Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 8 गुरु हर राय जी और गुरु हर कृष्ण जी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 8 गुरु हर राय जी और गुरु हर कृष्ण जी
निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
गुरु हर राय जी (Guru Har Rai Ji)
प्रश्न 1.
गुरु हर राय जी के जीवन और उपलब्धियों के संबंध में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about Guru Har Rai Ji’s early career and achievements ?)
उत्तर-
गुरु हर राय जी सिखों के सातवें गुरु थे। उनके गुरुकाल (1645 से 1661 ई०) को सिख पंथ का शांतिकाल कहा जा सकता है। गुरु हर राय जी के आरंभिक जीवन तथा उनके अधीन सिख पंथ के विकास का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है—
1. जन्म तथा माता-पिता (Birth and Parentage)-गुरु हर राय जी का जन्म 30 जनवरी, 1630 ई० को कीरतपुर साहिब नामक स्थान पर हुआ। उनके माता जी का नाम बीबी निहाल कौर था। आप गुरु हरगोबिंद जी के पौत्र तथा बाबा गुरदित्ता जी के पुत्र थे।
2. बाल्यकाल तथा विवाह (Childhood and Marriage)-आप बाल्यकाल से ही शाँत प्रकृति, मृदुभाषी तथा दयालु स्वभाव के थे। कहते हैं कि एक बार हर राय जी बाग में सैर कर रहे थे। उनके चोले से लग जाने से कुछ फूल झड़ गए। यह देखकर आपकी आँखों में आँसू आ गए। आप किसी का भी दुःख सहन नहीं कर सकते थे।
आपका विवाह अनूप शहर (यू० पी०) के दया राम जी की सुपुत्री सुलक्खनी जी से हुआ। आपके घर दो पुत्रों राम राय तथा हर कृष्ण ने जन्म लिया।
3. गुरुगद्दी की प्राप्ति (Assumption of Guruship)-गुरु हरगोबिंद जी के पाँच पुत्र थे। बाबा गुरदित्ता, अणि राय तथा अटल राय अपने पिता के जीवन काल में स्वर्गवास को चुके थे। शेष दो में से सूरजमल का सांसारिक मामलों की ओर आवश्यकता से अधिक झुकाव था तथा तेग़ बहादुर जी का बिल्कुल नहीं। इसलिए गुरु हरगोबिंद जी ने बाबा गुरदित्ता के छोटे पुत्र हर राय जी को अपना उत्तराधिकारी बनाया। आप 8 मार्च, 1645 ई० को गुरुगद्दी पर विराजमान हुए। इस प्रकार आप सिखों के सातवें गुरु बने।
4. गुरु हर राय जी के समय में सिख धर्म का विकास (Development of Sikhism under Guru Har Rai Ji)—आप 1645 ई० से 1661 ई० तक गुरुगद्दी पर विराजमान रहे। आपने सिख धर्म के प्रचार के लिए तीन मुख्य केंद्र स्थापित किए जिन्हें ‘बख्शीशें’ कहा जाता था। पहली बख्शीश एक संन्यासी गिरि की थी जिसकी भक्ति से प्रसन्न होकर गुरु साहिब ने उसका नाम भक्त भगवान रख दिया। उसने पूर्वी भारत में सिख धर्म के बहुत-से केंद्र स्थापित किए। इनमें पटना, बरेली तथा राजगिरी के केंद्र प्रसिद्ध हैं। दूसरी बख्शीश सुथरा शाह की थी। उसे सिख धर्म के प्रचार के लिए दिल्ली भेजा गया। तीसरी बख्शीश भाई फेरु की थी। उनको राजस्थान भेजा गया था। इसी प्रकार भाई नत्था जी को ढाका, भाई जोधा जी को मुलतान भेजा गया तथा आप स्वयं पंजाब के कई स्थानों जैसे जालंधर, करतारपुर, हकीमपुर, गुरदासपुर, अमृतसर, पटियाला, अंबाला तथा हिसार आदि गए।
5. फूल को आशीर्वाद (Blessing to Phool)-एक दिन काला नामक श्रद्धालु अपने भतीजों संदली तथा फूल को गुरु जी के दर्शन हेतु ले आया। उनकी शोचनीय हालत को देखते हुए गुरु साहिब ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि एक दिन वे बहुत धनी बनेंगे। गुरु जी की यह भविष्यवाणी सत्य निकली। फूल की संतान ने फूलकिया मिसल की स्थापना की।
6. राजकुमार दारा की सहायता (Help to Prince Dara)-गुरु हर राय जी के समय दारा शिकोह पंजाब का गवर्नर था। वह औरंगज़ेब का बड़ा भाई था। सत्ता प्राप्त करने के प्रयास में औरंगज़ेब ने उसे विष दे दिया। इस कारण वह बहुत बीमार हो गया। उसने गुरु साहिब से आशीर्वाद माँगा। गुरु साहिब ने अमूल्य जड़ी-बूटियाँ देकर दारा की चिकित्सा की। इस कारण वह गुरु साहिब का आभारी हो गया। वह प्रायः उनके दर्शन के लिए आया करता।
