PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 4 हम सुमन एक उपवन के

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 हम सुमन एक उपवन के Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 4 हम सुमन एक उपवन के

Hindi Guide for Class 5 PSEB हम सुमन एक उपवन के Textbook Questions and Answers

I. बताओ

प्रश्न 1.
उपवन के फूलों को क्या-क्या समान चीजें प्राप्त होती हैं ?
उत्तर:
उपवन के फूलों को एक-सी धरती, मिट्टी, धूप, जल, सूर्य की किरणें, चाँद की चाँदनी, भँवरों का गुंजन आदि सब कुछ एक समान रूप में प्राप्त होती हैं।

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 4 हम सुमन एक उपवन के

प्रश्न 2.
उपवन की शोभा किनसे बनती है ?
उत्तर:
उपवन की शोभा फूलों से बनती है।

प्रश्न 3.
फूलों ने हँसकर जीना किससे सीखा है ?
उत्तर:
फलों ने हँसकर जीना काँटों से सीखा है।।

प्रश्न 4.
‘एक सूत्र में बँधकर हमने, हार गले का बनना सीखा’, इस काव्य पंक्ति का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
इस पंक्ति का अर्थ है कि अलग-अलग होते हुए भी हम सब एक ही धागे से बँधकर हार के रूप में गले की शोभा बने हुए हैं।

प्रश्न 5.
फूल अपनी सुगन्ध किसे देता है ?
उत्तर:
फूल अपनी सुगन्ध सबको देता है।

II. इन प्रश्नों के उत्तर चार-पाँच पंक्तियों में लिखो

प्रश्न 1.
कवि ने फूल के द्वारा क्या सन्देश दिया है? पाँच वाक्यों में लिखो।
उत्तर:
कवि ने फूल के द्वारा सन्देश दिया है कि जिस प्रकार फूल अलग-अलग रंगों के होते हैं, अलग-अलग क्यारियों में पलते हैं, लेकिन सभी मिलकर उपवन की शोभा बढ़ाते हैं, इसी प्रकार अलग-अलग जातियों, प्रान्तों में रहते हुए सभी लोग भारत देश की शोभा बढ़ाते हैं।

फूलों के समान ही सभी मनुष्यों को परस्पर मिलजुल कर रहना चाहिए। फूलों के समान ही मनुष्यों को अपने अच्छे कर्मों, सद्व्यवहार और सदाचरण की महक चारों ओर बिखरानी चाहिए।

प्रश्न 2.
प्रकृति जैसे मिट्टी, वायु, सूरज, चाँद, भँवरे अपने गुण देने में कोई भेदभाव नहीं करते। वे निस्वार्थ भाव से देते हैं। इसी प्रकार पाँच उन प्राकृतिक वस्तुओं के नाम लिखो जो सबको समान भाव से देते रहते हैं।
उत्तर:
सर्दी, गर्मी, वर्षा, फल, फूल, नदियों का कल-कल करता बहता जल आदि ऐसे प्राकृतिक उपहार हैं जो सभी प्राणियों को समान भाव से मिलते हैं।

III. सरलार्थ करो

काँटों से खिलकर हम सबने,
हँस-हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बँधकर हमने,
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगन्ध हमारी
हम शृंगार धनी-निर्धन के।
उत्तर::
यह पद्यांश ‘हम सुमन एक उपवन के’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि कहता है कि हम सभी देशवासियों ने मुसीबतों तथा कठिनाइयों का डटकर सामना करना सीखा है। हमें रास्ते के काँटों की कोई परवाह नहीं है। हम सभी एक ही धागे में बँधे हुए हैं। हमने एक हार बनकर भारत माँ की शोभा बढ़ायी है। हम सब एक हैं। हमारी खुशब सभी के लिए समान है। हम अमीरग़रीब सभी की शोभा हैं। हम किसी से कोई भेदभाव नहीं रखते।

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IV. वाक्यों में प्रयोग करो

(i) उर की कली खिलना = खुश होना
(ii) गले का हार बनना = अतिप्रिय, सदा साथ लगे रहना।
उत्तर:
(i) उर की कली खिलना = खुश होनाअपने जन्म दिन पर चाचा जी से सुन्दर घड़ी पाकर मेरे तो उर की कली खिल गई।
(ii) गले का हार बनना = अतिप्रिय-अपने अच्छे कार्यों से मन्त्री तो राजा के गले का हार बन गया।।

