भ कर देंगे। यदि स्थिति उलट हो जाए तो शेर और चीतों की संख्या कम हो जाये तो घास खाने वाले जीवों की संख्या बढ़ जायेगी। अत: वे सारी धरती की घास खा जायेंगे, जिससे लहलहाते हरे-भरे मैदान मरुस्थलों में बदल जायेंगे। भू-क्षरण भी बढ़ जायेगा। इस प्रकार पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ जायेगा। अतः पारिस्थितिक सन्तुलन को बनाए रखने के लिए उपाय किये जाने चाहिएं। इसलिए बहुत से देशों में शिकार पर पाबन्दी लगा दी गई है। भारत में भी शिकार करना अपराध है और शिकार करने वाला व्यक्ति दण्ड का भागी हो सकता है।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव 2
जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत तथा कई अन्य देशों में राष्ट्रीय पार्क भी स्थापित किये गये हैं। इन पार्कों में वन्य जीवों को सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान किया गया है। भारत के विभिन्न भागों में लगभग 20 राष्ट्रीय पार्क हैं। इनमें कॉर्बेट, शिवपुरी, कनेरी, राजदेवगा, गीर आदि के नाम लिए जा सकते हैं। इनके अतिरिक्त जीवों और मछलियों के लिए अलग-अलग आरक्षित केन्द्र हैं। छत्तबीड़ पंजाब में ऐसा ही एक केन्द्र है। अफ्रीका का सवाना घास-क्षेत्र वन्य जीवों का विशाल घर है। इस क्षेत्र में जेबरा, जिरोफ, बारहसिंगा, हिरण, बाघ, शेर, चीता, हाथी, जंगली भैंसे, गैंडे और अनेक प्रकार के कीड़े-मकौड़े पाये जाते हैं। (घ) संसार के नक्शे में निम्नलिखित क्षेत्र दिखाएं –
(1) सहारा मरुस्थलीय वनस्पति।
(2) लानोज़ घास-क्षेत्र।
(3) पंपास के घास-क्षेत्र।
(4) सैलवास जंगल।
नोट-MBD मानचित्रावली की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 7th Class Social Science Guide प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
वनों की लकड़ी पर कौन-कौन से उद्योग निर्भर हैं?
उत्तर-
वनों की लकड़ी पर कई उद्योग निर्भर करते हैं। इन उद्योगों में फर्नीचर, खेलों का सामान, समुद्री बेड़े, रेलों के डिब्बे और स्लीपर, कागज़, प्लाईवुड, सामान पैक करने के लिए पेटियां बनाना आदि उद्योग शामिल हैं। इमारती लकड़ी भवन निर्माण में काम आती है।

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प्रश्न 2.
वनों की विभिन्नता को प्रभावित करने वाले तीन कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर-

  1. वर्षा की वार्षिक मात्रा
  2. मौसमी बांट तथा
  3. तापमान।

प्रश्न 3.
यूरेशिया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
यूरोप तथा एशिया महाद्वीपों को सामूहिक रूप से यूरेशिया कहते हैं।

प्रश्न 4.
वनों की लकड़ी का प्रयोग मुख्यतः किन-किन कार्यों के लिए होता है?
उत्तर-
वनों की लकड़ी का प्रयोग मुख्य रूप से जलाने में होता है। वनों से प्राप्त कुल लकड़ी का 50% इसी काम आता है। 33% लकड़ी भवन निर्माण में तथा शेष लकड़ी अन्य कार्यों के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

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प्रश्न 5.
वृक्षों की सुरक्षा एवं सम्भाल के कुछ उपाय बताइए।
उत्तर-

  1. कई बार आग लग जाने से वनों की भारी हानि होती है। इस ओर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
  2. वृक्षों की कटाई नियमों की सीमा में रहते हुए करनी चाहिए। साथ ही साथ नये वृक्ष भी लगाने चाहिए।
  3. इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि कीड़े-मकोड़ों और बीमारियों से वृक्ष नष्ट न हों।
  4. नहरों, नदियों, सड़कों, रेल-पटरियों के साथ-साथ खाली पड़ी भूमि पर अधिक-से-अधिक वृक्ष उगाए जाने चाहिए।
  5. ईंधन के लिए लकड़ी का प्रयोग कम किया जाना चाहिए। इसके स्थान पर गैस, सौर-शक्ति, गोबर-गैस आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  6. भवन-निर्माण में भी लकड़ी के स्थान पर अन्य पदार्थों के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
भू-मध्य रेखीय वनों को आकाश को छूने वाली एक इमारत (Sky Scraper) क्यों माना जाता है?
उत्तर-
आकाश को छूने वाली इमारत से अभिप्राय एक बहुत ऊंची अथवा अनेक मंज़िलों वाली इमारतों से है। भूमध्य रेखीय वन भी इसी प्रकार का दृश्य प्रस्तुत करते हैं। इसलिए इन्हें आकाश को छूने वाली इमारत माना जाता है।
1. इस वन-इमारत में सबसे ऊपर वाली मंज़िल 70 मीटर ऊंचे वृक्षों से बनती है। यहां धूप और हवा दोनों मिलते । हैं। यहां फल भी होते हैं और फूल भी।