7. गुरु हर राय जी को दिल्ली बुलाया गया (Guru Har Rai Ji was summoned to Delhi)औरंगज़ेब को संदेह था कि गुरु ग्रंथ साहिब में कुछ श्लोक इस्लाम धर्म के विरुद्ध हैं। इस बात की पुष्टि के लिए उसने आपको अपने दरबार में उपस्थित होने के लिए कहा। गुरु साहिब ने अपने पुत्र रामराय को औरंगजेब के पास भेजा। औरंगजेब ने ‘आसा दी वार’ में से एक पंक्ति की ओर संकेत करते हुए उससे पूछा कि इसमें मुसलमानों का विरोध क्यों किया गया है। यह पंक्ति थी,
मिटी मुसलमान की पेडै पई कुम्हिआर॥
घड़ भाँडे इटा कीआ जलदी करे पुकार॥
इसका अर्थ था मुसलमान की मिट्टी कुम्हार के घमट्टे में चली जाएगी जो इससे बर्तन तथा ईंटें बनाएगा। जैसेजैसे वह जलेगी तैसे-तैसे मिट्टी चिल्लाएगी। औरंगज़ेब के क्रोध से बचने के लिए रामराय ने कहा कि इस पंक्ति में भूल से बेईमान शब्द की अपेक्षा मुसलमान शब्द लिखा गया है। गुरु ग्रंथ साहिब के इस अपमान के कारण आपने रामराय को गुरुगद्दी से वंचित कर दिया।
8. उत्तराधिकारी की नियुक्ति (Nomination of the Successor)—गुरु हर राय जी ने ज्योति-जोत समाने से पूर्व आपने गुरुगद्दी अपने छोटे पुत्र हर कृष्ण को सौंप दी। 6 अक्तूबर, 1661 ई० को गुरु हर राय जी ज्योति जोत समा गए।
9. गुरु हर राय जी के कार्यों का मूल्याँकन (Estimate of the works of Guru Har Rai Ji)-गुरु हर राय जी हालाँकि अल्प आयु में ही ज्योति-जोत समा गए परंतु उन्होंने सिख पंथ के विकास में अमूल्य योगदान दिया। आप जी ने माझा, दोआबा और मालवा में सिख धर्म का प्रचार किया। आपने संगत और पंगत की मर्यादा को पूरी तेजी के साथ जारी रखा। आपके दवाखाने से बिना किसी भेद-भाव के निःशुल्क चिकित्सा और सेवा प्रदान की जाती थी। इस प्रकार आपने सिख धर्म के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
गुरु हर कृष्ण जी (Guru Har Krishan Ji)
प्रश्न 2.
गुरु हर कृष्ण जी के समय सिख पंथ के हुए विकास का संक्षिप्त वर्णन करें।
(Give a brief account of Development of Sikhism during the pontificate of Guru Har Kishan Ji.)
उत्तर-
गुरु हर कृष्ण जी सिख इतिहास में बाल गुरु के नाम से जाने जाते हैं। वे 1661 ई० से लेकर 1664 ई० तक गुरुगद्दी पर विराजमान रहे। उनके अधीन सिख पंथ में हुए विकास का वर्णन निम्नलिखित अनुसार है—
1. जन्म और माता-पिता (Birth and Parents)-गुरु हर कृष्ण जी का जन्म 7 जुलाई, 1656 ई० में कीरतपुर साहिब में हुआ। आप गुरु हर राय साहिब के छोटे पुत्र थे। आप जी की माता का नाम सुलक्खनी जी था। रामराय आपके बड़े भाई थे।
2. गुरुगद्दी की प्राप्ति (Assumption of Guruship)-गुरु हर राय जी ने अपने बड़े पुत्र राम राय को उसकी अयोग्यता के कारण गुरुगद्दी से वंचित कर दिया था । 1661 ई० को गुरु हर राय जी ने हर कृष्ण जी को गुरुगद्दी सौंप दी। उस समय हर कृष्ण जी की आयु मात्र 5 वर्ष थी। इस कारण इतिहास में आपको बाल गुरु के नाम से याद किया जाता है। यद्यपि आप उम्र में बहुत छोटे थे पर फिर भी आप बहुत उच्च प्रतिभा के स्वामी थे। आप में अद्वितीय सेवा भावना, बड़ों के प्रति मान-सम्मान, मीठा बोलना, दूसरों के प्रति सहानुभूति तथा अटूट भक्तिभावना इत्यादि के गुण कूट-कूट कर भरे हुए थे। इन गुणों के कारण ही गुरु हर राय जी ने आपको गुरुगद्दी सौंपी। इस प्रकार आप सिखों के आठवें गुरु बने। आप 1664 ई० तक गुरुगद्दी पर विराजमान रहे।