V. समानार्थक शब्द लिखो

(i) सुमन = प्रसून
(ii) उपवन = ……………
(iii) धरती = …………
(iv) जल = …………
(v) पवन = ………..
(vi) सूरज = …………
(vii) चाँद = ……………
(viii) भ्रमर = ………………..
(ix) गगन = ………..
उत्तर:
समानार्थक शब्द
(i) सुमन = प्रसून, पुष्प।
(ii) उपवन = बाग़, बगीचा।
(ii) धरती = धरा, पृथ्वी।
(iv) जल = पानी, नीर।
(v) पवन = हवा, वायु।
(vi) सूरज = सूर्य, रवि।
(vii) चाँद = राकेश, चन्द्र।
(vii) भ्रमर = भंवरा, अलि।
(ix) गगन = आकाश, आसमान।

VI. विपरीत शब्द मिलाओ

(i) धरती – दुर्गन्ध।
(ii) धूप – अन्धेरी
(iii) चाँदनी – निर्धन
(iv) सुगन्ध – छाया
(v) धनी – आकाश।
उत्तर:
विपरीतार्थक शब्द:
(i) धरती – आकाश।
(ii) धूप – छाया।
(iii) चाँदनी – अन्धेरी।
(iv) सुगन्ध – दुर्गन्ध।
(v) धनी – निर्धन।

VII. नए शब्द बनाओ

(i) सूत्र = त् + रत्र ………… , ……………
(ii) श्रृंगार = श् + ऋ = शृ, श्रृंग ……………., ……………
उत्तर:
(i) त्र = पुत्र, पत्र।
(ii) शृ = शृंगाल।

अध्यापन संकेत : अध्यापक इस कविता को पढ़ाते हुए बच्चों को बताए ‘कि देखो कवि की कल्पना का चमत्कार। एक फूल के माध्यम से एक ओर तो प्रकृति की नि:स्वार्थ देन की ओर संकेत किया है तो दूसरी ओर देश की एकता का सन्देश है। अलग-अलग प्रांतों, भाषा, वेशभूषा, त्योहार, संस्कृति के होते भी हम सब एक हैं। हमारा एक माली, ईश्वर है जो हमें सुख-दुःख में जीना सिखाता है।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) निशान लगाएं

प्रश्न 1.
कवि ने मनुष्यों को किसके समान माना है ?
(क) फूल
(ख) धूल
(ग) भूल
(घ) मूल।
उत्तर:
(क) फूल

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प्रश्न 2.
सारा संसार किससे सींचा जाता है ?
(क) फूल
(ख) धूल
(ग) जल
(घ) बादल।
उत्तर:
(ग) जल

प्रश्न 3.
सबसे मिलकर किसकी शोभा बढ़ती है ?
(क) घर की
(ख) उपवन की
(ग) बाहर की
(घ) धरती की।
उत्तर:
(ख) उपवन की

प्रश्न 4.
फूलों ने हंसकर जीना किससे सीखा है ?
(क) कांटों से
(ख) बातों से
(ग) उपवन से
(घ) लोगों से।
उत्तर:
(क) कांटों से

प्रश्न 5.
फूल अपनी सुगंध किसे देता है ?
(क) राजा को
(ख) रानी को
(ग) भंवरे को
(घ) सबको।
उत्तर:
(घ) सबको।

हम सुमन एक उपवन के Summary

हम सुमन एक उपवन के पाठ का सार

कवि हम सब मनुष्यों को फूल के समान मान कर कहता है कि यह धरती हम सबकी है जिस पर हमने जन्म लिया है। इस पर रहते हुए समान रूप से धूप-पानी हमने प्राप्त किया है। हवा के झूलों में हम झूले हैं। सूर्य और चाँद ने हमारे प्रति एक-सा अच्छा व्यवहार किया है। हमें भंवरों-सी मीठी आवाज़ प्राप्त हुई है। चाहे हमारे रूप-रंग अलग-अलग हैं पर हम सब धरती रूपी इस उपवन की शोभा हैं। इस आसमान के नीचे रहने वाले हम सब का ईश्वर रूपी माली एक ही है। कष्टों में रहकर भी हमने हंस-हंस कर जीना सीखा है। हम चाहे अमीर हों या गरीब हमने एक साथ मिल-जुल कर रहना सीखा है।

पद्यांशों के सरलार्थ

1. हम सब सुमन एक उपवन के।
एक हमारी धरती सबकी।
जिसकी मिट्टी में जनमे हम,
मिली एक ही धूप हमें है।
सींचे गए एक जल से हम।
पले हुए हैं झूल-झूलकर ।
पलनों में हम एक पवन के।