2. इससे नीचे की मंज़िल छतरी नुमा होती है। वृक्षों की शाखाओं के परस्पर उलझ जाने के कारण यहां छतरी जैसी छत बन जाती है। यहां सूर्य का प्रकाश कम पहुँचता है जो फलों और फूलों के लिए लाभदायक है।

3. इससे नीचे वाली मंजिल परछाईं वाली होती है। यहां लताएं वृक्षों पर चढ़ जाती हैं और आपस में लिपटी हुई होती हैं। जो लताएं सूर्य के प्रकाश के बिना नहीं रह सकतीं, वे सूर्य का प्रकाश पाने के लिए ऊपर बढ़ जाती हैं।

4. सबसे नीचे वाली मंजिल पर बहुत अन्धेरा होता है। सूर्य का प्रकाश यहां बिल्कुल भी नहीं पहुंचता। इसका फर्श गले-सड़े पत्तों और कीड़े-मकौड़ों से ढका रहता है।

(क) रिक्त स्थान भरो :

  1. संसार का लगभग ……….. प्रतिशत स्थल क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है।
  2. …………….. जंगलों को सदाबहार घने जंगल भी कहा जाता है।
  3. शीत उष्ण घास के मैदान ……………. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं।
  4. अफ्रीका का …………….. घास प्रदेश जंगली जीवों का विशाल घर है।

उत्तर-

  1. 30,
  2. भूमध्य-रेखी,
  3. कम,
  4. सवाना।

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(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का चिन्ह लगाएं :

  1. भूमध्य-रेखी जंगल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं होते।
  2. मानसूनी वनों को सदाबहार वन भी कहा जाता है।
  3. भारत का थार मरुस्थल एक गर्म मरुस्थल है।
  4. भारत में जंगली जीवों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)

(ग) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति की सघनता तथा आकार को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं। इनमें से एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व कौन-सा है?
(i) समुद्री धाराएँ
(ii) जलवायु
(iii) प्रचलित पवनें।
उत्तर-
(ii) जलवायु।

प्रश्न 2.
ब्राजील में उष्ण घास के मैदान किस नाम से जाने जाते हैं ?
(i) पंपास
(ii) वेल्ड
(iii) कैंपोज़।
उत्तर-
(iii) कैंपोज़।

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प्रश्न 3.
पंजाब का कौन-सा केन्द्र जीवों तथा पक्षियों से जुड़ा है?
(i) छत्तीसगड़
(ii) छत्तबीड़
(ii) राजदेवगा।
उत्तर-
(ii) छत्तबीड़।

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीव PSEB 7th Class Social Science Notes

  • प्राकृतिक वनस्पति – प्राकृतिक वनस्पति स्वयं उत्पन्न होने वाले पेड़-पौधे हैं। धरातलीय तथा जलवायु की विभिन्नता के कारण संसार में कई प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।
  • प्राकृतिक वनस्पति के भाग – प्राकृतिक वनस्पति को तीन भागों में बांटा गया है-वन, घास के मैदान तथा मरुस्थलीय झाड़ियां।
  • वनों के प्रकार – वर्षा की वार्षिक मात्रा, ऋतु-परिवर्तन और तापमान वनों की विभिन्नता को प्रभावित करते हैं। इस आधार पर वनों को तीन प्रकारों में विभक्त किया गया है –
    (1) भू-मध्य-रेखीय वन (2) मानसूनी या पतझड़ी वन (3) नुकीली पत्ती वाले वन।
  • गर्म मरुस्थल – इन मरुस्थलों में वर्षा और वनस्पति का अभाव होता है और चारों ओर रेत का विस्तार होता है।
  • ठण्डे मरुस्थल – इन क्षेत्रों में दूर-दूर तक बर्फ का विस्तार होता है। थोड़े समय के लिए बर्फ पिघलने पर ही कुछ फूलदार पौधे उग पाते हैं।
  • जीव-जन्तु – संसार में जीव-जन्तुओं की अनेक जातियां मिलती हैं। अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे पक्षी भी पाये जाते हैं। परन्तु मानव की गतिविधियों के कारण जंगली जीवों की अनेक जातियां विलुप्त होने के कगार पर आ गई हैं।
  • वन्य जीवों का संरक्षण – वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जीव आरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं ताकि वन्य जीवों की कोई भी जाति विलुप्त न हो।

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