3. राम राय का विरोध (Opposition of Ram Rai)-राम राय गुरु हर राय जी का बड़ा पुत्र होने के कारण गुरु साहिब के पश्चात् गुरुगद्दी का अधिकारी स्वयं को समझता था, परंतु गुरु हर राय जी उसे पहले ही गुरुगद्दी से वंचित कर चुके थे। जब उसे ज्ञात हुआ कि गुरुगद्दी हर कृष्ण जी को सौंपी गई है तो वह यह बात सहन न कर सका। उसने गद्दी हथियाने के लिए षड्यंत्र रचने आरंभ कर दिए। उसने बहुत-से बेईमान और स्वार्थी मसंदों को अपने साथ मिला लिया। इन मसंदों द्वारा उसने यह घोषणा करवाई कि वास्तविक गुरु राम राय हैं और सभी सिख उसी – अपना गुरु मानें परंतु वह उसमें सफल न हो पाया। फिर उसने औरंगजेब से सहायता लेने का प्रयास किया। औरंगजेब ने गुरु साहिब को दिल्ली बुलाया ताकि दोनों गुटों की बात सुनकर वह अपना निर्णय दे सके।
4. गुरु साहिब का दिल्ली जाना (Guru Sahib’s Visit to Delhi)—गुरु साहिब को दिल्ली लाने का कार्य औरंगज़ेब ने राजा जय सिंह को सौंपा। राजा जय सिंह ने अपने दीवान परस राम को गुरु जी के पास भेजा। गुरु जी ने औरंगजेब से मिलने और दिल्ली जाने से इंकार कर दिया, परंतु परस राम के यह कहने पर कि दिल्ली की संगतें गुरु साहिब के दर्शनों के लिए बेताब हैं, गुरु साहिब ने दिल्ली जाना तो स्वीकार कर लिया, परंतु औरंगजेब से भेंट करने से इंकार कर दिया। आप 1664 ई० में दिल्ली चले गए और राजा जय सिंह के घर निवास करने के लिए मान गए। गुरु साहिब की औरंगजेब से भेंट हुई अथवा नहीं, इस संबंध में इतिहासकारों में बहुत मतभेद पाए जाते हैं।
5. ज्योति-जोत समाना (Immersed in Eternal Light)—उन दिनों दिल्ली में चेचक और हैजा फैला हुआ था। गुरु हर कृष्ण जी ने यहाँ बीमारों, निर्धनों और लावारिसों की तन, मन और धन से अथक सेवा की। चेचक और हैज़े के सैंकड़ों रोगियों को ठीक किया, परंतु इस भयंकर बीमारी का आप स्वयं भी शिकार हो गए। यह बीमारी उनके लिए घातक सिद्ध हुई। उन्हें बहुत गंभीर अवस्था में देखते हुए श्रद्धालुओं ने प्रश्न किया कि आपके पश्चात् उनका नेतृत्व कौन करेगा तो आप ने एक नारियल मंगवाया। नारियल और पाँच पैसे रखकर माथा टेका और “बाबा बकाला” का उच्चारण करते हुए 30 मार्च, 1664 ई० को दिल्ली में ज्योति-जोत समा गए। आपकी याद में यहाँ गुरुद्वारा बाला साहिब का निर्माण किया गया है।
गुरु हर कृष्ण जी ने कोई अढ़ाई वर्ष के लगभग गुरुगद्दी संभाली और गुरु के रूप में आपने सभी कर्त्तव्य बड़ी सूझ-बूझ से निभाए। आप इतनी कम आयु में भी तीक्ष्ण बुद्धि, उच्च विचार और अलौकिक ज्ञान के स्वामी थे।
संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
सिख पंथ के विकास में गुरु हर राय जी का गुरुकाल क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
(Why is pontificate of Guru Har Rai Ji considered important in the development of Sikhism ?).
अथवा
गुरु हर राय जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a short note on Guru Har Rai Ji.)
अथवा
सिख धर्म में गुरु हर राय जी का क्या योगदान है ?
(What is the contribution of Guru Har Rai Ji for the development of Sikh religion ?)
अथवा
गुरु हर राय जी के जीवन एवं कार्यों के बारे में संक्षेप में लिखें। (Write in short about the life and works of Guru Har Rai Ji.)
उत्तर-
सिखों के सातवें गुरु, गुरु हर राय जी का जन्म 30 जनवरी, 1630 ई० को कीरतपुर साहिब में हुआ था। आप बचपन से ही साधू स्वभाव के थे। 1645 ई० से लेकर 1661 ई० तक गुरुगद्दी पर विराजमान रहे। उनका गुरुकाल सिख धर्म के शांतिपूर्वक विकास का काल था। गुरु हर राय साहिब ने सिख धर्म का प्रचार करने के लिए पंजाब के कई स्थानों का भ्रमण किया। इसके अतिरिक्त गुरु साहिब ने पंजाब से बाहर अपने प्रचारक भेजे। परिणामस्वरूप सिख धर्म का काफ़ी प्रसार हुआ। गुरु जी ने अपने छोटे पुत्र हर कृष्ण को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
प्रश्न 2.
धीरमल संबंधी एक संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a short note about Dhirmal.)