शब्दार्थ:
सुमन = फूल। उपवन = बगीचा, बाग़। पलना = बच्चों का झूला। पवन = हवा।

सरलार्थ:
यह पद्यांश ‘हम सुमन एक उपवन के’ कविता से लिया गया है। इसमें कवि कहता है कि हम सभी देशवासी एक ही बाग़ में खिले फूलों के समान हैं। एक ही धरती पर रहते हैं। इस धरती की मिट्टी में हमारा जन्म हुआ है। हम सब को एकजैसी धूप मिली है। हम सब ने एक ही जैसा जल पिया है। हम सभी एक ही वायु के पलनों में झूल झूल कर बड़े हुए हैं। हम सब को एक ही जैसी वायु मिली है। कहने का भाव है कि हम सब एक हैं।

भावार्थ:
कवि का मानना है कि हम सब एक समान हैं।

2. सूरज एक हमारा,
जिसकी किरणें उर की कली खिलाती,
एक हमारा चाँद,
चाँदनी जिसकी हम सबको नहलाती।
मिले एक से स्वर हमको हैं
भ्रमरों के मीठे गुंजन के।

शब्दार्थ:
सूरज = सूर्य। उर = हृदय। स्वर = आवाज़। भ्रमर = भौरे। गुंजन = गूंज, भँवरे की आवाज़।

सरलार्थ:
यह पद्यांश ‘हम सुमन एक उपवन के’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि कहता है कि हम सब का एक ही सूरज है। उसकी किरणों से हमारे मन की कली खिल उठती है। हम सब का चाँद भी एक ही है। हम सभी उसकी शीतल चाँदनी का आनन्द लेते हैं। भंवरों के मीठे-मीठे गीतों की तरह हम सब को एक जैसी आवाजें मिली हुई हैं।

भावार्थ:
ईश्वर ने हमें एक-सी सुख-सुविधाएं – और बोलने की शक्ति दी है।

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3. रंग-रंग के रूप हमारे
अलग-अलग है क्यारी-क्यारी,
लेकिन हम सबसे मिलकर ही है
उपवन की शोभा सारी।
एक हमारा माली,
हम सब रहते नीचे एक गगन के।

शब्दार्थ;
रूप = आकृति। शोभा = सुन्दरता।। गगन = आकाश।

सरलार्थ:
यह पद्यांश ‘हम सुमन एक उपवन के’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि कहता है कि भारतवर्ष एक बाग़ की तरह है। हम सब भारतीय हैं, इस बाग़ के भिन्न-भिन्न फूल हैं। हमारे रंग-रूप भले ही अलग-अलग हैं फिर भी हम सब एक हैं। हमारे प्रदेश बाग़ की अलग-अलग क्यारियों की तरह हैं। परन्तु हम सब मिलकर ही इस भारत रूपी बाग़ की सारी शोभा बढ़ाते हैं। हमारा माली एक ही है और हम एक ही आकाश के नीचे मिलकर रहते हैं। भाव यह है कि अलग-अलग होते हुए भी हम सब एक हैं।

भावार्थ:
कवि का मानना है कि चाहे हम सबके रूप-रंग अलग-अलग हैं पर हमारा ईश्वर रूपी माली एक ही है।

4. कांटों में खिलकर हम सबने
हँस-हँस कर है जीना सीखा,
एक सूत्र में बंधकर हमने
हार गले का बनना सीखा।
सबके लिए सुगंध हमारी
हम श्रृंगार धनी-निर्धन के।

शब्दार्थ:
सूत्र = धागा, डोरी। सुगन्ध = खुशबू। श्रृंगार = सजावट। निर्धन = ग़रीब धनी = अमीर।

सरलार्थ:
यह पद्यांश ‘हम सुमन एक उपवन के’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि कहता है कि हम सभी देशवासियों ने मुसीबतों तथा कठिनाइयों का डटकर सामना करना सीखा है। हमें रास्ते के काँटों की कोई परवाह नहीं है। हम सभी एक ही धागे में बँधे हुए हैं। हमने एक हार बनकर भारत माँ की शोभा बढ़ायी है। हम सब एक हैं। हमारी खुशब सभी के लिए समान है। हम अमीरग़रीब सभी की शोभा हैं। हम किसी से कोई भेदभाव नहीं रखते।

भावार्थ;
हम सबने कष्टों को झेलते हुए एक साथ मिल-जुल कर जीना सीखा है।

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