उत्तर-
धीरमल गुरु हर राय जी का बड़ा भाई था। वह चिरकाल से गुरुगद्दी प्राप्त करने का प्रयत्न कर रहा था। जब धीर मल को यह समाचार. मिला कि सिख संगतों ने तेग़ बहादुर जी को अपना गुरु मान लिया है तो उसके क्रोध की कोई सीमा न रही। उसने शींह नामक एक मसंद के साथ मिल कर गुरु जी की हत्या का षड्यंत्र रचा। शीह के साथियों ने गुरु साहिब के घर का बहुत-सा सामान लूट लिया। बाद में धीरमल तथा शींह द्वारा क्षमा याचना करने पर गुरु साहिब ने उन्हें क्षमा कर दिया।
प्रश्न 3.
गुरु हर कृष्ण जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। उनको बाल गुरु क्यों कहा जाता है?
(Write a brief note on Guru Har Krishsn Ji. Why is He called Bal Guru ?)
अथवा
सिख धर्म में गुरु हर कृष्ण जी का क्या योगदान था ?
(What was the contribution of Guru Har Krishan Ji in the development of Sikhism ?)
अथवा
गुरु हर कृष्ण जी पर संक्षेप नोट लिखो। (Write a short note on Guru Har Krishan Ji.)
उत्तर-
सिखों के आठवें गुरु, गुरु हर कृष्ण जी गुरु हर राय जी के छोटे पुत्र थे। वह 1661 ई० में गुरुगद्दी पर विराजमान हुए। उस समय उनकी आयु केवल पाँच वर्ष थी। इस कारण उनको ‘बाल गुरु’ के नाम से याद किया जाता है। गुरु हर कृष्ण जी के बड़े भाई राम राय के उकसाने पर औरंगजेब ने गुरु साहिब को दिल्ली आने का आदेश दिया। गुरु साहिब 1664 ई० में दिल्ली गए। उन दिनों दिल्ली में भयानक चेचक एवं हैजा फैला हुआ था। गुरु जी ने वहाँ पर बीमारों की अथक सेवा की। वह 30 मार्च, 1664 ई० को ज्योति-जोत समा गए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in One Word to One Sentence)
प्रश्न 1.
गुरु हरगोबिंद जी के उत्तराधिकारी कौन थे ?
अथवा
गुरु हरगोबिंद जी ने किसको अपना उत्तराधिकारी बनाया ?
उत्तर-
गुरु हर राय जी।
प्रश्न 2.
गुरु हर राय जी का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर-
कीरतपुर साहिब।
प्रश्न 3.
गुरु हर राय जी के.पिता जी का नाम बताएँ।
उत्तर-
बाबा गुरदित्ता जी।
प्रश्न 4.
सिखों के सातवें गुरु कौन थे ?
अथवा
सातवें सिख गुरु का क्या नाम था ?
उत्तर-
गुर हर राय जी।
प्रश्न 5.
गुरु हर राय जी कब गुरुगद्दी पर आसीन हुए ?
उत्तर-
1645 ई०
प्रश्न 6.
दारा शिकोह कौन था ?
उत्तर-
शाहजहाँ का सबसे बड़ा पुत्र।
प्रश्न 7.
गुरु हर राय जी ने सिख धर्म के प्रचार के लिए काबुल किसे भेजा था ?
उत्तर-
भाई गोंदा जी को।
प्रश्न 8.
गुरु हर राय जी ने सिख धर्म के प्रचार के लिए ढाका किसे भेजा था ?
उत्तर-
भाई नत्था जी को।
प्रश्न 9.
गुरु हर राय जी कब ज्योति-जोत समाए ?
उत्तर-
1661 ई०।
प्रश्न 10.
सिखों के आठवें गुरु कौन थे ?
उत्तर-
गुरु हर कृष्ण जी।
प्रश्न 11.
गुरु हर कृष्ण जी का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर-
कीरतपुर साहिब।
प्रश्न 12.
गुरु हर कृष्ण जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर-
7 जुलाई, 1656 ई०।
प्रश्न 13.
गुरु हर कृष्ण जी गुरुगद्दी पर कब बैठे ?
उत्तर-
1661 ई०।
प्रश्न 14.
सिखों के बाल गुरु कौन थे ?
उत्तर-
गुरु हर कृष्ण जी।
प्रश्न 15.
गुरु हर कृष्ण जी का गुरुकाल बताएँ।
उत्तर-
1661 ई० से 1664 ई०
प्रश्न 16.
गुरुगद्दी पर बैठने के पश्चात् गुरु हर कृष्ण जी को किसके विरोध का सामना करना पड़ा ?
उत्तर-
राम राय के
प्रश्न 17.
गुरु हर कृष्ण जी कब ज्योति-जोत समाए ?
उत्तर-
1664 ई०
प्रश्न 18.
गुरु हर कृष्ण जी कहाँ ज्योति-जोत समाए थे ?
उत्तर-
दिल्ली।
(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)
प्रश्न 1.
…………… सिखों के सातवें गुरु थे।
उत्तर-
(गुरु हर राय जी)
प्रश्न 2.
गुरु हर राय जी का जन्म …………… में हुआ।
उत्तर-
(1630 ई०)
प्रश्न 3.
गुरु हर राय जी का जन्म …………. नाम के स्थान पर हुआ।
उत्तर-
(कीरतपुर साहिब)
प्रश्न 4.
गुरु हर राय जी के पिता का नाम …………. था।
उत्तर-
(बाबा गुरदित्ता जी)
प्रश्न 5.
गुरु हर राय जी ……………. में गुरुगद्दी पर बैठे। .
उत्तर-
(1645 ई०)
प्रश्न 6.
……………. सिखों के आठवें गुरु थे।
उत्तर-
(गुरु हर कृष्ण जी)
प्रश्न 7.
गुरु हर कृष्ण जी ……………. में गुरुगद्दी पर बैठे।
उत्तर-
(1661 ई०)
प्रश्न 8.
गुरु हर कृष्ण जी दिल्ली में ………… के बंगले में ठहरे।
उत्तर-
(राजा जय सिंह)
प्रश्न 9.
………… को बाल गुरु के नाम से याद किया जाता है।
उत्तर-
(गुरु हर कृष्ण जी)
(ii) ठीक अथवा गलत (True or False)
नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें।
प्रश्न 1.
गुरु हर राय जी सिखों के सातवें गुरु थे।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 2.
गुरु हर राय जी का जन्म 1630 ई० में हुआ था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 3.
गुरु हर राय जी के पिता जी का नाम बाबा बुड्डा जी था।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 4.
गुरु हर राय जी की माता जी का नाम बीबी निहाल कौर था।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 5.
गुरु हर राय जी 1661 ई० में गुरुगद्दी पर बिराजमान हुए।
उत्तर-
गलत
प्रश्न 6.
गुरु हर कृष्ण जी सिखों के आठवें गुरु थे।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 7.
गुरु हर कृष्ण जी को बाल गुरु के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तर-
ठीक
प्रश्न 8.
गुरु हर कृष्ण जी 1664 ई० में ज्योति-ज्योत समाए।
उत्तर-
ठीक
(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions):
नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
सिखों के सातवें गुरु कौन थे ?
(i) गुरु हरगोबिंद जी
(ii) गुरु हर राय जी
(iii) गुरु हर कृष्ण जी
(iv) गुरु तेग़ बहादुर जी।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 2.
गुरु हर राय जी का जन्म कब हुआ ?
(i) 1627 ई० में
(ii) 1628 ई० में
(iii) 1629 ई० में
(iv) 1630 ई० में।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 3.
गुरु हर राय जी के पिता जी का क्या नाम था ?
(i) गुरदित्ता जी
(ii) अटल राय जी
(ii) अणि राय जी
(iv) सूरजमल जी।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 4.
गुरु हर राय जी गुरुगद्दी पर कब बैठे ?
(i) 1635 ई० में
(ii) 1637 ई० में
(ii) 1645 ई० में ,
(iv) 1655 ई० में।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 5.
दारा शिकोह कौन था ?
(i) शाहजहाँ का बड़ा बेटा
(ii) शाहजहाँ का छोटा बेटा
(iii) जहाँगीर का बड़ा बेटा
(iv) औरंगज़ेब का बड़ा बेटा।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 6.
गुरु हर राय जी ने अपना उत्तराधिकारी किसको नियुक्त किया ?
(i) हर कृष्ण जी को
(ii) तेग़ बहादुर जी को
(iii) राम राय को
(iv) गुरदित्ता जी को।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 7.
गुरु हर राय जी कब ज्योति-जोत समाए थे ?
(i) 1645 ई० में
(ii). 1660 ई० में
(iii) 1661 ई० में
(iv) 1664 ई० में।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 8.
सिखों के आठवें गुरु कौन थे ?
(i) गुरु हर कृष्ण जी
(ii) गुरु तेग बहादुर जी
(iii) गुरु हर राय जी
(iv) गुरु गोबिंद सिंह जी।
उत्तर-
(i)
प्रश्न 9.
गुरु हर कृष्ण जी का जन्म कब हुआ ?
(i) 1630 ई० में
(ii) 1635 ई० में
(iii) 1636 ई० में
(iv) 1656 ई० में।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 10.
गुरु हर कृष्ण जी के पिता जी कौन थे ?
(i) गुरु हरगोबिंद साहिब जी
(ii) गुरु हर राय जी
(iii) बाबा गुरदित्ता जी
(iv) बाबा बुड्डा जी।
उत्तर-
(ii)
प्रश्न 11.
सिख इतिहास में ‘बाल गुरु’ के नाम से किसको जाना जाता है ?
(i) गुरु रामदास जी को
(ii) गुरु हर राय जी को
(iii) गुरु हर कृष्ण जी को
(iv) गुरु गोबिंद सिंह जी को।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 12.
गुरु हर कृष्ण जी गुरुगद्दी पर कब विराजमान हुए ?
(i) 1645 ई० में
(ii) 1656 ई० में
(iii) 1661 ई० में
(iv) 1664 ई० में।
उत्तर-
(iii)
प्रश्न 13.
गुरु हर कृष्ण जी कब ज्योति-जोत समाए ?
(i) 1661 ई० में
(ii) 1662 ई० में
(iii) 1663 ई० में
(iv) 1664 ई० में।
उत्तर-
(iv)
प्रश्न 14.
गुरु हर कृष्ण जी कहाँ ज्योति-जोत समाए ?
(i) लाहौर
(ii) दिल्ली
(iii) मुलतान
(iv) जालंधर
उत्तर-
(ii)
Long Answer Type Question
प्रश्न 1.
सिख पंथ के विकास में गुरु हर राय जी का समय क्यों महत्त्वपूर्ण है ?
(Why is pontificate of Guru Har Rai Ji considered important in the development of Sikhism ?).
अथवा
गुरु हर राय जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a short note on Guru Har Rai Ji.)
अथवा
गुरु हर राय जी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about Guru Har Rai Ji ?)
उत्तर-
गुरु हर राय जी 1645 ई० से 1661 ई० तक गुरुगद्दी पर विराजमान रहे। इस समय के दौरान उन्होंने सिख धर्म के विकास के लिए निम्नलिखित कार्य किए—
1. गुरु हर राय जी के समय में सिख धर्म का विकास-गुरु हर राय जी ने सिख धर्म के प्रचार के लिए तीन मुख्य केंद्र स्थापित किए जिन्हें ‘बख्शीशें’ कहा जाता था। भगत,गिरि को पूर्वी भारत, सुथरा शाह को दिल्ली, भाई फेरू को राजस्थान, भाई नत्था जी को ढाका, भाई जोधा जी को मुलतान भेजा गया तथा आपने स्वयं पंजाब के कई स्थानों का भ्रमण किया। इस कारण सिख पंथ का बहुत प्रसार हुआ।
2. फूल को आशीर्वाद-एक दिन काला नामक श्रद्धालु अपने भतीजों संदली तथा फूल को गुरु हर राय जी के दर्शन हेतु ले आया। उनकी शोचनीय हालत को देखते हुए गुरु साहिब ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि एक दिन वे बहुत धनी बनेंगे। गुरु जी की यह भविष्यवाणी सत्य निकली। फूल ने फूलकिया मिसल की स्थापना की।
3. राजकुमार दारा की सहायता-गुरु हर राय जी के समय दारा शिकोह पंजाब का गवर्नर था। वह औरंगजेब का बड़ा भाई था। सत्ता प्राप्त करने के प्रयास में औरंगज़ेब ने उसे विष दे दिया। इस कारण वह बहुत बीमार हो गया। उसने गुरु साहिब से आशीर्वाद माँगा। गुरु साहिब ने अमूल्य जड़ी-बूटियाँ देकर दारा की चिकित्सा की। इस कारण वह गुरु साहिब का आभारी हो गया। वह प्रायः उनके दर्शन के लिए आने लगा।
4. गुरु हर राय साहिब को दिल्ली बुलाया गया-औरंगज़ेब को संदेह था कि गुरु ग्रंथ साहिब में कुछ श्लोक इस्लाम धर्म के विरुद्ध हैं। इस बात की पुष्टि के लिए उसने गुरु हर राय जी को अपने दरबार में उपस्थित होने के लिए कहा। गुरु साहिब ने अपने पुत्र रामराय को औरंगजेब के पास भेजा। गुरुवाणी की ग़लत व्याख्या के कारण आपने रामराय को गुरुगद्दी से वंचित कर दिया।
5. उत्तराधिकारी की नियुक्ति-गुरु हर राय जी ने अपने ज्योति-जोत समाने से पूर्व गुरुगद्दी अपने छोटे पुत्र हरकृष्ण को सौंप दी। गुरु हर राय जी 6 अक्तूबर, 1661 ई० को कीरतपुर साहिब में ज्योति-जोत समा गए।
प्रश्न 2.
धीरमल संबंधी एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note about Dhirmal.)
उत्तर-
धीरमल गुरु हर राय जी का बड़ा भाई था। वह चिरकाल से गुरुगद्दी प्राप्त करने का प्रयत्न कर रहा था। बकाला में जो विभिन्न 22 मंजियाँ स्थापित हुईं उनमें से एक धीरमल की भी थी। जब धीरमल को यह समाचार मिला कि सिख संगतों ने तेग़ बहादुर जी को अपना गुरु मान लिया है तो उसके क्रोध की कोई सीमा न रही। उसने शीह नामक एक मसंद के साथ मिल कर गुरु जी की हत्या का षड्यंत्र रचा। एक दिन शींह तथा उसके सशस्त्र गुंडों ने गुरु जी पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण के समय गुरु जी के कंधे में गोली लगी जिससे वह घायल हो गए, परंतु वह शाँत बने रहे। शीह के साथियों ने गुरु साहिब के घर का बहुत-सा सामान लूट लिया। इस घटना से सिख रोष से भर उठे तथा उन्होंने मक्खन शाह के नेतृत्व में धीरमल के घर पर आक्रमण कर दिया। वह न केवल धीरमल तथा शींह को पकड़ कर गुरु जी के पास लाए अपितु गुरु जी का लूटा हुआ सामान भी वापस ले आए। धीरमल तथा शींह द्वारा क्षमा याचना करने पर गुरु साहिब ने उन्हें क्षमा कर दिया।
प्रश्न 3.
गुरु हरकृष्ण जी पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। उनको बाल गुरु क्यों कहा जाता है ? (Write a brief note on Guru Har Krishan Ji. Why is he called Bal Guru ?)
अथवा
गुरु हरकृष्ण जी पर संक्षेप नोट लिखो। (Write a short note on Guru Har Krishan Ji.)
अथवा
गुरु हरकृष्ण जी के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
(Explain in detail about Guru Har Krishan Ji.)
उत्तर-
गुरु हरकृष्ण जी सिखों के आठवें गुरु थे। आपके गुरुगद्दी के समय (1661-1664 ई०) सिख पंथ के विकास का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है—
1. गुरुगद्दी की प्राप्ति-गुरु हर राय जी ने अपने बड़े पुत्र रामराय को उसकी अयोग्यता के कारण गुरुगद्दी से वंचित कर दिया था। 1661 ई० को गुरु हर राय जी ने हरकृष्ण जी को गुरुगद्दी सौंप दी। उस समय हरकृष्ण साहिब की आयु मात्र 5 वर्ष थी। इस कारण इतिहास में आपको बाल गुरु के नाम से याद किया जाता है। आप सिखों के आठवें गुरु बने। आप 1664 ई० तक गुरुगद्दी पर विराजमान रहे।
2. रामराय का विरोध-रामराय गुरु हर राय जी का बड़ा पुत्र होने के कारण गुरु साहिब के पश्चात् गुरुगद्दी का अधिकारी स्वयं को समझता था, परंतु गुरु हर राय जी उसे पहले ही गुरुगद्दी से वंचित कर चुके थे। जब उसे ज्ञात हुआ कि गुरुगद्दी हरकृष्ण साहिब को सौंपी गई है तो वह यह बात सहन न कर सका। उसने गद्दी हथियाने के लिए षड्यंत्र रचने आरंभ कर दिए।
3. गुरु हरकृष्ण जी का दिल्ली जाना-गुरु हरकृष्ण जी को दिल्ली लाने का कार्य औरंगज़ेब ने राजा जय सिंह को सौंपा। राजा जय सिंह ने अपने दीवान परस राम को गुरु जी के पास भेजा। गुरु जी ने औरंगज़ेब से मिलने और दिल्ली जाने से इंकार कर दिया, परंतु परस राम के यह कहने पर कि दिल्ली की संगतें गुरु साहिब के दर्शनों के लिए बेताब हैं, गुरु साहिब ने दिल्ली जाना तो स्वीकार कर लिया, परंतु औरंगज़ेब से भेंट करने से इंकार कर दिया। आप 1664 ई० में दिल्ली चले गए और राजा जय सिंह के घर निवास करने के लिए मान गए। गुरु साहिब की औरंगज़ेब से भेंट हुई अथवा नहीं, इस संबंध में इतिहासकारों में बहुत मतभेद पाए जाते हैं।
4. ज्योति-जोत समाना-उन दिनों दिल्ली में चेचक और हैजा फैला हुआ था। गुरु हरकृष्ण जी ने यहाँ बीमारों, निर्धनों और अनाथों की तन, मन और धन से अथक सेवा की। परंतु इस भयंकर बीमारी का आप स्वयं भी शिकार हो गए। आप 30 मार्च, 1664 ई० को दिल्ली में ज्योति-जोत समा गए। आपकी याद में यहाँ गुरुद्वारा बाला साहिब का निर्माण किया गया है।
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नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
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गुरु हर राय जी 1645 ई० से लेकर 1661 ई० तक गुरुगद्दी पर आसीन रहे। उनकी गुरुगद्दी का समय सिख इतिहास में शाँति का काल कहा जा सकता है। गुरु हर राय साहिब जी सिख धर्म का प्रचार करने के लिए पंजाब के कई स्थानों पर जैसे जालंधर, अमृतसर, करतारपुर, गुरदासपुर, फिरोज़पुर, पटियाला, अंबाला, करनाल और हिसार इत्यादि स्थानों पर गए। इसके अतिरिक्त गुरु साहिब ने पंजाब से बाहर अपने प्रचारक भेजे। अपने प्रचार दौरे के दौरान गुरु साहिब ने अपने एक श्रद्धालु फूल को यह आशीर्वाद दिया कि उसकी संतान शासन करेगी। गुरु साहिब की यह भविष्यवाणी सत्य निकली। गुरु हर राय जी ने अपने छोटे पुत्र हर कृष्ण जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
- गुरु हर राय जी गुरुगद्दी पर कब बैठे थे ?
- गुरु हर राय जी सिख धर्म का प्रचार करने के लिए पंजाब के कौन-से स्थानों पर गए ? किन्हीं दो के नाम बताएँ।
- गुरु हर राय जी ने अपने किस श्रद्धालु को यह वरदान दिया कि उसकी संतान राज करेगी?
- गुरु हर राय जी ने अपना उत्तराधिकारी किसे नियुक्त किया ?
- शाहजहाँ के बड़े पुत्र का क्या नाम था ?
- दारा
- शुज़ा
- औरंगजेब
- मुराद।
उत्तर-
- गुरु हर राय जी 1645 ई० में गुरुगद्दी पर बैठे थे।
- गुरु हर राय जी सिख धर्म का प्रचार करने के लिए पंजाब में जालंधर तथा अमृतसर में गए।
- गुरु हर राय जी ने अपने एक श्रद्धालु फूल को यह आर्शीवाद दिया कि उसकी सन्तान राज करेगी।
- गुरु हर राय जी ने हर कृष्ण जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
- दारा।
2
गुरु हर कृष्ण जी गुरु हर राय जी के छोटे पुत्र थे। वह 1661 ई० में गुरगद्दी पर बैठे। वह सिखों के आठवें गुरु थे। जिस समय वह गुरुगद्दी पर बैठे तो उस समय उनकी आयु केवल पाँच वर्ष थी। इस कारण उनको ‘बाल गुरु’ के नाम से स्मरण किया जाता है। गुरु हरकृष्ण जी के बड़े भाई राम राय ने आप जी को गुरुगद्दी दिए जाने का कट्टर विरोध किया, क्योंकि वह अपने आपको गुरुगद्दी का वास्तविक अधिकारी मानता था। जब वह अपनी कुटिल चालों में सफल न हो सका तो उसने औरंगजेब से सहायता माँगी। इस संबंध में औरंगज़ेब ने गुरु साहिब को दिल्ली आने का आदेश दिया। गुरु साहिब 1664 ई० में दिल्ली गए। वहाँ वह राजा जय सिंह के यहाँ ठहरे। उन दिनों दिल्ली में भयानक चेचक एवं हैजा फैला हुआ था। गुरु जी ने इन बीमारों, ग़रीबों एवं अनाथों की भरसक सेवा की।
- सिखों के आठवें गुरु कौन थे ?
- गुरु हर कृष्ण जी …………. में गुरुगद्दी पर बैठे थे।
- गुरु हर कृष्ण जी को बाल गुरु क्यों कहा जाता है ?
- राम राय कौन था ?
- गुरु हर कृष्ण जी ने दिल्ली में कौन-सी सेवा निभाई ?
उत्तर-
- सिखों के आठवें गुरु हर कृष्ण जी थे।
- 1661 ई०।
- क्योंकि गुरुगद्दी पर बैठते समय उनकी आयु केवल 5 वर्ष की थी।
- राम राय गुरु हर कृष्ण जी का बड़ा भाई था।
- गुरु हर कृष्ण जी जिस समय दिल्ली में थे उस समय वहाँ चेचक तथा हैज़ा नामक बीमारियाँ फैली हुई थीं। गुरु जी ने इन बीमारों, ग़रीबों तथा अनाथों की बहुत सेवा की।
गुरु हर राय जी और गुरु हर कृष्ण जी PSEB 12th Class History Notes
- गुरु हर राय जी (Guru Har Rai Ji)-गुरु हर राय जी का जन्म 30 जनवरी, 1630 ई० को कीरतपुर साहिब में हुआ—आप गुरु हरगोबिंद जी के पौत्र थे—आपका विवाह अनूप शहर के दया राम जी की सुपुत्री सुलक्खनी जी से हुआ—आप 8 मार्च, 1645 ई० को गुरुगद्दी पर विराजमान हुए—आपने सिख धर्म के प्रचार के लिए तीन केंद्र स्थापित किए जिन्हें ‘बख्शीशें’ कहा जाता था—मुग़ल सम्राट शाहजहाँ का पुत्र दारा प्रायः उनके दर्शनों के लिए आता था गुरु जी ने दारा की औरंगजेब के विरुद्ध सहायता की औरंगजेब द्वारा दिल्ली बुलाए जाने पर आपने अपने पुत्र रामराय को दिल्ली भेजा— रामराय द्वारा दिल्ली दरबार में गुरुवाणी का गलत अर्थ बताने पर, उसे गुरुगद्दी से वंचित कर दिया गया-आपने अपने छोटे पुत्र हर कृष्ण जी को अपना उत्तराधिकारी चुना—आप 6 अक्तूबर, 1661 ई० को कीरतपुर साहिब में ज्योति जोत समा गए।
- गुरु हर कृष्ण जी (Guru Har Krishan Ji)-गुरु हर कृष्ण जी का जन्म 7 जुलाई, 1656 ई० को कीरतपुर साहिब में हुआ—आपके पिता जी का नाम गुरु हर राय साहिब तथा माता जी का नाम सुलक्खनी था—आप मात्र 5 वर्ष की आयु में 1661 ई० को गुरुगद्दी पर विराजमान हुए—आपको बाल गुरु के नाम से स्मरण किया जाता है—आपको औरंगजेब द्वारा दिल्ली बुलाया गया—आप 1664 ई० में दिल्ली गए यहाँ आपने चेचक और हैज़ा से पीड़ित बीमारों की अथक सेवा की आप स्वयं इस भयंकर बीमारी का शिकार हो गए—आप 30 मार्च, 1664 ई० को दिल्ली में ज्योति जोत समा गए— ज्योति जोत समाने से पूर्व आपने “बाबा बकाला” शब्द का उच्चारण किया– जिससे अभिप्राय था कि सिखों का अगला गुरु बाबा बकाला में है।